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Tuesday 26 November 2019

पपीता स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

                    

पपीता स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी है। यह पाचन तंत्र को मजबूत तो बनाता ही है साथ ही में मोटापे को भी कम करता है। पपीते में कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। आप पपीता को जूस के तौर पर भी ले सकते हैं। थाई एवं मलेशियन खाने में पपीते का काफी इस्तेमाल होता है। इसकी कई तरह की डिश बनती हैं। प्राचीन काल से घरेलू उपचार के तौर पर भी पपीते का इस्तेमाल होता है।

त्वचा के साथ ही पपीता आपके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। हर रोज पपीता खाने से आपको कई तरह की बीमारियां नहीं होती हैं। पपीते की चटनी भी बनती है। वैसे तो पपीते को बिना पकाए ही खाना ज्यादा लाभकारी होता है। लेकिन कई लोग कच्चे पपीते की सब्जी भी बड़े चाव से खाते हैं।पपीता सिर्फ मोटापा ही नहीं घटाता बल्कि आपकी आंखों के लिए भी लाभकारी होता है। अगर आपको कब्ज है तो रोज पपीता खाएं इससे पेट साफ होगा।

अमेरिका के कृषि विभाग का डाटा बताता है कि 100 ग्राम पपीते में 43 ग्राम कैलोरी होती है। पपीता खाने से शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती है। 100 ग्राम पपीते में 0.47 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है। अगर फाइबर की बात करें तो 100 ग्राम पपीते में 1.7 ग्राम फाइबर होता है। 100 ग्राम पपीते में 10.82 ग्राम कार्बोहाइड्रेड और 7.8 ग्राम शुगर की मात्रा होती है। ऐसे में जो लोग अपने मोटापे को कम करना चाहते हैं वह प्रतिदिन डाइट में पपीते का सेवन कर सकते हैं।

पपीते में कैल्शियम, पौटेशियम और मैग्नेशियम की मात्रा भी होती है। 100 ग्राम पपीते में 20 ग्राम कैल्शियम एवं 21 ग्राम मैग्नेशियम होता है।जबकि 182 ग्राम पौटेशियम होता है। इसकी वजह से पपीता पाचन प्रक्रिया के लिए फायदेमंद होता है। पपीते में कोलेस्ट्रोल की मात्रा जरा-सी भी नहीं होती है। इसकी वजह से यह हृदय के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। पपीते में मौजूद फाइबर आपके खाने को पचाता है और कब्ज की शिकायत दूर करता है। पपीता का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन के लिए भी किया जाता है। इसका फेस पैक बनाकर चेहरे पर लगाया जाता है। इससे त्वचा निखरती है और कोमलता बरकरार रहती है। पपीते में विटामिन ए, सी और के की मात्रा होती है जो संक्रमण से बचाती है।

पपीते के पत्तों का जूस पीने से- डेंगू और चिकनगुनिया के रोगियों को इसका जूस पीने की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर आप ताउम्र स्वस्थ रहना चाहते हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है.

1. कैंसर सेल्स का बढ़ने से रोके - पपीते के पत्तों में कैंसररोधी गुण होते हैं जो कि इम्‍यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्‍ट कैंसर जैसे कैंसर के सेल्स को बनने से रोकते हैं.

2. इंफेक्शन से बचाए- शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ ही पपीते के पत्तों का जूस शरीर में बैक्‍टीरिया की ग्रोथ रोकने में भी सहायक है. यह खून में वाइट ब्‍लड सेल्‍स और प्‍लेटलेट्स को बढ़ाने में भी मदद करता है.

3. डेंगू की रामबाण दवा- डेंगू और मलेरिया से लड़ने में पपीते की पत्‍तियों का जूस काफी लाभकारी रहता है. यह बुखार की वजह से गिरती प्लेटलेट्स को बढ़ाने और शरीर में कमजोरी को बढ़ने से रोकता है.

4. पीरियड्स के दर्द को करे दूर- पीरियड्स में होने वाला दर्द बहुत जानलेवा होता है और ऐसे में अगर पपीते की पत्‍ती को इमली, नमक और 1 ग्लास पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बनाया जाए और इसे ठंडा करके पिया जाए तो काफी आराम मिलता है.

5. खून की कमी में लाभदायक- पपीते का रस की औषधि से कम नहीं है. अगर आपकी ब्‍लड प्‍लेटलेट्स कम हो रही हैं तो इसे पीने से ब्‍लड प्‍लेटलेट्स बढ़ जाती हैं. बस रोजाना इस जूस को दो चम्‍मच लगभग तीन महीने तक पिएं.

6 कोलेस्ट्रॉल कम करन में सहायक - पपीते में उच्च मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. साथ ही ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है. अपने इन्हीं गुणों के चलते ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है.

7. वजन घटाने में - एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है. ऐसे में अगर आप वजन घटाने की बात सोच रहे हैं तो अपनी डाइट में पपीते को जरूर शामिल करें. इसमें मौजूद फाइबर्स वजन घटाने में मददगार होते हैं .

8 . रोग प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में- रोग प्रतिरक्षा क्षमता अच्छी हो तो बीमारियां दूर रहती हैं. पपीता आपके शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी की मांग को पूरा करता है. ऐसे में अगर आप हर रोज कुछ मात्रा में पपीता खाते हैं तो आपके बीमार होने की आशंका कम हो जाएगी.

9 . आंखों की रोशनी बढ़ाने में- पपीते में विटामिन सी तो भरपूर होता ही है साथ ही विटामिन ए भी पर्याप्त मात्रा में होता है. विटामिन ए आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में भी कारगर है.

10 पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में- पपीते के सेवन से पाचन तंत्र भी सक्रिय रहता है. पपीते में कई पाचक एंजाइम्स होते हैं. साथ ही इसमें कई डाइट्री फाइबर्स भी होते हैं जिसकी वजह से पाचन क्रिया सही रहती है.

पपीता खाने का सही समय - हर फल में अपने अलग अलग औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो उसे बाकि फलों के मुकाबले सबसे ख़ास बनाते हैं ठीक इसी प्रकार से कुछ फलों को खाने का समय भी निश्चित किया गया है. क्यूंकि बे-वक़्त खाया गया फल भी मनुष्य की सेहत पर भारी पड़ सकता है. कुछ फलों को शाम के छह बजे के बाद खाना ज़हर खाने के समान्य होता है क्यूंकि यह फल शाम में खाने से हमारी पाचन प्रक्रिया पर गहरा असर करते हैं. इसलिए सूबह के समय फलों का सेवन सबसे उत्तम माना जाता है.  यदि आप भी पपीता खाने के शौक़ीन हैं तो इसको नाश्ते में जरुर खाएं. क्यूंकि पपीता हमारे पेट के लिए एक सहिष्णु है इसलिए अगर इसको नाश्ते में खाया जाए तो ये ना केवल आपको तारो ताज़ा रखता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी कंट्रोल में रखता है. पपीता खाने के सही समय की बात की जाए तो सुबह 5 बजे से सुबह 9 बजे तक का समय पपीते के सेवन के लिए सबसे उपयोगी है

