Tuesday 29 August 2017

दिमागी लकवा या पक्षाघात

दिमागी लकवा एक न्यूरोलॉजिकल यानि तंत्रिका संबंधी विकार है जो दिमाग (मस्तिष्क-ब्रेन) में चोट लगने या बच्चे के मस्तिष्क के विकास के दौरान हुई किसी गड़बड़ की वजह से होता है. दिमागी लकवा शरीर की हरकत या जुंबिश, मांसपेशियों के नियंत्रण और समन्वय, चालढाल, रिफ़्लेक्स, अंग-विन्यास या हावभाव और संतुलन पर असर करता है. बच्चों की क्रोनिक यानि पुरानी विकलांगता की ये सबसे आम वजहों में एक है.
दिमागी लकवे की निम्न विशेषताएँ होती हैं:
  • लाइलाज और स्थायी: दिमाग में लगी चोट और दिमाग को हुआ नुकसान स्थायी होता है और इसका उपचार नहीं हो सकता है. दिमाग का घाव शरीर के दूसरे हिस्सों की तरह नहीं भरता है. हालांकि अन्य संबंद्ध स्थितियाँ समय के साथ हालत में सुधार कर सकती हैं या उन्हें बिगाड़ सकती हैं.
  • फैलता नहीं है: मस्तिष्क में और अधिक विकृति नहीं आती है.
  • दीर्घकालीनः दिमागी लकवे से पीड़ित व्यक्ति को जीवन भर इसी स्थिति के साथ रहना पड़ता है.
इस विकार से कुछ और समस्याएँ भी जुड़ी हुई हैंजैसेः
• संचालन विकार
• संवेदी नुकसान
• बहरापन
• ध्यान में कमी
• भाषा और समझने की गड़बड़ी
• मानसिक मंदता
• व्यवहारजनित समस्याएँ
• स्वास्थ्य समस्याएँ
• बार बार दौरे या ऐंठन
मुख्य तथ्य
• दिमागी लकवा बचपन में होने वाली सबसे सामान्य दीर्घजीवी शारीरिक/संचालन विकलांगता है
• विश्व में, क़रीब एक करोड़ सात लाख लोग दिमागी लकवे से प्रभावित हैं
दिमागी लकवा एक नॉन-प्रोग्रेसिव बीमारी है और फिलहाल इसका कोई इलाज भी उपलब्ध नहीं है. दिमागी लकवे के शिकार लोगों के सामने अत्यधिक और भारीभरकम चुनौतियाँ आती हैं लेकिन वे अपनी क्षमताओं और योग्यताओं का भरपूर इस्तेमाल करना सीख जाते हैं और इस तरह अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर पाते हैं. इन दिनों, दिमागी लकवे से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कई वैकल्पिक और सहायक उपकरण और सामग्रियाँ आ गई हैं जिनकी मदद से वे अपनी पढ़ाईलिखाई, अध्यापन पूरा कर सकते हैं, अपनी पसंद का क्षेत्र चुन सकते हैं और उसमे योगदान दे सकते हैं और खेल और मनोरंजक गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं.
इस बात का प्रमाण मौजूद है कि दिमागी लकवे वाले बच्चे शुरुआती आकलनों से कहीं आगे निकल जाते हैं. ऐसा बच्चा जो चलनेफिरने में असमर्थ पाया गया था वो भी पहाड़ चढ़ गया. कई ऐसे भी हैं जिनके बारे में सोचा जाता था कि कभी बोल ही नहीं पाएँगे वे न सिर्फ़ बोलते बतियाते हैं बल्कि उन्होंने किताबें भी लिख दी हैं और अपने बुद्धिमतापूर्ण शब्दों से औरों को भी प्रेरित करते है.
माँ-बाप या अभिभावक बच्चे को मनपंसद विषय या क्षेत्र चुनने में मदद कर सकते हैं. इस नाते उनका रोल अहम है. वे बच्चे को उसकी दिलचस्पी वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं और उन्हें जीवन जीने के लिए बुनियादी कौशलों में पारंगत कर सकते हैं ताकि बच्चा एक सुंदर ज़िंदगी जी सके

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