Thursday 31 August 2017

स्त्री की समस्याएँ व उनका समाधान

कुदरत ने स्त्री के प्रजनन अंग शरीर के अन्दर बनाए हैं जब कि पुरूष के प्रजनन अंग शरीर के बाहर बनाये हैं। कुछ स्त्रियों के अन्दरूनी प्रजनन अंगो के रोग व दोषों की प्रकृति धीरे-धीरे बढ़ जाती है और स्त्री का सारा सौन्दर्य व आकर्षण नष्ट होने लगता है। इसके अलावा स्त्री की गर्भधारण क्षमता भी कम हो जाती है। कुदरत ने प्रत्येक स्त्री-पुरूष को अपना धर्म व कर्म पूरा करने के लिए एक दूसरे का पूरक अर्थात ताले चाबी के रूप में बनाया है जिससे वे अपने-अपने प्रजनन अंगो की शक्ति व सहायता के बल पर संतान पैदा करने का कुदरती नियम पूरा करते है।
स्त्री के योनि मुख से लेकर गर्भाशय मुख तक कई तरह की ग्रन्थियां व कोशिकाएं होती हैं। जिनमें कई तरह के रोग व दोष बन जाने से स्त्री को सबसे पहली गड़बड़ी मासिक चक्र से शुरू होती है। मासिक चक्र को आम बोलचाल की भाषा में मंथली पीरियड कहा जाता है। यह क्रिया स्त्री के शरीर में कुदरती रचना का एक अद्भुत नमूना है। जिससे हर महीने 28 दिन के बाद योनि मार्ग से रक्त स्राव होता है। यह रक्त स्राव साधारणतः हर महीने 4-5 दिन तक रहता है। यदि यह स्राव बढ़कर 7-8 दिन चले या घटकर केवल 1 या 2 दिन ही रहे तो यह मासिक चक्र की गड़बड़ी कहलाती है।
क्योंकि स्त्री के मासिक चक्र और गर्भधारण क्षमता में सीधा तालमेल व सम्बन्ध होता है। समझदार स्त्रियों को चाहिए कि वे अपनी मासिक की गड़बड़ी एवं मासिक के समय होने वाले अन्य शारीरिक कष्टों व शिकायतों का बिना किसी शर्म-संकोच के जल्दी ही सही-सटीक व उचित इलाज करा लें क्योंकि मासिक की गड़बड़ी में स्त्री की सहवास शक्ति व इच्छा भी घट जाती है। जिस कारण वह अपने पति को भी संसर्ग के समय मनचाहा सहयोग नहीं दे पाती जिसका असर उनके विवाहित जीवन की खुशियों पर भी पड़ता है क्योंकि पत्नी वही जो पिया मन भाये।
असामान्य योनी स्राव क्या होता है ?
ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक जान पड़े तो हो सकता है कि रोग हो। योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है. दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके. यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है.
पीला या हराः यह स्राव सामान्य नहीं माना जाता है तथा बीमारी का लक्षण है. यह यह दर्शता है कि योनि में या कहीं तीव्र संक्रमण है. विशेषकर जब यह पनीर की तरह और गंदी बदबू से युक्त हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिये. भूराः यह स्राव अक्सर माहवारी के बाद देख ने को मिलता है. दरअसल यह “सफाई” की स्वाभाविक प्रक्रिया है. पुराने रक्त का रंग भूरा सा हो जाता है सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आता है.योनी स्राव के उपरोक्त में से कोई लक्षण दिखाई देता है अथार्त योनी स्राव का रंग पीला या हरा होता है तथा उसमे से किसी प्रकार की बदबू आती है तब योनी स्राव को सामान्य नही माना जायेगा और असामान्य योनी स्राव कहा जायेगा
असामान्य योनि स्राव के कारण एवं लक्षण---
असामान्य योनि स्राव के ये कारण हो सकते हैं- (1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण (2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।
  • ऐसी हालत में स्त्री को कमर-पेट-पेडू व जांघो का दर्द होने लगता है
  • चक्कर आना
  • आँखो के सामने अंधेरा आना
  • भूख न लगना
  • थकावट महसूस होना
  • कमजोरी व काम में मन न लगना आदि
  • कष्टपूर्ण शिकायतें बन जाती हैं जिससे धीरे-धीरे जवान स्त्री भी ढलती उम्र की दिखाई देने लगती है।

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