Thursday 10 December 2020

पैरों में जलन के कारण और उपाय


हाथों-पैरों में जलन की समस्या को छोटा समझ अक्सर लोग इग्नोर कर देते हैं। मगर असल में इसके कारण ना सिर्फ अहसनीय दर्द बल्कि खुजली जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। कई बार तो इसके कारण चलना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि कुछ लोग इसके लिए दवाइयों या क्रीम का सहारा लेते हैं लेकिन आप सस्ते व घरेलू नुस्खो से भी इसका इलाज कर सकते हैं।पैरों में होने वाली जलन को दूर करने से पहले हम आपको यह बताते हैं कि आखिर यह समस्या होती क्यों है?

पैरों के तलवे में जलन के कारण

पैरों के तलवों में जलन तब होती है जब पैरों में ब्लड सर्कुलेशन कम हो और लंबे समय तक खड़े हो कर काम करना पड़े। हालांकि यह ज्यादातर उन्हें होता है जो बूढ़े हो चुके हैं या फिर जो लोग डायबिटीज के मरीज है। वहीं कम उम्र में इस समस्या का कारण शरीर में पोषक तत्व जैसे विटामिन बी, फोलिक एसिड या कैल्शियम की कमी भी हो सकता है। इसके अलावा पैरों के तलवे में जलन होने के और भी कारण हो सकते हैं जैसे...-क्रोनिक किडनी रोग (युरिमिया)

-लघु फाइबर न्यूरोपैथी
-शराब का सेवन और कम थाईराइड हार्मोन का स्तर|
-लाइम की बीमारी और एचआईवी
-माइलॉयड पोली न्यू थेरेपी
-दवाइयों या कीमोथेरेपी के साइड-इफैक्ट्स
-रक्त वाहिकाओं की सूजन
-गुर्दे से जुड़ी बीमारी

-रक्त वाहिकाओं में संक्रमण 

पैरों में जलन की समस्या बहुत आम है. अगर आपके भी पैरों में जलन होती है तो इन घरेलू नुस्खों को अपना सकते हैं. पैरों में जलन का इलाज (Burning sensation in feet) बहुत सरल है

अक्सर लोगों को पैरों में जलन (Burning Sensation in Feet) की परेशानी होती रहती है. कुछ लोगों के पैरों में जलन की समस्या रोजाना होती है. कई बार यह पैरों में जलन होना गंभीर बीमारी का भी संकेत होता है. हलांकि ज्यादातर मामलों में यह थकान या कमजोरी के वजह से होता है. जिनको पैरों में जलन कभी-कभी होती है उनके लिए पैरों में जलन के घरेलू नुस्खे फायदेमंद होते हैं. अगर यह समस्या रोजाना होती है तो शरीर में विटामिन और पोषक तत्वों के लेवल की जांच करानी चाहिए. हम यहां पर पैरों में जलन का इलाज घरेलू नुस्खे के तौर पर बता रहे हैं 

हल्दी से पैरों में जलन का इलाज- हल्दी में मौजूद एंटीइंफ्लेमेंटरी प्रोपर्टी इस परेशानी से राहत दिलाने का कारगर उपाय है. 1 बड़े चम्मच हल्दी में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं. इसे अपने तलवों पर अच्छी तरह लगाएं. 5 मिनट ऐसे ही रहने दें और फिर इसे अच्छी तरह धो लें. आप चाहे तो इस पेस्ट को ठंडा करके भी लगा सकती हैं

सेंधा नमक है पैरों में जलन की दवा - पैरों में जलन की दवा अगर कोई है तो सेंधा नमक है. इसके लिए आप एक टब गुनगुने पानी में एक चौथाई कप सेंधा नमक मिलाएं. इसमें अपने पैरों को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखें. इसके बाद पैरों को अच्छी तरह पोंछ लें. इससे आपको किसी तरह के दर्द और सूजन से भी राहत मिलेगी

करेले के पत्ता है पैरों में जलन से बचने का उपाय- पैरों की जलन से बचने का उपाय करेले के पत्ता में भी छुपा है. कुछ करेले की पत्तियां लें और इसे अच्छी तरह धो लें. अब इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें. इसे अपने पैरों और तलवों पर अच्छी तरह लगाएं. 10 मिनट बाद धो लें. दिन में दो बार ऐसा करे

सेब का सिरका से पैर के तलवे में जलन होना बंद हो जाता है -एप्पल साइडर विनेगर से पैर के तलवे में जलन होना बंद हो जाती है. अगर आपके घर में मौजूद हो, तो इसे भी पैरों की जलन से राहत पाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप एक टब में पानी लें और इसमें 2-3 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं. इसमें पैरों का 10 से 15 मिनट डुबोकर रखें.

