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Sunday 26 November 2017

मस्तिष्क का दौरा के कारण , लक्षण और चिकित्सा

हमारे शरीर में मस्तिष्क और नाड़ियो को प्राणवायु ( Oxygen) और पोषक तत्वों की निरंतर आपूर्ति रक्त वाहिकाओं से रक्त के द्वारा की जाती है। जब भी इन रक्तवाहिकाओं में किसी कारण क्षति पहुचती है या अवरोध निर्माण होता है तब मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है।
जिस तरह ह्रदय को रक्त की आपूर्ति न होने पर हृदयघात / Heart attack आ जाता है, उसी प्रकार मस्तिष्क के कुछ हिस्से को 3 से 4 मिनिट से ज्यादा रक्त न मिलने पर प्राणवायु (Oxygen) और पोषक तत्वों के आभाव में नष्ट होने लगता है, इसे ही मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke  या Brain Attack भी कहते है।  Stroke या मस्तिष्क के दौरे ( Brain stroke ) के कारण, लक्षण और उपचार से जुडी सम्पूर्ण जानकारी सरल हिंदी भाषा में निचे दी हुई हैं :
मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke )होने के मुख्यतः 2 कारण पाए जाते है।
Ischemic Stroke – अरक्तता मस्तिष्क का दौरा  ( Brain stroke )
Hemorrhagic Stroke – रक्तस्त्राव मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke )
एक तीसरे प्रकार का भी मस्तिष्क का अस्थाई दौरा होता है जिसमे Stroke के लक्षण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटो तक ही रहते है और बाद में ठीक हो जाते है। इसे Transient Ischemic Attack या TIA कहा जाता है। यह इस बात की चेतावनी देता है की आपको कोई समस्या है और इसका इलाज न कराने पर निकट भविष्य में आपको Stroke पड़ सकता है।
मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke ) के कारणों की अधिक जानकारी  

1)  अरक्तता मस्तिष्क का दौरा ( Ischemic Stroke) 

Brain stroke  होने का यह सबसे आम कारण है। लगभग 80 से 85 % लोगो में मस्तिष्क का दौरे कारण यही होता है। यह मस्तिष्क के किसी रक्तवाहिनी के संकीर्ण होने या अवरोध निर्माण होने के कारण होता है। इसके प्रमुख 2 कारण है :
Thrombotic Stroke – इस प्रकार के मस्तिष्क के दौर में मस्तिष्क के रक्त वाहिनी में खून के जम जाने के कारण या थक्के ( clot ) के कारण अवरोध निर्माण हो जाता है। जिन रोगियों में खून के अंदर Cholesterol का प्रमाण ज्यादा होता है, ऐसे रोगियो के रक्तवाहिनी में भीतरी स्तर पर Fats जमा हो जाता ही जिसे plaque कहते है। इस जमा हुए plaque पर खून का थक्का जमा हो जाने पर धीरे-धीरे पूरी रक्तवाहिनी में अवरोध निर्माण हो जाता है और मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त न मिलने पर Thrombotic stroke पड़ जाता है।
Embolic Stroke – इस प्रकार के मस्तिष्क के दौर में रक्त का थक्का या इंजेक्शन या सलाइन द्वारा गलती से रक्त वाहिनी में प्रवेश किया हुआ हवा का छोटा बुलबुला मस्तिष्क के किसी छोटी रक्तवाहिनी में फसने के कारण रक्तवाहिनी में अवरोध निर्माण हो जाता है और मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त न मिलने पर Embolic stroke पड़ जाता है।

2)  रक्तस्त्राव मस्तिष्क का दौरा (Hemorrhagic Stroke)

