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Saturday 9 September 2017

अनियमित मासिक धर्म के कारण लक्षण और उपचार

10 से 15 साल की आयु की लड़की के अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते हैं।
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है
माहवारी सम्बन्धी समस्याएं—- ज्यादातर महिलाएं माहवारी (Menstrual cycle) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है। यहां समस्या बताने से पहले यह भी बता दें कि माहवारी है क्या. दरअसल दस से पन्द्रह साल की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक परिपक्व अण्डा या अण्डाणु पैदा करने लगता है। वह अण्डा डिम्बवाही थैली (फेलोपियन ट्यूब) में संचरण करता है जो कि अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है तो रक्त एवं तरल पदाथॅ से मिलकर उसका अस्तर गाढ़ा होने लगता है। यह तभी होता है जब कि अण्डा उपजाऊ हो, वह बढ़ता है, अस्तर के अन्दर विकसित होकर बच्चा बन जाता है। गाढ़ा अस्तर उतर जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है। माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है। परन्तु महिलाओं को यह याद करना चाहिए कि माहवारी चक्र के किसी भी समय गर्भ होने की सम्भावना है।
पीड़ा दायक माहवारी क्या होती है?
पीड़ा दायक माहवारी मे निचले उदर में ऐंठनभरी पीड़ा होती है। किसी औरत को तेज दर्द हो सकता है जो आता और जाता है या मन्द चुभने वाला दर्द हो सकता है। इन से पीठ में दर्द हो सकता है। दर्द कई दिन पहले भी शुरू हो सकता है और माहवारी के एकदम पहले भी हो सकता है। माहवारी का रक्त स्राव कम होते ही सामान्यतः यह खत्म हो जाता है।
पीड़ादायक माहवारी का आप घर पर क्या उपचार कर सकते हैं?
निम्नलिखित उपचार हो सकता है कि आपको पर्चे पर लिखी दवाओं से बचा सकें। (1) अपने उदर के निचले भाग (नाभि से नीचे) गर्म सेक करें। ध्यान रखें कि सेंकने वाले पैड को रखे-रखे सो मत जाएं। (2) गर्म जल से स्नान करें। (3) गर्म पेय ही पियें। (4) निचले उदर के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल गोल हल्की मालिश करें। (5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम करें और उसमें श्रोणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें। (6) साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो। (7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें। (8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें। (9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।
पीड़ादायक माहवारी के लिए डाक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए?
यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या रक्त के बड़े-बड़े थक्के निकलते हों तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि माहवारी होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और माहवारी के बाद भी होती रहे तब भी डाक्टर के पास जाना जाहिए।
माहवारी से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?
माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है।
पी.एम.एस. (माहवारी से पहले बीमारी) के कारण क्या हैं?
पी.एम.एस. का कारण जाना नहीं जा सका है। यह अधिकतर 20 से 40 वर्षों की औरतों में होता है, एक बच्चे की मां या जिनके परिवार में कभी कोई दबाव में रहा हो, या पहले बच्चे के होने के बाद दबाव के कारण कोई महिला बीमार रही हो- उन्हें होता है।
पी.एम.एस (माहवारी के पहले की बीमारी) का घर पर कैसे इलाज हो सकता है?
पी.एम.एस के स्व- उपचार में शामिल है-
  • (1) नियमित व्यायाम – प्रतिदिन 20 मिनट से आधे घंटे तक, जिसमें तेज चलना और साईकिल चलाना भी शामिल है।
  • (2) आहारपरक उपाय साबुत अनाज, सब्जियों और फलों को बढ़ाने तथा नमक, चीनी एवं कॉफी को घटाने या बिल्कुल बन्द करने से लाभ हो सकता है।
  • (3) दैनिक डायरी बनायें या रोज का रिकार्ड रखें कि लक्षण कैसे थे, कितने तेज थे और कितनी देर तक रहे। लक्षणों की डायरी कम से कम तीन महीने तक रखें। इससे डाक्टर को न केवल सही निदान ढ़ंढने मे मदद मिलेगी, उपचार की उचित विधि बताने में भी सहायता मिलेगी।
  • (4) उचित विश्राम भी महत्वपूर्ण है।
माहवारी के स्राव को कब भारी माना जाता है?
यदि लगातार छह घन्टे तक हर घंटे सैनेटरी पैड स्राव को सोख कर भर जाता है तो उसे भारी पीरियड कहा जाता है। भारी माहवारी के स्राव के सामाय कारण क्या हैं?
भारी माहवारी स्राव के कारणों में शामिल है –
(1) गर्भाषय के अस्तर में कुछ निकल आना।
(2) जिसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहा जाता है। जिस की व्याख्या नहीं हो पाई है।
(3) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएं
(4) रक्त के थक्के बनने का रोग
(5) अंतरा गर्भाषय उपकरण
(6) दबाव।
लम्बा माहवारी पीरियड किसे कहते हैं?
