Monday 28 August 2017

रतिवल्ल्लभ पाक - शरीर 10 गुना पुष्ट और शक्तिशाली बने

रतिवल्लभ पाक मतलब शरीर का शक्तिशाली बूस्टर :-आयुर्वेद में एक से बढ़ कर एक ऐसे दिव्य योग उपलब्ध है जिनका सेवन करके शरीर में शक्ति का संचार किया जा सकता है। ऐसी ही एक दिव्य औषधि है 'रतिवल्लभ पाक' इसका सेवन करने पर खोयी हुइ शक्ति भी वापस आती है और संचित शक्ति शरीर में बनी रहती है।
➡ रतिवल्लभ पाक के अद्भुत फायदे :- बलवीर्य वर्धक शीघ्रपतन मेंबहुत प्रभावी पुष्टिकारक स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाला किसी भी मधुमेह के अतिरिक्त अन्य प्रमेह के लिए उत्तम है  यह सभी प्रकार के वातजन्य रोगों में वात विकार नष्ट करने वाला और शक्ति प्रदायक।

लाभ _____________
बलवीर्य वर्धक शीघ्रपतन मेंबहुत प्रभावी पुष्टिकारक स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाला किसी भी मधुमेह के अतिरिक्त अन्य प्रमेह के लिए उत्तम .....सभी प्रकार के वातजन्य रोगों में वात विकार नष्ट करने वाला और शक्ति प्रदायक
निर्माण सामग्री (1) गोंद बबूल 500 ग्राम,
(2) सौंठ 100 ग्राम,
(3) पिप्पर (या पीपल ) 50 ग्राम
(4) पीपरामूल 50 ग्राम,
5)लौंग+जायफल+ जावित्री+मोचरस+शुद्ध शिलाजीत (प्रत्येक 25 ग्राम मात्रा )
(6) काली मिर्च+दालचीनी+तेजपत्ता+नागकेसर+छोटी इलायची +प्रवाल भस्म+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+वंग भस्म (प्रत्येक 10 ग्राम)
(7) केशर 5 ग्राम
(8)देशी घी (भैंस के दूध का) 300 ग्राम
(9) शक्कर 2 किलो
(10) गुलाब जल शुद्ध 20 ml
(11) बादाम भिगो कर छिलका निकला हुआ+पिस्ता कटा हुआ+काजू कटा+किशमिश+नारियल कटा हुआ (सभी आवश्यकतानुसार)
(12) चांदी का शुद्ध वरक चार से छः
निर्माण विधि :
(1)सर्वप्रथम गुलाब जल में केसर को भिगो कर रख दें और पांच घंटे बाद अच्छे से घोटाई
कर लें
(2)अब गोंद को ठीक से साफ करके कढा़ई में घी गर्म करें और उसमें गोंद को तलकर निकाल लें और ठंडा करके पीस लें
(3) सौंठ, पिप्पर व पीपलामूल को बारीक पीस छानकर रख लें।
(4) काली मिर्च+दालचीनी+तेजपत्ता+नागकेसर+छोटी इलायची को एक साथ कूट-पीसकर बारीक करके छान लें और अलग रख दें।
(5)प्रवाल भस्म+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+वंग भस्म (प्रत्येक 10 ग्राम) को साफ स्वच्छ खरल में डालकर घुटाई करके रख लें (ऐसा करते समय खरल बिलकुल सुखी हो )
(6) लौंग+जायफल+ जावित्री+मोचरस+शुद्ध शिलाजीत (प्रत्येक 25 ग्राम मात्रा ) को महीन पीस कर अच्छे से घोटाई कर लें
(7) बादाम, पिस्ता, किशमिश, काजू नारियल सब बारीक कटे हुए तैयार कर लें।
(8)किसी कडाही आदि में 2 किलो शक्कर लेकर एक तार की चाशनी बनायें एक इसमें तले हुए गोंद और सौंठ, पिप्पर व पीपलामूल आदि तीनों का चूर्ण मिलाकर चाशनी में डाल दें और आंच धीमी कर दें।
(9)अब घोंटी हुई प्रवाल भस्म+लौह भस्म+अभ्रक भस्म+वंगभस्म डालकर धीरे धीरे चलते रहें रहें।
(10)चाशनी थोड़ी गाढ़ी और जमने लायक हो जाए, तब नीचे उतार कर कुछ ठंडा होने पर घोंटा हुआ लौंग+जायफल+ जावित्री+मोचरस+शुद्ध शिलाजीत का चूर्ण डालकर धीरे धीरे हिलाते रहें और गुलाबजल में घोंटा हुआ केशर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
(11)अब इसमें चांदी वरक मिला दें और कुछ देर चलाकर किसी ट्रे आदि में घी लगाकर इसे फैलाकर जमा दें दें और कटे हुए मेवे फैलाकर डाल दें। जब यह पाक जम जाए, तब काटकर किसी कांच के बर्तन में सुरक्षित कर लें ............
मात्रा और सेवन विधि :
अपनी पाचन शक्ति के अनुसार 25 ग्राम से 50 ग्राम वजन में, सुबह खाली पेट खूब चबा-चबाकर खाएं और ऊपर से मीठा गुनगुना दूध पियें
सावधानी ----------
मधुमेह के रोगी इससे बचें या डॉक्टर की सलाह से लें
यदि पाचन शक्ति अच्छी न हो तो उसे अवश्य बढ़ाने के उपाय करें अन्यथा इस बहुमूल्य
औषधि का पूरा लाभ नहीं मिलेगा
इसे बच्चे बूढ़े जवान स्त्री पुरूष सभी ले सकते है बस मात्रा का ध्यान रखें
कोशिश करें की सर्दी के मौसम में ही सेवन करें बहुत अधिक गर्मीं में इसका सेवन नहीं करें स्वाभाव से यह योग उष्ण प्रकृति का है

