Friday 22 November 2019

छोटे-छोटे बीज में बड़े गुण, कोई हार्ट करे हेल्दी तो कोई शुगर करे कंट्रोल

चिया बीज कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से समृद्ध होते हैं। ये शरीर के ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इससे पाचन भी बेहतर रहता है। चिया बीज प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी ऐसिड के अच्छे स्रोत हैं। चिया बीज में ऐंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करते हैं

चिया बीज आप हमे 8460783401 पर कॉल कर के मंगा सकते है 250gm - 310 /-
आपने चिया सीड्स के बारे में काफी सुना होगा, लेकिन आप इसके गुणों के बार में नहीं जानते होंगे। बहुत से ऐसे लोग भी होंगे जिन्होंने चिया सीड्स के बारे में बिल्कुल भी नहीं सुना होगा। अगर आप चिया सीड्स के बारे में नहीं जानते हैं तो मे  आपको इसके बारे में और साथ ही इसके खाने से क्या लाभ मिलता है कई लोग चिया सीड्स  को ही तुलसी का बीज समझ लेते हैं। आपको बता दें कि तुलसी के बीज को सब्जा बीज या तुकमलंगा बीज कहते हैं, लेकिन चिया सीड्स अलग होते हैं।  इसके फायदे क्या है यह इस लेख मे बताने जा रहा हु 
चिया सीड या चिया बीज मिंट प्रजाति के बीज होते हैं और ये देखने में बेहद छोटे होते हैं। यह सफेद, भूरे और काले रंग में होते हैं। यह सैलवीय हिस्पानिका नाम के पेड़ पर उगते हैं और यह बीज मैक्सिको में पाए जाते हैं। यह भारत में नहीं पाए जाते हैं, लेकिन अब यह भारत में भी बहुत प्रचलित हो रहे हैं। इसके सेवन से जबरदस्त उर्जा मिलती है और प्रोटीन भी काफी अच्छी मात्रा में पाई जाती है। चिया  सीड्स मे निम्न तत्व होते है 
  • फाइबर (Fiber)
  • ओमगा (Omega)
  • प्रोटीन (Protein)
  • विटामिन (Vitamin)
  • कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)
  • फैट (Fat)
  • मैंगनीज (Mangneze)
  • फॉस्फोरस (Phosphorus)
  • कैल्शियम (Calcium)
  • पोटेशियम (Potassium)
  • कॉपर (Copper)
  • जिंक (Zinc)
  • विटामिन A, B, E, D
  • आयरन (Iron)
  • थायमिन (Thaimine)
  • नियमिन सल्फर (Sulphur)
  • अमिनो एसिड (Amino Acid) 

वजन करें कम (Helps in Weight Loss)

Chia Seeds in hindi
आज हर कोई मोटापे से परेशान हैं। मोटापा सिर्फ खूबसूरती नहीं बिगाड़ता बल्कि हेल्थ पर भी बड़ा असर डालता है। अगर आप भी अपना वजन कम करने की सोच रहे हैं तो चिया सीड का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक गिलास पानी में कच्चा चिया बीज मिलाएं और अच्छे से मिलाने के बाद बीज के पानी में फूलने से पहले पी लें। इसके सेवन से आपको जल्दी भूख नहीं लगेगी और आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी।

कब्ज में दे आराम

Chia Seeds in hindi
चिया बीज में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो पेट साफ करने में मदद करती है। पानी में चिया बीज मिला कर पीने से पेट अच्छे से साफ होता है और आपको कब्ज से राहत मिलती है। रिसर्च में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि चिया बीज का सेवन करने वाले लोगों का पेट अच्छे से साफ होता है और कब्ज की परेशानी नहीं होती है।

डॉयबटीज करे कंट्रोल

Chia Seeds in hindi
मधुमेह या डॉयबटीज की बीमारी अगर एक बार शरीर में आ जाए तो फिर इसे खत्म नहीं कर सकते, लेकिन कम कर सकते हैं। इस बीमारी में भी चिया बीज के सेवन से जबरदस्त फायदा मिलता है। मधुमेह में रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर के स्तर को सही करने के लिए किया जाता है। चिया में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो शुगर के मरीजों के लिए अच्छा होता है।

