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Thursday 28 November 2019

भीगे चने खाने के फायदे - स्वास्थ्य के लिए बेहतर

चना (Gram) भारतीय खान-पान के प्रमुख अनाजों में से है। इसे शक्तिवर्धक अनाज (Enhancing grain) माना जाता रहा है। यह तो सभी जानते हैं कि यह न सिर्फ पाचन को सही रखता है बल्कि हृदय को भी सुरक्षित रखता है। चना का प्रयोग भारत में सदियों से हो रहा है। इसे सीधे प्रयोग करने के अलावा दाल और उससे बने उत्पादों के रूप में भी होता है। इसका स्वाद तो अलग और अनोखा होता ही है साथ ही इसका प्रयोग ताकत बढ़ाने के लिए भी किया जाता रहा है। इसे अंकुरित कर के भी खाया जाता है ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण चना को स्वास्थ्य के लिए बेहतर (Gram is good for health)  प्रस्तुत हैं जिनसे चना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। शरीर में शक्ति (Power) और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाता है चना में खनिज लवण (Minerals) के रूप में मैगनिज काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा इसमें जरूरी पोषक तत्व जैसे थायमीन, मैंगीशियम और फॉस्फोरस भी पाया जाता है। मैंगीशियम शरीर में ऊर्जा के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाता है। महिलाओं में होंर्मोंन का लेवल (Hormones level) नियमित रखता है। इससे ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हों जाता है। 
भुना चना- कैलरी : 360, वसा : 5.2 ग्राम, प्रोटीन : 22.5 ग्राम, फाइबर : 1.0 ग्राम, आयरन : 9.5 मिग्रा 
                           
चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। चने के सबसे अधिक फायदे इन्हे अंकुरित करके खाने से होते है। चना शरीर में ताकत लाने वाला और भोजन में रुचि पैदा करने वाला होता है। सूखे भुने हुए चने बहुत रूक्ष और वात तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाले होते हैं। उबले हुए चने कोमल, रुचिकारक, पित्त, शीतल, कषैले, वातकारक, ग्राही, हल्के, कफ तथा पित्त नाशक होते हैं। 
चना शरीर को चुस्त-दुरुस्त करता है। खून में जोश पैदा करता है। यकृत (जिगर) और प्लीहा के लिए लाभकारी होता है। तबियत को नर्म करता है। खून को साफ करता है। धातु को बढ़ाता है। आवाज को साफ करता है। रक्त सम्बन्धी बीमारियों और वादी में लाभदायक होता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। इसको पानी में भिगोकर चबाने से शरीर में ताकत आती है।

वैसे तो चने को आप खाने में जरूर इस्तेमाल करें। यह किसी दवा से कम नहीं है। चने खाने से एक नहीं कई फायदे मिलते हैं तो क्यों नहीं अंकुरित चनों का इस्तेमाल रोज किया जा सकता है। विनय आयुर्वेदा का प्रयास है आपके स्वास्थ के लिए हर जरूरी चीज को आप तक पहुंचाना जो आप और आपके परिवार के लिए जरूरी और फायदेमंद है। चना विशेषकर किशोरों, जवानों तथा शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए पौष्टिक नाश्ता होता है। 
इसके लिए 25 ग्राम देशी काले चने लेकर अच्छी तरह से साफ कर लें। मोटे पुष्ट चने को लेकर साफ-सुथरे, कीडे़ या डंक लगे व टूटे चने निकालकर फेंक देते हैं। शाम के समय इन चनों को लगभग 125 ग्राम पानी में भिगोकर रख देते हैं। सुबह के समय शौचादि से निवृत्त होकर एवं व्यायाम के बाद चने को अच्छी तरह से चबाकर खाएं और ऊपर से चने का पानी वैसे ही अथवा उसमें 1-2 चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं। देखने में यह प्रयोग एकदम साधारण लगता है किन्तु यह शरीर को बहुत ही स्फूर्तिवान और शक्तिशाली बनाता है। चने की मात्रा धीरे-धीरे 25 से 50 ग्राम तक बढ़ाई जा सकती है। भीगे हुए चने खाने के बाद दूध पीने से शारीरिक बल पुष्ट होता है। व्यायाम के बाद रात के भीगे हुए चने, चने का पानी के साथ पीने से स्वास्थय अच्छा बना रहता है। जिसकी पाचक शक्ति (भोजन पचाने की शक्ति) कमजोर हो, या चना खाने से पेट में गैस होता है तो उन्हें चने का सेवन नहीं करना चाहिए।

चना न्यूट्रिएंट्स के मामले में बादाम से ज्यादा फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में चने की दाल और चने को शरीर के लिए बेहद स्वास्थवर्धक बताया गया है। चने के सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। भीगे हुए चने में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल और विटामिन्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो कई बीमारियों से बचाने के साथ-साथ हेल्दी रहने में भी हमारी मदद करते हैं। वैसे तो हर इंसान के लिए चने खाने के अपने अलग ही फायदे हैं, लेकिन खासकर मर्दों को तो ये जरूर खाने चाहिये। क्योंकि चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में काफी सक्षम बनाता है।

अंकुरित चना  - अंकुरित चने खाना बहुत ही लाभप्रद होता है। अंकुरित चना धातु को पुष्ट, मांसपेशियों को सुदृढ़ व शरीर को वज्र के समान बना देता है तथा यह सभी चर्म रोगों को नष्ट करता है। विटामिन-सी की अधिकता वाला यह वजन को बढ़ाता है। खून में वृद्धि करता है और उसे साफ करता है। इसके अतिरिक्त अंकुरित चने का सेवन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं। यह रक्त में कोलेस्ट्राल को कम करता है और दिल की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।

