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Thursday 10 December 2020

सोरायसिस रोग - उपचार - परहेज

आयुर्वेद के अनुसार, सोरायसिस वात और कफ दोषों के कारण होता है


सोरायसिस
 त्वचा से जुड़ी ऑटोइम्यून डिजीज है। इस रोग में त्वचा पर कोशिकाएं तेजी से जमा होने लगती हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेजी से बनने लगती है, जिसमें घाव (skin lesions) बन जाता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। इन्वर्स सोरायसिस : शरीर के जो हिस्से मुड़ते हैं , वहां पर इसका सबसे ज़्यादा असर देखने को मिलता है. सोरायसिस एक स्किन संबंधी बीमारी है, जिसे स्किन का अस्थमा भी कहा जाता है। इसमें स्किन सेल्स काफी तेजी से बढ़ते हैं। इसमें स्किन की ऊपरी परत पर पपड़ी बन जाती है और वह छिल जाती है। 

इससे स्किन में शुष्कता आ जाती है और सफेद धब्बे पड़ जाते हैं  पस्ट्युलर सोरायसिस : इसमें लाल चकत्तों के इर्द-गिर्द सफेद चमड़ी जमा होने लगती है. - एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह सोरॉसिस का सबसे ख़तरनाक रूप है जिसमें खुजली के साथ तेज़ दर्द भी होता है


सोयरायसिस रोग इतने प्रकार के होते हैंः-

प्लेक सोरायसिस (Plaque Psoriasis)

प्लेक सोरायसिस एक आम तरह का सोरायसिस है। 10 लोगों में 8 लोग इसी सोरायसिस के शिकार होते हैं। प्लेक सोरायसिस के कारण शरीर पर सिल्वर (चांदी) रंग और सफेद लाइन बन जाती है। इसमें लाल रंग के धब्बे के साथ जलन होने लगती है। यह शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है, लेकिन ज्यादातर कोहनी, घुटने, सिर, पीठ में नीचे की ओर होती है। इसमें त्वचा पर लाल, छिलकेदार मोटे या चकत्ते निकल आते हैं। इनका आकार दो-चार मिमी से लेकर कुछ सेमी तक हो सकता है।

गटेट सोरायसिस (Guttate Psoriasis)

यह अक्सर कम उम्र के बच्चों के हाथ पांव, गले, पेट या पीठ पर होती है। यह छोटे-छोटे लाल-गुलाबी दानों के रूप में दिखाई पड़ती है। यह ज्यादातर हाथ के ऊपरी हिस्से, जांघ और सिर पर होती है। तनाव, त्वचा में चोट और दवाइयों के रिएक्शन के कारण यह रोग होता है।  इससे प्रभावित त्वचा पर प्लेक सोरायसिस की तरह मोटी परतदार नहीं होती है। अनेक रोगियों में यह अपने आप, या इलाज से चार छह हफ्तों में ठीक हो जाती है। कभी-कभी ये प्लाक सोरायसिस में भी परिवर्तित हो जाती है।

पस्चुलर सोरायसिस (Pustular Psoriasis)

ये एक दुर्लभ तरह का रोग है। ये ज्यादातर वयस्क में पाया जाता है। इसमें अक्सर, हथेलियों, तलवों या कभी-कभी पूरे शरीर में लाल दानें हो जाते हैं, जिसमें मवाद हो जाता है। ये देखने में संक्रमित प्रतीत होता है। यह ज्यादातर हाथों और पैरों में होता है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसके कारण कई बार बुखार, मतली आदि जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं। 

सोरियाटिक अर्थराइटिक (Psoriatic Arthritis)

ये सोरायसिस और अर्थराइटिस का जोड़ है। 70 फीसदी रोगियों में तकरीबन 10 साल की उम्र से इस सोरायसिस की समस्या रहती है। इसमें जोड़ों में दर्द, उंगलियों और टखनों में सूजन आदि जैसी समस्याएं होती हैं।

एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस (Erythrodermic Psoriasis)

इसमें चेहरे सहित शरीर की 80 प्रतिशत से अधिक त्वचा पर जलन के साथ लाल चकत्ते हो जाते हैं। शरीर का तापमान असामान्य हो जाता है। हदय की गति बढ़ जाती है। यह पूरी त्वचा में फैल जाती है। इससे त्वचा में जलन भी होती है। इसमें खुजली, ह्रदय गति बढ़ने और शरीर का तापमान कम ज्यादा होने जैसी समस्याएं होती हैं। इसके कारण संक्रमण, निमोनिया भी हो सकता है

इन्वर्स सोरायसिस (Inverse Psoriasis)

इसमें स्तनों के नीचे, बगल, कांख, या जांघों के ऊपरी हिस्से में लाल-लाल बड़े चकत्ते बन जाते हैं। ये ज्यादा पसीने और रगड़ने के कारण होते हैं।

सोरायसिस रोग के लक्षण 

सोरायसिस होने पर ये लक्षण दिखाई देते हैंः-

  • त्वचा पर सूजन के साथ लाल चकत्ते होना
  • लाल चकत्तों पर सफेद पपड़ी जैसी मृत त्वचा होना
  • रूखी त्वचा होना और उसमें दरारें पड़ना, खून निकलना आदि
  • त्वचा के चकत्तों में दर्द होना
  • चकत्तों के आसपास खुजली और जलन महसूस होना
  • नाखून मोटे और उनमें दाग-धब्बे पड़ जाना
  • जोड़ों में दर्द और सूजन होना

सोरायसिस होने के कारण 

सोयरायसिस की समस्या इन कारणों से हो सकती हैः-

रोग प्रतिरोधक शक्ति के कमजोर होने से

जब शरीर की रोग प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर हो जाती है, तो नयी कोशिकाएं तेजी से बनने लगती हैैं। यह त्वचा इतनी कमजोर होती है कि पूरी बनने से पहले ही खराब हो जाती हैं। इसमें लाल दाने और चकत्ते दिखाई देने लगते हैं। 


आनुवांशिक (वंशानुगत रूप से) 
रूप से

  • यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जो परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी एक से दूसरे को होती है।
  • अगर माता-पिता में से किसी एक को यह रोग है, तो बच्चों को यह रोग होने की सम्भावना 15% तक बढ़ जाती है।
  • अगर माता-पिता दोनों को यह बीमारी है तो बच्चों को यह रोग होने की सम्भावना 60% अधिक हो जाती है।

इन्फेक्शन (संक्रमण)

  • कई बार वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी इस रोग का कारण बनता है।
  • यदि आप गले के अलावा त्वचा के इंफेक्शन से पीड़ित हैं, तो ये सोरायसिस से ग्रस्त हो सकते हैं।
  • यदि आपके घर में कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है, तो यह समस्या आपको भी हो सकती है।

सोरायसिस होने के अन्य कारण

  • त्वचा पर कोई घाव जैसे- त्वचा कट जाना, मधुमक्खी काट लेना या धूप में त्वचा का झुलसना। यह सोयरासिस होने का कारण बन सकता है।
  • तनाव, धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन करने से भी सोयरासिस से ग्रस्त हो सकते हैं।
  • शरीर में विटामिन डी की कमी होने, एवं उच्च रक्तचाप से संबंधित कुछ दवाइयां खाने से भी यह रोग होता है।
  • सोरायसिस से प्रभावित होने वाले अंग 

    सोरायसिस 20 से 30 वर्ष की आयु में होती है, जो शरीर के इन अंगों में हो सकती हैः-

    • हथेलियों
    • पांव के तलवे
    • कोहनी
    • घुटने
    • सोयसाइसिस पीठ पर अधिक होता है।
    • सोयराइसिस किसी भी उम्र में नवजात शिशुओं से लेकर वृद्धों को भी हो सकती है।

