Showing posts with label पाक. Show all posts
Showing posts with label पाक. Show all posts

Sunday 3 December 2017

मूसली पाक पुरुषों के लिए एक आयुर्वेदिक कामोद्दीपक, बल्य व पौष्टिक औषधि

मूसली पाक ( Musli Pak ) एक आयुर्वेदिक कामोद्दीपक, बल्य व पौष्टिक औषधि है। पुरुषों में यह शारीरिक शक्ति को बहाल करने के लिए प्रयोग की जाती है। यह एक पौष्टिक टॉनिक के रूप में कार्य करती है और शरीर को बल देती है। यह अपने कामोद्दीपक लाभ के लिए प्रसिद्ध है और पुरुषों की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बहुत लोकप्रिय है। यह पुरुषों में सहन-शक्ति, ताकत, समय और प्रदर्शन में सुधार करता है। इन लाभों के अतिरिक्त, यह सामान्य दुर्बलता और शरीर के वजन को बढानें के लिए भी प्रयोग किया जाता है। भारत में खिलाडी इसे व्यायाम सहनशक्ति और क्षमता को सुधारने के लिए भी प्रयोग करते है।

घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि

मूसली पाक ( Musli Pak ) में मुख्य घटक सफेद मूसली है। यह शारीरिक शक्ति सुधारने के अति हितकारी सिद्ध हुई है। योग चिंतामणि के अनुसार मूसली पाक में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:

घटक द्रव्यों के नाम मात्रा-

सफेद मूसली 16 भाग, गाय का दूध 200 भाग,गाय का घी 16 भाग, चीनी 50, सेमल गोंद या मोचरस 8 भाग, नारियल 2 भाग, बादाम 2, भाग
चिरोंजी 2 भाग, जायफल 2 भाग, लौंग 2 भाग, केसर 2 भाग, तुम्बरू 2 भाग ,जटामांसी 2 भाग, कौंच बीज 2 भाग, दालचीनी 2 भाग, इलायची 2 भाग, तेजपात 2 भाग, नागकेसर 2 भाग, सोंठ 2 भाग, काली मिर्च 2 भाग, पिप्पली 2 भाग, जावित्री 2 भाग,

मूसली पाक  ( Musli Pak ) के निर्माण की विधि

सफेद मूसली और गाय का दूध मिलाएं।मिश्रण को खोए (मावा) जैसा अर्द्ध ठोस बनाने के लिए उबालें।फिर मावा में गाय का घी मिलाएँ। इसे तबतक पकाएं जब तक यह भूरे रंग का ना हो जाए। पानी और चीनी का उपयोग कर चाशनी तैयार करें।अब, चाशनी को मिश्रण में मिलाएँ, मिश्रण को अच्छी तरह मिलाने के लिए इसे उबालें। अन्य सामग्रियां मिलाएँ और कांच के बर्तन या मर्तबान में सुरक्षित रखें।

नोट: योग चिंतामणि में बताये गए फॉर्मूले में भस्म और रस औषधि जैसे अभ्रक भस्म, लोह भस्म, और रस सिंदूर आदि का वर्णन नहीं किया गया। बाजार में उपलब्ध होने वाले मूसली पाक के योगो में इनका मिश्रण भी किया जाता है। आप खरींदे से पहले घटक द्रव्यों की जाँच आवश्य करें।

निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है - 

  • शीघ्रपतन

  • शारीरिक कमजोरी

  • क्षीण कामेच्छा

  • व्यसन या बुढ़ापे के माध्यम से पुरुष शक्ति कम होने पर

  • मर्दाना कमजोरी या दुर्बलता

  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन

  • नपुंसकता

  • शुक्रक्षय – अल्पशुक्राणुता

  • मांसपेशी में कमज़ोरी

  • शारीरिक थकान

  • प्रदर रोग

  • मूसली पाक के दुष्प्रभाव (Side Effects)

    हालांकि, मूसली पाक ( Musli Pak ) में कुछ सामग्री ऐपेटाइज़र (पाचन वर्धक) और पाचन उत्तेजक हैं, लेकिन फिर भी मूसली पाक पचाने के लिए भारी है। इसलिए इसे ठीक से पचाने में लंबा समय लग सकता है। कमजोर पाचन शक्ति वाले कुछ लोगों में, इससे भोजन की जल्दी संतुष्टता या भूख की हानि या भोजन करने की इच्छा की हानि हो सकती है।कुछ मामलों में जो मूसली पाक ( Musli Pak ) को आसानी से हजम नहीं कर सकते हैं, यह भी कब्ज का कारण भी बन सकता है।

  • नोट: मूसली पाक के कुछ ब्रांडों में हरबोमिनरल तत्व होते हैं। इसका अर्थ यह है कि इसमें भारी धातुओं सहित कुछ खनिज तत्व भी होते हैं। इसलिए, आपको इसे खरीदने से पहले इसके घटकों के लेबल को पढ़ना चाहिए। कई आयुर्वेदिक डॉक्टरों के अनुभव और रोगविषयक उपयोग के अनुसार, इससे किसी भी गंभीर अंग क्षति होने की कोई संभावना नहीं है। फिर भी सतर्कता प्रयोजन के लिए, मूसली पाक को अधिकतम 6 सप्ताह से अधिक लगातार नहीं लेना चाहिए।