चने अंकुरित करने की विधि - अंकुरित करने के लिए चने को अच्छी तरह पानी में साफ करके इतने पानी में भिगोएं कि उतना पानी चना सोख ले। इसे सुबह के समय पानी में भिगो दो और रात में साफ, मोटे, गीले कपडे़ या उसकी थैली में बांधकर लटका देते हैं। गर्मी में 12 घंटे और सर्दी के मौसम में 18 से 24 घंटों के बाद भिगोकर गीले कपड़ों में बांधने से दूसरे, तीसरे दिन उसमें अंकुर निकल आते हैं। गर्मी में थैली में आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहना चाहिए। इस प्रकार चने अंकुरित हो जाएंगे। अंकुरित चनों का नाश्ता एक उत्तम टॉनिक है। अंकुरित चनों में कुछ व्यक्ति स्वाद के लिए कालीमिर्च , सेंधानमक, अदरक की कुछ कतरन एवं नींबू के रस की कुछ बून्दे भी मिलाते हैं परन्तु यदि अंकुरित चने को बिना किसी मिलावट के साथ खाएं तो यह बहुत अधिक उत्तम होता है।

भीगे चने खाने के फायदे - शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती : शरीर को सबसे ज्यादा पोषण काले चनों से मिलता है। काले चने अंकुरित होने चाहिए। क्योंकि इन अंकुरित चनों में सारे विटामिन्स और क्लोरोफिल के साथ फास्फोरस आदि मिनरल्स होते हैं जिन्हें खाने से शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती है। काले चनों को रातभर भिगोकर रख लें और हर दिन सुबह दो मुट्ठी खाएं। कुछ ही दिनों में र्फक दिखने लगेगा।
वजन कम करना : अगर आपको अपना वजन कम करना है तो रोज़ाना सुबह उठकर खाली पेट भीगे हुए चने खाने से आपका वजन जल्द ही कम होने लगेगा।
कब्ज और पेट दर्द : रातभर भिगे हुए चनों से पानी को अलग कर उसमें अदरक, जीरा और नमक को मिक्स कर खाने से कब्ज और पेट दर्द से राहत मिलती है।
शरीर की ताकत : शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए अंकुरित चनों में नींबू, अदरक के टुकड़े, हल्का नमक और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं। आपको पूरे दिन की एनर्जी मिलेगी।   
चने का सत्तू : चने का सत्तू भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद औषघि है। शरीर की क्षमता और ताकत को बढ़ाने के लिए गर्मीयों में आप चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलकार पी सकते हैं। यह भूख को भी शांत रखता है।
पथरी की समस्या में चना : पथरी की समस्या अब आम हो गई है। दूषित पानी और दूषित खाना खाने से पथरी की समस्या बढ़ रही है। गाल ब्लैडर और किड़नी में पथरी की समस्या सबसे अधिक हो रही है। एैसे में रातभर भिगोए चनों में थोड़ा शहद मिलाकर रोज सेवन करें। नियमित इन चनों का सेवन करने से पथरी आसानी से निकल जाती है। इसके अलावा आप आटे और चने का सत्तू को मिलाकर बनी रोटियां भी खा सकते हो।
शरीर की गंदगी साफ करना : काला चना शरीर के अंदर की गंदगी को अच्छे से साफ करता है। जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की परेशानियां दूर होती हैं। और यह बुखार आदि में भी राहत देता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए : चना ताकतवर होता है। यह शरीर में ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज को कम करता है जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है। इसलिए अंकुरित चनों को सेवन डायबिटीज के रोगियों को सुबह-सुबह करना चाहिए।
मूत्र संबंधी रोग : मूत्र से संबंधित किसी भी रोग में भुने हुए चनों का सवेन करना चाहिए। इससे बार-बार पेशाब आने की दिक्कत दूर होती है। भुने हुए चनों में गुड मिलाकर खाने से यूरीन की किसी भी तरह समस्या में राहत मिलती है।
पुरूषों की कमजोरी दूर करना : अधिक काम और तनाव की वजह से पुरूषों में कमजोरी होने लगती है। एैसे में अंकुरित चना किसी वरदान से कम नहीं है। पुरूषों को अंकुरित चनों को चबा-चबाकर खाने से कई फायदे मिलते हैं। इससे पुरूषों की कमजोरी दूर होती है। भीगे हुए चनों के पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से पौरूषत्व बढ़ता है। और कमजोरी दूर होती है।
पीलिया के रोग में : पीलिया की बीमारी में चने की 100 ग्राम दाल में दो गिलास पानी डालकर अच्छे से चनों को कुछ घंटों के लिए भिगो लें और दाल से पानी को अलग कर लें अब उस दाल में 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 से 5 दिन तक रोगी को देते रहें। पीलिया से लाभ जरूरी मिलेगा। पीलिया रोग में रोगी को चने की दाल का सेवन करना चाहिए।
मुंह का सौंदर्य : चना के बेसन में नमक मिलाकर अच्छी तरह गौन्दकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर मलने से त्वचा में झुर्रियां नहीं आती हैं और चेहरा सुन्दर रहता है।
प्रदर रोग : भठ्ठी पर भूने हुऐ चने के छिलके उतारकर उसे पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें बराबर की मात्रा में मिश्री का चूर्ण मिलाकर 6-6 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में रोग लाभ मिलता है। चने के सत्तू में मिश्री डालकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से ‘शवेत प्रदर में लाभ होता है।
मोच : मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें-जैसे-जैसे चने फूलेंगे मोच अपने आप ही दूर हो जायेगी।
पथरी : गुर्दे या मूत्राशय में पथरी हो तो रात को एक मुट्ठी चने की दाल को भिगो देते हैं। सुबह के समय इस दाल को शहद मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।
अम्लपित्त : काले चनों और कालीमिर्च को मिलाकर पीसकर चटनी की तरह सेवन करने से अम्लपित्त शांत हो जाती है।चने की सब्जी खाने से गले की जलन कम हो जाती है।
दर्द व सूजन : कमर, हाथ, पैर या कहीं भी दर्द हो वहां बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। इस तरह मालिश करने से दर्द और सूजन ठीक हो जाती है।
शीतपित्त : चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खाने से पित्ती ठीक हो जाती है। 
मधुमेह के रोग : चने और जौ के आटे की रोटी खाने से मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है। 7 दिनों तक केवल चने की रोटी खायें। गूलर के पत्तों को उबालकर उसी पानी से नहायें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीयें। पेशाब में शक्कर (चीनी) आना बंद हो जायेगी और मधुमेह में लाभ होगा। रात को लगभग 30 ग्राम काले चने दूध में भिगो दें और सुबह उठते ही खा लें। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें। केवल चने (बेसन) की रोटी ही 10 दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर आना बंद हो जाता है। 25-30 ग्राम काले चनों को दूध में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। चने और जौ को बराबर मात्रा में पीसकर उसकी रोटी खायें। इससे पेशाब में शक्कर आना कम हो जाता है।