ठंडा पानी भी पैर के तलवे में जलन का उपचार- किसी प्रकार की जलन हो ठंडा पानी रामबाण इलाज है. पैर के तलवे में जलन का उपचार ठंडा पानी भी कर सकता है. इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है, बस एक टब में ठंडा पानी लें और पैरों को इसमें 5 मिनट तक डुबोकर रखें. दो मिनट बाद फिर इसे 5 मिनट तक डुबोकर रखें. दो से तीन बार ऐसा करें.



Wednesday 9 December 2020

एसिडिटी आम्लपित्त )होने के कारण ओर उपचार - अम्लं विदग्धं च तत्पित्तं अम्लपित्तम्

अम्लं विदग्धं च तत्पित्तं अम्लपित्तम्

सर्वप्रथम् यह जानना आवश्यक है कि अम्ल पित्त है क्या है ? आयुर्वेद में कहा गया है- अम्लं विदग्धं च तत्पित्तं अम्लपित्तम्। जब पित्त कुपित होकर अर्थात् विदग्ध होकर अम्ल के समान हो जाता है, तो उसे अम्ल पित्त रोग की संज्ञा दी जाती है। पित्त को अग्नि कहा जाता है।

त्रिदोषों में अति महत्वपूर्ण पित्त जब कुपित हो जाता है और अम्ल सा व्यवहार करने लगता है तो उसे अम्ल पित्त कहते है। पित्त का सम्बन्ध जठराग्नि से है। जठराग्नि के क्षीण हो जाने से पाचक रसो की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। पाचक रस भोजन को पूर्णत: पचाने में असमर्थ हो जाते है। भोजन पेट में ही पड़ा- पड़ा सड़ने लगता है। आमाशय की पाचन प्रणाली बार- बार क्रियाशील हो भोजन को पचाने का प्रयास करती है। बार- बार पाचक रसो एवं अम्ल को स्त्रावित करती है। जिससे शरीर में अम्ल की अधिकता हो जाती है। अम्ल शरीर में अन्य विभिन्न तकलीफों को उत्पन्न करता है। वही अपचा भोजन पड़े- पडे़ सड़ता है और आँतों द्वारा उसी रूप में रक्त में मिल जाता है। रक्त को दूषित कर सम्पूर्ण शरीर को भी दूषित करता है। अम्ल पित्त का यदि सम्यक उपचार ना किया जाए तो वह आगे चलकर नये रोगों को जन्म देता है। अम्ल पित्त मात्र एक रोग नहीं है। अपितु शरीर में उपस्थित अन्य रोगों का परिणाम है।

सामान्यत: अम्ल पित्त को पाचन तन्त्र का एक रोग माना जाता है। जिसका कारण खान-पान की अनियमितता माना जाता है, परन्तु अम्ल पित्त का मूल कारण मानसिक द्वन्द है। जो व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यधिक परेशान रहते है। अपने प्रियजनों पर भी जिसे विश्वास ना हो, जो हर समय स्वयं को असुरक्षित समझे। वे ही मुख्यत: इस रोग से ग्रस्त माने जाते है। समय के साथ यदि अम्ल पित्त बढ़ जाये तो यह अल्सर में बदल जाता है। अम्ल अधिक बन जाने पर वह पाचन अंगों पर घाव बना देता है।

