- हर दिन कच्चा टमाटर खाना शुरू करें.
- सुबह-शाम 2 चम्मच प्याज का रस और उतनी हीं मात्रा में शहद मिलाकर पिएँ.
- जीरा भूनकर चीनी के साथ खाने से फायदा होगा.
- आंवले का रस और शहद लगातार 1 महीने तक सेवन करें. इससे श्वेत प्रदर ठीक हो जायेगा.
- हर दिन केला खाएँ, इसके बाद दूध में शहद डालकर पिएँ. इसके आपकी सेहत भी अच्छी होगी और श्राव के कारण होने वाली कमजोरी भी दूर होगी. कम-से-कम तीन महीने तक यह उपाय करें, दूध के ठंडा हो जाने के बाद उसमें शहद डालें.
- कच्चे केले की सब्जी खाएँ.
- अगर आपके शरीर में खून की कमी है, तो खून बढ़ाने के लिए हरी सब्जियाँ, फल, चुकन्दर इत्यादि खाएँ.
- 1 केला लें, उसे बीच से काट लें. उसमें 1 ग्राम फिटकरी भर दें, इसे दिन या रात में एक बार खाएँ. लेकिन ध्यान रखें कि अगर दिन में खाना शुरू किया तो, दिन में हीं खाएँ. और अगर रात में खाना शुरू किया हो, तो रात में हीं खाएँ.
- तले-भूने चीज या मसालेदार चीज नहीं के बराबर खाएँ.
- योनी की साफ-सफाई का ध्यान रखें.
- मैदे से बनी चीजें न खाएँ.
- एक बड़ा चम्मच तुलसी का रस लें, और उतनी हीं मात्रा में शहद लें. फिर इसे खा लें. इससे आपको आराम मिलेगा.
- . अनार के हरे पत्ते लें, 25-30 पत्ते…. 10-12 काली मिर्च के साथ पीस लें. इसमें आधा ग्लास पानी डालें, फिर छानकर पी लीजिए. ऐसा सुबह-शाम करें.
- भूने चने में खांण्ड (गुड़ की शक्कर) मिलाकर खाएँ, इसके बाद 1 कप दूध में देशी घी डाल कर पिएँ.
- 10 ग्राम सोंठ का, एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पिएँ. ऐसा एक महीने तक करें.
- पीपल के 2-4 कोमल पत्ते लेकर, पीस लें. फिर इसे दूध में उबालकर पिएँ.
- 1 चम्मच आंवला चूर्ण लें और 2-3 चम्मच शहद लें. और इन्हें आपस में मिलाकर खाएँ. ऐसा एक महीने तक करें.
- खूब पानी पिएँ.
- सिंघाड़े के आटे का हलुआ और इसकी रोटी खाएँ.
- 3 ग्राम शतावरी या सफेद मूसली लें, फिर इसमें 3 ग्राम मिस्री मिलाकर, गर्म दूध के साथ इसका सेवन करें.
- नागरमोथा, लाल चंदन, आक के फूल, अडूसा चिरायता, दारूहल्दी, रसौता, इन सबको 25-25 ग्राम लेकर पीस लें. पौन लीटर पानी में उबालें, जब यह आधा रह जाय तो छानकर उसमें 100 ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50 ग्राम सेवन करें.
- माजू फल, बड़ी इलायची और मिस्री को बराबर मात्रा में पीस लें. एक सप्ताह तक दिन में तीन बार लें. एक सप्ताह के बाद फिर दिन में एक बार 21 दिन तक लें.