ट्यूमर : चने का आटा गूगल में मिलाकर, टिकिया बनाकर गिल्टी (ट्यूमर) पर रखें। इससे गिल्टी (ट्यूमर) की सूजन दूर होती है।
सभी प्रकार के दर्द होने पर : भुने हुऐ चनों को खाने से `अन्नद्रव शूल´ यानी अनाज के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
चेहरे की झांई के लिए : 2 बड़े चम्मच चने की दाल को आधा कप दूध में रात को भिगोकर रख दें। सुबह दाल को पीसकर उसी दूध में मिला लें। फिर इसमें एक चुटकी हल्दी और 6 बूंदे नींबू की मिलाकर चेहरे पर लगाकर रखें। सूखने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगाने से चेहरे की झाईयां दूर हो जाती हैं।
खाज-खुजली : बिना नमक के चने के आटे की रोटी को लगातार 64 दिन तक खाने से दाद, खुजली आदि रोग मिट जाते हैं।
घबराहट या बेचैनी : लगभग 50 ग्राम चना और 25 दाने किशमिश को रोजाना रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट चने और किशमिश खाने से घबराहट दूर हो जाती है।
दिल के रोग : दिल के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधानमक डालकर खाना चाहिए।
त्वचा के रोग के लिए : चने की रोटी खाने से या अंकुर फूटे हुए चने खाने से हर प्रकार के त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं। 
निम्नरक्तचाप : 20 ग्राम काला चना और 25 दाने किशमिश या मुनक्का रात को ठण्डे पानी में भिगो दें। सुबह रोजाना खाली पेट खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होगा और साथ ही साथ चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
दाद : 64 दिन तक लगातार बिना नमक के चने के आटे की रोटी खाने से दाद, खुजली और खून की खराबी दूर हो जाती है।
पीलिया का रोग : जौ के सत्तू की तरह चना का सत्तू भी पीलिया रोग में लाभदायक है। 1 मुट्ठी चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगो दें। फिर दाल को निकालकर बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 3 दिन तक खाना चाहिए। प्यास लगने पर दाल का वहीं पानी पीना चाहिए। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
मानसिक उन्माद (पागलपन) : पित्त (गर्मी) के कारण पागलपन हो तो शाम को 50 ग्राम चने की दाल पानी में भिगो देते हैं। सुबह के समय पीसकर चीनी और पानी मिलाकर 1 गिलास भरकर पीने से पागलपन के रोग में लाभ होता है। चने की दाल को भिगोकर उसका पानी पिलाने से उन्माद (मानसिक पागलपन) और उल्टी ठीक हो जाती है।
सौन्दर्यवर्द्धक : चावल, जौ, चना, मसूर और मटर को बराबर की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा चूर्ण लेकर लेप बना लें और चेहरे पर लगायें। थोड़े दिनों तक यह लेप रोजाना चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक उठेगा। बेसन से चेहरा धोने से चेहरे के धब्बे, झांई मिट जाती हैं। चेहरा सुन्दर निकलता है। तेज धूप, गर्मी, लू से त्वचा की रक्षा के लिए बेसन को दूध या दही में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह-शाम आधा घंटे चेहरे पर लगा रहने दें। इससे रूप निखर जाता है।
शरीर की जलन : 2 मुट्ठी भर चने का छिलका लें। फिर 2 गिलास पानी लेकर एक मिट्टी के बर्तन में डाल दें और चने का छिलका उसमें भिगो दें। सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पी जायें इससे शरीर की जलन बिल्कुल मिट जाती है।
सदमा : 20 ग्राम काले चने और 25 दाने किशमिश या मुनक्कों को ठण्डे पानी में शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इनको खाली पेट खाने से सदमे आना बंद हो जाता है।
बालरोग : चने के आटे को खूब बारीक पीसकर पानी में मिलाकर गर्म करके बच्चे के पेट पर मालिश करने से आराम आता है।
जलने पर : चने को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से तुरन्त आराम आ जाता है।
सफेद दाग : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और बचा हुआ पानी कपडे़ की पोटली के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर लगातार 6 हफ्तों खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
सिर का दर्द : सिर में दर्द होने पर कच्चे चनों का जूस बनाकर पीने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा नजला-जुकाम भी ठीक हो जाता है। 100 ग्राम नुकती, दाने या मोतीचूर के लड्डू पर आधा चम्मच घी और 10 पिसी हुई कालीमिर्च डालकर खाने से कमजोरी से होने वाला सिर दर्द समाप्त हो जाता है।
त्वचा का मुलायम और चमकदार होना : चने के बेसन को गुलाबजल में घोलकर चेहरे और पूरे शरीर पर मल लें। 10 मिनट के बाद नहा लें। इससे त्वचा में जो चिकनाई होती है वह निकल जाती है।
शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाना : लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर शाम को 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। अब इस दाल को सुबह उठकर किशमिश और मिश्री में मिलाकर अच्छी तरह से चबाकर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का  बल भी बढ़ता है।
शरीर की लम्बाई : रात को सोते समय थोड़े से देशी चने लेकर उनको पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को 2-3 तीन महीने तक खाना चाहिए।
जुकाम : 50 ग्राम भुने हुए चनों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। इस पोटली को हल्का सा गर्म करके नाक पर लगाकर सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और सांस लेने में परेशानी नहीं होती है। गर्म-गर्म चने को किसी रूमाल में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। चने को पानी में उबालकर इसके पानी को पी जायें और चने को खा लें। चने में स्वाद के लिए कालीमिर्च और थोड़ा-सा नमक डाल लें। चने का सेवन करना जुकाम में बहुत लाभ करता है।
खूनी बवासीर : सेंके हुए गर्म-गर्म चने खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है