मस्तिष्क के किसी रक्तवाहिनी में रक्तस्त्राव होने के कारन होने वाले इस मस्तिष्क के दौरे बेहद गंभीर होते है। उच्च रक्तचाप, रक्त वाहिनी की जन्मजात विकृति या रक्त वाहिनी में फुलाव (Aneursyms) के कारण मस्तिष्क में रक्तस्त्राव हो सकता है। इसके दो प्रकार है :
Intra-cranial Hemorrhage – इस प्रकार में मस्तिष्क के किसी रक्तवाहिनी में रक्तस्त्राव होने के कारण मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त की आपूर्ति में कमी आने के कारन Brain cells को क्षति पहुचती है। इस प्रकार के मस्तिष्क के दौरे का प्रमुख कारण उच्च रक्तदाब (Hypertension) है। लगातार कई समय तक उच्च रक्तचाप के कारन रक्तवाहिनी कमजोर और कड़ी हो जाती है और परिणामतः फट जाती है।
Sub-Archnoid Hemorrhage – इस प्रकार में मस्तिष्क और कपाल के बीच के स्तर में किसी रक्तवाहिनी में रक्तस्त्राव होने के कारण Sub-Archnoid space में रक्त एकत्रित हो जाता है। इसका प्रमुख कारण रक्त वाहिनी की जन्मजात विकृति या रक्त वाहिनी में फुलाव ( Aneursyms ) होता है। इस प्रकार में रोगी को तेज सरदर्द का अनुभव होता है।

मस्तिष्क का दौरा  ( Brain stroke ) के क्या लक्षण है ?

Stroke के लक्षण मस्तिष्क के में यह किस जगह पड़ा है और कितनी क्षति हुई है इस बात पर निर्भर करता है। मस्तिष्क के दौरे ( Brain stroke )में लक्षण अचानक होते है और इनमे निम्न लक्षण शामिल है :
शरीर के एक ही तरफ के चेहरे, हाथ या टांग में सुन्नपन, चीटिया दौड़ना या कमजोरी सा महसूस होना।
अचानक लड़खड़ाना, चक्कर आना, शरीर का संतुलन बिगड़ना। भ्रम की स्तिथि, बोलने या समझने में मुश्किल, धीरे या अस्पष्ट बोलना।
एक या दोनों आँखों से देखने में कठिनाई, तेज सिरदर्द होना, जी मचलना और उलटी होना।

 लक्षणों को तुरंत पहचानने के लिए और मस्तिष्क के दौरे के रोगियों की 

तुरंत पहचान और उन्हें अस्पताल ले जाकर उपचार कराने के लिए 

आप FAST की मदद ले सकते है। FAST का मतलब है –

F – Face ( Facial Weakness ) : रोगी को हँसने के लिए कहे। उसका चेहरा, होठ और आँख एक तरफ लटक जाए तो यह मस्तिष्क के दौरे का लक्षण है।
A – Arms ( Arm Weakness ) : रोगी को हाथ उठाने और सामने फ़ैलाने के लिए कहे। अगर रोगी का एक हाथ उठ न पाए और उठ पाने पर जल्द निचे झुक जाए तो यह मस्तिष्क के दौरे का लक्षण है।
S – Speech ( Speech Difficulty ) : रोगी से कुछ सवाल पूछे। अगर वो ठीक से बोल न पाए और उसकी आवाज लड़खड़ाए, छोटे वाक्य भी मुश्किल से बोले तो यह मस्तिष्क के दौरे का लक्षण है।
T – Time ( Time to Act ) : ऐसी स्तिथि में रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास अस्पताल में पहुचाना चाहिए। पहले 3 घंटे के golden period में रोगी को उपचार प्राप्त होने पर मस्तिष्क के दौरे से होने वाले क्षति से बचाया जा सकता है।
मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke ) किसे हो सकता है ?

