Thursday 27 December 2018

पेट के लिए बढ़िया औषधि है हरड़ ओर हरड़ के फायदे - विनय आयुर्वेदा

                                  पेट के लिए बढ़िया औषधि है हरड़ 
  
हरड़  दो प्रकार की होती  हैं− बड़ी हरड़ और छोटी हरड़। बड़ी हरड़ में सख्त गुठली होती है जबकि छोटी हरड़ में कोई गुठली नहीं होती। वास्तव में वे फल जो गुठली पैदा होने से पहले ही तोड़कर सुखा लिए जाते हैं उन्हें ही छोटी हरड़ की श्रेणी में रखा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार छोटी हरड़ का प्रयोग निरापद होता है क्योंकि आंतों पर इसका प्रभाव सौम्य होता है। 
बवासीर, सभी उदर रोगों, संग्रहणी आदि रोगों में हरड़ बहुत लाभकारी होती है। आंतों की नियमित सफाई के लिए नियमित रूप से हरड़ का प्रयोग लाभकारी है। लंबे समय से चली आ रही पेचिश तथा दस्त आदि से छुटकारा पाने के लिए हरड़ का प्रयोग किया जाता है। सभी प्रकार के उदरस्थ कृमियों को नष्ट करने में भी हरड़ बहुत प्रभावकारी होती है।
अतिसार में हरड़ विशेष रूप से लाभकारी है। यह आंतों को संकुचित कर रक्तस्राव को कम करती हैं वास्तव में यही रक्तस्राव अतिसार के रोगी को कमजोर बना देता है। हरड़ एक अच्छी जीवाणुरोधी भी होती है। अपने जीवाणुनाशी गुण के कारण ही हरड़ के एनिमा से अल्सरेरिक कोलाइटिस जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
इन सभी रोगों के उपचार के लिए हरड़ के चूर्ण की तीन से चार ग्राम मात्रा का दिन में दो−तीन बार सेवन करना चाहिए। कब्ज के इलाज के लिए हरड़ को पीसकर पाउडर बनाकर या घी में सेकी हुई हरड़ की डेढ़ से तीन ग्राम मात्रा में शहद या सैंधे नमक में मिलाकर देना चाहिए। अतिसार होने पर हरड़ गर्म पानी में उबालकर प्रयोग की जाती है जबकि संग्रहणी में हरड़ चूर्ण को गर्म जल के साथ दिया जा सकता है।
हरड़ का चूर्ण, गोमूत्र तथा गुड़ मिलाकर रात भर रखने और सुबह यह मिश्रण रोगी को पीने के लिए दें इससे बवासीर तथा खूनी पेचिश आदि बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा इन रोगों के उपचार के लिए हरड़ का चूर्ण दही या मट्ठे के साथ भी दिया जा सकता है।
लीवर, स्पलीन बढ़ने तथा उदरस्थ कृमि आदि रोगों की इलाज के लिए लगभग दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। हरड़ त्रिदोष नाशक है परन्तु फिर भी इसे विशेष रूप से वात शामक माना जाता है। अपने इसी वातशामक गुण के कारण हमारा संपूर्ण पाचन संस्थान इससे प्रभावित होता है। यह दुर्बल नाड़ियों को मजबूत बनाती है तथा कोषीय तथा अंर्तकोषीय किसी भी प्रकार के शोध निवारण में प्रमुख भूमिका निभाती है।
अगर आपको गैस या कब्ज की शिकायत है तो काली हरड़ को चूसें। खाना खाने के बाद अच्छी तरह धुली हुई काली हरड़ मुंह में रख लें। अगर इसे चूस कर सेवन करने में दिक्कत महसूस करें तो रात में एक गिलास में 250 ग्राम पानी में एक हरड़ डाल दें औरसुबह सूर्योदय से पहले उस पानी को पी लें। कब्ज या गैस से पूरी तरह मुक्ति के लिए चार से छह महीने तक हरड़ का सेवन करें।
 हरड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी है परन्तु फिर भी कमजोर शरीर वाले व्यक्ति, अवसादग्रस्त व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्रियों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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