दर्द निवारक दवाएं: दुष्प्रभाव और सावधानियां


मित्रों , हम सबने कभी न कभी दर्द निवारक दवाओं का अपने जीवन में प्रयोग किया होगा. यदि कभी आपका सर दर्द करता है तो आप सोचते होंगे की चलो कोम्बिफ्लैम या ब्रुफिन खा ली जाय तो दर्द ठीक हो जाएगा. कुछ समय के लिए इससे आराम भी मिल जाता है. परन्तु अगर ऎसी दवाओं को रोज ही लेने की आदत पड़ जाए तो न केवल यह शरीर के लिए नुक्सानदायक होता है बल्कि इससे होने वाले साइड एफ्फेक्ट्स से मृत्यु तक हो सकती है.
drug-painkillersआजकल बाज़ार में अलग अलग कॉम्बिनेशन की अनेक दर्द निवारक दवाएं या पेनकिलर्स मौजूद हैं. इनका केमिकल कम्पोजीशन रोग के अनुसार अलग अलग होता है. इनमें से कुछ पेनकिलर्स ऐसे भी हैं जिनको अगर बिना उचित सलाह के अपनी मर्ज़ी से खाया जाय तो इनकी लत लग जाती है और भयानक बीमारियाँ भी हो जाती हैं. रोगी को इन दवाओं का गुलाम बनकर हमेशा इन पर निर्भर रहना पड़ता है. साधारण से दर्द को ठीक करने की कोशिश में लोग बिना डॉक्टर की सलाह के अनाप शनाप दवाएं खाने लगे हैं जिससे इन गोलियों के एडिक्शन की खतरनाक बीमारी के चंगुल में फंसते जा रहे हैं. यदि कभी इन दवाओं को लोग बंद भी करना चाहें और अचानक बंद कर दें तो इनके विदड्रोल सिम्पटम के कारण अनेक समस्याएं उठ खड़ी होती हैं जैसे-हाथ पैरों का कांपना, बैचैनी, गुस्सा, डायरिया, छींकें, अनिद्रा, नाक से पानी बहना आदि.
पेन किलर्स से साइड इफेक्ट्स जानेंDrug-Rehab-Medication
Gastritis-
पेन किलर्स के ज़्यादा प्रयोग से सीने मं जलन, पेट दर्द, खट्टी डकारें और उलटी आने की समस्याएं होने लगती हैं. इसके बाद धीरे धीरे पेट में सूजन आ जाती है और उसमें घाव बनने लगते हैं. इसके बाद उसमें से खून भी बहने लगता है.
लिवर में सूजन-
अनेक मरीजों दर्द निवारक दवाओं के अधिक प्रयोग के कारण लिवर की सेल्स टूटने लगती हैं और भूख कम लगने लगती है.
किडनी की समस्याएं-
दर्द निवारक दवाओं के अधिक प्रयोग के कारण किडनी खराब होने के केसेस बदते ही जा रहे हैं. किडनी की सेल्स डैमेज होने के कारण वो ठीक से काम नहीं कर पाती हैं.
ब्लड डिस्क्रैसिया-
पेन किलर ज़्यादा लेने से खून की रासायनिक संरचना बदलने लगती है और इसे ब्लड डिस्क्रैसिया कहते हैं. इससे रोगियों की मृत्यु तक हो जाती है.
अस्थमा-
कुछ रोगियों को इन दवाओं के विपरीत प्रभावों के कारण अस्थमा भी हो जाता है.
मानसिक बीमारियाँ-
इन समस्याओं में प्रमुख हैं-विचार शून्यता, याददाश्त कमज़ोर हो जाना, भ्रम, शक और वहां होने लगना और अन्य तरह की भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न हो जाना.
माइग्रेन-
किसी किसी मरीज़ को दर्द निवारक दवाएं ज्यादा लेने से माइग्रेन की भी समस्या होने लगती है.
हमेशा ध्यान रखें कि-Pain-When

हेपेटाइटिस - बी आयुर्वेदिक चिकित्सा


हेपेटाइटिस बी वायरस का संचरण संक्रमित रक्त या शरीर के रक्त युक्त तरल पदार्थ के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप होता है।
-संचरण के संभावित रूपों में असुरक्षित यौन संपर्क, रक्त आधान, संदूषित सुइयों और सिरिंजों का दुबारा उपयोग और माँ से बच्चे को प्रसव के दौरान ऊर्ध्वाधर संचरण शामिल हैं।
-यह एड्स से 50 से 100 गुना अधिक संक्रमित होता है। 

हेपेटाइटिस बी के बचाव

• घाव होने पर उसे खुला न छोड़ें। यदि त्वचा कट फट जाए तो उस हिस्से को डिटॉल से साफ करें।
• शराब ना पिएं।
• किसी के साथ अपने टूथब्रश, रेजर, सुई, सिरिंज, नेल फाइल, कैंची या अन्य ऐसी वस्तुएं जो आपके खून के संपर्क में आती हो शेयर न करें।
• नवजात बच्चों को टीका लगावाएं।

शुरुआती लक्षण 

हिपेटाइटिस के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं, जिसमे डायरिया, थकान, भूख कम लगना, हल्का बुखार, शरीर मे दर्द, पेट मे दर्द, उल्टी और वजन घटना आदि शामिल है। पीलिया जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं.

हिपेटाइटिस मे आयुर्वेद के नियमों से करें लीवर का बचाव 

-डाइट और लाइफस्टाइल मे बदलाव 
-हॉट, स्पाइसी, ऑयली और हेवी खाने से परहेज करें, वेजिटेरियन खाने को प्राथमिकता दें
-रिफाइंड आटा, पॉलिश किया हुआ चावल (व्हाइट राइस), सरसों का तेल, सरसों के बीज, हींग, मटर, प्रिजर्व्ड़ फूड, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, एल्कोहल और सोडा वाले ड्रिंक से परहेज करें।
-होल व्हीट आटा, ब्राउन राइस का इस्तेमाल बढ़ाएँ, खाने मे केला, आम, टमाटर, पालक, आलू, आंवला, अंगूर, मूली, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची ज्यादा शामिल करें।
-इस हालत मे जरूरत से ज्यादा फिजिकल वर्क न करें। पूरा आराम करें। धूप मे आग के पास देर तक न रहें।

