Thursday 28 November 2019

भीगे चने खाने के फायदे - स्वास्थ्य के लिए बेहतर

चना (Gram) भारतीय खान-पान के प्रमुख अनाजों में से है। इसे शक्तिवर्धक अनाज (Enhancing grain) माना जाता रहा है। यह तो सभी जानते हैं कि यह न सिर्फ पाचन को सही रखता है बल्कि हृदय को भी सुरक्षित रखता है। चना का प्रयोग भारत में सदियों से हो रहा है। इसे सीधे प्रयोग करने के अलावा दाल और उससे बने उत्पादों के रूप में भी होता है। इसका स्वाद तो अलग और अनोखा होता ही है साथ ही इसका प्रयोग ताकत बढ़ाने के लिए भी किया जाता रहा है। इसे अंकुरित कर के भी खाया जाता है ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण चना को स्वास्थ्य के लिए बेहतर (Gram is good for health)  प्रस्तुत हैं जिनसे चना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। शरीर में शक्ति (Power) और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाता है चना में खनिज लवण (Minerals) के रूप में मैगनिज काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा इसमें जरूरी पोषक तत्व जैसे थायमीन, मैंगीशियम और फॉस्फोरस भी पाया जाता है। मैंगीशियम शरीर में ऊर्जा के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाता है। महिलाओं में होंर्मोंन का लेवल (Hormones level) नियमित रखता है। इससे ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हों जाता है। 
भुना चना- कैलरी : 360, वसा : 5.2 ग्राम, प्रोटीन : 22.5 ग्राम, फाइबर : 1.0 ग्राम, आयरन : 9.5 मिग्रा 
                           
चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। चने के सबसे अधिक फायदे इन्हे अंकुरित करके खाने से होते है। चना शरीर में ताकत लाने वाला और भोजन में रुचि पैदा करने वाला होता है। सूखे भुने हुए चने बहुत रूक्ष और वात तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाले होते हैं। उबले हुए चने कोमल, रुचिकारक, पित्त, शीतल, कषैले, वातकारक, ग्राही, हल्के, कफ तथा पित्त नाशक होते हैं। 
चना शरीर को चुस्त-दुरुस्त करता है। खून में जोश पैदा करता है। यकृत (जिगर) और प्लीहा के लिए लाभकारी होता है। तबियत को नर्म करता है। खून को साफ करता है। धातु को बढ़ाता है। आवाज को साफ करता है। रक्त सम्बन्धी बीमारियों और वादी में लाभदायक होता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। इसको पानी में भिगोकर चबाने से शरीर में ताकत आती है।

वैसे तो चने को आप खाने में जरूर इस्तेमाल करें। यह किसी दवा से कम नहीं है। चने खाने से एक नहीं कई फायदे मिलते हैं तो क्यों नहीं अंकुरित चनों का इस्तेमाल रोज किया जा सकता है। विनय आयुर्वेदा का प्रयास है आपके स्वास्थ के लिए हर जरूरी चीज को आप तक पहुंचाना जो आप और आपके परिवार के लिए जरूरी और फायदेमंद है। चना विशेषकर किशोरों, जवानों तथा शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए पौष्टिक नाश्ता होता है। 
इसके लिए 25 ग्राम देशी काले चने लेकर अच्छी तरह से साफ कर लें। मोटे पुष्ट चने को लेकर साफ-सुथरे, कीडे़ या डंक लगे व टूटे चने निकालकर फेंक देते हैं। शाम के समय इन चनों को लगभग 125 ग्राम पानी में भिगोकर रख देते हैं। सुबह के समय शौचादि से निवृत्त होकर एवं व्यायाम के बाद चने को अच्छी तरह से चबाकर खाएं और ऊपर से चने का पानी वैसे ही अथवा उसमें 1-2 चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं। देखने में यह प्रयोग एकदम साधारण लगता है किन्तु यह शरीर को बहुत ही स्फूर्तिवान और शक्तिशाली बनाता है। चने की मात्रा धीरे-धीरे 25 से 50 ग्राम तक बढ़ाई जा सकती है। भीगे हुए चने खाने के बाद दूध पीने से शारीरिक बल पुष्ट होता है। व्यायाम के बाद रात के भीगे हुए चने, चने का पानी के साथ पीने से स्वास्थय अच्छा बना रहता है। जिसकी पाचक शक्ति (भोजन पचाने की शक्ति) कमजोर हो, या चना खाने से पेट में गैस होता है तो उन्हें चने का सेवन नहीं करना चाहिए।

चना न्यूट्रिएंट्स के मामले में बादाम से ज्यादा फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में चने की दाल और चने को शरीर के लिए बेहद स्वास्थवर्धक बताया गया है। चने के सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। भीगे हुए चने में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल और विटामिन्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो कई बीमारियों से बचाने के साथ-साथ हेल्दी रहने में भी हमारी मदद करते हैं। वैसे तो हर इंसान के लिए चने खाने के अपने अलग ही फायदे हैं, लेकिन खासकर मर्दों को तो ये जरूर खाने चाहिये। क्योंकि चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में काफी सक्षम बनाता है।

अंकुरित चना  - अंकुरित चने खाना बहुत ही लाभप्रद होता है। अंकुरित चना धातु को पुष्ट, मांसपेशियों को सुदृढ़ व शरीर को वज्र के समान बना देता है तथा यह सभी चर्म रोगों को नष्ट करता है। विटामिन-सी की अधिकता वाला यह वजन को बढ़ाता है। खून में वृद्धि करता है और उसे साफ करता है। इसके अतिरिक्त अंकुरित चने का सेवन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं। यह रक्त में कोलेस्ट्राल को कम करता है और दिल की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।

चने अंकुरित करने की विधि - अंकुरित करने के लिए चने को अच्छी तरह पानी में साफ करके इतने पानी में भिगोएं कि उतना पानी चना सोख ले। इसे सुबह के समय पानी में भिगो दो और रात में साफ, मोटे, गीले कपडे़ या उसकी थैली में बांधकर लटका देते हैं। गर्मी में 12 घंटे और सर्दी के मौसम में 18 से 24 घंटों के बाद भिगोकर गीले कपड़ों में बांधने से दूसरे, तीसरे दिन उसमें अंकुर निकल आते हैं। गर्मी में थैली में आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहना चाहिए। इस प्रकार चने अंकुरित हो जाएंगे। अंकुरित चनों का नाश्ता एक उत्तम टॉनिक है। अंकुरित चनों में कुछ व्यक्ति स्वाद के लिए कालीमिर्च , सेंधानमक, अदरक की कुछ कतरन एवं नींबू के रस की कुछ बून्दे भी मिलाते हैं परन्तु यदि अंकुरित चने को बिना किसी मिलावट के साथ खाएं तो यह बहुत अधिक उत्तम होता है।

