Thursday 27 December 2018

हरड़े

https://youtu.be/XD1_snU2nGc

पेट के लिए बढ़िया औषधि है हरड़ ओर हरड़ के फायदे - विनय आयुर्वेदा

                                  पेट के लिए बढ़िया औषधि है हरड़ 
  
हरड़  दो प्रकार की होती  हैं− बड़ी हरड़ और छोटी हरड़। बड़ी हरड़ में सख्त गुठली होती है जबकि छोटी हरड़ में कोई गुठली नहीं होती। वास्तव में वे फल जो गुठली पैदा होने से पहले ही तोड़कर सुखा लिए जाते हैं उन्हें ही छोटी हरड़ की श्रेणी में रखा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार छोटी हरड़ का प्रयोग निरापद होता है क्योंकि आंतों पर इसका प्रभाव सौम्य होता है। 
बवासीर, सभी उदर रोगों, संग्रहणी आदि रोगों में हरड़ बहुत लाभकारी होती है। आंतों की नियमित सफाई के लिए नियमित रूप से हरड़ का प्रयोग लाभकारी है। लंबे समय से चली आ रही पेचिश तथा दस्त आदि से छुटकारा पाने के लिए हरड़ का प्रयोग किया जाता है। सभी प्रकार के उदरस्थ कृमियों को नष्ट करने में भी हरड़ बहुत प्रभावकारी होती है।
अतिसार में हरड़ विशेष रूप से लाभकारी है। यह आंतों को संकुचित कर रक्तस्राव को कम करती हैं वास्तव में यही रक्तस्राव अतिसार के रोगी को कमजोर बना देता है। हरड़ एक अच्छी जीवाणुरोधी भी होती है। अपने जीवाणुनाशी गुण के कारण ही हरड़ के एनिमा से अल्सरेरिक कोलाइटिस जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
इन सभी रोगों के उपचार के लिए हरड़ के चूर्ण की तीन से चार ग्राम मात्रा का दिन में दो−तीन बार सेवन करना चाहिए। कब्ज के इलाज के लिए हरड़ को पीसकर पाउडर बनाकर या घी में सेकी हुई हरड़ की डेढ़ से तीन ग्राम मात्रा में शहद या सैंधे नमक में मिलाकर देना चाहिए। अतिसार होने पर हरड़ गर्म पानी में उबालकर प्रयोग की जाती है जबकि संग्रहणी में हरड़ चूर्ण को गर्म जल के साथ दिया जा सकता है।
हरड़ का चूर्ण, गोमूत्र तथा गुड़ मिलाकर रात भर रखने और सुबह यह मिश्रण रोगी को पीने के लिए दें इससे बवासीर तथा खूनी पेचिश आदि बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा इन रोगों के उपचार के लिए हरड़ का चूर्ण दही या मट्ठे के साथ भी दिया जा सकता है।
लीवर, स्पलीन बढ़ने तथा उदरस्थ कृमि आदि रोगों की इलाज के लिए लगभग दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। हरड़ त्रिदोष नाशक है परन्तु फिर भी इसे विशेष रूप से वात शामक माना जाता है। अपने इसी वातशामक गुण के कारण हमारा संपूर्ण पाचन संस्थान इससे प्रभावित होता है। यह दुर्बल नाड़ियों को मजबूत बनाती है तथा कोषीय तथा अंर्तकोषीय किसी भी प्रकार के शोध निवारण में प्रमुख भूमिका निभाती है।
अगर आपको गैस या कब्ज की शिकायत है तो काली हरड़ को चूसें। खाना खाने के बाद अच्छी तरह धुली हुई काली हरड़ मुंह में रख लें। अगर इसे चूस कर सेवन करने में दिक्कत महसूस करें तो रात में एक गिलास में 250 ग्राम पानी में एक हरड़ डाल दें औरसुबह सूर्योदय से पहले उस पानी को पी लें। कब्ज या गैस से पूरी तरह मुक्ति के लिए चार से छह महीने तक हरड़ का सेवन करें।
 हरड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी है परन्तु फिर भी कमजोर शरीर वाले व्यक्ति, अवसादग्रस्त व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्रियों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

Wednesday 26 December 2018

आमवात ( Rheumatoid ) – कारण और आयुर्वेद औषध व्यवस्था

आयुर्वेद में बहुत सी वात व्याधियों का वर्णन है | इनमे से एक आमवात  है जिसे हम गठिया रोग भी कह सकते है | आमवात में पुरे शरीर की संधियों में तीव्र पीड़ा होती है साथ ही संधियों में सुजन भी रहती है | आमवात होने का प्रमुख कारण है हमारे शरीर मे दूषित वायु का बढ़ जाना हमारे  शरीर के सभी जोड़ो मे थोड़ा रिक्त स्थान होता है ओर हमारे शरीर मे उतपन्न दूषित वायु इन जोड़ो की रिक्त स्थान मे जमा हो जाती है ओर उसका परिणाम हम देखते है आमवात !   आमवात के रोगियो को सुबह सूर्योदय के पूर्व उठकर बासी मुह कम से कम 1 लीटर गुनगुना पानी बेठकर शिप शिप पीना चाहिए ! हमारी सुबह की लार के साथ गुनगुना पानी पीना आमवात के रोगियो के संजीवनी बूटी जेसा कार्य करता है क्यू की गुनगुना पानी पीने से छोटी आंत व बड़ी आंत से सफाई होते हुए अद्पच्चे अन्न से बने आम व मल पूरा साफ़ हो जाता है सुबह गुनगुना पानी पीने  का हमारे शरीर मे हुए बदलाव 7 दिन मे दिखने लगते है  