Saturday 23 November 2019

मेथी के फायदे, उपयोग और नुकसान

लेखक - उत्तम जैन ( प्राकृतिक चिकित्सक )
 सर्दियां आते ही बाजार में मेथी बहुतायत नजर आने लगती है। सब्जी से लेकर पराठे तक में इसका प्रयोग किया जाता है। जहां यह खाने में स्वादिष्ट है, वहीं आयुर्वेद के नजरिए से भी इसके कई फायदे हैं। भारत में सदियों से इसके पत्ते और दानों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसका पौधा दो-तीन फुट लंबा होता है और इसकी फली में छोटे-छोटे पीले-भूरे रंग के सुगंधित दाने होते हैं। भूमध्य क्षेत्र, दक्षिण यूरोप और पश्चिम एशिया में इसकी खेती बहुतायत में होती है। विनय आयुर्वेदा के इस लेख में हम मेथी के फायदों  के बारे में ही बताएंगे। साथ ही मेथी से नुकसान के बारे में भी जानकारी देंगे भारत में क्षेत्रवार के अनुसार मेथी को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। जहां हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली और पंजाबी में इसे मेथी कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसका नाम मेथिका है। कन्नड़ में इसे मेन्तिया, तेलुगु में मेंतुलु, तमिल में वेंडयम, मलयालम में वेन्तियम, अंग्रेजी में फेनुग्रीक और लेटिन में त्रायिगोनेल्ला फोएनम ग्रीकम के नाम से जाना जाता है।
 सेहत, त्वचा और बालों के लिए मेथी के फायदे

1. डायबिटीज :

शुगर के मरीजों को अक्सर अपनी डाइट में मेथी के दाने शामिल करने के लिए कहा जाता है। इसके सेवन से शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। टाइप-2 डायबिटीज के लिए मेथी के दाने किस तरह से फायदेमंद है, इस पर वैज्ञानिकों ने कई शोध किए, जिसके सकारात्मक प्रभाव नजर आए । शोध में पाया गया कि मेथी के दाने में घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन की क्रिया को धीरे कर देता है। यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन और अवशोषण की दर को कम कर देता है। मेथी के दाने रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करते हैं।

2. कोलेस्ट्रॉल : शोध के अनुसार मेथी के दानों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता है। खासकर, यह एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को शरीर से खत्म करने में कारगर है। मेथी के दानों में नारिंगेनिन नामक फ्लेवोनोइड होता है। यह रक्त में लिपिड के स्तर को कम कर सकने में सक्षम होता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिस कारण मरीज का उच्च कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है 

3. आर्थराइटिस का दर्द :उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों में सूजन आने लगती है, जिस कारण असहनीय दर्द होता है। इसे जोड़ों का दर्द या फिर आर्थराइटिस कहा जाता है। इससे निपटने के लिए मेथी रामबाण नुस्खा है, जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है।मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुणकारी तत्व जोड़ों की सूजन को कम करके आर्थराइटिस के दर्द से राहत दिलाते हैं। मेथी में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए, मेथी के सेवन से हड्डियों व जोड़ों को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और स्वस्थ व मजबूत रहते हैं  मेथी के दानों में पेट्रोलियम ईथर एक्सट्रैक्ट नामक यौगिक भी पाया जाता है। साथ ही लिनोलिक व लिनोलेनिक एसिड भी होता है। इसलिए, मेथी दाने के फायदे (methi dana ke fayde) जोड़ों व हड्डियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिला सकते हैं।

4. ह्रदय के लिए :

ह्रदय बेहतर तरीके से काम कर सके, उसके लिए मेथी के सेवन की सलाह दी जाती है। जो लोग नियमित रूप से मेथी का सेवन करते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम होती है और अगर दौरा पड़ भी जाए, तो जानलेवा स्थिति से बचा जा सकता है। विभिन्न शोधों में पाया गया है मृत्यु दर के पीछे दिल का दौरा एक प्रमुख कारण होता है। यह तब होता है, जब ह्रदय की धमनियों में रुकावट आ जाती है। वहीं, मेथी के दाने इस स्थिति से बचाने में सक्षम होते हैं। अगर दिल का दौरा पड़ भी जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव को पैदा होने से रोकते हैं। ह्रदयाघात के दौरान ऑक्सीडेटिव तनाव की स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। साथ ही मेथी के बीच शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित रखते हैं, जिस कारण धमनियों में किसी भी प्रकार की रुकावट पैदा नहीं होती ।

5. मासिक धर्म में फायदेमंद :हर महिला को मासिक धर्म के दौरान असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। मेथी के दाने इससे राहत दिलाने में कारगर काम करते हैं। साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी राहत दिलाते हैं।मेथी के दानों में एंटीइंफ्लेमेटरी व एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि मेथी के ये गुणकारी तत्व मासिक धर्म में होने वाली हर तरह की पीड़ा से राहत दिला सकते हैं । इतना ही नहीं, मेथी के दानों से बना पाउडर भी दर्द को कम कर सकता है और थकावट, सिरदर्द व जी-मिचलाना जैसी समस्याओं को कम करता है। मेथी में सेपोनिन्स व डायोसजेनिन तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। ये मासिक धर्म के समय महिलाओं को होने वाले पेट दर्द से राहत दिलाते हैं।

6. पाचन तंत्र :आजकल हमारा खान-पान जिस तरह को हो गया है, उसके चलते हमारा पाचन तंत्र लगातार खराब हो रहा है। साथ ही पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो जाती हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन करना बेहतर उपाय है।बदहजमी, कब्ज, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओं को मेथी के सेवन से दूर किया जा सकता है। कब्ज और अल्सर के कारण खराब हुए पाचन तंत्र को ठीक करने में मेथी कारगर घरेलू नुस्खा है। मेथी के दानों में अत्यधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिस कारण यह भोजन को पचाकर पाचन तंत्र को बेहतर करता है। साथ ही यह प्राकृतिक ल्यूब्रिकेंट है, जो पेट व आंतों को चिकना व आरामदायक बना कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करता है । इसके सेवन से मल सामान्य होकर आसानी से शरीर से बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दाने एपेंडिक्स के दौरान पेट में जमा हुई गंदगी को भी साफ करने का काम करते हैं। इस प्रकार मेथी दाने के फायदे  पेट की बीमारियों से राहत दिलाते हैं।

7. कैंसरकई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दानों से निकला तेल कैंसर से लड़ने में सहायक होता है।

कैंसर पर किए गए कई अध्ययनों से खुलासा हुआ है कि मेथी में कैंसर से निपटने की क्षमता होती है। मेथी के दाने से निकले तेल में एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल के प्रभाव को कम कर सकते हैं। मेथी के अर्क का सेवन करने से प्रतिरक्षा तंत्र पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है ।

8. बढ़ता है स्तन-दूधस्तनपान करा रहीं महिलाओं को मेथी का सेवन जरूर करना चाहिए, इससे स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ती है। एशिया में शिशुओं को स्तनपान कराने वाली कई माताएं इसका प्रयोग करती हैं। मेथी प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती है। इसे फाइटोएस्ट्रोजन का प्रमुख स्रोत माना गया है। यह स्तपान कराने वाली माताओं में दूध के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है । मेथी के दाने की चाय पीने से भी स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ सकती है। माना जाता है कि मेथी में मैग्नीशियम और जरूरी विटामिन्स होते हैं, जो माताओं में दूध की गुणवत्ता को बढ़ा देते हैं। इसलिए, यह दूध पीने से नन्हे शिशु को भी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और उसका वजन अच्छा होता है

9. वजन नियंत्रणअगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो मेथी आपकी मदद कर सकती है। इसे आप अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।मेथी के दाने शरीर में फैट को जमा नहीं होने देते। साथ ही ये लिपिड और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के स्तर में सुधार लाते हैं, जिससे वजन कम होने लगता है

10. रक्तचाप में सुधार :उच्च रक्तचाप कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। रक्तचाप अधिक होने पर ह्रदय रोग हो सकते हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन किया जा सकता है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11.  किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।  मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं । अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