      सोरायसिस में आपका खान-पान 

      पोषण वाला भोजन नहीं खाने से भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा तनाव और मानसिक विकार होने, शराब और धूम्रपान जैसी आदतों से भी सोरायसिस बढ़ सकता है। इसलिए सोयरासिस में आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-

      • पौष्टिक भोजन का सेवन करें।
      • शराब, धूम्रपान आदि से दूर रहें।

      सोरायसिस में आपकी जीवनशैली 

      सोरायसिस में आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिए ताकि बीमारी जल्द ठीक हो सकेः-

      • तनाव मुक्त जीवनशैली जीने की कोशिश करें।
      • त्वचा को सूखा रखने की कोशिश करें।
      • सूरज की तेज रोशनी से त्वचा की रक्षा करें।

      डॉक्टर की सलाह के बिना दवा ना लें

      दवा का साइड इफेक्ट भी सोरायसिस का कारण बनता है। दर्द-निवारक दवाएं, मलेरिया, ब्लडप्रेशर कम करने की दवाएं लेने से सोरायसिस की बीमारी हो सकती है। अगर बीमारी पहले से है तो अधिक बढ़ सकती है।

      शराब और धूम्रपान ना करें

      जो लोग नियमित रूप से मदिरापान और धूम्रपान करते हैं। उनको इस बीमारी का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

    • सोरायसिस से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिएः-

      • अनाजपुराना चावलगेहूंजौ   दाल: अरहरमूंगमसूर दाल     फल एवं  सब्जीया सहजनटिण्डापरवललौकीतोरईखीराहरिद्रालहसुनअदरकअनारजायफल  अन्यअजवाइनशुंठीसौंफहिंगकाला नमकजीरालहसुनगुनगुना पानी का सेवन करें

सोरायसिस से ग्रस्त लोगों को इनका सेवन नहीं करना चाहिएः-

  • अनाजनया धानमैदा,
  • दालचनामटरउड़द
  • फल एवं सब्जियांपत्तेदार सब्जियाँ– सरसोंटमाटरबैंगननारंगीनींबूखट्टे अंगूरआलूकंदमूल
  • अन्यदहीमछलीगुड़दूधअधिक नमककोल्ड्रिंक्ससंक्रमित/फफूंदी युक्त भोजनअशुद्ध एवं संक्रमित जल
  • सख्त मनातैलीय मसालेदार भोजनमांसहार और मांसाहार सूपअचारअधिक तेलअधिक नमककोल्डड्रिंक्समैदे वाले पर्दाथशराबफास्टफूडसॉफ्टडिंक्सजंक फ़ूडडिब्बा बंद खाद्य पदार्थतला हुआ एवं कठिनाई से पाचन वाला भोजन
  • विरुद्ध आहारमछली + दूध      
  • सोरायसिस की बीमारी में आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
    • दिन में न सोएं।
    • भोजन के बाद टहलें।
    • पहले वाला भोजन पचे बिना न खाएं।
    • हल्का व्यायाम करें।
    • तनाव मुक्त जीवनशैली जीने की कोशिश करें।
    • त्वचा को सूखा रखने की कोशिश करें।
    • सूरज की तेज रोशनी से त्वचा की रक्षा करें।
    • गुस्साडरऔर चिंता न करें।
    • पेशाब और शौच को न रोकें।
    • आसमान में बादल होने पर ठंडे जल का सेवन करें।
    • पूर्वी हवाओं का अत्यधिक सेवन करें।      
    • गर्म पानी में सेंधा नमक, मिनरल ऑयल, दूध या जैतून का तेल मिलाएं और उससे नहाएं। यह त्वचा को राहत प्रदान करती है और लालीपन औ जलन को भी कम करती है। नहाने के तुरंत बाहर मॉइश्चराइजर लगाएं। स्वस्थ आहार का सेवन करना सोरायसिस के दौरान एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। 
    • आयुर्वेद मे  कुछ औषधिया पंचतिक्त गुगग्लू ,आरोग्यवर्धनी बटी , तालकेश्वर रस , गंधक रसायन , महा मंजिस्था घन , खदिरारिष्ट सहित अनेक औषधी उपयोगी है मगर बिना आयुर्वेदचार्य की सलाह से न लेवे - ज्यादा जानकारी के लिए - 8460783401 