कब्ज : 1 या 2 मुट्ठी चनों को धोकर रात को भिगो दें। सुबह जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पीने से कब्ज दूर होती है। अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहूं के आटे में चने को मिलाकर इसकी रोटी खाने से कब्ज मिट जाती हैं। रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
रूसी : 4 बड़े चम्मच चने का बेसन एक बड़े गिलास पानी में घोलकर बालों पर लगायें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे सिर की फरास या रूसी दूर हो जाती है।
श्वास नली के रोग : रात को सोते समय एक मुट्ठी भुने या सेंके हुए चने खाकर ऊपर से एक गिलास दूध पीने से श्वास नली (सांस की नली) में जमा हुआ बलगम निकल जाता है।
शरीर में दर्द : कमर, हाथ-पैर जहां कहीं भी दर्द हो, उस जगह पर बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। एक बार मालिश किये हुए बेसन को दुबारा मालिश के काम में ला सकते हैं। इस तरह से मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है।
शरीर पुष्टि : भीगी हुई चने की दाल में शक्कर मिलाकर रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर पुष्ट होता है। इसे खाकर पानी न पिये।
दाद-खुजली : चने के आटे की रोटी बिना नमक की लगभग 2 महीने तक लगातार खाने से दाद, खुजली और रक्तविकार (खून के रोग) नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ घी भी ले सकते हैं।
त्वचा का कालापन : लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध, थोड़ा सा पानी सभी को मिलाकर पेस्ट सा बनाकर पहले चेहरे पर मले और फिर सारे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार का उबटन करते रहने से त्वचा का कालापन दूर हो जाएगा।
तेलीय त्वचा : यदि चिकनी त्वचा है तो बेसन में गुलाबजल मिलाकर चेहरे व शरीर पर लगाएं। इससे त्वचा का तैलीयपन हट जाता है।
चेहरे का सौंदर्यवर्धक : चने की भीगी हुई दाल को पीसकर उसमें हल्दी तथा कुछ बूंदे किसी तेल की डालकर उबटन बनाएं। यह बहुत ही लाभकारी होता है।
उल्टी : रात को एक मुट्ठी चने को एक गिलास पानी में भिगो देते हैं। सुबह इसके पानी को छानकर पी लेते हैं। यदि गर्भवती स्त्री को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू का सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भवती स्त्री की उल्टी बंद हो जाती है।
सफेद दाग : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। 24 घंटे बाद अंकुर निकलने पर इन चनों को चबा-चबाकर लगातार कुछ महीने तक खाते रहने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं।
माता के दूध में वृद्धि : यदि माता अपने बच्चे को दूध पिलाने में दूध की कमी प्रतीत कर रही हो तो उसे लगभग 50 ग्राम काबुली चने रात को दूध भिगोकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। सुबह दूध को छानकर अलग कर लेते हैं। इन चनों को चबा-चबाकर खाएं। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पी लेते हैं। ऐसा करने से दूध बढ़ जाता है।
माँ बनने में सहायक : यदि किसी भी औरत को माँ ना बनने का भय हो उसे चनों का काढ़ा पिलाना चाहिए इससे माँ बनने की संभावना बढ़ जाती है।
पित्ती : 100 ग्राम चने के बेसन से बने मोतिया लड्डुओं के साथ 10 पिसी कालीमिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की गर्मी में लाभ मिलता है।
पेशाब का बार-बार आना : 25 से 50 ग्राम की मात्रा में भुने हुए चने खूब चबाकर खायें बाद में ऊपर से थोड़ा गुड़ खाकर पानी पी लें। आधा महीने तक यह प्रयोग लगातार आधा पेट खाना खाने के बाद करें यदि पाचन क्रिया खराब हो तो इसे न लें।
श्वास या दमा का रोग : भुने हुए चने रात में खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से सांस की नली का बलगम निकल जाता है।लगभग 150 ग्राम सेंके हुए चने व 150 ग्राम खेरी गोन्द को अलग-अलग पीसकर चूर्ण बनाकर दोनों को मिला देते हैं। दिन में 3-4 बार 2-3 चुटकी चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) में लाभ मिलता है।
खांसी : चने का जूस बनाकर पीने से जुकाम और कफज-बुखार में लाभ मिलता है।
गैस्ट्रिक अल्सर : चने का सत्तू बनाकर पीने से गैस्ट्रिक के मरीज को लाभ होता है।
अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना) : चने को पानी में भिगोकर रातभर रख दें। सुबह इसका पानी पीने से भस्मक-रोग (बार-बार भूख लगना) मिट जाता है।
वमन (उल्टी) : चनों को रात को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसका पानी पी लें। अगर किसी गर्भवती औरत को उल्टी हो रही हो तो भुने हुए चने का सत्तू (जूस) बनाकर पिलायें।
कच्चे चनों को पानी में भिगोकर रख दें। फिर कुछ समय बाद उसी पानी को छानकर पीने से उल्टी होना बंद जाती है।
हिचकी का रोग : चने की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है। चना और अरहर की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी नहीं आती है।
कुष्ठ रोग में चना : कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान यदि तीन साल तक अंकुरित चने खाएं। तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। 
अस्थमा रोग में : अस्थमा से पीडि़त इंसान को चने के आटे का हलवा खाना चाहिए। इस उपाय से अस्थमा रोग ठीक होता है।
त्वचा की समस्या में : चने के आटे का नियमित रूप से सेवन करने से थोड़े ही दिनों में खाज, खुजली और दाद जैसी त्वचा से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं।
कफ और सांस की नली से संबंधित रोग : लंबे समय से चली आ रही कफ की परेशानी में भुने हुए चनों को रात में सोते समय अच्छे से चबाकर खाएं और इसके बाद दूध पी लें। यह कफ और सांस की नली से संबंधित रोगों को ठीक कर देता है।
चेहरे की चमक के लिए चना : चेहरे की रंगत को बढ़ाने के लिए नियमित अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए। साथ ही आप चने का फेस पैक भी घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकेत हो। चने के आटे में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है। महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड जरूर खाना चाहिए।
दाद खाज और खुजली : एक महीने तक चने के आटे की रोटी का सेवन करने से त्वचा की बीमारियां जैसे खुजली, दाद और खाज खत्म हो जाती हैं