Stroke होने का खतरा निम्नलिखित व्यक्तियों को अधिक होता है :

उचरक्तचाप ( Hypertension ), मधुमेह ( Diabetes ), ह्रदय रोग ( Heart Disease ) या उच्च LDL Cholesterol से पीड़ित रोगी।
मधुमेह के रोगियों में Stroke की जोखिम 2 से 3 गुना ज्यादा होती है। जिनके परिवार में किसी को मस्तिष्क का दौरा / Stroke का इतिहास है। उच्च रक्तचाप के 40 से 50 % रोगियों में मस्तिष्क का दौरा ( Stroke ) होने की आशंका होती है।55 साल से ज्यादा के व्यक्ति।
Sickle Cell Anemia या Migraine के रोगी। तनावग्रस्त व्यक्ति। नियमित शराब और तंबाखू का सेवन करने वाले या धूम्रपान करने वाले व्यक्ति। जन्मजात रक्तवाहिनी के रोगी। जिनका वजन ज्यादा है। जो सुस्त रहते है और किसी प्रकार का कोई व्यायाम नहीं करते है।
जो गर्भनिरोधक गोलिया, Hormones की गोली ले रहे है।

मस्तिष्क का दौरा / Stroke से बचने के लिए क्या करना चाहिए ?

Stroke से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए :शराब, तम्बाखू और धूम्रपान बंद करे। अगर आप उचरक्तचाप ( Hypertension ), मधुमेह ( Diabetes ), ह्रदय रोग ( Heart Disease ) या उच्च LDL Cholesterol से पीड़ित है तो नियमित डॉक्टर से जाँच कराते रहे और डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा लेते रहे। फल, सब्जिया इत्यादि समतोल आहार लेना चाहिए। तनाव से दूर रहे। नियमित व्यायाम और योग / प्राणायाम करे।
अगर आप मोटापे के शिकार है तो अपना वजन नियंत्रित रखे। अगर आपको बार-बार सरदर्द की परेशानी होती है तो चिकित्सक से इसकी जाँच कराना चाहिए। चिकित्सक के सलाह अनुसार CT Scan या MRI द्वारा जाँच हो सकती है।

खून के थक्के की रोकथाम के उपाय

काली चाय यानी ब्लैक टी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि काली चाय खून को गाढ़ा बनने से रोकती है जिस वजह से धमनियों में खून का थक्का जमने से रूकता है। यह नसों में खून के प्रभाव को सरल बनाती है जिस वजह से ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है।अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो भी आपको खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।नियमित रूप से व्यायाम करें। वजन को नियंत्रित करें।फल, सब्जियों और अनाज का सेवन अधिक और नमक और फैट का सेवन कम करें। धूम्रपान छोड़े और कम मात्रा में शराब का सेवन करें।ब्‍लड प्रेशर की नियमित जांच करवायें। तो दोस्तों अगर आप इस बीमारी के शिकार नहीं होना चाहते तो आराम की ज़िंदगी छोड़ दीजिए और रोजाना सवेरे दौड़ लगाइये। दफ्तर में अगर आपको ज़्यादा लंबे समय के लिए बैठना पड़ता है तो कोशिश करें कि थोड़ी थोड़ी देर में चलें। इससे पैरों में खून का बहाव सामान्य रहेगा और खून में थक्‍के की समस्‍या को रोका जा सकता है।अगर आपको कोई तकलीफ नहीं है फिर भी 30 वर्ष के होने के पश्च्यात साल में एक बार डॉक्टर से अपनी शारीरक जाँच करा लेना चाहिए। विश्व मे   45 मिनिट में किसी न किसी को मस्तिष्क का दौरा / Stroke आता है। हर 3 मिनिट में मस्तिष्क का दौरा( Brain stroke ) के वजह से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। ह्रदय रोग और Cancer के बाद यह तीसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है। अगर हम सब थोड़ी से सावधानी बरते, FAST के नियम को याद रखे और लोगो तक इस सन्देश को पहुचाए, तो इस रोग से मस्तिष्क में होने वाली क्षति और दुष्प्रभावो को काफी हद तक रोका जा सकता है। ( Brain stroke )