12. लिवर : शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से काम करते रहें, उसके लिए जरूरी है कि लिवर स्वस्थ रहे। लिवर शरीर से सभी विषैले जीवाणुओं को बाहर निकालने का काम करता है। अगर लिवर खराब हो जाए, तो सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लिवर पर सबसे बुरा असर शराब पीने से होता है। शराब पीने से लिवर की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दाने लिवर को शराब के बुरे प्रभाव से बचाते हैं।शराब हर लिहाज से सेहत के लिए खराब है। अगर आप चाहते हैं कि लिवर अच्छी तरह काम करे, तो शराब से तौबा करना ही बेहतर है। वहीं, जिनका लिवर शराब पीने से प्रभावित हुआ है, उनके लिए मेथी के दाने कारगर साबित हो सकते हैं । मेथी के दाने में पॉलीफेनोलिक तत्व होता है, जो लिवर को नष्ट होने से बचाता है। लिवर के लिए मेथी दाने के फायदे  कारगर इलाज हैं।अब जान लेते हैं कि त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11. बेहतर किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।

मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं (13)। अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

 त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।

12. कील-मुंहासे :जिन्हें अक्सर कील-मुंहासों की शिकायत रहती है, उन्हें मेथी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। मुंहासों को खत्म करने में मेथी मददगार साबित हो सकती है।

प्रयोग की विधि - मेथी के दाने रातभर के लिए पानी में भिगाकर रखें।अगले दिन इन्हें पानी में डाल दें और धीमी आंच पर 15 मिनट उबलने दें।इसके बाद पानी को छान लें और सामान्य होने दें।अब सूती कपड़े को इस पानी में भिगोकर दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं। अगर पानी बच जाए, तो उसे फ्रिज में रख सकते हैं।मेथी के दानों में डायोसजेनिन जैसे जरूरी तत्व होते हैं, जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इस कारण से मेथी मुंहासों को जड़ से खत्म कर सकती है ।

13. एंटी एजिंग :समय के साथ-साथ चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर साफ नजर आने लगता है। ऐसे में मेथी का प्रयोग फायेदमंद हो सकता है। यह त्वचा के लिए गुणकारी औषधि है।

शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव के कारण ही चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर नजर आता है। मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इन फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर देते हैं । वहीं, योगर्ट में लैक्टिक एसिड होता है, जो मृत त्वचा को हटाने का काम करता है। साथ ही त्वचा को मखमली व मुलायम बनाता है ।

14. स्किन मॉइस्चराइजर :अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा पर मॉइस्चराइजर कायम रहे, तो मेथी के दाने अच्छा विकल्प हो सकते हैं। मेथी के दाने स्किन को मॉइस्चराइज करने के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्व भी देते हैं।

प्रयोग की विधि -पाउडर को पानी में मिक्स कर लें, ताकि पेस्ट बन जाए।अब रूई की मदद से इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं।करीब आधे घंटे बाद पानी से चेहरा धो लें।मेथी के दाने चेहरे को धब्बेदार व रूखा होने से बचाते हैं। अगर आप इस विधि से मेथी पाउडर का प्रयोग करते हैं, तो चेहरे का मॉइस्चराइज कहीं नहीं जाएगा

बालों के लिए मेथी के फायदे – 

15. झड़ते बाल :

बालों को जड़ों से मजबूत बनाने के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही यह बालों के रोम छिद्रों से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करती है
प्रयोग की विधि- मेथी के दानों और नारियल तेल को एक जार में डाल दें। अब इस जार को बंद करके किसी ठंडी जगह पर तीन हफ्ते के लिए रख दें। ध्यान रहे कि जार पर सूरज की रोशनी न पड़े।तीन हफ्ते बाद तेल को छान लें और इससे सिर की मालिश करें।
मेथी के दानों में ऐसे हार्मोंस होते हैं, जो बालों को बढ़ने में मदद करते हैं । मेथी के दाने प्रोटीन और निकोटीन एसिड के प्रमुख स्रोत हैं, जो बालों को जड़ों से मजबूत कर उन्हें झड़ने से रोकते हैं।

16. डैंड्रफ :डैंड्रफ होना एक आम समस्या और यह किसी को भी हो सकता है। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में होती है। इस समस्या के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।अगली सुबह मेथी के दानों को पीसकर पेस्ट बना लें।इस पेस्ट में नींबू और नारियल का दूध मिला दें।फिर इस पेस्ट को बालों की जड़ों पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें।इसके बाद बालों की अच्छी तरह मालिश करें और फिर बालों को शैंपू से धो दें।डैंड्रफ मुख्य रूप से सूखे व संक्रमण युक्त स्कैल्प पर होता है। ऐसे में मेथी के दाने इसे ठीक करने में मदद करते हैं 

17. चमकदार बाल :

बालों में चमक बरकरार रखने के लिए मेथी से बने हेयर मास्क का प्रयोग करना चाहिए।मेथी के दानों को गर्म पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें।अगली सुबह इन्हें ग्राइंड करके पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को स्कैल्प व बालों की जड़ों पर लगाएं और फिर पूरे बालों पर लगाएं।इसके करीब 30 मिनट बाद बालों को शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में लेसिथिन और इम्पलस्फाई पदार्थ होते हैं, जो बालों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं । जब इन दानों को पानी में भिगोया जाता है, तो इसमें चिकनापन आ जाता है, जो बालों में चमक लाने का कारण बनता है।

18. समय पूर्व सफेद बालों से बचाव :कई लोगों के बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं। उन्हें इससे राहत पाने के लिए मेथी का प्रयोग करना चाहिए।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह इसे करी पत्ता के साथ ग्राइंड कर लें। अगर पानी की जरूर पड़े, तो उसे डालकर पेस्ट बना लें।करीब आधे घंटे बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जिस कारण यह बालों को असमय सफेद होने से बचाता है। साथ ही मेथी के दाने बालों में पिगमेंट के स्तर को कायम रखते हैं ।अब हम जानेंगे कि मेथी में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं और उनकी मात्रा कितनी होती है।

मेथी के पौष्टिक तत्व –

प्रति 100 ग्राम मेथी के दानों में पोषक तत्व
पोषक तत्वमात्राप्रतिशत (%)
ऊर्जा323 कैलोरी16
कार्बोहाइड्रेट58.35g45
प्रोटीन23g41
फैट6.41g21
कोलेस्ट्रॉल0mg0
डाइटरी फाइबर24.6g65
विटामिन्स
फोलेट57mcg14
नियासिन1.640mg7
पायरीडॉक्सीन0.600mg46
रिबोफ्लेविन0.366mg28
थायमिन0.322mg27
विटामिन-ए60iu2
विटामिन-सी3mg5
इलेक्ट्रोलाइट्स
सोडियम67mg4.5
पोटैशियम770mg16
मिनरल्स
कैल्शियम176mg18
कॉपर1.110mg123
आयरन33.53mg419
मैग्नीशियम191mg48
मैंगनीज1.228mg53
फास्फोरस296mg42
सेलेनियम6.3mcg11
जिंक2.50mg23
मेथी का उपयोग – 
Pinit
आयुर्वेद में कहा गया है कि मेथी के दानों की तासीर गर्म होती है। इसका सीधे सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसलिए, मेथी के दानों को कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखना चाहिए, ताकि उसकी गर्माहट कम हो जाए। इसके बाद मेथी के दानों को प्रयोग में लाना चाहिए।
  • मेथी के दानों को एक-दो मिनट के लिए मध्यम आंच पर भून लें और फिर इसे सब्जी या फिर सलाद के ऊपर डाल दें। इससे न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे।
  • एक चम्मच मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह एक गिलास पानी के साथ इनका सेवन करें। जिस पानी में मेथी के दानों को भिगोया था, आप सुबह खाली पेट उसका भी सेवन कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखने के बाद एक कपड़े में बांधकर रख दें। कुछ दिन ऐसे ही रखने के बाद मेथी के दाने अंकुरित हो जाएंगे। अब आप इसे सलाद में मिलाकर सेवन कर सकते हैं। मेथी का इस तरह से सेवन करना सेहत के फायदेमंद है।
  • सर्दियों में लगभग हर घर में मेथी के पराठे और रोटियां बनाई जाती हैं। मेथी का इस प्रकार से सेवन करने से भी शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
  • बुखार होने पर मेथी दाने की हर्बल चाय पीने से फायदा होता है। पानी में मेथी के दाने डालकर उसे उबालें। स्वाद के लिए इसमें नींबू और शहद मिला सकते हैं।
  • मेथी दाने से बना तेल भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे कई प्रकार की औषधियों का निर्माण होता है।
  • मेथी के दाने कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। कब्ज के रोगी को रोज सुबह-शाम एक चम्मच मेथी दाने का सेवन करना चाहिए।
अब लेख के अंतिम भाग हम जानेंगे कि मेथी खाना किस प्रकार नुकसान हो सकता है।