Tuesday 25 December 2018
महिलाओ को होने वाले श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) का घरेलू इलाज
Sunday 10 December 2017
महिलाओं में माहवारी सम्बंधित समस्त समस्याओं का समाधान
महिलाओं में माहवारी सम्बंधित समस्त समस्याओं का समाधान-एक बार जरूर पढ़ेंमाहवारी के समय अत्यधिक और अनियमित रक्त स्त्राव और माहवारी आने से पहले होने वाली समस्याएं जैसे – जी मिचलाना, उलटी, कमर दर्द, थकावट वगैरह होना मुख्यतः हार्मोनल असंतुलन (estrogenऔरprogesteroneका असंतुलन ) होने के कारण होती है। जिससे गर्भाशय में संकुचन ज्यादा होने लगता है, अत्यधिक और अनियमित (imbalance) रक्तस्त्राव को नियमित करने के लिए एक बहुत ही सरल और Scientifically प्रमाणित घरेलु उपाय जो महिलाओं को उनके रसोई घर में आसानी से मिल जायेगा। अगर कोई PCOS की समस्या से पीड़ित है तो वो भी इसे ले सकते हैं
- 1 कप नारियल का दूध (नारियल का दूध बनाने के लिए पानी वाले नारियल (ये हरा नारियल नहीं है) को कद्दूकस (Grated) करके उसको ब्लेंडर या मिक्सर में एक कप पानी डाल कर Blend करते रहें, जब तक की वो बिलकुल दूध की ना तरह दिखने लगे, फिर उसे किसी कपडे या छलनी से छान लें।
- 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
- 1 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर (2 ग्राम से ज्यादा न लें)
- 1/4 चम्मच अदरक रस (2 ग्राम से ज्यादा न लें)
आप इसे लगातार 1 महीने तक लें, दिन में एक बार। खाना खाने के बाद लें, खाली पेट सेवन ना करें
Thursday 31 August 2017
स्त्री की समस्याएँ व उनका समाधान
- ऐसी हालत में स्त्री को कमर-पेट-पेडू व जांघो का दर्द होने लगता है
- चक्कर आना
- आँखो के सामने अंधेरा आना
- भूख न लगना
- थकावट महसूस होना
- कमजोरी व काम में मन न लगना आदि
- कष्टपूर्ण शिकायतें बन जाती हैं जिससे धीरे-धीरे जवान स्त्री भी ढलती उम्र की दिखाई देने लगती है।
Wednesday 30 August 2017
स्त्री रोग - मासिक धर्म , श्वेत प्रदर कारण व उपचार
स्त्रियों में अनेक प्रकार के ऐसे problems होते हैं जिसके बारे में वे किसी से खुल कर बाते नहीं कर पाती ऐसे सभी स्त्री रोगों को इस blog के द्वारा स्त्रियों तक पहचाने का मेरा एक छोटा सा प्रयास किया है। स्त्री संबंध सभी रोग जैसे- प्रदर, बांझपन, मासिकधर्म की परेशानी, स्तन रोग, योनि के रोग, गर्भाशय की प्रोबल, हिस्टीरिया आदि.
मासिक धर्म चक्र क्या है
10 से 15 साल की आयु की लड़की के अण्डकोष हर महीने एक विकसित अण्डा उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाही नली (फालैपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अण्डकोष को गर्भाषय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाषय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस अण्डे का पुरूष के वीर्य से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है।
माहवारी चक्र की सामान्य अवधि क्या है?
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार।
मासिक धर्म/माहवारी की सामान्य कालावधि क्या है?
हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।
माहवारी मे सफाई कैसै बनाए रखें?
एक बार माहवारी शुरू हो जाने पर, आपको सैनेटरी नैपकीन या रक्त स्राव को सोखने के लिए किसी पैड का उपयोग करना होगा। रूई की परतों से पैड बनाए जाते हैं कुछ में दोनों ओर अलग से (Wings) तने लगे रहते हैं जो कि आपके जांघिये के किनारों पर मुड़कर पैड को उसकी जगह पर बनाए रखते हैं और स्राव को बह जाने से रोकते हैं।
सैनेटरी पैड किस प्रकार के होते हैं?
भारी हल्की माहवारी के लिए अनेक अलग-अलग मोटाई के पैड होते हैं, रात और दिन के लिए भी अलग- अलग होते हैं। कुछ में दुर्गन्ध नाषक या निर्गन्धीकरण के लिए पदार्थ डाले जाते हैं। सभी में नीचे एक चिपकाने वाली पट्टी लगी रहती है जिससे वह आपके जांघिए से चिपका रहता है।
पैड का उपयोग कैसे करना चाहिए?
पैड का उपयोग बड़ा सरल है, गोंद को ढकने वाली पट्टी को उतारें, पैड को अपने जांघिए में दोनों जंघाओँ के बीच दबाएं (यदि पैड में विंग्स लगे हैं तो उन्हें पैड पर जंघाओं के नीचे चिपका दें)
पैड को कितनी जल्दी बदलना चाहिए?