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Saturday 5 December 2020

कुछ दिन पी लीजिए इस तरह दूध को 80 साल तक कैल्शियम की कमी नहीं हो सकती


 

कुछ दिन पी लीजिए इस तरह दूध को 80 साल तक कैल्शियम की कमी नहीं हो सकती | यानी कि पूरी उम्र कैल्शियम की कमी कभी नहीं होगी | ताकत का खजाना है यह दूध | सही डाइट नहीं लेने के कारण लोग शारीरिक तौर पर कमजोर होने लगते हैं और शारीरिक कमजोरी होने के वजह से शरीर में धीरे-धीरे बहुत सारी बीमारियां होने लगती है |

आज हम बात करते हैं ऐसी चीज के बारे में जिसका इस्तेमाल करने से शरीर फौलादी और आकर्षित बन जाएगा | चेहरे पर हमेशा गलो रहेगा |अगर आप इसे रोजाना खाएंगे तो शरीर की अंदरूनी कमजोरी समय से पहले चेहरे पर रिंकल्स, बुढ़ापे का असर, हड्डियों का कमजोर होना | शरीर में कैल्शियम की कमी होना कमर में दर्द होना, जोड़ों में दर्द होना, बालों का सफेद होना या फिर झड़ना, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर |

इन सभी समस्याओं का हल करने के अलावा हमारे शरीर की और बहुत सारी तकलीफों को दूर करने में मदद करेगा | हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करेगा | दूध हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है यह तो हम सब जानते ही हैं | दूध में इतने पोषक तत्व होते हैं अगर इसे संपूर्ण आहार कहा जाए तो गलत नहीं है | फिर भी बहुत सारे लोग दूध नहीं पीते | बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक यानी कि हर एक उम्र के इंसान को दूध जरूर पीना चाहिए | दूध में अच्छी मात्रा में विटामिन A, विटामिन B12 पाया जाता है | आपको पता ही होगा कि विटामिन B12 हमारे नर्वस सिस्टम यानी की नसों के लिए काफी फायदेमंद है | नसों को ताकत देने के लिए दूध बहुत जरूरी है | विटामिन B12 सिर्फ डायरी प्रोडक्ट यानी दूध व दूध से बनी चीजें इसके अलावा नॉनवेज भी मिलता है | इसकी कमी से शरीर में भयंकर बीमारियां हो जाती है |

इसके अलावा दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी होता है | दूध से शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होती है | जो कैंसर हड्डियों की कमजोरी गठिया माइग्रेन सिर दर्द जैसी बीमारियों को रोकता है | लेकिन अगर आप दूध में दो चीजें और मिक्स कर देंगे तो इसके फायदे भी दोगुने हो जाएंगे | तो वह दोनों चीजें कौन सी है मखाना, खसखस | इनकी खास बात यह है इनकी तासीर ठंडी होती है यानी कि गर्मियों के दिनों में आप इनका सेवन बड़ी आसानी से कर सकते हैं | तो चलिए जानते हैं आपने खसखस और मखाने का सेवन किस तरह करना है | कैसे पीना है | इसके क्या फायदे हैं |

खसखस, मखाने का दूध कैसे करें तैयार :-

  • आपने एक चम्मच खसखस लेनी है |
  • उसे 3 घंटों के लिए पानी में भिगो कर रख दीजिए |
  • 3 घंटों के बाद आप खसखस का एक पेस्ट तैयार कर लीजिए और एक गिलास दूध ले लीजिए |
  • उसके अंदर 8 से 10 मखानों को उबाल लीजिए |
  • बॉयल हुए मखानों वाला दूध आप इसे हल्का सा ठंडा यानी गुनगुना करके इसके अंदर खसखस वाला पेस्ट मिक्स कर दीजिए |
  • उसके बाद आप इसे रात के समय सोते समय इसका सेवन करना है |