भीगे चने खाने के फायदे - शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती : शरीर को सबसे ज्यादा पोषण काले चनों से मिलता है। काले चने अंकुरित होने चाहिए। क्योंकि इन अंकुरित चनों में सारे विटामिन्स और क्लोरोफिल के साथ फास्फोरस आदि मिनरल्स होते हैं जिन्हें खाने से शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती है। काले चनों को रातभर भिगोकर रख लें और हर दिन सुबह दो मुट्ठी खाएं। कुछ ही दिनों में र्फक दिखने लगेगा।
वजन कम करना : अगर आपको अपना वजन कम करना है तो रोज़ाना सुबह उठकर खाली पेट भीगे हुए चने खाने से आपका वजन जल्द ही कम होने लगेगा।
कब्ज और पेट दर्द : रातभर भिगे हुए चनों से पानी को अलग कर उसमें अदरक, जीरा और नमक को मिक्स कर खाने से कब्ज और पेट दर्द से राहत मिलती है।
शरीर की ताकत : शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए अंकुरित चनों में नींबू, अदरक के टुकड़े, हल्का नमक और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं। आपको पूरे दिन की एनर्जी मिलेगी।   
चने का सत्तू : चने का सत्तू भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद औषघि है। शरीर की क्षमता और ताकत को बढ़ाने के लिए गर्मीयों में आप चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलकार पी सकते हैं। यह भूख को भी शांत रखता है।
पथरी की समस्या में चना : पथरी की समस्या अब आम हो गई है। दूषित पानी और दूषित खाना खाने से पथरी की समस्या बढ़ रही है। गाल ब्लैडर और किड़नी में पथरी की समस्या सबसे अधिक हो रही है। एैसे में रातभर भिगोए चनों में थोड़ा शहद मिलाकर रोज सेवन करें। नियमित इन चनों का सेवन करने से पथरी आसानी से निकल जाती है। इसके अलावा आप आटे और चने का सत्तू को मिलाकर बनी रोटियां भी खा सकते हो।
शरीर की गंदगी साफ करना : काला चना शरीर के अंदर की गंदगी को अच्छे से साफ करता है। जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की परेशानियां दूर होती हैं। और यह बुखार आदि में भी राहत देता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए : चना ताकतवर होता है। यह शरीर में ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज को कम करता है जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है। इसलिए अंकुरित चनों को सेवन डायबिटीज के रोगियों को सुबह-सुबह करना चाहिए।
मूत्र संबंधी रोग : मूत्र से संबंधित किसी भी रोग में भुने हुए चनों का सवेन करना चाहिए। इससे बार-बार पेशाब आने की दिक्कत दूर होती है। भुने हुए चनों में गुड मिलाकर खाने से यूरीन की किसी भी तरह समस्या में राहत मिलती है।
पुरूषों की कमजोरी दूर करना : अधिक काम और तनाव की वजह से पुरूषों में कमजोरी होने लगती है। एैसे में अंकुरित चना किसी वरदान से कम नहीं है। पुरूषों को अंकुरित चनों को चबा-चबाकर खाने से कई फायदे मिलते हैं। इससे पुरूषों की कमजोरी दूर होती है। भीगे हुए चनों के पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से पौरूषत्व बढ़ता है। और कमजोरी दूर होती है।
पीलिया के रोग में : पीलिया की बीमारी में चने की 100 ग्राम दाल में दो गिलास पानी डालकर अच्छे से चनों को कुछ घंटों के लिए भिगो लें और दाल से पानी को अलग कर लें अब उस दाल में 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 से 5 दिन तक रोगी को देते रहें। पीलिया से लाभ जरूरी मिलेगा। पीलिया रोग में रोगी को चने की दाल का सेवन करना चाहिए।
मुंह का सौंदर्य : चना के बेसन में नमक मिलाकर अच्छी तरह गौन्दकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर मलने से त्वचा में झुर्रियां नहीं आती हैं और चेहरा सुन्दर रहता है।
प्रदर रोग : भठ्ठी पर भूने हुऐ चने के छिलके उतारकर उसे पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें बराबर की मात्रा में मिश्री का चूर्ण मिलाकर 6-6 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में रोग लाभ मिलता है। चने के सत्तू में मिश्री डालकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से ‘शवेत प्रदर में लाभ होता है।
मोच : मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें-जैसे-जैसे चने फूलेंगे मोच अपने आप ही दूर हो जायेगी।
पथरी : गुर्दे या मूत्राशय में पथरी हो तो रात को एक मुट्ठी चने की दाल को भिगो देते हैं। सुबह के समय इस दाल को शहद मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।
अम्लपित्त : काले चनों और कालीमिर्च को मिलाकर पीसकर चटनी की तरह सेवन करने से अम्लपित्त शांत हो जाती है।चने की सब्जी खाने से गले की जलन कम हो जाती है।
दर्द व सूजन : कमर, हाथ, पैर या कहीं भी दर्द हो वहां बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। इस तरह मालिश करने से दर्द और सूजन ठीक हो जाती है।
शीतपित्त : चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खाने से पित्ती ठीक हो जाती है। 
मधुमेह के रोग : चने और जौ के आटे की रोटी खाने से मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है। 7 दिनों तक केवल चने की रोटी खायें। गूलर के पत्तों को उबालकर उसी पानी से नहायें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीयें। पेशाब में शक्कर (चीनी) आना बंद हो जायेगी और मधुमेह में लाभ होगा। रात को लगभग 30 ग्राम काले चने दूध में भिगो दें और सुबह उठते ही खा लें। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें। केवल चने (बेसन) की रोटी ही 10 दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर आना बंद हो जाता है। 25-30 ग्राम काले चनों को दूध में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। चने और जौ को बराबर मात्रा में पीसकर उसकी रोटी खायें। इससे पेशाब में शक्कर आना कम हो जाता है।
ट्यूमर : चने का आटा गूगल में मिलाकर, टिकिया बनाकर गिल्टी (ट्यूमर) पर रखें। इससे गिल्टी (ट्यूमर) की सूजन दूर होती है।
सभी प्रकार के दर्द होने पर : भुने हुऐ चनों को खाने से `अन्नद्रव शूल´ यानी अनाज के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
चेहरे की झांई के लिए : 2 बड़े चम्मच चने की दाल को आधा कप दूध में रात को भिगोकर रख दें। सुबह दाल को पीसकर उसी दूध में मिला लें। फिर इसमें एक चुटकी हल्दी और 6 बूंदे नींबू की मिलाकर चेहरे पर लगाकर रखें। सूखने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगाने से चेहरे की झाईयां दूर हो जाती हैं।
खाज-खुजली : बिना नमक के चने के आटे की रोटी को लगातार 64 दिन तक खाने से दाद, खुजली आदि रोग मिट जाते हैं।
घबराहट या बेचैनी : लगभग 50 ग्राम चना और 25 दाने किशमिश को रोजाना रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट चने और किशमिश खाने से घबराहट दूर हो जाती है।
दिल के रोग : दिल के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधानमक डालकर खाना चाहिए।
त्वचा के रोग के लिए : चने की रोटी खाने से या अंकुर फूटे हुए चने खाने से हर प्रकार के त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं। 
निम्नरक्तचाप : 20 ग्राम काला चना और 25 दाने किशमिश या मुनक्का रात को ठण्डे पानी में भिगो दें। सुबह रोजाना खाली पेट खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होगा और साथ ही साथ चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
दाद : 64 दिन तक लगातार बिना नमक के चने के आटे की रोटी खाने से दाद, खुजली और खून की खराबी दूर हो जाती है।
पीलिया का रोग : जौ के सत्तू की तरह चना का सत्तू भी पीलिया रोग में लाभदायक है। 1 मुट्ठी चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगो दें। फिर दाल को निकालकर बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 3 दिन तक खाना चाहिए। प्यास लगने पर दाल का वहीं पानी पीना चाहिए। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
मानसिक उन्माद (पागलपन) : पित्त (गर्मी) के कारण पागलपन हो तो शाम को 50 ग्राम चने की दाल पानी में भिगो देते हैं। सुबह के समय पीसकर चीनी और पानी मिलाकर 1 गिलास भरकर पीने से पागलपन के रोग में लाभ होता है। चने की दाल को भिगोकर उसका पानी पिलाने से उन्माद (मानसिक पागलपन) और उल्टी ठीक हो जाती है।
सौन्दर्यवर्द्धक : चावल, जौ, चना, मसूर और मटर को बराबर की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा चूर्ण लेकर लेप बना लें और चेहरे पर लगायें। थोड़े दिनों तक यह लेप रोजाना चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक उठेगा। बेसन से चेहरा धोने से चेहरे के धब्बे, झांई मिट जाती हैं। चेहरा सुन्दर निकलता है। तेज धूप, गर्मी, लू से त्वचा की रक्षा के लिए बेसन को दूध या दही में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह-शाम आधा घंटे चेहरे पर लगा रहने दें। इससे रूप निखर जाता है।
शरीर की जलन : 2 मुट्ठी भर चने का छिलका लें। फिर 2 गिलास पानी लेकर एक मिट्टी के बर्तन में डाल दें और चने का छिलका उसमें भिगो दें। सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पी जायें इससे शरीर की जलन बिल्कुल मिट जाती है।
सदमा : 20 ग्राम काले चने और 25 दाने किशमिश या मुनक्कों को ठण्डे पानी में शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इनको खाली पेट खाने से सदमे आना बंद हो जाता है।
बालरोग : चने के आटे को खूब बारीक पीसकर पानी में मिलाकर गर्म करके बच्चे के पेट पर मालिश करने से आराम आता है।
जलने पर : चने को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से तुरन्त आराम आ जाता है।
सफेद दाग : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और बचा हुआ पानी कपडे़ की पोटली के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर लगातार 6 हफ्तों खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
सिर का दर्द : सिर में दर्द होने पर कच्चे चनों का जूस बनाकर पीने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा नजला-जुकाम भी ठीक हो जाता है। 100 ग्राम नुकती, दाने या मोतीचूर के लड्डू पर आधा चम्मच घी और 10 पिसी हुई कालीमिर्च डालकर खाने से कमजोरी से होने वाला सिर दर्द समाप्त हो जाता है।
त्वचा का मुलायम और चमकदार होना : चने के बेसन को गुलाबजल में घोलकर चेहरे और पूरे शरीर पर मल लें। 10 मिनट के बाद नहा लें। इससे त्वचा में जो चिकनाई होती है वह निकल जाती है।
शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाना : लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर शाम को 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। अब इस दाल को सुबह उठकर किशमिश और मिश्री में मिलाकर अच्छी तरह से चबाकर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का  बल भी बढ़ता है।
शरीर की लम्बाई : रात को सोते समय थोड़े से देशी चने लेकर उनको पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को 2-3 तीन महीने तक खाना चाहिए।
जुकाम : 50 ग्राम भुने हुए चनों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। इस पोटली को हल्का सा गर्म करके नाक पर लगाकर सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और सांस लेने में परेशानी नहीं होती है। गर्म-गर्म चने को किसी रूमाल में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। चने को पानी में उबालकर इसके पानी को पी जायें और चने को खा लें। चने में स्वाद के लिए कालीमिर्च और थोड़ा-सा नमक डाल लें। चने का सेवन करना जुकाम में बहुत लाभ करता है।
खूनी बवासीर : सेंके हुए गर्म-गर्म चने खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है
कब्ज : 1 या 2 मुट्ठी चनों को धोकर रात को भिगो दें। सुबह जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पीने से कब्ज दूर होती है। अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहूं के आटे में चने को मिलाकर इसकी रोटी खाने से कब्ज मिट जाती हैं। रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
रूसी : 4 बड़े चम्मच चने का बेसन एक बड़े गिलास पानी में घोलकर बालों पर लगायें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे सिर की फरास या रूसी दूर हो जाती है।
श्वास नली के रोग : रात को सोते समय एक मुट्ठी भुने या सेंके हुए चने खाकर ऊपर से एक गिलास दूध पीने से श्वास नली (सांस की नली) में जमा हुआ बलगम निकल जाता है।
शरीर में दर्द : कमर, हाथ-पैर जहां कहीं भी दर्द हो, उस जगह पर बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। एक बार मालिश किये हुए बेसन को दुबारा मालिश के काम में ला सकते हैं। इस तरह से मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है।
शरीर पुष्टि : भीगी हुई चने की दाल में शक्कर मिलाकर रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर पुष्ट होता है। इसे खाकर पानी न पिये।
दाद-खुजली : चने के आटे की रोटी बिना नमक की लगभग 2 महीने तक लगातार खाने से दाद, खुजली और रक्तविकार (खून के रोग) नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ घी भी ले सकते हैं।
त्वचा का कालापन : लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध, थोड़ा सा पानी सभी को मिलाकर पेस्ट सा बनाकर पहले चेहरे पर मले और फिर सारे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार का उबटन करते रहने से त्वचा का कालापन दूर हो जाएगा।
तेलीय त्वचा : यदि चिकनी त्वचा है तो बेसन में गुलाबजल मिलाकर चेहरे व शरीर पर लगाएं। इससे त्वचा का तैलीयपन हट जाता है।
चेहरे का सौंदर्यवर्धक : चने की भीगी हुई दाल को पीसकर उसमें हल्दी तथा कुछ बूंदे किसी तेल की डालकर उबटन बनाएं। यह बहुत ही लाभकारी होता है।
उल्टी : रात को एक मुट्ठी चने को एक गिलास पानी में भिगो देते हैं। सुबह इसके पानी को छानकर पी लेते हैं। यदि गर्भवती स्त्री को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू का सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भवती स्त्री की उल्टी बंद हो जाती है।
सफेद दाग : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। 24 घंटे बाद अंकुर निकलने पर इन चनों को चबा-चबाकर लगातार कुछ महीने तक खाते रहने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं।
माता के दूध में वृद्धि : यदि माता अपने बच्चे को दूध पिलाने में दूध की कमी प्रतीत कर रही हो तो उसे लगभग 50 ग्राम काबुली चने रात को दूध भिगोकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। सुबह दूध को छानकर अलग कर लेते हैं। इन चनों को चबा-चबाकर खाएं। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पी लेते हैं। ऐसा करने से दूध बढ़ जाता है।
माँ बनने में सहायक : यदि किसी भी औरत को माँ ना बनने का भय हो उसे चनों का काढ़ा पिलाना चाहिए इससे माँ बनने की संभावना बढ़ जाती है।
पित्ती : 100 ग्राम चने के बेसन से बने मोतिया लड्डुओं के साथ 10 पिसी कालीमिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की गर्मी में लाभ मिलता है।
पेशाब का बार-बार आना : 25 से 50 ग्राम की मात्रा में भुने हुए चने खूब चबाकर खायें बाद में ऊपर से थोड़ा गुड़ खाकर पानी पी लें। आधा महीने तक यह प्रयोग लगातार आधा पेट खाना खाने के बाद करें यदि पाचन क्रिया खराब हो तो इसे न लें।
श्वास या दमा का रोग : भुने हुए चने रात में खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से सांस की नली का बलगम निकल जाता है।लगभग 150 ग्राम सेंके हुए चने व 150 ग्राम खेरी गोन्द को अलग-अलग पीसकर चूर्ण बनाकर दोनों को मिला देते हैं। दिन में 3-4 बार 2-3 चुटकी चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) में लाभ मिलता है।
खांसी : चने का जूस बनाकर पीने से जुकाम और कफज-बुखार में लाभ मिलता है।
गैस्ट्रिक अल्सर : चने का सत्तू बनाकर पीने से गैस्ट्रिक के मरीज को लाभ होता है।
अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना) : चने को पानी में भिगोकर रातभर रख दें। सुबह इसका पानी पीने से भस्मक-रोग (बार-बार भूख लगना) मिट जाता है।
वमन (उल्टी) : चनों को रात को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसका पानी पी लें। अगर किसी गर्भवती औरत को उल्टी हो रही हो तो भुने हुए चने का सत्तू (जूस) बनाकर पिलायें।
कच्चे चनों को पानी में भिगोकर रख दें। फिर कुछ समय बाद उसी पानी को छानकर पीने से उल्टी होना बंद जाती है।
हिचकी का रोग : चने की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है। चना और अरहर की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी नहीं आती है।
कुष्ठ रोग में चना : कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान यदि तीन साल तक अंकुरित चने खाएं। तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। 
अस्थमा रोग में : अस्थमा से पीडि़त इंसान को चने के आटे का हलवा खाना चाहिए। इस उपाय से अस्थमा रोग ठीक होता है।
त्वचा की समस्या में : चने के आटे का नियमित रूप से सेवन करने से थोड़े ही दिनों में खाज, खुजली और दाद जैसी त्वचा से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं।
कफ और सांस की नली से संबंधित रोग : लंबे समय से चली आ रही कफ की परेशानी में भुने हुए चनों को रात में सोते समय अच्छे से चबाकर खाएं और इसके बाद दूध पी लें। यह कफ और सांस की नली से संबंधित रोगों को ठीक कर देता है।
चेहरे की चमक के लिए चना : चेहरे की रंगत को बढ़ाने के लिए नियमित अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए। साथ ही आप चने का फेस पैक भी घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकेत हो। चने के आटे में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है। महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड जरूर खाना चाहिए।
दाद खाज और खुजली : एक महीने तक चने के आटे की रोटी का सेवन करने से त्वचा की बीमारियां जैसे खुजली, दाद और खाज खत्म हो जाती हैं