Friday 22 November 2019

अलसी के फायदे -जो खाए अलसी जवानी ज़िंदाबाद, और बुढ़ापा बाय बाय

अलसी – एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन

अलसी एक प्रकार का तिलहन है। इसका बीज सुनहरे रंग का तथा अत्यंत चिकना होता है। फर्नीचर के वार्निश में इसके तेल का आज भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक मत के अनुसार अलसी वातनाशक, पित्तनाशक तथा कफ निस्सारक भी होती है। मूत्रल प्रभाव एवं व्रणरोपण, रक्तशोधक, दुग्धवर्द्धक, ऋतुस्राव नियामक, चर्मविकारनाशक, सूजन एवं दरद निवारक, जलन मिटाने वाला होता है। यकृत, आमाशय एवं आँतों की सूजन दूर करता है। बवासीर एवं पेट विकार दूर करता है। सुजाकनाशक तथा गुरदे की पथरी दूर करता है। अलसी में विटामिन बी एवं कैल्शियम, मैग्नीशियम, काॅपर, लोहा, जिंक, पोटेशियम आदि खनिज लवण होते हैं। इसके तेल में 36 से 40 प्रतिशत ओमेगा-3 होता है।
जब से परिष्कृत यानी “रिफाइन्ड तेल” (जो बनते समय उच्च तापमान, हेग्जेन, कास्टिक सोडा, फोस्फोरिक एसिड, ब्लीचिंग क्ले आदि घातक रसायनों के संपर्क से गुजरता है), ट्रांसफेट युक्त पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा यानी वनस्पति घी (जिसका प्रयोग सभी पैकेट बंद खाद्य पदार्थों व बेकरी उत्पादनों में धड़ल्ले से किया जाता है), रासायनिक खाद, कीटनाशक, प्रिजर्वेटिव, रंग, रसायन आदि का प्रयोग बढ़ा है तभी से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ी है। हलवाई और भोजनालय भी वनस्पति घी या रिफाइन्ड तेल का प्रयोग भरपूर प्रयोग करते हैं और व्यंजनों को तलने के लिए तेल को बार-बार गर्म करते हैं जिससे वह जहर से भी बदतर हो जाता है। शोधकर्ता इन्ही को डायबिटीज का प्रमुख कारण मानते हैं। पिछले तीन-चार दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-3 वसा अम्ल की मात्रा बहुत ही कम हो गई है और इस कारण हमारे शरीर में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल यानी हिंदी में कहें तो ॐ-3 और ॐ-6 वसा अम्लों का अनुपात 1:40 या 1:80 हो गया है जबकि यह 1:1 होना चाहिये। यह भी डायबिटीज का एक बड़ा कारण है। डायबिटीज के नियंत्रण हेतु आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक व दैविक भोजन अलसी को “अमृत“ तुल्य माना गया है।
अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। सम्पूर्ण विश्व ने अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है । अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते है।
ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं, उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया आदि संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं, हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।  आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है। आई.बी.एस., अल्सरेटिव कोलाइटिस, अपच, बवासीर, मस्से आदि का भी उपचार करती है अलसी।
अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती, बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से सुरक्षा और उपचार भी करती है। अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है। अलसी बी.एम.आर. बढ़ाती है, खाने की ललक कम करती है, चर्बी कम करती है, शक्ति व स्टेमिना बढ़ाती है, आलस्य दूर करती है और वजन कम करने में सहायता करती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांस-पेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।अलसी कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सही रखती है। रक्त को पतला बनाये रखती है अलसी। रक्तवाहिकाओं को साफ करती रहती है अलसी।
अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
मीनोपोज़ (माहवारी सम्बंधित) की तकलीफों पर पॉज़ लगा देती है अलसी।
पुरुषरोग में सस्टेन्ड रिलीज़ वियाग्रा है अलसी। जो अलसी खाये वो गाये जवानी ज़िंदाबाद बुढ़ापा बाय बाय।
पुरूष को कामदेव तो स्त्रियों को रति बनाती है अलसी।
बॉडी बिल्डिंग के लिये नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।
जोड़ की तकलीफों का तोड़ है अलसी। जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी का सस्ता और बढ़िया विकल्प है अलसी।
क्रूर, कुटिल, कपटी, कठिन, कष्टप्रद कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है अलसी।
1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है। यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है। उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी। इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।

अलसी सेवन का तरीकाः---  

हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।
इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।
अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है। पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है। अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें। स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।
इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है। यह नाश्ते के साथ लें।
बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है। इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है।
अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। तीन घंटे बाद छानकर पीएं। इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा। मूत्र भी खुलकर आने लगेगा। इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है।डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है। अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)

Monday 18 November 2019

अजवाइन( Carom Seeds) का उपयोग , फायदे और नुकसान




अजवाइन के फायदे  
अजवाइन ऐसी चीज है, जो न सिर्फ आपके खाने का जायका बढ़ाती है, बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी ठीक रखती है। यही कारण है कि भारतीय भोजन में अजवाइन का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, पेट में दर्द होने या गैस बनने पर बड़े-बुजुर्ग भी एक चुटकी अजवाइन खाने की सलाह देते हैं। यकीनन, यह सलाह काम आती है और असमय उठे पेट दर्द से राहत मिलती है।विद्रोही आवाज स्वास्थ्य ब्लॉग  के इस लेख में हम आपको अजवाइन के फायदे से रू-ब-रू कराएंगे। इसके अलावा, यह भी बताएंगे कि आप किस-किस तरह से अजवाइन का सेवन कर सकते हैं। अजवाइन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है, लेकिन यह त्वचा और बालों के लिए भी गुणकारी है। फिलहाल, हम पहले सेहत के लिए अजवाइन के फायदे बता रहे हैं।

