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Tuesday 3 November 2020

पेशाब से जुड़ी समस्याएं और हर्बल नुस्ख़े



50 वर्ष की उम्र पार करते ही महिलाओं व पुरुषों में बार-बार लघुशंका की शिकायतें शुरू हो जाती है, इसके अलावा पेशाब में संक्रमण की समस्याएं भी देखने आती हैं। समय पर सटीक इलाज और सावधानी के अभाव में यह बीमारी लगातार बढ़ती जाती है 

पेशाब में संक्रमण होना या मूत्र विसर्जन के दौरान दाह होना जैसी समस्याएं बेहद आम है। अक्सर खान-पान में गड़बड़ी और जीवनचर्या में अचानक आए बदलाव की वजह से कई बार इस तरह की समस्याओं का सामना करना होता है। अक्सर देखा गया है कि 50 वर्ष की उम्र पार करते ही महिलाओं व पुरुषों में बार-बार लघुशंका की शिकायतें शुरू हो जाती है, इसके अलावा पेशाब में संक्रमण की समस्याएं भी देखने आती हैं। समय पर सटीक इलाज और सावधानी के अभाव में यह बीमारी लगातार बढ़ती जाती है। बुजुर्गों में मुख्यत: इसका कारण पेशाब में इंफेक्शन होना ही होता है। इसके अलावा महिलाओं में मासिक चक्र के बंद होने के बाद हार्मोन में परिवर्तन, गलत खान-पान एवं मधुमेह भी एक खास वजह होती है। पेशाब से जुड़ी इस तरह की समस्याओं से करीब 50 फीसदी से ज्यादा पुरुष, 60 फीसदी से ज्यादा महिलाएं प्रभावित होती हैं। इन सब के अलावा बच्चों में भी मूत्र से जुड़े अनेक विकार देखे जा सकते हैं जिनमें से प्रमुख बिस्तर पर पेशाब करना है। यदि संतुलित जीवनशैली को अपनाया जाए, सही भोज्य पदार्थों और आदतों को अपना कर इस तरह की अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है

सुदूर ग्रामीण अंचलों में आज भी पारंपरिक हर्बल जानकार आस-पास उपलब्ध जड़ी-बूटियों की मदद से इन समस्याओं का निदान करते हैं, चर्चा करते हैं ऐसे ही कुछ खास नुस्खों की जिन्हें आज भी पारंपरिक वैद्य अपनाए हुए हैं, हालांकि इनमें से अनेक नुस्खों पर किसी तरह की वैज्ञानिक शोध नहीं हुई है। अत: पाठकों से अनुरोध है कि अपने चिकित्सक की जानकारी में इन नुस्खों का आजमाएं। 
1. पेशाब में संक्रमण होने की दशा में डांग-गुजरात के आदिवासी रोगियों को एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और दो चम्मच दालचीनी की छाल का चूर्ण मिलाकर देते हैं।

2. पीपल के सूखे फल मूत्र संबंधित रोगों के निवारण के लिये काफी कारगर माने जाते हैं। आदिवासी इसके सूखे फलों का चूर्ण तैयार कर प्रतिदिन एक चम्मच चूर्ण को शक्कर या थोड़े से गुड़ के साथ मिलाकर रोगी को देते हैं, माना जाता है कि इससे पेशाब संबंधित समस्याओं जैसे पेशाब में जलन होना, खासकर प्रोस्ट्रेट की समस्याओं में रोगी को बेहतर महसूस होता है।

3. पारंपरिक हर्बल जानकारों के अनुसार जिन्हें अक्सर पेशाब में जलन की शिकायत हो, उन्हें फूल गोभी की सब्जी ज्यादा खानी चाहिए। फूलगोभी को साफ धोकर कच्चा चबाया जाना भी काफी हितकर होता है

4. पेशाब में जलन होने पर अमलतास के फल के गूदे, अंगूर और पुनर्नवा की समान मात्रा (प्रत्येक 6 ग्राम) लेकर 250 मिली पानी में उबाला जाता है और 20 मिनट तक धीमी आँच पर उबाला जाता है। ठंडा होने पर रोगी को दिया जाए तो पेशाब में जलन होना बंद हो जाती है।