Wednesday 27 November 2019

बादाम दिल को बनाये सेहतमंद ओर कैंसर का खतरा कम करे

 ''स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मन बसा करता है।'' जब शरीर स्वस्थ रहता है तो हम स्वस्थ्य योजना की कल्पना करते हैं तथा इसे कार्यरूप देते हैं किन्तु शरीर जब स्वस्थ नहीं है तो अर्जित भोग की वस्तुए भी धरी रह जाती है। हम लोगों को भोग करते तो देखते हैं किन्तु भोग नहीं कर पाते।  जीवन जीने के लिये समुचित मात्रा में शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है। किन्तु स्वस्थ जीवन जीने के लिये, शुद्ध पेयजल तथा संतुलित आहार की जरुरत होती है। आज मे स्वस्थ जीवन के लिए बादाम के बारे उसके गुणो के बारे मे बता रहा हु 
बादाम(Almond) में स्वस्थ वसा, फाइबर, प्रोटीन, मैग्नीशियम और विटामिन ई और ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है i बादाम के खाने से हमारा स्वास्थ्य सही रहता है  बादाम उच्च ब्लड शुगर (high blood sugar) के स्तर को कम करता उच्च रक्तचाप (high blood pressure) और कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को कम करने में मदद करता हैं। बादाम खाने से भूख का एहसास कम होता और वजन घटाने में बादाम बहुत लाभकारी हैं। बादाम में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट बादाम छिलके की भूरे रंग की परत में होता हैं। इस कारण से, blanched  बादाम (छिला बादाम) एक स्वास्थ्य के नजरिए से सबसे अच्छा विकल्प नहीं हैं। भोजन की आदत तथा पर्यावरण जिसमें मनुष्य जीवनयापन करता है, ये घनिष्ट संबंध होता है जिसके लिये मनुष्य सर्वप्रथम स्वयं पर्यावरण से संबंध स्थापित करता है तत्पश्चात उस पर्यावरण के अनुसार वह अपनी आदतें तथा स्वभाव को समायोजित करता है। इन आदतों में मनुष्य सर्वप्रथम भोजन की आदतों का समायोजन तथा बाद में अन्य आवश्यकताओं में संतुलन स्थापित करता है।
भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को कार्य के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है।

(अ) शारीरिक विकास, वृद्धि एवं जैविक कार्यों के लिये ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ।
(ब) शरीर निर्माण करने वाले पोषक पदार्थ
(स) स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले पदार्थ
 स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले पदार्थ मे आप बादाम का सेवन करना शुरू करे बादाम के फायदे के बारे मे आपको बता रहा हु आप जरूर बादाम खाये ओर स्वस्थ रहे 
बादाम खाने के फायदे
बादाम (Almonds) विटामिन, खनिज, प्रोटीन और फाइबर से भरे होते हैं, और कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़े होते हैं। बस एक मुट्ठी बादाम हमारे दैनिक प्रोटीन की जरूरत का आठवें हिस्‍से की भरपाई करता है। बादाम को सामान्‍य तरीके से भी खाया जा सकता है। इसके अलावा आप इसे भिगोकर, दूध में डालकर और अन्‍य खाद्य पदार्थों के साथ इसका सेवन कर सकते हैं। बादाम एक ऐसी प्रजाति है जो भारत, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में पाई जाती है। जंगली बादाम में एक शक्तिशाली टॉक्सिन होता है। कुछ प्रमाण बताते हैं कि बादाम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। स्वस्थ‍ रहने के लिए प्रतिदिन बादाम का सेवन करें। बादाम में मौजूद पोषक तत्व याद्दाश्त बढ़ाने का भी काम करते हैं। 
दिल को बनाये सेहतमंद
बादाम आपके दिल को सेहतमंद बनाये रखने का काम करता है। शोधों में यह बात सामने आयी है कि सप्‍ताह में पांच दिन बादाम का सेवन करने वाले लोगों में सामान्‍य लोगों की अपेक्षा हृदयाघात का खतरा 50 फीसदी तक कम होता है। बादाम में मौजूद विटामिन ई, एण्टीआक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह दिल की बीमारियों को दूर रख उसे बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। 
सुधारे रक्‍त संचार
बादाम में पौटेशियम की मात्रा काफी अधिक होती है और साथ ही सोडियम भी काफी कम मात्रा में होता है। इससे हमारे शरीर में रक्‍त संचार सुचारू बना रहता है। रक्‍त संचार सुचारू रहने से शरीर के हर अंग में ऑक्‍सीजन सही प्रकार पहुंचती है और सभी अवयवों को सामान्‍य रूप से काम करने में मदद मिलती है।
हड्डियां बनाये मजबूत
बादाम में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। कैल्शियम हड्डियों के लिए जरूरी होता है। इसलिए बादाम का सेवन करने वालों को हड्डियों की बीमारी यानी ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम हो जाता है। इसके साथ ही कैल्शियम दांतों को भी मजबूत बनाने का काम करता है।
कैंसर का खतरा कम करे
बादाम में फाइबर काफी अधिक मात्रा में होता है। फाइबर हमारी पाचन क्रिया को दुरुस्‍त बनाये रखने का काम करता है। पाचन क्रिया ठीक रहने से कोलोन कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है। 
शक्तिवर्द्धक
बादाम में कई पोषक तत्‍व होते हैं। इसमें प्रोटीन, मैगनीज, कॉपर, राइबोफ्लाविन आदि मौजूद होते हैं। ये सब पोषक तत्‍व शरीर को भरपूर शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते हैं। सुबह के समय बादाम के साथ दूध का सेवन करने से शरीर को पूरी शक्ति मिलती है। 
याद्दाश्त बढ़ाये
स्‍मरण शक्ति को अच्‍छा बनाये रखने के लिए बादाम को काफी उपयोगी माना जाता है। बादाम का सेवन अल्‍जाइमर और अन्‍य मस्तिष्‍क संबंधी रोगों को दूर करने में मदद करता है। रोजाना सुबह पांच बादाम भिगोकर खाने से दिमाग तेज होता है। 
डायबिटीज से बचाये
शोध में यह बात सामने आयी है कि बादाम में मौजूद तत्‍व भोजन के बाद बढ़ने वाली रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में मदद करते हैं। इससे शरीर में ब्‍लड शुगर का स्‍तर सामान्‍य बना रहता है। नियमित रूप से बादाम का सेवन करने से शरीर को डायबिटीज से लड़ने में मदद मिलती है
प्रसव बनाये आसान
बादाम में फॉलिक एसिड होता है, जो प्रसव संबंधी समस्‍याओं से बचाने का काम करता है। फॉलिक एसिड भ्रूण के समुचित विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसा माना जाता है कि जो महिलायें गर्भावस्‍था के दौरान फॉलिक एसिड का सेवन करती हैं, उनके बच्‍चे अपेक्षाकृत अधिक स्‍वस्‍थ होते हैं।
त्‍वचा का रखे ध्‍यान
बादाम का तेल बेहतरीन माश्‍चराइजर है। इसमें ऑलिन ग्‍लासेराइड एसिड होता है। जो एक्‍ने, ब्‍लैकहैड्स को दूर करता है साथ ही शुष्‍क त्‍वचा से भी निजात दिलाता है। इसमें विटमिन ई भी होता है, जो स्‍वस्‍थ त्‍वचा के लिए जरूरी माना जाता है। यह त्‍वचा पर चमक लाने का काम करता है। इसके साथ ही छोटे बच्‍चों की मालिश के लिए भी बादाम का इस्‍तेमाल किया जाता है, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत बनती हैं।
बालों की समस्‍याओं से बचाये
बादाम का तेल बालों की सभी प्रकार की समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है। इससे बालों का गिरना, डैंड्रफ और असमय सफेद होना रुकता है। इसके साथ ही यह बालों को जड़ों से मजबूत बनाने का काम भी करता है। और साथ ही उन्‍हें चमकदार और घना भी बनाता है।
कुदरती माश्‍चराइजर
बादाम को कुदरती माश्‍चरइाजर माना जाता है। यह आपके चेहरे के लिए क्‍लींजर का काम करता है और साथ ही उसकी चमक भी बढ़ाता है। अपने चेहरे को साफ करने के लिए आप बादाम के तेल की कुछ बूंदें इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस तेल को ऊपर की ओर मसाज करें। रोजाना ऐसा करने से आपको एक चमकदार और नाजुक त्‍वचा मिलेगी। यह आपकी त्‍वचा में जल्‍द अवशोषित हो जाता है और इससे रोमछिद्र भी बंद नहीं होते। 
मेकअप रिमूवर
बादाम का तेल प्राकृतिक मेकअप रिमूवर है। चेहरे से मेकअप हटाने के लिए रूई के फोहे पर कुछ बूंदे बादाम के तेल की डालकर उससे मेकअप हटाने का काम करें। इसके साथ ही यह आंखों के नीचे की झुर्रियां हटाने में भी काफी मददगार होता है। 
सिर की त्‍वचा के लिए फायदेमंद
धूल, मिट्टी और गर्मी से हमारे सिर की त्‍वचा पर काफी गंदगी जमा हो जाती है। इसके साथ ही बालों को संवारने में इस्‍तेमाल होने वाले उत्‍पाद भी उसकी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। बादाम का तेल बालों की जड़ों में गहरा समाकर सिर की त्‍वचा की कोशिकाओं को नरम बनाता है जिससे उन्‍हें भरपूर पोषण मिल जाता है।