1. एसिडिटी, अपच और पेट की अन्य समस्याओं से बचाए

अगर आपको एसिडिटी की समस्या रहती है, तो अजवाइन का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटीएसिड गुण होते हैं, जो एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन में एक चम्मच जीरा और थोड़ा अदरक का पाउडर मिलाकर सेवन करें।
विद्रोही आवाज स्वास्थ्य ब्लॉग 

2. गैस और कब्ज

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गैस और कब्ज की समस्या किसी को भी हो सकती है। ऐसे में अजवाइन आपके लिए असरदार साबित हो सकती है। इसमें थाइमोल की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ता है। इसके अलावा, अजवाइन में रेचक (लैक्सटिव) गुण होते हैं, जिस कारण कब्ज की समस्या दूर होती है और मल त्यागने में आसानी होती है 

3. दिल के लिए फायदेमंद

अजवाइन आपके कोलेस्ट्राॅल के स्तर को ठीक रखती है, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है । इसके अलावा, यह सीने के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं।

4. अस्थमा

गुनगुने पानी के साथ अजवाइन खाने से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में भी राहत मिलती है। आप दिन में दो बार गुड़ के साथ अजवाइन खा सकते हैं। इसमें एंटीस्पैमोडिक और कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो अस्थमा में राहत पहुंचाते हैं ।

5. सर्दी, फ्लू और वायरल इन्फेक्शन

अगर आपको सर्दी, फ्लू या वायरल इन्फेक्शन की समस्या हो, तो अजवाइन प्रभावी असर दिखाती है। सर्दी के कारण बंद हुई नाक में भी अजवाइन फायदा पहुंचाती है। अगर नाक बंद हो, तो गर्म पानी में अजवाइन डालकर भांप लें। आपको राहत महसूस होगी। इसके अलावा, अगर सर्दी, फ्लू या वायरल इन्फेक्शन के कारण गले में खराश है, तो हल्दी और अजवाइन को गर्म दूध में मिलाकर लें। इससे आपको आराम मिलेगा 

6. मुंह की समस्याएं

अजवाइन मुंह की समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करती है। अगर आपको दांत में दर्द है, तो अजवाइन से राहत मिल सकती है। आप अजवाइन का तेल और लौंग का तेल मिलाकर दांत पर लगाएं, ताे इससे दर्द भी कम होगा और मुंह से दुर्गंध भी नहीं आएगी ।

7. डायरिया

अजवाइन डायरिया से राहत दिलाने में भी मदद करती है। इसके लिए एक गिलास पानी में अजवाइन डालकर उबालें। फिर इस पानी को ठंडा कर दिन में दो बार पिएं ।
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8. जोड़ों में दर्द

अर्थराइटिस और जोड़ों में दर्द के लिए अजवाइन काफी लाभकारी होती है। अगर आपको जोड़ों में दर्द रहता है, तो प्रभावित भाग पर अजवाइन के तेल से मालिश करें। आपको राहत महसूस होगी 

9. डायबिटीज

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अजवाइन लाभदायक साबित होती है। इसके लिए आप नीम की पत्तियों को छांव में सुखा लें। इसका पाउडर बनाकर एक डिब्बे में भर लें। रात के समय में गर्म दूध में एक चम्मच नीम और आधा-आधा चम्मच अजवाइन व जीरे का पाउडर डालकर लगातार 30 दिन तक पीने से आपको फायदा हो सकता है।

10. मासिक धर्म में लाभदायक

अगर आपको मासिक धर्म में दर्द या अनियमितता की शिकायत है, तो आप अजवाइन का सेवन कर सकती हैं । इसके लिए आप मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर एक मुट्ठी अजवाइन डालकर रातभर के लिए छोड़ दें। फिर इसे अगली सुबह पीसकर पी लें। आपको फायदा होगा।

11. कान दर्द

कान दर्द की समस्या से राहत दिलाने में अजवाइन खास भूमिका निभाती है। अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। अगर आपको कान दर्द की समस्या ज्यादा है, तो दो चम्मच तिल के तेल में दो चम्मच अजवाइन और एक चम्मच लहसुन डालकर तेल के लाल होने तक गर्म करें। फिर इसे ठंडा करके कुछ बूंदें कान में डालें। यह तेल कान में फुंसी होने पर भी लाभ पहुंचा सकता है ।
नोट : बेशक यह घरेलू उपचार कान दर्द में लाभकारी है, लेकिन इसे उपयोग करने से पहले एक बार कान के डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

12. स्तनपान के लिए

आपको जानकर हैरानी होगी कि स्तन दूध बढ़ाने में अजवाइन काफी प्रभावशाली होती है। अजवाइन आपके गर्भाशय को साफ करती है और ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक चम्मच सौंफ और आधा चम्मच अजवाइन एक लीटर पानी में डालकर उबालें। इस पानी को आप रोजाना पिएं।

13. वजन कम करे


मोटापा कम करने के लिए इवा चूर्ण 3 माह सेवन करे - 8460783401 
3 माह मे 10 किलो वजन कम करे - 8460783401 
अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो अजवाइन आपको फायदा पहुंचा सकती है। इसके लिए आप रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच अजवाइन पानी के साथ लें। रोजाना इसे लेने से आप एक महीने में तकरीबन चार से पांच किलो वजन कम कर पाएंगे ।

त्वचा के लिए अजवाइन के फायदे 

  1. फोड़े-फुंसी और एक्जिमा : फोड़े -फुंसी और एक्जिमा की समस्या होने पर भी आप अजवाइन का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप अजवाइन को गुनगुने पानी में डालें और इसे पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को प्रभावितभाग पर लगाएं। बेहतर परिणाम के लिए आप अजवाइन के पानी से प्रभावित क्षेत्र को धो भी सकते हैं।