कुछ आयुर्वेदिक योग 


  • चम्मच रोस्टेड बार्ली पाउडर 1 कप पानी मे मिलाएँ। इसमे 1 चम्मच शहद डालें और दिन मे दो बार लें।
  • एक चम्मच तुलसी के पत्ते का पेस्ट एक कप मूली के जूस मे मिलाएँ। इसे दिन मे दो बार 15 से 20 दिनों तक इस्तेमाल करें।
  • एक कप गन्ने का रस लें, इसमे आधा चम्मच तुलसी पत्ते का पेस्ट मिलाएँ और दिन मे दो बार लें। यह ध्यान रखें कि जूस हाइजेनिक तरीके से तैयार किया गया हो। उनमें आमलकी (आंवला), विभीतिकी (बहेड़ा), हरीतिकी (हरड़), अमृता (गुरुच), वासा (अडूसा), तिक्ता (चिरैता), कुटकी, भूनिम्ब (कालमेघ) व निम्ब (नीम) शामिल हैं। बनाएं कैसे - सभी औषध एक समान मात्रा में लेकर उसको चार गुना अधिक मात्रा पानी में उबालते हैं। मसलन संपूर्ण औषध की मात्रा अगर 50 ग्राम है तो उसे 200 मिली पानी में उबाल लेते हैं, जब एक भाग यानी 50 मिली रह जाए तो इसे छानकर सुबह खाली पेट पीते हैं।
- एक माह तक लगातार इस काढ़े के सेवन से नतीजा सामने आ जाता है ।

  • आयुर्वेदिक औषधियां जैसे आरोग्यवर्धिनी, पुनार्नावारिस्ट, कुमार्यासव आदि कुशल आयुर्वेद चिकित्सक के देख रेख में ली जा सकती हैं.


□ अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें □

Sunday 27 August 2017

महिलाएं माइग्रेन से परेशान होती है पुरुषों की तुलना में

 

  • माइग्रेन में सिर के आधे हिस्‍से में दर्द होता है।
  • मास्‍ट सेल्‍स  में पाया जाने वाला अंतर होता है।
  • ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजों से परहेज करें।


माइग्रेन, एक ऐसी बीमारी जिसके मरीज दुनियाभर में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। माइग्रेन में सिर के आधे हिस्‍से में दर्द होता है इसिलए इस बीमारी को आधी सीसी के दर्द से भी जाना जाता है। माइग्रेन का दर्द कोई आम सिरदर्द नहीं यह सिर के किसी एक हिस्‍से में बहुत तेज होता है जो पीड़ा देने वाला होता है कि मरीज ना तो चैन से सा पाता है और न आराम से बैठ पाता है।

वैसे तो माइग्रेन की समस्या पुरूषों और महिलाओं दोनों में देखने को मिलती है। लेकिन माना जाता है कि महिलाएं पुरूषों की तुलना में माइग्रेन से अधिक पीड़ित रहती हैं। यह बात हम नहीं कह रहे एक शोध से भी सामने आई हैं कि पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं को सिरदर्द की अधिक शिकायत रहती है जो बाद में धीरे-धीरे बढ़कर माइग्रेन का रूप ले लेती है।

महिलाओं में क्यों ज्यादा  होता है माइग्रेन- यूएस की मिशिगेन यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर एडम मोइसर द्वारा किए गए अध्‍ययन के अनुसार माइग्रेन होने के पीछे बड़ा कारण मास्‍ट सेल्‍स  में पाया जाने वाला अंतर होता है। यह एक प्रकार के वाइट ब्‍लड सेल्‍स होते हैं और इम्‍यूनिटी का हिस्‍सा भी होते हैं। मास्‍ट सेल्‍स, इम्‍यून सेल्‍स की महत्‍वपूर्ण श्रेणी होती हैं क्‍योंकि ये तनाव मुक्‍त जीवन संबंधी समस्‍याओं में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं लेकिन महिलाओं में इनकी कमी पाई जाती है।

 शोध- महिलाओं में पुरूषों की अपेक्षा इन कोशिकाओं में लगभग 8000 अंतर देखे गए जो कि माइग्रेन के लिए जिम्‍मेदार हो सकते हैं। इस अध्‍ययन से  निष्‍कर्ष निकाला है कि महिला और पुरूषों के मास्‍ट सेल्‍स, उनके क्रोमोसोम्‍स और जीन्‍स के समान सेट किये जाते हैं। इसलिए उनमें जन्‍म के पहले सही अंतर हो जाता है। इसके अलावा महिलाओं की दैनिक गतिविधियों और कार्यों पर भी इनकी वजह से असर पड़ता है। 


शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, प्रतिरोधक क्षमता आदि भी इनसे कुछ हद तक प्रभावित होती हैं। महिलाओं के शरीर में ये पदार्थ, ज्‍यादा आक्रामक होते हैं और उन्‍हें रोगी बना देते हैं क्‍योंकि उनका निर्धारण क्रोमोसोम के अनुसार होता है। इस प्रकार निर्धारण होता है कि महिलाओं में कुछ बीमारियां पुरूषों की अपेक्षा ज्‍यादा और कुछ कम क्‍यों होती हैं।

माइग्रेन से बचने के उपाय- अगर माइग्रेन का दर्द आपको सुबह ही शुरु हो जाता है तो तुलसी के पत्तों को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और फिर इसमें शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटें। यह दर्द में राहत देगा और माइग्रेन के प्रभाव को धीरे-धीरे कम कम करेगा।


अगर आपको माइग्रेन है तो ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजों से परहेज करें। नाश्ते में ताजा और सूखे फलों का सेवन करें। लंच में ऐसे चीजों का सेवन करे जो प्रोटीन भरपूर हो। मसलन दूध, दही, पनीर, दालें, मांस और मछली आदि। डिनर में चोकरयुक्त रोटी, चावल या आलू जैसी स्टार्च वाली चीजों के साथ सलाद भी लें।
  अगर आप माइग्रेन से परेशान है हमारे संस्थान से प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा समाधान प्राप्त कर सकते है ! हर्बल जड़ी बूटी द्वारा समाधान करने के लिए - मो -84607 83401 पर सम्पर्क करे     

माइग्रेन को हल्के में न लेवे .. समय पर करे उपचार

  • ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव आदि के कारण अधिक होता है माइग्रेन।
  • माइग्रेन का दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रह सकता है।
  • सर्दी लगना, वायरस और बुखार भी सिरदर्द के कारण बन जाते हैं।
  • ज्यादा देर तक भूखे नहीं रहें और थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ-ना-कुछ खाते रहें।
  • बार-बार सिर दर्द को हल्के में नहीं लेना आपको भारी पड़ सकता है। यह माइग्रेन का दर्द भी हो सकता है। माइग्रेन में सिर के एक ही हिस्से में दर्द होता है। माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रहकर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, मितली, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा माइग्रेन में रोशनी, तेज आवाज से परेशानी महसूस होती है। कई बार माइग्रेन का दर्द ब्रेन हेमरेज या लकवा का कारण भी हो सकता है।