मेथी के नुकसान – 

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इसमें कोई दो राय नहीं कि मेथी के दाने सेहत के लिए लाजवाब हैं। इसे अपने भोजन में शामिल करने से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन इतने फायदों के साथ-साथ इसके नुकसान भी हैं। कुछ मामलों में इसके सेवन से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मेथी से नुकसान के बारे में यहां हम विस्तार से बता रहे हैं।
  1. डायबिटीज : बेशक डायबिटीज के मरीजाें को मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से परेशानी भी हो सकती है। मेथी को जरूर से ज्यादा लेने पर रक्त में शुगर का स्तर प्रभावित हो सकता है।
  2. शरीर व मूत्र से दुर्गंध : अमूमन बैक्टीरिया या फिर किसी संक्रमण के कारण शरीर से बदबू आने लगती है, लेकिन कुछ मामलों में मेथी भी इसका कारण बन सकती है। अधिक मात्रा में मेथी का सेवन करने से शरीर व मूत्र से दुर्गंध आने लगती है।
  3. दस्त : हालांकि, पाचन तंत्र के लिए मेथी के दाने अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार यह दस्त का कारण भी बन जाते हैं। जरूर से ज्यादा मेथी खाने से पेट खराब हो सकता है और दस्त लग जाते हैं। अगर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे खाने से पेट खराब होता है, तो उससे शिशु को भी दस्त लग सकते हैं। इसलिए, ऐसे कोई लक्षण नजर आते ही इसका सेवन बंद कर दें।
  4. हाइपोग्लाइसीमिया : मेथी के दानों के सेवन से कुछ माताओं को हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसमें रक्तचाप बेहद कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क तक ग्लूकोज की पर्याप्त रूप से आपूर्ति नहीं हो पाती है। इस स्थिति में मस्तिष्क को क्षति हो सकती है या फिर मृत्यु भी हो सकती है।
  5. गर्भाशय संकुचन : जैसा कि इस लेख में पहले बताया गया है कि मेथी दाने की तासीर गर्म होती है। अगर गर्भवती महिला इसका अधिक सेवन करती है, तो समय से पहले गर्भाशय संकुचन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मेथी के दानों में ऑक्सीटोसिन होता है, जो गर्भाशय संकुचन का कारण बनता है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं मेथी दाने का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
  6. एलर्जी : कुछ लोगों को मेथी दाने के सेवन से एलर्जी हो सकती है। यह एलर्जी चेहरे पर सूजन के तौर पर नजर आ सकती है। वहीं, कुछ को शरीर पर रैशेज हो सकते हैं, सांस फूलने जैसी समस्या हो सकती है और कुछ बेहोश तक हो जाते हैं। इसके अलावा, कई लोगों को मेथी के सेवन से छाती में दर्द जैसी शिकायत होने लगती है। यह तासीर में गर्म होती है, इसलिए कुछ लोगों को बवासीर, गैस व एसिडिटी तक की शिकायत हो जाती है। साथ ही अगर कोई किसी बीमारी के लिए दवा खा रहा है, तो वो मेथी के दानों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।
  7. बच्चों के लिए हानिकारक : बच्चों के लिए मेथी दाने को सुरक्षित नहीं माना गया है। यह तो हम पहले ही बता चुके हैं कि इसे खाने से दस्त लग सकते हैं। वहीं, इसकी हर्बल चाय पीना भी बच्चों के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि इससे उनकी मस्तिष्क की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसलिए, बेहतर यही है कि मेथी के सप्लीमेंट्स बच्चों को न दें। अगर देना ही चाहते हैं, तो सब्जियों में डालकर दे सकते हैं।
  8. पुरुषों के लिए : जो पुरुष अस्था से पीड़ित हैं, उन्हें मेथी का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस अवस्था में मेथी खाने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वहीं, जिन्हें थायराइड है, उन्हें भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। थायराइड से ग्रस्त ऐसे कई पुरुषों के केस सामने आए हैं, जिन्होंने मेथी का सेवन किया था और उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
बेशक मेथी के दाने दिखने में छोटे-से होते हैं, लेकिन इसके फायदे अनेक हैं, जिनके बारे में आप इस लेख के जरिए जान ही चुके हैं। साथ ही मेथी से नुकसान भी हो सकता है, उसकी जानकारी भी आपको यहां मिल चुकी हैं। इसलिए, अब देरी किए बिना मेथी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ध्यान रहे कि इन्हें सीमित और नियमित रूप से खाएं और अच्छी सेहत को प्राप्त करें। इस पोस्ट को शेयर करे आप भी स्वस्थ रहे मित्रो को भी स्वस्थ बनाए 

Sunday 17 November 2019

हल्दी (रसोई घर का राजा ) फायदे, उपयोग और नुकसान

रसोई घर का राजा -हल्दी 

यह तो सभी जानते हैं कि विवाह समारोह जैसे शुभ कार्यों में टरमरिक यानी हल्दी का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। वहीं, चोट लगने पर या बीमार होने पर हमारी मां सबसे पहले हल्दी वाला दूध पिलाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि मामूली-सी हल्दी विभिन्न कार्यों में कैसे लाभकारी साबित हो जाती है। इस लेख में हम हल्दी के औषधीय गुण व उससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां लेकर आया हु , जो आपके काम आएंगी। हम वैज्ञानिक तौर पर हल्दी के फायदे साबित करने का प्रयास करेंगे। साथ ही हल्दी के नुकसान भी बताएंगे। यह तो हर कोई जानता है कि सब्जी या दाल बनाते समय हल्दी का प्रयोग करने से भोजन का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही यह सेहत के लिए भी अच्छी है। यही कारण है कि इसे बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि माना गया है। इसका महत्व कितना है, इसका पता इसी बात से चलता है कि अब तक इस पर कई वैज्ञानिक शोध हो चुके हैं। 
कई फायदों के साथ-साथ विभिन्न भाषाओं में इसके नाम भी अलग-अलग हैं। हिंदी में इसे हल्दी कहते हैं, तो तेलुगु में पसुपु, तमिल व मलयालम में मंजल, कन्नड़ में अरिसिना व अंग्रेजी में टरमरिक कहते हैं। वहीं, इसका वैज्ञानिक नाम करकुमा लौंगा (हल्दी के पेड़ का नाम) है। मुख्य रूप से इसकी खेती भारत व दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में होती है। करकुमा लौंगा पौधे की सूखी जड़ को पीसकर हल्दी पाउडर का निर्माण किया जाता है। प्राकृतिक रूप से इसका रंग पीला होता है। हल्दी के औषधीय गुण व हल्दी के फायदे जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल
 कई वैज्ञानिक शोधों में टरमरिक यानी हल्दी के फायदों की पुष्टि की गई है। ऑक्सफोर्ड एकेडमिक में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार, हल्दी में करक्यूमिन नामक फिनोलिक यौगिक होता है, जो पैंक्रियास कैंसर को ठीक करने में सक्षम है 
(1) वहीं, एक अन्य अध्ययन के अनुसार इस आयुर्वेदिक औषधि में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो डायबिटीज को पनपने से रोक सकते हैं 
(2) इस आर्टिकल में हल्दी व उसके मुख्य तत्व करक्यूमिन के बारे में विस्तार से बताया गया है।आंकड़ों की बात करें, तो करीब 28 ग्राम हल्दी में 26 प्रतिशत मैग्नीशियम व 16 प्रतिशत आयरन होता है, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जरूरी है। हल्दी को फाइबर, पोटैशियम, विटामिन-बी6, विटामिन-सी, एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट का मुख्य स्रोत माना गया है  टरमरिक का सेवन करने से वसा को पचाना आसान हो जाता है। साथ ही गैस व बदहजमी जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा, हल्दी के प्रयोग से सोरायसिस, कील-मुंहासे व एग्जिमा जैसी समस्याओं को भी हल किया जा सकता है। शरीर में कहीं भी आई सूजन को ठीक करने में हल्दी का कोई मुकाबला नहीं है। साथ ही मस्तिष्क से जुड़ी अल्जाइमर जैसी बीमारी को भी हल्दी के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है। ध्यान रहे कि हल्दी के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं, जिनके बारे में आप इस लेख में पढ़ेंगे।
 आगे हम स्वास्थ्य के लिए हल्दी के फायदे विस्तार से बता रहे हैं।