2. कील-मुंहासों के लिए

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कील-मुंहासों से राहत पाने के लिए भी आप अजवाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। अजवाइन त्वचा से मुंहासों के निशान दूर करने में भी मदद करती है। मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए आप अजवाइन के पाउडर का पेस्ट बनाएं और 10 से 15 मिनट के लिए अपने चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो, सामान्य पानी से चेहरा धो लें। आप कुछ दिनों तक नियमित रूप से इस प्रक्रिया को अपनाएं। कुछ ही दिनों में आपको मुंहासों के निशान से छुटकारा मिल सकता है।
  1. झुर्रियों के लिए : झुर्रियों से राहत पाने के लिए अजवाइन आपकी मदद कर सकती है। चूंकि, अजवाइन में विटामिन-ए और विटामिन-सी होता है, जो त्वचा में कसावट लाते हैं। इनके चलते चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं।
  2. बॉडी क्लींजर : अजवाइन की चाय आपके शरीर से टॉक्सिन दूर करने में मदद करती है, जिससे कई तरह की त्वचा की समस्याएं दूर रहती हैं। यह आपका रक्त साफ करती है और शरीर में रक्त संचार को दुरुस्त करने में मदद करती है।
  3. ऑयली स्किन के लिए :अगर आपकी स्किन ऑयली है, तो अजवाइन आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसमें सोडियम, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

बालों के लिए अजवाइन के फायदे 

जिस तरह से अजवाइन स्वास्थ्य और त्वचा के लिए फायदे है, उसी तरह से बालों के लिए भी अजवाइन काफी फायदेमंद है। नीचे हम बताएंगे कि किस तरह अजवाइन बालों को फायदा पहुंचाती है।
खुजली और जूं से बचाए : अगर आपके सिर में तेज खुजली होती है या सिर में जूं पड़ गई है, तो अजवाइन आपके काम आ सकती है। इसके लिए आप एक चम्मच फिटकरी को दो चम्मच अजवाइन के साथ पीस लें और एक कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ में लगाएं। यह काम आप रात को सोने से पहले करें। अगली सुबह उठकर सिर धो लें। इससे सिर की जूएं मर जाएंगी।

बालों को सफेद होने से बचाए – 

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अजवाइन आपके बालों को असमय सफेद होने से भी बचाती है। इसके लिए आप दो से तीन करी पत्ता, दो सूखे अंगूर, एक चुटकी अजवाइन व स्वादानुसार चीनी को एक कप पानी में मिक्स करके पकाएं। आप इस पानी को रोजाना पिएं। ऐसा रोज करने से आपके बाल समय से पहले सफेद नहीं होंगे।

अजवाइन का उपयोग कैसे करें? 

हालांकि, हमने ऊपर अलग-अलग समस्याओं को लेकर अजवाइन इस्तेमाल करने के तरीके बताए हैं, लेकिन इसके अलावा कुछ आसान तरीके भी हैं, जो आप आजमा सकते हैं। नीचे हम बता रहे हैं कि अजवाइन का उपयोग कैसे करें :
  • अजवाइन भूख बढ़ाने का काम भी करती है। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ खाएं। इससे आपको अच्छी भूख लगेगी।
  • अगर आपको गैस या पेट फूलने की समस्या है, तो अजवाइन को तवे पर भूनकर उसे नींबू व नमक के साथ चाटने से राहत मिलती है।
  • आप पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अजवाइन का पानी भी पी सकते हैं।
  • अगर आपको फ्लू या गले में खराश की समस्या है, तो एक चौथाई अजवाइन, एक चुटकी नमक और एक लौंग को मुंह में रखकर चूसें। आपको राहत महसूस होगी।
  • इसके अलावा, खाना बनाते समय दाल या सब्जी में अजवाइन के साथ तड़का लगाने से खाना स्वादिष्ट भी बनेगा और उसे पचाने में आसानी भी रहेगी।

अजवाइन के नुकसान – 

भले ही अजवाइन फायदे होती है, लेकिन अगर इसका अत्यधिक सेवन किया गया, तो यह नुकसान भी कर सकती है। नीचे हम अजवाइन के कुछ नुकसान बताने जा रहे हैं।
  1. अगर अजवाइन का ज्यादा सेवन किया जाता है, तो इससे आपको पेट में जलन, उल्टी और सिर दर्द की समस्या हो सकती है।
  2. अगर आपको मुंह में छाले, पेट में अल्सर या आंतरिक रक्तस्राव की समस्या है, तो अजवाइन का सेवन इन समस्या को और बढ़ा सकता है।
  3. अगर आप अजवाइन का ज्यादा सेवन करते हैं, तो एसिडिटी की समस्या कम होने की जगह बढ़ सकती है।
इस लेख में हमने अजवाइन खाने के फायदे से लेकर अजवाइन के नुकसान तक के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही इस लेख में हमने आपको अजवाइन खाने के तरीके बताने के प्रयास किए हैं। आप ऊपर बताए गए तरीकों को अपनाएं और अजवाइन के फायदे उठाएं। इसके अलावा, यह लेख दूसरों के साथ भी शेयर करें, ताकि उन्हें भी इसके फायदे पता चल सकें।

Wednesday 24 July 2019

सफेद मिर्च – गठिया मधुमेह से लेकर कैंसर तक दूर करती है

सफेद मिर्च उतनी प्रचलन में नहीं है जितनी कि काली मिर्च, लेकिन सफेद मिर्च के फायदे जाने विनय आयुर्वेदा से  जानकर आप इसका इस्‍तेमाल करना जरूर शुरू कर देंगे ।