अम्ल पित्त रोग के कारण 

अम्ल पित्त रोग मुख्य रूप से मानसिक उलझनों और खान-पान की अनियमितता के कारण उत्पन्न रोग है जिसके प्रमुख लक्षण है-
  1. भोजन सम्बन्धी आदतें अम्ल पित्त रोग का एक प्रमुख कारण है। कुछ व्यक्तियों में अयुक्ताहार-विहार से यह रोग हो जाता है। जैसे- मछली और दूध को एक साथ मिलाकर खाने से यह रोग हो जाता है।
  2. इसके अतिरिक्त बासी और पित्त बढ़ाने वाले भोजन का सेवन करने से भी अम्ल पित्त रोग होता है। डिब्बाबंद भोजन का अत्यधिक सेवन करना भी अम्ल पित्त रोग को दावत देता है।
  3. भोजन कर तुरन्त सो जाना या भोजन के तुरन्त बाद स्नान करने से भी यह रोग हो जाता है। 
  4. अम्ल पित्त रोग भोजन के बाद अत्यधिक पानी पीने से भी होता है। ठूस-ठूस कर खाने से भी ये रोग हो जाता है। 
  5. यकृत की क्रियाशीलता में कमी होना भी इस रोग का प्रमुख कारण है। 
  6. यदि दूषित एवं खट्टे-मीठे पदार्थो का अधिक सेवन किया जाए तो भी यह रोग हो जाता है। 
  7. मल-मूत्र के वेग को रोककर रखना भी इस रोग की उत्पत्ति का कारण है। 
  8. नशीली वस्तअुों का अत्यधिक सेवन करना भी इस रोग का एक कारण है। 
  9. इस रोग का एक कारण उदर की गर्मी को बढ़ाने वाले पदार्थो का अधिक सेवन करना है। 
  10. अत्यधिक अम्लीय पदार्थो का बार- बार सेवन करने से भी यह रोग हो जाता है। 
  11. कई व्यक्ति अत्यधिक भोजन कर दिन में सो जाने की आदत होती है जिससे यह रोग हो जाता है। 
  12. दाँतों के रोगों के कारण भी अम्लपित्त रोग होने की सम्भावना रहती है। 
  13. भोजन के तुरन्त बाद खूब पानी पीना भी इस रोग की प्रमुख वजह है। 
  14. अम्ल पित्त रोग का ऋतु परिवर्तन और स्थान परिवर्तन से अति गहरा सम्बन्ध है। 
  15. अम्लता उत्पन्न करने वाली औषधियों के निरन्तर सेवन से भी यह रोग हाता है।

अम्ल पित्त रोग के लक्षण 

  1. अपचन एवं कब्ज का सदैव बना रहना इस रोग का एक प्रमुख लक्षण है। 
  2. इस रोग के रोगी की आँखें निस्तेज हो जाती है। 
  3. जीभ पर सदैव हल्की सफेद- मैली परत जमी रहती है। 
  4. त्वचा मटमैली एवं खुरदुरी हो जाती है। 
  5. भोजन ठीक से नहीं पचता और कभी-कभी उल्टी भी होती है। 
  6. यदि उल्टी के साथ हरे-पीले रंग का पित्त भी निकले तो यह अम्ल पित्त का प्रमुख लक्षण समझना चाहिए। 
  7. अम्ल पित्त के रोगी को कड़वी और खट्टी ड़कारे आती है। 
  8. गले और सीने में तीव्र जलन होती है। 
  9. जी का मचलना, मुँह में कसौलापन एवं उबकाईयाँ आती है। 
  10. ऐसा व्यक्ति सदैव बेचैन और घबराया हुआ रहता है। 
  11. उदर में भारीपन रहता है।  
  12. अम्ल पित्त के रोगियों का मल निष्कासन के समय गर्म रहता है। 
  13. कभी-कभी पतले दस्त भी होते है। 
  14. मूत्र का रंग लाल-पीलापन लिये हुए होता है। 
  15. रोग की तीव्र अवस्था में शरीर में छोटी- छोटी फुन्सियाँ हो जाती है जिन पर खुजली भी होती है। 
  16. कई बार व्यक्ति आँखों के आगे अन्धेरा छा जाने की भी शिकायत करता है। 
  17. सिर में भारीपन एवं दर्द बना रहता है। 
  18. शरीर में सुस्ती एवं थकान बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति सदैव विचित्र एवं अनजाने भय से ग्रसित रहता है। 
  19. कई बार व्यक्ति के सम्पूर्ण शरीर में जलन होती है। रोगी हाथों, पैरों, आँखों और सिर पर जलन की शिकायत करता है। 
  20. अम्ल पित्त के कई रोगियों में रक्तस्त्राव भी हो जाता हैंं। 
  21. अम्ल पित्त रोग यदि लम्बे समय तक बना रहे तो बाल झड़ने और सफेद होने लगते है। 
  22. अम्ल पित्त रोग जीर्ण हो जाने पर गैस्ट्रिक एवं ड्यूडिनम अल्सर में बदल जाता है।