हल्दी के फायदे – Benefits of Turmeric in Hindi

जैसा कि आप जान चुके हैं हल्दी में करक्यूमिन नामक अहम यौगिक होता है, जो अर्थराइटिस व कैंसर जैसी कई समस्याओं से हमें बचाता है। हल्दी के औषधीय गुण हमारे लिए कई प्रकार फायदेमंद हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं 
लीवर

 1. लिवर को करती है डिटॉक्सीफाई

हल्दी के औषधीय गुण के रूप में आप इसका इस्तेमाल शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए कर सकते हैं। मेरीलैंड मेडिकल सेंटर यूनिवर्सिटी के अनुसार, करक्यूमिन गाल ब्लैडर यानी पित्त मूत्राशय में बाइल (पित्त) के उत्पादन को बढ़ाता है। लिवर इस बाइल का प्रयोग विषैले जीवाणुओं को बाहर निकालने में करता है। इसके अलावा, बाइल के कारण लिवर में जरूरी सेल्स का निर्माण भी होता है, जो हानिकारक तत्वों को खत्म करने का काम करते हैं। करक्यूमिन की डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया इतनी प्रभावशाली है कि इसका इस्तेमाल मरकरी के संपर्क में आए व्यक्ति का इलाज करने तक में किया जा सकता है

 2. डायबिटीज


वैज्ञानिकों के अनुसार, करक्यूमिन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकता है । इससे डायबिटीज से आराम मिल सकता है। एक अन्य शोध के तहत, डाईबिटीज के मरीज को करीब नौ महीने तक करक्यूमिन को दवा के रूप में दिया गया। इससे मरीज में सकारात्मक परिणाम नजर आए इन अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिकों ने माना कि हल्दी के सेवन से टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त मरीज का इम्यून सिस्टम बेहतर हो सकता है। डायबिटीज से ग्रस्त चूहों पर हुए अध्ययन में भी पाया गया कि करक्यूमिन सप्लीमेंट्स के प्रयोग से ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का स्तर बढ़ने से ह्रदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं इस लिहाज से हल्दी खाने के फायदे में डायबिटीज को ठीक करना भी है।

3. प्रतिरोधक क्षमता में सुधार

हल्दी के गुण में इसका प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करना भी शामिल है। हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर कर सकते हैं। वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि करक्यूमिन ह्रदय रोग व मोटापे का कारण बनने वाले सेल्स को बनने से रोकता है। साथ ही यह प्रतिरोधक प्रणाली को एक्टिव कर टीबी का कारण बनने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है। हल्दी में करक्यूमिनोइड्स नामक यौगिक भी होता है, जो टी व बी सेल्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) जैसे विभिन्न इम्यून सेल्स की कार्यप्रणाली को बेहतर करता है। इससे प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है 
केन्सर

4. कैंसर


हल्दी में एंटीकैंसर गुण भी पाए जाते हैं। कई वैज्ञानिक शोधों में भी माना गया है कि कैंसर की रोकधाम में हल्दी का प्रयोग किया जा सकता है शोध के दौरान पाया गया कि कुछ कैंसर ग्रस्त मरीजों को हल्दी देने से उनके ट्यूमर का आकार छोटा हो गया था। इतना ही नहीं कैंसर को खत्म करने में सक्षम इम्यून सिस्टम में मौजूद केमिकल भी एक्टिव हो जाते हैं। एक चाइनीज अध्ययन के अनुसार, करक्यूमिन ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने में भी कारगर है । इसलिए, कैंसर की रोकथाम के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।
मोटापा 
मोटापा नियंत्रण के लिए खाये मो -8460783401 

5. वजन नियंत्रण व मेटाबॉलिज्म 

यह तो आप सभी जानते हैं कि मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। इसके कारण न सिर्फ आपकी हड्डियां कमजोर होती हैं, बल्कि शरीर में कई जगह सूजन भी आ जाती है। इससे डायबिटीज व ह्रदय रोग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। वहीं, हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी व अन्य गुण होते हैं, जो इन समस्याओं से आपको राहत दिला सकते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकती है। इन दो परिस्थितियों में भी वजन बढ़ने लगता है। हल्दी के गुण में वजन को नियंत्रित करना भी है।
जब आपका वजन बढ़ता है, तो फैट टिशू फैल जाते हैं और नई रक्त वाहिकाओं का निर्माण होता है। ऐसे में करक्यूमिन इन नई रक्त वाहिकाओं को बनने से रोकता है, जिससे वजन कम हो सकता है। फिलहाल, यह शोध अभी तक सिर्फ चूहों पर किया गया है। यह मनुष्यों के लिए कितना कारगर है, उस पर रिसर्च किया जाना बाकी है।
एक कोरियन स्टडी के अनुसार, हल्दी मेटाबॉलिज्म प्रणाली को बेहतर करती है और नए फैट को बनने से रोकती है। इसके अलावा, हल्दी कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी नियंत्रित करती है, जिससे वजन का बढ़ना रुक सकता है। प्रोटीन से भी शरीर का वजन बढ़ता है, ऐसे में हल्दी अधिक प्रोटीन के निर्माण में बाधा पहुंचाती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हल्दी वजन कम करने और मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों से बचाने में हमारी मदद करती है  यहां स्पष्ट कर दें कि हल्दी फैट सेल्स को तो कम करती है, लेकिन भूख को किसी तरह से प्रभावित नहीं करती है। इसलिए, हल्दी का प्रयोग पूरी तरह से सुरक्षित है हल्दी शरीर के तापमान को भी नियंत्रित रखती है, जिससे मेटाबॉलिज्म में सुधार हो सकता है। मोटापे के लिए कुछ हद तक लिपिड मेटाबॉलिज्म भी जिम्मेदार होता है, जिसे हल्दी का सेवन कर संतुलित किया जा सकता है 

