शरीर की
सम्पूर्ण सफाई करने के लिए ये चूर्ण बहुत विशेष है. इस चूर्ण का उपयोग विशेष शरीर
की सम्पूर्ण गंदगी को बाहर निकालने के लिए, आँतों की सफाई के लिए, पेट की सफाई के लिए, लीवर, तिल्ली, शूल एवम गर्भ के रोगों में भी बहुत
लाभदायी है.
कालादाना – 30 ग्राम. (कालादाना को कृष्ण बीज भी
कहते हैं.)
सोनामुखी– 30 ग्राम व काला नमक – 10 ग्राम.
सबसे पहले
काले दाने और सनाय को पीस कूट कर छान लो, पीछे नमक को पीस छान कर उसी चूर्ण में मिला दो. इसी
को शरीर शोधन चूर्ण कहते हैं.यह चूर्ण कब्ज मिटाने और दस्त खोलने में विचित्र
है.यह चूर्ण यकृत, प्लीहा, शूल, और गर्भाशय, के रोगों में भी दिया जाता है, इनके
सिवा, जिन
रोगों में दवा देने से पहले कोठा साफ़ करने (पेट को बिलकुल साफ़) की ज़रूरत होती है, उन
सबमे इसे दे सकते हैं. इसमें यह खूबी है के इससे पतला दस्त नहीं आता पर कोठे का
सारा मल, बंधे
हुए दस्त के रूप में निकल जाता है. इसकी सेवन की मात्रा 2 ग्राम से 5 ग्राम तक की है. एक दो दिन रात को सोते समय एक मात्रा
चूर्ण फांक कर ऊपर से गुनगुना जल पीना चाहिए. सवेरे ही एक या दो दस्त खुलासा
होने से शरीर हल्का हो जाता है. पहले इसे थोड़ी मात्रा में सेवन करना चाहिए, पीछे
मात्रा बढ़ा सकते हैं. लेकिन इस निर्देश के साथ के बलाबल अनुसार आरम्भ में मात्रा
कम लें. अन्यथा पतले दस्त हो सकते हैं. इस दवा के खाने से पेट में दर्द सा होता
है. क्यूंकि यह चूर्ण आँतों में जमे हुए मल को खुरचता है. ऐसी दशा में थोड़ी सी
सौंफ मुंह में रख कर चूसने से शीघ्र ही मल निकल जाता है
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