आमवात दो शब्दों से मिलकर बना है  – आम + वात |
आम अर्थात अद्पच्चा अन्न या एसिड और वात से तात्पर्य दूषित वायु | जब अद्पच्चे अन्न से बने आम के साथ दूषित वायु मिलती है तो ये संधियों में अपना आश्रय बना लेती है और आगे चल कर संधिशोथ व शुल्युक्त व्याधि का रूप ले लेती जिसे आयुर्वेद में आमवात और बोलचाल की भाषा में गठिया रोग कहते है | चरक संहिता में भी आमवात विकार की अवधारणा  का वर्णन मिलता है लेकिन आमवात रोग का विस्तृत वर्णन माधव निदान में मिलता है |
आमवात के कारण 
आयुर्वेद में विरुद्ध आहार को इसका मुख्य कारण माना है | मन्दाग्नि का मनुष्य जब स्वाद के विवश होकर स्निग्ध आहार का सेवन करता और तुरंत बाद व्यायाम कोई शारीरिक श्रम करता है तो उसे आमवात होने की सम्भावना हो जाती है | रुक्ष , शीतल विषम आहार – विहार, अपोष्ण संधियों में कोई चोट, अत्यधिक् व्यायाम, रात्रि जागरण , शोक , भय , चिंता , अधारणीय वेगो को धारण करने से आदि शारीरिक और मानसिक वातवरणजन्य कारणों के कारण आमवात होता है | 
आमवात के लिए कोई बाहरी कारण जिम्मेदार नहीं होता इसके लिए जिम्मेदार होता है हमारा खान-पान | विरुद्ध आहार के सेवन से शारीर में आम अर्थात यूरिक एसिड की अधिकता हो जाती है | साधारनतया हमारे शरीर में यूरिक एसिड बनता रहता है लेकिन वो मूत्र के साथ बाहर भी निकलता रहता है | जब अहितकर आहार और अनियमित दिन्चरिया के कारन यह शरीर से बाहर नहीं निकलता तो शरीर में इक्कठा होते रहता है और एक मात्रा से अधिक इक्कठा होने के बाद यह संधियों में पीड़ा देना शुरू कर देता है क्योकि यूरिक एसिड मुख्यतया संधियों में ही बनता है और इक्कठा होता है | इसलिए बढ़ा हुआ यूरिक एसिड ही आमवात का कारन बनता है |

वातहर योग ( हर्बल उकाला ) को 3 महिना सेवन करने से 100 % परिणाम प्राप्त हुए है आप चाहे तो मो - 84607 83401 पर कॉल करके मंगा सकते है इसकी कीमत 1  माह की 750 /- रुपए व 3 माह 1850 /- है   
आमवात के संप्राप्ति घटक 
दोष – वात और कफ प्रधान / आमदोष |
दूषित होने वाले अवयव – रस , रक्त, मांस, स्नायु और  अस्थियो में संधि |
अधिष्ठान – संधि प्रदेश / अस्थियो की संधि |
रोग के पूर्वप्रभाव – अग्निमंध्य, आलस्य , अंग्म्रद, हृदय भारीपन, शाखाओ में स्थिलता |
आचार्य माधवकर ने आमवात को चार भागो में विभक्त किया है 
1. वातप्रधान आमवात 
2. पितप्रधान आमवात 
3. कफप्रधान आमवात  
4. सन्निपताज आमवात 

आमवात में औषध प्रयोग 

आमवात में मुख्यतया संतुलित आहार -विहार का ध्यान रखे और यूरिक एसिड को बढ़ाने वाले भोजन का त्याग करे | अधिक से अधिक पानी पिए ताकि शरीर में बने हुए विजातीय तत्व मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकलते रहे | संतुलित और सुपाच्य आहार के साथ विटामिन इ ,सी और भरपूर प्रोटीन युक्त भोजन को ग्रहण करे | अधिक वसा युक्त और तली हुई चीजो से परहेज रखे | 
इसके अलावा आप निम्न सारणी से देख सकते है आमवात की औषध व्यवस्था 

क्वाथ प्रयोग – रस्नासप्तक , रास्नापंचक , दशमूल क्वाथ, पुनर्नवा कषाय आदि |
स्वरस – निर्गुन्डी, पुनर्नवा , रास्ना आदि का स्वरस |
चूर्ण प्रयोग – अज्मोदादी चूर्ण, पंचकोल चूर्ण, शतपुष्पदी चूर्ण , चतुर्बिज चूर्ण |
वटी प्रयोग – संजीवनी वटी , रसोंनवटी, आम्वातादी वटी , चित्रकादी वटी , अग्नितुण्डी वटी आदि |
गुगुल्ल प्रयोग – सिंहनाद गुगुल्लू , योगराज गुगुल , कैशोर गुगुल , त्र्योंग्दशांग गुगुल्ल आदि |
भस्म प्रयोग – गोदंती भस्म, वंग भस्म आदि |
रस प्रयोग – महावातविध्वंसन रस, मल्लासिंदुर रस , समिर्पन्न्ग रस, वात्गुन्जकुश |
लौह – विदंगादी लौह, नवायस लौह , शिलाजीतत्वादी लौह, त्रिफलादी लौह |
अरिष्ट / आसव – पुनर्नवा आसव , अम्रितारिष्ट , दशमूलारिष्ट आदि |
तेल / घृत ( स्थानिक प्रयोग ) – एरंडस्नेह, सैन्धाव्स्नेह, प्रसारिणी तेल, सुष्ठी घृत आदि का स्थानिक प्रयोग 
स्वेदन – पत्रपिंड स्वेद, निर्गुन्द्यादी पत्र वाष्प |
सेक – निर्गुन्डी , हरिद्रा और एरंडपत्र से पोटली बना कर सेक करे | 
इसके अतिरिक्त हमे प्राचीन शास्त्रो से प्राप्त एक नुस्खा वातहर योग  द्वारा बहुत से मरीजो पर अपनाए जिसमे काफी अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ है !  
वातहर योग( हर्बल उकाला ) को 3 महिना सेवन करने से 100 % परिणाम प्राप्त हुए है आप चाहे तो मो - 84607 83401 पर कॉल करके मंगा सकते है इसकी कीमत 1  माह की 750 /- रुपए व 3 माह 1850 /- है   