कैंसर के इलाज में लाभदायक

चिया में अल्फा-लिनोलिक एसिड होता है जो स्तन कैंसर (Breast cancer) के रोकथाम में काम आता है। इसमें अल्फा लिपोइक एसिड भी होता है जो कि ओमेगा – फैटी एसिड ही है। यह इतना प्रभावशाली होता है कि शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाए कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में कारगार है। चिया में कैंसर जैसी भयानक बीमारी को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं।

कोलेस्ट्रॉल करे कम

Chia Seeds in hindi
बीज में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इससे कोरोनरी हृदय रोग को रोकने में मदद मिलती है। इसमें मोनोअनस्यूटेटेड वसा होती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है। इसमें फाइबार की अच्छी मात्रा होती है जो ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल दोनों को कम करती है।

दिल रखे मजबूत

चिया बीज ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है इसलिए वह दिल के लिए बहुत लाभकारी होता है। चिया बीज में लिनोलेइक एसिड होता है जो फैटी एसिड का एक प्रकार है। यह शरीर के वसा में घूलने वाले विटामिन A, D, E, K को घूलने में मदद करता है। ओमेगा-3 से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल सही रहता है जिससे दिल मजबूत बनता है। चिया बीज खाने से आप दिल की कई बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं।
Chia Seeds in hindi

हड्डियां बनाएं मजबूत

चिया बीज में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। कैल्शियम ही नहीं इसमें मैंगनीज भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाए रखने का काम करता है। साथ ही फॉस्फोरस का गुण होने की वजह से इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं।

त्वचा बनाए खूबसूरत

  • आपके शरीर की बीमारियों को दूर करने के साथ साथ चिया बीज आपकी त्वचा का भी ख्याल रखता है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और त्वचा के रुखेपन को कम करता है। सर्दियों में इसका इस्तेमाल बेहद लाभकारी होगा।
  • चेहरे पर चिया बीज का फेस मास्क रोजाना लगाने से चेहरे के मुंहासे ठीक होते हैं।
  • त्वचा के सूखे हिस्से पर जहां नमी ना रहती हो जैसे कोहनी घूटने पर चिया बीज के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे वहां की रुखी त्वचा में नमी आ जाती है। यह चेहरे के लिए एंटी ऑक्सीडेंट के रुप में काम करता है।
  • बढ़ती उम्र को रोकना हो तो चिया बीज का सेवन करना अच्छा माना जाता है।
  • इतना ही नहीं अगर आपको मूड अच्छा ना हो तो चिया सीड का इस्तेमाल करना चाहिए। चिया को रनिंग फूड या सुपरफूड भी कहते हैं जो मूड को अच्छा रखने का काम करती है। इससे डिप्रेशन को कम करने में मदद मिलती है।

चिया सीड बढ़ाए उर्जा

शारीरिक बीमारियों से लड़ने के अलावा चिया के सेवन से उर्जा मिलती है। विटामिन B, आयरन और मैग्निशियम होने से इसका सेवन करना अच्छा रहता है। जिम जाने या एक्सरसाइज करने से पहले चिया का इस्तेमाल करने से ताकत मिलती है जिससे एक्सरसाइज के वक्त आप कमजोरी महसूस नहीं करते हैं।

कैसे खाएं चिया बीज (How to consume Chia seeds in hindi)

सबसे पहले चिया के बीज को रात भर पानी में भिगोकर रख दें। पानी में लंबे समय तक भिगने के बाद यह एक जैल के रुप में आ जाते हैं जिसका आप कैसे भी सेवन कर सकते हैं। यह आपके पाचन के लिए अच्छा होता है।
अगर जैल के रुप में नहीं तो पाउडर के रुप में भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। चिया के बीज को पीसकर इसका पाउडर बना लें। पहले चिया के बीज को पीस लें। इसके बाद पाउडर बनाकर रख लें। आप खाने या पीने की किसी भी चीज में इसे ऊपर से डालकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। दही में मिलाकर भी खा सकते हैं।