6. एंटीइंफ्लेमेटरी

जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन प्रमुख यौगिक है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। यह शरीर में आई किसी भी तरह की सूजन को कम कर सकता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, गठिया के इलाज में करक्यूमिन का प्रयोग किया जा सकता है। यह प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर करता है, जिससे जड़ों में आई सूजन कम हो सकती है । यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि हल्दी प्राकृतिक रूप से सूजन का मुकाबला करती है।

7. एंटीऑक्सीडेंट

हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया जाता है, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को साफ करने, पेरोक्सीडेशन को रोकने और आयरन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। हल्दी पाउडर के साथ-साथ इसके तेल में भी एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं
वहीं, चूहों पर की गई एक स्टडी के अनुसार, हल्दी डायबिटीज के कारण होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को रोकने में सक्षम है। एक अन्य अध्ययन में दावा किया गया है कि करक्यूमिन में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट गुण मनुष्यों की स्मरण शक्ति को बढ़ा सकता है 
ह्रदय

8. ह्रदय रोग में लाभदायक


हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण ह्रदय को विभिन्न रोगों से बचाए रखते हैं, खासकर जो डायबिटीज से ग्रस्त हैं। हल्दी का मुख्य यौगिक करक्यूमिन खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है। इससे ह्रदय को स्वथ्य बनाए रखने में मदद मिलती है
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि करक्यूमिन धमनियों में रक्त के थक्के बनने नहीं देता, जिससे खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। इससे ह्रदय अच्छी तरह काम कर पाता है । यूनिवर्सिटी ऑफ इंडोनेशिया ने भी अपनी स्टडी में करक्यूमिन के फायदे को वर्णित किया है। उन्होंने पाया कि एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम से पीड़ित मरीज को करक्यूमिन देने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगा। इसलिए, कहा जा सकता है कि हल्दी के गुण में ह्रदय को स्वस्थ रखना भी शामिल है।

9. डाइजेशन

पेट में गैस कभी भी और किसी को भी हो सकती है। कई बार यह गैस गंभीर रूप ले लेती है, जिस कारण गेस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) का सामना करना पड़ सकता है। इसका इलाज एंटीइंफ्लेमेरी व एंटीऑक्सीडेंट के जरिए किया जा सकता है और हल्दी में ये दोनों ही गुण पाए जाते हैं। हल्दी भोजन नलिका में एसिड के कारण होने वाली संवदेनशीलता को भी कम कर सकती है।
कई प्रीक्लिनिकल ट्रायल में यह साबित हो चुका है कि हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को नुकसान होने से बचाते हैं। इसके अलावा, हल्दी बदहजमी के लक्षणों को भी ठीक कर सकती है। साथ ही अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित मरीजों की स्थिति में सुधार हो सकता है। हल्दी के लाभ में बेहतर डाइजेशन भी शामिल है।

10. मस्तिष्क का स्वास्थ्य

आप यह जानकर हैरानी होगी कि हल्दी मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन मस्तिष्क में जरूरी सेल्स के निर्माण में मदद करता है। हल्दी में कुछ अन्य बायोएक्टिव यौगिक भी होते हैं, जो मस्तिष्क में मौजूद न्यूरल स्टीम सेल का करीब 80 प्रतिशत तक विकास कर सकते हैं। हल्दी में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
हल्दी में करक्यूमिन के अलावा टरमरोन नामक जरूरी घटक भी होता है। यह मस्तिष्क में कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाता है और उनकी मरम्मत भी करता है। साथ ही अल्जाइमर में याददाश्त को कमजोर होने से बचाता है। इस लिहाज से यह अल्जाइमर जैसी बीमारी में कारगर घरेलू उपचार है।
इतना ही नहीं हल्दी के सेवन से मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है। इसके अलावा, अल्जाइमर के बढ़ने की गति धीमी हो जाती है और बाद में यह रोग धीरे-धीरे कम होने लगता है । इस तरह हल्दी के लाभ में मस्तिष्क को स्वस्थ रखना भी है।

11. प्राकृतिक दर्द निवारक

भारत में सदियों से हल्दी को प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। चोट लगने पर हल्दी को लेप के रूप में लगाया जाता है। वहीं, दूध में हल्दी मिक्स करके पीने से न सिर्फ दर्द कम होता है, बल्कि यह एंटीसेप्टिक का काम भी करता है। हल्दी किसी भी दर्द निवारक दवा से ज्यादा कारगर है। इसके अलावा, हल्दी में पाए जाने वाले यौगिक करक्यूमिन से तैयार किए गए उत्पाद हड्डियों व मांसपेशियों में होने वाले दर्द से राहत दिला सकते हैं। साथ ही हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो किसी भी तरह के दर्द व सूजन से राहत दिला सकते हैं। यही कारण है कि गठिया रोग से पीड़ित मरीजों को हल्दी का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार प्राकृतिक दर्द निवारक दवा के रूप में हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।

12. मासिक धर्म में दर्द से राहत

कई महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक दर्द व पेट में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ईरान में हुए एक शोध के अनुसार, करक्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं को कम कर सकता है। भारत व चीन में प्राचीन काल से इसका उपयोग मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए किया जा रहा है । इस दौरान हल्दी वाला दूध या फिर हल्दी और अदरक की चाय पीने से फायदा हो सकता है। हल्दी खाने के फायदे में मासिक धर्म में होने वाले दर्द से राहत पाना भी है।

13. अर्थराइटिस


जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि हल्दी किसी भी तरह की सूजन को कम कर सकती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसके प्रयोग से अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में आई सूजन व दर्द से राहत मिलती है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को नष्ट कर देते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं । इसलिए, हल्दी के उपयोग में अर्थराइटिस को ठीक करना भी शामिल है।

14. प्राकृतिक एंटीसेप्टिक

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो ई. कोली, स्टैफीलोकोकक्स ऑरियस और साल्मोनेला टाइफी जैसे कई तरह के बैक्टीरिया से बचाते हैं। एक अन्य अध्ययन में साबित किया गया है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिनोइड्स आठ तरह के बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकता है। इतना ही नहीं, यह कई तरह के फंगस और वायरस से भी बचाता है । इसके अलावा, हल्दी दांत दर्द में भी इलाज कर सकती है

15. खांसी


हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इसे खास बनाते हैं। आयुर्वेद में भी इसे गुणकारी औषधि माना गया है। यह बैक्टीरिया और वायरल के कारण होने वाली बीमारियों पर प्रभावी तरीके से काम करती है। हल्दी के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण न सिर्फ चेस्ट कंजेशन से बचाते हैं, बल्कि पुरानी से पुरानी खांसी को भी ठीक कर सकते हैं। आप खांसी होने पर हल्दी वाले दूध का सेवन कर सकते हैं । इस प्रकार कहा जा सकता है कि हल्दी के उपयोग में खांसी को ठीक करना भी शामिल है।
आइए, अब जान लेते हैं कि त्वचा को हल्दी कैसे फायदा पहुंचाती है।- Skin Benefits of Turmeric in Hindi

16. कील-मुंहासों के लिए

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या को ठीक कर सकते हैं। यहां तक कि कील-मुंहासों का इलाज भी हल्दी से किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत में सदियों से शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को हल्दी का उबटन लगाया जाता है। यह दाग-धब्बों को हल्का कर त्वचा को जवां और निखरा हुआ बनाती है। हल्दी कील-मुंहासों के कारण चेहरे पर आई सूजन व लाल निशानों को कम कर सकती है । इस प्रकार कील-मुंहासों के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।
सामग्री :
·         एक से दो चम्मच हल्दी पाउडर
·         आधा नींबू
बनाने की विधि :
·         नींबू के रस में हल्दी पाउडर को मिक्स करके अच्छी तरह पेस्ट बना लें।
·         फिर इसे चेहरे पर लगाकर करीब 30 मिनट के लिए सूखने दें।
·         जब यह सूख जाए, तो पानी से इसे धो लें।
कब-कब लगाएं :
·         आप इसे हर दूसरे दिन लगा सकते हैं।