5. नींबू का रस एक चम्मच, 2 चम्मच शक्कर और चुटकी भर नमक पानी में मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में आराम मिलता है। मध्य प्रदेश में आदिवासी हर्बल जानकार इस दौरान नाभि पर चूना लेपित कर देते हैं और रोगी को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं। 

6. छुई-मुई के पत्तों (करीब 4 ग्राम) को पानी में पीसकर नाभि के निचले हिस्से में लेप करने से पेशाब का अधिक आना बंद हो जाता है। आदिवासी मानते हैं कि पत्तियों के रस की 4 चम्मच मात्रा दिन में एक बार लेने से भी फायदा होता है। 

7. तेजपान की पत्तियों का चूर्ण पेशाब संबंधित समस्याओं में काफी फायदा करता है। दिन में दो बार 2-2 ग्राम चूर्ण का सेवन खाना खाने के बाद किया जाए तो पेशाब से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से निजात मिल जाती है।

8. पेशाब में जलन होने पर बरगद की हवाई जड़ों (10 ग्राम) का बारीक चूर्ण, जीरा और इलायची (2-2 ग्राम) का बारीक चूर्ण एक साथ गाय के ताजे दूध के साथ मिलाकर लिया जाए तो अति शीघ्र लाभ होता है। यही फार्मूला पेशाब से संबंधित अन्य विकारों में भी लाभकारी होता है।

 9. पातालकोट के आदिवासी सफेद मूसली की जड़ों के चूर्ण के साथ इलायची मिलाकर दूध में उबालते हैं और पेशाब में जलन की शिकायत होने पर रोगियों को दिन में दो बार पीने की सलाह देते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार इलायची शांत प्रकृति की होती है और ठंडक देती है। 

10. आदिवासियों की मानी जाए तो जिन्हें पेशाब करने के समय जलन की शिकायत होती है उनके लिए आँवला एक फायदेमंद उपाय है। आँवले के फलों का रस तैयार कर इसमें स्वादानुसार शक्कर और शहद और घी मिलाकर पिया जाए तो पेशाब की जलन शाँत हो जाती है।


11. पेशाब करते समय यदि जलन महसूस हो तो गिलोय के तने का चूर्ण (10 ग्राम), आंवला के फलों का चूर्ण (10 ग्राम), सोंठ चूर्ण (5 ग्राम), गोखरु के बीजों का चूर्ण (3 ग्राम) और अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण (5 ग्राम) लिया जाए और इसे 100 एमएल पानी में उबाला जाए, प्राप्त काढ़े को रोगी को दिन में एक बार प्रतिदिन एक माह तक दिया जाना चाहिए।

12. ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबाल लिया जाए और छानकर इसमें मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन और गुर्दों की कमजोरी भी दूर होती है। 

13. अश्वगंधा की जड़ों का रस और आंवला के फलों का रस समान मात्रा में (आधा-आधा कप) लिया जाए तो मूत्राशय और मूत्र मार्ग में पेशाब करते समय जलन की शिकायत खत्म हो जाती है और माना जाता है कि यह पथरी को गलाकर पेशाब मार्ग से बाहर भी निकाल फेंकता है। 

14. सौंफ की जड़ों का रस (25 एमएल) दिन में दो बार लेने से पेशाब से जुड़ी समस्याओं में तेजी से राहत मिलती है। पातालकोट में आदिवासी सौंफ, कुटकी और अदरक के मिश्रण को लेने की सलाह देते हैं। 

15. पुर्ननवा की जड़ों को दूध में उबालकर पिलाने से बुखार में तुरंत आराम मिलता है। इसी मिश्रण को अल्पमूत्रता और मूत्र में जलन की शिकायत से छुटकारा मिलता है। 

16. डाँग के आदिवासी तरबूत का रस मिट्टी के बर्तन में लेकर उसे रात के समय में खुले आसमान में रख देते है ताकि इस पर ओंस की बूंदे पड़े, सुबह इसमें चीनी मिलाकर उस रोगी को देते है जिसके लिंग पर घाव हुआ हो और मूत्र दाह में जलन होती हो। माना जाता है कि इस तरह की समस्याओं के लिए यह उपाय काफी कारगर है।