खसखस, मखाने वाले दूध से शरीर स्वस्थ –

  • इस दूध में बहुत सारा ओमेगा-3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है |
  • प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, होता है |
  • वही मखाने के अंदर प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम होता है |
  • एक खास बात और है कि इसके अंदर कोलेस्ट्रोल सोडियम कम होती है जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी मदद करती है |

खसखस, मखाने वाले दूध से मोटापा कम –

  • जो लोग बहुत मोटे हैं उनको इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |
  • क्योंकि यह हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर हमारे रेट को कम करता है |
  • लेकिन कुछ लोग यह सोचेंगे कि हम तो बहुत पतले हैं या फिर अंडरवेट हैं तो क्या हम इसका सेवन नहीं कर सकते |
  • नहीं आप इसका सेवन भी कर सकते हैं |
  • क्योंकि मखाने और खसखस वाला दूध पीने से हमारा मेटाबॉलिज्म तेज होता है |
  • यह हमारे शरीर के वजन को बैलेंस करता है |
  • जो भी लोग पतले हैं वह भी बड़े आराम से इसका सेवन कर सकते हैं |

खसखस, मखाने वाले दूध से शरीर का दर्द दूर –

  • मखाने और खसखस वाला दूध पीने का एक और बड़ा फायदा है |
  • जिनके भी मांसपेशियों में लगातार दर्द रहता है |
  • शरीर में लगातार दर्द रहता है |
  • जोड़ों में दर्द रहता है |
  • कमर दर्द रहता है |
  • घुटनों में बहुत दर्द रहता है |
  • तो आपको रोजाना 30 दिन यानी कि 1 महीना इसके दूध का सेवन करना है बिना छोड़े |

खसखस, मखाने वाले दूध से नसें मजबूत –

  • अगर आपकी नसे भी बहुत कमजोर हैं |
  • रात को सोते समय आपकी टांगों में दर्द होता है |
  • पैरों में दर्द होता है, टांगो की पिंडलियों में बहुत दर्द होता है |
  • तो एक महीना रेगुलर इसका सेवन करने से आपको बहुत फायदा होगा |
  • इसका असर आपको 5 से 7 दिनों में मिल जाएगा |

खसखस, मखाने वाले दूध से हड्डिया व् दाँत मजबूत –

  • खसखस दूध मखाना तीनों ही कैल्शियम और फास्फोरस का खजाना है |
  • तो हड्डियों और दांतो को मजबूत करने के लिए यह बहुत फायदेमंद है |
  • इसके अलावा जिन को सांस लेने में समस्या आती है |
  • सांस से संबंधित समस्या है जुखाम बहुत जल्दी हो जाता है या फिर साइनस की समस्या है तो आपको इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से नींद ना आने की समस्या दूर –

  • आजकल की लाइफ स्टाइल के कारण लोगों को नींद बहुत कम आती है |
  • दिमाग पर टेंशन बनी रहती है तो इस दूध के अंदर एलके नाइन होता है जो कि अच्छी नींद लाने में सहायक है |
  • नींद को बढ़ावा देने के लिए नारकोटिक पाया जाता है |
  • इसलिए इसे पीने से अच्छी नींद आती है |
  • अगर आप रात के समय इस दूध को पी कर सोते हैं तो सुबह अपने आप को आप बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे |
  • अगर आप रात को नींद की गोली लेकर सोते हैं तो अगर आप इस दूध का सेवन करते हैं तब आपको गोली यानी दवाई लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी |

खसखस, मखाने वाले दूध से कब्ज की समस्या दूर –

  • इसमें बहुत अच्छी मात्रा में फाइबर होता है जिनको भी कब्ज की समस्या है उन्हें खसखस मखाने वाला दूध रोजाना रात को पीकर सोना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से ब्लड प्रेशर की समस्या दूर –