17. सोरायसिस

त्वचा संबंधी विकारों का उपचार करने में हल्दी कारगर घरेलू उपचार है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सोरायसिस जैसी समस्या को भी ठीक कर सकते हैं। सोरायसिस में त्वचा पर पपड़ी जमने लगती है। इसके अलावा, हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जिस कारण यह सोरायसिस के कारण त्वचा पर हुए जख्मों को जल्द भर सकती है। साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है 

प्रक्रिया नंबर-1

सामग्री :
·         एक चम्मच हल्दी पाउडर
·         चार कप पानी
·         शहद/नींबू (स्वादानुसार)
बनाने की विधि :
·         हल्दी पाउडर को पानी में मिक्स करके करीब 10 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें।
·         जब पानी सामान्य हो जाए, तो उसमें जरूरत के अनुसार शहद या नींबू डालकर चाय की तरह पिएं।
कब-कब करें :
·         आप ऐसा रोज कर सकते हैं।

प्रक्रिया नंबर-2

सामग्री :
·         तीन-चार चम्मच हल्दी पाउडर
·         हल्दी से दुगना पानी
बनाने की विधि :
·         हल्दी पाउडर व पानी को एकसाथ फ्राई पैन में डालकर धीमी आंच पर तब तक उबालें, जब तक कि गाढ़ा पेस्ट न बन जाए।
·         फिर जब पेस्ट ठंडा हो जाए, तो उसे स्टोर करके रख लें और जरूरत पड़ने पर लगाएं।
कब-कब लगाएं :
·         आप यह पेस्ट रोजाना प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं।

18. झुर्रियां


हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को खत्म करने का काम करते हैं। कुछ हद तक ये फ्री रेडिकल्स चेहर पर झुर्रियों का कारण बनते हैं । अगर आप हल्दी को योगर्ट के साथ इस्तेमाल करते हैं, तो झुर्रियों से आपको जल्द फायदा हो सकता है। झुर्रियों के लिए हल्दी का प्रयोग कैसे करना है, हम यहां उसकी विधि बता रहे हैं :
सामग्री :
·         ¼ चम्मच हल्दी पाउडर
·         एक चम्मच योगर्ट
बनाने की विधि :
·         हल्दी और योगर्ट को एक बाउल में डालकर मिक्स कर लें।
·         फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर करीब 20 मिनट के लिए सूखने दें।
·         इसके बाद पानी से चेहरे को धो लें।
कब-कब लगाएं :
·         करीब एक महीन तक हफ्ते में दो से तीन बार इस पेस्ट को लगाएं।

19. सनबर्न

जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन तमाम गुणों के कारण ही करक्यूमिन सनबर्न के कारण प्रभावित हुई त्वचा को ठीक कर सकता है । आगे हम सनबर्न के लिए हल्दी का पेस्ट बनाने की विधि बता रहे हैं :
सामग्री :
·         एक चम्मच हल्दी पाउडर
·         एक चम्मच एलोवेरा जेल
·         एक चम्मच शहद
बनाने की विधि :
·         इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट बना लें।
·         सनबर्न से प्रभावित जगह पर इस पेस्ट को लगाएं।
·         करीब 30 मिनट बाद ठंडे पानी से त्वचा को साफ कर लें।
कब-कब लगाएं :
·         आप इसे हर दूसरे दिन लगा सकते हैं।

20. स्ट्रेच मार्क्स


हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ त्वचा को साफ कर उसकी रंगत निखारने के गुण भी होते हैं । इसे नियमित रूप से उपयोग करने से प्रेग्नेंसी व प्रेग्नेंसी के बाद नजर आने वाले स्ट्रेच मार्क्स धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। कुछ हफ्तों तक इसे लगातार लगाने से स्ट्रेच मार्क्स खत्म भी हो सकते हैं।
सामग्री :
·         एक चम्मच हल्दी पाउडर
·         एक चम्मच योगर्ट
बनाने की विधि :
·         हल्दी को योगर्ट में मिक्स करके गाढ़ा पेस्ट बना लें।
·         फिर इसे स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर लगाएं और 10-15 मिनट के लिए सूखने दें।
·         सूखने के बाद पानी से साफ कर लें और मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।
कब-कब लगाएं :
·         अगर आप इसे हर दूसरे दिन लगाते हैं, तो जल्द अच्छे परिणाम नजर आएंगे।

21. पिगमेंटेशन

त्वचा में मेलानिन की मात्रा बढ़ने से डार्क स्पॉट व जगह-जगह पैच नजर आने लगते हैं। चिकित्सीय भाषा में इसे पिगमेंटेशन कहा जाता है। हल्दी में पाया जाने वाले करक्यूमिन इन डार्क स्पॉट को हटाकर त्वचा में निखार ला सकता है। वहीं, हल्दी को शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करने से त्वचा में मॉइस्चराइजर बना रहता है।
सामग्री :
·         एक चम्मच हल्दी पाउडर
·         एक चम्मच शहद
बनाने की विधि :
·         इन दोनों सामग्रियों को आपस में मिक्स करके पेस्ट तैयार कर लें।
·         अब इसे प्रभावित जगह पर अच्छी तरह से लगाकर करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें।
·         जब पेस्ट सूख जाए, तो इसे हल्के गुनगुने पानी से धो लें और बाद में मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।
कब-कब लगाएं :
·         इस पेस्ट को प्रतिदिन लगाया जा सकता है।

22. फटी एड़ियों के लिए

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिस कारण ये फंगल इंफेक्शन पर प्रभावी तरीके से काम कर सकती है। इसलिए, आप फटी एड़ियों की समस्या के लिए हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं।
सामग्री :
·         तीन चम्मच हल्दी पाउडर
·         नारियल तेल की कुछ बूंदें
बनाने की विधि :
·         हल्दी पाउडर और नारियल तेल को मिक्स करके पेस्ट बना लें।
·         अब इसे फटी एड़ियों पर लगाकर करीब 30 मिनट के लिए छोड़ दें।
कब-कब लगाएं :
·         जब तक एड़ियां ठीक न हो जाएं, आप इसे रोज लगा सकते हैं।

23. एक्सफोलिएटर

हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी के साथ-साथ एक्सफोलिएट गुण भी होता है। चेहरे को एक्सफोलिएट करने के लिए घर में ही हल्दी का फेस पैक बनाया जा सकता है।
सामग्री :
·         दो चम्मच हल्दी पाउडर
·         चार चम्मच चने का आटा
·         चार-पांच चम्मच दूध/पानी
बनाने की विधि :
·         सबसे पहले तो चेहरे को पानी से अच्छी धोकर सुखा लें।
·         एक बाउल में सभी सामग्रियों को डालकर मिक्स कर लें, ताकि एक पेस्ट बन जाएं।
·         अब इस स्क्रब को चेहरे पर लगाएं और हल्के-हल्के हाथों से चेहरे की मालिश करें।
·         इसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें और बाद में मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।
कब-कब लगाएं :
·         आप हफ्ते में एक या दो बार प्रयोग कर सकते हैं।
आइए, अब हल्दी के कुछ फायदे बालों के लिए भी जान लेते हैं।