Tuesday 25 December 2018

महिलाओ को होने वाले श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) का घरेलू इलाज

स्त्रियों की योनी से सफेद पानी का बहना एक साधारण समस्या है. इसमें योनी से पानी जैसा स्त्राव होता है. य़ह खुद कोई रोग नहीं है. लेकिन यह स्त्रियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है. इसके कारण चिड़चिड़ापन, पैर-हाथ में दर्द इत्यादि का सामना करना पड़ता है. तो आइए हम जानते हैं कि घरेलू उपायों द्वारा कैसे श्वेत प्रदर को खत्म किया जा सकता है. आपको क्या-क्या करना चाहिए और क्या-क्या नहीं.


श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) की समस्या खत्म करने के घरेलू उपाय :
  • हर दिन कच्चा टमाटर खाना शुरू करें.
  • सुबह-शाम 2 चम्मच प्याज का रस और उतनी हीं मात्रा में शहद मिलाकर पिएँ.
  • जीरा भूनकर चीनी के साथ खाने से फायदा होगा.
  • आंवले का रस और शहद लगातार 1 महीने तक सेवन करें. इससे श्वेत प्रदर ठीक हो जायेगा.
  • हर दिन केला खाएँ, इसके बाद दूध में शहद डालकर पिएँ. इसके आपकी सेहत भी अच्छी होगी और श्राव के कारण होने वाली कमजोरी भी दूर होगी. कम-से-कम तीन महीने तक यह उपाय करें, दूध के ठंडा हो जाने के बाद उसमें शहद डालें.
  • कच्चे केले की सब्जी खाएँ.
  • अगर आपके शरीर में खून की कमी है, तो खून बढ़ाने के लिए हरी सब्जियाँ, फल, चुकन्दर इत्यादि खाएँ.
  • 1 केला लें, उसे बीच से काट लें. उसमें 1 ग्राम फिटकरी भर दें, इसे दिन या रात में एक बार खाएँ. लेकिन ध्यान रखें कि अगर दिन में खाना शुरू किया तो, दिन में हीं खाएँ. और अगर रात में खाना शुरू किया हो, तो रात में हीं खाएँ.
  • तले-भूने चीज या मसालेदार चीज नहीं के बराबर खाएँ.
  • योनी की साफ-सफाई का ध्यान रखें.
  • मैदे से बनी चीजें न खाएँ.
  • एक बड़ा चम्मच तुलसी का रस लें, और उतनी हीं मात्रा में शहद लें. फिर इसे खा लें. इससे आपको आराम मिलेगा.
  • . अनार के हरे पत्ते लें, 25-30 पत्ते…. 10-12 काली मिर्च के साथ पीस लें. इसमें आधा ग्लास पानी डालें, फिर छानकर पी लीजिए. ऐसा सुबह-शाम करें.
  • भूने चने में खांण्ड (गुड़ की शक्कर) मिलाकर खाएँ, इसके बाद 1 कप दूध में देशी घी डाल कर पिएँ.
  • 10 ग्राम सोंठ का, एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पिएँ. ऐसा एक महीने तक करें.
  • पीपल के 2-4 कोमल पत्ते लेकर, पीस लें. फिर इसे दूध में उबालकर पिएँ.
  • 1 चम्मच आंवला चूर्ण लें और 2-3 चम्मच शहद लें. और इन्हें आपस में मिलाकर खाएँ. ऐसा एक महीने तक करें.
  • खूब पानी पिएँ.
  • सिंघाड़े के आटे का हलुआ और इसकी रोटी खाएँ.
  • 3 ग्राम शतावरी या सफेद मूसली लें, फिर इसमें 3 ग्राम मिस्री मिलाकर, गर्म दूध के साथ इसका सेवन करें.
  • नागरमोथा, लाल चंदन, आक के फूल, अडूसा चिरायता, दारूहल्दी, रसौता, इन सबको 25-25 ग्राम लेकर पीस लें. पौन लीटर पानी में उबालें, जब यह आधा रह जाय तो छानकर उसमें 100 ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50 ग्राम सेवन करें.
  • माजू फल, बड़ी इलायची और मिस्री को बराबर मात्रा में पीस लें. एक सप्ताह तक दिन में तीन बार लें. एक सप्ताह के बाद फिर दिन में एक बार 21 दिन तक लें.

