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Friday 30 October 2020

बवासीर रोग उसके कारण व उपचार

 




बवासीर या पाइल्स या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। कहीं पर इसे महेशी के नाम से जाना जाता है।

1- खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।

2-बादी बवासीर :- बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी भाषा में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रकार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।

रोग निदान के पश्चात प्रारंभिक अवस्था में कुछ घरेलू उपायों द्वारा रोग की तकलीफों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। सबसे पहले कब्ज को दूर कर मल त्याग को सामान्य और नियमित करना आवश्यक है। इसके लिये तरल पदार्थों, हरी सब्जियों एवं फलों का बहुतायात में सेवन करें। तली हुई चीजें, मिर्च-मसालों युक्त गरिष्ठ भोजन न करें। रात में सोते समय एक गिलास पानी में इसबगोल की भूसी के दो चम्मच डालकर पीने से भी लाभ होता है। गुदा के भीतर रात के सोने से पहले और सुबह मल त्याग के पूर्व दवायुक्त बत्ती या क्रीम का प्रवेश भी मल निकास को सुगम करता है। गुदा के बाहर लटके और सूजे हुए मस्सों पर ग्लिसरीन और मैग्नेशियम सल्फेट के मिश्रण का लेप लगाकर पट्टी बांधने से भी लाभ होता है। मलत्याग के पश्चात गुदा के आसपास की अच्छी तरह सफाई और गर्म पानी का सेंक करना भी फायदेमंद होता है। यदि उपरोक्त उपायों के पश्चात भी रक्त स्राव होता है तो चिकित्सक से सलाह लें। इन मस्सों को हटाने के लिये कई विधियां उपलब्ध है। मस्सों में इंजेक्शन द्वारा ऐसी दवा का प्रवेश जिससे मस्से सूख जायें। मस्सों पर एक विशेष उपकरण द्वारा रबर के छल्ले चढ़ा दिये जाते हैं, जो मस्सों का रक्त प्रवाह अवरूध्द कर उन्हें सुखाकर निकाल देते हैं। एक अन्य उपकरण द्वारा मस्सों को बर्फ में परिवर्तित कर नष्ट किया जाता है। शल्यक्रिया द्वारा मस्सों को काटकर निकाल दिया जाता है।


बवासीर दो प्रकार की होती है - खूनी बवासीर और बादी वाली बवासीर। खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते है और उनसे खून गिरता है जबकि बादी वाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते है और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है। अतिसार, संग्रहणी और बवासीर यह एक दूसरे को पैदा करने वाले होते है।

मनुष्य की गुदा में तीन आवृत या बलियां होती हैं जिन्हें प्रवाहिणी, विर्सजनी व संवरणी कहते हैं जिनमें ही अर्श या बवासीर के मस्से होते हैं आम भाषा में बवासीर को दो नाम दिये गए है बादी बवासीर और खूनी बवासीर। बादी बवासीर में गुदा में सुजन, दर्द व मस्सों का फूलना आदि लक्षण होते हैं कभी-कभी मल की रगड़ खाने से एकाध बूंद खून की भी आ जाती है। लेकिन खूनी बवासीर में बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता लेकिन पाखाना जाते समय बहुत वेदना होती है और खून भी बहुत गिरता है जिसके कारण रकाल्पता होकर रोगी कमजोरी महसूस करता है। रोगजनक अर्श के लक्षण उपस्थित प्रकार पर निर्भर करते हैं। आंतरिक अर्श में आम तौर पर दर्द-रहित गुदा रक्तस्राव होता है जबकि वाह्य अर्श कुछ लक्षण पैदा कर सकता है या यदि थ्रोम्बोस्ड (रक्त का थक्का बनना) हो तो गुदा क्षेत्र में काफी दर्द व सूजन होता है। बहुत से लोग गुदा-मलाशय क्षेत्र के आसपास होने वाले किसी लक्षण को गलत रूप से “बवासीर” कह देते हैं जबकि लक्षणों के गंभीर कारणों को खारिज किया जाना चाहिए। हालांकि बवासीर के सटीक कारण अज्ञात हैं, फिर भी कई सारे ऐसे कारक हैं जो अंतर-उदर दबाव को बढ़ावा देते हैं- विशेष रूप से कब्ज़ और जिनको इसके विकास में एक भूमिका निभाते पाया जाता है।

हल्के से मध्यम रोग के लिए आरंभिक उपचार में फाइबर (रेशेदार) आहार, जलयोजन बनाए रखने के लिए मौखिक रूप से लिए जाने वाले तरल पदार्थ की बढ़ी मात्रा, दर्द से आराम के लिए NSAID (गैर-एस्टरॉएड सूजन रोधी दवा) और आराम, शामिल हैं। यदि लक्षण गंभीर हों और परम्परागत उपायों से ठीक न होते हों तो अनेक हल्की प्रक्रियाएं अपनायी जा सकती हैं। शल्यक्रिया का उपाय उन लोगों के लिए आरक्षित है जिनमें इन उपायों का पालन करने से आराम न मिलता हो। लगभग आधे लोगों को, उनके जीवन काल में किसी न किसी समय बवासीर की समस्या होती है। परिणाम आमतौर पर अच्छे रहते हैं 

  • बवासीर के रोगी को बादी और तले हुये पदार्थ नही खाने चाहिये, जिनसे पेट में कब्ज की संभावना हो
  • हरी सब्जियों का ज्यादा प्रयोग करना चाहिये,
  • बवासीर से बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि शौच करने उपरान्त जब मलद्वार साफ़ करें तो गुदा द्वार को उंगली डालकर अच्छी तरह से साफ़ करें, इससे कभी बवासीर नही होता है। इसके लिये आवश्यक है कि मलद्वार में डालने वाली उंगली का नाखून कतई बडा नही हो, अन्यथा भीतरी मुलायम खाल के जख्मी होने का खतरा होता है। प्रारंभ में यह उपाय अटपटा लगता है पर शीघ्र ही इसके अभ्यस्त हो जाने पर तरोताजा महसूस भी होने लगता है।
  • सबसे पहले रोग में मुख्य कारण कब्ज को दूर करना चाहिए जिसके लिए ठण्डा कटि स्नाना व एनिमा लेना चाहिए पेट पर ठण्डी मिट्टी पट्टी रखनी चाहिए लेकिन यदि सूजन ज्यादा हो तो एनिमा लेने की बजाय त्रिफला आदि चूर्ण का सेवन करना चाहिए गुदा पर ठण्डी मिट्टी की पट्टी रखनी चाहिए। और सूजन दूर होने पर ही तेज आदि लगाकर एनिमा लेना चाहिए। उपवास करना चाहिए और यदि उपवास ना कर सके तो फलाहार या रसा हार पर रखना चाहिए और साथ-साथ आसन, प्राणायाम, कपाल भाति आदि करने से इस भयंकर रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।

    बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार • डेढ़-दो कागज़ी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। दस-पन्द्रह संकोचन करके थोड़ी देर लेते रहें, बाद में शौच जायें। यह प्रयोग 4- 5 दिन में एक बार करें। 3 बार के प्रयोग से ही बवासीर में लाभ होता है। साथ में हरड या बाल हरड का नित्य सेवन करने और अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से लाभ मिलता है। • नीम का तेल मस्सों पर लगाने से और 4- 5 बूँद रोज़ पीने से लाभ होता है। • करीब दो लीटर छाछ (मट्ठा) लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह पर यह छास पी लें। पूरे दिन पानी की जगह यह छाछ (मट्ठा) ही पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करें, मस्से ठीक हो जायेंगे। • अगर आप कड़े या अनियमित रूप से मल का त्याग कर रहे हैं, तो आपको इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से लाभ मिलेगा। आप लेक्टूलोज़ जैसी सौम्य रेचक औषधि का भी प्रयोग कर सकते हैं। • आराम पहुंचानेवाली क्रीम, मरहम, वगैरह का प्रयोग आपको पीड़ा और खुजली से आराम दिला सकते हैं। • ऐसे भी कुछ उपचार हैं जिनमे शल्य चिकित्सा की और अस्पताल में भी रहने की ज़रुरत नहीं पड़ती। बवासीर के उपचार के लिये अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं: अर्शकुमार रस, तीक्ष्णमुख रस, अष्टांग रस, नित्योदित रस, रस गुटिका, बोलबद्ध रस, पंचानन वटी, बाहुशाल गुड़, बवासीर मलहम वगैरह। बवासीर की रोकथाम: • अपनी आँत की गतिविधियों को सौम्य रखने के लिये, फल, सब्ज़ियाँ, सीरियल, ब्राउन राईस, ब्राउन ब्रेड जैसे रेशेयुक्त आहार का सेवन करें। • तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें http://www.vinayayurveda.com 




Wednesday 28 October 2020

पेट की गैस


 

पेट में गैस (pet me gas) की समस्या को पेट में वायु बनना या गैस बनना आदि भी बोला जाता है। इसे पेट या आँतों की गैस और पेट फूलना भी कहते हैं। आजकल अस्वस्थ आहार और सुस्त जीवनशैली के कारण पेट में गैस की समस्या होना आम बात हो गई है। आयुर्वेद के अनुसार, पेट के जितने भी रोग हैं वे सभी शरीर के त्रिदोष के कारण होते हैं। इसलिए वात, पित्त, कफ दोषों को शांत करके पेट के रोग जैसे गैस की समस्या (gas ki problem ka ilaj) को ठीक किया जा सकता है।

गैस की बीमारी स्वतंत्र रोग न होकर पाचनतंत्र से संबंधित खराबी के कारण होने वाली बीमारी है। कई बार गैस के कारण इतना तेज दर्द होने लगता है कि बीमारी गंभीर बन जाती है। इतना ही नहीं पेट में गैस होने पर अनेक तरह की बीमारियां होने की संभावना भी बन जाती है। इसलिए आइए जानते हैं कि पेट में गैस की समस्या क्यों होती है, गैस की समस्या से होने वाले रोग कौन-कौन से हैं, और पेट में गैस होने पर घरेलू इलाज कैसे किया जाना चाहिए।

पेट में गैस होना क्या है? (What is Gas?)

जब खाना खाते हैं तब पाचनक्रिया के दौरान हाइड्रोजन, कार्बनडाइऑक्साइड और मिथेन गैस निकलता है जो गैस या एसिडिटी होने का कारण बनता है। जठराग्नि की कमजोरी से मल, वात आदि रोग हो जाते हैं। इससे अन्य कई रोग होने लगते हैं। मल की अधिकता के कारण जठराग्नि कमजोर होने लगती है। जब पाचन सही प्रकार से नहीं होता है तो पेट में बनने वाली अपान वायु तथा प्राण वायु बहार नहीं निकल पाती है। गैस से होने वाले रोग से बचने के लिए आपको आयुर्वेदिक उपाय करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त, कफ को शांत करके पेट में गैस की समस्या को ठीक किया जा सकता है। तीनों दोषों को शांत करने के लिए जौ, मूँग, दूध, आसव, मधु, इत्यादि का सेवन करना चाहिए

पेट में गैस बनने के लक्षण (Symptoms of Gas in Hindi)

पेट में गैस बनने पर पेट में दर्द होने लगता है, लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण है जो एसिडिटी होने पर नजर आते हैं-

  • सुबह जब मल का वेग आता है तो वो साफ नहीं होता है और पेट फूला हुआ प्रतीत होता है।
  • पेट में ऐंठन और हल्के-हल्के दर्द का आभास होना।
  • चुभन के साथ दर्द होना तथा कभी-कभी उल्टी होना।
  • सिर में दर्द रहना भी इसका एक मुख्य लक्षण हैं।
  • पूरे दिन आलस जैसा महसूस होता है

    पेट में गैस बनने के कारण (Causes of Gas in Hindi)