Tuesday 26 November 2019

पपीता स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

                    

पपीता स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी है। यह पाचन तंत्र को मजबूत तो बनाता ही है साथ ही में मोटापे को भी कम करता है। पपीते में कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। आप पपीता को जूस के तौर पर भी ले सकते हैं। थाई एवं मलेशियन खाने में पपीते का काफी इस्तेमाल होता है। इसकी कई तरह की डिश बनती हैं। प्राचीन काल से घरेलू उपचार के तौर पर भी पपीते का इस्तेमाल होता है।

त्वचा के साथ ही पपीता आपके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। हर रोज पपीता खाने से आपको कई तरह की बीमारियां नहीं होती हैं। पपीते की चटनी भी बनती है। वैसे तो पपीते को बिना पकाए ही खाना ज्यादा लाभकारी होता है। लेकिन कई लोग कच्चे पपीते की सब्जी भी बड़े चाव से खाते हैं।पपीता सिर्फ मोटापा ही नहीं घटाता बल्कि आपकी आंखों के लिए भी लाभकारी होता है। अगर आपको कब्ज है तो रोज पपीता खाएं इससे पेट साफ होगा।

अमेरिका के कृषि विभाग का डाटा बताता है कि 100 ग्राम पपीते में 43 ग्राम कैलोरी होती है। पपीता खाने से शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती है। 100 ग्राम पपीते में 0.47 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है। अगर फाइबर की बात करें तो 100 ग्राम पपीते में 1.7 ग्राम फाइबर होता है। 100 ग्राम पपीते में 10.82 ग्राम कार्बोहाइड्रेड और 7.8 ग्राम शुगर की मात्रा होती है। ऐसे में जो लोग अपने मोटापे को कम करना चाहते हैं वह प्रतिदिन डाइट में पपीते का सेवन कर सकते हैं।

पपीते में कैल्शियम, पौटेशियम और मैग्नेशियम की मात्रा भी होती है। 100 ग्राम पपीते में 20 ग्राम कैल्शियम एवं 21 ग्राम मैग्नेशियम होता है।जबकि 182 ग्राम पौटेशियम होता है। इसकी वजह से पपीता पाचन प्रक्रिया के लिए फायदेमंद होता है। पपीते में कोलेस्ट्रोल की मात्रा जरा-सी भी नहीं होती है। इसकी वजह से यह हृदय के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। पपीते में मौजूद फाइबर आपके खाने को पचाता है और कब्ज की शिकायत दूर करता है। पपीता का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन के लिए भी किया जाता है। इसका फेस पैक बनाकर चेहरे पर लगाया जाता है। इससे त्वचा निखरती है और कोमलता बरकरार रहती है। पपीते में विटामिन ए, सी और के की मात्रा होती है जो संक्रमण से बचाती है।

पपीते के पत्तों का जूस पीने से- डेंगू और चिकनगुनिया के रोगियों को इसका जूस पीने की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर आप ताउम्र स्वस्थ रहना चाहते हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है.

1. कैंसर सेल्स का बढ़ने से रोके - पपीते के पत्तों में कैंसररोधी गुण होते हैं जो कि इम्‍यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्‍ट कैंसर जैसे कैंसर के सेल्स को बनने से रोकते हैं.

2. इंफेक्शन से बचाए- शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ ही पपीते के पत्तों का जूस शरीर में बैक्‍टीरिया की ग्रोथ रोकने में भी सहायक है. यह खून में वाइट ब्‍लड सेल्‍स और प्‍लेटलेट्स को बढ़ाने में भी मदद करता है.

3. डेंगू की रामबाण दवा- डेंगू और मलेरिया से लड़ने में पपीते की पत्‍तियों का जूस काफी लाभकारी रहता है. यह बुखार की वजह से गिरती प्लेटलेट्स को बढ़ाने और शरीर में कमजोरी को बढ़ने से रोकता है.

4. पीरियड्स के दर्द को करे दूर- पीरियड्स में होने वाला दर्द बहुत जानलेवा होता है और ऐसे में अगर पपीते की पत्‍ती को इमली, नमक और 1 ग्लास पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बनाया जाए और इसे ठंडा करके पिया जाए तो काफी आराम मिलता है.

5. खून की कमी में लाभदायक- पपीते का रस की औषधि से कम नहीं है. अगर आपकी ब्‍लड प्‍लेटलेट्स कम हो रही हैं तो इसे पीने से ब्‍लड प्‍लेटलेट्स बढ़ जाती हैं. बस रोजाना इस जूस को दो चम्‍मच लगभग तीन महीने तक पिएं.

6 कोलेस्ट्रॉल कम करन में सहायक - पपीते में उच्च मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. साथ ही ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है. अपने इन्हीं गुणों के चलते ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है.

7. वजन घटाने में - एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है. ऐसे में अगर आप वजन घटाने की बात सोच रहे हैं तो अपनी डाइट में पपीते को जरूर शामिल करें. इसमें मौजूद फाइबर्स वजन घटाने में मददगार होते हैं .

8 . रोग प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में- रोग प्रतिरक्षा क्षमता अच्छी हो तो बीमारियां दूर रहती हैं. पपीता आपके शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी की मांग को पूरा करता है. ऐसे में अगर आप हर रोज कुछ मात्रा में पपीता खाते हैं तो आपके बीमार होने की आशंका कम हो जाएगी.

9 . आंखों की रोशनी बढ़ाने में- पपीते में विटामिन सी तो भरपूर होता ही है साथ ही विटामिन ए भी पर्याप्त मात्रा में होता है. विटामिन ए आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में भी कारगर है.

10 पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में- पपीते के सेवन से पाचन तंत्र भी सक्रिय रहता है. पपीते में कई पाचक एंजाइम्स होते हैं. साथ ही इसमें कई डाइट्री फाइबर्स भी होते हैं जिसकी वजह से पाचन क्रिया सही रहती है.

पपीता खाने का सही समय - हर फल में अपने अलग अलग औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो उसे बाकि फलों के मुकाबले सबसे ख़ास बनाते हैं ठीक इसी प्रकार से कुछ फलों को खाने का समय भी निश्चित किया गया है. क्यूंकि बे-वक़्त खाया गया फल भी मनुष्य की सेहत पर भारी पड़ सकता है. कुछ फलों को शाम के छह बजे के बाद खाना ज़हर खाने के समान्य होता है क्यूंकि यह फल शाम में खाने से हमारी पाचन प्रक्रिया पर गहरा असर करते हैं. इसलिए सूबह के समय फलों का सेवन सबसे उत्तम माना जाता है.  यदि आप भी पपीता खाने के शौक़ीन हैं तो इसको नाश्ते में जरुर खाएं. क्यूंकि पपीता हमारे पेट के लिए एक सहिष्णु है इसलिए अगर इसको नाश्ते में खाया जाए तो ये ना केवल आपको तारो ताज़ा रखता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी कंट्रोल में रखता है. पपीता खाने के सही समय की बात की जाए तो सुबह 5 बजे से सुबह 9 बजे तक का समय पपीते के सेवन के लिए सबसे उपयोगी है

Monday 25 November 2019

मूली - पेट के लिए किसी अमृत से कम नहीं है

अगर आप मूली को अपनी डाइट में शामिल करेंगे  तो आप डायबिटीज, पेट की प्रॉब्‍लम्‍स, ब्‍लड प्रेशर, कैंसर आदि कई बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे

सर्दियों में सलाद, पराठे और सब्‍जी के रूप में लगभग हर घर में मूली खाई जाती है। क्‍या आप जानते हैं कि मूली सिर्फ खाने में ही स्‍वादिष्‍ट नहीं होती बल्कि आपकी हेल्‍थ के लिए भी बहुत फायदेमंद है। मूली में क्लोरीन, फास्फोरस, सोडियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन ए, बी और सी भी होता है।  दिखने में मामूली लगने वाली मूली औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अगर आप रोजाना इसे अपनी डाइट में शामिल करेंगे तो आप डायबिटीज, पेट की प्रॉब्‍लम्‍स, ब्‍लड प्रेशर, कैंसर आदि कई बीमारियों से कोसों दूर रहेंगी। आइए जानें मूली हमारी हेल्‍थ के लिए कितनी फायदेमंद होती है।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर- 10 ग्राम मूली में 0.1 ग्राम फैट, 4.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.6 ग्राम डाइट्री फाइबर, 2.5 ग्राम शुगर, 0.6 ग्राम प्रोटीन, 36 प्रतिशत विटमिन सी, 2 प्रतिशत कैल्शियम, 2 प्रतिशत आयरन, 4 प्रतिशत मैग्नीशियम होता है। जी हां मूली में बहुत सारे पौष्टिक तत्‍व होते हैं जो आपकी पूरी बॉडी के लिए बेहद ही फायदेमंद होते है।

पाचक का काम करती है मूली - पेट के लिए मूली बहुत फायदेमंद होती है। मूली एक पाचक की तरह काम करती है। पेट की कई बीमारियों में मूली का रस बहुत फायदेमंद होता है। अगर पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो मूली के रस को नमक में मिलाकर पीने से आराम मिलता है। ताजी मूली खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा, मूली पित्त उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। पित्त पाचन के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है। इससे आपकी पाचन क्रिया सही रहती है। पेट संबंधी रोगों में अगर मूली के रस में अदरक का रस और नींबू मिलाकर पिएं तो भूख बढ़ती है।