  • माइग्रेन के कारण
    • जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं उनके माइग्रेन का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है।
    • एल्कोहल या किसी तरह का संक्रमण और शरीर में विषैले तत्वों का जमाव भी माइग्रेन का कारण हो सकता है।
    • भावनाओं को दबाने से भी माइग्रेन हो सकता है। इसलिए भावनाओं को दबाने के बजाय उन्‍हें अपने विश्वस्त लोगों से बांटें।
    • कभी-कभी आंखों पर अधिक जोर पड़ने से भी सिरदर्द हो जाता है। सिरदर्द कई तरह का होता है इसलिए अगर कोई आम कारण समझ में न आए तो किसी नेत्र विशेषज्ञ से भी मिलना चाहिए। अगर ऐसा हो तो आंखों के कुछ सामान्य व्यायाम से इससे राहत पाई जा सकती है।
    • सर्दी लगना, वायरस और बुखार भी सिरदर्द के कारण बन जाते हैं। इनके अलावा एक वजह आयरन की कमी भी होती है।
    • माइग्रेन का कारण आनुवांशिक भी हो सकता है। हार्मोनल असंतुलन की वजह से यह समस्या लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में अधिक पाई जाती है।  
    • पर्याप्त नींद न लेना, भूखे पेट रहना और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना जैसे कुछ छोटे-छोटे कारणों से भी आपको माइग्रेन की शिकायत हो सकती है।

माइग्रेन हो तो क्या करें- 

माइग्रेन होने पर ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखें इससे रक्त धमनियां फैल जाती हैं और अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती हैं।

      • नियमित रुप से व्यायाम, योग और ध्यान करने से आप अपने दिमाग को तनाव से मुक्त कर सकते हैं।
      • ज्यादा देर तक भूखे नहीं रहें। थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ-ना-कुछ खाते रहें।
      • हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा गाजर व खीरा भी लाभदायक है।

सावधानियां- जहां पर आप काम कर रहें हों या बैठे हो वहां तेज रोशनी (जो आंखों में चुभें), तेज धूप या तेज गंध वाली नहीं होना चाहिए।

      • माइग्रेन से पीडित लोगों को जंक फूड व डिब्बा बंद पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
      • पनीर, चॉकलेट, चीज, नूडल्स, केले व कुछ प्रकार के नट्स में ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।

आपकी किडनी खतरे में है तो ये देगी आपको ये संकेत

किडनी जो शरीर को De toxification और साफ़ सफाई के लिए इश्वर ने हमारे शरीर में दी है, हमारी गलत आदतों या शुगर या ब्लड प्रेशर की दवाई या फिर Genetic कारणों से खराब हो जाती है, मगर कई बार हमको इसका पता बहुत देर बाद पता चलता है. ये पोस्ट डालने का अर्थ आपको डराने का नहीं, बस यही है के आप समय से इस बीमारी को पहचान लें और इसका शुरू में इलाज बहुत आसान है, तो आइये जानते हैं इसके खराब के Symptoms और इसको सही करने की विधि भी जानेंगे.
किडनी फेल की होने की अंतिम स्थिति से तात्पर्य किडनी के पूरी तरह काम न कर पाने से है। यदि कोई व्यक्ति किडनी फेल होने की अंतिम स्थिति में होता है तो उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता। इस अवस्था में Dialysis ही एकमात्र हल होता है. Dialysis के जरिये शरीर का अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकाला जाता है.
अत: यह महत्वपूर्ण है कि जब भी आपको किडनी से संबंधित कोई समस्या आए तो आप तुरंत किसी योग्य व पेशेवर चिकित्सक की सलाह लें। यहाँ किडनी फेल होने की चेतावनी से संबंधित लक्षणों के बारे में बताया गया है।
अपने तथा अपने प्रिय लोगों के स्वाथ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है अत: इन लक्षणों के बारे में जानें।
  • मुँह से बदबू निकलना और स्वाद भी खराब हो जाना – अगर दूसरे लक्षण नजर में नहीं भी आ रहे हैं तो यह लक्षण साफ नजर आता है। किडनी के खराब होने के कारण रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण मुँह से बदबू निकलने लगता है और जीभ का स्वाद भी बिगड़ जाता है।
  • एडेमा: – एडेमा के पहले चरण में केवल पैरों में सूजन आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किडनी शरीर से पानी बाहर नहीं निकाल पाती। इससे शरीर में पानी भर जाने की समस्या हो जाती है।
  • एनीमिया: किडनी का एक मुख्य काम शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को व्यवस्थित बनाये रखना है। दुर्भाग्य से जब किडनी फेल होना शुरू होती है तो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में कमी आ जाती है जिसके कारण एनीमिया होता है।
  • हेमेट्युरिया: – जब किडनी फेल होना प्रारंभ होती है तो आपके मूत्र में रक्त के लाल थक्के दिखाई देते हैं। किडनी की समस्या होने पर विभिन्न लोगों को विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे मूड स्विंग्स (मूड में बदलाव), भ्रम और मतिभ्रम।
  • पीठ में तेज़ दर्द: – यह दर्द बहुत अधिक तीव्र होता है तथा शरीर के एक ओर के पिछले हिस्से में होता है। यह दर्द पेट में नीचे की ओर होता हुआ कमर और अंडकोष तक भी पहुँच सकता है।
  • मूत्र त्याग में कमी: – मूत्रत्याग के समय मूत्र की कम मात्रा का आना हर बार किडनी की समस्या की ओर संकेत नहीं करता परन्तु यदि आपको ऐसा लगता है कि शरीर से निकलने वाले इस तरल पदार्थ की मात्रा में कमी आई है तो आपको चिकित्सीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
  • झाग (foam) जैसा मूत्र – मूत्र त्याग करने के बाद जब उसमें झाग जैसा पैदा होने लगता है तब यह किडनी के खराब होने के प्रथम लक्षणों के संकेत होते हैं। डॉ. दीपा जयराम, मुम्बई की प्रमुख नेफ्रोलॉजिस्ट के अनुसार यह शरीर से प्रोटीन के निकलने के कारण होता है जो किडनी के बीमारी के दूसरे लक्षणों में शामिल होता है।
  • भूख कम लगना – शरीर में अवांछित पदार्थ ज़रूरत से ज़्यादा जम जाने के कारण यह लक्षण महसूस होने लगता है। दीपा जयराम के अनुसार किडनी के बीमारी के कारण दूसरे लक्षण समझ में आए न आए यह लक्षण ज़रूर नजर आता है। इसलिए जैसे ही यह लक्षण समझ में आए तुरन्त डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।
  • साँस लेने में असुविधा – जब किडनी की अवस्था खराब होने लगती है तो लंग्स में फ्लूइड जमने लगता है जिसके कारण साँस लेने में असुविधा होने लगती है। अनीमीआ के कारण शरीर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है जिसके कारण भी साँस लेने में असुविधा होने लगती है।
  • उद्वेग: – जब किडनी फेल होना प्रारंभ होती है तो शरीर के कुछ हिस्सों में उद्वेग, कंपन या अनैच्छिक हलचल होने लगती है।
  • मूत्र में असामान्य और गंदी बदबू आना: – ऐसे व्यक्ति जिनकी किडनी फेल हो रही हो उनके मूत्र से मीठी और तीख़ी गंध आती है।
  • त्वचा में रैशेज़ और खुजली – वैसे तो यह लक्षण कई तरह से बीमारियों के लक्षण होते हैं लेकिन किडनी के खराब होने पर शरीर में विषाक्त पदार्थों के जम जाने के कारण शरीर के त्वचा के ऊपर रैशेज़ और खुजली निकलने लगते हैं।
  • मतली और उल्टी – शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर बढ़ जाने के कारण मतली और उल्टी होने लगता है।
  • मल में रक्त आना मल में रक्त आना भी कभी कभी किडनी फेल होने की ओर संकेत करता है।
  • ऐसे कोई संकेत मिले तो आप अपना GFR टेस्ट ज़रूर करवा लें. इस टेस्ट को आप नीचे बताई गयी रिपोर्ट से समझे