लम्बा पीरियड वह है जो कि सात दिन से भी अधिक चले। लम्बेमाहवारी पीरियड के सामान्य के कारण क्या हैं?(1) अण्डकोष में पुटि (2) कई बार कारण पता नहीं चलता तो उसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहते हैं (3) रक्त स्राव में खराबी और थक्के रोकने के लिए ली जाने वाली दवाईयां (4) दबाव के कारण माहवारी पीरियड लम्बा हो सकता है।
अनियमित माहवारी पीरियड क्या होता है?
अनियमित माहवारी पीरियड वह होता है जिसमें अवधि एक चक्र से दूसरे चक्र तक लम्बी हो सकती है, या वे बहुत जल्दी-जल्दी होने लगते हैं या असामान्य रूप से लम्बी अवधि से बिल्कुल बिखर जाते हैं। किशोरावस्था के पहले कुछ वर्षों में अनियमित पीरियड़ होना क्या सामान्य बात है?हां, शुरू में पीरियड अनियमित ही होते हैं। हो सकता है कि लड़की को दो महीने में एक बार हो या एक महीने में दो बार हो जाए, समय के साथ-साथ वे नियमित होते जाते हैं।
अनियमित माहवारी के कारण क्या है?
जब पीरियड असामान्य रूप में जल्दी-जल्दी होते हैं तो उनके कारण होते हैं-
(1) अज्ञात कारणों से इन्डोमिट्रोसिस हो जाता है जिससे जननेद्रिय में पीड़ा होती है और जल्दी-जल्दी रक्त स्राव होता है।
(2) कभी-कभी कारण स्पष्ट नहीं होता तब कहा जाता है कि महिला को अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्तस्राव है।
(3) अण्डकोष की पुष्टि
(4) दबाव।
सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो चिन्ता का कोई कारण होता है?
नहीं, चिन्ता की कोई जरूरत नहीं। समय के साथ पीरियड का स्वरूप बदलता है, एक चक्र से दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।
भारी, लम्बे और अनियमित पीरियड होने पर क्या करना चाहिए?
(1) माहवारी चक्र का रिकॉर्ड रखें- कब खत्म हुए, कितना स्राव हुआ (कितने पैड में काम में आए उनकी संख्या नोट करें और वे कितने भीगे थे) और अन्य कोई लक्षण आप ने महसूस किया हो तो उसे भी शामिल करें।
(2) यदि तीन महीने से ज्यादा समय तक समस्या चलती रहे तो डाक्टर से परामर्श करें।
माहवारी का अभाव क्या होता है?
यदि 16 वर्ष की आयु तक माहवारी न हो तो उसे माहवासी अभाव कहते हैं। कारण है-
(1) औरत के जनन तंत्र में जन्म से होने वाला विकास
(2) योनि (योनिच्छद) के प्रवेशद्वारा की झिल्ली में रास्ते की कमी
(3) मस्तिष्क की ग्रन्थियों में रोग।
मासिक धर्म अनियमित होने या बिलकुल न होने के कारण—–
Reasons for missed periods and irregular periods
पीरियड क्या है? मासिक धर्म के चक्र की अवधि आमतौर पर औसत रूप से निकाली जाती है। एक औसत के मुताबिक़ हर 28 दिनों के अंतराल में एक महिला के पीरियड्स (periods) होने चाहिए। इसमें 2 से 3 दिन आगे पीछे अवश्य हो सकते हैं, और ऐसा होना किसी ख़ास चिंता का विषय भी नहीं होता। पर अगर यह अंतराल इससे ज़्यादा बढ़ गया तो इसका मतलब हुआ कि आपके मासिक धर्म की प्रक्रिया अनियमित हो गयी है। ऐसा देखा गया है कि बच्चे के जन्म के समय के दौरान 30% महिलाओं के मासिक धर्म की प्रक्रिया अनियमित हुई है। यह आमतौर पर कोई समस्या नहीं है, पर यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से आपकी स्थिति गंभीर है। अगर आप अनियमित रूप से होने वाले मासिक धर्म से पीड़ित हैं तो ये साफ़ दर्शाता है कि आपके मासिक धर्म में संतुलन का अभाव है। असल में ज़्यादातर अनियमित मासिक धर्म कोई नुकसान नहीं पहुंचाते और शरीर के लिए कोई ज़्यादा घातक भी नहीं होते।
पीरियड टिप्स – आपके पीरियड्स अनियमित कैसे होते हैं? (How exactly is your periods irregular?)
• मासिक धर्म का चक्र तब अनियमित माना जाता है, जब यह 21 दिनों के अंतराल के पहले हो जाए।
• यह तब भी अनियमित माना जाता है, जब यह 8 दिनों से ज्यादा चले।
• चाहे आपके पीरियड्स छूटे हों, जल्दी हो गए हों या फिर देर से ही क्यों ना हो रहे हों, इन सबको अनियमित पीरियड्स की ही श्रेणी में रखा जाता है।
छूटे हुए और अनियमित पीरियड्स के कारण (Reason form missed and irregular periods)
गर्भावस्था (Pregnancy)
मासिक धर्म के अनियमित रूप से होने के पीछे गर्भावस्था भी एक कारण हो सकता है। आप निश्चित रूप से गर्भावस्था के समय मासिक धर्म कर ना होने का अनुभव करेंगी पर इसमें चिंता की कोई बात नहों होती और यह बिलकुल स्वास्थ्यवर्धक होता है। प्रसव काल के बाद का समय भी आपको चिंतित कर सकता है जब आप भारी मात्रा में रक्तपात या इस जैसी किसी अन्य समस्या का सामना करती हैं।
पीरियड की समस्या – गर्भनिरोधक गोलियां (Birth control pills)
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से आपके मासिक धर्म की प्रक्रिया अनियमित होती है। ऐसा करीब 2 महीनों तक हो सकता है, पर आपको कुछ समय के लिए ऐसी स्थिति से गुज़रना पड़ता है। कुछ समय के लिए आपका खून भी निकल सकता है,हालांकि यह सामान्य पीरियड्स की तरह बिलकुल नहीं होता। इन गोलियों की वजह से आपके पीरियड्स लम्बे समय तक छूट भी सकते हैं, परन्तु अंत में जाकर ये नियंत्रित हो जाता है।
मासिक धर्म का न आना – हॉर्मोन का असंतुलन (hormonal imbalance)
मासिक धर्म का अनियमित होना,रुक रुक क़र होना,भारी मात्रा में रक्तपात और खून के थक्के जमना शरीर के हॉर्मोन्स के असंतुलन की वजह से होता है और हॉर्मोन्स के इस असंतुलन को ठीक भी किया जा सकता है। मासिक धर्म की शुरुआत में हॉर्मोन्स को शरीर में हो रहे परिवर्तन के अनुसार खुद को ढालने में वर्षों लग जाते हैं और तब कहीं जाकर मासिक धर्म के होने की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है। आप इसकी वजह से अपने मासिक धर्म के अंत में भी अनियमित मासिक धर्म का अनुभव कर सकती हैं। अतः अगर आपका मासिक धर्म अनियमित है तो आपको ज़्यादा चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पीरियड की समस्या – पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome (PCOS)
यह एक डॉक्टरी समस्या है, जिसकी शिकार कोई भी महिला हो सकती है। यह उन महिलाओं के लिए काफी सामान्य है, जिनकी जीवनशैली अनियमित है तथा जिनका वज़न काफी ज़्यादा है। इस स्थिति के अंतर्गत महिलाओं के अंडाशय (ovary) में छोटे सिस्ट्स (cysts) पैदा हो जाते हैं और ये सामान्य अण्डोत्सर्ग की प्रक्रिया को जटिल बना देते हैं। इस समस्या की शिकार महिलाओं का मासिक धर्म चक्र काफी अनियमित होता है। इससे बांझपन की समस्या तथा मधुमेह और दिल की अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं।
पीरियड्स की समस्या – उम्र (Age)
जब महिलाएं पीरियड्स के शुरूआती महीनों में होती हैं, तो इसका नियमित रूप से ना होना बिलकुल सामान्य है। आपके शरीर को नए परिवर्तनों के अनुसार खुद को ढालने और संतुलन बनाने में थोड़ा सा समय लगता है। कुछ महिलाओं को इस परिवर्तन का आदि होने में कई साल लग जाते हैं। दूसरी तरफ ऐसी महिलाएं, जो रजोनिवृत्ति (menopause) के समय के करीब पहुँच गयी हैं, पीरियड्स के छूटने, हलके या भारी पीरियड्स का अनुभव कर सकती हैं।
मासिक धर्म जल्दी होने के तरीके (period regular karne ke tips)
मासिक धर्म में देरी – गर्भनिरोधक गोलियां (Contraceptive pills): गर्भनिरोधक गोलियों से ना सिर्फ गर्भवती होने के डर से छुटकारा मिलता है, बल्कि पीरियड्स भी जल्दी होते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ये हमारे शरीर के हॉर्मोन्स को नियंत्रित करते हैं। 35 वर्ष से ज़्यादा की महिलाओं को इन दवाओं का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए। ऐसा करने से किसी भी समस्या को समय रहते दूर किया जा सकता है।
अनियमित मासिक धर्म – विटामिन सी (Vitamin C): इससे पीरियड्स जल्दी होते हैं, क्योंकि ये प्रोजेस्टेरोन (progesterone) की कमी कर देता है। इससे आप इन्हें अपने शरीर में प्राप्त नहीं कर पाती, क्योंकि इससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
माहवारी की जानकारी – जड़ीबूटी (Herbs): अदरक और अजवायन ऐसे दो तत्व हैं, जिनकी मदद से आपके पीरियड्स जल्दी होते हैं। ये गर्भाशय को फैलाने में मदद करते हैं, जिससे द्रव्य आसानी से निकलता है। यह आपके शरीर की हॉर्मोन की समस्याओं को भी नियंत्रित कर देते हैं, जो कि देर से पीरियड्स होने का कारण होते हैं। अपनी चाय में अदरक या अजवायन का मिश्रण करें। इसे सुबह एक बार और रात को एक बार पियें