बॉडी डिटॉक्‍स करें- मूली किडनी हेल्‍थ के लिए बहुत अच्छी होती है क्‍योंकि इसे खाने से बॉडी आसानी से डिटॉक्‍स हो जाती है। इसमें डाइयूरेटिक गुण होने के कारण इसे नेचुरल क्लिंजर कहा जाता है। इसके अलावा मूली में फाइबर ज्यादा होता है, जो कब्ज के लिए रामबाण है। यह आंतों को हेल्‍दी रखता है।

बीपी में फायदेमंद है
मूली- मूली में एंटी हाइपरटेंसिव गुण पाया जाता है, जो ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करने में हेल्‍प करती है। इसके अलावा मूली में पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम भी होता है, जो बॉडी में सोडियम और पोटैशियम के अनुपात को बैलेंस करते हुए ब्लड प्रेशर बिगड़ने नहीं देता। अगर आप भी बीपी से परेशान हैं तो अपनी डाइट में मूली को शामिल करें।

लिवर के लिए फायदेमंद- मूली खाने से लिवर की क्रिया बेहतर होती है। लिवर की परेशानी होने पर रेगुलर अपने भोजन में मूली का सेवन करना चाहिए। साथ ही पीलिया रोग में भी ताजी मूली का प्रयोग बहुत ही उपयोगी होता है। रेगुलर रूप से 1 कच्ची मूली सुबह खाने से कुछ ही दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है

पाइल्स में फायदेमंद- पाइल्स के मरीजों को कच्ची मूली का ही सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो इसे घिसकर खा सकते हैं। या फिर इसका रस निकालकर भी पी सकती हैं। लेकिन मूली के रस का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। पाइल्‍स के रोगियों को अक्‍सर मूली खाने की सलाह दी जाती है क्‍योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो मल को मुलायम करने और डाइजेशन को सही रखने में हेल्‍प करती है। यह पाइल्‍स के दौरान पैदा होने वाले दर्द और सूजन को कम करती है। इसके अलावा मूली ठंडक देने का काम करती है, जिससे जलन में भी राहत मिलती है। पाइल्स के मरीजों को कच्ची मूली का सेवन ही करना चाहिए। तो देर किस बात की इन सर्दियों आप भी अपनी डाइट में इसे शामिल करें और हेल्‍दी रहें।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर - 10 ग्राम मूली में 0.1 ग्राम फैट, 4.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.6 ग्राम डाइट्री फाइबर, 2.5 ग्राम शुगर, 0.6 ग्राम प्रोटीन, 36 प्रतिशत विटमिन सी, 2 प्रतिशत कैल्शियम, 2 प्रतिशत आयरन, 4 प्रतिशत मैग्नीशियम होता है। जी हां मूली में बहुत सारे पौष्टिक तत्‍व होते हैं जो आपकी पूरी बॉडी के लिए बेहद ही फायदेमंद होते है।

मूली के पत्तों का रस 3 दिन में दूर करता है पीलिया रोग - पीलिया होने पर भूख लगना बंद हो जाती है। गर्मी तथा बरसात के दिनो में जो रोग सबसे अधिक होते है। उनमें से एक है पीलिया। पीलिया होने पर भूख लगना बंद हो जाती है। इसमें आंख नाखून और शरीर पीला नजर आने लगता है। इस रोग को घरेलू उपचार से ठीक किया जा सकता है। पीलिया में फिटकरी और मूली के पत्तों का बहुत उपयोगी है। पीलिया में रोगी को निम्न चीजों का सेवन करना चाहिए.. दही में फिटकरी को पीसकर दही में मिलाकर खाने से पीलिया 3 से 8 दिन में ठीक हो जाता है।  मूली के पत्तों का रस निकालकर उसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं। एक हफ्ते में पीलिया ठीक हो जाता है।

  • गुर्दे संबंधी परेशानियों के लिए मूली का रस और मूली दोनों ही रामबाण उपाय है। इसके रस में सेंधा नमक मिलाकर नियमित रूप से पीने पर गुर्दे साफ होते हैं और गुर्दे की पथरी भी समाप्त हो जाती है।

    • मूली के पत्ते- लगातार हिचकी आने से परेशान हैं तो मूली के पत्ते आपकी मदद कर सकते हैं। मूली के मुलायम पत्तों का चबाकर चूसने से हिचकी आना तुरंत बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं मुं‍ह की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा।
    • दातों की समस्या या पीलापन खत्म करना हो तो इसके छोटे-छोटे टुकड़ों में नींबू का रस डालकर दांतों पर रगड़ें या कुछ देर तक चबाते रहें और थूक दें। इस तरह से दांतों का पीलापन कम होगा। मूली के रस का कुल्ला करने पर भी दांत मजबूत होंगे।
    • नींद न आने की समस्या – अगर आपको नींद नहीं आती, तो मूली खाना आपके लिए बेहद जरूरी है। यह न केवल नींद न आने की समस्या से छुटकारा दिलाएगी बल्कि नींद लेने के लिए प्रेरित करेगी।

  • मोटापा – मूली मोटापा घटाने में सहायक होता है। जो लोग मोटापे से परेशान है और मोटापा कम करना चाहते है। वो इसके रस में निम्बू और सेंधा नमक मिलाकर दिन में सेवन करे। इस घरेलु नुस्खे से मोटापा धीरे धीरे घटने लगता है।
    दमा – जिन्हे साँस यानी दमा की बीमारी है वो मूली के जूस का काढ़ा पिए यह दमे के लिए बेहतरीन दवा है।
    पेट में गैस – इसे खाने से पाचन क्रिया में सुधर होता है। भोजन जल्दी और आसानी से पांच जाता है। जिनके पेट में गैस बनती है। उन्हें जरूर इसको अपने भोजन में शामिल करना चाइये। मूली गैस के लिए रामबाण दवा का काम करती है। पेट में गैस होने पर खाली पेट इसके दुकड़ो को नमक के साथ खाये

Sunday 24 November 2019

आंवला के फायदे, उपयोग और नुकसान

                              आमला के फायदे - लेखक - उत्तम जैन 

आंवला  छोटा-सा फल है, लेकिन गुणों के मामले में इसकी कोई तुलना नहीं है। लगभग हर घर में प्रयोग होने वाला यह फल कई मामलों में गुणकारी है। फिर चाहे आप इसे अचार के तौर पर खाएं या इसका जूस पिएं या फिर औषधी के तौर पर प्रयोग करें, हर लिहाज से यह फायदेमंद है। हालांकि कुछ लोग आंवला खाने के फायदे नहीं जानते जो अमृततुल्य है  आज इस लेख में हम आंवला के फायदे तो आपको बता ही रहे हैं, साथ ही आंवला के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।आंवले के कई अन्य नाम भी है, अंग्रेजी में आंवला को एम्ब्लिका मायरोबेलन या इंडियन गूजबेरी (Indian gooseberry) कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी व पंचरसा कहते हैं। इस छोटे से फल के जितने नाम है, उतने ही इसके फायदे भी हैं   

                        
  1. वज़न घटाने में सहायक

  2. हड्डियों के लिए फायदेमंद

  3. दिल के लिए सुरक्षित

  4. पाचन शक्ति को बढ़ाता है

  5. लिवर के लिए फायदेमंद

  6. डायबिटीज में लाभकारी

  7. बालों के लिए फायदेमंद

  8. त्वचा के लिए लाभदायक

यहां हम आंवला के फायदों को विस्तार से वर्णित कर रहे हैं।

1. गले में खराश के लिए आंवला - बदलते मौसम के साथ बीमारियां लगी रहती है, कभी बुखार तो कभी सर्दी-खांसी और गले में खराश। अगर आप भी गले में खराश से परेशान हैं, तो आंवला एक कारगर घरेलू उपाय साबित हो सकता है। आप आंवले के रस का काढ़ा बनाकर उसका सेवन कर सकते हैं। आंवले की तरह ही आंवला रस के फायदे भी होते हैं। आंवला में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं , जो बुखार या गले की खराश में मददगार साबित हो सकते हैं। बेशक, अभी तक इसका कोई खास प्रमाण सामने नहीं आया है, लेकिन कई लोग आंवले को गले में खराश के वक़्त उपयोग करते हैं।आंवले के जूस में बारीक़ कटा हुआ अदरक और एक चम्मच शहद मिला लें।फिर इसे सिरप की तरह पिएं।

2. दिल के लिए आंवला - आजकल की असंंतुलित जीवनशैली के कारण लोगोंं का वज़न बढ़ने लगा है, जिससे हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियां हो रही हैं। ऐसे में अगर आंवला का सेवन करने से शरीर में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियां होने का खतरा कम होता है। वहीं, यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसके सेवन से एथेरोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी आर्टरी बीमारी (atherosclerosis and coronary artery disease) जैसी दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है 

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3. डायबिटीज में आंवले का सेवन- एक वक़्त था जब डायबिटीज एक उम्र के बाद होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आजकल के असंतुलित जीवनशैली के कारण डायबिटीज किसी को भी हो सकती है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप वक़्त रहते इस पर ध्यान दें। अगर किसी को डायबिटीज है, तो वो आंवला का सेवन कर सकते हैं। आंवले में एंटी-डायबिटिक गुण हैं , जो डायबिटीज के खतरे को कम करते हैं। इसके अलावा, डायबिटीज के मरीज़ आंवले का सेवन करते हैं, तो उनका ब्लड ग्लूकोज़ लेवल कम हो सकता है । यह डायबिटीज के मरीज़ों में कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम कर सकता है  हालांकि, अभी तक इसका कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है, लेकिन इस विषय पर वैज्ञानिक शोध जारी है।आंवला और हल्दी को मिलाकर मिश्रण बना लेंफिर सुबह-सुबह इस मिश्रण का सेवन करें इससे आपका ब्लड शुगर लेवल संतुलित हो सकता है।

4. बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकता है- आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं] जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से कुछ हद तक रोक सकते हैं। यह मुक्त मूलकों के प्रभाव को नियंत्रित कर, बढ़ते उम्र के प्रभाव को कम कर सकता है। अगर आंवला और हल्दी का सेवन एकसाथ किया जाए, तो बढ़ती उम्र का प्रभाव कम होता है, क्योंकि इन दोनों में ही कई औषधीय गुण होते हैं ।

