Friday 1 September 2017

यूरिन इन्फेक्शन – Urinary Tract Infection

यूरिन इन्फेक्शन होने की संभावना लगभग 50 % महिलाओं को होती है। यह क्यों होता है। इससे क्या नुकसान होता है तथा इससे कैसे बचा जा सकता है , इसकी जानकारी सभी महिलाओं को होनी चाहिए ताकि थोड़ी सावधानी रखकर इस परेशानी से बचा जा सके। यूरिन इन्फेक्शन जिसे युटीआई कहते है पेशाब से सम्बंधित अंगों में होने वाला इन्फेक्शन है। जब कुछ कीटाणु पेशाब से सम्बंधित अंगों में चले जाते है तो वहाँ संक्रमण हो जाता है और इस वजह से पेशाब में दर्द , जलन , कमर दर्द , बुखार आदि समस्याएं पैदा होने लगती है। इसे यूरिन  इन्फेक्शन या युटीआई कहते है।  यूरिन इन्फेक्शन के कारण मूत्र से सम्बंधित कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है जैसे गुर्दे ( किडनी ) , मूत्राशय , मूत्र नली आदि। यह इन्फेक्शन जब मूत्राशय में होता है तो पेशाब में परेशानी होने लगती है जैसे पेशाब करते समय दर्द , बार बार पेशाब आना , पेशाब करते समय जलन आदि होने लगते है। मूत्राशय खाली होने पर भी ऐसा लगता है की पेशाब आएगी। इस प्रकार के लक्षण महसूस होने के अलावा बुखार भी आता हो और पीठ के निचले हिस्से में दर्द भी होता हो तो यह किडनी में इंफेक्शन के कारण हो सकता है। ज्यादातर मूत्राशय ( Bladder ) इससे प्रभावित होता है। इसका तुरंत उपचार ले लेना चाहिए अन्यथा इन्फेक्शन किडनी तक फैल जाने से समस्या गंभीर हो सकती है। एक बार ठीक होने के बाद भी इसके वापस दुबारा होने की संभावना होती है अतः बीच में दवा छोड़नी नहीं चाहिए।

यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण – UTI Symptoms


 पेशाब करते समय जलन या दर्द होना।
—  बार बार तेज पेशाब आने जैसा महसूस होता है  , लेकिन मुश्किल से थोड़ी सी पेशाब आती है ।
—  नाभि से नीचे पेट में , पीछे पीठ में या पेट के साइड में दर्द होना।
—  गंदला सा , गहरे रंग का , गुलाबी से रंग का , या अजीब से गंध वाला पेशाब होना।
—  थकान और कमजोरी महसूस होना।
—  उलटी होना , जी घबराना  ।
—  बुखार या कंपकंपी ( जब इन्फेक्शन किडनी तक पहुँच जाता है ) होना।
अगर यूरिन इन्फेक्शन की संभावना लगे तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। पेशाब की जाँच करने पर यूरिन इन्फेक्शन है या नहीं यह
निश्चित हो जाता है और उसी के अनुसार दवा ली जा सकती है।