चिया बीज के नुकसान (Disadvantages of eating chia seeds in hindi)

चिया सीड के इतने सारे फायदे हैं, लेकिन इसके नुकसान को भी हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। आइये डालते हैं एक नजर चिया बीज के नुकसान पर
  • इसके अधिक सेवन से एलर्जी भी हो सकती है। एलर्जी के चलते शरीर पर निशान, सांस लेने में दिक्कत, खुजली, दस्त, उल्टी जैसी समस्या हो सकती है। हर किसी के शरीर को चिया बीज फायदा पहुंचाए जरुरी नहीं है।
  • चिया कैंसर को जरुर ठीक करता है, लेकिन अगर आपको प्रोस्टेट कैंसर हो तो चिया बीज का इस्तेमाल ना करें। इसका सेवन सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर के लिए सही माना जाता है।
  • चिया बीज में फाइबर होता है जो वैसे तो पेट के लिए अच्छा है, लेकिन कुछ लोगों के लिए ज्यादा फाइबर का सेवन ठीक नहीं हैं उन्हें पेट की समस्या हो सकती है। इसे कम मात्रा में ले और पानी अच्छी मात्रा में पीएं।
  • फाइबर के ज्यादा सेवन से कब्ज और दस्त की समस्या हो सकती है। इसलिए इसका इस्तेमाल कम मात्रा में ही करें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर के लिए अच्छा होता है, लेकिन इसके सेवन से खून पतला होता है। अगर आप पहले से खून को पतला करने की किसी दवा का इस्तेमाल कर रहे हो तो चिया का सेवन ना करें। अगर किसी सर्जरी की वजह से बहुत ज्यादा खून निकल चुका हो तो चिया का सेवन ना करें।

अलसी के फायदे -जो खाए अलसी जवानी ज़िंदाबाद, और बुढ़ापा बाय बाय

अलसी – एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन

अलसी एक प्रकार का तिलहन है। इसका बीज सुनहरे रंग का तथा अत्यंत चिकना होता है। फर्नीचर के वार्निश में इसके तेल का आज भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक मत के अनुसार अलसी वातनाशक, पित्तनाशक तथा कफ निस्सारक भी होती है। मूत्रल प्रभाव एवं व्रणरोपण, रक्तशोधक, दुग्धवर्द्धक, ऋतुस्राव नियामक, चर्मविकारनाशक, सूजन एवं दरद निवारक, जलन मिटाने वाला होता है। यकृत, आमाशय एवं आँतों की सूजन दूर करता है। बवासीर एवं पेट विकार दूर करता है। सुजाकनाशक तथा गुरदे की पथरी दूर करता है। अलसी में विटामिन बी एवं कैल्शियम, मैग्नीशियम, काॅपर, लोहा, जिंक, पोटेशियम आदि खनिज लवण होते हैं। इसके तेल में 36 से 40 प्रतिशत ओमेगा-3 होता है।
जब से परिष्कृत यानी “रिफाइन्ड तेल” (जो बनते समय उच्च तापमान, हेग्जेन, कास्टिक सोडा, फोस्फोरिक एसिड, ब्लीचिंग क्ले आदि घातक रसायनों के संपर्क से गुजरता है), ट्रांसफेट युक्त पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा यानी वनस्पति घी (जिसका प्रयोग सभी पैकेट बंद खाद्य पदार्थों व बेकरी उत्पादनों में धड़ल्ले से किया जाता है), रासायनिक खाद, कीटनाशक, प्रिजर्वेटिव, रंग, रसायन आदि का प्रयोग बढ़ा है तभी से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ी है। हलवाई और भोजनालय भी वनस्पति घी या रिफाइन्ड तेल का प्रयोग भरपूर प्रयोग करते हैं और व्यंजनों को तलने के लिए तेल को बार-बार गर्म करते हैं जिससे वह जहर से भी बदतर हो जाता है। शोधकर्ता इन्ही को डायबिटीज का प्रमुख कारण मानते हैं। पिछले तीन-चार दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-3 वसा अम्ल की मात्रा बहुत ही कम हो गई है और इस कारण हमारे शरीर में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल यानी हिंदी में कहें तो ॐ-3 और ॐ-6 वसा अम्लों का अनुपात 1:40 या 1:80 हो गया है जबकि यह 1:1 होना चाहिये। यह भी डायबिटीज का एक बड़ा कारण है। डायबिटीज के नियंत्रण हेतु आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक व दैविक भोजन अलसी को “अमृत“ तुल्य माना गया है।
अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। सम्पूर्ण विश्व ने अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है । अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते है।
ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं, उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया आदि संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं, हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।  आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है। आई.बी.एस., अल्सरेटिव कोलाइटिस, अपच, बवासीर, मस्से आदि का भी उपचार करती है अलसी।
अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती, बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से सुरक्षा और उपचार भी करती है। अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है। अलसी बी.एम.आर. बढ़ाती है, खाने की ललक कम करती है, चर्बी कम करती है, शक्ति व स्टेमिना बढ़ाती है, आलस्य दूर करती है और वजन कम करने में सहायता करती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांस-पेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।अलसी कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सही रखती है। रक्त को पतला बनाये रखती है अलसी। रक्तवाहिकाओं को साफ करती रहती है अलसी।
अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
मीनोपोज़ (माहवारी सम्बंधित) की तकलीफों पर पॉज़ लगा देती है अलसी।
पुरुषरोग में सस्टेन्ड रिलीज़ वियाग्रा है अलसी। जो अलसी खाये वो गाये जवानी ज़िंदाबाद बुढ़ापा बाय बाय।
पुरूष को कामदेव तो स्त्रियों को रति बनाती है अलसी।
बॉडी बिल्डिंग के लिये नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।
जोड़ की तकलीफों का तोड़ है अलसी। जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी का सस्ता और बढ़िया विकल्प है अलसी।
क्रूर, कुटिल, कपटी, कठिन, कष्टप्रद कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है अलसी।
1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है। यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है। उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी। इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।