अम्ल पित्त रोग के दो प्रकार है-

  1. उध्र्वग अम्ल पित्त- जिस अम्ल पित्त में खट्टा, हरा, नीला, हल्का लाल, काला, चिपचिपा कड़वा वमन, ड़कार होता है तथा हृदय, गले तथा पेट में जलन और हाथ- पैरों में जलन होती है, उध्र्वग अम्ल पित्त कहलाता है।
  2. अधोग अम्ल पित्त-जिस अम्ल पित्त में गुदा से हरा, पीला, काला, माँस के धोवन के समान रक्तवर्ण अम्ल पित्त निकलता है तथा प्यास और जलन बनी रहती है, अधोग अम्ल पित्त कहलाता है। प्रत्येक रोग के समान ही अम्ल पित्त रोग को भी उसकी अवस्था के आधार पर प्रारम्भिक अम्ल पित्त, मध्यम अम्ल पित्त और तीव्र अम्ल पित्त में भी बाँटा जा सकता है।

अम्ल पित्त रोग की उपचार -

  1. सौंठ एवं गिलोय का समभाग चूर्ण शहद के साथ सेवन करना उपयोगी है। 
  2. मिश्री को त्रिफला एवं कुटकी के समभाग चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करना उपयोगी है। 
  3. हरड़, गुड़ और छोटी पीपल को समान मात्रा में मिलाकर उसकी गोली बना लें तथा सेवन करें। 
  4. भृंगराज एवं हरीतकी का समभाग चूर्ण गुड़ के साथ मिलाकर सेवन करना उपयोगी है। 
  5. प्र्रतिदिन नाश्ते में एक पका केले को खाये, तत्पश्चात् दूध पी लें। इससे यह रोग दूर हो जाता है।
  6. 50 ग्राम मुनक्का और 25 ग्राम सौंफ को रात में पानी में भिगाकर रख दें। सुबह इसे मसलकर छान ले। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर इसे पी ले। 
  7. करेले के पत्तों या फूल को घी में भूनकर उसका चूर्ण बना ले। इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार एक से दो ग्राम की मात्रा में खायें। 
  8. 20 ग्राम आँवला स्वरस में, 1 ग्राम जीरा चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीयें। 
  9. नीमपत्र रस और अडूसा पत्र रस को 20-20 ग्राम एकत्र कर इसमें थोड़ा शहद मिलाकर दिन में 2 बार खायें। 
  10. बच के चूर्ण को 2-4 रती की मात्रा में मधु के साथ सेवन करे। 
  11. शक्कर में श्वेत जीरे के साथ धनिये का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर खाये। 
  12. जौ अथवा गेहूँ अथवा चावल के सत्तू को मिश्री में मिलाकर खाना चाहिए। 
  13. नीम की छाल, गिलोय व पटोल का काढ़ा बनाकर उसमें शहद डालकर पीने से लाभ मिलता है। 
  14. सूखे आँवले को रात भर भिगोकर रख दें। सुबह उसमें जीरा और सौंठ मिलाकर बारीक पीस ले। इस मिश्रण को दूध में घोलकर पीयें।
  15. भोजन के पश्चात् दूध के साथ इसबगोल लेते रहने से अम्ल पित्त रोग कभी नहीं होता है।
  16. छोटी या बड़ी हरड़ का 3 ग्राम चूर्ण और 6 ग्राम गुड़ को मिलाकर दिन में 3 बार खायें।
  17. मिश्री को कच्चे नारियल के पानी में मिलाकर सेवन करे।
  18. भोजन के 1 घण्टे बाद आँवले का 5 ग्राम चूर्ण लेना चाहिए।
  19. अनार के रस में जीरा मिलाकर खाने से अम्ल पित्त रोग दूर हो जाता है। 
  20. भुने हुए जीरे व सेंधा नमक को संतरे के रस में डालकर पीये। इससे अम्ल पित्त रोग का शमन हो जाता है। 
  21.  50 ग्राम प्याज को महीन-महीन काट ले। इससे गाय के ताजे दही में मिलाकर खायें। 
  22. अदरक और अनार के 6-6 ग्राम रस को मिलाकर पी लेने से यह रोग दूर हो जाता है। 
  23. मूली के स्वरस में कालीमिर्च का चूर्ण और नमक मिलाकर खाने से अम्ल पित्त रोग में लाभ मिलता है। 
  24. प्रत्येक भोजन के बाद एक लौंग खा लेनी चाहिए। 
  25. ठण्डा दूध पीने से अम्ल पित्त रोग में लाभ मिलता है।

