Saturday 30 December 2017

द्रोणपुष्पी के फायदे - उपयोग

द्रोणपुष्पी ( Leucas aspera ) जिसे हम गुम्मा के नाम से भी जानते है । यह पुरे भारत में पाया जाता है । यह विशेष कर ईंख के खेतो में मिल जाता है ।हिमालय के पहाड़ो पर बहुतायत मात्रा में मिलता है । 
इसे हिंदी में – गुम्मा , दणहली 
 मराठी में – तुंबा 
संस्कृत में - द्रोणपुष्पी  
तमिल में – तुम्बरी ।
तेलगु में – मयपातोसि 
बंगाली में – हलक्स , पलधया 
गुजराती में -कुबो आदि नाम से जाना जाता है । द्रोणपुष्पी के पौधा दो से चार फुट लम्बा एवं चार – पांच शाखाओं वाली गुम्बजकार होता है । द्रोणपुष्पी ( Leucas aspera ) ( गुम्मा ) के पौधे पर सफेद रंग के छोटे छोटे रोयें होते है ।इसके पत्ते 2-3इंच लम्बे रोयेदार एवं दांतेदार किनारे वाले होते है ।इसके फूल प्याले जैसे आकृति के सफेद और गुच्छेदार होते है ।फूल के प्रत्येक गुच्छे पर दो पत्तियां लगी रहती है ।इसके जड़ पतली एवं 5 से 6 इंच लम्बे होते है । जिसकी गन्ध तेज होती है । इसका प्रयोग से अनेको रोग दूर हो जाते हैं ।यह उदर – रोग , बिष दोष , यकृत विकार , पक्षाघात आदि में बहुत ही लाभप्रद औषधि है ।

फायदे - उपयोग  

( 1) विषम -ज्वर – गुम्मा या द्रोणपुष्पी ( Leucas aspera ) के टहनी या पट्टी को पीस कर पुटली बनाले और उसे बाए हाथ के नाड़ी पर कपड़ा के सहयोग से बाँध दे । इसे रोगी का ज्वर बहुत ही जल्द ठीक हो जाता है ।
( 2 ) सुखा रोग में – सुखा रोग ख़ास कर छोटे बच्चों को होता है । गुम्मा के टहनी या पत्ते को पिस कर शुद्ध घी में आग पर पक्का ले और ठंडा होने के बाद इस घी से बच्चे के शरीर पर मालिश करे ।इस सुखा रोग बहुत ही जल्द दूर हो जाता है ।
( 3 ) साँप के काटने पर :- किसी भी व्यक्ति को कितना भी जहरीला साँप क्यों न काटा हो उसे द्रोणपुष्पी ( Leucas aspera ) के पत्ते या टहनी को खिलाना चाहिए या इसके 10 से 15 बून्द रस पिला देना चाहिए ।अगर वयक्ति बेहोश हो गया हो तो गुम्मा (द्रोणपुष्पी ) के रस निकाल कर उसके कान , मुँह और नाक के रास्ते टपका दे ।इसे व्यक्ति अगर मरा नही हो तो निश्चित ही ठीक हो जाएगा ।ठीक होने के बाद उसे कुछ घण्टे तक सोन न दे ।

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