17. जिन्हें पेशाब होने में तकलीफ होती है उन्हें दूध के साथ पान के पत्ते को उबालकर पीना चाहिए, माना जाता है कि पान पेशाब होना सामान्य कर देता है।

 18. पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार जिन्हें पेशाब के दौरान दर्द होने की शिकायत हो, उन्हें सागौन के फूलों का काढा तैयार करके पीने से लाभ मिलता है। 

19. लगभग 15 ग्राम दूब की जड़ को 1 कप दही में पीसकर लेने से पेशाब करते समय होने वाले दर्द से निजात मिलती है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार दूबघास की पत्तियों को पानी के साथ मसलकर स्वादानुसार मिश्री डालकर अच्छी तरह से घोट लेते हैं फिर छानकर इसकी 1 गिलास मात्रा रोजाना पीने से पथरी गल जाती है और पेशाब खुलकर आता है।

 20. आदिवासियों का मानना है कि जिन पुरुषों को स्पर्मेटोरिया (पेशाब और मल करते समय वीर्य जाने की शिकायत) हो उन्हे गेंदा के फूलों (करीब 10 ग्राम) का रस पीना चाहिए।

21. पेशाब से जुड़ी समस्याओं और पथरी के दर्द में राहत के लिए तुलसी भी रामबाण की तरह ही है। तुलसी की पत्तियों का चूर्ण और हर्रा के फलों का चूर्ण मिलाकर खाने से पेशाब करते समय होने वाले दर्द में काफी आराम मिलता है। 

22. गोखरू संपूर्ण पौधे का चूर्ण शहद या मिश्री के साथ पीने से पेशाब का बार-बार आना बंद हो जाता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी बार-बार पेशाब आने की समस्या के निदान के लिए गोखरू के बीज, विदारीकन्द का कंद और आँवला के फ़लों का चूर्ण समान मात्रा (लगभग 5 ग्राम) लेकर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर खाने की सलाह देते हैं, आराम मिल जाता है। 

23. मक्के के उबल जाने के बाद इस पानी की एक गिलास मात्रा में एक चम्मच शहद मिलाकर रख दिया जाए, पहले मक्के के उबले दानों को चबाया जाए और अंत में शहद मिले पानी को पी लिया जाए तो यह किडनी और मूत्र तंत्र को बेहतर बनाता है। किडनी और मूत्र तत्र की सफाई के लिए यह उत्तम फार्मूला है। आदिवासियों के अनुसार ऐसा करने से किडनी, मूत्र नली और मूत्राशय में पथरी होने की संभावनांए भी खत्म हो जाती हैं।

 24. जिन्हें पेशाब जाने में दिक्कत आती है, उन्हें धनिया के बीजों (एक चम्मच) को कुचलकर गुनगुने पानी के साथ पीना चाहिए, पेशाब का आना नियमित और निरंतर हो जाता है।

25. जिन्हें बार-बार पेशाब जाने की शिकायत होती है उन्हें तिल और अजवायन के बीजों की समान मात्रा को तवे पर भूनकर दिन में कम से कम दो बार अवश्य सेवन करना चाहिए। 

26. पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार करीब 20 ग्राम मक्के के दानों को कुचलकर एक गिलास पानी में खौलाया जाए और जब यह आधा शेष बचे तो इसमें एक चम्मच शहद की भी डाल दी जाए, इस मिश्रण को बच्चों को दिन में 3 बार देने से वे बिस्तर में पेशाब नहीं करते है। 

27. चुटकी भर राई के चूर्ण को पानी के साथ घोलकर बच्चों को देने से वे रात में बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।

28. पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि जामुन के बीजों का चूर्ण की 2-2 ग्राम मात्रा बच्चों को देने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं। 

29. शक्कर और पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा की समान मात्रा (50- 50 ग्राम) लेकर मिला लिया जाए और चुटकी भर चूर्ण पानी के साथ सुबह शाम देने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते है। 