Monday 24 December 2018

डिनर छोड़े - चुस्त दुरस्त निरोगी रहे

डिनर छोड़ें : चुस्त दुरुस्त निरोग रहें

बॉलीवुड के सुपरस्टार अक्षय कुमार से एकबार पत्रकारों ने पूछा कि आपकी सेहत का क्या राज है। अक्षय कुमार का जवाब विल्कुल ही आयुर्वेद के सूत्रों पर आधारित था। अक्षय ने कहा कि मैं कभी भी सूरज डूबने के बाद डिनर (रात्रि भोजन) नहीं करता। हमेशा सूर्यास्त के पहले डिनर कर लेता हूं। इसके बाद अक्षय ने इसके फायदे बताए, तो सबलोग दंग रह गए और जब अक्षय ने सूर्यास्त के बाद डिनर करने के नुकसान बताए, तो लोग एकदम से डर गए।

दरअसल यह आयुर्वेद का सूत्र है—

चरक संहिता और अष्टांग संग्रह भी रात में खाने से बचने के लिए कहता हैं;क्योंकि उस समय जठराग्नि, जो खाना पचाने का काम करती हैं,बहुत कमजोर रहती है. जैसे-जैसे सूर्य ढलता है, जठराग्नि भी मंद पड़ने लगती है.

सायं भुक्त्वा लघु हितं समाहितमना: शुचि:|
शास्तारमनुसंस्मृत्य स्वशय्यां चाथ संविशेत ||

रात्रौ तु भोजनं कुर्यातत्प्रथमप्रहरान्तरे|
किञ्चिदूनंसमश्नयाद्दुर्जरं तत्र पर्जयेत् ||

रात का भोजन सूर्यास्त के पूर्व ही कर लेना चाहिए और पेट भरकर नहीं खाना चाहिए, पेट को कुछ खाली रखकर ही भोजन करना चाहिए.

हिंदुओं के प्राचीन शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि, “चत्वारि नरक्द्वाराणि प्रथमं रात्रिभोजनम्”, मतलब रात्रिभोजन नरक का पहला द्वार है| 'नरक के द्वार' से अभिप्राय यहां अस्वस्थता ही समझें.
"जो व्यक्ति शराब, मांस, पेय, सूर्यास्त के बाद खाता है और जमीन के नीचे उगाई सब्जियों का उपभोग करता है; उस व्यक्ति के किये गए तीर्थयात्रा, प्रार्थना और किसी भी प्रकार कि भक्ति बेकार हैं|"
- महाभारत (रिशिश्वरभरत)

जैन धर्म में भी सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध है. वे तो अबतक पालन कर रहे हैं.

भगवान बुद्ध भी अपने भक्तों को आयुर्वेद का ये उपदेश देते हुए कहा करते थे कि स्वस्थ और युवा रहना चाहते हो, तो कभी भी सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करो। हमेशा सूर्य डूबने से पहले भोजन कर लो और किसी हाल में सूर्यास्त के बाद कुछ भी न खाओ। लोग उनकी बात मान कर ऐसा ही करते थे और मोटापे सहित कई गंभीर वीमारियों से बचे रहते थे, पर बाद में लोगों ने यह कहकर इसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि चूंकि प्राचीन काल में बिजली नहीं थी, इसीलिए लोग जल्दी खाना खा लेते थे। ऐसा कहने वाले लोगों ने देर रात डिनर करने की आदत लगायी. बहुत पहले लोग रात में नहीं खाते थे. गांव के लोग तो विल्कुल ही नहीं खाते थे. और, अब हाल यह है कि मोटापा दुनिया में महामारी बन चुका है।
अब जब यही बात अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिक शोध (रिसर्च) के बाद कह रहे हैं, तो सबके कान खड़े हुए हैं।

अगर आप सूरज डूबने से पहले डिनर कर लेंगे, तो यह तय है कि आपको मोटापे की समस्या से कभी नहीं जूझना पड़ेगा और अगर आप मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इससे जरूर मुक्ति मिल जाएगी। अगर आप कब्ज, गैस या दूसरी तरह की पेट की बीमारियों से जूझ रहे हैं या फिर पेट बाहर निकल रहा है, तो सूर्यास्त से पहले भोजन करना इसका रामबाण इलाज है। इससे कब्ज, गैस और दूसरी पेट की वीमारियों से मुक्ति मिलेगी। दरअसल डिनर करने और बेड पर सोने जाने के बीच गैप (समय का अंतर) होना चाहिए। ऐसा न हो कि रात 10 बजे डिनर किया और 10.30 बजे सो गए। जब ऐसा होता है, तो इससे पेट से संबंधित समस्याएं पैदा होती है। कब्ज, गैस और दूसरी समस्याएं होती हैं। इन्हीं समस्याओं से हृदय व्याधि भी होती है.

जब हम सोने जाते हैं तो हमारे शरीर के अधिकांश अंग रेस्ट मोड में चले जाते हैं;पर जब हम देर से डिनर करते हैं, तो हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम सोते वक्त भी पूरी तेजी से काम करता रहता है। इस वजह से गहरी नींद नहीं आती, नींद कई बार टूट भी जाती है, निद्रा-चक्र में व्यवधान होता है, जिससे कलेजे में जलन महसूस होता है. रात में भोजन करने से पेशाब में वृद्धि और उत्सर्जन की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं, जिससे अनावश्यक निद्रा-नाश होता है. अगर हम सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेंगे, तो सुबह सोकर उठने पर खुद को ताजा-ताजा महसूस करेंगे। सुबह  से ही अच्छे मूड में बने रहेंगे.