अलसी सेवन का तरीकाः---  

हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।
इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।
अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है। पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है। अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें। स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।
इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है। यह नाश्ते के साथ लें।
बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है। इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है।
अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। तीन घंटे बाद छानकर पीएं। इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा। मूत्र भी खुलकर आने लगेगा। इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है।डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है। अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)

Wednesday 20 November 2019

सहजन - मानव के लिए कुदरत का चमत्कार- 300 रोगों की दवा है सहजन

                           
आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसलिए आज हम आपको परिचित करवाने जा रहे हैं। सहजन की कुछ खास उपयोगिताओं व इसके गुणों से .....
सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 
सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है । इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है। उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है।सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं। इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में ४ गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
सैकड़ों औषधीय गुण- सहजन की फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया में उपयोगी है। सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग के लिए उपयोगी है। छाल का उपयोग शियाटिका ,गठियाए,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है। सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, साईटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है। सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है। 
सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया ए जोड़ों के दर्द वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है। सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है। सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है। सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है। सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है। सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है। सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है। सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। 
  • 100 ग्राम सहजन की पत्तियों में 5 गिलास दूध के बराबर कैल्शियम होता है। इसके अलावा नींबू की तुलना में इसमें 5 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। कैल्शियम और विटामिन-सी के अलावा सहजन की पत्तियों में प्रोटीन, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन←
सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है। सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं। 
सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है। इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है। त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष स्थान है। सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं। अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है। बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं। सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ताकतवर मॉश्चराइजर है। इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है। 
सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है। सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं। सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है
सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद, और नारियल पानी मिलाकर लें, यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है। 
सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना--विटामिन सी- संतरे से सात गुना,-विटामिन ए- गाजर से चार गुना, कैलशियम- दूध से चार गुना,पोटेशियम- केले से तीन गुना,प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना
हमारे यहां सहजन के गुणों से लोग अंजान हैं जबकि विदेशों अब भारत मे भी  में इसकी पत्तियों के चूर्ण को पैकेट में भरकर मंहगे दामों में बेचा जाता है साथ ही सेहतमंद रहने के लिए लोग मोरिंगा पाउडर के कैप्सूल का भी सेवन करते हैं। 