  • अगर किसी को ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उनके लिए भी यह दूध का सेवन करना बहुत फायदेमंद है |
  • चाहे ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर हो या फिर हाई ब्लड प्रेशर हो दोनों ही ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है |

खसखस, मखाने वाले दूध से खून की कमी पूरी –

  • खसखस और मखाने वाला दूध पीने से हमारे शरीर में खून की कमी पूरी होती है |

खसखस, मखाने वाले दूध से दिमाग की समस्या दूर –

  • अगर आप मेमोरी कमजोर वाली समस्या का सामना कर रहे हैं तो खसखस और मखाने वाला दूध पीना बहुत फायदेमंद है |
  • क्योंकि इस दूध के अंदर विटामिन B12 और कॉपर होता है जो हमारे दिमाग को एक्टिव करता है |दिमाग को तेज करता है |

खसखस, मखाने वाले दूध से किडनी में स्टोन की समस्या दूर –

  • जिनकी किडनी में स्टोन भी बार-बार बनता है यानी पथरी की समस्या है तो उनको भी इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से डायबिटीज की समस्या दूर –

  • इसके अलावा जो भी डायबिटीज मरीज हैं उनके लिए यह दूध का सेवन करना बहुत फायदेमंद है |

खसखस, मखाने वाले दूध से थायराइड की समस्या दूर –

  • अगर आप थायराइड की बीमारी को फेस कर रहे हैं |
  • यानी कि थायरोक्सिन हार्मोन ज्यादा कम प्रोड्यूज होता है तो भी मखाने और खसखस वाला दूध रोजाना पीना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से चेहरे की समस्या दूर –

  • खसखस और खाने वाले दूध में एंटी एजिंग भरपूर होते हैं |
  • जिनके फेस पर बहुत ज्यादा रिंकल्स आते हैं आप अपनी उम्र से बड़े दिखते हैं तो उनको भी इसका सेवन रोजाना करना चाहिए |
  • हमारी हमारी स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाता है यह दूध मखाने में दूरियां और एजिंग के अन्य लक्षणों को खत्म करने में काफी मदद करता है |
  • अगर आप हमेशा ही यंग देखना चाहते हैं तो इस दूध को आप रोजाना पीजिये |
  • अगर आप रोजाना नहीं पी सकते तो आप एक दिन छोड़कर 1 दिन इसका सेवन कीजिए |
  • यह दूध आपको अंदर से स्ट्रांग बाहर से खूबसूरत बनाएगा |

खसखस, मखाने वाले दूध से पुरुषो की अंदुरुनी कमजोरी दूर –

  • इसके अलावा यह दूध पुरुषों के लिए काफी फायदेमंद है जो पुरुषों की अंदरूनी कमजोरी को दूर करता है और उनको ताकत देता है |

खसखस, मखाने वाले दूध से साँस फूलने की समस्या दूर –

  • जो लोग अंदर से कमजोरी महसूस करते हैं, थोड़ा सा काम करने पर काफी थक जाते हैं, दौड़ने पर हाफने लगते हैं, सांस फूलने लगती है |
  • उनके लिए भी दूध का सेवन करना काफी फायदेमंद है |
  • एक महीना रोजाना इसका सेवन जरूर करें बस एक चीज का ध्यान जरूर करें |
  • आपको इसका सेवन रात के समय करना है |

क्या करें क्या ना करें 

  • आपको सेवन करने के बाद कम से कम 15 मिनट सैर जरूर करनी है |
  • ऐसे नहीं करना कि आपने दूध का सेवन किया और तुरंत सो गए |
  • इसके अलावा आप दिन में कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर कीजिए ताकि यह मखाने वाला दूध अच्छे से डाइजेस्ट हो सके |
  • इस पोस्ट में हम आपको कुछ और चीजें हैं जो गर्मियों में ध्यान में रखनी है |
  • आपने फ्रिज वाला पानी नहीं पीना |
  • इसके अलावा अगर आप ठंडा पानी पीना चाहते हैं तो आप मटके वाला पानी पीजिए |
  • अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा शामिल कीजिए |