5. बार-बार पेशाब लगने की गतिविधि बढ़ जाती है- सही आहार न लेने से या सही जीवनशैली न होने के कारण शरीर में विषैले पदार्थ जमने लगते हैं, जिनका बाहर निकलना ज़रूरी होता है। इसके लिए आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करने की ज़रूरत होती है। आंवले में डायूरेटिक (diuretic) गुण होते हैं , इसलिए इसका सेवन करने से आपको बार-बार पेशाब जाने की ज़रूरत महसूस हो सकती है। इसके सेवन से आपका शरीर डिटॉक्सीफाई होता है और आपके शरीर के विषैले पदार्थ मूत्र के ज़रिए बाहर निकल जाते हैं। 

6 पाचन शक्ति के लिए आंवला-व्यस्तता भरी ज़िंदगी के कारण लोग अपने खाने-पीने पर ध्यान नहीं देते, जिस कारण पाचन तंंत्र खराब हो जाता है। कभी-कभी तो पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां भी होने लगती है। ऐसे में कुछ लोग दवाइयों के आदि हो जाते हैं, जिसके साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इन सब समस्याओं का आंवला ही एकमात्र उपचार है। आंवले में फाइबर होता है  और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन क्रिया के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। आंवले से अल्सर, गैस्ट्रिक और पाचन क्रिया से संबंधित समस्याएं काफ़ी हद तक कम हो सकती हैं ।

7. आंवला रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है- कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमज़ोर होती है, इसलिए बदलते मौसम के साथ ही उन्हें सर्दी-खांसी व बुखार हो जाता है। ऐसे में अगर आंवला का सेवन किया जाए, तो रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफ़ी हद तक सुधार होता है । आंवला में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और कई अन्य गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन-सी शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है।

8. हड्डियों को मज़बूत बनाता है आंवला- बढ़ती उम्र के साथ-साथ हमारी हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि वक़्त रहते इस पर ध्यान दिया जाए, नहीं तो आगे चलकर आर्थराइटिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। कई बार ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी से हड्डियों से जुड़ी परेशानियां होने लगती है। ऐसे में दवाइयों के आदि बनने से पहले घरेलू उपायों को आजमाया जाए और सबसे आसान घरेलू उपाय है आंवला। आंवले में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं। इसके अलावा, इसमें विटामिन-सी भी होता है  जो आपकी हड्डियों की परेशानी को दूर कर सकता है। कोशिश करें कि हर रोज़ आंवले का रस या थोड़ा आंवला अपने आहार में शामिल करें। इससे हड्डियां मज़बूत होगी और हड्डियों की बीमारी का ख़तरा कम हो सकता है।

9. आंवले से बढ़ती है आंखों की रोशनी - हम ज्यादा वक्त कंप्यूटर, टीवी व मोबाइल के आगे बिताते हैं, नतीजन हमारी नजर कमजोर होने लगती है। इसके अलावा, कई बार धूल-मिट्टी और प्रदूषण के कारण आंखों में संक्रमण, पानी आने, जलन की समस्या और अन्य कई परेशानी होने लगती है, जिसका वक़्त रहते इलाज ज़रूरी होता है। ऐसे में अगर आंवले को हर रोज़ अपने आहार में शामिल किया जाए, तो न सिर्फ आंखों की रोशनी तेज़ होगी, बल्कि आंखों में संक्रमण होने का खतरा भी कम होगा। आप आंवले के रस को शहद के साथ पी सकते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व आपकी आंखों की रोशनी में सुधार कर सकते हैं ।

10. आंवले से पथरी की समस्या दूर होती है- गुर्दे में पथरी की परेशानी बहुत ही पीड़ादायक होती है और अगर वक़्त रहते इसका इलाज न किया जाए, तो इससे मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है। पथरी की परेशानी के लिए दवाइयां तो ज़रूरी होती ही हैं, लेकिन इसी के साथ आंवले के रस का सेवन करने से भी आराम मिल सकताा है । कई बार डॉक्टर भी आंवले का जूस पीने की सलाह देते हैं।

11 आंवला मोटापे को कम करता है- जब मोटापा बढ़ता है, तो शरीर में बीमारियां भी बढ़ती है। ऐसे में ज़रूरी है कि वज़न संतुलित रहे। इसके लिए व्यायाम तो ज़रूरी है ही साथ ही सही खान-पान भी आवश्यक है। अगर आप हर रोज़ आंवला या आंवले के जूस का सेवन करेंगे, तो मोटापे की समस्या से काफ़ी हद तक छुटकारा मिल सकता है। आंवला पोषक तत्वों का भण्डार है और यह एंटी-ओबेसिटी भी है । इसके अलावा, यह मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है, जो वज़न कम करने में मददगार साबित हो सकता है। इसका सेवन करने से पेट काफ़ी देर तक भरा-भरा लगता है, जिस कारण ज़्यादा कुछ खाने की इच्छा नहीं होती और वज़न बढ़ने का खतरा भी कम रहता है।

12. आंवला एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है- आंवले में कई पोषक तत्व और गुण होते हैं और उन्हीं गुणों में से एक है एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण । इसके कारण पेट में किसी भी प्रकार की समस्या, सूजन या अन्य तकलीफ से काफ़ी हद तक राहत मिल सकती है।

13. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है - आंवले में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, जो मेटाबॉलिज्म की गतिविधि को बढ़ाता है। यह मेटाबॉलिज्म ही होता है, जिसके धीमे पड़ जाने से वज़न बढ़ने लगता है। वहीं, आंवले के सेवन से मेटाबॉलिज्म की गतिविधि में बढ़ोतरी होती है और यह आपके वज़न को संतुलित रख सकता है । खासकर डायबिटीज में यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है और मेटाबॉलिज्म में सुधार लाता है ।

14. खून को साफ़ करता है आंवला - खून में अशुद्धियां होने के कारण कई बार इसका असर आपके शरीर और त्वचा पर दिखने लगता है जैसे – पिंपल निकलना, चेहरे पर दाग-धब्बे होना, थकान होना, कमज़ोरी होना व पेट की समस्या होना। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सही खान-पान अपनाएं। आप खून की अशुद्धियां साफ करने के लिए रोज अपने आहार में आंवला या आंवले का रस शामिल कर सकते हैं। आंवले में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एन्टीइंफ्लेमेटरी गुणों के अलावा और कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं , जो आपके खून की अशुद्धियों को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं

 15 लिवर के लिए आंवले का सेवन - गलत खान-पान के कारण लिवर से जुड़ी कई बीमारियां हो जाती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आप हर रोज़ कुछ स्वस्थ चीज़ अपने आहार में शामिल करें और इन स्वस्थ चीज़ों में से एक है आंवला। अगर आप आंवला या आंवले के जूस का सेवन करते हैं, तो आपकी पेट, पाचन शक्ति और लिवर संबंधी समस्याएं बहुत हद तक कम हो सकती है। आंवले के सेवन से गैस, पीलिया या दस्त जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है ।

16. कैंसर से बचाव करता है आंवला- कैंसर भी आजकल सामान्य बीमारी बनती जा रही है। किसे, कब कैंसर हो जाए, कह नहीं सकते। ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने खान-पान का खास ध्यान रखें। आप आंवले को अपने आहार में शामिल करें, इससे कैंसर का खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण मौजूद होते हैं। आप रोज़ आंवले का अंचार या ऐसे ही आंवले का सेवन कर सकते हैं । आंवला जूस के फायदे भी हैं, इसलिए आप इसका सेवन भी एक सीमित मात्रा में कर सकते हैं।

17 त्वचा के लिए आंवले के फायदे –  ये तो थे आंवला के स्वास्थ्य संबंधी फायदे, लेकिन क्या आपको पता है कि आंवला आपकी त्वचा पर भी निखार ला सकता है। नीचे हम त्वचा के लिए आंवला के कुछ फायदे बता ही रहे हैं और साथ ही आंवले के कुछ फेस पैक बनाने की विधि भी बता रहे हैं। इन फेस पैक को आप आसानी से घर में ही बना सकते हैं।

चमकती त्वचा के लिए आंवला - चेहरे की चमक बरकरार रखने के लिए ज़रूरी नहीं कि हर बार आप क्रीम का इस्तेमाल करें, आप घरेलू उपाय भी आज़मा सकते हैं। आंवला उन्हीं घरेलू उपायों में से एक है। आप त्वचा में चमक लाने के लिए हर रोज़ आंवले के जूस का सेवन कर सकते हैं। अगर आंवले या आंवले के जूस का सेवन नहीं करना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए हुए फेसपैक भी लगा सकते हैं।

चमकती त्वचा के लिए आंवले का फेसपैक -आंवला पाउडर और पपीते के कुछ डुकड़ों को मिलाकर एक फेसपैक तैयार कर लें।इस फेसपैक को लगाने से पहले अपने चेहरे को अच्छे से धो लें।फिर फेसपैक लगाकर सूखने दें।जब फेसपैक सूख जाए, तो चेहरे को अच्छे से धो लें।इस फेसपैक को आप हफ्ते में एक या दो बार लगा सकते हैं।

आंवले में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन पोषक तत्वों से आपकी त्वचा में चमक आ जाती है और चेहरा खिलखिलाने लगता है। इस फेसपैक के अलावा आप आंवला जूस का भी फेस पैक बना सकते थे। आपको बस आंवले के रस को थोड़ी देर लगाकर रखना है और फिर उसे पानी से धो लें। इससे आपके चेहरे पर धीरे-धीरे प्रकृतिक चमक आने लगेगी।

त्वचा की रंगत सुधारता है आंवला - गोरा रंग पाने की चाहत लगभग हर किसी को होती है। इसके लिए लोग तरह-तरह की क्रीम और ट्रीटमेंट करवाते हैं, जिसका कभी-कभी त्वचा पर बुरा असर भी पड़ता है। ऐसे में आंवले के इस्तेमाल से प्राकृतिक तौर पर आपकी त्वचा के रंग में परिवर्तन तो आएगा ही साथ ही साथ त्वचा में चमक आ जाएगी।पपीते के कुछ टुकड़ों को अच्छे से मसल लें। अब इसमें आधा या एक चम्मच आंवले का पेस्ट और आधा चम्मच शहद मिला लें।
 इसे अच्छे से मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इस फेस मास्क को अच्छे से अपने चेहरे पर लगा लें और थोड़ी देर सूखने दें। सूखने के बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें। आंवले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-सी त्वचा की रंगत को सुधारने में मदद कर सकता है । वहीं पपीता और शहद त्वचा को हाइड्रेट करते हैं व नमी बरक़रार रखते हैं। शहद आपकी त्वचा के लिए काफ़ी फायदेमंद होता है। इस फेस पैक से आपकी त्वचा की रंगत में काफी निखार आएगा । अगर आपको फेस पैक लगाना पसंद नहीं है या आपको फेस पैक लगाने का वक़्त नहीं मिल रहा है तो आप आंवला और शहद का जूस भी पी सकते हैं। 

