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Sunday 16 December 2018

मुलहठी ( यष्टिमधु) के गुण व फायदे


मुलहठी एक प्रसिद्ध और सर्वसुलभ जड़ी है। काण्ड और मूल मधुर होने से मुलहठी को यष्टिमधु कहा जाता है। मधुक क्लीतक, जेठीमध तथा लिकोरिस इसके अन्य नाम हैं।  इस वृक्ष का भूमिगत तना (काण्ड) तथा जड़ सुखाकर छिलका हटाकर या छिलके सहित अंग प्रयुक्त होता है। सामान्यतः मुलहठी ऊँचाई वाले स्थानों पर ही होती है । भारत में जम्मू-कश्मीर, देहरादून, सहारनपुर तक इसे लगाने में सफलता मिली है। वैसे बाजार में अरब, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान से आयी मुलहठी ही सामान्यतः पायी जाती है। 
मुलेठी खांसी, गले की खराश, उदरशूल क्षयरोग, श्‍वासनली की सूजन तथा मिरगी आदि के इलाज में उपयोगी है। मुलेठी का सेवन आँखों के लिए भी लाभकारी है। इसमें जीवाणुरोधी क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटों में भी लाभदायक होता है। भारत में इसे पान आदि में डालकर प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक मतानुसार मुलेठी रस में मधुर (Sweet in taste), गुण में भारी, शीतल प्रकृति की, विपाक में मधुर, स्निग्ध, वात-पित्त नाशक, वीर्यवर्धक, नेत्रों के लिए हितकारी,  त्वचा की रंगत निखारने वाली, स्वर को सुधारने वाली, केशों के लिए बलवर्धक होती है। यह खांसी, दमा, कफ़, विकार, श्वास कष्ट, शुक्रदुर्बलता,  अल्सर, अम्ल-पित, आंतों की ऐंठन, हिचकी, पेशाब की जलन, मिर्गी, कब्ज , बवासीर, श्वेत प्रदर में गुणकारी है।