    आयुर्वेद में वात, पित्त एवं कफ इन तीन दोषों के असंतुलन से ही सारे रोग होते हैं, तथा इनके सामान्य अवस्था में रहने से व्यक्ति रोगरहित रहता है। उदररोगों में उदरवायु सबसे आम समस्याओं में से एक देखी जाती है, यह वात के कारण होने वाला रोग है। अनुचित आहार-विहार के कारण वात प्रकुपित होकर अनेक रोगों को जन्म देता है तथा पेट में गैस की समस्या से व्यक्ति को जूझना पड़ता है। आयुर्वेद में वायु के पाँच प्रकार बताए गए हैं- प्राण, उदान, समान, व्यान एवं अपान वायु। उदर वायु समान एवं अपान वायु की विकृति से उत्पन्न होती है। लेकिन इसके पीछे बहुत सारे आम कारण होते हैं जिनके वजह से गैस होती है, चलिये इनके बारे में पता लगाते हैं।

    • अत्यधिक भोजन करना
    • बैक्टीरिया का पेट में ज्यादा उत्पादन होना
    • भोजन करते समय बातें करना और भोजन को ठीक तरह से चबाकर न खाना।
    • पेट में अम्ल का निर्माण होना।
    • किसी-किसी दूध के सेवन से भी गैस की समस्या हो सकती है।
    • अधिक शराब पीना
    • मानसिक चिंता या स्ट्रेस
    • एसिडिटी, बदहजमी, विषाक्त खाना खाने से, कब्ज और कुछ विशेष दवाओं के सेवन
    • मिठास और सॉरबिटोल युक्त पदार्थों के अधिक सेवन से गैस बनता है।
    • सुबह नाश्ता न करना या लम्बे समय तक खाली पेट रहना।
    • जंक फूड या तली-भुनी चीजें खाना।
    • बासी भोजन करना।
    • अपनी दिनचर्या में योग और व्यायाम को शामिल न करना।
    • बीन्स, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल का अधिक सेवन करना।
    • कुछ खाद्य पदार्थों से कुछ लोगों को गैस बन जाता है जबकि कुछ लोगों को उससे कोई गैस नहीं बनता है जैसे; सेम, गोभी, प्याज, नाशपाती, सेब, आडू, दूध और दूध उत्पादों से अधिकांश लोगों को गैस बनती है।
    • खाद्य पदार्थ जिनमें वसा या प्रोटीन के बजाय कार्बोहाइड्रेट का प्रतिशत ज्यादा होता है, के खाने से ज्यादा गैस बनती है।
    • भोजन में खाद्य समूह में कटौती की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि आप अपने आप को आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित भी नहीं रख सकते हैं, अक्सर, जैसे ही एक व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, कुछ एंजाइमों का उत्पादन कम होने लगता है और कुछ खाद्य पदार्थों से अधिक गैस भी बनने लगती है।
    • यहां तक कि स्तनपान करने वाले शिशुओं में उदरवायु यानि पेट में दर्द होने की समस्या अक्सर देखी जाती है। उचित प्रकार से स्तनपान न कराने या माता द्वारा वात बढ़ाने वाले आहार लेने से ऐसी समस्या हो जाती है। वहीं भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों में वातवर्धक आहार, फास्ट फूड, जंक फूड इन सब के सेवन से उदरवायु की समस्या देखी जाती है

      पेट में गैस बनने से रोकने के उपाय 

      अगर खाना खाने के बाद एसिडिटी हो रहा है या हमेशा किसी न किसी कारण गैस का प्रॉबल्म हो रहा है तो इसको रोकने के लिए अपने आहार योजना और जीवन शैली में बदलाव लाना चाहिए।

      सबसे पहले आहार योजना के बारे में जानते हैं-

      • क्योंकि पेट में गैस वात दोष के कारण होने वाली समस्या है अत वातशामक आहार एवं उचित जीवनशैली के द्वारा गैस की समस्या से राहत (pet me gas ke upay) मिलती है।
      • अपने आहार में बदलाव करें- सेम, गोभी, प्याज जैसे खाद्य पदार्थ की मात्रा का ध्यान रखें, हालांकि, इससे पहले कि आप इन चीजों को खाना छोड़ दे एक या दो सप्ताह इन्हें खाकर यह पता लगा लें कि आपकों किस चीज से नुकसान पहुँचता है, अपने आहार का ट्रैक रखें।
      • मिठास या सॉरबिटोल युक्त उत्पादों से बचें, जो चीनी मुक्त मिठाई और कुछ दवाओं में प्रयोग किया जाता है।
      • चाय और रेड वाइन भी अधोवायु को रोकने में मदद करता है
      • अब आता है जीवनशैली में किस तरह के बदलाव लाने से गैस से राहत मिल सकती है,जैसे-

        • सुबह उठकर प्राणायाम एवं योगासन करें।
        • भोजन को चबा-चबा कर खाएं, जल्दी-जल्दी भोजन न खाएं।
        • पवनमुक्तासन, वज्रासन तथा उष्ट्रासन करें।
        • वज्रासन, खाने के बाद करने से गैस होने से रोका जा सकता है। इसको करने के लिए घुटने मोड़कर बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें। 5 से 15 मिनट तक करें। गैस पाचन शक्ति कमजोर होने से होती है। यदि पाचन शक्ति बढ़ा दें तो गैस नहीं बनेगी। योग की अग्निसार क्रिया से आंतों की ताकत बढ़कर पाचन सुधरेगा।
        • वज्रासन करने से पेट में गैस नहीं बनती। योग की अग्निसार क्रिया से आँतों की ताकत बढ़कर पाचन में सुधार होता है।
        • सोडा और प्रीजरवेटिव युक्त जूस न पिएं।
        • पानी अधिक पिएं।
        • जंक फूड, बासी भोजन तथा दूषित पानी से जितना हो सके बचें।
        • पेट में गैस बनना आम बात है लेकिन कई बार इसकी वजह से सीने में भी दर्द होने लगता है। गैस भयंकर तरीके से सिर में चढ़ जाती है और उल्टियां तक आने लगती है। अगर आपको भी खतरनाक तरीके से गैस बनती है तो आप देसी दवाई की जगह घरेलू उपायों के जरिए इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं। दरअसल, गैस बनने से पेट फूलने लगता है और पाचन संबंधी दिक्कत पैदा हो जाती है। अगर आपको ज्यादा गैस बनती है तो इसे बिल्कुल भी हल्के में न लें क्योंकि इसकी वजह से आपको घातक पेट के रोग हो सकते हैं। पेट फूलने और गैस बनने पर आप घर में ही मौजूद चीजों से इसका इलाज कर सकते हैं और इस बीमारी से जड़ से छुटकारा पा सकते हैं
        • पेट में गैस की समस्या से छूटकारा पाने के आसान से घरेलू उपाय:

          1. नीबू के रस में 1 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर सुबह के वक्त खाली पेट पिएं।

          2. काली मिर्च का सेवन करने पर पेट में हाजमे की समस्या दूर हो जाती है।

          3. आप दूध में काली मिर्च मिलाकर भी पी सकते हैं।

          4. छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पीने से भी गैस की समस्या में काफी लाभ मिलता है।

          5. दालचीनी को पानी मे उबालकर, ठंडा कर लें और सुबह खाली पेट पिएं। इसमें शहद मिलाकर पिया जा सकता है।
          6. लहसुन भी गैस की समस्या से निजात दिलाता है। लहसुन को जीरा, खड़ा धनिया के साथ उबालकर इसका काढ़ा पीने से काफी फादा मिलता है। इसे दिन में 2 बार पी सकते हैं।

          7. दिनभर में दो से तीन बार इलायची का सेवन पाचन क्रिया में सहायक होता है और गैस की समस्या नहीं होने देता।

          8. रोज अदरक का टुकड़ा चबाने से भी पेट की गैस में लाभ होता है।

          9. पुदीने की पत्तियों को उबाल कर पीने से गैस से निजात मिलती है।

          10. रोजाना नारियल पानी सेवन करना गैस का फायदेमंद उपचार है।

          11. इसके अलावा सेब का सिरका भी गर्म पानी में मिलाकर पीने से लाभ होगा।

          12. इस सभी उपचार के अलावा सप्ताह में एक दिन उपवास रखने से भी पेट साफ रहता है और गैस की समस्या पैदा नहीं होती।

Tuesday 26 November 2019

पपीता स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

                    

पपीता स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी है। यह पाचन तंत्र को मजबूत तो बनाता ही है साथ ही में मोटापे को भी कम करता है। पपीते में कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। आप पपीता को जूस के तौर पर भी ले सकते हैं। थाई एवं मलेशियन खाने में पपीते का काफी इस्तेमाल होता है। इसकी कई तरह की डिश बनती हैं। प्राचीन काल से घरेलू उपचार के तौर पर भी पपीते का इस्तेमाल होता है।

त्वचा के साथ ही पपीता आपके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। हर रोज पपीता खाने से आपको कई तरह की बीमारियां नहीं होती हैं। पपीते की चटनी भी बनती है। वैसे तो पपीते को बिना पकाए ही खाना ज्यादा लाभकारी होता है। लेकिन कई लोग कच्चे पपीते की सब्जी भी बड़े चाव से खाते हैं।पपीता सिर्फ मोटापा ही नहीं घटाता बल्कि आपकी आंखों के लिए भी लाभकारी होता है। अगर आपको कब्ज है तो रोज पपीता खाएं इससे पेट साफ होगा।

अमेरिका के कृषि विभाग का डाटा बताता है कि 100 ग्राम पपीते में 43 ग्राम कैलोरी होती है। पपीता खाने से शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती है। 100 ग्राम पपीते में 0.47 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है। अगर फाइबर की बात करें तो 100 ग्राम पपीते में 1.7 ग्राम फाइबर होता है। 100 ग्राम पपीते में 10.82 ग्राम कार्बोहाइड्रेड और 7.8 ग्राम शुगर की मात्रा होती है। ऐसे में जो लोग अपने मोटापे को कम करना चाहते हैं वह प्रतिदिन डाइट में पपीते का सेवन कर सकते हैं।

पपीते में कैल्शियम, पौटेशियम और मैग्नेशियम की मात्रा भी होती है। 100 ग्राम पपीते में 20 ग्राम कैल्शियम एवं 21 ग्राम मैग्नेशियम होता है।जबकि 182 ग्राम पौटेशियम होता है। इसकी वजह से पपीता पाचन प्रक्रिया के लिए फायदेमंद होता है। पपीते में कोलेस्ट्रोल की मात्रा जरा-सी भी नहीं होती है। इसकी वजह से यह हृदय के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। पपीते में मौजूद फाइबर आपके खाने को पचाता है और कब्ज की शिकायत दूर करता है। पपीता का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन के लिए भी किया जाता है। इसका फेस पैक बनाकर चेहरे पर लगाया जाता है। इससे त्वचा निखरती है और कोमलता बरकरार रहती है। पपीते में विटामिन ए, सी और के की मात्रा होती है जो संक्रमण से बचाती है।

पपीते के पत्तों का जूस पीने से- डेंगू और चिकनगुनिया के रोगियों को इसका जूस पीने की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर आप ताउम्र स्वस्थ रहना चाहते हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है.

1. कैंसर सेल्स का बढ़ने से रोके - पपीते के पत्तों में कैंसररोधी गुण होते हैं जो कि इम्‍यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्‍ट कैंसर जैसे कैंसर के सेल्स को बनने से रोकते हैं.

2. इंफेक्शन से बचाए- शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ ही पपीते के पत्तों का जूस शरीर में बैक्‍टीरिया की ग्रोथ रोकने में भी सहायक है. यह खून में वाइट ब्‍लड सेल्‍स और प्‍लेटलेट्स को बढ़ाने में भी मदद करता है.

3. डेंगू की रामबाण दवा- डेंगू और मलेरिया से लड़ने में पपीते की पत्‍तियों का जूस काफी लाभकारी रहता है. यह बुखार की वजह से गिरती प्लेटलेट्स को बढ़ाने और शरीर में कमजोरी को बढ़ने से रोकता है.

4. पीरियड्स के दर्द को करे दूर- पीरियड्स में होने वाला दर्द बहुत जानलेवा होता है और ऐसे में अगर पपीते की पत्‍ती को इमली, नमक और 1 ग्लास पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बनाया जाए और इसे ठंडा करके पिया जाए तो काफी आराम मिलता है.