समझे Kidney GFR को

जब GFR 15 से कम हो जाए तो ही डॉक्टर Dialysis के लिए बोलता है, अगर ये इस से बढ़ी हो तो डॉक्टर इंतजार करेगा, मगर आज कल डॉक्टर सिर्फ Creatinine टेस्ट करवा कर ही बोल देते हैं के Dialysis करवाओ, इसकी ज़रूरत तभी पड़ती है, जब आपका GFR लेवल कम हो जाए. अन्यथा आपको इसकी ज़रूरत नहीं.

अभी जान लीजिये इसके लिए कुछ उपचार.

सबसे पहले तो जिस रोगी को ये बीमारी है उसकी चाय और चीनी बिलकुल बंद कर दो. ये बिलकुल ज़हर के समान है, सुबह लैट्रीन जाने से पहले एक ग्लास पानी में निम्बू निचोड़ कर उसमे आधा चम्मच मीठा सोडा मिला कर पियो. अगर आपको पोटैशियम बढ़ा हुआ हो तो निम्बू मत डालिए इसमें सिर्फ मीठा सोडा मिला कर पीजिये, इसके बाद लैट्रीन जाने के बाद गोखरू कांटे वाला काढ़ा पीजिये, इसमें 50 ग्राम छोटा गोखरू डालिए, 10 ग्राम पुनर्नवा, और 10 ग्राम कासनी के बीज डालकर इसको 500 ml पानी में धीमी आंच पर 100 ml रहने तक पकाएं. इसको 50 ml सुबह पीजिये, इसके एक घंटे के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है. और यही काढ़ा शाम को सोने से एक घंटे पहले लें. और तब भी एक घंटे के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है.
और कई लोगों को पेशाब की कोई समस्या नहीं होती मगर फिर भी शरीर में सूजन होती है, इसका कारण खून की कमी भी हो सकती है. इसलिए घबराएं नहीं, बस अपनी जांच करवा लीजिये.
 ये छोटे गोखरू की फोटो है-----

गुग्गुल एक ऐसी दवा जो हार्ट मोटापा जोड़ों के दर्द मुंहासो गंजापन थाइरोइड कब्ज इत्यादि अनेक रोगों में रामबाण

गुग्गुल एक प्रकार का oil, gum और resin का मिश्रण है. जो की commiphora weightii पोधे की तने कि छाल पर गहरा cut लगाकर प्राप्त किया जाने वाला पीले रंग का पदार्थ है. यह पोधा Burseraceae family से सम्बंधित है. इसको सामान्यता gum guggul और scented Bdellium के नाम से जाना जाता है . गुग्गुल शब्द संस्कृत के गुग्गुलु से बना है जिसका अर्थ है के बिमारियों से बचाव करने वाला. आयुर्वेद में इस पौधे की गोंड इस्तेमाल की जाती है, जो नीचे दिखाई गयी तस्वीर की तरह होती है, उसको भी इस्तेमाल करने से पहले शोधना होता है, जो हमने नीचे बताया है

गुग्गुल का रासायनिक संघटन – गुग्गुल में मुख्यता नेचुरल steriods 
 Guggulsterones पाए जाते है .जो इसके cholesterol और 
triglyceride, lipid  के कम करने के इफेक्ट के लिए जरुरी है .

वैसे तो गुग्गुल में काफी गुण पाए जाते है मगर ये हृदय रोगों में अति 

विशेष है जैसे की –

 Heart Attack, Blood Choesterol, Blood Triglceride,

Hypolipidimic and Hypocholesteremic effect जो के blood triglyceride, Blood Lipid, और blood choleseterol को कम करने में सहायक है, ये Effect गुग्गल में पाया जाता हैं. इसका उपयोग तो एलॉपथी में भी बड़े दिल खोल कर बताया गया है.
आज हम मुख्य रूप से इसके blood choleseterol, triglyceride, lipid को कम करने के गुण के बारे में चर्चा करेंगे. जो ह्रदय रोगियों के लिए  गुग्गुल का बहुत  ही महत्वपूर्ण गुण है गुग्गुल में पाया जाने वाला Guggulsterone blood से bad cholesterol LDL को लीवर में ट्रान्सफर करने का काम करता है. good cholesterol HDL कि मात्रा को blood में बढाता है .
मनुष्यों में किये गए एक शोध के अनुसार Guggulsterone hypercholesterolemia (जिनमे cholesterol का लेवल ज्यादा हो ) hypertrigyceridemia (जिनमे trigyceride का लेवल ज्यादा हो) के मरीजो में 4 से 12 सप्ताह तक लेने से  14 से 27 % तक blood cholesterol में तथा 22 -30% तक blood triglyceride में कमी लाने में सफल रहा है. और किसी भीं प्रकार  का कोई side effect नही पाया गया
गुग्गुल एंटीऑक्सीडेंट प्राकृतिक होने के कारण LDL choleseterol का Oxidation रोक देता है. Oxidized LDL choleseterol ही रक्तवाहिनियो में जाकर जमा होता है और उनको ब्लाक कर देता है इस तरह गुग्गुल रक्तवाहिनियो की ब्लॉकेज को रोकता है.
गुग्गुल platelate stickness को भी कम करता है जिससे blood clot बनने के चांसेस कम हो जाते है .