30. अनार के छिलकों को सुखाकर कुचल लिया जाए और इस चूर्ण का आधा चम्मच बच्चों आधा कप पानी में मिलाकर बच्चों को एक सप्ताह तक हर रात दिया जाए तो जल्द ही बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में आराम मिलता है


Friday 1 September 2017

यूरिन इन्फेक्शन – Urinary Tract Infection

यूरिन इन्फेक्शन होने की संभावना लगभग 50 % महिलाओं को होती है। यह क्यों होता है। इससे क्या नुकसान होता है तथा इससे कैसे बचा जा सकता है , इसकी जानकारी सभी महिलाओं को होनी चाहिए ताकि थोड़ी सावधानी रखकर इस परेशानी से बचा जा सके। यूरिन इन्फेक्शन जिसे युटीआई कहते है पेशाब से सम्बंधित अंगों में होने वाला इन्फेक्शन है। जब कुछ कीटाणु पेशाब से सम्बंधित अंगों में चले जाते है तो वहाँ संक्रमण हो जाता है और इस वजह से पेशाब में दर्द , जलन , कमर दर्द , बुखार आदि समस्याएं पैदा होने लगती है। इसे यूरिन  इन्फेक्शन या युटीआई कहते है।  यूरिन इन्फेक्शन के कारण मूत्र से सम्बंधित कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है जैसे गुर्दे ( किडनी ) , मूत्राशय , मूत्र नली आदि। यह इन्फेक्शन जब मूत्राशय में होता है तो पेशाब में परेशानी होने लगती है जैसे पेशाब करते समय दर्द , बार बार पेशाब आना , पेशाब करते समय जलन आदि होने लगते है। मूत्राशय खाली होने पर भी ऐसा लगता है की पेशाब आएगी। इस प्रकार के लक्षण महसूस होने के अलावा बुखार भी आता हो और पीठ के निचले हिस्से में दर्द भी होता हो तो यह किडनी में इंफेक्शन के कारण हो सकता है। ज्यादातर मूत्राशय ( Bladder ) इससे प्रभावित होता है। इसका तुरंत उपचार ले लेना चाहिए अन्यथा इन्फेक्शन किडनी तक फैल जाने से समस्या गंभीर हो सकती है। एक बार ठीक होने के बाद भी इसके वापस दुबारा होने की संभावना होती है अतः बीच में दवा छोड़नी नहीं चाहिए।

यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण – UTI Symptoms


 पेशाब करते समय जलन या दर्द होना।
—  बार बार तेज पेशाब आने जैसा महसूस होता है  , लेकिन मुश्किल से थोड़ी सी पेशाब आती है ।
—  नाभि से नीचे पेट में , पीछे पीठ में या पेट के साइड में दर्द होना।
—  गंदला सा , गहरे रंग का , गुलाबी से रंग का , या अजीब से गंध वाला पेशाब होना।
—  थकान और कमजोरी महसूस होना।
—  उलटी होना , जी घबराना  ।
—  बुखार या कंपकंपी ( जब इन्फेक्शन किडनी तक पहुँच जाता है ) होना।
अगर यूरिन इन्फेक्शन की संभावना लगे तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। पेशाब की जाँच करने पर यूरिन इन्फेक्शन है या नहीं यह
निश्चित हो जाता है और उसी के अनुसार दवा ली जा सकती है।