5. खून की कमी में लाभदायक- पपीते का रस की औषधि से कम नहीं है. अगर आपकी ब्‍लड प्‍लेटलेट्स कम हो रही हैं तो इसे पीने से ब्‍लड प्‍लेटलेट्स बढ़ जाती हैं. बस रोजाना इस जूस को दो चम्‍मच लगभग तीन महीने तक पिएं.

6 कोलेस्ट्रॉल कम करन में सहायक - पपीते में उच्च मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. साथ ही ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है. अपने इन्हीं गुणों के चलते ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है.

7. वजन घटाने में - एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है. ऐसे में अगर आप वजन घटाने की बात सोच रहे हैं तो अपनी डाइट में पपीते को जरूर शामिल करें. इसमें मौजूद फाइबर्स वजन घटाने में मददगार होते हैं .

8 . रोग प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में- रोग प्रतिरक्षा क्षमता अच्छी हो तो बीमारियां दूर रहती हैं. पपीता आपके शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी की मांग को पूरा करता है. ऐसे में अगर आप हर रोज कुछ मात्रा में पपीता खाते हैं तो आपके बीमार होने की आशंका कम हो जाएगी.

9 . आंखों की रोशनी बढ़ाने में- पपीते में विटामिन सी तो भरपूर होता ही है साथ ही विटामिन ए भी पर्याप्त मात्रा में होता है. विटामिन ए आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में भी कारगर है.

10 पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में- पपीते के सेवन से पाचन तंत्र भी सक्रिय रहता है. पपीते में कई पाचक एंजाइम्स होते हैं. साथ ही इसमें कई डाइट्री फाइबर्स भी होते हैं जिसकी वजह से पाचन क्रिया सही रहती है.

पपीता खाने का सही समय - हर फल में अपने अलग अलग औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो उसे बाकि फलों के मुकाबले सबसे ख़ास बनाते हैं ठीक इसी प्रकार से कुछ फलों को खाने का समय भी निश्चित किया गया है. क्यूंकि बे-वक़्त खाया गया फल भी मनुष्य की सेहत पर भारी पड़ सकता है. कुछ फलों को शाम के छह बजे के बाद खाना ज़हर खाने के समान्य होता है क्यूंकि यह फल शाम में खाने से हमारी पाचन प्रक्रिया पर गहरा असर करते हैं. इसलिए सूबह के समय फलों का सेवन सबसे उत्तम माना जाता है.  यदि आप भी पपीता खाने के शौक़ीन हैं तो इसको नाश्ते में जरुर खाएं. क्यूंकि पपीता हमारे पेट के लिए एक सहिष्णु है इसलिए अगर इसको नाश्ते में खाया जाए तो ये ना केवल आपको तारो ताज़ा रखता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी कंट्रोल में रखता है. पपीता खाने के सही समय की बात की जाए तो सुबह 5 बजे से सुबह 9 बजे तक का समय पपीते के सेवन के लिए सबसे उपयोगी है

Saturday 23 November 2019

मेथी के फायदे, उपयोग और नुकसान

लेखक - उत्तम जैन ( प्राकृतिक चिकित्सक )
 सर्दियां आते ही बाजार में मेथी बहुतायत नजर आने लगती है। सब्जी से लेकर पराठे तक में इसका प्रयोग किया जाता है। जहां यह खाने में स्वादिष्ट है, वहीं आयुर्वेद के नजरिए से भी इसके कई फायदे हैं। भारत में सदियों से इसके पत्ते और दानों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसका पौधा दो-तीन फुट लंबा होता है और इसकी फली में छोटे-छोटे पीले-भूरे रंग के सुगंधित दाने होते हैं। भूमध्य क्षेत्र, दक्षिण यूरोप और पश्चिम एशिया में इसकी खेती बहुतायत में होती है। विनय आयुर्वेदा के इस लेख में हम मेथी के फायदों  के बारे में ही बताएंगे। साथ ही मेथी से नुकसान के बारे में भी जानकारी देंगे भारत में क्षेत्रवार के अनुसार मेथी को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। जहां हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली और पंजाबी में इसे मेथी कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसका नाम मेथिका है। कन्नड़ में इसे मेन्तिया, तेलुगु में मेंतुलु, तमिल में वेंडयम, मलयालम में वेन्तियम, अंग्रेजी में फेनुग्रीक और लेटिन में त्रायिगोनेल्ला फोएनम ग्रीकम के नाम से जाना जाता है।
 सेहत, त्वचा और बालों के लिए मेथी के फायदे

1. डायबिटीज :

शुगर के मरीजों को अक्सर अपनी डाइट में मेथी के दाने शामिल करने के लिए कहा जाता है। इसके सेवन से शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। टाइप-2 डायबिटीज के लिए मेथी के दाने किस तरह से फायदेमंद है, इस पर वैज्ञानिकों ने कई शोध किए, जिसके सकारात्मक प्रभाव नजर आए । शोध में पाया गया कि मेथी के दाने में घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन की क्रिया को धीरे कर देता है। यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन और अवशोषण की दर को कम कर देता है। मेथी के दाने रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करते हैं।

2. कोलेस्ट्रॉल : शोध के अनुसार मेथी के दानों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता है। खासकर, यह एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को शरीर से खत्म करने में कारगर है। मेथी के दानों में नारिंगेनिन नामक फ्लेवोनोइड होता है। यह रक्त में लिपिड के स्तर को कम कर सकने में सक्षम होता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिस कारण मरीज का उच्च कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है 

3. आर्थराइटिस का दर्द :उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों में सूजन आने लगती है, जिस कारण असहनीय दर्द होता है। इसे जोड़ों का दर्द या फिर आर्थराइटिस कहा जाता है। इससे निपटने के लिए मेथी रामबाण नुस्खा है, जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है।मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुणकारी तत्व जोड़ों की सूजन को कम करके आर्थराइटिस के दर्द से राहत दिलाते हैं। मेथी में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए, मेथी के सेवन से हड्डियों व जोड़ों को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और स्वस्थ व मजबूत रहते हैं  मेथी के दानों में पेट्रोलियम ईथर एक्सट्रैक्ट नामक यौगिक भी पाया जाता है। साथ ही लिनोलिक व लिनोलेनिक एसिड भी होता है। इसलिए, मेथी दाने के फायदे (methi dana ke fayde) जोड़ों व हड्डियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिला सकते हैं।

