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Sunday 17 September 2017

टॉन्सिलाइटिस के लक्षण-उपचार

अक्सर बड़ी बीमारियों के डर से हम छोटी बीमारियों को नजरअंदाज करदेते हैं।  बड़ी बीमारियां  होंइसकेलिए तो हम अपने खानपान का पूरा ध्यान रखते हैंलेकिन छोटी-  सी दिखनेवाली बीमारी को बढ़ा लेते हैं।  ऐसी ही एक आमसी लगने वाली बीमारी है टॉन्सिलाइटस।  इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है।  यह बादाम के आकार के ऐसे अंग हैंजो हमारे मुंह के अंदर गले के दोनों तरफ होते हैं। टॉन्सिल्स हमारे शरीर के सिक्युरिटी गार्ड के रूप में काम करते हैं और बाहरी इन्फेक्शन सेहमारी हिफाजत करते हैं। ये बाहर से आने वाली किसी भी बीमारी को हमारे शरीर मेंदाखिल होने से रोकते हैं।  अगर हमारे टॉन्सिल मजबूत होंगे तो वे बीमारी को शरीर में जानेसे तो रोकेंगे हीसाथ ही खुद भी उस बीमारी या इन्फेक्शन से बच जाएंगे।अगर टॉन्सिल्सकमजोर होंगे तो वे बीमारी को शरीर में जाने से तो रोक लेंगे लेकिन खुद बीमार हो जाएंगेयानी उनमें सूजन  जाएंगीवे लाल हो जाएंगेउनमें दर्द होगा जिससे बुखार हो जाएगा। इसके अलावा कुछ भी खाने-पीने या निगलने में दिक्कत होगी। अक्सर लोगों की शिकायत होती है कि कुछ भी ठंडा पीते ही उनके गले में दर्द शुरू हो जाता है। उसके बाद खाना-पीना मुश्किल हो जाता है। ऐसा टॉन्सिलाइटिस की वजह से होता है। टॉन्सिलाइटिस होने पर टॉन्सिल्स में यानी गले के दोनों ओर सूजन आ जाती है। शुरुआत में मुंह के अंदर गले के दोंनो ओर दर्द महसूस होता है, बार बार बुखार भी होता है। टॉन्सिल्स सामान्य से ज्यादा लाल हो जाते हैं। टॉन्सिल्स की परेशानी बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। इसलिए जरूरी है कि सर्दियों में बच्चों का खास ख्याल रखा जाए।टॉन्सिल दो तरह के इन्फेक्शन के कारण होता है। वायरल इंफेक्शन के कारण हुए टॉन्सिल्स में खास इलाज की जरूरत नहीं होती। बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुए टॉन्सिल को दवाई के सेवन से ठीक किया जा सकता है। आम तौर पर ये एक हफ्ते में ठीक हो जाता है। लेकिन इंफेक्शन ज्यादा हो तो इसे ठीक होने में अधिक समय लगता है।
कुछ लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि दवाईयां खाने के बाद कुछ दिनों के लिए तो टॉन्सिलाइटिस ठीक हो जाता है लेकिन वो पूरी तरह ठीक नहीं होता है। उन्हें बार-बार टॉन्सिलाइटिस होता है और सांस लेने में भी तकलीफ होती है। ऐसे में ऑपरेशन के जरिए टॉन्सिल्स को निकालने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा गले में हल्का दर्द होते हुए ठंडी या खट्टी चीजों के सेवन से भी टॉन्सिल की परेशानी हो सकती है। 
टॉन्सिलाइटिस होने पर गले में दर्द, खाना निगलने में तकलीफ, टॉन्सिल्स का सूज जाना और दर्द होना, बुखार आना, सिर में दर्द होना, जीभ पर सफेद परत का जम जाती है। 
डॉक्टर कहते हैं कि कई बार टॉसिलाइटिस के रोगी दवाईयां लेना शुरू तो करते हैं पर थोड़ा आराम मिलते ही दवाईयां बंद कर देते हैं। इससे फिर से तकलीफ बढ़ने का ख़तरा बना रहता है। टॉसिलाइटिस के रोगियों को तब तक दवाईयां लेनी चाहिए जब तक पूरा कोर्स न ख़त्म हो जाए। कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि दवा लेने पर टॉन्सिलाइटिस कुछ दिनों के लिए दब तो जाता है पर वो दोबारा उभर जाता है। उनके साथ ऐसा बार-बार होता है। ऐसे में टॉन्सिलाइटिस का ऑपरेशन कराना पड़ता है !