यूरिन इन्फेक्शन होने के कारण – Reasons Of Urinary Tract Infection

  यूरिन इन्फेक्शन होने का मुख्य कारण E. Coli बेक्टिरिया होते है जो आँतों में पाए जाते है। ये बेक्टिरिया गुदा द्वार ( Anus ) से निकल कर मूत्र मार्ग  ( urethra ) ,  मूत्राशय ( Bladder ) , मूत्र वाहिनी ( Ureter )  या किडनी में इन्फेक्शन फैला सकते है।
महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन अधिक होने का मुख्य कारण मूत्र मार्ग तथा गुदा का पास में होना होता है। महिलाओं में मूत्र की नली छोटी होने’ के कारण मूत्राशय तक जल्दी संक्रमण हो जाता है। गुदा में मौजूद बेक्टिरिया पास के मूत्र मार्ग को संक्रमित कर देते है। वहाँ से संक्रमण मूत्राशय तक पहुँच जाता है। यदि इस स्थिति में उपचार नहीं होता है तो किडनी भी प्रभावित हो सकती है। यौन सम्बन्ध के माध्यम से भी बेक्टिरिया मूत्र नली में संक्रमण पैदा कर सकते है। यौन सम्बन्ध के समय साफ सफाई का ध्यान नहीं रखना यूरिन इन्फेक्शन होने का एक बड़ा कारण है। यूरिन में इन्फेक्शन  16 से 35 वर्ष की महिलाओं को अधिक होता है। इस उम्र में यौन संबंधों में सक्रियता इसका कारण होता है। शादी के बाद यह इन्फेक्शन हो जाना आम बात होती है। इसी  वजह से इसे  ” हनीमून सिस्टाइटिस ” के नाम से भी जाना जाता है।
महिलाओं द्वारा  फेमिली प्लानिंग के उद्देश्य से योनि में लगाए जाने वाले डायाफ्राम के कारण यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।


—  डायबिटीज , मोटापा या अनुवांशिकता भी यूरिन में इन्फेक्शन होने का कारण हो सकते है।

—  गर्भावस्था में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के बढ़ने के कारण मूत्राशय और मूत्र नली की संकुचन की क्षमता कम हो जाती है। इस वजह से मूत्राशय के सही प्रकार से काम न कर पाने के कारण यूरिन इन्फेक्शन हो जाता है।

—  मेनोपॉज  के समय एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने के कारण योनि में इन्फेक्शन  बचाने वाले लाभदायक बेक्टिरिया की कमी हो जाती है। इस
वजह से यूरिन इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।
—  पुरुषों में डायबिटीज या प्रोस्टेट के बढ़ने के कारण यूरिन में इन्फेक्शन हो सकता है।

—  बच्चों में कब्ज का बना रहना तथा मूत्राशय व मूत्रनली का सही प्रकार से काम नहीं कर पाना यूरिन इन्फेक्शन का कारण हो सकता है।

—  पेशाब निकलने के लिए लंबे समय तक कैथिटर लगाए जाने से भी यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।

यूरिन इन्फेक्शन से बचने के उपाय – UTI Preventions


इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
—  पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए। पानी कितना पीना चाहिए यह जानने के लिए 
----  जब भी पेशाब आने जैसा लगे तुरंत जाएँ चाहे किसी भी काम में व्यस्त हों। तसल्ली से पूरा मूत्राशय खाली करें। पेशाब को देर तक रोके रखने से यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है।
—  मलत्याग के बाद या मूत्र त्याग के बाद आगे से पीछे की तरफ पोंछें या धोएं। न की पीछे से आगे की तरफ। ताकि इस प्रक्रिया में गुदा के
बेक्टिरिया योनि या मूत्र द्वार तक न पहुंचें।
—  बाथ टब  के बजाय शॉवर या मग्गे बाल्टी से नहाएं।
—  यौन सम्बन्ध से पहले तथा बाद में साफ सफाई का ध्यान रखें।
—  यौन सम्बन्ध के बाद यूरिनल का उपयोग जरूर करें ताकि यदि मूत्र नली बेक्टिरिया आदि से मुक्त होकर साफ हो जाये।
—  कॉटन अंडरवियर काम में लें। नायलोन अंडरवियर या टाइट जीन्स का उपयोग करने से नमी बनी रहती है जिसके कारण बेक्टिरिया
पनप सकते है।
—  कुछ समय के लिए तेज खुशबुदार स्प्रे या डूश आदि का उपयोग न करें। इनसे स्थिति बिगड़ती ही है।
—  डॉक्टर के बताये अनुसार पूरी दवा लेनी चाहिए। ठीक हो गए ऐसा समझ कर दवा बीच में छोड़नी नहीं चाहिए।

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