4. ह्रदय के लिए :

ह्रदय बेहतर तरीके से काम कर सके, उसके लिए मेथी के सेवन की सलाह दी जाती है। जो लोग नियमित रूप से मेथी का सेवन करते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम होती है और अगर दौरा पड़ भी जाए, तो जानलेवा स्थिति से बचा जा सकता है। विभिन्न शोधों में पाया गया है मृत्यु दर के पीछे दिल का दौरा एक प्रमुख कारण होता है। यह तब होता है, जब ह्रदय की धमनियों में रुकावट आ जाती है। वहीं, मेथी के दाने इस स्थिति से बचाने में सक्षम होते हैं। अगर दिल का दौरा पड़ भी जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव को पैदा होने से रोकते हैं। ह्रदयाघात के दौरान ऑक्सीडेटिव तनाव की स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। साथ ही मेथी के बीच शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित रखते हैं, जिस कारण धमनियों में किसी भी प्रकार की रुकावट पैदा नहीं होती ।

5. मासिक धर्म में फायदेमंद :हर महिला को मासिक धर्म के दौरान असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। मेथी के दाने इससे राहत दिलाने में कारगर काम करते हैं। साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी राहत दिलाते हैं।मेथी के दानों में एंटीइंफ्लेमेटरी व एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि मेथी के ये गुणकारी तत्व मासिक धर्म में होने वाली हर तरह की पीड़ा से राहत दिला सकते हैं । इतना ही नहीं, मेथी के दानों से बना पाउडर भी दर्द को कम कर सकता है और थकावट, सिरदर्द व जी-मिचलाना जैसी समस्याओं को कम करता है। मेथी में सेपोनिन्स व डायोसजेनिन तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। ये मासिक धर्म के समय महिलाओं को होने वाले पेट दर्द से राहत दिलाते हैं।

6. पाचन तंत्र :आजकल हमारा खान-पान जिस तरह को हो गया है, उसके चलते हमारा पाचन तंत्र लगातार खराब हो रहा है। साथ ही पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो जाती हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन करना बेहतर उपाय है।बदहजमी, कब्ज, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओं को मेथी के सेवन से दूर किया जा सकता है। कब्ज और अल्सर के कारण खराब हुए पाचन तंत्र को ठीक करने में मेथी कारगर घरेलू नुस्खा है। मेथी के दानों में अत्यधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिस कारण यह भोजन को पचाकर पाचन तंत्र को बेहतर करता है। साथ ही यह प्राकृतिक ल्यूब्रिकेंट है, जो पेट व आंतों को चिकना व आरामदायक बना कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करता है । इसके सेवन से मल सामान्य होकर आसानी से शरीर से बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दाने एपेंडिक्स के दौरान पेट में जमा हुई गंदगी को भी साफ करने का काम करते हैं। इस प्रकार मेथी दाने के फायदे  पेट की बीमारियों से राहत दिलाते हैं।

7. कैंसरकई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दानों से निकला तेल कैंसर से लड़ने में सहायक होता है।

कैंसर पर किए गए कई अध्ययनों से खुलासा हुआ है कि मेथी में कैंसर से निपटने की क्षमता होती है। मेथी के दाने से निकले तेल में एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल के प्रभाव को कम कर सकते हैं। मेथी के अर्क का सेवन करने से प्रतिरक्षा तंत्र पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है ।

8. बढ़ता है स्तन-दूधस्तनपान करा रहीं महिलाओं को मेथी का सेवन जरूर करना चाहिए, इससे स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ती है। एशिया में शिशुओं को स्तनपान कराने वाली कई माताएं इसका प्रयोग करती हैं। मेथी प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती है। इसे फाइटोएस्ट्रोजन का प्रमुख स्रोत माना गया है। यह स्तपान कराने वाली माताओं में दूध के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है । मेथी के दाने की चाय पीने से भी स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ सकती है। माना जाता है कि मेथी में मैग्नीशियम और जरूरी विटामिन्स होते हैं, जो माताओं में दूध की गुणवत्ता को बढ़ा देते हैं। इसलिए, यह दूध पीने से नन्हे शिशु को भी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और उसका वजन अच्छा होता है

9. वजन नियंत्रणअगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो मेथी आपकी मदद कर सकती है। इसे आप अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।मेथी के दाने शरीर में फैट को जमा नहीं होने देते। साथ ही ये लिपिड और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के स्तर में सुधार लाते हैं, जिससे वजन कम होने लगता है

10. रक्तचाप में सुधार :उच्च रक्तचाप कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। रक्तचाप अधिक होने पर ह्रदय रोग हो सकते हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन किया जा सकता है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11.  किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।  मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं । अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

12. लिवर : शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से काम करते रहें, उसके लिए जरूरी है कि लिवर स्वस्थ रहे। लिवर शरीर से सभी विषैले जीवाणुओं को बाहर निकालने का काम करता है। अगर लिवर खराब हो जाए, तो सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लिवर पर सबसे बुरा असर शराब पीने से होता है। शराब पीने से लिवर की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दाने लिवर को शराब के बुरे प्रभाव से बचाते हैं।शराब हर लिहाज से सेहत के लिए खराब है। अगर आप चाहते हैं कि लिवर अच्छी तरह काम करे, तो शराब से तौबा करना ही बेहतर है। वहीं, जिनका लिवर शराब पीने से प्रभावित हुआ है, उनके लिए मेथी के दाने कारगर साबित हो सकते हैं । मेथी के दाने में पॉलीफेनोलिक तत्व होता है, जो लिवर को नष्ट होने से बचाता है। लिवर के लिए मेथी दाने के फायदे  कारगर इलाज हैं।अब जान लेते हैं कि त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11. बेहतर किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।

मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं (13)। अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

 त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।

12. कील-मुंहासे :जिन्हें अक्सर कील-मुंहासों की शिकायत रहती है, उन्हें मेथी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। मुंहासों को खत्म करने में मेथी मददगार साबित हो सकती है।