यूरिन इन्फेक्शन होने के कारण – Reasons Of Urinary Tract Infection

  यूरिन इन्फेक्शन होने का मुख्य कारण E. Coli बेक्टिरिया होते है जो आँतों में पाए जाते है। ये बेक्टिरिया गुदा द्वार ( Anus ) से निकल कर मूत्र मार्ग  ( urethra ) ,  मूत्राशय ( Bladder ) , मूत्र वाहिनी ( Ureter )  या किडनी में इन्फेक्शन फैला सकते है।
महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन अधिक होने का मुख्य कारण मूत्र मार्ग तथा गुदा का पास में होना होता है। महिलाओं में मूत्र की नली छोटी होने’ के कारण मूत्राशय तक जल्दी संक्रमण हो जाता है। गुदा में मौजूद बेक्टिरिया पास के मूत्र मार्ग को संक्रमित कर देते है। वहाँ से संक्रमण मूत्राशय तक पहुँच जाता है। यदि इस स्थिति में उपचार नहीं होता है तो किडनी भी प्रभावित हो सकती है। यौन सम्बन्ध के माध्यम से भी बेक्टिरिया मूत्र नली में संक्रमण पैदा कर सकते है। यौन सम्बन्ध के समय साफ सफाई का ध्यान नहीं रखना यूरिन इन्फेक्शन होने का एक बड़ा कारण है। यूरिन में इन्फेक्शन  16 से 35 वर्ष की महिलाओं को अधिक होता है। इस उम्र में यौन संबंधों में सक्रियता इसका कारण होता है। शादी के बाद यह इन्फेक्शन हो जाना आम बात होती है। इसी  वजह से इसे  ” हनीमून सिस्टाइटिस ” के नाम से भी जाना जाता है।
महिलाओं द्वारा  फेमिली प्लानिंग के उद्देश्य से योनि में लगाए जाने वाले डायाफ्राम के कारण यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।


—  डायबिटीज , मोटापा या अनुवांशिकता भी यूरिन में इन्फेक्शन होने का कारण हो सकते है।

—  गर्भावस्था में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के बढ़ने के कारण मूत्राशय और मूत्र नली की संकुचन की क्षमता कम हो जाती है। इस वजह से मूत्राशय के सही प्रकार से काम न कर पाने के कारण यूरिन इन्फेक्शन हो जाता है।

—  मेनोपॉज  के समय एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने के कारण योनि में इन्फेक्शन  बचाने वाले लाभदायक बेक्टिरिया की कमी हो जाती है। इस
वजह से यूरिन इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।
—  पुरुषों में डायबिटीज या प्रोस्टेट के बढ़ने के कारण यूरिन में इन्फेक्शन हो सकता है।

—  बच्चों में कब्ज का बना रहना तथा मूत्राशय व मूत्रनली का सही प्रकार से काम नहीं कर पाना यूरिन इन्फेक्शन का कारण हो सकता है।

—  पेशाब निकलने के लिए लंबे समय तक कैथिटर लगाए जाने से भी यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।

यूरिन इन्फेक्शन से बचने के उपाय – UTI Preventions


इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
—  पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए। पानी कितना पीना चाहिए यह जानने के लिए 
----  जब भी पेशाब आने जैसा लगे तुरंत जाएँ चाहे किसी भी काम में व्यस्त हों। तसल्ली से पूरा मूत्राशय खाली करें। पेशाब को देर तक रोके रखने से यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।
—  मलत्याग के बाद या मूत्र त्याग के बाद आगे से पीछे की तरफ पोंछें या धोएं। न की पीछे से आगे की तरफ। ताकि इस प्रक्रिया में गुदा के
बेक्टिरिया योनि या मूत्र द्वार तक न पहुंचें।
—  बाथ टब  के बजाय शॉवर या मग्गे बाल्टी से नहाएं।
—  यौन सम्बन्ध से पहले तथा बाद में साफ सफाई का ध्यान रखें।
—  यौन सम्बन्ध के बाद यूरिनल का उपयोग जरूर करें ताकि यदि मूत्र नली बेक्टिरिया आदि से मुक्त होकर साफ हो जाये।
—  कॉटन अंडरवियर काम में लें। नायलोन अंडरवियर या टाइट जीन्स का उपयोग करने से नमी बनी रहती है जिसके कारण बेक्टिरिया
पनप सकते है।
—  कुछ समय के लिए तेज खुशबुदार स्प्रे या डूश आदि का उपयोग न करें। इनसे स्थिति बिगड़ती ही है।
—  डॉक्टर के बताये अनुसार पूरी दवा लेनी चाहिए। ठीक हो गए ऐसा समझ कर दवा बीच में छोड़नी नहीं चाहिए।