आहार

  1. आहार चिकित्सा में पूर्ण प्राकृतिक एवं ताजे भोज्य पदार्थो को शामिल करे। अत्यधिक तले-भुने, गरिष्ठ और मिर्च-मसाले युक्त आहार कदापि ना ले। 
  2. रोगी को फलों में ताजे फल जैसे- नारंगी, आम, केला, पपीता देना चाहिए। कुछ समय के पश्चात् खूबानी, खरबूज, चीकू, तरबूज, सेब भी दे सकते है। 
  3. सूखे मेवे में अखरोट, खजूर, मुनक्का, किशमिश देना चाहिए। कुछ दिनों तक रोगी की सामथ्र्यानुसार सेब का पानी, नारियल का पानी, खीरा और सफेद पेठे आदि का रस देना चाहिए। 
  4. तोराई, टिण्डा, लौकी, परवल आदि की सब्जियाँ रोगी को खाने को दें। रोग के कम हो जाने पर मेथी, चौलाई, बथुआ आदि सब्जियाँ दी जा सकती है। यदि रोगी की आलू खाने की इच्छा हो तो रोगी को आलू उबालकर खाने को दें। ध्यान रखे यदि रोगी आलू ग्रहण कर रहा है तो आलू के साथ अन्य पदार्थ कदापि ना ले। 
  5. अम्ल पित्त रोग में कच्चे नारियल का दूध और गूदा का उपयोग करना चाहिए। 
  6. आँवले और अनार का रस भी अम्ल पित्त रोग में उपयोगी है।

एसिडिटी होने के कारण (Causes of Acidity)

  1. अत्यधिक मिर्च-मसालेदार और तैलीय भोजन करना
  2. पहले खाए हुए भोजन के बिना पचे ही पुन भोजन करना
  3. अधिक अम्ल पदार्थों के सेवन करने पर।
  4. पर्याप्त नींद न लेने से भी हाइपर एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
  5. बहुत देर तक भूखे रहने से भी एसिडिटी की समस्या होती है।    
  6. कुछ वर्ष पहले हम जल्दबाजी, चिंता और तीखा आहार यह एसिडिटी के कारण मानते थे। लेकिन इससे केवल तत्कालिक एसिडिटी होती है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार अब इसका असली कारण एच. पायलोरी जीवाणु है। यह संक्रमण दूषित खान-पान से होता है।कुछ लोगों को गरम खाना, शराब, ऍलर्जी और तले हुए पदार्थों के कारण तत्कालिक अम्लपित्त होता है। ज्यादातर यह शिकायत कुछ समय बाद या उल्टी के बाद रूक जाती है। गर्भावस्था में कभी कभी अंतिम महिनों में जादा आम्लता महसूस होती है। तंबाखू खाने से या धूम्रपान के कारण ऍसिडिटी होती है। अरहर या चना दाल या बेसन के कारण कुछ लोगों को अम्लपित्त होता है। मिर्च खाने से भी ऍसिडिटी होती है।                                                                                     आयुर्वेद से कैसे करे इलाज़-आयुर्वेद में इसका इलाज संशमन और संशोधन दो प्रकार से किया जाता है। संशमन चिकित्सा में औषधियों का प्रयोग किया जाता है और संशोधन में पंचकर्म द्वारा इसका इलाज किया जाता है। इन सभी औषधियों का प्रयोग बिना चिकित्सक के परामर्श के बिल्कुल नही करना चाहिए।

    1. अविपत्तिकर चूर्ण

    2. सुतशेखर रस

    3. कामदुधा रस

    4. मौक्तिक कामदुधा

    5. अमलपित्तान्तक रस

    6. अग्नितुण्डि वटी

    7. फलत्रिकादी क्वाथ पंचकर्म चिकित्सा में इसका इलाज़ वमन चिकित्सा द्वारा किया जाता है जिससे इस रोग से पूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है।                                    NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए। 

     