Monday 28 August 2017

रतिवल्ल्लभ पाक - शरीर 10 गुना पुष्ट और शक्तिशाली बने

रतिवल्लभ पाक मतलब शरीर का शक्तिशाली बूस्टर :-आयुर्वेद में एक से बढ़ कर एक ऐसे दिव्य योग उपलब्ध है जिनका सेवन करके शरीर में शक्ति का संचार किया जा सकता है। ऐसी ही एक दिव्य औषधि है 'रतिवल्लभ पाक' इसका सेवन करने पर खोयी हुइ शक्ति भी वापस आती है और संचित शक्ति शरीर में बनी रहती है।
➡ रतिवल्लभ पाक के अद्भुत फायदे :- बलवीर्य वर्धक शीघ्रपतन मेंबहुत प्रभावी पुष्टिकारक स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाला किसी भी मधुमेह के अतिरिक्त अन्य प्रमेह के लिए उत्तम है  यह सभी प्रकार के वातजन्य रोगों में वात विकार नष्ट करने वाला और शक्ति प्रदायक।

लाभ _____________
बलवीर्य वर्धक शीघ्रपतन मेंबहुत प्रभावी पुष्टिकारक स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाला किसी भी मधुमेह के अतिरिक्त अन्य प्रमेह के लिए उत्तम .....सभी प्रकार के वातजन्य रोगों में वात विकार नष्ट करने वाला और शक्ति प्रदायक
निर्माण सामग्री (1) गोंद बबूल 500 ग्राम,
(2) सौंठ 100 ग्राम,
(3) पिप्पर (या पीपल ) 50 ग्राम
(4) पीपरामूल 50 ग्राम,
5)लौंग+जायफल+ जावित्री+मोचरस+शुद्ध शिलाजीत (प्रत्येक 25 ग्राम मात्रा )
(6) काली मिर्च+दालचीनी+तेजपत्ता+नागकेसर+छोटी इलायची +प्रवाल भस्म+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+वंग भस्म (प्रत्येक 10 ग्राम)
(7) केशर 5 ग्राम
(8)देशी घी (भैंस के दूध का) 300 ग्राम
(9) शक्कर 2 किलो
(10) गुलाब जल शुद्ध 20 ml
(11) बादाम भिगो कर छिलका निकला हुआ+पिस्ता कटा हुआ+काजू कटा+किशमिश+नारियल कटा हुआ (सभी आवश्यकतानुसार)
(12) चांदी का शुद्ध वरक चार से छः
निर्माण विधि :
(1)सर्वप्रथम गुलाब जल में केसर को भिगो कर रख दें और पांच घंटे बाद अच्छे से घोटाई
कर लें
(2)अब गोंद को ठीक से साफ करके कढा़ई में घी गर्म करें और उसमें गोंद को तलकर निकाल लें और ठंडा करके पीस लें
(3) सौंठ, पिप्पर व पीपलामूल को बारीक पीस छानकर रख लें।
(4) काली मिर्च+दालचीनी+तेजपत्ता+नागकेसर+छोटी इलायची को एक साथ कूट-पीसकर बारीक करके छान लें और अलग रख दें।
(5)प्रवाल भस्म+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+वंग भस्म (प्रत्येक 10 ग्राम) को साफ स्वच्छ खरल में डालकर घुटाई करके रख लें (ऐसा करते समय खरल बिलकुल सुखी हो )
(6) लौंग+जायफल+ जावित्री+मोचरस+शुद्ध शिलाजीत (प्रत्येक 25 ग्राम मात्रा ) को महीन पीस कर अच्छे से घोटाई कर लें
(7) बादाम, पिस्ता, किशमिश, काजू नारियल सब बारीक कटे हुए तैयार कर लें।
(8)किसी कडाही आदि में 2 किलो शक्कर लेकर एक तार की चाशनी बनायें एक इसमें तले हुए गोंद और सौंठ, पिप्पर व पीपलामूल आदि तीनों का चूर्ण मिलाकर चाशनी में डाल दें और आंच धीमी कर दें।
(9)अब घोंटी हुई प्रवाल भस्म+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+वंगभस्म डालकर धीरे धीरे चलते रहें रहें।
(10)चाशनी थोड़ी गाढ़ी और जमने लायक हो जाए, तब नीचे उतार कर कुछ ठंडा होने पर घोंटा हुआ लौंग+जायफल+ जावित्री+मोचरस+शुद्ध शिलाजीत का चूर्ण डालकर धीरे धीरे हिलाते रहें और गुलाबजल में घोंटा हुआ केशर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
(11)अब इसमें चांदी वरक मिला दें और कुछ देर चलाकर किसी ट्रे आदि में घी लगाकर इसे फैलाकर जमा दें दें और कटे हुए मेवे फैलाकर डाल दें। जब यह पाक जम जाए, तब काटकर किसी कांच के बर्तन में सुरक्षित कर लें ............
मात्रा और सेवन विधि :
अपनी पाचन शक्ति के अनुसार 25 ग्राम से 50 ग्राम वजन में, सुबह खाली पेट खूब चबा-चबाकर खाएं और ऊपर से मीठा गुनगुना दूध पियें
सावधानी ----------
मधुमेह के रोगी इससे बचें या डॉक्टर की सलाह से लें
यदि पाचन शक्ति अच्छी न हो तो उसे अवश्य बढ़ाने के उपाय करें अन्यथा इस बहुमूल्य
औषधि का पूरा लाभ नहीं मिलेगा
इसे बच्चे बूढ़े जवान स्त्री पुरूष सभी ले सकते है बस मात्रा का ध्यान रखें
कोशिश करें की सर्दी के मौसम में ही सेवन करें बहुत अधिक गर्मीं में इसका सेवन नहीं करें स्वाभाव से यह योग उष्ण प्रकृति का है