प्रयोग की विधि - मेथी के दाने रातभर के लिए पानी में भिगाकर रखें।अगले दिन इन्हें पानी में डाल दें और धीमी आंच पर 15 मिनट उबलने दें।इसके बाद पानी को छान लें और सामान्य होने दें।अब सूती कपड़े को इस पानी में भिगोकर दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं। अगर पानी बच जाए, तो उसे फ्रिज में रख सकते हैं।मेथी के दानों में डायोसजेनिन जैसे जरूरी तत्व होते हैं, जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इस कारण से मेथी मुंहासों को जड़ से खत्म कर सकती है ।

13. एंटी एजिंग :समय के साथ-साथ चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर साफ नजर आने लगता है। ऐसे में मेथी का प्रयोग फायेदमंद हो सकता है। यह त्वचा के लिए गुणकारी औषधि है।

शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव के कारण ही चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर नजर आता है। मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इन फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर देते हैं । वहीं, योगर्ट में लैक्टिक एसिड होता है, जो मृत त्वचा को हटाने का काम करता है। साथ ही त्वचा को मखमली व मुलायम बनाता है ।

14. स्किन मॉइस्चराइजर :अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा पर मॉइस्चराइजर कायम रहे, तो मेथी के दाने अच्छा विकल्प हो सकते हैं। मेथी के दाने स्किन को मॉइस्चराइज करने के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्व भी देते हैं।

प्रयोग की विधि -पाउडर को पानी में मिक्स कर लें, ताकि पेस्ट बन जाए।अब रूई की मदद से इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं।करीब आधे घंटे बाद पानी से चेहरा धो लें।मेथी के दाने चेहरे को धब्बेदार व रूखा होने से बचाते हैं। अगर आप इस विधि से मेथी पाउडर का प्रयोग करते हैं, तो चेहरे का मॉइस्चराइज कहीं नहीं जाएगा

बालों के लिए मेथी के फायदे – 

15. झड़ते बाल :

बालों को जड़ों से मजबूत बनाने के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही यह बालों के रोम छिद्रों से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करती है
प्रयोग की विधि- मेथी के दानों और नारियल तेल को एक जार में डाल दें। अब इस जार को बंद करके किसी ठंडी जगह पर तीन हफ्ते के लिए रख दें। ध्यान रहे कि जार पर सूरज की रोशनी न पड़े।तीन हफ्ते बाद तेल को छान लें और इससे सिर की मालिश करें।
मेथी के दानों में ऐसे हार्मोंस होते हैं, जो बालों को बढ़ने में मदद करते हैं । मेथी के दाने प्रोटीन और निकोटीन एसिड के प्रमुख स्रोत हैं, जो बालों को जड़ों से मजबूत कर उन्हें झड़ने से रोकते हैं।

16. डैंड्रफ :डैंड्रफ होना एक आम समस्या और यह किसी को भी हो सकता है। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में होती है। इस समस्या के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।अगली सुबह मेथी के दानों को पीसकर पेस्ट बना लें।इस पेस्ट में नींबू और नारियल का दूध मिला दें।फिर इस पेस्ट को बालों की जड़ों पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें।इसके बाद बालों की अच्छी तरह मालिश करें और फिर बालों को शैंपू से धो दें।डैंड्रफ मुख्य रूप से सूखे व संक्रमण युक्त स्कैल्प पर होता है। ऐसे में मेथी के दाने इसे ठीक करने में मदद करते हैं 

17. चमकदार बाल :

बालों में चमक बरकरार रखने के लिए मेथी से बने हेयर मास्क का प्रयोग करना चाहिए।मेथी के दानों को गर्म पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें।अगली सुबह इन्हें ग्राइंड करके पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को स्कैल्प व बालों की जड़ों पर लगाएं और फिर पूरे बालों पर लगाएं।इसके करीब 30 मिनट बाद बालों को शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में लेसिथिन और इम्पलस्फाई पदार्थ होते हैं, जो बालों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं । जब इन दानों को पानी में भिगोया जाता है, तो इसमें चिकनापन आ जाता है, जो बालों में चमक लाने का कारण बनता है।

18. समय पूर्व सफेद बालों से बचाव :कई लोगों के बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं। उन्हें इससे राहत पाने के लिए मेथी का प्रयोग करना चाहिए।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह इसे करी पत्ता के साथ ग्राइंड कर लें। अगर पानी की जरूर पड़े, तो उसे डालकर पेस्ट बना लें।करीब आधे घंटे बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जिस कारण यह बालों को असमय सफेद होने से बचाता है। साथ ही मेथी के दाने बालों में पिगमेंट के स्तर को कायम रखते हैं ।अब हम जानेंगे कि मेथी में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं और उनकी मात्रा कितनी होती है।