मखाना के फायदे, उपयोग और नुकसान

 सूखे मेवे में शामिल होने वाले मखाना को भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में इस्तेमाल में किया जाता है। बहुत से लोग इसे भून कर खाना पसंद करते हैं। वहीं, कई लोग इसे फ्राई कर इस्तेमाल में लाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो इसकी खीर बनाकर इसका सेवन करते हैं। इन तीनों ही तरीकों से, इसके भिन्न-भिन्न स्वाद का लुत्फ उठाया जा सकता है। वहीं, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि स्वाद के साथ ही यह सेहत के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको मखाना के फायदे और उपयोग के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इस बात की जानकारी भी विस्तार से देंगे कि मखाना खाने से क्या होता है।

मखाना क्या है?

मखाना, कमल के बीज को कहते हैं। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे फॉक्स नट, फूल-मखाना, लोटस सीड और गोर्गन नट । वहीं, इसके बीजों को भूनने के बाद इसका उपयोग कई प्रकार की खाद्य सामग्री में किया जाता है। इसके अलावा, यह कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। नीचे स्वास्थ्य के लिए मखाना के फायदों को विस्तार से बताया गया।

मखाना में  औषधीय गुण 

मखाना में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मखाने में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी ट्यूमर प्रभाव पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसका सेवन बुखार, पाचन तंत्र सुधारने में और दस्त के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा, यह कई खास एल्कलॉइड से भी समृद्ध होता है। ये सभी गुण और प्रभाव मखाने को स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बनाने का काम करते हैं

मखाने के फायदे – 

नीचे हम शरीर के लिए मखाने के फायदे बता रहे हैं। जानिए मखाने का सेवन किस प्रकार स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि मखाना लेख में शामिल किसी भी बीमारी का डॉक्टरी इलाज नहीं है। इसका सेवन केवल शारीरिक समस्या से बचाव और शरीर को स्वस्थ रखने का एक तरीका हो सकता है।

1. वजन कम करने के लिए मखाने के लाभ

वजन घटाने में मखाने के फायदे की बात करें, तो इसका उपयोग मोटापे की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, कमल के बीज (मखाना) का एथेनॉल अर्क शरीर में फैट सेल्स को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही यह फैट सेल्स के वजन को भी कम कर सकता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि इसका उपयोग वजन को कम करने में सहायक साबित हो सकता है

2. ब्लड प्रेशर में लाभदायक मखाना के गुण

बात करें, ब्लड प्रेशर में मखाने के फायदे की, तो माना जाता है कि मखाने के नियमित इस्तेमाल से इस गंभीर समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। कारण यह है कि इसमें पाया जाने वाला एल्कलॉइड हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। इसलिए, बीपी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए मखाने का सेवन किया जा सकता है ।

3. डायबिटीज में मखाने के फायदे

डायबिटीज की समस्या से राहत पाने के लिए भी मखाने का उपयोग किया जा सकता है। एक शोध के आधार पर इस बात की पुष्टि की गई है कि मखाने में पाए जाने वाले रेसिस्टेंट स्टार्च में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। यह प्रभाव मधुमेह की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकता है। इसके अलावा, यह इंसुलिन को भी नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है 

4. हृदय के लिए मखाना का गुण

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि मखाने का सेवन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम कर सकता है । इसके अलावा, यह मधुमेह और बढ़ते वजन को भी नियंत्रित कर सकता है । वहीं, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे को हृदय रोग का जोखिम कारक माना जाता है । इस आधार पर कहा जा सकता है कि मखाने का सेवन इन समस्याओं से बचाव कर इनसे होने वाले हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। वहीं, एक अन्य शोध में जिक्र मिलता है कि कमल का बीज यानी मखाना कार्डियोवस्कुलर रोग (हृदय संबंधी) से बचाव का काम कर सकता है ।