Monday 18 November 2019

अजवाइन( Carom Seeds) का उपयोग , फायदे और नुकसान




अजवाइन के फायदे  
अजवाइन ऐसी चीज है, जो न सिर्फ आपके खाने का जायका बढ़ाती है, बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी ठीक रखती है। यही कारण है कि भारतीय भोजन में अजवाइन का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, पेट में दर्द होने या गैस बनने पर बड़े-बुजुर्ग भी एक चुटकी अजवाइन खाने की सलाह देते हैं। यकीनन, यह सलाह काम आती है और असमय उठे पेट दर्द से राहत मिलती है।विद्रोही आवाज स्वास्थ्य ब्लॉग  के इस लेख में हम आपको अजवाइन के फायदे से रू-ब-रू कराएंगे। इसके अलावा, यह भी बताएंगे कि आप किस-किस तरह से अजवाइन का सेवन कर सकते हैं। अजवाइन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है, लेकिन यह त्वचा और बालों के लिए भी गुणकारी है। फिलहाल, हम पहले सेहत के लिए अजवाइन के फायदे बता रहे हैं।

1. एसिडिटी, अपच और पेट की अन्य समस्याओं से बचाए

अगर आपको एसिडिटी की समस्या रहती है, तो अजवाइन का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटीएसिड गुण होते हैं, जो एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन में एक चम्मच जीरा और थोड़ा अदरक का पाउडर मिलाकर सेवन करें।
विद्रोही आवाज स्वास्थ्य ब्लॉग 

2. गैस और कब्ज

Pinit
गैस और कब्ज की समस्या किसी को भी हो सकती है। ऐसे में अजवाइन आपके लिए असरदार साबित हो सकती है। इसमें थाइमोल की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ता है। इसके अलावा, अजवाइन में रेचक (लैक्सटिव) गुण होते हैं, जिस कारण कब्ज की समस्या दूर होती है और मल त्यागने में आसानी होती है 

3. दिल के लिए फायदेमंद

अजवाइन आपके कोलेस्ट्राॅल के स्तर को ठीक रखती है, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है । इसके अलावा, यह सीने के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं।

4. अस्थमा

गुनगुने पानी के साथ अजवाइन खाने से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में भी राहत मिलती है। आप दिन में दो बार गुड़ के साथ अजवाइन खा सकते हैं। इसमें एंटीस्पैमोडिक और कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो अस्थमा में राहत पहुंचाते हैं ।

5. सर्दी, फ्लू और वायरल इन्फेक्शन

अगर आपको सर्दी, फ्लू या वायरल इन्फेक्शन की समस्या हो, तो अजवाइन प्रभावी असर दिखाती है। सर्दी के कारण बंद हुई नाक में भी अजवाइन फायदा पहुंचाती है। अगर नाक बंद हो, तो गर्म पानी में अजवाइन डालकर भांप लें। आपको राहत महसूस होगी। इसके अलावा, अगर सर्दी, फ्लू या वायरल इन्फेक्शन के कारण गले में खराश है, तो हल्दी और अजवाइन को गर्म दूध में मिलाकर लें। इससे आपको आराम मिलेगा 

6. मुंह की समस्याएं

अजवाइन मुंह की समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करती है। अगर आपको दांत में दर्द है, तो अजवाइन से राहत मिल सकती है। आप अजवाइन का तेल और लौंग का तेल मिलाकर दांत पर लगाएं, ताे इससे दर्द भी कम होगा और मुंह से दुर्गंध भी नहीं आएगी ।

7. डायरिया

अजवाइन डायरिया से राहत दिलाने में भी मदद करती है। इसके लिए एक गिलास पानी में अजवाइन डालकर उबालें। फिर इस पानी को ठंडा कर दिन में दो बार पिएं ।
दर्दकेयर तेल का उपयोग करे - तेल के लिए कॉल करे 8460783401 

8. जोड़ों में दर्द

अर्थराइटिस और जोड़ों में दर्द के लिए अजवाइन काफी लाभकारी होती है। अगर आपको जोड़ों में दर्द रहता है, तो प्रभावित भाग पर अजवाइन के तेल से मालिश करें। आपको राहत महसूस होगी 