मेथी के पौष्टिक तत्व –

प्रति 100 ग्राम मेथी के दानों में पोषक तत्व
पोषक तत्वमात्राप्रतिशत (%)
ऊर्जा323 कैलोरी16
कार्बोहाइड्रेट58.35g45
प्रोटीन23g41
फैट6.41g21
कोलेस्ट्रॉल0mg0
डाइटरी फाइबर24.6g65
विटामिन्स
फोलेट57mcg14
नियासिन1.640mg7
पायरीडॉक्सीन0.600mg46
रिबोफ्लेविन0.366mg28
थायमिन0.322mg27
विटामिन-ए60iu2
विटामिन-सी3mg5
इलेक्ट्रोलाइट्स
सोडियम67mg4.5
पोटैशियम770mg16
मिनरल्स
कैल्शियम176mg18
कॉपर1.110mg123
आयरन33.53mg419
मैग्नीशियम191mg48
मैंगनीज1.228mg53
फास्फोरस296mg42
सेलेनियम6.3mcg11
जिंक2.50mg23
मेथी का उपयोग – 
Pinit
आयुर्वेद में कहा गया है कि मेथी के दानों की तासीर गर्म होती है। इसका सीधे सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसलिए, मेथी के दानों को कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखना चाहिए, ताकि उसकी गर्माहट कम हो जाए। इसके बाद मेथी के दानों को प्रयोग में लाना चाहिए।
  • मेथी के दानों को एक-दो मिनट के लिए मध्यम आंच पर भून लें और फिर इसे सब्जी या फिर सलाद के ऊपर डाल दें। इससे न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे।
  • एक चम्मच मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह एक गिलास पानी के साथ इनका सेवन करें। जिस पानी में मेथी के दानों को भिगोया था, आप सुबह खाली पेट उसका भी सेवन कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखने के बाद एक कपड़े में बांधकर रख दें। कुछ दिन ऐसे ही रखने के बाद मेथी के दाने अंकुरित हो जाएंगे। अब आप इसे सलाद में मिलाकर सेवन कर सकते हैं। मेथी का इस तरह से सेवन करना सेहत के फायदेमंद है।
  • सर्दियों में लगभग हर घर में मेथी के पराठे और रोटियां बनाई जाती हैं। मेथी का इस प्रकार से सेवन करने से भी शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
  • बुखार होने पर मेथी दाने की हर्बल चाय पीने से फायदा होता है। पानी में मेथी के दाने डालकर उसे उबालें। स्वाद के लिए इसमें नींबू और शहद मिला सकते हैं।
  • मेथी दाने से बना तेल भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे कई प्रकार की औषधियों का निर्माण होता है।
  • मेथी के दाने कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। कब्ज के रोगी को रोज सुबह-शाम एक चम्मच मेथी दाने का सेवन करना चाहिए।
अब लेख के अंतिम भाग हम जानेंगे कि मेथी खाना किस प्रकार नुकसान हो सकता है।

मेथी के नुकसान – 

Pinit
इसमें कोई दो राय नहीं कि मेथी के दाने सेहत के लिए लाजवाब हैं। इसे अपने भोजन में शामिल करने से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन इतने फायदों के साथ-साथ इसके नुकसान भी हैं। कुछ मामलों में इसके सेवन से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मेथी से नुकसान के बारे में यहां हम विस्तार से बता रहे हैं।
  1. डायबिटीज : बेशक डायबिटीज के मरीजाें को मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से परेशानी भी हो सकती है। मेथी को जरूर से ज्यादा लेने पर रक्त में शुगर का स्तर प्रभावित हो सकता है।
  2. शरीर व मूत्र से दुर्गंध : अमूमन बैक्टीरिया या फिर किसी संक्रमण के कारण शरीर से बदबू आने लगती है, लेकिन कुछ मामलों में मेथी भी इसका कारण बन सकती है। अधिक मात्रा में मेथी का सेवन करने से शरीर व मूत्र से दुर्गंध आने लगती है।
  3. दस्त : हालांकि, पाचन तंत्र के लिए मेथी के दाने अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार यह दस्त का कारण भी बन जाते हैं। जरूर से ज्यादा मेथी खाने से पेट खराब हो सकता है और दस्त लग जाते हैं। अगर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे खाने से पेट खराब होता है, तो उससे शिशु को भी दस्त लग सकते हैं। इसलिए, ऐसे कोई लक्षण नजर आते ही इसका सेवन बंद कर दें।
  4. हाइपोग्लाइसीमिया : मेथी के दानों के सेवन से कुछ माताओं को हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसमें रक्तचाप बेहद कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क तक ग्लूकोज की पर्याप्त रूप से आपूर्ति नहीं हो पाती है। इस स्थिति में मस्तिष्क को क्षति हो सकती है या फिर मृत्यु भी हो सकती है।
  5. गर्भाशय संकुचन : जैसा कि इस लेख में पहले बताया गया है कि मेथी दाने की तासीर गर्म होती है। अगर गर्भवती महिला इसका अधिक सेवन करती है, तो समय से पहले गर्भाशय संकुचन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मेथी के दानों में ऑक्सीटोसिन होता है, जो गर्भाशय संकुचन का कारण बनता है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं मेथी दाने का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
  6. एलर्जी : कुछ लोगों को मेथी दाने के सेवन से एलर्जी हो सकती है। यह एलर्जी चेहरे पर सूजन के तौर पर नजर आ सकती है। वहीं, कुछ को शरीर पर रैशेज हो सकते हैं, सांस फूलने जैसी समस्या हो सकती है और कुछ बेहोश तक हो जाते हैं। इसके अलावा, कई लोगों को मेथी के सेवन से छाती में दर्द जैसी शिकायत होने लगती है। यह तासीर में गर्म होती है, इसलिए कुछ लोगों को बवासीर, गैस व एसिडिटी तक की शिकायत हो जाती है। साथ ही अगर कोई किसी बीमारी के लिए दवा खा रहा है, तो वो मेथी के दानों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।
  7. बच्चों के लिए हानिकारक : बच्चों के लिए मेथी दाने को सुरक्षित नहीं माना गया है। यह तो हम पहले ही बता चुके हैं कि इसे खाने से दस्त लग सकते हैं। वहीं, इसकी हर्बल चाय पीना भी बच्चों के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि इससे उनकी मस्तिष्क की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसलिए, बेहतर यही है कि मेथी के सप्लीमेंट्स बच्चों को न दें। अगर देना ही चाहते हैं, तो सब्जियों में डालकर दे सकते हैं।
  8. पुरुषों के लिए : जो पुरुष अस्था से पीड़ित हैं, उन्हें मेथी का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस अवस्था में मेथी खाने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वहीं, जिन्हें थायराइड है, उन्हें भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। थायराइड से ग्रस्त ऐसे कई पुरुषों के केस सामने आए हैं, जिन्होंने मेथी का सेवन किया था और उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
बेशक मेथी के दाने दिखने में छोटे-से होते हैं, लेकिन इसके फायदे अनेक हैं, जिनके बारे में आप इस लेख के जरिए जान ही चुके हैं। साथ ही मेथी से नुकसान भी हो सकता है, उसकी जानकारी भी आपको यहां मिल चुकी हैं। इसलिए, अब देरी किए बिना मेथी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ध्यान रहे कि इन्हें सीमित और नियमित रूप से खाएं और अच्छी सेहत को प्राप्त करें। इस पोस्ट को शेयर करे आप भी स्वस्थ रहे मित्रो को भी स्वस्थ बनाए