Acne (मुहासे) और Cystic Acne में गुग्गल का उपयोग

गुग्गल anti acne agent है, गुग्गुल का लिपिड को कम करने का गुण होने के कारण इसका उपयोग cystic acne (मुहासे) में भी किया जा सकता है. यह मुंहासो को रोकने के लिए बेहतरीन दवा हो सकती है. यह एलोपैथिक एंटी बायोटिक Tetracycline के जैसे ही प्रभावशाली है. एलॉपथी ने भी इस बात को माना है.

मोटापा कम करने के लिए- जो भी व्यक्ति मोटापा कम करना चाहते हैं अगर वो नित्य अपनी दवाओं या घरेलु नुस्खों के साथ में गुग्गल का सेवन भी करना शुरू कर दें तो उनका मोटापा भी कम हो जायेगा, जिसके पीछे का कारण है इसका Hypolipidemic होना, जो शरीर में अनावश्यक फैट को कम करता है.

पेट की सूजन- गुड़ के साथ गुग्गुल मिलाकर दिन में तीन बार रोज खाएं। एैसा नियमित करने से पेट की सूजन ठीक होने लगती है।
मुंह संबंधी समस्याएं- 1 ग्राम गुग्गुल को पानी में घोलकर दिन में तीन बारी गरारे व कुल्ला करने से मुंह के अंदर के छाले, जलन और किसी भी तरह का घाव आदि ठीक हो जाते हैं।
गंजेपन को दूर करने के लिए- गुग्गुल को सिरके के साथ अच्छे से घोटकर लेप बना लें और सुबह शाम रोज इसे सिर पर जहां गंजापन हो वहां लगाएं। एैसा करने से धीरे-धीरे बाल उगने लगते हैं।
हड्डियों की चोट और सूजन में- हड्डियों की सूजन व चोट व दर्द होने पर गुग्गुल का सेवन करना चाहिए। यह हड्डियों  की परेशानियों में राहत देता है।
घुटनों में दर्द- गुग्गुल में anti- rheumatic जो rhematic artiritis गुण पाए जाते हैं यानि इस के सेवन से ये जोड़ों और घुटनों के दर्द में बहुत कारगर हो जाता है. घुटने के दर्द को दूर करने के लिए 20 ग्राम गुड़ में 10 ग्राम गुग्गुल को मिलाकर अच्छे से पीस लें और इसकी छोटी-छोटी बेर के जितनी 30 गोलियां बना लें। कुछ दिनों तक 1-1 गोली सुबह शाम घी के साथ लें।
दमा रोग में- दमा से परेशान लोगों को घी के साथ एक ग्राम गुग्गुल को मिलाकर सुबह-शाम लेने से फायदा मिलता है।
घाव भरता है- नारियल तेल में गुग्गुल के चूरन को मिलाकर लेप बनाकर इसे घाव वाली जगह पर लगाएं। एैसा दिन में तीन बारी करें। यह घाव ठीक कर देता है।
कान की समस्या- कान में यदि कीड़ा चला गया हो तो गुग्गुल को जलाकर उसका धुंआ कान में लें। एैसा करने से कान के अंदर के सभी कीड़ें खत्म हो जाते हैं।
सूजन और पुरानी कब्ज में लाभ- यदि कब्ज की समस्या ठीक न हो रही हो तो 5 ग्राम त्रिफला और 5 ग्राम गुग्गुल को मिलाकर गर्म पानी में घोल लें। और रात को सोने से पहले इस पानी को पीयें। यह पुरानी कब्ज की शिकायत दूर करती है। साथ ही शरीर में किसी भी तरह की सूजन भी ठीक होने लगती है।
गर्भ संबंधी फायदे- गुड के साथ गुग्गुल को खाने से स्त्रियों के गर्भ से संबंधित समस्याएं जैसे गर्भशाय के रोग आदि ठीक होते हैं।
थायराइड- गुग्गुल थायराइड की समस्या दूर करता है। यह शरीर से कैलोरी को जलाता है जिससे थायराइड की समस्या दूर होती है।

गुग्गुल को साफ करने का तरीका- गुग्गुल को साफ करने के लिए इसे दूध व त्रिफला के काढे में पका लें और इसे छानकर और सुखाने के बाद ही यह साफ गुग्गुल बनता है।

गुग्गुल के सेवन में सावधानी- गुग्गुल की तासीर गर्म होती है इसलिए अधिक गर्म प्रकृति के लोगों को इसका सेवन डॉक्टर के परामर्श के अनुसार करना चाहिए. गुग्गुल का सेवन जरूरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए। जब भी इसका प्रयोग करें तो खट्टी चीजों, तेज मसालेदार भोजन का प्रयोग न करें। इसके अलावा गाय के दूध के साथ गुग्गुल का सेवन करें तो अधिक लाभ देगा।

साधारण रूप से इसकी dose – 500 मिलीग्राम दिन में दो या तीन बार होनी चाहिए

सुखी-फटी और खुजलीदार एडियो का प्राकृतिक इलाज सिर्फ 1 दिन में

पैरों की स्किन में जब पानी की कमी हो जाती है तो स्किन में दरारें पड़ने लग जाती है जिसकी वजेह से खुजली , दर्द तथा खून बहने लगता है | एडियो के फटने का कर्ण मधुमेह जैसी बीमारी भी हो सकती है |
आज हम आपको बतायेगे कैसे आप घर बेठे फटी एडियो का इलाज़ कर सकते है | बिना किसी साइड इफेक्ट्स के |
  1. Peppermint oil