बहुत से लोग ये कहने लगते हैं कि हमारा जीवन शैली ही कुछ ऐसी है कि जल्दी नहीं खा सकते, पार्टियों में जाना पड़ता है या फिर प्रोफेशन ही ऐसा है। बॉलीवुड में अपनी फिटनेस के लिए खिलाड़ियों के खिलाड़ी के नाम से मशहूर अक्षय कुमार कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं सूर्यास्त के बाद डिनर नहीं करता। अगर अक्षय ऐसा कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं? आपको चुस्त-दुरुस्त और निरोगी बने रह
ना है, तो डिनर छोड़ ही दें. यह भारतीय संस्कृति है भी नहीं.
विनय आयुर्वेदा 👍💐
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Monday 17 December 2018

अकेलापन बन सकता है मोत की वजह - श्री मदन जी मोदी

अकेलापन बन सकता है मौत की वजह
अगर आप उन लोगों में से हैं जिनके पास ज्यादा दोस्त नहीं हैं या फिर उनमें से जिन्हें दूसरों से मेलजोल बढ़ाने में भी कोई खास रुचि नहीं है, तो आपके लिए बुरी खबर है। अकेलेपन से  हार्ट अटैक  का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। इसके अलावा समय से पहले मरने के संभावना भी 50 फीसदी तक बढ़ जाती है। जो लोग पहले से दिल के मरीज रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों की  मौत  अकेलेपन से ही हुई है। जो लोग अकेलेपन के शिकार होते हैं, उन्हें क्रॉनिक डिजीज का खतरा काफी ज्यादा होता है और ऐसे लोगों में  डिप्रेशन  का खतरा भी ज्यादा हो जाता है।
उन लोगों को मौत का खतरा ज्यादा होता है, जो समाज से कटकर अकेले रहते हैं या फिर कम लोगों से मेलजोल रखने के चलते पहले से ही कॉर्डियोवस्कुलर बीमारी से ग्रस्त होते हैं। दोस्तों और फैमिली के बीच रहकर आप इन बीमारियों से बच सकते हैं।
इसके अलावा भी हैं कई कारण
1.अकेलेपन के कारण डिप्रेशन का रिस्क बढ़ता है। अगर आप अकेलेपन के शिकार हैं और काफी उदास और डाउन महसूस कर रहे हैं तो तुरंत हम से संपर्क करें, ये खतरनाक साबित हो सकता है।
2.आप जब अकेले रहते हैं तो उस समय आने वाले भविष्य और करियर को लेकर काफी स्ट्रेस होता है, जो कि आपकी हेल्थ के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है।
3. अकेलेपन का असर आपकी डायट और फूड हैबिट पर भी पड़ता है, इस समय आप जंक फूड ज्यादा प्रिफर करते हैं और एक्सर्साइज भी नहीं करते। सेहत की दृष्टि से ये बहुत ही खराब है और इसका असर आपकी बॉडी पर दिखता है।
क्या करें?
1.अपने करीबी और खास दोस्तों के संपर्क में जरूर रहें। वैसे अकेलेपन में रिश्ता बनाए रखना भी काफी मुश्किल होता है, लेकिन आखिर में आपको फायदा भी इसी से होता है।
2.जब भी अकेला महसूस करें तो कहीं किसी के पास चले जाएं, इससे आप अकेलेपन से बच सकते हैं।
3.रिश्तों को सुधारने की कोशिश करें, ज्यादा से ज्यादा समय घरवालों और दोस्तों के बीच बिताएं।
एक बात हमेशा ध्यान में रखें कि इंसान शारिरिक और मानसिक रूप से समाज में रहने के लिए ही बना है, अकेले रहना हमारा गुण ही नहीं हैं। अगर आप अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं, इसका मतलब प्रकृति ने हमें जैसा बनाया है आप उसके खिलाफ जा रहे हैं।
लेखक - श्री मदन जी मोदी की वाल से

चिकित्सा जगत की सबसे पुरानी औषधि है आयुर्वेद


  • स्मैक, चरस, गांजा जैसे नशीली पदार्थो से मुक्ति दिलाता है आयुर्वेद
  • आयुर्वेद की औषधियां समय के अनुसार काम करती है
  • सर्वप्रथम सर्जरी आयुर्वेद में ही शुरू हुई थी               
  • आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है आयुर्वेद द्वारा कठिन और पुरानी बिमारियों का इलाज संभव है आयुर्वेद की विशेषता यह है कि इसकी औषधियां दुष्प्रभाव और पश्चात प्रभाव नहीं करती सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी औषधियां रस रसायन जीतनी पुरानी होती है वो उतनी ही पावरफुल होती जाती है। जड़ी बूटियों पर आधारित आयुर्वेद की औषधियां समय के अनुसार काम करती है। बहुत से लोगों को भरम है कि आयुर्वेद मे सर्जरी नहीं होती लेकिन बता दें की सर्वप्रथम सर्जरी आयुर्वेद में ही शुरू हुई थी।
    प्रसिद्ध चिकित्सक सुशुत सर्जरी के जनक थे उन्होंने सबसे पहले सर्जरी की थी जैसे की लोगों का मानना है कि आयुर्वेद में इमरजेंसी नहीं होती यह भी लोगों का भ्रम है आयुर्वेद में भी इमरजेंसी की मेडिसिन है लेकिन आधुनिकता और भौतिक वादी समाज में लोगों एलोपैथ को अपना रहे है। महंगी दवाओं के साथ अपने शरीर को बर्बाद कर रहे है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम और सुरक्षित पद्धति है जो सभी विमारियो को दूर भगाता है निदान के क्षेत्र में आयुर्वेद का नाड़ी बिज्ञान, का विश्व में कोई जबाब नहीं है।नाड़ी देख कर डायलिसिस तथा नेत्र वक्र बिकारतः निदान आयुर्बेद की विशेषता है जिस तरह देश से हिंदी, संस्कृत ,योग समाप्त हो गया उसी तरह आयुर्वेद भी समाप्त होता गया। दूसरा कारण सरकार की उपेक्षा का है भारतीय ज्ञान विज्ञान को हुए दृष्टि से देखा जाने लगा। आयुर्वेद का दुष्प्रचार होता गया जहां सरकार ने एलोपैथ पर 100 फीसद खर्च किया। वहीं आयुर्वेद पर 5 फीसद भी खर्च नहीं किया जो काफी सोचनीय विषय है जंगल में जैसे सुगन्धित फूल सबको आकर्षित करता है। उसी तरह आयुर्वेद का सुगंध भी लोगों को आकर्षित करेगा।  आयुर्वेद में सभी नशा से मुक्ति के औषधि पायी जाती है। जिससे शराब, स्मैक, चरस, गांजा, भांग जैसे नशीली पदार्थो से मुक्ति दिलाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि नशा करने से सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, पारिवारिक, मन, बुद्धि सहित सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है।

