Showing posts with label स्वाइन फ्लू. Show all posts
Showing posts with label स्वाइन फ्लू. Show all posts

Sunday 3 September 2017

स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू-वायरल बुखार है जो वायरस से फैलता है। बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है। वातावरण में नमी बढ़ने के साथ ही यह तेजी से फैलने लगता है। यही वजह है कि मौसम बदलने के साथ एकाएक इसके मामलों की बाढ़ सी आ गई है। यदि बारिश के मौसम में आपको सर्दी, खांसी और बुखार हो और यह 2-3 दिनों में ठीक न हो, तो H1N1 की जांच कराएं !   स्वाइन फ्लू उन्हीं व्यक्तियों में होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके आसान टार्गेट पहले से बीमार चल रहे मरीज, गर्भवती महिलाएं आदि होते हैं !   अगर घर में कोई शख्स स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया हो तो, घर के बाकी लोगों को भी इससे बचने के लिए डॉक्टरी सलाह लेकर दवा खा लेनी चाहिए। स्वाइन फ्लू से बचाव ही इसे रोकना का सबसे बड़ा उपाय है। आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना इसका सबसे बेहतर उपाय है।
क्या है स्वाइन फ्लू ?
स्वाइन फ्लू , इनफ्लुएंजा यानी फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस A से होने वाला इनफेक्शन है। इस वायरस को ही H1N1 कहा जाता है। इसके इनफेक्शन ने 2009 और 10 में महामारी का रूप ले लिया था-लेकिन WHO ने 10 अगस्त 2010 में इस महामारी के खत्म होने का भी ऐलान कर दिया था। अप्रैल 2009 में इसे सबसे पहले मैक्सिको में पहचाना गया था। तब इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से ये मिलता-जुलता था। 

क्या है स्वाइन फ्लू के लक्षण ?
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा जैसे ही होते हैं 
-नाक का लगातार बहना, छींक आना
-कफ, कोल्ड और लगातार खांसी 
-मांसपेशियां में दर्द या अकड़न 
-सिर में भयानक दर्द
-नींद न आना, ज्यादा थकान 
-दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना
-गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना

स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तिमारदारों को चपेट में ले लेता है। लिहाजा, किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।

कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू? 
-स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में ट्रांसफर होता है 
-खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है

डॉक्टरों का ये भी कहना है कि अगर किसी घर में कोई शख्स स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया तो, घर के बाकी लोगों को इससे बचने के लिए डॉक्टरी सलाह ले कर खुद भी इसकी दवाईयां खानी चाहिए। 

स्वाइन फ्लू से बचाव इसे रोकना का बड़ा उपाय है, हालांकि इसका इलाज भी अब मौजूद है। आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना इसका सबसे बेहतर है। शुरुआत में पैरासीटमॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढ़ने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।

लेकिन इन दवाओं को कभी भी खुद से नहीं लेना चाहिए। वैसे सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तुलसी, गिलोए, कपूर, लहसुन, एलोवीरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाईयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है। सर्दियों में इन्हें लेने से वैसे भी जुखाम तीन फिट की दूरी पर रहता है, और स्वाइन फ्लू के वायरस से बचने के लिए भी इतने ही फासले की जरूरत होती है।