5. प्रोटीन का अच्छा स्रोत

मखाने में प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। 100 ग्राम मखाने में लगभग 10.71 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है । इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि मखाना खाने के फायदों में प्रोटीन की कमी को पूरा करना भी शामिल है। इसके नियमित उपयोग से शरीर में प्रोटीन की आवश्यक मात्रा की पूर्ति के साथ, उसकी कमी से होने वाली कई समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।

6. गर्भावस्था में मखाना खाने के फायदे

गर्भावस्था में मखाना का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। गर्भावस्था में महिलाओं के लिए मखाने का उपयोग कई प्रकार के पकवानों में मिलाकर किया जाता है। एक शोध के अनुसार, मखाने का उपयोग गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद की होने वाली कमजोरियों को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व जैसे की आयरन, प्रोटीन, मैग्नीशियम और पाेटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं ।

7. अनिद्रा में मखाने के लाभ

अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या में मखाना के लाभ देखे जा सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि अनिद्रा की समस्या के लिए मखाने का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से किया जाता है । हालांकि, इस लाभ के पीछे मखाने का कौन-सा गुण जिम्मेदार होता है, फिलहाल इससे जुड़ा सटीक वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।  

8. मसूड़ों के लिए मखाना खाने के फायदे

शोध में पाया गया है कि मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं । मखाने में पाए जाने वाले ये दोनों गुण मसूड़े संबंधित सूजन और बैक्टीरियल प्रभाव के कारण होने वाली दांतों की सड़न को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। इस कारण माना जा सकता है कि मखाने में पाए जाने वाले ये गुण मसूड़ों की सूजन के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। हालांकि, इस विषय पर सीधे तौर पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है।

9. किडनी के लिए बेनिफिट्स ऑफ मखाना

मखाने का उपयोग किडनी के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। एनसीबीआई के एक शोध में जिक्र मिलता है कि मखाने का सेवन अन्य समस्याओं जैसे दस्त के साथ किडनी से जुड़ी परेशानियों से बचाव का काम कर सकता है । फिलहाल, यहां यह स्पष्ट नहीं है कि इसका कौन-सा गुण किडनी की समस्या को ठीक करने में लाभदायक हो सकता है।

10. एंटी-एजिंग बेनिफिट्स ऑफ मखाना

त्वचा से संबंधित समस्याओं में मखाने के उपयोग पर किए गए एक शोध में पता चला है कि मखाना एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। यह गुण त्वचा पर आने वाले एजिंग के प्रभाव जैसे झुर्रियों को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है

मखाने के पौष्टिक तत्व –  

मखाना खाने के फायदे उसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों के कारण ही देखते को मिलते हैं। जानते हैं कि मखाने में कौन-कौन से पोष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
कैलोरी393 kcal
प्रोटीन10.71 ग्राम
फैट10.71 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट71.43 ग्राम
फाइबर3.6 ग्राम
शुगर3.57 ग्राम
कैल्शियम18 मिलीग्राम
पोटेशियम57 मिलीग्राम
सोडियम750 मिलीग्राम
फैटी एसिड टोटल सैचुरेटेड1.79 ग्राम

मखाना का उपयोग 

मखाने खाने के लाभ के बाद इसके उपयोग की बात की जाए, तो इसे कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें हम कुछ बिंदुओं की सहायता से जानेंगे।

  • मखाने को फ्राई कर स्नैक्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कई लोग मखाने की खीर बनाकर इसे खाने में इस्तेमाल करते हैं।
  • कुछ लोग ऐसे भी है, जो सब्जी बनाते वक्त इसे मटर और पनीर के साथ शामिल करते हैं।

समय  इसे नाश्ते के रूप में सुबह या शाम को खाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

मात्रा– मात्रा की बात की जाए, तो सामान्य तौर पर एक बार में 20 से 30 ग्राम मखाने का उपयोग किसी भी रूप में किया जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।