निरोगी रहने के नियम अपनाए स्वस्थ रहे - विनय आयुर्वेदा

स्वस्थ रहने के  नियम : जीवन में सुखी रहने के लिए अच्छी सेहत का होना बहुत जरूरी है. और अच्छी सेहत के लिए कुछ ऐसे नियम है जिनका पालन करते रहना चाहिए. क्यूंकि जीवन जीने का नियम सही नहीं होगा तो शरीर में बीमारियाँ बनी ही रहेंगी. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना बहुत कठिन हो गया है और इंसान छोटी छोटी बिमारियों के लिए भी दवाइयों पर निर्भर हो गया है. पहले के लोग बिना दवाइयों के ही निरोगी और लम्बा जीवन व्यतीत करते थे जबकि आज कल दवाओं का सेवन करने के बाद भी लोग निरोगी नहीं हो पा रहे है. इसका सबसे प्रमुख कारण है अनियमित जीवन शैली. आज के इस लेख में मैं आपको स्वास्थ्य जीवन जीने के  अनमोल नियम बताने जा रहा हूँ जिनमे से आप 10-5 नियमों का भी नियमित पालन करेंगे तो भी आप बहुत से रोगों से छुटकारा पा जायेंगे


निरोगी रहने के  नियम 

  1. नित्यप्रति सूर्योदय से पूर्व सोकर उठें । रात्रि में अधिक देर तक जागें नहीं । ऐसा करने से मस्तिष्क अतिरिक्त उर्जा मिलती है और रक्त संचार का संतुलन बना रहता है जिससे ब्लड प्रेशर इत्यादि की बीमारियों को कम करने में सहायता मिलती है और अनिद्रा रोग में भी लाभ मिलता है.
  2. प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करें । तैरने से अच्छा व्यायाम हो जाता है । सप्ताह में कम से कम एक बार पूरे शरीर की 30 मिनट तक मालिश करें ।
  3. सुबह शाम टहलना लाभदायक है । नियमित रुप से टहलने से संपूर्ण शरीर में चुस्ती फुर्ती आती है, धमनियों में रक्त के थक्के नहीं बनते है । हृदय रोग , मधुमेह और ब्लड प्रेशर में लाभ पहुंचता है ।
  4. धूप, ताजी हवा, साफ स्वच्छ पानी और सदा सात्विक भोजन स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है ।
  5. नित्य योगासन व प्राणायाम करने से रोग नहीं होते और दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।
  6. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है, इसलिये शरीर को स्वस्थ रखें । सदाचारी, निरोगी व्यक्ति सदा सुखी रहता है ।
  7. तेज रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है । यदि धूप इत्यादि में कार्य करना मजबूरी हो तो फोटोक्रोमेटिक चश्मे का प्रयोग करे.
  8. स्नान करते समय सिर पर जल डालना चाहिए, उसके बाद अंगो पर । जल न तो अति शीतल हो और न बहुत गर्म । स्नान के बाद किसी मोटे तौलिए से अच्छी तरह रगड़ कर पोछना चाहिए ।
  9. भोजन न करने से तथा अधिक भोजन करने से पाचकाग्नि दीप्त नही होती। भोजन के अयोग, हींन योग , मिथ्यायोग और अतियोग से भी पाचकाग्नि दीप्त नहीं होती है ।
  10. भोजन के बाद दांतो को अच्छी तरह साफ करें, अन्यथा अन्य कणों के दांतों में लगे रहने से उसमें सड़न पैदा होगी ।
  11. खूब गरम गरम खाने से दांत तथा पाचन शक्ति दोनों की हानि होती है । जरूरत से अधिक खाने से अजीर्ण होता है और यही अनेक रोगों की जड़ है ।
  12. भोजन के पश्चात तुरंत न लेटे कुछ देर टहलने के बाद ही विश्राम करे.
  13. रात में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक पाव ठंडे पानी में भिगो दें, सुबह छानकर उससे आंखें धोयें और बचे हुए जल को पी जाएं ।
  14. नित्य मुख धोने के समय ठंडे पानी से आंखों में छीटें लगाएं । इससे आंखे स्वस्थ रहती हैं ।
  15. हफ्ते दस दिन के अंदर पर कानों में तेल की कुछ बूंदें डालनी चाहिए । इससे कानो में मैल जमने नहीं पाता है
  16. बिस्तर के स्थान को साफ सुथरा रखें । नींद आने पर ही सोना चाहिए । बिस्तर पर पड़े पड़े नींद की राह देखना रोग को आमंत्रित करना है । दिन में सोने की आदत न डालें ।
  17. मच्छरों को दूर करने का उपाय करें । वे रोगों को फैलाने में सहायक होते हैं ।
  18. अगरबत्ती, कपूर अथवा चंदन का धुआँ घर में हर रोज कुछ क्षणों के लिए करें । इससे घर का वातावरण पवित्र होता है ।
  19. श्वांस सदा नाक से और सहज ढंग से ले । मुँह से स्वांस न ले , इस से आयु कम होती है ।
  20. अच्छा साहित्य पढ़ें । अश्लील एवं उत्तेजक साहित्य पढ़ने से बुद्धि भ्रस्ट होती है । दूसरों के गुणों को अपनाये ।
  21. सुबह उठते ही आधा लीटर से एक लीटर तक पानी पीना चाहिए । यदि पानी तांबे के बर्तन में रखा हुआ हो तो अधिक लाभप्रद होगा
  22. कपड़ छान किये नमक में कडुआ तेल मिलाकर दांत और मसूड़ों को रगड़कर साफ करना चाहिए । इससे दांत मजबूत होते हैं और पायरिया से भी मुक्ति मिल सकती है ।
  23. दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए । इससे शरीर को पोषक तत्व की प्राप्ति होती है ।
  24. सप्ताह में केवल नींबू पानी पीकर एक दिन का उपवास करें । इससे पाचन शक्ति सशक्त होगी । यदि पूरा उपवास न कर सकें तो फल खाकर या फल का रस पीकर उपवास करें ।