श्रेष्ठ तो यही है कि हर तीन या चार घंटे में पैड बदल लें, भले ही रक्त स्राव अधिक न भी हो, क्योंकि नियमित बदलाव से कीटाणु नहीं पनपते और दुर्गन्ध नही बनती। स्वाभाविक है, कि यदि स्राव भारी है, तो आप को और जल्दी बदलना पड़ेगा, नहीं तो वे जल्दी ही बिखर जाएगा।
पैड को कैसे फेंकना चाहिए?
पैड को निकालने के बाद, उसे एक पॉलिथिन में कसकर लपेट दें और फिर उसे कूड़े के डिब्बे में डालें। उसे अपने टॉयलेट मे मत डालें - वे बड़े होते है, सीवर की नली को बन्द कर सकते हैं।
मासिकधर्म बन्द होने की उम्र-
स्त्रियों में मासिकधर्म अक्सर 40 से 55 साल की उम्र में बन्द होता है ज्यादा से ज्यादा 50 से 52 साल की उम्र में मान लीजिए। पर मासिकधर्म बन्द होने की उम्र 40 से 42 साल भी हो सकती है। मासिकधर्म बन्द होने के समय के लक्षणों में अगर कोई असामान्यता न हो तो चिन्ता करने की कोई बात नहीं है। मासिकधर्म 30 से 32 साल की उम्र मे बन्द होने पर यह धीरे-धीरे कम होते हुए बन्द नहीं होता और कुछ ही मामलों में यह अचानक बन्द हो जाता है तो इस समय के `मीनूपाज´ का यह लक्षण साधारण नहीं है। पर फिर भी अगर मासिकधर्म के समय से पहले बन्द होने पर अगर आपको कोई चिन्ता हो तो डॉक्टर से राय ली जा सकती है।
किसी मामले में अगर 40 साल की उम्र के बाद मासिकधर्म सही तरह और समय से न आए तो इसे `मीनूपाज´ नहीं समझना चाहिए। वैसे सभी स्त्रियों में न तो मासिक धर्म बन्द होने का समय एक सा होता है और न ही एक जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। ये हर स्त्रियों मे अलग-अलग होते हैं। फिर भी इसमें सामान्यता और असामान्यता में अन्तर करने के लिए मासिकधर्म बन्द होने की 3 साधारण प्रक्रियाओं को जानना जरूरी है-
सामान्य स्थितियां-
1. 40 साल की उम्र के बाद अगर मासिकधर्म बिल्कुल बन्द हो जाए और 6 महीने तक न आए तो उसे `मासिकधर्म´ बन्द होने का समय समझा जा सकता है। यह बहुत ही सामान्य स्थिति है।
2. मासिकधर्म बन्द होने के समय थोड़े समय तक मासिकधर्म अगर देर से आने लगे और इसमें स्राव ज्यादा न हो तो यह `मासिकधर्म´ बन्द होने का संकेत है। यह दूसरी सामान्य स्थिति है।
3. मासिकधर्म समय पर ही हो पर उसमे स्राव पहले से थोड़ा और फिर थोड़ा और कम होता जाए और फिर बिल्कुल बन्द हो जाए तो इसे `मासिकधर्म´ बन्द होने की तीसरी सामान्य स्थिति कहते हैं।
4. दूसरी और तीसरी स्थिति के अनुसार मासिकस्राव ज्यादा दिनों के अन्तर से हो या समय पर होकर उसमें खून की मात्रा धीरे-धीरे कम होती जाए, यह अवस्था 6 से 7 महीने तक चल सकती है। फिर यह स्राव बन्द हो जाता है। इन तीनों स्थितियों के अलावा जो लक्षण होते हैं वे `मासिकधर्म´ बन्द होने के संकेत नहीं बल्कि उसकी अनियमितता मानी जानी चाहिए और इसके लिए डॉक्टर से राय जरूर लेनी चाहिए
स्त्रियों में श्वेतप्रदर और उसका उपचार---
स्त्रियों में श्वेतप्रदर रोग आम बात है ये गुप्तांगों से बहने वाला पानी जैसा स्त्राव होता है य़ह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है इसके लिये सबसे पहले जरूरी है साफ सफाई,कब्ज दूर करना,चाय, मैदे की चीजें न खायें ,तली चीजें न खायें। ताजी सब्जियां फल अवश्य खायें काम ,क्रोध,ऊद्वेग से बचें।
श्वेत प्रदर (Leucorrhoea) का उपचार
श्वते प्रदर में पहले तीन दिन तक अरण्डी का 1-1 चम्मच तेल पीने के बाद औषध आरंभ करने पर लाभ होगा। श्वेतप्रदर के रोगी को सख्ती से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