          पेपरमिंट आयल को पानी में अच्छे से मिलाकर पैरों में लगाने से लाभ होगा |
  1. बेकिंग सोडा

           बेकिंग सोडा में कई गुण पाए जाते है जो फटी एडियो के लिए लाभदयक होते है |
  • 2 चमच पानी और एक चमच बेकिंग सोडा को अच्छे से मिक्स करें जबतक के आपको इक पेस्ट नहीं मिल जाता है |
  • बेकिंग सोडा और पानी से बने पेस्ट को अपनी फटी एडियो पर लगाये |
  • इसे सूखने के लिए 5 से 10 मिनटों तक छोड़ दे | सूखने के बाद अपने पैर ठन्डे पाने से धो ले और किसी सॉफ्ट कपड़े से पैर को साफ़ कर लें |
  1. जैतून का तेल

           जैतून के तेल से अपने पैरों पर मालिश करे और आपकी एडियों का दर्द शु-मन्त्र हो जयेगा |
  1. vaseline और नीम्बू

           एक चमच vaseline और तिन चमच नीम्बू का रस , अच्छे से मिक्स करने के बाद इसे अपने पैरों पर लगाये | पैरों पर लगाने के बाद इसे एक घंटे के लिए छोड़ दें | आप चाहे तो जुराबे पहन कर इसे  पूरी रात के लिए भी छोड़ सकते है | लगातार एक हफ्ता इस विधि को अपना कर देखे आपको हैरान करने वालें नतीजे प्राप्त होंगे

Friday 25 August 2017

यकृत के विकार ( जिगर की खराबी )

अगर आपका लिवर छोटा (Liver Cirrhosis) , कठोर हैं, सूजा(Fatty Liver) हुआ हैं। तो ये प्रयोग ऐसे cases में अचूक हैं। अगर आप अनेक दवाये खा खा कर परेशान हो गए हैं तो ये साधारण दिखने  वाला प्रयोग आपके लिए अचूक हैं। एक बार इसको ज़रूर अपनाये

प्रयोग --

एक कागजी निम्बू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर ले। फिर बीज निकालकर आधे निम्बू के बिना काटे चार भाग करें पर टुकड़े अलग- अलग न हो। तत्पशचात एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक (अथवा सेंधा नमक) तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण (या शककर) भर दे। रात को प्लेट में रखकर ढक दे। प्रात: भोजन करने से एक घंटे पहले इस निम्बू की फांक को मंदी आंच या तवे पर गर्म करके चूस ले

इस प्रयोग से होने वाले लाभ- 

1. आवश्यकता अनुसार सात दिन से इक्कीस दिन लेने से लीवर सही होगा।
2. इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुंह का जायका ठीक होगा।
3. यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग (Cirrhosis of the liver) में अचूक है। पुराना मलेरिया, ज्वर, कुनैन या पारा के दुर्व्यवहार, अधिक मधपान, अधिक मिठाई खाना, अमेबिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश आदि कारणों से यकृत रोगो की उत्पत्ति होती हैं। बुखार ठीक होने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है और यकृत कठोर और पहले से बड़ा हो जाता हैं। रोग के घातक रूप ले लेने से यकृत का संकोचन (Cirrhosis of the liver) होता है। यकृत रोगो में आँखों व चेहरा रक्तहीन, जीभ सफ़ेद, रक्ताल्पता, नीली नसे, कमजोरी, कब्ज, गैस और बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के पीछे दर्द, शौच आंवयुक्त कीचड़ जैसा होना, आदि लक्षण प्रतीत होते है।

सावधानी-

दो सप्ताह तक चीनी अथवा मीठा का इस्तमाल न करे। अगर दूध मीठा पीते हो तो चीनी के बजाए दूध में चार-पांच मुनक्का डाल कर मीठा कर ले। रोटी भी कम खाए। अच्छा तो यह है की जब उपचार चल रहा हो तो रोटी बिलकुल न खाकर सब्जिया और फल से ही गुजारा कर ले। सब्जी में मसाला न डालें। टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लोकी, आदि शाक-सब्जियां और पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलूबुखारा, लीची आदि फल तथा छाछ आदि का अधिक प्रयोग करें। घी और तली वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें। पंद्रह दिन में इस प्रयोग के साथ जिगर ठीक हो जायेगा

इसके साथ ये उपचार ज़रूर करे-

1. जिगर के संकोचन (Liver Cirrhosis) में दिन में दो बार प्याज खाते रहने से भी लाभ होता है।
2. जिगर रोगो में छाछ ( हींग का बगार देकर, जीरा काली मिर्च और नमक मिलाकर ) दोपहर के भोजन के बाद सेवन करना बहुत लाभप्रद है।
3. आंवलों का रस 25 ग्राम या सूखे आंवलों का चूर्ण चार ग्राम पानी के साथ, दिन में तीन बार सेवन करने से पंद्रह से बीस दिन में यकृत के सारे दोष दूर हो जाते है।
4. एक सो ग्राम पानी में आधा निम्बू निचोड़कर नमक डालें (चीनी मत डाले) और इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की खराबी ठीक होती हैं।
5. जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम बढ़िया और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है।