  25. पचास से अधिक उम्र होने पर दिन में एक ही बार अन्न खाये । बाकी समय दूध और फल पर रहें ।
  26. भोजन करते समय और सोते समय किसी प्रकार की चिंता, क्रोध शोक न करें ।
  27. सोने से पहले पैरों को धोकर पोछ लेवें कोई अच्छी स्वास्थ्य संबंधी पुस्तक पढ़ने और अपने इष्टदेव को स्मरण करते हुए सोने से अच्छी नींद आती है ।
  28. रात्रि का भोजन सोने से तीन घंटे पहले करना चाहिए । भोजन के एक घंटा बाद फल या दूध लें ।
  29. सोते समय मुंह ढक कर नहीं सोयें । खिड़कियां खोलकर सोयें । सोने का बिस्तर बहुत मुलायम न हो ।
  30. सुबह-सुबह हरी दूब पर नंगे पाँव टहलना भी काफी लाभप्रद है । पैर पर दूब के दबाव से तथा पृथ्वी के सम्पर्क से कई रोगों की चिकित्सा स्वतः हो जाती है ।
  31. न तो इतना व्यायाम करना चाहिए और न ही इतनी देर टहलना चाहिए कि काफी थकावट आ जाए । टहलने और व्यायाम के लिए सूर्योदय का समय ही सबसे उत्तम है ।
  32. गरम दूध,चाय या गर्म जल पीकर तुरंत ठंडा पानी पीने से दांत कमजोर हो जाते हैं ।
  33. शयन करते समय सिर उत्तर या पश्चिम में रखकर नहीं सोना चाहिए ।
  34. कपड़ा, बिस्तर, कंघी, ब्रश, तौलिया, जूता-चप्पल आते वस्तुएं परिवार के हर व्यक्ति की अलग अलग होनी चाहिए । दूसरे की वस्तु उपयोग में न लायें।
  35. दिन और रात में कुल मिलाकर कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना चाहिए । इससे अशुद्धि मूत्र के दौरान निकल जाती है । रक्तचाप आदि पर नियंत्रण रहता है ।
  36. प्रौढावस्था शुरू होते ही चावल, नमक, घी, तेल,आलू और तली-भुनी चीजें खाना कम कर देना चाहिए ।
  37. केला दूध दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए ।
  38. कटहल के बाद दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए ।
  39. शहद के साथ उष्णवीर्य पदार्थों का सेवन ना करें ।
  40. दूध के साथ इन वस्तुओं का प्रयोग हानिकारक होता है -नमक, खट्टा फल, दही, तेल मूली और तोरई ।
  41. दही के साथ किसी भी प्रकार का उष्णवीर्य पदार्थ- कटहल, तेल, केला आदि खाने से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । रात को दही खाना निषिध्द है । शरद् और ग्रीष्म ऋतु में दही खाने से पित्त का प्रकोष होता है ।
  42. दूध और खीर के साथ खिचड़ी नहीं खानी चाहिए
  43. पढ़ना-लिखना आदि आंखों के द्वारा होने वाला कार्य लगातार काफी देर तक ना करें ।
  44. गर्मी में धूप में आकर तत्काल स्नान न करें और न तो हाथ पैर या मुँह ही धोयें ।
  45. देर रात तक जागना या सुबह देर तक सोते रहना आंखों और स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है ।
  46. अधिक वसायुक्त आहार, धूम्रपान एवं मांसाहारी भोजन हृदय के लिए नुकसानदेह होते हैं । ये रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं ।
  47. नियमित व्यायाम से शरीर की क्षमता बढ़ती है । शरीर में हानिकारक तत्वों की मात्रा घटती है । नियमित योग एवं व्यायाम, कम वसायुक्त भोजन तथा नियमित दिनचर्या से अनेक रोग स्वतः समाप्त हो जाते हैं ।
  48. तम्बाकू, शराब, चरस, अफीम, गांजा आदि जहर से भी खतरनाक है । मादक द्रव्यों का सेवन करने न करें ।
  49. नियमित समय पर प्रातः जागकर शौच जाने वाला, समय पर भोजन करने और सोने वाला व्यक्ति संपन्न और बुद्धिमान होता है ।
  50. भोजन करने के बाद लघुशंका अवश्य करनी चाहिए । इससे गुर्दे स्वस्थ रहते हैं ।
  51. सही मुद्रा में चलने-बैठने का अभ्यास करना चाहिए । बैठते समय पीठ सीधी रखकर बैठें ।
  52. धूप, वर्षा और शीत की अति से शरीर को बचाना चाहिए ।
  53. अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा सीलनयुक्त स्थान स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता ।
  54. प्रगाढ़ निद्रा में सोये व्यक्ति को नहीं जगाना चाहिए ।
  55. सुबह उठते ही यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि आज दिनभर न तो किसी की निंदा करूंगा और न ही क्रोध करके किसी को भला-बुरा कहूंगा ।
  56. फलों का सेवन भोजन करने से एक घंटा पूर्व करना चाहिए. भोजन करने के पश्चात् फलों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि फल पके होते है और उन्हें पचने में ज्यादा समय नहीं लगता है.
उपरोक्त नियमों में से जो भी कोई 5-10 नियम आपनी दिनचर्या में अपनी सहूलियत के हिसाब से आप कर सकते है उन्हें अपना ले. क्यूंकि नियमों का पालन करने से मानसिक शक्ति में भी वृद्धि होती है. और यहाँ पर तो आपको सेहत का खजाना भी मिल रहा है. तो देर किस बात की आज ही संकल्प ले  कि मुझे आज से ही  इन नियमों का पालन करना है. आशा करता हूँ आपको स्वस्थ रहने के विनय आयुर्वेदा की जानकारी अच्छी लगी होगी.