बालों के लिए हल्दी के फायदे – Hair Benefits of Turmeric in Hindi

24. बालों का झड़ना रोके


अपने एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण हल्दी बालों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। महिला व पुरुषों दोनों में डाइहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT) नामक हार्मोन पाया जाता है। यह बालों के झड़ने का कारण बनता है। ऐसे में हल्दी का मुख्य यौगिक करक्यूमिन इसके निर्माण में रुकावट पैदा करके बालों को झड़ने से रोक सकता है। हल्दी के जरिए स्कैल्प को जरूरी पोषण मिलता है और बालों को बढ़ने में मदद मिलती है
सामग्री :
·         कच्चा दूध (आवश्यकतानुसार)
·         एक-दो चम्मच हल्दी पाउडर
·         शहद (आवश्यकतानुसार)
बनाने की विधि :
·         इन दोनों सामग्रियों को मिक्स करके पेस्ट बना लें।
·         अब यह पेस्ट बालों व स्कैल्प पर लगाकर हल्के-हल्के हाथों से मालिश करें।
·         इसे करीब 30 मिनट तक लगा रहने दें और बाद में सल्फेट फ्री शैंपू से धो लें।
कब-कब लगाएं :
·         इसे हफ्ते में एक या दो बार लगाया जा सकता है।

25. डैंड्रफ

एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध हल्दी डैंड्रफ से राहत दिला सकती है। साथ ही डैंड्रफ के कारण होने वाली खुजली को भी कम कर सकती है।
सामग्री :
·         आधा चम्मच हल्दी पाउडर
·         ¼ कप मेथी दाने
·         आधा कप दूध
·         दो चम्मच एलोवेरा जेल
बनाने की विधि :
·         मेथी दानों को रातभर के लिए दूध में डालकर रख दें।
·         अगली सुबह मेथी दानों को दूध के साथ ही मिक्सी में ग्राइंड कर लें।
·         फिर इसमें हल्दी और एलोवेरा जेल मिक्स करके पेस्ट बना लें।
·         अब आप इस पेस्ट को उंगलियों या ब्रश की मदद से स्कैल्प व बालों पर लगाएं।
·         आप इस पेस्ट को थोड़ा पतला करने के लिए कुछ और दूध मिला सकते हैं।
·         इस पेस्ट को करीब आधा घंटा लगा रहने दें और बाद में शैंपू व कंडीशनर से धो लें।
कब-कब लगाएं :
·         आप हफ्ते में एक बार इसे प्रयोग कर सकते हैं।
आर्टिकल के इस लेख में हम हल्दी के पौष्टिक तत्वों के बारे में बात करेंगे।

हल्दी के पौष्टिक तत्व – Turmeric Nutritional Value in Hindi

कैलोरी
सभी तत्व प्रत्येक सर्विंग बाउल के आधार पर
डीवी (%)
कैलाेरी
23.9 (100 KJ)
1
कार्बोहाइड्रेट
16.8 (70.3 KJ)
फैट
5.6 (23.4 KJ)
प्रोटीन
1.5 (6.3 KJ)
एल्कोहल
0.0 (0.0 KJ)
विटामिन्स
विटामिन-ए
0.0 IU
0
विटामिन-सी
1.7 mg
3
विटामिन-डी
विटामिन-ई (अल्फा टोकोफेरॉल)
0.2 mg
1
विटामिन-के
0.9 mcg
1
थियामिन
0.0 mg
1
राइबोफ्लेविन
0.0 mg
1
नियासिन
0.3 mg
2
विटामिन-बी6
0.1 mg
6
फोलेट
2.6 mcg
1
विटामिन-बी12
0.0 mcg
0
पैंटोथेनिक एसिड
कोलाइन
3.3 mg
बीटाइन
0.7 mg
मिनरल्स
कैल्शियम
12.4 mg
1
आयरन
2.8 mg
16
मैग्नीशियम
13.0 mg
3
फास्फोरस
18.1 mg
2
पोटैशियम
170 mg
5
सोडियम
2.6 mg
0
जिंक
0.3 mg
2
कॉपर
0.0 mg
2
मैंगनीज
0.5 mg
26
सेलेनियम
0.3 mcg
0
फ्लोराइड
अब हम यह भी जान लेते हैं कि हल्दी का प्रयोग किस-किस तरह से किया जा सकता है।

हल्दी का उपयोग – How to Use Turmeric in Hindi


यहां हम विभिन्न तरीके बता रहे हैं, जिनके जरिए आप प्रतिदिन हल्दी का सेवन कर सकते हैं :
·         अगर आप शाम को स्नैक्स के तौर पर उबली हुई सब्जियां खाने के शौकिन हैं, तो उस पर चुटीक भर हल्दी डाल सकते हैं।
·         आप ग्रीन सलाद पर भी थोड़ी सी हल्दी डाल सकते हैं। इससे सलाद में पौष्टिक तत्व बढ़ सकते हैं।
·         अगर आप सूप पीते हैं, तो उसमें भी थोड़ी हल्दी मिक्स की जा सकती है।
·         स्मूदी में भी हल्दी को घोलकर सेवन किया जा सकता है।
·         हल्दी की चाय भी बना सकते हैं। इसमें स्वाद के लिए आप थोड़ा-सा शहद मिक्स कर सकते हैं।
·         आप खाना बनाते समय सब्जी या दाल में भी थोड़ी हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं। इससे न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ता है, बल्कि पोषक तत्वों में भी इजाफा होता है।
·         आजकल विभिन्न हेयर व स्किन केयर प्रोडक्ट्स में भी हल्दी का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही टूथपेस्ट में हल्दी इस्तेमाल की जा रही है।
आर्टिकल के अंतिम हिस्से में हम हल्दी के नुकसान भी जान लेते हैं।

हल्दी के नुकसान – Side Effects of Turmeric in Hindi

आपके लिए हल्दी के नुकसान यानी साइड इफेक्टस जानना भी जरूरी है, क्योंकि किसी भी चीज का सेवन जरूरत से ज्यादा या लंबे समय तक करने पर नुकसान भी हो सकता है। साथ ही कुछ चिकित्सीय परिस्थितियों में भी हल्दी न खाने की सलाह दी जाती है।
·         अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है, तो हल्दी वाले दूध का सेवन न करें। इससे आपकी समस्या और बढ़ सकती है, क्योंकि हल्दी में दो प्रतिशत ऑक्सालेट होता है
·         गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हल्दी का सेवन करना चाहिए या नहीं, इस बारे में स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है। इसलिए, आप इसका सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
·         जो मरीज पीलिया से ग्रस्त हैं, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
·         हल्दी की तासीर गर्म होती है, इसलिए अधिक सेवन करने से पेट में गर्मी, जी-मिचलाना, उल्टी आना व दस्त लगना आदि समस्याएं हो सकती हैं।
·         हल्दी का सेवन अधिक करने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है।
·         हल्दी रक्त के थक्कों को धीमा कर सकती है, जिससे रक्तस्राव की समस्या बढ़ जाती है।
·         हल्दी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को असंतुलित कर सकती है, जिससे शुक्राणुओं की संख्या में कमी हो सकती है।
·         अगर कोई कीमोथेरेपी करवा रहा है, तो उसे भी हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए। इस प्रकार हल्दी के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
इन तमाम फायदों को जानने के बाद हम कह सकते हैं कि हल्दी गुणों का खजाना है। इसके प्रयोग से कई तरह की समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। आप इसे सीमित मात्रा में अपनी डाइट में शामिल करें और स्वास्थ्य लाभ उठाएं। ध्यान रहे कि हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका असर धीरे-धीरे होता है। इसलिए, आप संयम के साथ इसका सेवन करें और अच्छे परिणाम का इंतजार करें। हल्दी को खाने से आपकी सेहत में किस तरह से सकारात्मक असर हुआ, उस बारे में हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें।