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Wednesday 6 January 2021

पैर का सूजन

 


स्वास्थ्य के प्रति अनदेखी करने से कभी-कभी पूरे शरीर में या फिर किसी अंग विशेष में सूजन आ जाती है विशेषकर पैरों में सूजन आना एक आम समस्या है लेकिन यदि ऐसा बार-बार हो तो यह शरीर में छिपी किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकता है। यह शरीर में अत्यधिक पानी एकत्रित होने के कारण होता है और यह हृदय लिवर या किडनी की किसी समस्या का संकेत होता है। जब शरीर में अतिरिक्त पानी या फ्लूइड जमा हो जाता है तो शरीर में सूजन आने लगती है जिसे इडिमा कहा जाता है। जब यह सूजन टखनों, पैरों और टांगों में आती है तो उसे पेरीफेरल इडिमा कहते हैं। कभी-कभी लम्बे समय तक सफर करने या अनुचित आहार-विहार के कारण भी पैरों में हल्का सूजन आ जाना यह कोई बड़ी समस्या नहीं है लेकिन ज्यादा समय तक रहने वाला सूजन गंभीर बीमारी का संकेत होता है।

पैरों में सूजन होना क्या होता है? 

आयुर्वेद में शरीर में किसी भी अंग में आई सूजन को ‘शोथ’ कहा गया है। शोथ होने पर कफ और वात दोष मुख्य रूप से दूषित होते है। वात एवं कफवर्धक आहार के अत्यधिक सेवन एवं अनुचित जीवनशैली के यह दोष असंतुलित होकर शरीर में जिस जगह अवरूद्ध हो जाते है वहाँ पर शोथ उत्पन्न करते है।

एलोपैथिक उपचार में दी गई औषधियों के कारण ज्यादा मूत्र होने की वजह से सूजन कम होने लगता परंतु  इन दवाइयों के सेवन से व्यक्ति को साइड इफेक्टस होने का खतरा रहता है परंतु आयुर्वेदिक उपचार या प्राकृतिक उपचार होने की वजह से सूजन को ठीक करता है और शरीर पर इसके कोई विपरीत प्रभाव यानी साइड इफेक्ट्स नहीं पड़ते। आयुर्वेदिय उपचार केवल सूजन को नहीं बल्कि रोग को बिल्कुल ठीक करके शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।

पैरों में सूजन होने के कारण (Causes of Swelling in Legs)

पैरों में सूजन होने के और भी बहुत सारे कारण होते हैं, वह हैं-

-पैर में मोच आना।

-दूर तक सैर करना।

-बहुत देर तक पैरों को लटका कर बैठना।

-ज्यादा देर तक खड़े रहना, व्यायाम या फिर खेल-कूद आदि।

-डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep vein thrombosis (DVT) की समस्या।

-रेनल फेल्योर (Renal failure) के कारण।

-हृदय संबंधित रोग।

–उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर।

-महिलाओं में गर्भावस्था के समय।

-कुछ महिलाओं में मासिक धर्म के एक सप्ताह पहले भी पैर में सूजन की समस्या देखी जाती हैं क्योंकि इस दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन (Estrogen) की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से किडनी ज्यादा पानी रोकना शुरू कर देती है।

–अधिक वजन होना।

पैरों में सूजन से बचने के उपाय 

पैरों में सूजन होने से बचने के लिए जीवनशैली और आहार में कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी होता है-

-जंकफूड एवं प्रिजरवेटिव युक्त आहार का सेवन बिल्कुल न करें।

-संतुलित एवं सुपाच्य आहार लें, फाइबर युक्त आहार को अपने भोजन में शामिल करें जैसे- सेब, नाशपाती, केला, गाजर, चुकन्दर, ब्रोक्कली, अंकुरित अनाज, दालों में मूंग, मटर, राजमा, चने, जौ, बादाम, चिया के बीज आदि।

अधिक नमक एवं अधिक मीठे का सेवन न करें।

-प्रतिदिन चुकन्दर (Beetroot) का सेवन करें, यह मूत्रल (diuretic) होने के साथ ही सूजन को भी कम करता है।

-सब्जियों में कद्दू (Pumpkin) का सेवन अवश्य करें। इससे ज्यादा मूत्र निकलने लगता  है तथा सूजन को कम करने में मदद करता है।

-अधिक पानी का सेवन न करें।

-अपने पैरों को लटका कर न बैठें और बहुत दूर तक पैदल न चलें।

-मद्यसेवन एवं कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

-सुबह उठकर नियमित रूप से प्राणायाम करें।

 आयुर्वेदिक इलाज के दौरान इन चीजों से करे परहेज-

-जंक फूड, बासी भोजन, ठण्डे एवं खट्टे पदार्थों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

-अधिक पानी न पिएँ।

-नमक का सेवन बहुत कम करें।

-अधिक दूर तक पैदल नहीं चलना चाहिए।

Wednesday 30 December 2020

50 घरेलु नुस्खों को जीवन में याद रखेगें तो कभी डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा


50 घरेलु नुस्खों को जीवन में याद रखेगें तो कभी डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा

साधारण छोटे-छोटे प्रयोग जिनको आप अवश्य अपनाए कुछ प्रयोग नीचे दिए गए है जो आपके घर में ही उपलब्ध है अजमाए और लाभ ले:-

(1) अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग:-

सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चाय का चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें। चबाएँ नहीं। यह सर्दी,खाँसी,जुकाम, बदनदर्द,कमर-दर्द, पेट दर्द, कब्जियत और घुटनों के दर्द से दूर रखेगा। 10 साल से नीचे के बच्चों को आधा चम्मच 2 ग्राम और 10 से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी 5 ग्राम लेना चाहिए !

(2) मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक :-

सेंधा नमक की लगभग 5 ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबो कर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है।

(3) बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण:-

मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रख कर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रख कर जाएँ। प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।

(4) मुँह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री:-

भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है,गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।

(5) खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़:-

गले में खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। आराम मिलेगा।

(6) पेट में कीड़ों के लिये अजवायन और नमक:-

आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल से देने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट होते हैं। बडों के लिये- चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लेना चाहिये।

(7) अरुचि के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी:-

भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पाँच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।

(8) बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल:-

10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल- दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।

(9) जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रस:-

बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

(10) पेट में वायु-गैस के लिये मट्ठा और अजवायन:-

पेट में वायु बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें।

(11) फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल:-

नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।

(12) सर्दी बुखार और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी:-

तुलसी की 21 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिल बट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भाँति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ। दही खट्टा न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं।

(13) अधिक क्रोध के लिये आँवले का मुरब्बा और गुलकंद:-

बहुत क्रोध आता हो तो सुबह आँवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन खाएँ और शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दूध पी लें। क्रोध आना शांत हो जाएगा।

(14) घुटनों में दर्द के लिये अखरोट:-

सवेरे खाली पेट तीन या चार अखरोट की गिरियाँ खाने से घुटनों का दर्द मैं आराम हो जाता है।

(15) काले धब्बों के लिये नीबू और नारियल का तेल:-

चेहरे व कोहनी पर काले धब्बे दूर करने के लिये आधा चम्मच नारियल के तेल में आधे नीबू का रस निचोड़ें और त्वचा पर रगड़ें, फिर गुनगुने पानी से धो लें।

(16) कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण सुपारी से:-

भोजन के बाद कच्ची सुपारी 20 से 40 मिनट तक चबाएँ फिर मुँह साफ़ कर लें। सुपारी का रस लार के साथ मिलकर रक्त को पतला करने जैसा काम करता है। जिससे कोलेस्ट्राल में गिरावट आती है और रक्तचाप भी कम हो जाता है।

(17) मसूढ़ों की सूजन के लिये अजवायन:-

मसूढ़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूँदें पानी में मिला कर कुल्ला करने से सूजन में आराम आ जाता है।

(18) हृदय रोग में आँवले का मुरब्बा:-

आँवले का मुरब्बा दिन में तीन बार सेवन करने से यह दिल की कम जोरी, धड़कन का असामान्य होना तथा दिल के रोग में अत्यंत लाभ होता है, साथ ही पित्त,ज्वर,उल्टी, जलन आदि में भी आराम मिलता है।

(19) शारीरिक दुर्बलता के लिये दूध और दालचीनी:-

दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लेने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और शरीर स्वस्थ हो जाता है। दो ग्राम दाल चीनी के स्थान पर एक ग्राम जायफल का चूर्ण भी लिया जा सकता है।

(20) हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये दूध और काली मिर्च:-

हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये 10 ग्राम दूध में 250 ग्राम काली-मिर्च का चूर्ण मिला कर रख लें। 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार मक्खन के साथ मिला कर खाएँ।

(21) श्वास रोगों के लिये दूध और पीपल :-

एक पाव दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डाल कर सुबह और ‘शाम पीने से साँस की नली के रोग जैसे खाँसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं।

(22) अच्छी नींद के लिये मलाई और गुड़:-

रात में नींद न आती हो तो मलाई में गुड़ मिला कर खाएँ और पानी पी लें। थोड़ी देर में नींद आ जाएगी।

(23) कमजोरी को दूर करने का सरल उपाय:-

एक-एक चम्मच अदरक व आंवले के रस को दो कप पानी में उबाल कर छान लें। इसे दिन में तीन बार पियें। स्वाद के लिये काला नमक या शहद मिलाएँ।

(24) घमौरियों के लिये मुल्तानी मिट्टी:-

घमौरियों पर मुल्तानी मिट्टी में पानी मिलाकर लगाने से रात भर में आराम आ जाता है।

(25) पेट के रोग दूर करने के लिये मट्ठा:-

मट्ठे में काला नमक और भुना जीरा मिलाएँ और हींग का तड़का लगा दें। ऐसा मट्ठा पीने से हर प्रकार के पेट के रोग में लाभ मिलता है। यह बासी या खट्टा नहीं होना चाहिये।

(26) खुजली की घरेलू दवा:-

फटकरी के पानी से खुजली की जगह धोकर साफ करें, उस पर कपूर को नारियल के तेल मिलाकर लगाएँ लाभ होगा।

(27) मुहाँसों के लिये संतरे के छिलके:-

संतरे के छिलके को पीसकर मुहाँसों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। नियमित रूप से ५ मिनट तक रोज संतरों के छिलके का पिसा हुआ मिश्रण चेहरे पर लगाने से मुहाँसों के धब्बे दूर होकर रंग में निखार आ जाता है।

(28) बंद नाक खोलने के लिये अजवायन की भाप:-

एक चम्मच अजवायन पीस कर गरम पानी के साथ उबालें और उसकी भाप में साँस लें। कुछ ही मिनटों में आराम मालूम होगा।

(29) चर्मरोग के लिये टेसू और नीबू :-

टेसू के फूल को सुखा कर चूर्ण बना लें। इसे नीबू के रस में मिलाकर लगाने से हर प्रकार के चर्मरोग में लाभ होता है।

(30) माइग्रेन के लिये काली मिर्च, हल्दी और दूध:-

एक बड़ा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार रहें। माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा।

(31) गले में खराश के लिये जीरा:-

एक गिलास उबलते पानी में एक चम्मच जीरा और एक टुकड़ा अदरक डालें ५ मिनट तक उबलने दें। इसे ठंडा होने दें। हल्का गुनगुना दिन में दो बार पियें। गले की खराश और सर्दी दोनों में लाभ होगा।

(32) सर्दी जुकाम के लिये दालचीनी और शहद:-

एक ग्राम पिसी दाल चीनी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।

(33) टांसिल्स के लिये हल्दी और दूध:-

एक प्याला (200 मिली ली।) दूध में आधा छोटा चम्मच (2 ग्राम) पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है। रात में इसे पीने के बात मुँह साफ करना चाहिये लेकिन कुछ खाना पीना नहीं चाहिये।

(34) ल्यूकोरिया से मुक्ति:-

ल्यूकोरिया नामक रोग कमजोरी,चिडचिडापन, के साथ चेहरे की चमक उड़ा ले जाता हैं। इससे बचने का एक आसान सा उपाय- एक-एक पका केला सुबह और शाम को पूरे एक छोटे चम्मच देशी घी के साथ खा जाएँ 11-12 दिनों में आराम दिखाई देगा। इस प्रयोग को 21 दिनों तक जारी रखना चाहिए।

(35) मधुमेह के लिये आँवला और करेला:-

एक प्याला करेले के रस में एक बड़ा चम्मच आँवले का रस मिला कर रोज पीने से दो महीने में मधुमेह के कष्टों से आराम मिल जाता है।

(36) मधुमेह के लिये काली चाय:-

मधुमेह में सुबह खाली पेट एक प्याला काली चाय स्वास्थ्यवर्धक होती है। चाय में चीनी दूध या नीबू नहीं मिलाना चाहिये। यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को लाभ पहुँचाती है जिससे मधुमेह में भी लाभ पहुँचता है।

(37) उच्च रक्तचाप के लिये मेथी:-

सुबह उठकर खाली पेट आठ-दस मेथी के दाने निगल लेने से उच्चरक्त चाप को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है।

(38) माइग्रेन और सिरदर्द के लिये सेब:-

सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान हों तो सुबह खाली पेट एक सेब नमक लगाकर खाएँ इससे आराम आ जाएगा।

(39) अपच के लिये चटनी:-

खट्टी डकारें, गैस बनना, पेट फूलना, भूक न लगना इनमें से किसी चीज से परेशान हैं तो सिरके में प्याज और अदरक पीस कर चटनी बनाएँ इस चटनी में काला नमक डालें। एक सप्ताह तक प्रतिदिन भोजन के साथ लें, आराम आ जाएगा।

(40) मुहाँसों से मुक्ति:-

जायफल, काली मिर्च और लाल चन्दन तीनो का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। रोज सोने से पहले 2-3 चुटकी भर के पावडर हथेली पर लेकर उसमें इतना पानी मिलाए कि उबटन जैसा बन जाए खूब मिलाएँ और फिर उसे चेहरे पर लगा लें और सो जाएँ, सुबह उठकर सादे पानी से चेहरा धो लें। 15 दिन तक यह काम करें। इसी के साथ प्रतिदिन 250 ग्राम मूली खाएँ ताकि रक्त शुद्ध हो जाए और अन्दर से त्वचा को स्वस्थ पोषण मिले। 15-20 दिन में मुहाँसों से मुक्त होकर त्वचा निखर जाएगी।

(41) जलन की चिकित्सा चावल से:-

कच्चे चावल के 8-10 दाने सुबह खाली पेट पानी से निगल लें। 21 दिन तक नियमित ऐसा करने से पेट और सीन की जलन में आराम आएगा। तीन माह में यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी।

(42) दाँतों के कष्ट में तिल का उपयोग:-

तिल को पानी में 4 घंटे भिगो दें फिर छान कर उसी पानी से मुँह को भरें और 10 मिनट बाद उगल दें। चार पाँच बार इसी तरह कुल्ला करे, मुँह के घाव, दाँत में सड़न के कारण होने वाले संक्रमण और पायरिया से मुक्ति मिलती है।

(43) विष से मुक्ति:-

10-10 ग्राम हल्दी, सेंधा नमक और शहद तथा 5 ग्राम देसी घी अच्छी तरह मिला लें। इसे खाने से कुत्ते, साँप, बिच्छु, मेढक, गिरगिट, आदि जहरीले जानवरों का विष उतर जाता है।

(44) खाँसी में प्याज:-

अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर रहा हो तो एक चम्मच प्याज के रस को चीनी या गुड मिलाकर चटा दें, दिन में तीन चार बार ऐसा करने पर खाँसी से तुरंत आराम मिलता है।

(45) स्वस्थ त्वचा का घरेलू नुस्खा:-

नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, नहाने से पाँच मिनट पहले पानी मिलाकर इनका उबटन बना लें। इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में लगाएँ और 5 मिनट बाद नहा लें। सप्ताह में एक बार प्रयोग करने से घमौरियों, फुंसियों तथा त्वचा की सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार भी हो जाती है।

(46) पेट साफ रखे अमरूद:-

कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार बजे कम से कम 200 ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाएँ, फायदा अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा। 10 दिन लगातार खाने से पुराने कब्ज में लाभ होगा। बाद में जब आवश्यकता महसूस हो तब खाएँ।

(47) पपीते के बीज के स्वास्थ्य हमारा:-

पके पपीते के बीजों को खूब चबा-चबा कर खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। इन बीजों को सुखा कर पावडर बना कर भी रखा जा सकता है। सप्ताह में एक बार एक चम्मच पावडर पानी से फाँक लेन पर अनेक प्रकार के रोगाणुओं से रक्षा होती है।

(48) मुलेठी पेप्टिक अलसर के लिये:-

मुलेठी के बारे में तो सभी जानते हैं। यह आसानी से बाजार में भी मिल जाती है। पेप्टिक अल्सर में मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है। बस सुबह शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल जाएँ। यह मुलेठी का चूर्ण आँखों की शक्ति भी बढ़ाता है। आँखों के लिये इसे सुबह आधे चम्मच से थोड़ा सा अधिक पानी के साथ लेना चाहिये।

(49) सरसों का तेल केवल पाँच दिन:-

रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद सरसों का तेल पाँच दिनों तक लगातार डालें तो खाँसी -सर्दी और साँस की बीमारियाँ दूर हो जाएँगी। सर्दियों में नाक बंद हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन मालूम होगा।

(50) भोजन से पहले अदरक:-

भोजन करने से दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में लपेट कर [थोड़ा ज्यादा मात्रा में ] अच्छी तरह से चबा लें। दिन में दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई बीमारी नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी

Wednesday 23 December 2020

डिनर छोड़ें : चुस्त दुरुस्त निरोग रहें

बॉलीवुड के सुपरस्टार अक्षय कुमार से एकबार पत्रकारों ने पूछा कि आपकी सेहत का क्या राज है। अक्षय कुमार का जवाब विल्कुल ही आयुर्वेद के सूत्रों पर आधारित था। अक्षय ने कहा कि मैं कभी भी सूरज डूबने के बाद डिनर (रात्रि भोजन) नहीं करता। हमेशा सूर्यास्त के पहले डिनर कर लेता हूं। इसके बाद अक्षय ने इसके फायदे बताए, तो सबलोग दंग रह गए और जब अक्षय ने सूर्यास्त के बाद डिनर करने के नुकसान बताए, तो लोग एकदम से डर गए।

दरअसल यह आयुर्वेद का सूत्र है—

चरक संहिता और अष्टांग संग्रह भी रात में खाने से बचने के लिए कहता हैं;क्योंकि उस समय जठराग्नि, जो खाना पचाने का काम करती हैं,बहुत कमजोर रहती है. जैसे-जैसे सूर्य ढलता है, जठराग्नि भी मंद पड़ने लगती है. 

सायं भुक्त्वा लघु हितं समाहितमना: शुचि:|
शास्तारमनुसंस्मृत्य स्वशय्यां चाथ संविशेत ||

रात्रौ तु भोजनं कुर्यातत्प्रथमप्रहरान्तरे|
किञ्चिदूनंसमश्नयाद्दुर्जरं तत्र पर्जयेत् ||

रात का भोजन सूर्यास्त के पूर्व ही कर लेना चाहिए और पेट भरकर नहीं खाना चाहिए, पेट को कुछ खाली रखकर ही भोजन करना चाहिए. 

हिंदुओं के प्राचीन शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि, “चत्वारि नरक्द्वाराणि प्रथमं रात्रिभोजनम्”, मतलब रात्रिभोजन नरक का पहला द्वार है| 'नरक के द्वार' से अभिप्राय यहां अस्वस्थता ही समझें.
 "जो व्यक्ति शराब, मांस, पेय, सूर्यास्त के बाद खाता है और जमीन के नीचे उगाई सब्जियों का उपभोग करता है; उस व्यक्ति के किये गए तीर्थयात्रा, प्रार्थना और किसी भी प्रकार कि भक्ति बेकार हैं|" 
- महाभारत (रिशिश्वरभरत)

जैन धर्म में भी सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध है. वे तो अबतक पालन कर रहे हैं. 

भगवान बुद्ध भी अपने भक्तों को आयुर्वेद का ये उपदेश देते हुए कहा करते थे कि स्वस्थ और युवा रहना चाहते हो, तो कभी भी सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करो। हमेशा सूर्य डूबने से पहले भोजन कर लो और किसी हाल में सूर्यास्त के बाद कुछ भी न खाओ। लोग उनकी बात मान कर ऐसा ही करते थे और मोटापे सहित कई गंभीर वीमारियों से बचे रहते थे, पर बाद में लोगों ने यह कहकर इसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि चूंकि प्राचीन काल में बिजली नहीं थी, इसीलिए लोग जल्दी खाना खा लेते थे। ऐसा कहने वाले लोगों ने देर रात डिनर करने की आदत लगायी. बहुत पहले लोग रात में नहीं खाते थे. गांव के लोग तो विल्कुल ही नहीं खाते थे. और, अब हाल यह है कि मोटापा दुनिया में महामारी बन चुका है। 
अब जब यही बात अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिक शोध (रिसर्च) के बाद कह रहे हैं, तो सबके कान खड़े हुए हैं।

अगर आप सूरज डूबने से पहले डिनर कर लेंगे, तो यह तय है कि आपको मोटापे की समस्या से कभी नहीं जूझना पड़ेगा और अगर आप मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इससे जरूर मुक्ति मिल जाएगी। अगर आप कब्ज, गैस या दूसरी तरह की पेट की बीमारियों से जूझ रहे हैं या फिर पेट बाहर निकल रहा है, तो सूर्यास्त से पहले भोजन करना इसका रामबाण इलाज है। इससे कब्ज, गैस और दूसरी पेट की वीमारियों से मुक्ति मिलेगी। दरअसल डिनर करने और बेड पर सोने जाने के बीच गैप (समय का अंतर) होना चाहिए। ऐसा न हो कि रात 10 बजे डिनर किया और 10.30 बजे सो गए। जब ऐसा होता है, तो इससे पेट से संबंधित समस्याएं पैदा होती है। कब्ज, गैस और दूसरी समस्याएं होती हैं। इन्हीं समस्याओं से हृदय व्याधि भी होती है.

जब हम सोने जाते हैं तो हमारे शरीर के अधिकांश अंग रेस्ट मोड में चले जाते हैं;पर जब हम देर से डिनर करते हैं, तो हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम सोते वक्त भी पूरी तेजी से काम करता रहता है। इस वजह से गहरी नींद नहीं आती, नींद कई बार टूट भी जाती है, निद्रा-चक्र में व्यवधान होता है, जिससे कलेजे में जलन महसूस होता है. रात में भोजन करने से पेशाब में वृद्धि और उत्सर्जन की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं, जिससे अनावश्यक निद्रा-नाश होता है. अगर हम सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेंगे, तो सुबह सोकर उठने पर खुद को ताजा-ताजा महसूस करेंगे। सुबह  से ही अच्छे मूड में बने रहेंगे. 

बहुत से लोग ये कहने लगते हैं कि हमारा जीवन शैली ही कुछ ऐसी है कि जल्दी नहीं खा सकते, पार्टियों में जाना पड़ता है या फिर प्रोफेशन ही ऐसा है। बॉलीवुड में अपनी फिटनेस के लिए खिलाड़ियों के खिलाड़ी के नाम से मशहूर अक्षय कुमार कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं सूर्यास्त के बाद डिनर नहीं करता। अगर अक्षय ऐसा कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं? आपको चुस्त-दुरुस्त और निरोगी बने रह
ना है, तो डिनर छोड़ ही दें. यह भारतीय संस्कृति है भी नहीं.
विनय आयुर्वेदा 

Monday 14 December 2020

वर्तमान कोरोनाकाल में विटामिन ई की कमी आपको बीमार बना सकती है - विटामिन ई की कमी दूर करने के उपाय

वर्तमान कोरोनाकाल में विटामिन ई की कमी आपको बीमार बना सकती है - विटामिन ई की कमी दूर करने के उपाय
विटामिन ई हमारी बॉडी के लिए जरूरी पोष्क तत्व है जिसकी कमी से शरीर में कई तरह के रोग होने लगते हैं। विटामिन ई वसा में घुलनशील एक विटामिन है। इसकी मुख्य भूमिका एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करना है। कोरोनाकाल में बॉडी में विटामिन ई की कमी को जांचना बेहद जरूरी है। विटामिन ई इम्यून सिस्टम को वायरस और बैक्ट्रिया के खिलाफ मजबूत रखने के लिए मदद करता है। जब हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल पाता तो हमारे शरीर में विटामिन ई की कमी होती है। विटामिन ई की आवश्यकता पुरूष और महिलाओं में उम्र और शारीरिक स्थिति के मुताबिक अलग-अलग होती है।

विटामिन ई की कमी के लक्षण: खड़ा होने में तकलीफ होना, मांस पेशियों का कमजोर होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, पाचन का कमजोर होना और तंदुरुस्त महसूस नहीं होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण है।
विटामिन ई की जांच और उसकी भरपाई:
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खून में विटामिन ई की कमी को कुछ टेस्ट करके आसानी से जांचा जा सकता है। इस विटामिन की कमी की भरपाई डाइट के जरिए आसानी से की जा सकती है। आइए हम आपको बताते हैं कि आप अपनी डाइट में किन चीजों का सेवन करके विटामिन ई की कमी को दूर कर सकते हैं।

सूरजमुखी के बीज देंगे भरपूर विटामिन ई:

सूरजमुखी के बीज में विटामिन ई के अलावा मैग्नीशियम, कॉपर, विटामिन बी1, सेलेनियम और फाइबर मौजूद रहता है। आप सूरजमुखी के बीज को अपने ब्रेकफास्ट में बेहद आसानी से शामिल कर सकते हैं।
बादाम:

बॉडी में विटामिन ई की कमी को दूर करना है तो बादाम का सेवन करें। तकरीबन एक औंस बादाम से आपको 7.3 मिलीग्राम विटामिन ई प्राप्त होता है। वैसे बादाम के सेवन से आपकी याददाश्त तेज होती है, वजन कंट्रोल रहता है, मोटापा और दिल की बीमारियों का जोखिम भी कम होता है।

पाइन नट:

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक बादाम की तरह ही पाइन नट्स में भी विटामिन ई पाया जाता है। दो टेबलस्पून पाइन नट से आपको करीबन 3 मिलीग्राम विटामिन ई प्राप्त होता है।
एवोकैडो:

एवोकाडो कई पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है, जैसे पोटेशियम, ओमेगा −3 एस, और विटामिन सी और विटामिन के। आधा एवोकाडो भी आपके विटामिन ई की दैनिक आवश्यकता का 20 प्रतिशत तक होता है। वैसे आम और कीवी में भी विटामिन ई होता है, लेकिन एवोकाडो में विटामिन ई की मात्रा अधिक पाई जाती है।

पीनट बटर:

मूंगफली और उसकी मदद से बनने वाले मक्खन में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। महज दो टेबलस्पून पीनट बटर के सेवन से आप अपने शरीर के विटामिन ई की दैनिक आवश्यकता का 18 प्रतिशत प्राप्त कर सकते हैं। 

 




 

Sunday 6 December 2020

कालीमिर्च के फायदे--उत्तम जैन (प्राकृतिक चिकित्सक)

काली मिर्च खाने के ये फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काली मिर्च खाने में एक अलग स्वाद ला देती है. इसलिए तो इसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है. काली मिर्च सिर्फ खानों में स्वाद बढ़ाने के काम ही नहीं आती है बल्कि इससे सर्दियों में होने वाली खांसी, जुकाम और इसके साथ ही कई बीमारियां का ईलाज घर बैठे हो जाता है. लेकिन काली मिर्च का ज्यादा सेवन आपकी सेहत को नुकसान दे सकता है. इसलिए हर दिन दो से तीन काली मिर्च आपके शरीर के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित होंगी. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है. आगे पढ़िए काली मिर्च के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में...

सर्दी रहे दूर
काली मिर्च का सेवन करने से सर्दी के मौसम में होने वाली खांसी और जुकाम से आपको राहत मिलती है. साथ ही इसके सेवन से आपका गला भी साफ रहता है. इतना ही नहीं कई लोगों को जुकाम के कारण बाल झड़ने की समस्या हो जाती है, इससे भी आपको आराम मिलता है. काली मिर्च का सेवन कई प्रकार की बीमारियों से आपको राहत देती है.

चर्म रोग दूर करें
यदि आपके शरीर पर फोड़ा या फुंसी होने की आम समस्या है तो काली मिर्च को घिसकर फोड़े वाली जगह पर लगा लें. इससे आपको कम समय में आराम मिल जाएगा. इसके अलावा मुंह पर होने वाले मुहांसों से भी काली मिर्च राहत देती है. हालांकि इसे लगाना आपके लिए थोड़ा परेशान कर सकता है लेकिन तेजी से आराम मिलेगा.

टेंशन होती है दूर
काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है. जिस कारण काली मिर्च लोगों की टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती है. पुराने लोग काली मिर्च के सेवन को काफी तरजीह देते थे.

दांतों के लिए फायदेमंद
काली मिर्च का सेवन दांतों से जुड़ी समस्याओं से राहत देता है. काली मिर्च से मसूड़ों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है. यदि आप काली मिर्च, माजूफल और सेंधा नमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर कुछ बूंद सरसों के तेल में मिलाकर दांतों और मसूड़ों में लगाकर आधे घंटे बाद मुंह साफ कर लें. इससे आपके दांत और मसूड़ों में दर्द होने वाली समस्या भी दूर हो जाएगी.

हिचकी दूर करें
हरे पुदीने की 30 पत्ती, 2 चम्मच सौंफ, मिश्री और काली मिर्च को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें. इस मिश्रण को पीने से हिचकी समस्या दूर हो जाती है. 5 काली मिर्च को जलाकर पीसकर बार-बार सूंघने से हिचकी की समस्या दूर हो जाती है.

गैस और एसिडिटी से फायदा
आधुनिक जीवनशैली के बीच गैस और एसिडिटी की समस्या आम है. यदि आपको भी यह परेशानी है तो नींबू के रस में काला नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर चुटकी भर लें. गैस से होने वाले दर्द में आपको तुरंत आराम मिल जाएगा.

पेट के कीड़ों को दूर करें
काली मिर्च के पाउडर को खाने में इस्‍तेमाल करने से पेट में कीडों की समस्या दूर होती है. इसके अलावा काली मिर्च के साथ किशमिश खाने से भी पेट के कीड़ों की समस्‍या से छुटकारा मिलता है.

कैंसर से बचाव
महिलाओं के लिए काली मिर्च खाना बहुत फायदेमंद होता है. कालीमिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, फ्लेवोनॉयड्स, कारोटेन्स और अन्य एंटी -ऑक्सीडेंट होता है, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

काली मिर्च खाने के ये फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काली मिर्च खाने में एक अलग स्वाद ला देती है. इसलिए तो इसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है. काली मिर्च सिर्फ खानों में स्वाद बढ़ाने के काम ही नहीं आती है बल्कि इससे सर्दियों में होने वाली खांसी, जुकाम और इसके साथ ही कई बीमारियां का ईलाज घर बैठे हो जाता है. लेकिन काली मिर्च का ज्यादा सेवन आपकी सेहत को नुकसान दे सकता है. इसलिए हर दिन दो से तीन काली मिर्च आपके शरीर के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित होंगी. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है. आगे पढ़िए काली मिर्च के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में...

सर्दी रहे दूर
काली मिर्च का सेवन करने से सर्दी के मौसम में होने वाली खांसी और जुकाम से आपको राहत मिलती है. साथ ही इसके सेवन से आपका गला भी साफ रहता है. इतना ही नहीं कई लोगों को जुकाम के कारण बाल झड़ने की समस्या हो जाती है, इससे भी आपको आराम मिलता है. काली मिर्च का सेवन कई प्रकार की बीमारियों से आपको राहत देती है.

चर्म रोग दूर करें
यदि आपके शरीर पर फोड़ा या फुंसी होने की आम समस्या है तो काली मिर्च को घिसकर फोड़े वाली जगह पर लगा लें. इससे आपको कम समय में आराम मिल जाएगा. इसके अलावा मुंह पर होने वाले मुहांसों से भी काली मिर्च राहत देती है. हालांकि इसे लगाना आपके लिए थोड़ा परेशान कर सकता है लेकिन तेजी से आराम मिलेगा.

टेंशन होती है दूर
काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है. जिस कारण काली मिर्च लोगों की टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती है. पुराने लोग काली मिर्च के सेवन को काफी तरजीह देते थे.

दांतों के लिए फायदेमंद
काली मिर्च का सेवन दांतों से जुड़ी समस्याओं से राहत देता है. काली मिर्च से मसूड़ों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है. यदि आप काली मिर्च, माजूफल और सेंधा नमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर कुछ बूंद सरसों के तेल में मिलाकर दांतों और मसूड़ों में लगाकर आधे घंटे बाद मुंह साफ कर लें. इससे आपके दांत और मसूड़ों में दर्द होने वाली समस्या भी दूर हो जाएगी.

हिचकी दूर करें
हरे पुदीने की 30 पत्ती, 2 चम्मच सौंफ, मिश्री और काली मिर्च को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें. इस मिश्रण को पीने से हिचकी समस्या दूर हो जाती है. 5 काली मिर्च को जलाकर पीसकर बार-बार सूंघने से हिचकी की समस्या दूर हो जाती है.

गैस और एसिडिटी से फायदा
आधुनिक जीवनशैली के बीच गैस और एसिडिटी की समस्या आम है. यदि आपको भी यह परेशानी है तो नींबू के रस में काला नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर चुटकी भर लें. गैस से होने वाले दर्द में आपको तुरंत आराम मिल जाएगा.

पेट के कीड़ों को दूर करें
काली मिर्च के पाउडर को खाने में इस्‍तेमाल करने से पेट में कीडों की समस्या दूर होती है. इसके अलावा काली मिर्च के साथ किशमिश खाने से भी पेट के कीड़ों की समस्‍या से छुटकारा मिलता है.

कैंसर से बचाव
महिलाओं के लिए काली मिर्च खाना बहुत फायदेमंद होता है. कालीमिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, फ्लेवोनॉयड्स, कारोटेन्स और अन्य एंटी -ऑक्सीडेंट होता है, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

Saturday 5 December 2020

कुछ दिन पी लीजिए इस तरह दूध को 80 साल तक कैल्शियम की कमी नहीं हो सकती


 

कुछ दिन पी लीजिए इस तरह दूध को 80 साल तक कैल्शियम की कमी नहीं हो सकती | यानी कि पूरी उम्र कैल्शियम की कमी कभी नहीं होगी | ताकत का खजाना है यह दूध | सही डाइट नहीं लेने के कारण लोग शारीरिक तौर पर कमजोर होने लगते हैं और शारीरिक कमजोरी होने के वजह से शरीर में धीरे-धीरे बहुत सारी बीमारियां होने लगती है |

आज हम बात करते हैं ऐसी चीज के बारे में जिसका इस्तेमाल करने से शरीर फौलादी और आकर्षित बन जाएगा | चेहरे पर हमेशा गलो रहेगा |अगर आप इसे रोजाना खाएंगे तो शरीर की अंदरूनी कमजोरी समय से पहले चेहरे पर रिंकल्स, बुढ़ापे का असर, हड्डियों का कमजोर होना | शरीर में कैल्शियम की कमी होना कमर में दर्द होना, जोड़ों में दर्द होना, बालों का सफेद होना या फिर झड़ना, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर |

इन सभी समस्याओं का हल करने के अलावा हमारे शरीर की और बहुत सारी तकलीफों को दूर करने में मदद करेगा | हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करेगा | दूध हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है यह तो हम सब जानते ही हैं | दूध में इतने पोषक तत्व होते हैं अगर इसे संपूर्ण आहार कहा जाए तो गलत नहीं है | फिर भी बहुत सारे लोग दूध नहीं पीते | बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक यानी कि हर एक उम्र के इंसान को दूध जरूर पीना चाहिए | दूध में अच्छी मात्रा में विटामिन A, विटामिन B12 पाया जाता है | आपको पता ही होगा कि विटामिन B12 हमारे नर्वस सिस्टम यानी की नसों के लिए काफी फायदेमंद है | नसों को ताकत देने के लिए दूध बहुत जरूरी है | विटामिन B12 सिर्फ डायरी प्रोडक्ट यानी दूध व दूध से बनी चीजें इसके अलावा नॉनवेज भी मिलता है | इसकी कमी से शरीर में भयंकर बीमारियां हो जाती है |

इसके अलावा दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी होता है | दूध से शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होती है | जो कैंसर हड्डियों की कमजोरी गठिया माइग्रेन सिर दर्द जैसी बीमारियों को रोकता है | लेकिन अगर आप दूध में दो चीजें और मिक्स कर देंगे तो इसके फायदे भी दोगुने हो जाएंगे | तो वह दोनों चीजें कौन सी है मखाना, खसखस | इनकी खास बात यह है इनकी तासीर ठंडी होती है यानी कि गर्मियों के दिनों में आप इनका सेवन बड़ी आसानी से कर सकते हैं | तो चलिए जानते हैं आपने खसखस और मखाने का सेवन किस तरह करना है | कैसे पीना है | इसके क्या फायदे हैं |

खसखस, मखाने का दूध कैसे करें तैयार :-

  • आपने एक चम्मच खसखस लेनी है |
  • उसे 3 घंटों के लिए पानी में भिगो कर रख दीजिए |
  • 3 घंटों के बाद आप खसखस का एक पेस्ट तैयार कर लीजिए और एक गिलास दूध ले लीजिए |
  • उसके अंदर 8 से 10 मखानों को उबाल लीजिए |
  • बॉयल हुए मखानों वाला दूध आप इसे हल्का सा ठंडा यानी गुनगुना करके इसके अंदर खसखस वाला पेस्ट मिक्स कर दीजिए |
  • उसके बाद आप इसे रात के समय सोते समय इसका सेवन करना है |

खसखस, मखाने वाले दूध से शरीर स्वस्थ –

  • इस दूध में बहुत सारा ओमेगा-3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है |
  • प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, होता है |
  • वही मखाने के अंदर प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम होता है |
  • एक खास बात और है कि इसके अंदर कोलेस्ट्रोल सोडियम कम होती है जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी मदद करती है |

खसखस, मखाने वाले दूध से मोटापा कम –

  • जो लोग बहुत मोटे हैं उनको इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |
  • क्योंकि यह हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर हमारे रेट को कम करता है |
  • लेकिन कुछ लोग यह सोचेंगे कि हम तो बहुत पतले हैं या फिर अंडरवेट हैं तो क्या हम इसका सेवन नहीं कर सकते |
  • नहीं आप इसका सेवन भी कर सकते हैं |
  • क्योंकि मखाने और खसखस वाला दूध पीने से हमारा मेटाबॉलिज्म तेज होता है |
  • यह हमारे शरीर के वजन को बैलेंस करता है |
  • जो भी लोग पतले हैं वह भी बड़े आराम से इसका सेवन कर सकते हैं |

खसखस, मखाने वाले दूध से शरीर का दर्द दूर –

  • मखाने और खसखस वाला दूध पीने का एक और बड़ा फायदा है |
  • जिनके भी मांसपेशियों में लगातार दर्द रहता है |
  • शरीर में लगातार दर्द रहता है |
  • जोड़ों में दर्द रहता है |
  • कमर दर्द रहता है |
  • घुटनों में बहुत दर्द रहता है |
  • तो आपको रोजाना 30 दिन यानी कि 1 महीना इसके दूध का सेवन करना है बिना छोड़े |

खसखस, मखाने वाले दूध से नसें मजबूत –

  • अगर आपकी नसे भी बहुत कमजोर हैं |
  • रात को सोते समय आपकी टांगों में दर्द होता है |
  • पैरों में दर्द होता है, टांगो की पिंडलियों में बहुत दर्द होता है |
  • तो एक महीना रेगुलर इसका सेवन करने से आपको बहुत फायदा होगा |
  • इसका असर आपको 5 से 7 दिनों में मिल जाएगा |

खसखस, मखाने वाले दूध से हड्डिया व् दाँत मजबूत –

  • खसखस दूध मखाना तीनों ही कैल्शियम और फास्फोरस का खजाना है |
  • तो हड्डियों और दांतो को मजबूत करने के लिए यह बहुत फायदेमंद है |
  • इसके अलावा जिन को सांस लेने में समस्या आती है |
  • सांस से संबंधित समस्या है जुखाम बहुत जल्दी हो जाता है या फिर साइनस की समस्या है तो आपको इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से नींद ना आने की समस्या दूर –

  • आजकल की लाइफ स्टाइल के कारण लोगों को नींद बहुत कम आती है |
  • दिमाग पर टेंशन बनी रहती है तो इस दूध के अंदर एलके नाइन होता है जो कि अच्छी नींद लाने में सहायक है |
  • नींद को बढ़ावा देने के लिए नारकोटिक पाया जाता है |
  • इसलिए इसे पीने से अच्छी नींद आती है |
  • अगर आप रात के समय इस दूध को पी कर सोते हैं तो सुबह अपने आप को आप बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे |
  • अगर आप रात को नींद की गोली लेकर सोते हैं तो अगर आप इस दूध का सेवन करते हैं तब आपको गोली यानी दवाई लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी |

खसखस, मखाने वाले दूध से कब्ज की समस्या दूर –

  • इसमें बहुत अच्छी मात्रा में फाइबर होता है जिनको भी कब्ज की समस्या है उन्हें खसखस मखाने वाला दूध रोजाना रात को पीकर सोना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से ब्लड प्रेशर की समस्या दूर –

  • अगर किसी को ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उनके लिए भी यह दूध का सेवन करना बहुत फायदेमंद है |
  • चाहे ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर हो या फिर हाई ब्लड प्रेशर हो दोनों ही ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है |

खसखस, मखाने वाले दूध से खून की कमी पूरी –

  • खसखस और मखाने वाला दूध पीने से हमारे शरीर में खून की कमी पूरी होती है |

खसखस, मखाने वाले दूध से दिमाग की समस्या दूर –

  • अगर आप मेमोरी कमजोर वाली समस्या का सामना कर रहे हैं तो खसखस और मखाने वाला दूध पीना बहुत फायदेमंद है |
  • क्योंकि इस दूध के अंदर विटामिन B12 और कॉपर होता है जो हमारे दिमाग को एक्टिव करता है |दिमाग को तेज करता है |

खसखस, मखाने वाले दूध से किडनी में स्टोन की समस्या दूर –

  • जिनकी किडनी में स्टोन भी बार-बार बनता है यानी पथरी की समस्या है तो उनको भी इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से डायबिटीज की समस्या दूर –

  • इसके अलावा जो भी डायबिटीज मरीज हैं उनके लिए यह दूध का सेवन करना बहुत फायदेमंद है |

खसखस, मखाने वाले दूध से थायराइड की समस्या दूर –

  • अगर आप थायराइड की बीमारी को फेस कर रहे हैं |
  • यानी कि थायरोक्सिन हार्मोन ज्यादा कम प्रोड्यूज होता है तो भी मखाने और खसखस वाला दूध रोजाना पीना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से चेहरे की समस्या दूर –

  • खसखस और खाने वाले दूध में एंटी एजिंग भरपूर होते हैं |
  • जिनके फेस पर बहुत ज्यादा रिंकल्स आते हैं आप अपनी उम्र से बड़े दिखते हैं तो उनको भी इसका सेवन रोजाना करना चाहिए |
  • हमारी हमारी स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाता है यह दूध मखाने में दूरियां और एजिंग के अन्य लक्षणों को खत्म करने में काफी मदद करता है |
  • अगर आप हमेशा ही यंग देखना चाहते हैं तो इस दूध को आप रोजाना पीजिये |
  • अगर आप रोजाना नहीं पी सकते तो आप एक दिन छोड़कर 1 दिन इसका सेवन कीजिए |
  • यह दूध आपको अंदर से स्ट्रांग बाहर से खूबसूरत बनाएगा |

खसखस, मखाने वाले दूध से पुरुषो की अंदुरुनी कमजोरी दूर –

  • इसके अलावा यह दूध पुरुषों के लिए काफी फायदेमंद है जो पुरुषों की अंदरूनी कमजोरी को दूर करता है और उनको ताकत देता है |

खसखस, मखाने वाले दूध से साँस फूलने की समस्या दूर –

  • जो लोग अंदर से कमजोरी महसूस करते हैं, थोड़ा सा काम करने पर काफी थक जाते हैं, दौड़ने पर हाफने लगते हैं, सांस फूलने लगती है |
  • उनके लिए भी दूध का सेवन करना काफी फायदेमंद है |
  • एक महीना रोजाना इसका सेवन जरूर करें बस एक चीज का ध्यान जरूर करें |
  • आपको इसका सेवन रात के समय करना है |

क्या करें क्या ना करें 

  • आपको सेवन करने के बाद कम से कम 15 मिनट सैर जरूर करनी है |
  • ऐसे नहीं करना कि आपने दूध का सेवन किया और तुरंत सो गए |
  • इसके अलावा आप दिन में कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर कीजिए ताकि यह मखाने वाला दूध अच्छे से डाइजेस्ट हो सके |
  • इस पोस्ट में हम आपको कुछ और चीजें हैं जो गर्मियों में ध्यान में रखनी है |
  • आपने फ्रिज वाला पानी नहीं पीना |
  • इसके अलावा अगर आप ठंडा पानी पीना चाहते हैं तो आप मटके वाला पानी पीजिए |
  • अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा शामिल कीजिए |

Saturday 7 November 2020

अनिद्रा ( नींद )से जुड़े रोग उपचार ओर कारण


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः  

          सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् 

अनिद्रा या उन्निद्र रोग (इनसॉम्निया) में रोगी को पर्याप्त और अटूट नींद नहीं आती, जिससे रोगी को आवश्यकतानुसार विश्राम नहीं मिल पाता और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बहुधा थोड़ी सी अनिद्रा से रोगी के मन में चिंता उत्पन्न हो जाती है, जिससे रोग और भी बढ़ जाता है। स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद सोना जरूरी है, लेकिन आजकल कई लोग अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं। इस बीमारी को अंग्रेजी में इंसोमनिया (Insomnia) कहा जाता है। यह एक प्रकार का नींद संबंधी विकार है। इसमें व्यक्ति को सोने में असुविधा, नींद की कमी या नींद पूरी नहीं हो पाने की समस्या रहती है। ऐसा होने से स्वास्थ्य पर असर होता है और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।

इसके मुख्य रूप से दो प्रकार माने गए हैं---- 

1. एक्यूट इंसोमनिया - यह अनिद्रा का एक आम प्रकार होता है। यह समस्या कुछ दिनों या हफ्तों के लिए हो सकती है। इसके कारण बहुत ही सामान्य हो सकते हैं जैसे - काम का दवाब, कोई पारिवारिक चिंता, कोई घटना या अन्य कोई समस्या।

2. क्रॉनिक इंसोमनिया – अनिद्रा की यह समस्या गंभीर हो सकती है। यह महीने भर या उससे भी ज्यादा दिनों तक रह सकती है। ज्यादातर मामलों में यह सेकंडरी होती है। क्रॉनिक इंसोमनिया किसी अन्य समस्या के लक्षण या साइड इफेक्ट जैसे - कुछ चिकित्सा स्थितियां, दवाएं और अन्य नींद विकार आदि की ओर इशारा हो सकता है। इसके अलावा, कैफीन, तंबाकू और शराब जैसे खाद्य व पेय पदार्थों का सेवन भी इसका कारण हो सकता है। कुछ मामलों में यह समस्या तनाव या फिर लंबी यात्रा के कारण भी हो सकती है।

आमतौर पर अनिद्रा का कारण तनाव व थकावट हो सकती है, लेकिन इसके कुछ निम्न कारण भी हो सकते हैं

  • हर रोज सोने के समय में बदलाव होना।
  • दोपहर में सोना या झपकी लेना।
  • सोते वक्त ज्यादा शोर होना या रूम में अधिक लाइट होना।
  • व्यायाम न करना।
  • सोते वक्त मोबाइल व टीवी जैसे उपकरणों का उपयोग करना।
  • धूम्रपान करना।
  • पूरे दिन कैफीन युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करना।
  • कुछ खास तरह की दवाइयों का सेवन करना।
  • रात के वक्त काम करना। चिंता या तनाव।
  • कुछ खास तरह के नींद संबंधी विकार।
  • शरीर में कोई परेशानी होना या स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होना जैसे - मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, तनाव।
  • जीवनशैली में बदलाव
  • अनिद्रा या सोने में असमर्थता, एक विकार है, जिसे नींद न आना या लंबे समय तक न सो पाने की समस्या से जाना जाता है। अनिद्रा में सामान्यत: संकेत और लक्षण दोनों पाये जाते है, जिसमें सोने में लगातार परेशानी के साथ कई नींद, चिकित्सा, और मनोरोग विकार जुड़े हैं।
     

    जब सोने के बाद जागते है तब विशिष्ट रूप कार्यात्मक (कार्य करने में) नुकसान होता है इसे अनिद्रा कहा जाता है। अनिद्रा किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन यह विशेषकर बुजुर्गों में बेहद सामान्य है। अनिद्रा को अल्पावधि या तीव्र और चिरकालीन या  दीर्घकालिक अनिद्रा में वर्गीकृत किया जाता है।
     
    1. अल्पावधि या तीव्र अनिद्रा: यह एक महीने से कम अवधि तक अच्छी नींद में असमर्थता है। जब नींद की शुरुआत या नींद को बनाए रखने में कठिनाई होती है या नींद, जो कि स्फूर्ति के बिना या खराब गुणवत्ता के साथ होती है, तब अनिद्रा उपस्थित होती है। इस प्रकार की अनिद्रा नींद के लिए पर्याप्त अवसर और परिस्थितियां के बावजूद उपस्थित होती है तथा जिसके परिणामस्वरुप दैनिक प्रणाली में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। अल्पावधि या तीव्र अनिद्रा को अल्पकालिक अनिद्रा या तनाव संबंधी अनिद्रा के नाम से भी जाना जाता है। 
     
    2. चिरकालीन या दीर्घकालिक अनिद्रा: यह एक महीने से अधिक समय तक रहती है। यह किसी अन्य विकार या प्राथमिक विकार के कारण हो सकती है। तनाव वाले हार्मोन के उच्च स्तर से पीड़ित लोगों या साइटोकिंस के स्तर में बदलाव के कारण चिरकालीन या दीर्घकालिक अनिद्रा से पीड़ित होने का ज़ोखिम अधिक होता है।
    इसका प्रभाव इसके कारणों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। उसमें मांसपेशियों में थकान, मतिभ्रम और/या मानसिक थकान शामिल हो सकती हैं। जो लोग इस विकार से पीड़ित हैं, उनमें मतिभ्रम होता हैं। उन्हें वास्तव में जो वस्तु नहीं होती, किसी और वस्तु में उसके होने का अहसास होने लगता है। चिरकालीन या दीर्घकालिक अनिद्रा दोहरी दृष्टि उत्पन्न कर सकता है।
  • नींद ऐसी चीज है जो किसी को पत्थर पर सोने से ही आ जाती है और किसी को मखमली बिस्तर पर भी नहीं आती ।

    अनिद्रा, दुनिया भर की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जो हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं में हो सकती है। अनिद्रा की परिभाषा बहुत सरल है। नींद ना आना, या लंबे समय तक ना सो पाने की समस्या को अनिद्रा कहते हैं। अनिद्रा के विभिन्न प्रकारों से लोग पीड़ित हैं। अल्पावधि या तीव्र अनिद्रा, अनिद्रा का एक आम प्रकार है, यह कुछ दिनों के लिए होती है या कुछ दवाएं या जीवनशैली में किये गये मामूली बदलावों से होती है। अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए रहें और गंभीर रुप से आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है, तो यह एक बहुत गंभीर और चिरकारी समस्या है जिसे सही, पेशेवर चिकित्सक की जरुरत है। अगर एक व्यक्ति 30 दिनों से भी अधिक समय तक के लिये ठीक से ना सो पाएं तो इसका अर्थ यह है कि वह चिरकालीन अनिद्रा का शिकार है। चिरकालीन अनिद्रा से पीड़ित मरीज़ों को "इंसोम्नियाक्स" कहा जाता है।

    प्रमुख कारण :
    आयुर्वेद के अनुसार वात और पित्त बढ़ जाने से अनिद्रा की स्थिति आती है। वात-पित्त मानसिक तनाव के कारण बढ़ता है। इसके बाद कुंठित भावनाओं का स्थान आता है। तीन हफ्तों तक जारी रहने वाली अनिद्रा को ट्रांजियंट इनसोम्निया कहा जाता है। इसका मुख्य कारण मानसिक संघर्ष, अपरिचित या नया वातावरण, सदमा, प्रियजनों की मृत्यु, तलाक या नौकरी में बदलाव आदि हो सकते हैं। नींद ना आने का सबसे प्रमुख कारण टेंशन होता है|शोर-शराबे वाली जीवन शैली, अनियमित दिनचर्या, कम शारीरिक व्यायाम व कम मेहनत करना , ज्यादा शराब सेवन करने से भी नींद नहीं आती है|

    मेरा तो अनुभव यह है कि अधिकतर लोग - जो भूख न लगने या नींद न आने की शिकायत करते हैं, उनकी वास्तविक समस्या होती है, समय पर नींद न आना, अथवा भूख न लगना। इस के लिये शरीर की 'घड़ी' को 'सेट' करना पड़ता है - यानी कि खाने और सोने का सही समय निर्धारित करना. इनके लिये सही समय का पालन न किया जाये तो व्यवस्था बिगड़ सकती है - यह देरी से होने वाले क्रिकेट या फुटबाल के मैच छोड़ने पड सकते है !

    और एक (महान ?) लेखक का कहना है कि
    1. 'भूख और नींद शारीरिक मेहनत से कमाई जाती है'
    2. मेरा तो अनुभव यह है कि अधिकतर लोग - जो भूख न लगने या नींद न आने की शिकायत करते हैं, उनकी वास्तविक समस्या होती है, समय पर नींद न आना, अथवा भूख न लगना। इस के लिये शरीर की 'घड़ी' को 'सेट' करना पड़ता है - यानी कि खाने और सोने का सही समय निर्धारित करना. इनके लिये सही समय का पालन न किया जाये तो व्यवस्था बिगड़ सकती है 

    अनिद्रा नुक्सान :
    अवसाद और चिंता
    मानसिक और शारीरिक थकावट
    संक्रमण और रोगों से धीमी गति से वसूली
    कम ध्यान अवधि
    चिड़चिड़ापन
    सुस्ती
    जागने के बाद आपको खुमारी या सर भारी.
    गुस्सा, व धीरे -2 डिप्रेशन
    असामान्य व्यवहार

    अनिद्रा का सीधा असर हमारे शरीर की चयापचय प्रक्रिया (Metabolic Process) पर पड़ता है और इससे मधुमेह (Diabetes), वज़न का बढ़ना (Weight Gain), उच्च रक्त चाप (High Blood pressure) जैसी बीमारियां हो सकती हैं।यह पाया गया है कि नींद की क्षति रोगक्षम (इम्यून) प्रणाली को प्रभावित करती है।शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद की कमी ह्रदय रोग से मृत्यु के खतरे को दुगुने से अधिक बढ़ा देती है, लेकिन बहुत अधिक नींद भी मृत्यु के खतरे को दुगुना करने के साथ जुड़ी हो सकती है, हालांकि मुख्य रूप से ह्रदय रोग से नहीं.अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए हो जाय तो यह शरीर के लिए गंभीर और चिरकारी हो जाती है जिसका इलाज़ अच्छे चिकित्सक से ही करवाना चाहिए।

    उपाय :
    - आपका रुटीन कितना भी व्यस्त क्यों न हो लेकिन अच्छी नींद आए इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने सोने का एक समय तय करें।
    - नियमित व्यायाम की आदत डालें, इससे नींद अच्छी आती है, पर सोने से पहले व्यायाम नहीं करना चाहिए।
    - सोने के कमरे को शांत व अंधकारमय रखना ।
    - सोने व उठने की नियमित दिनचर्या बनाना।
    -. शयन के समय शवासन का नियमित अभ्यास।
    - सोते समय सकारात्मक विचारों द्वारा मान को शांत रखना।
    - देर रात तक पार्टियों व टीवी देखने की आदत छोड़ें।
    - दिन में नहीं सोयें ताकि रात में अच्छी नींद आये।
    - सोने से पहले हाथ, पैर धोयें या स्नान कर लें।
    - चाय और कॉफी जैसे पेय भी रात में न लें।
    - बहुत अधिक मसालेदार और हैवी भोजन रात में न करें।
    - भगवान का भजन कर लें या कोई मंत्र जैसे-गायत्री मंत्र का जपकर लें तो भी नींद आ जाती है।
    - सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज करें। इससे शरीर का रक्त प्रवाह सही रहता है और थकान दूर होती है। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।
    - कुछ ऐसे भी योग हैं जिन्हें करने से नींद अच्छी आती है। जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें नियमित रूप से करने से अनिद्रा की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा और थकान पूरी तरह दूर होगी।
    - रात्रि को सोने से पहले सरसों का तेल गुनगुना करके उसकी 4-4 बूंदे दोनों कानों में डालकर ऊपर से साफ रूई लगाकर सोने से गहरी नींद आती है।
    - रात को निद्रा से पूर्व रूई का एक फाहा सरसों के तेल से तर करके नाभि पर रखने से और ऊपर से हलकी पट्टी बाँध लेने से लाभ होता है।
    - सोते समय पाँव गर्म रखने से नींद अच्छी आती है (विशेषकर सर्दियों में)।
    - सोने से दो घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए। भोजन के बाद स्वच्छ, पवित्र तथा विस्तृत स्थान में अच्छे, अविषम एवं घुटनों तक की ऊँचाई वाले शयनासन पर दक्षिण की ओर सिर करके हाथ नाभि के पास रखकर व प्रसन्न मन से ईश्वरचिंतन करते-करते सो जाना चाहिए।
    - रात्रि 10 बजे से प्रातः 4 बजे तक गहरी निद्रा लेने मात्र से आधे रोग ठीक हो जाते हैं।
    - जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों।
    - नींद से उठते ही तुरंत बिस्तर का त्याग नहीं करना चाहिए। पहले दो-चार मिनट बिस्तर में ही बैठकर परमात्मा का ध्यान करना चाहिए कि 'हे प्रभु ! आप ही सर्वनियंता हैं, आप की ही सत्ता से सब संचालित है। हे भगवान, इष्टदेव, गुरुदेव जो भी कह दो। मैं आज जो भी कार्य करूँगा परमात्मा सर्वव्याप्त हैं, इस भावना से सबका हित ध्यान में रखते हुए करूँगा।' ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए।
    स्वस्थ रहने के लिए कम से कम छः घंटे और अधिक से अधिक साढ़े सात घंटे की नींद करनी चाहिए, इससे कम ज्यादा नहीं। वृद्ध को चार व श्रमिक को छः से साढ़े सात घंटे की नींद करनी चाहिए।

    इन्हें भी आजमायें :
    - अपने शरीर व मन-मस्तिष्क को शिथिल कर दीजिए। सिर से पाँव तक पूरे शरीर को शिथिल कर दीजिए। पूरी साँस लेना व छोड़ना है। अब कल्पना करें कि आप समुद्र के किनारे लेटकर योगनिद्रा कर रहे हैं। आप के हाथ, पाँव, पेट, गर्दन, आँखें सब शिथिल हो गए हैं। अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूँ।
    - कल्पना करें कि धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है। अब मन को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे, सभी उंगलियों पर ले जाइए। कलाई, कोहनी, भुजा व कंधे पर ले जाइए। इसी प्रकार अपने मन को बाएं हाथ पर ले जाएं। दाहिना पेट, पेट के अंदर की आंतें, जिगर, अग्नाशय दाएं व बाएं फेफड़े, हृदय व समस्त अंग शिथिल हो गए हैं।
    हृदय के यहाँ देखिए हृदय की धड़कन सामान्य हो गई है। ठुड्डी, गर्दन, होठ, गाल, नाक, आँख, कान, कपाल सभी शिथिल हो गए हैं। अंदर ही अंदर देखिए आप तनाव रहित हो रहे हैं। सिर से पाँव तक आप शिथिल हो गए हैं। ऑक्सीजन अंदर आ रही है। कार्बन डाई-ऑक्साइड बाहर जा रही है। आपके शरीर की बीमारी बाहर जा रही है। अपने विचारों को तटस्थ होकर देखते जाइए।
    अब अपनी कल्पना में गुलाब के फूल को देखिए। चंपा के फूल को देखिए। पूर्णिमा के चँद्रमा को देखिए आकाश में तारों को देखिए। उगते हुए सूरज को देखिए। बहते हुए झरने को देखिए। तालाब में कमल को देखिए। समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में जा रही है और बीमारी व तनाव बाहर जा रहा है। इससे आप स्वस्थ हो रहे हैं। आप तरोताजा हो रहे हैं।
    सामने देखिए समुद्र में एक जहाज खड़ा है। जहाज के अंदर जलती हुई मोमबत्ती को देखिए। जहाज में दूसरी तरफ एक लालटेन जल रहा है उस जलती हुई लौ को देखिए। सामने देखिए खूब जोरों की बरसात हो रही है। बिजली चमक रही है, चमकती हुई बिजली को देखिए। बादल गरज रहे हैं। गरजते हुए बादल की आवाज सुनिए। नाक के आगे देखिए। ऑक्सीजन आपके शरीर में जा रही है। कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर जा रही है।
    अपने मन को दोनों भौहों के बीच में लाएँ व योगनिद्रा समाप्त करने के पहले अपने आराध्य का ध्यान कर व अपने संकल्प को 3 बार अंदर ही अंदर दोहराए। लेटे ही लेटे बंद आँखों में तीन बार ओऽम्‌ का उच्चारण करिए। फिर दोनों हथेलियों को गरम करके आँखों पर लगाएँ व पाँच बार सहज साँस लीजिए। अब अंदर ही अंदर देखिए आपका शरीर, मन व मस्तिष्क तनाव रहित हो गया है।आप स्वस्थ व तरोताजा हो गए हैं। जिस तरह से कार की बैटरी चार्ज हो जाती है।
    आयुर्वेद :
    - सोने से पहले रात को इक सेब का मुरब्बा गरम दूध के साथ लें.
    - तीन ग्राम ताज़े पोदीने के पत्ते २०० ग्राम पानी में २ मिनिट तक उबालने के बाद छान लें. इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर गुनगुना गुनगुना रात को सोने से पहले पी जाएँ. ३-४ हफ्ते इसे आजमायें फिर देखिये.
    - 6 ग्राम खसखस 250 ग्राम पानी में पीसकर कपड़े से छान लें और उसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर नित्य प्रातः सूर्योदय के बाद या सायं 4 बजे एक बार लें।
    - शंखपुष्पी और जटामासी का 1 चम्मच सम्मिश्रित चूर्ण सोने से पहले दूध के साथ लें।
    - नींद न आने पर तुलसी के पांच पत्तों को खाने और रात को सोते समय तकिए के आस-पास फैलाकर रखने से इसकी सुगंध से नींद आने लगती है।
  • अनिद्रा से संबंधित तथ्य :

    1. अनिद्रा यदि चंद दिनों से ही है तो यह प्राय: किसी घरेलू या दफ्तर के तनाव से है. घबराने की बात नहीं. शायद दवा की जरूरत भी नहीं.

    2. यदि अनिद्रा दो-तीन-चार सप्ताह तक खिंच जाए तो कुछ दिनों के लिए डॉक्टर की नींद की दवा ले लें. ऐसा प्राय: तनाव से तो होता ही है, किसी बीमारी या सर्जरी से उठने के बाद भी हो सकता है.

    3. हां, यदि अनिद्रा कई महीनों या सालों से है तो इसे पूरी जांच और इलाज की आवश्यकता है. इसमें मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिलकर डिप्रेशन आदि की आशंका की जांच भी हो सकती है. थायरॉयड, अस्थमा, हृदय रोग, पार्किन्सोनिज्म, माइग्रेन, यहां तक कि असामान्य किस्म की मिर्गी तक की संभावना रहती है.

     4. अनिद्रा का एक बड़ा कारण आपकी ‘खराब स्लीप हाइजीन’ भी हो सकती है. ‘स्लीप हाइजीन’ में बहुत सी बातें आती है. बिस्तर अधिक गद्देदार हो, सोने के कमरे में बहुत रोशनी या शोर हो, साथ वाला खर्राटे मारता हो, लात चलाता हो, यहां तक कि दीवार घड़ी जोर से टिकटिक करती हो तो यह खराब ‘स्लीप हाइजीन’ है. यदि सोने से पहले आप ऑफिस के तनाव में लगे रहें, ठूसकर खा लिया है, गर्म पानी से स्नान कर लिया है, कसरत कर ली है - तो ये सब भी निद्रा विरोधी हैं.

    5. जहां तक दारू की बात है तो पीकर आप सो तो जाएंगे परंतु रातभर टूट-टूटकर ही नींद आएगी या आने के कुछ देर बाद जो टूटेगी तो फिर आएगी ही नहीं. आज दो पेग में आई है, बाद में तीन में आएगी और फिर चार पेग में भी नहीं आएगी.

    6. क्या अनिद्रा किसी मानसिक रोग का लक्षण है? हां, यह संभव है. बेचैनी, अवसाद (डिप्रेशन) तथा मूड डिसऑर्डर में भी अनिद्रा हो सकती है. डिप्रेशन इस मामले में अनोखा है कि इसके रोगी को अनिद्रा भी हो सकती है और वह अति निद्रा का शिकार होकर दिन-रात सोता पड़ा भी रह सकता है. डिप्रेशन की दवाइयां भी अनिद्रा पैदा कर सकती है.

    7. कई बीमारियों में अनिद्रा एक महत्वपूर्ण कारक तथा लक्षण हो सकता है. सांस की बीमारी, हार्ट के पंप के कमजोर हो जाने पर होने वाला फेफड़ों का कंजेशन, मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति), किडनी व लीवर खराब होने में अनिद्रा ही एक प्रमुख शिकायत हो सकती है.

    8. नई जगह पर, होटल के कमरे में, अस्पताल में, जीवन में कुछ नया घट जाने पर, कोई महत्वपूर्ण तारीख पास आने पर नींद गड़बड़ हो ही सकती है. इसे ‘एडजस्टमेंट अनिद्रा’ कहते हैं. यह स्वत: ठीक हो जाती है.

    9. ऊंचे पहाड़ों पर पहुंचने पर नींद डिस्टर्ब हो सकती है. इसे ‘एल्टीट्यूड अनिद्रा’ कहते हैं. इसके लिए नींद दवा नहीं बल्कि डायमोक्स नामक दवा लेनी पड़ती है. जो इन स्थानों से एडजस्ट करने के लिए दी जाती है

    दिन के समय उनींद रहना-  दिन के समय नींद के झोंके आने की बात प्राय: मरीज स्वयं नहीं मानता. साथ वाले बताते हैं. ऐसे लोग मीटिंग में, गाड़ी चलाते हुए, मशीन पर काम करते हुए अचानक झपकी ले लेते हैं. यह ‘स्लीप एपनिया’ नाम की बीमारी हो सकती है जिससे आदमी रात में खर्राटे मारता है, सोते हुए उसकी सांस तेज होती-रुकती है और मरीज को पता भी नहीं होता. वह बस दिन भर उनींदा रहता है. यदि ऐसा है तो इसे नजरअंदाज न करें. जांच से एक बार इसका कारण पता चल जाएगा तो फिर इसे ठीक भी किया जा सकता है. नींद की दवाई डॉक्टर की सलाह पर ही लें. हो सके तो बस कुछ समय के लिए ही. यदि अनिद्रा की क्रॉनिक बीमारी है और नींद की दवाएं लंबे समय तक लेनी पड़ें तो इन्हें बीच-बीच में रोक लें. इन्हें लगातार लेंगे तो इनका असर खत्म हो जाएगा       

    आयुर्वेद के अनुसार वात और पित्त बढ़ जाने से अनिद्रा की स्थिति आती है। वात-पित्त मानसिक तनाव के कारण बढ़ता है। इसके बाद कुंठित भावनाओं का स्थान आता है। तीन हफ्तों तक जारी रहने वाली अनिद्रा को ट्रांजियंट इनसोम्निया कहा जाता है। इसका मुख्य कारण मानसिक संघर्ष, अपरिचित या नया वातावरण, सदमा, प्रियजनों की मृत्यु, तलाक या नौकरी में बदलाव आदि हो सकते हैं। नींद ना आने का सबसे प्रमुख कारण टेंशन होता है|शोर-शराबे वाली जीवन शैली, अनियमित दिनचर्या, कम शारीरिक व्यायाम व कम मेहनत करना , ज्यादा शराब सेवन करने से भी नींद नहीं आती है| आधुनिक रिसर्च के अनुसार इस तरह की समस्याओं का कारण हमारी बदलती जीवनशैली भी है। हमारे पास ऐसे बहुत से मरीज आते हैं जो कहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती।

    अनिद्रा के लक्षण और इससे नुक्सान 

    १. सुस्ती- अनिद्रा के कारण लोगों में दिखाई देने वाला एक आम लक्षण है.

    २. जागने के बाद आपको खुमारी या सर भारी होने का अहसास होता है.  

    ३. जब एक व्यक्ति की रोज की नींद पूरी नहीं होती तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन होने लगता है.

    ४. ऐसे लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आने लगता है और वे धीर धीरे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं.

    ५. उनका व्यवहार असामान्य होने लगता है।

    ६. अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए हो जाय तो यह शरीर के लिए गंभीर और चिरकारी हो जाती है जिसका इलाज़ अच्छे चिकित्सक से ही करवाना चाहिए।

    ७. अगर एक व्यक्ति 30 दिनों से भी अधिक समय तक के लिये ठीक से ना सो पाएं तो इसका अर्थ यह है कि वह चिरकालीन अनिद्रा का शिकार है।

    ८. अनिद्रा के कारण साइकोसोमैटिक परेशानियां जैसे डीप्रेशन, घबराहट, आत्मबल की कमी जैसी समस्याएं भी होती हैं।

  •  उपचार----- 

    प्रारम्भ में हम इसका उपचार बिना दवाइयों के ही करते है. इनमे कुछ आसान उपाय अपनाने होते हैं जैसे-

     १. नियमित व्यायाम की आदत डालें, इससे नींद अच्छी आती है, पर सोने से पहले व्यायाम नहीं करना चाहिए।

    २. सोने के कमरे को शांत व अंधकारमय रखना ।

    ३. सोने व उठने की नियमित दिनचर्या बनाना।

    ४. शयन के समय शवासन का नियमित अभ्यास।

    ५. सोते समय सकारात्मक विचारों द्वारा मान को शांत रखना।

     रोगियों के ध्यान रखने के लिए ज़रुरी बातें

     १. अगर नींद नहीं आ रही हो तो अभी बिस्तर पर न जाएं।

    २. बिस्तर पर लेटे लेटे नींद का इंतजार न करें। तभी लेटें , जब नींद आने की फीलिंग हो।

    ३. हर सुबह एक निश्चित समय पर उठें। रात को निश्चित समय पर सोएं।

    ४. देर रात तक पार्टियों व टीवी देखने की आदत छोड़ें।

    ५. दिन में नहीं सोयें  ताकि रात में अच्छी नींद आये।

    ६. सोने से पहले व्यायाम करके भोजन करें। सोने से पहले हाथ, पैर धोयें या स्नान कर लें।

    ७. सोने से पहले रात को इक सेब का मुरब्बा गरम दूध के साथ लें.

    ८. तीन ग्राम ताज़े पोदीने के पत्ते २०० ग्राम पानी में २ मिनिट तक उबालने के बाद छान लें. इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर गुनगुना गुनगुना रात को सोने से पहले पी जाएँ. ३-४ हफ्ते इसे आजमायें फिर देखिये.

    ९. कुछ धार्मिक रोगियों से बात करने पर पता चला कि भगवान का भजन कर लें या कोई मंत्र जैसे-गायत्री मंत्र का जपकर लें तो भी नींद आ जाती है।

    योग चिकित्सा

    नींद लाने के लिए कई आसान उपाय बताये गये हैं। भारत में योग उनमें से एक उपाय है। पश्चिमी देशों में संगीत को महत्व दिया गया है। अनिद्रा दूर करने का एक तरीका ध्यान भी है। सुबह और शाम लगभग 20 मिनट तक किए गए योगासनों के जरिए शरीर को उतना ही लाभ पहुंचाया जा सकता है, जितना आठ घंटे की नींद लेने से होता है। योगासन हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र को सक्रिय बनाते हैं। ये तनाव से राहत दिलाने में मदद करते हैं, जोकि अनिद्रा का सबसे आम कारण है। शवासन एक ऐसी मुद्रा है जो हमें तनाव से मुक्त कर अनिद्रा से छुटकारा पाने में मदद करती है। इसे केवल 20 मिनट कीजिये; आपको अवश्य ही आराम मिलेगा ऐसा हमारा अनुभव है.

    आपको सलाह दी जाती है कि अगर आप सामान्य उपचार द्वारा ठीक नहीं हो पा रहे हैं तो इसके विशेषज्ञ से मिलकर रोग को जल्दी से जल्दी दूर करने का प्रयास करें जिससे आपकी सेहत अच्छी हो सके.

     


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  • उत्तम जैन (प्राकृतिक चिकित्सक )8460783401