Sunday 16 December 2018

भीगी किशमिस खाये एनीमिया को दूर भगाये ओर इम्युनिटी बढ़ाये - श्री मदन जी मोदी

भीगी किशमिश खाएं, एनीमिया को दूर भगाएं और इम्यूनिटी बढ़ाएं
अगर आप भी  रोज नट्स और किशमिश खाते हैं, तो अच्छी बात है। मगर क्या आपको पता है कि अगर आप किशमिश को रात में भिगोकर खाते हैं, तो यह ज्यादा फायदेमंद हो जाता है। अगर आप रोजाना सिर्फ 10 किशमिश के दानों को रात में भिगोकर सुबह खाएं, तो इससे कई तरह के रोगों और बीमारियों से बचाव होगा। साथ ही सेहत भी बेहतर होगी। एक नजर इसके फायदों पर-
रात में भिगोएं 10 किशमिश
किशमिश खाने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह फूल जाने पर खाएं और किशमिश के पानी को भी पी लें। भीगी हुई किशमिश में आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम और फाइबर भरपूर होता है। इसमें मौजूद शुगर प्राकृतिक होती है इसलिए सामान्यतः इसका कोई नुकसान नहीं होता है, मगर डायबीटीज के मरीजों को किशमिश नहीं खानी चाहिए। किशमिश वास्तव में सूखे हुए अंगूर होते हैं। ये कई रंगों में मौजूद होते हैं, मसलन गोल्डन, हरा और काला। इसके अलावा आप कई सब्जियों के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए भी किशमिश का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बढ़ेगी रोगों से लड़ने की क्षमता
रात में भीगी हुई किशमिश खाने और इसका पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स के कारण इम्यूनिटी बेहतर होती है, जिससे बाहरी वायरस और बैक्टीरिया से हमारा शरीर लड़ने में सक्षम होता है और ये बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
बीपी भी रहता सामान्य
रात की भिगाई हुई किशमिश वैसे तो सभी के लिए फायदेमंद है, मगर इसका लाभ उन लोगों को मिल सकता है, जो हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन से परेशान हैं। किशमिश शरीर के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है। इसमें मौजूद पोटैशियम तत्व आपको हाइपरटेंशन से बचाता है।
शरीर में खून बढ़ाए
किशमिश के सेवन से आप एनीमिया से बचे रहते हैं, क्योंकि किशमिश आयरन का बेहतरीन स्रोत होता है। साथ ही इसमें विटामिन बी काम्प्लेक्स भी बहुतायत में पाया जाता है। ये सभी तत्व रक्त फॉर्मेशन में उपयोगी हैं।
किशमिश यानी मुनक्का पाचन तंत्र में बेहद फायदेमंद है। मिनरल्स की मात्रा काफी होती है। यह हड्डियों के लिए काफी अच्छा होता है। दिनभर में 10-12 किशमिश ली जा सकती हैं। एक बात हमेशा ध्यान रखें कि भीगी हुई किशमिश में कैलरी की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि इसे ज्यादा मात्रा में न लें। इसे नियमित अपने आहार में शामिल करने से डाइजेशन में आराम मिलता है। असल में यह फाइबर से भरपूर होता है।