Tuesday 29 August 2017

दिमागी लकवा या पक्षाघात

दिमागी लकवा एक न्यूरोलॉजिकल यानि तंत्रिका संबंधी विकार है जो दिमाग (मस्तिष्क-ब्रेन) में चोट लगने या बच्चे के मस्तिष्क के विकास के दौरान हुई किसी गड़बड़ की वजह से होता है. दिमागी लकवा शरीर की हरकत या जुंबिश, मांसपेशियों के नियंत्रण और समन्वय, चालढाल, रिफ़्लेक्स, अंग-विन्यास या हावभाव और संतुलन पर असर करता है. बच्चों की क्रोनिक यानि पुरानी विकलांगता की ये सबसे आम वजहों में एक है.
दिमागी लकवे की निम्न विशेषताएँ होती हैं:
  • लाइलाज और स्थायी: दिमाग में लगी चोट और दिमाग को हुआ नुकसान स्थायी होता है और इसका उपचार नहीं हो सकता है. दिमाग का घाव शरीर के दूसरे हिस्सों की तरह नहीं भरता है. हालांकि अन्य संबंद्ध स्थितियाँ समय के साथ हालत में सुधार कर सकती हैं या उन्हें बिगाड़ सकती हैं.
  • फैलता नहीं है: मस्तिष्क में और अधिक विकृति नहीं आती है.
  • दीर्घकालीनः दिमागी लकवे से पीड़ित व्यक्ति को जीवन भर इसी स्थिति के साथ रहना पड़ता है.
इस विकार से कुछ और समस्याएँ भी जुड़ी हुई हैंजैसेः
• संचालन विकार
• संवेदी नुकसान
• बहरापन
• ध्यान में कमी
• भाषा और समझने की गड़बड़ी
• मानसिक मंदता
• व्यवहारजनित समस्याएँ
• स्वास्थ्य समस्याएँ
• बार बार दौरे या ऐंठन
मुख्य तथ्य
• दिमागी लकवा बचपन में होने वाली सबसे सामान्य दीर्घजीवी शारीरिक/संचालन विकलांगता है
• विश्व में, क़रीब एक करोड़ सात लाख लोग दिमागी लकवे से प्रभावित हैं
दिमागी लकवा एक नॉन-प्रोग्रेसिव बीमारी है और फिलहाल इसका कोई इलाज भी उपलब्ध नहीं है. दिमागी लकवे के शिकार लोगों के सामने अत्यधिक और भारीभरकम चुनौतियाँ आती हैं लेकिन वे अपनी क्षमताओं और योग्यताओं का भरपूर इस्तेमाल करना सीख जाते हैं और इस तरह अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर पाते हैं. इन दिनों, दिमागी लकवे से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कई वैकल्पिक और सहायक उपकरण और सामग्रियाँ आ गई हैं जिनकी मदद से वे अपनी पढ़ाईलिखाई, अध्यापन पूरा कर सकते हैं, अपनी पसंद का क्षेत्र चुन सकते हैं और उसमे योगदान दे सकते हैं और खेल और मनोरंजक गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं.
इस बात का प्रमाण मौजूद है कि दिमागी लकवे वाले बच्चे शुरुआती आकलनों से कहीं आगे निकल जाते हैं. ऐसा बच्चा जो चलनेफिरने में असमर्थ पाया गया था वो भी पहाड़ चढ़ गया. कई ऐसे भी हैं जिनके बारे में सोचा जाता था कि कभी बोल ही नहीं पाएँगे वे न सिर्फ़ बोलते बतियाते हैं बल्कि उन्होंने किताबें भी लिख दी हैं और अपने बुद्धिमतापूर्ण शब्दों से औरों को भी प्रेरित करते है.
माँ-बाप या अभिभावक बच्चे को मनपंसद विषय या क्षेत्र चुनने में मदद कर सकते हैं. इस नाते उनका रोल अहम है. वे बच्चे को उसकी दिलचस्पी वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और उन्हें जीवन जीने के लिए बुनियादी कौशलों में पारंगत कर सकते हैं ताकि बच्चा एक सुंदर ज़िंदगी जी सके