एक्जिमा के कारण, एक्जिमा के लक्षण, एक्जिमा के इलाज, एक्जिमा के प्राकृतिक उपचार ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क करे - 84607 83401
आज हम यहाँ एक्जिमा के विषय में हम यहां पर चर्चा करेंगे। एक्जिमा रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में बहुत ही अच्छे तरीके से बताया गया है। हम ध्यान पूर्वक इसका अध्ययन कर चिकित्सक की देखरेख में रहकर अपने जीवन में प्रयोग करें तो अवश्य सफलता मिल सकती है। अब हम एक्जिमा रोग का कारण, लक्षण एवं उसके प्राकृतिक उपचार के विषय में पुराने रोगों की गृह चिकित्सा में वर्णित एक्जिमा पर विचार करें।सामान्यतः चर्मरोग के अन्तर्गत एक्जिमा को बहुत खराब रोग माना जाता है आयुर्वेद में तो इसे कुष्ठ रोग के अन्तर्गत रखा गया है। इसलिए इसके विषय में जानना अत्यन्त आवश्यक है। जितने चर्मरोग होते हैं, उनके प्रायः आधे ही इस जाति के हैं।यह विभिन्न शरीर में विभिन्न रूप से प्रकट होता है। फिर भी इसके दो भाग किये जा सकते हैं –
इस समय एकदम खट्टा और नमक-वर्जित खाद्य खाना आवश्यक है। दीर्घ दिन उपवास लेने से भी रोग अपेक्षाकृत सहज ही आरोग्य प्राप्त करता है। सब प्रकार से चर्मरोगियों को ही कोस्ठसुद्धि की सफाई के सम्बन्ध में विशेष रूप से ध्यान देना आवश्यक है।कारण, रोगी की जो गति त्वचा की ओर रहती है, वह आँत की ओर लौटा लाना, अर्थात् आँत की राह पर विष बाहर निकाल देना ही इस रोग की प्रधान चिकित्सा है। इसलिये पथ्य की ओर सदा ही ध्यान देना उचित है।उपयुक्त खाद्य ग्रहण से और खुली हवा में व्यायाम ग्रहण के द्वारा स्वास्थ्य की उन्नति कर सकें तो रोग आरोग्य के पथ पर बहुत दूर अग्रसर हो जाता है।इसके साथ साधारण स्वास्थ्य-नीति भी यथासाध्य मानकर चलना चाहिये कारण बहुत अवस्था में औषधि से जो लाभ नहीं होता,उससे कहीं अधिक लाभ होता है पथ्य की देखभाल और साधारण स्वास्थ्य नीति के अनुसरण से।
आज हम यहाँ एक्जिमा के विषय में हम यहां पर चर्चा करेंगे। एक्जिमा रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में बहुत ही अच्छे तरीके से बताया गया है। हम ध्यान पूर्वक इसका अध्ययन कर चिकित्सक की देखरेख में रहकर अपने जीवन में प्रयोग करें तो अवश्य सफलता मिल सकती है। अब हम एक्जिमा रोग का कारण, लक्षण एवं उसके प्राकृतिक उपचार के विषय में पुराने रोगों की गृह चिकित्सा में वर्णित एक्जिमा पर विचार करें।सामान्यतः चर्मरोग के अन्तर्गत एक्जिमा को बहुत खराब रोग माना जाता है आयुर्वेद में तो इसे कुष्ठ रोग के अन्तर्गत रखा गया है। इसलिए इसके विषय में जानना अत्यन्त आवश्यक है। जितने चर्मरोग होते हैं, उनके प्रायः आधे ही इस जाति के हैं।यह विभिन्न शरीर में विभिन्न रूप से प्रकट होता है। फिर भी इसके दो भाग किये जा सकते हैं –
एक्जिमा के प्रकार (Eczema Types)
- रसस्रावी एक्जिमा (Weeping Eczema)
- सूखा एक्जिमा (Dry Eczema)
इस समय एकदम खट्टा और नमक-वर्जित खाद्य खाना आवश्यक है। दीर्घ दिन उपवास लेने से भी रोग अपेक्षाकृत सहज ही आरोग्य प्राप्त करता है। सब प्रकार से चर्मरोगियों को ही कोस्ठसुद्धि की सफाई के सम्बन्ध में विशेष रूप से ध्यान देना आवश्यक है।कारण, रोगी की जो गति त्वचा की ओर रहती है, वह आँत की ओर लौटा लाना, अर्थात् आँत की राह पर विष बाहर निकाल देना ही इस रोग की प्रधान चिकित्सा है। इसलिये पथ्य की ओर सदा ही ध्यान देना उचित है।उपयुक्त खाद्य ग्रहण से और खुली हवा में व्यायाम ग्रहण के द्वारा स्वास्थ्य की उन्नति कर सकें तो रोग आरोग्य के पथ पर बहुत दूर अग्रसर हो जाता है।इसके साथ साधारण स्वास्थ्य-नीति भी यथासाध्य मानकर चलना चाहिये कारण बहुत अवस्था में औषधि से जो लाभ नहीं होता,उससे कहीं अधिक लाभ होता है पथ्य की देखभाल और साधारण स्वास्थ्य नीति के अनुसरण से।