पहला प्रयोगः आश्रम के आँवला-मिश्री के 2 से 5 ग्राम चूर्ण के सेवन से अथवा चावल के धोवन में जीरा और मिश्री के आधा-आधा तोला चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः पलाश (टेसू) के 10 से 15 फूल को 100 से 200 मि.ली. पानी में भिगोकर उसका पानी पीने से अथवा गुलाब के 5 ताजे फूलों को सुबह-शाम मिश्री के साथ खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से प्रदर में लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः बड़ की छाल का 50 मि.ली. काढ़ा बनाकर उसमें 2 ग्राम लोध्र चूर्ण डालकर पीने से लाभ होता है। इसी से योनि प्रक्षालन करना चाहिए।
चौथा प्रयोगः जामुन के पेड़ की जड़ों को चावल के मांड में घिसकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम देने से स्त्रियों का पुराना प्रदर मिटता है।
कच्चे केले की सब्जी खायें,दो केले शहद में डालकर खायें।
गर्मी के दिनों में फालसा खूब खायें शरबत पियें।
कच्चा टमाटर खायें।
सिंघाडे के आटे का हलुआ , तथा इसकी रोटी खायें लाभ होगा।
अनार के ताजे पत्ते अगर मिल जाय तो25,30,पत्ते 10,12,काली मिर्च साथ में पीस ले उसमें आधा ग्लास पानी डालें फिर छान कर पी जायें ,सुबह शाम।
100ग्राम,धुली मूंग तवे पर हल्का भूनकर पीस कर रख लें फिर दो मुठठी चावल एक कप पानी में भिगा दें मूंग दाल चूरण को चावल के पानी में डाल कर पीजायें।श्वेत प्रदर में फायदा होगा।
भुना चना में खांण्ड(गुड़ की शक्कर) मिलाकर खायें,बाद में एक कप दूध में देशी घी डालकर पियें लाभ होगा।
जीरा भूनकर चीनी के साथ खायें।
फिटकरी के पानी से गुप्तांगों को अंदर तक धोयें,सुबह शाम।
10ग्रा. सोंठ एक कप पानी में काढा बनाकर पियें करीब एकमाह।
एक ग्राम कच्ची फिटकरी एक केले को बीच में से काटकर भर दें इसे दिन या रात में एक बार खायें,सात दिन में प्रदर ठीक होगा।
एक बडा चम्मच .तुलसी का रस,बराबर शहद लेकर चाट जायेंसुबह शाम आराम होगा ।
3ग्राम शतावरी या सफेद मूसली, 3ग्रा.मिस्री इसका चूरण सुबह शाम गर्म दूध से लें।इससे रोग तो दूर होगा ही साथ कमजोरी भी दूर हो जायेगी।
माजू फल ,बडी इलायची,मिस्री समान मात्रा में पीसलें एक हफ्ते तक दिन में तीन बार लें ।बाद में दिन में एक बार 21,दिन तक लें लाभ होगा।
शुबह शाम दो चम्मच प्याज का रस बराबर मात्रा में शहदमिलाकरपिये।
नागरमोथा,लाल चंदन,आक काफूल ,अडूसा चिरायता,,दारूहल्दी,रसौता ,हरेक को25ग्रा.पीस लें तीन पाव पानी में उबालें जब आधा रह जाय तो छानकर उसमें 100ग्रा.शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50ग्रम लेने से हर प्रकार का प्रदर ठीक होताहै।
पीपल के दो चार कोमल पत्ते लेकर कूटपीसकर लुग्दी बनाकर दूध में उबालकर पीने से स्त्रियों के अनेक रोग दूर हो जाते है जैसे मासिक धर्म की अनियमितता तथा प्रदर रोग ।
गर्भाशय (बच्चेदानी) में सूजन के लक्षण, कारण और घरेलु उपचार
गर्भाशय की सूजन क्या कारण है-
प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।
पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या फिर अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।
भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है तथा अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।
पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय में सूजन हो जाती है।
जरुरत से जादा अधिक सहवास करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।
औषधियों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है।
गर्भाशय में सूजन का उपचार
रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
गर्भाशय में सूजन से पीड़ित महिला को चटपटे मसालों-मिर्च-तली हुई चीजें और मिठाई से परहेज रखना चाहिए।
चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।