9. डायबिटीज

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अजवाइन लाभदायक साबित होती है। इसके लिए आप नीम की पत्तियों को छांव में सुखा लें। इसका पाउडर बनाकर एक डिब्बे में भर लें। रात के समय में गर्म दूध में एक चम्मच नीम और आधा-आधा चम्मच अजवाइन व जीरे का पाउडर डालकर लगातार 30 दिन तक पीने से आपको फायदा हो सकता है।

10. मासिक धर्म में लाभदायक

अगर आपको मासिक धर्म में दर्द या अनियमितता की शिकायत है, तो आप अजवाइन का सेवन कर सकती हैं । इसके लिए आप मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर एक मुट्ठी अजवाइन डालकर रातभर के लिए छोड़ दें। फिर इसे अगली सुबह पीसकर पी लें। आपको फायदा होगा।

11. कान दर्द

कान दर्द की समस्या से राहत दिलाने में अजवाइन खास भूमिका निभाती है। अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। अगर आपको कान दर्द की समस्या ज्यादा है, तो दो चम्मच तिल के तेल में दो चम्मच अजवाइन और एक चम्मच लहसुन डालकर तेल के लाल होने तक गर्म करें। फिर इसे ठंडा करके कुछ बूंदें कान में डालें। यह तेल कान में फुंसी होने पर भी लाभ पहुंचा सकता है ।
नोट : बेशक यह घरेलू उपचार कान दर्द में लाभकारी है, लेकिन इसे उपयोग करने से पहले एक बार कान के डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

12. स्तनपान के लिए

आपको जानकर हैरानी होगी कि स्तन दूध बढ़ाने में अजवाइन काफी प्रभावशाली होती है। अजवाइन आपके गर्भाशय को साफ करती है और ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक चम्मच सौंफ और आधा चम्मच अजवाइन एक लीटर पानी में डालकर उबालें। इस पानी को आप रोजाना पिएं।

13. वजन कम करे


मोटापा कम करने के लिए इवा चूर्ण 3 माह सेवन करे - 8460783401 
3 माह मे 10 किलो वजन कम करे - 8460783401 
अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो अजवाइन आपको फायदा पहुंचा सकती है। इसके लिए आप रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच अजवाइन पानी के साथ लें। रोजाना इसे लेने से आप एक महीने में तकरीबन चार से पांच किलो वजन कम कर पाएंगे ।

त्वचा के लिए अजवाइन के फायदे 

  1. फोड़े-फुंसी और एक्जिमा : फोड़े -फुंसी और एक्जिमा की समस्या होने पर भी आप अजवाइन का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप अजवाइन को गुनगुने पानी में डालें और इसे पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को प्रभावितभाग पर लगाएं। बेहतर परिणाम के लिए आप अजवाइन के पानी से प्रभावित क्षेत्र को धो भी सकते हैं।

2. कील-मुंहासों के लिए

Pinit
कील-मुंहासों से राहत पाने के लिए भी आप अजवाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। अजवाइन त्वचा से मुंहासों के निशान दूर करने में भी मदद करती है। मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए आप अजवाइन के पाउडर का पेस्ट बनाएं और 10 से 15 मिनट के लिए अपने चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो, सामान्य पानी से चेहरा धो लें। आप कुछ दिनों तक नियमित रूप से इस प्रक्रिया को अपनाएं। कुछ ही दिनों में आपको मुंहासों के निशान से छुटकारा मिल सकता है।
  1. झुर्रियों के लिए : झुर्रियों से राहत पाने के लिए अजवाइन आपकी मदद कर सकती है। चूंकि, अजवाइन में विटामिन-ए और विटामिन-सी होता है, जो त्वचा में कसावट लाते हैं। इनके चलते चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं।
  2. बॉडी क्लींजर : अजवाइन की चाय आपके शरीर से टॉक्सिन दूर करने में मदद करती है, जिससे कई तरह की त्वचा की समस्याएं दूर रहती हैं। यह आपका रक्त साफ करती है और शरीर में रक्त संचार को दुरुस्त करने में मदद करती है।
  3. ऑयली स्किन के लिए :अगर आपकी स्किन ऑयली है, तो अजवाइन आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसमें सोडियम, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