Saturday 23 November 2019

मेथी के फायदे, उपयोग और नुकसान

लेखक - उत्तम जैन ( प्राकृतिक चिकित्सक )
 सर्दियां आते ही बाजार में मेथी बहुतायत नजर आने लगती है। सब्जी से लेकर पराठे तक में इसका प्रयोग किया जाता है। जहां यह खाने में स्वादिष्ट है, वहीं आयुर्वेद के नजरिए से भी इसके कई फायदे हैं। भारत में सदियों से इसके पत्ते और दानों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसका पौधा दो-तीन फुट लंबा होता है और इसकी फली में छोटे-छोटे पीले-भूरे रंग के सुगंधित दाने होते हैं। भूमध्य क्षेत्र, दक्षिण यूरोप और पश्चिम एशिया में इसकी खेती बहुतायत में होती है। विनय आयुर्वेदा के इस लेख में हम मेथी के फायदों  के बारे में ही बताएंगे। साथ ही मेथी से नुकसान के बारे में भी जानकारी देंगे भारत में क्षेत्रवार के अनुसार मेथी को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। जहां हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली और पंजाबी में इसे मेथी कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसका नाम मेथिका है। कन्नड़ में इसे मेन्तिया, तेलुगु में मेंतुलु, तमिल में वेंडयम, मलयालम में वेन्तियम, अंग्रेजी में फेनुग्रीक और लेटिन में त्रायिगोनेल्ला फोएनम ग्रीकम के नाम से जाना जाता है।
 सेहत, त्वचा और बालों के लिए मेथी के फायदे

1. डायबिटीज :

शुगर के मरीजों को अक्सर अपनी डाइट में मेथी के दाने शामिल करने के लिए कहा जाता है। इसके सेवन से शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। टाइप-2 डायबिटीज के लिए मेथी के दाने किस तरह से फायदेमंद है, इस पर वैज्ञानिकों ने कई शोध किए, जिसके सकारात्मक प्रभाव नजर आए । शोध में पाया गया कि मेथी के दाने में घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन की क्रिया को धीरे कर देता है। यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन और अवशोषण की दर को कम कर देता है। मेथी के दाने रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करते हैं।

2. कोलेस्ट्रॉल : शोध के अनुसार मेथी के दानों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता है। खासकर, यह एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को शरीर से खत्म करने में कारगर है। मेथी के दानों में नारिंगेनिन नामक फ्लेवोनोइड होता है। यह रक्त में लिपिड के स्तर को कम कर सकने में सक्षम होता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिस कारण मरीज का उच्च कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है 

3. आर्थराइटिस का दर्द :उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों में सूजन आने लगती है, जिस कारण असहनीय दर्द होता है। इसे जोड़ों का दर्द या फिर आर्थराइटिस कहा जाता है। इससे निपटने के लिए मेथी रामबाण नुस्खा है, जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है।मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुणकारी तत्व जोड़ों की सूजन को कम करके आर्थराइटिस के दर्द से राहत दिलाते हैं। मेथी में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए, मेथी के सेवन से हड्डियों व जोड़ों को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और स्वस्थ व मजबूत रहते हैं  मेथी के दानों में पेट्रोलियम ईथर एक्सट्रैक्ट नामक यौगिक भी पाया जाता है। साथ ही लिनोलिक व लिनोलेनिक एसिड भी होता है। इसलिए, मेथी दाने के फायदे (methi dana ke fayde) जोड़ों व हड्डियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिला सकते हैं।

4. ह्रदय के लिए :

ह्रदय बेहतर तरीके से काम कर सके, उसके लिए मेथी के सेवन की सलाह दी जाती है। जो लोग नियमित रूप से मेथी का सेवन करते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम होती है और अगर दौरा पड़ भी जाए, तो जानलेवा स्थिति से बचा जा सकता है। विभिन्न शोधों में पाया गया है मृत्यु दर के पीछे दिल का दौरा एक प्रमुख कारण होता है। यह तब होता है, जब ह्रदय की धमनियों में रुकावट आ जाती है। वहीं, मेथी के दाने इस स्थिति से बचाने में सक्षम होते हैं। अगर दिल का दौरा पड़ भी जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव को पैदा होने से रोकते हैं। ह्रदयाघात के दौरान ऑक्सीडेटिव तनाव की स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। साथ ही मेथी के बीच शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित रखते हैं, जिस कारण धमनियों में किसी भी प्रकार की रुकावट पैदा नहीं होती ।

5. मासिक धर्म में फायदेमंद :हर महिला को मासिक धर्म के दौरान असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। मेथी के दाने इससे राहत दिलाने में कारगर काम करते हैं। साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी राहत दिलाते हैं।मेथी के दानों में एंटीइंफ्लेमेटरी व एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि मेथी के ये गुणकारी तत्व मासिक धर्म में होने वाली हर तरह की पीड़ा से राहत दिला सकते हैं । इतना ही नहीं, मेथी के दानों से बना पाउडर भी दर्द को कम कर सकता है और थकावट, सिरदर्द व जी-मिचलाना जैसी समस्याओं को कम करता है। मेथी में सेपोनिन्स व डायोसजेनिन तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। ये मासिक धर्म के समय महिलाओं को होने वाले पेट दर्द से राहत दिलाते हैं।

6. पाचन तंत्र :आजकल हमारा खान-पान जिस तरह को हो गया है, उसके चलते हमारा पाचन तंत्र लगातार खराब हो रहा है। साथ ही पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो जाती हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन करना बेहतर उपाय है।बदहजमी, कब्ज, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओं को मेथी के सेवन से दूर किया जा सकता है। कब्ज और अल्सर के कारण खराब हुए पाचन तंत्र को ठीक करने में मेथी कारगर घरेलू नुस्खा है। मेथी के दानों में अत्यधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिस कारण यह भोजन को पचाकर पाचन तंत्र को बेहतर करता है। साथ ही यह प्राकृतिक ल्यूब्रिकेंट है, जो पेट व आंतों को चिकना व आरामदायक बना कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करता है । इसके सेवन से मल सामान्य होकर आसानी से शरीर से बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दाने एपेंडिक्स के दौरान पेट में जमा हुई गंदगी को भी साफ करने का काम करते हैं। इस प्रकार मेथी दाने के फायदे  पेट की बीमारियों से राहत दिलाते हैं।

7. कैंसरकई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दानों से निकला तेल कैंसर से लड़ने में सहायक होता है।

कैंसर पर किए गए कई अध्ययनों से खुलासा हुआ है कि मेथी में कैंसर से निपटने की क्षमता होती है। मेथी के दाने से निकले तेल में एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल के प्रभाव को कम कर सकते हैं। मेथी के अर्क का सेवन करने से प्रतिरक्षा तंत्र पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है ।

8. बढ़ता है स्तन-दूधस्तनपान करा रहीं महिलाओं को मेथी का सेवन जरूर करना चाहिए, इससे स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ती है। एशिया में शिशुओं को स्तनपान कराने वाली कई माताएं इसका प्रयोग करती हैं। मेथी प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती है। इसे फाइटोएस्ट्रोजन का प्रमुख स्रोत माना गया है। यह स्तपान कराने वाली माताओं में दूध के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है । मेथी के दाने की चाय पीने से भी स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ सकती है। माना जाता है कि मेथी में मैग्नीशियम और जरूरी विटामिन्स होते हैं, जो माताओं में दूध की गुणवत्ता को बढ़ा देते हैं। इसलिए, यह दूध पीने से नन्हे शिशु को भी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और उसका वजन अच्छा होता है

9. वजन नियंत्रणअगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो मेथी आपकी मदद कर सकती है। इसे आप अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।मेथी के दाने शरीर में फैट को जमा नहीं होने देते। साथ ही ये लिपिड और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के स्तर में सुधार लाते हैं, जिससे वजन कम होने लगता है

10. रक्तचाप में सुधार :उच्च रक्तचाप कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। रक्तचाप अधिक होने पर ह्रदय रोग हो सकते हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन किया जा सकता है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11.  किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।  मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं । अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

12. लिवर : शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से काम करते रहें, उसके लिए जरूरी है कि लिवर स्वस्थ रहे। लिवर शरीर से सभी विषैले जीवाणुओं को बाहर निकालने का काम करता है। अगर लिवर खराब हो जाए, तो सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लिवर पर सबसे बुरा असर शराब पीने से होता है। शराब पीने से लिवर की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दाने लिवर को शराब के बुरे प्रभाव से बचाते हैं।शराब हर लिहाज से सेहत के लिए खराब है। अगर आप चाहते हैं कि लिवर अच्छी तरह काम करे, तो शराब से तौबा करना ही बेहतर है। वहीं, जिनका लिवर शराब पीने से प्रभावित हुआ है, उनके लिए मेथी के दाने कारगर साबित हो सकते हैं । मेथी के दाने में पॉलीफेनोलिक तत्व होता है, जो लिवर को नष्ट होने से बचाता है। लिवर के लिए मेथी दाने के फायदे  कारगर इलाज हैं।अब जान लेते हैं कि त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11. बेहतर किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।

मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं (13)। अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

 त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।

12. कील-मुंहासे :जिन्हें अक्सर कील-मुंहासों की शिकायत रहती है, उन्हें मेथी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। मुंहासों को खत्म करने में मेथी मददगार साबित हो सकती है।

प्रयोग की विधि - मेथी के दाने रातभर के लिए पानी में भिगाकर रखें।अगले दिन इन्हें पानी में डाल दें और धीमी आंच पर 15 मिनट उबलने दें।इसके बाद पानी को छान लें और सामान्य होने दें।अब सूती कपड़े को इस पानी में भिगोकर दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं। अगर पानी बच जाए, तो उसे फ्रिज में रख सकते हैं।मेथी के दानों में डायोसजेनिन जैसे जरूरी तत्व होते हैं, जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इस कारण से मेथी मुंहासों को जड़ से खत्म कर सकती है ।

13. एंटी एजिंग :समय के साथ-साथ चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर साफ नजर आने लगता है। ऐसे में मेथी का प्रयोग फायेदमंद हो सकता है। यह त्वचा के लिए गुणकारी औषधि है।

शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव के कारण ही चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर नजर आता है। मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इन फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर देते हैं । वहीं, योगर्ट में लैक्टिक एसिड होता है, जो मृत त्वचा को हटाने का काम करता है। साथ ही त्वचा को मखमली व मुलायम बनाता है ।

14. स्किन मॉइस्चराइजर :अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा पर मॉइस्चराइजर कायम रहे, तो मेथी के दाने अच्छा विकल्प हो सकते हैं। मेथी के दाने स्किन को मॉइस्चराइज करने के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्व भी देते हैं।