खाना बनाने में हम ज्‍यादातर काली मिर्च का ही इस्‍तेमाल करते हैं । ये खाने के स्‍वाद को भी बढ़ाती है और खाने को खास खुशबू भी देती है । लेकिन क्‍या आपने सफेद मिर्च के बारे में सुना है, क्‍या आप जानते हैं ये दिखने में कैसी होती है या फिर स्‍वाद में कैसी होती है । और सबसे जरूरी बात ये कि क्‍या इसके भी फायदे हैं जो सेहत को लाभ पहुंचाते हैं । जी हां , हम बात कर रहे हैं सफेद मिर्च या दखनी मिर्च की, जो काली मिर्च जितनी प्रचलन में नहीं है लेकिन इसके फायदे बेजोड़ हैं । आपने अक्सर खाना बनाने के लिए काली मिर्च का प्रयोग किया होगा। काली मिर्च हमारी स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होती है। पर क्या आपको पता है कि काली मिर्च से भी ज्यादा सफेद मिर्च हमारी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। सफेद मिर्च में भरपूर मात्रा में फ्लेवोनोइड, विटामिन व एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण मौजूद होते हैं। इसके प्रयोग से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।  गर्भवस्था और स्तनपान के समय महिलाओं सफेद मिर्च खाने से बचना चाहिए।. इसके अलावा ज्यादा मात्रा में सफेद मिर्च खाने से बचना चाहिए।

सफेद मिर्च के गुण – सफेद मिर्च या दखनी मिर्च दिखने में ऑफ वाइट कलर की होती है । इसके बीज गोल होते हैं जो बाहर से खुरदुरे होते हैं ।  ये फ्लेवोनोइड, विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है । इस मिर्च का प्रयोग प्राचीन समय से औषधियों के निर्माण में हो रहा है । लेकिन एक बात का ख्‍याल अवश्‍य रखें दखनी मिर्च की तासीर बहुत गर्म होती है, बच्‍चों या बुजुर्गों को देने से पहले इसकी परख जरूर कर लें ।

गठिया को कहें हमेशा के लिए अलविदा- उम्र ढलने के साथ हड्डियों की परेशानी होना आम बात है । लेकिन आजकल बच्‍चों, युवाओं, अधेड़ उम्र के लोगों में भी गठिया, बाय की समस्‍या होने लगी है । जोड़ों में दर्द तो जैसे आम समस्‍या हो गई है । आपकी इस समस्‍या का समाधान है सफेद मिर्च । सफेद मिर्च में मौजूद फ्लेवोनोइड और कैप्सैसिइन मांसपेशियों में सूजन के साथ गठिया ओर जोड़ों में दर्द को भी दूर कर देते हैं । इसका सेवन करना लाभदायक है 

सर्दी-खांसी – सफेद मिर्च का रोजाना सेवन आपको मौसमी बीमारियों से बचाता है । खासकर सर्दियों और बरसात के मोसम में ये आपको वायरस के अटैक से सुरक्षित रखता है । सफेद मिर्च में मौजूद एंटी बायटिक गुण शरीर को गर्म रखते हैं और सर्दी लगने से बचाते हैं । इसका सेवन करना बेहद आसान है । कच्चे शहद के साथ सफेद मिर्च को मिलाएं और हल्‍का गुनगुना कर इसका सेवन करें । ये आपको सर्दी, खांसी, कफ, जुकाम और बुखार से आपको बचाएगी ।

कैंसर से बचाव-  कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भला सफेद मिर्च आपको कैसे बचाएगी, या कोई भी घरेलु नुस्‍खा इसमें कैसे काम आता है । आपके मन में ये सवाल जरूर उठता होगा । दरअसल जो भी फल, सब्‍जी या मसाला कैंसर से बचाव में काम आता है उसमें एंटी कैंसर गुण होते हैं । जिनका सेवन नियमित रूप से करने पर आपकी बॉडी में कैंसर कोशिकाएं उत्‍पन्‍न ही नहीं होने देते । दखनी मिर्च भी कैंसर से आपका बचाव करती है ।

पाचन तंत्र – सफेद मिर्च आपके डायजेस्टिव सिस्‍टम को दुरुस्‍त रखती है, इसका इस्‍तेमाल करने से पाचन संबंधी कई परेशानियां दूर हो जाती हैं । सफेद मिर्च में मौजूद हाइड्रोक्‍लोरिक एसिड आपके पाचन तंत्र में जाकर उसे फिट रखता है और आपको एसिडिटी,अपच, गैस, अल्सर और पेट में इंफेक्शन जैसी समस्‍याएं नहीं होती हैं । सफेद मिर्च का प्रयोग रोजाना करने से आपको उसके लाभ मिलते हैं ।

हार्ट प्रॉब्‍लम्‍सदिल के लिए सफेद मिर्च बहुत सेहतमंद मानी जाती है । सफेद मिर्च को खाने से बॉडी के टॉथ्‍क्‍सक एलीमेंट्स पेशाब द्वारा शरीर से बाहर चले जाते हैं । शरीर एकदम साफ रहता है । जिसका फायदा हमारे दिल को मिलता है । दिल स्‍वस्‍थ रहता है और दिल के रोग होने के चांसेज काफी हद तक कम हो जाते हैं । सफेद मिर्च शरीर के अंदरूनी अंगों को बहुत फायदा पहुंचाती है । ये किडनी के लिए भी फायदेमंद है ।

डायबिटीजसफेद मिर्च का सबसे बेहतरीन फायदा है डायबिटीज को कंट्रोल करना । इसके रोजाना सेवन से आपका मधुमेह नियंत्रण में रहता है । मेथी के बीज, हल्दी और सफेद मिर्च पाउडर को एक साथ मिलाकर दूध के साथ रोजाना पीने से डायबिटीज कंट्रोल में रहती है । ये तो आप अच्‍छे से जानते हैं कि डायबिटीज एक बार हो जाए तो उसका जाना बहुत ही मुश्किल है । ऐसे में सफेद मिर्च उसे हमेशा कंट्रोल में रख सकती है ।

डैंड्रफ –  सर्दियों में रूसी की समस्‍या से सभी परेशान रहते हैं । खासतौर से महिलाएं । सफेद मिर्च आपकी इस प्रॉब्‍लम को जड़ से मिटा सकती है । सफेद मिर्च और दही को मिक्‍स करें अब इस मिश्रण से बालों की जड़ों को अच्‍छे से मसाज करें । खोपड़ी पर इस पेस्‍ट को लगे रहने दें । करीब आधे घंटे बाद इस पेस्‍ट को गुनगुने पानी से धो दें । हफ्ते में दो बार प्रयोग से ही आपको इसके नतीजे मिलने शुरू हो जाएंगे ।