बालों के लिए अजवाइन के फायदे 

जिस तरह से अजवाइन स्वास्थ्य और त्वचा के लिए फायदे है, उसी तरह से बालों के लिए भी अजवाइन काफी फायदेमंद है। नीचे हम बताएंगे कि किस तरह अजवाइन बालों को फायदा पहुंचाती है।
खुजली और जूं से बचाए : अगर आपके सिर में तेज खुजली होती है या सिर में जूं पड़ गई है, तो अजवाइन आपके काम आ सकती है। इसके लिए आप एक चम्मच फिटकरी को दो चम्मच अजवाइन के साथ पीस लें और एक कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ में लगाएं। यह काम आप रात को सोने से पहले करें। अगली सुबह उठकर सिर धो लें। इससे सिर की जूएं मर जाएंगी।

बालों को सफेद होने से बचाए – 

Pinit
अजवाइन आपके बालों को असमय सफेद होने से भी बचाती है। इसके लिए आप दो से तीन करी पत्ता, दो सूखे अंगूर, एक चुटकी अजवाइन व स्वादानुसार चीनी को एक कप पानी में मिक्स करके पकाएं। आप इस पानी को रोजाना पिएं। ऐसा रोज करने से आपके बाल समय से पहले सफेद नहीं होंगे।

अजवाइन का उपयोग कैसे करें? 

हालांकि, हमने ऊपर अलग-अलग समस्याओं को लेकर अजवाइन इस्तेमाल करने के तरीके बताए हैं, लेकिन इसके अलावा कुछ आसान तरीके भी हैं, जो आप आजमा सकते हैं। नीचे हम बता रहे हैं कि अजवाइन का उपयोग कैसे करें :
  • अजवाइन भूख बढ़ाने का काम भी करती है। इसके लिए आप एक चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ खाएं। इससे आपको अच्छी भूख लगेगी।
  • अगर आपको गैस या पेट फूलने की समस्या है, तो अजवाइन को तवे पर भूनकर उसे नींबू व नमक के साथ चाटने से राहत मिलती है।
  • आप पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए अजवाइन का पानी भी पी सकते हैं।
  • अगर आपको फ्लू या गले में खराश की समस्या है, तो एक चौथाई अजवाइन, एक चुटकी नमक और एक लौंग को मुंह में रखकर चूसें। आपको राहत महसूस होगी।
  • इसके अलावा, खाना बनाते समय दाल या सब्जी में अजवाइन के साथ तड़का लगाने से खाना स्वादिष्ट भी बनेगा और उसे पचाने में आसानी भी रहेगी।

अजवाइन के नुकसान – 

भले ही अजवाइन फायदे होती है, लेकिन अगर इसका अत्यधिक सेवन किया गया, तो यह नुकसान भी कर सकती है। नीचे हम अजवाइन के कुछ नुकसान बताने जा रहे हैं।
  1. अगर अजवाइन का ज्यादा सेवन किया जाता है, तो इससे आपको पेट में जलन, उल्टी और सिर दर्द की समस्या हो सकती है।
  2. अगर आपको मुंह में छाले, पेट में अल्सर या आंतरिक रक्तस्राव की समस्या है, तो अजवाइन का सेवन इन समस्या को और बढ़ा सकता है।
  3. अगर आप अजवाइन का ज्यादा सेवन करते हैं, तो एसिडिटी की समस्या कम होने की जगह बढ़ सकती है।
इस लेख में हमने अजवाइन खाने के फायदे से लेकर अजवाइन के नुकसान तक के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही इस लेख में हमने आपको अजवाइन खाने के तरीके बताने के प्रयास किए हैं। आप ऊपर बताए गए तरीकों को अपनाएं और अजवाइन के फायदे उठाएं। इसके अलावा, यह लेख दूसरों के साथ भी शेयर करें, ताकि उन्हें भी इसके फायदे पता चल सकें।