लिवर रोग के लक्षण और बचाव

लिवर को हिंदी में जिगर कहा जाता है. यह शरीर की सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी ग्रंथी है. यह पेट के दाहिनी ओर नीचे की तरफ होता है. लिवर शरीर की बहुत सी क्रियाओं को नियंत्रित करता है. लिवर खराब होने पर शरीर की कार्य करने की क्षमता न के बराबर हो जाती है और लिवर डैमेज का सही समय पर इलाज कराना भी जरूरी होता है नहीं तो यह गंभीर समस्या बन सकती है. गलत आदतों की वजह से लीवर खराब होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है. जैसे शराब का अधिक सेवन करना, धूम्रपान अधिक करना, खट्टा ज्यादा खाना, अधिक नमक सेवन आदि. सबसे पहले लिवर खराब होने के लक्षणों को जानना जरूरी है. जिससे समय रहते आपको पता रहे और इलाज सही समय पर हो सके.
लिवर को खराब करने वाले महत्वपूर्ण कारण
1. दूषित मांस खाना, गंदा पानी पीना, मिर्च मसालेदार और चटपटे खाने का अधिक सेवन करना.
2. पीने वाले पानी में क्लोरीन की मात्रा का अधिक होना.
3. शरीर में विटामिन बी की कमी होना.
4. एंटीबायोटिक दवाईयों का अधिक मात्रा में सेवन करना.
5. घर की सफाई पर उचित ध्यान न देना.
6. मलेरिया, टायफायड से पीडित होना.
7. रंग लगी हुई मिठाइयों और डिं्रक का प्रयोग करना.
8. सौंदर्य वाले कास्मेटिक्स का अधिक इस्तेमाल करना.
9. चाय, काफी, जंक फूड आदि का प्रयोग अधिक करना.
लिवर खराब होने से शरीर पर ये लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
1. लिवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना.
2. छाती में जलन और भारीपन का होना.
3. भूख न लगने की समस्या, बदहजमी होना, पेट में गैस बनना.
4. शरीर में आलसपन और कमजोरी का होना.
5.लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आने लगती है , जिसको आप अक्सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं.
6. मुंह का स्वाद खराब होना आदि
प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा लिवर को ठीक करने के उपाय. इन उपायों के द्वारा लिवर के सभी तरह के कार्य पूर्ण रूप से सही कार्य करने लगते हैं. लिवर को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है टाॅक्सिंस वायरस. इसलिए लिवर का उपचार करने से पहले रोगी का खून साफ होना जरूरी है ताकी लिवर पर जमें दूषित दोष नष्ट हो सके और लीवर का भार कम हो सके. इसलिए रोगी को अतरिक्त विश्राम की जरूरत होती है.
प्राकृतिक चिकित्सा कैसे करें?
सुबह उठकर खुली हवा में गहरी सांसे ले. प्रातःकाल उठकर कुछ कदम पैदल चलें और चलते चलते ही खुली हवा की गहरी सांसे लें. आपको लाभ मिलेगा.
सप्ताह में सरसों की तेल की मालिश पूरे शरीर में करें. मिट्टी का लेप सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर जरूर लगाएं. आप सप्ताह में एक बार वाष्प का स्नान भी लें. सन बाथ भी आप कर सकते हो.
आहार चिकित्सा
लिवर संबंधी बीमारी को दूर करने में आहार चिकित्सा भी जरूरी है. यानि क्या खाएं और कितनी मात्रा में खायें यह जानना भी जरूरी हैं. लिवर की बीमारी से परेशान रोगीयों के लिए ये आहार महत्वपूर्ण होते हैं.
लिवर की बीमारी में जूस का सेवन महत्वपूर्ण माना जाता है. लिवर के रोगी को नारियल पानी, शुद्ध गन्ने का रस, या फिर मूली का जूस अपने आहार में शामिल करना चाहिए. पालक, तोरई, लौकी, शलजम, गाजर, पेठा का भी जूस आप ले सकते हो.
दिन में 3 से 4 बार आप नींबू पानी का सेवन करें. सब्जियों का सूप पीएं, अमरूद, तरबूज, नाशपाती, मौसमी, अनार, सेब, पपीता, आलूबुखारा आदि फलों का सेवन करें.
सब्जियों में पालक, बथुआ, घीया, टिंडा, तोरई, शलजम, अंवला आदि का सेवन अपने भोजन में अधिक से अधिक से करें. सलाद, अंकुरित दाल को भी अधिक से अधिक लें. भाप में पके हुए या फिर उबले हुए पदार्थ का सेवन करें.
लिवर की बीमारी को दूर करने के लिए आप इन चीजों का सेवन अधिक से अधिक करें.
जामुन लिवर की बीमारी को दूर करने में सहायक होता है. प्रतिदिन 100 ग्राम तक जामुन का सेवन करें. सेब का सेवन करने से भी लिवर को ताकत मिलती है. सेब का सेवन भी अधिक से अधिक करें. गाजर का सूप भी लिवर की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है. यदि लिवर में सूजन है तो खरबूजे का प्रयोग अधिक से अधिक करें. पपीता भी लिवर को शक्ति देता है.
आंवला विटामिन सी के स्रोतों में से एक है और इसका सेवन करने से लीवर बेहतर तरीके से कम करने लगता है . लीवर के स्वास्थ्य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए. एक शोध साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं.
लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी एक कारगर वैदिक औषधि है . मुलेठी की जड़ को पीसकर पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें. फिर ठंड़ा होने पर साफ कपड़े से छान लें. इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं.
पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी फायदेमंद घरेलू उपाय है. गाजर के रस और पालक का रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं. लीवर को ठीक रखने के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं
सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में जमे विष से लीवर की रक्षा करता है.
कैसे करें लिवर का बचाव
लिवर (Liver)  का बचाव करने के लिए आपको बस इन आसान कामों को करना है और पूरे नियम से करना है. क्योंकि लिवर शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है इसलिए आपको अपने जीवनशैली में थोड़ा सा परिवर्तन लाना होगा. ताकि आप लिवर की बीमारी से बच सकें.

जब भी आप सुबह उठें तो 3 से 4 गिलास पानी का सेवन जरूर करें. उसके बाद आप पार्क में टहलें. दिन में हो सके तो 2 से 3 बार नींबू पानी का सेवन करें. लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक काम भी करते रहें. कभी भी भोजन करते समय पानी का सेवन न करें और खाने के 1 घंटे बाद ही पानी का सेवन करें. चाय, काफी आदि से दूर रहें. किसी भी तरह के नशीली चीजों का सेवन न करें. तले हुए खाने से दूर ही रहें. साथ ही जंक फूड, पैकेज्ड खाने का सेवन न करें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम को प्रातः जरूर करें. इन सभी बातों को ध्यान में यदि आप रखेगें तो आप लिवर की बीमारी से बचे रहेगें.

लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल करें. खाना खाने से पहले सेब का सिरका पीने से चर्बी कम होती है. एक चम्मच सेब का सिरका एक गिलास पानी में मिलाएं और इसमें एक चम्मच शहद भी मिलाएं. इस मिश्रण को दिन में दो या तीन बार तक पींए.
आंवला भी लिवर की बीमारी को ठीक करता है. इसलिए लिवर को स्वस्थ रखने के लिए दिन में 4 से 5 कच्चे आंवले खाने चाहिए.
साभार - उत्तम जैन ( प्राकृतिक चिकित्सक  )