प्रयोग की विधि -पाउडर को पानी में मिक्स कर लें, ताकि पेस्ट बन जाए।अब रूई की मदद से इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं।करीब आधे घंटे बाद पानी से चेहरा धो लें।मेथी के दाने चेहरे को धब्बेदार व रूखा होने से बचाते हैं। अगर आप इस विधि से मेथी पाउडर का प्रयोग करते हैं, तो चेहरे का मॉइस्चराइज कहीं नहीं जाएगा

बालों के लिए मेथी के फायदे – 

15. झड़ते बाल :

बालों को जड़ों से मजबूत बनाने के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही यह बालों के रोम छिद्रों से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करती है
प्रयोग की विधि- मेथी के दानों और नारियल तेल को एक जार में डाल दें। अब इस जार को बंद करके किसी ठंडी जगह पर तीन हफ्ते के लिए रख दें। ध्यान रहे कि जार पर सूरज की रोशनी न पड़े।तीन हफ्ते बाद तेल को छान लें और इससे सिर की मालिश करें।
मेथी के दानों में ऐसे हार्मोंस होते हैं, जो बालों को बढ़ने में मदद करते हैं । मेथी के दाने प्रोटीन और निकोटीन एसिड के प्रमुख स्रोत हैं, जो बालों को जड़ों से मजबूत कर उन्हें झड़ने से रोकते हैं।

16. डैंड्रफ :डैंड्रफ होना एक आम समस्या और यह किसी को भी हो सकता है। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में होती है। इस समस्या के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।अगली सुबह मेथी के दानों को पीसकर पेस्ट बना लें।इस पेस्ट में नींबू और नारियल का दूध मिला दें।फिर इस पेस्ट को बालों की जड़ों पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें।इसके बाद बालों की अच्छी तरह मालिश करें और फिर बालों को शैंपू से धो दें।डैंड्रफ मुख्य रूप से सूखे व संक्रमण युक्त स्कैल्प पर होता है। ऐसे में मेथी के दाने इसे ठीक करने में मदद करते हैं 

17. चमकदार बाल :

बालों में चमक बरकरार रखने के लिए मेथी से बने हेयर मास्क का प्रयोग करना चाहिए।मेथी के दानों को गर्म पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें।अगली सुबह इन्हें ग्राइंड करके पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को स्कैल्प व बालों की जड़ों पर लगाएं और फिर पूरे बालों पर लगाएं।इसके करीब 30 मिनट बाद बालों को शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में लेसिथिन और इम्पलस्फाई पदार्थ होते हैं, जो बालों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं । जब इन दानों को पानी में भिगोया जाता है, तो इसमें चिकनापन आ जाता है, जो बालों में चमक लाने का कारण बनता है।

18. समय पूर्व सफेद बालों से बचाव :कई लोगों के बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं। उन्हें इससे राहत पाने के लिए मेथी का प्रयोग करना चाहिए।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह इसे करी पत्ता के साथ ग्राइंड कर लें। अगर पानी की जरूर पड़े, तो उसे डालकर पेस्ट बना लें।करीब आधे घंटे बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जिस कारण यह बालों को असमय सफेद होने से बचाता है। साथ ही मेथी के दाने बालों में पिगमेंट के स्तर को कायम रखते हैं ।अब हम जानेंगे कि मेथी में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं और उनकी मात्रा कितनी होती है।

मेथी के पौष्टिक तत्व –

प्रति 100 ग्राम मेथी के दानों में पोषक तत्व
पोषक तत्वमात्राप्रतिशत (%)
ऊर्जा323 कैलोरी16
कार्बोहाइड्रेट58.35g45
प्रोटीन23g41
फैट6.41g21
कोलेस्ट्रॉल0mg0
डाइटरी फाइबर24.6g65
विटामिन्स
फोलेट57mcg14
नियासिन1.640mg7
पायरीडॉक्सीन0.600mg46
रिबोफ्लेविन0.366mg28
थायमिन0.322mg27
विटामिन-ए60iu2
विटामिन-सी3mg5
इलेक्ट्रोलाइट्स
सोडियम67mg4.5
पोटैशियम770mg16
मिनरल्स
कैल्शियम176mg18
कॉपर1.110mg123
आयरन33.53mg419
मैग्नीशियम191mg48
मैंगनीज1.228mg53
फास्फोरस296mg42
सेलेनियम6.3mcg11
जिंक2.50mg23
मेथी का उपयोग – 
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आयुर्वेद में कहा गया है कि मेथी के दानों की तासीर गर्म होती है। इसका सीधे सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसलिए, मेथी के दानों को कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखना चाहिए, ताकि उसकी गर्माहट कम हो जाए। इसके बाद मेथी के दानों को प्रयोग में लाना चाहिए।
  • मेथी के दानों को एक-दो मिनट के लिए मध्यम आंच पर भून लें और फिर इसे सब्जी या फिर सलाद के ऊपर डाल दें। इससे न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे।
  • एक चम्मच मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह एक गिलास पानी के साथ इनका सेवन करें। जिस पानी में मेथी के दानों को भिगोया था, आप सुबह खाली पेट उसका भी सेवन कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखने के बाद एक कपड़े में बांधकर रख दें। कुछ दिन ऐसे ही रखने के बाद मेथी के दाने अंकुरित हो जाएंगे। अब आप इसे सलाद में मिलाकर सेवन कर सकते हैं। मेथी का इस तरह से सेवन करना सेहत के फायदेमंद है।
  • सर्दियों में लगभग हर घर में मेथी के पराठे और रोटियां बनाई जाती हैं। मेथी का इस प्रकार से सेवन करने से भी शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
  • बुखार होने पर मेथी दाने की हर्बल चाय पीने से फायदा होता है। पानी में मेथी के दाने डालकर उसे उबालें। स्वाद के लिए इसमें नींबू और शहद मिला सकते हैं।
  • मेथी दाने से बना तेल भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे कई प्रकार की औषधियों का निर्माण होता है।
  • मेथी के दाने कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। कब्ज के रोगी को रोज सुबह-शाम एक चम्मच मेथी दाने का सेवन करना चाहिए।
अब लेख के अंतिम भाग हम जानेंगे कि मेथी खाना किस प्रकार नुकसान हो सकता है।

मेथी के नुकसान – 

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इसमें कोई दो राय नहीं कि मेथी के दाने सेहत के लिए लाजवाब हैं। इसे अपने भोजन में शामिल करने से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन इतने फायदों के साथ-साथ इसके नुकसान भी हैं। कुछ मामलों में इसके सेवन से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मेथी से नुकसान के बारे में यहां हम विस्तार से बता रहे हैं।
  1. डायबिटीज : बेशक डायबिटीज के मरीजाें को मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से परेशानी भी हो सकती है। मेथी को जरूर से ज्यादा लेने पर रक्त में शुगर का स्तर प्रभावित हो सकता है।
  2. शरीर व मूत्र से दुर्गंध : अमूमन बैक्टीरिया या फिर किसी संक्रमण के कारण शरीर से बदबू आने लगती है, लेकिन कुछ मामलों में मेथी भी इसका कारण बन सकती है। अधिक मात्रा में मेथी का सेवन करने से शरीर व मूत्र से दुर्गंध आने लगती है।
  3. दस्त : हालांकि, पाचन तंत्र के लिए मेथी के दाने अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार यह दस्त का कारण भी बन जाते हैं। जरूर से ज्यादा मेथी खाने से पेट खराब हो सकता है और दस्त लग जाते हैं। अगर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे खाने से पेट खराब होता है, तो उससे शिशु को भी दस्त लग सकते हैं। इसलिए, ऐसे कोई लक्षण नजर आते ही इसका सेवन बंद कर दें।
  4. हाइपोग्लाइसीमिया : मेथी के दानों के सेवन से कुछ माताओं को हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसमें रक्तचाप बेहद कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क तक ग्लूकोज की पर्याप्त रूप से आपूर्ति नहीं हो पाती है। इस स्थिति में मस्तिष्क को क्षति हो सकती है या फिर मृत्यु भी हो सकती है।
  5. गर्भाशय संकुचन : जैसा कि इस लेख में पहले बताया गया है कि मेथी दाने की तासीर गर्म होती है। अगर गर्भवती महिला इसका अधिक सेवन करती है, तो समय से पहले गर्भाशय संकुचन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मेथी के दानों में ऑक्सीटोसिन होता है, जो गर्भाशय संकुचन का कारण बनता है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं मेथी दाने का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
  6. एलर्जी : कुछ लोगों को मेथी दाने के सेवन से एलर्जी हो सकती है। यह एलर्जी चेहरे पर सूजन के तौर पर नजर आ सकती है। वहीं, कुछ को शरीर पर रैशेज हो सकते हैं, सांस फूलने जैसी समस्या हो सकती है और कुछ बेहोश तक हो जाते हैं। इसके अलावा, कई लोगों को मेथी के सेवन से छाती में दर्द जैसी शिकायत होने लगती है। यह तासीर में गर्म होती है, इसलिए कुछ लोगों को बवासीर, गैस व एसिडिटी तक की शिकायत हो जाती है। साथ ही अगर कोई किसी बीमारी के लिए दवा खा रहा है, तो वो मेथी के दानों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।
  7. बच्चों के लिए हानिकारक : बच्चों के लिए मेथी दाने को सुरक्षित नहीं माना गया है। यह तो हम पहले ही बता चुके हैं कि इसे खाने से दस्त लग सकते हैं। वहीं, इसकी हर्बल चाय पीना भी बच्चों के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि इससे उनकी मस्तिष्क की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसलिए, बेहतर यही है कि मेथी के सप्लीमेंट्स बच्चों को न दें। अगर देना ही चाहते हैं, तो सब्जियों में डालकर दे सकते हैं।
  8. पुरुषों के लिए : जो पुरुष अस्था से पीड़ित हैं, उन्हें मेथी का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस अवस्था में मेथी खाने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वहीं, जिन्हें थायराइड है, उन्हें भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। थायराइड से ग्रस्त ऐसे कई पुरुषों के केस सामने आए हैं, जिन्होंने मेथी का सेवन किया था और उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
बेशक मेथी के दाने दिखने में छोटे-से होते हैं, लेकिन इसके फायदे अनेक हैं, जिनके बारे में आप इस लेख के जरिए जान ही चुके हैं। साथ ही मेथी से नुकसान भी हो सकता है, उसकी जानकारी भी आपको यहां मिल चुकी हैं। इसलिए, अब देरी किए बिना मेथी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ध्यान रहे कि इन्हें सीमित और नियमित रूप से खाएं और अच्छी सेहत को प्राप्त करें। इस पोस्ट को शेयर करे आप भी स्वस्थ रहे मित्रो को भी स्वस्थ बनाए