Sunday 6 December 2020

पुरानी खांसी को भी मिनटों में दूर करता है ये होममेड कफ सीरप

मो - 8460783401
सालों पुरानी खांसी को भी 5 मिनट में दूर करता है ये होममेड कफ सीरप !
अब मौसम काफी बदल चुका है। सुबह-शाम ठंडी हवाएं चलने लगी है। 

अब मौसम काफी बदल चुका है। सुबह-शाम ठंडी हवाएं चलने लगी है। इस बदलते मौसम का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। सर्दी-जुकाम, खांसी-बुखार और गले में दर्द और खराश जैसे रोग आजकल बहुत ही आम हो गए हैं। ये सुनने में जितने छोटे और आम लग रहे हैं पीड़ा उतनी ही भयानक देते हैं। अक्सर लोग सर्दी-खांसी होने पर एंटीबायोटिक्स यानि कि अंग्रेजी दवाएं लेते हैं। ये दवाएं हमारी सेहत पर सकारात्मक असर करने के बजाय कभी-कभी बुरा असर कर देती हैं। जिसके चलते बेहतर हैं कि आप कुछ घरेलू तरीकों से ही अपनी मौसमी बीमारियों का इलाज कराएं। सर्दी-जुकाम होने पर आयुर्वेदिक सिरप का इस्तेमाल करने से आपको जल्दी फायदा मिलता है। आज हम आपको खांसी के लिए घर में सिरप बनाने का तरीका बता रहे हैं।

किन चीजों से बनेगा सीरप
करीब 10 से 12 तुलसी के पत्ते
3 से 4 लौंग
4 से 5 काली मिर्च
2 चम्मच शक्कर की चाशनी 
चुटकी भर सेंधा नमक 
थोड़ी सी सोंठ और दालचीनी पाउडर
और 1 छोटा अदरक का टुकड़ा
बनाने की विधि
इस सिरप को बनाना बहुत ही आसान है। शायद आपने इस सिरप का नाम और इसके बारे में अपनी दादी-नानी से जरूर सुना होगा। पहले के समय में ऐसी मौसमी बीमारियों के लिए इसी तरह घर में सिरप तैयार किया जाता था। अब जानते हैं कैसे बनाना है ये सिरप। इसे बनाने के लिए सबसे पहले तुलसी के पत्ते, लौंग, सेंधा नमक, काली मिर्च, अदरक के टुकड़े, सोंठ और दालचीनी पाउडर को अच्छी तरह पीस कर इसका बारीक पेस्ट बना लें। अब इसे एक गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह उबाल लें। जब ये अपनी पहले की मात्रा से पककर आधा रह जाएं तो इसे आंच हल्की कर इसे हटा दें। अब इसे 1 ग्लास में रखें और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। आपको सिरप एकदम तैयार है। आप इसे एक बार में 2 से 3 चम्मच पी सकते हैं। आप चाहे तो इसे किसी कांच की शीशी में भरकर रख 1 दिन के लिए रख भी सकते हैं। लेकिन 1 दिन से ज्यादा ना रखें। ये सिरप खांसी के साथ ही सर्दी-जुकाम, गले में दर्द और गले में खराश में भी आराम दिलाता है।
  
   

कालीमिर्च के फायदे--उत्तम जैन (प्राकृतिक चिकित्सक)

काली मिर्च खाने के ये फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काली मिर्च खाने में एक अलग स्वाद ला देती है. इसलिए तो इसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है. काली मिर्च सिर्फ खानों में स्वाद बढ़ाने के काम ही नहीं आती है बल्कि इससे सर्दियों में होने वाली खांसी, जुकाम और इसके साथ ही कई बीमारियां का ईलाज घर बैठे हो जाता है. लेकिन काली मिर्च का ज्यादा सेवन आपकी सेहत को नुकसान दे सकता है. इसलिए हर दिन दो से तीन काली मिर्च आपके शरीर के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित होंगी. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है. आगे पढ़िए काली मिर्च के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में...

सर्दी रहे दूर
काली मिर्च का सेवन करने से सर्दी के मौसम में होने वाली खांसी और जुकाम से आपको राहत मिलती है. साथ ही इसके सेवन से आपका गला भी साफ रहता है. इतना ही नहीं कई लोगों को जुकाम के कारण बाल झड़ने की समस्या हो जाती है, इससे भी आपको आराम मिलता है. काली मिर्च का सेवन कई प्रकार की बीमारियों से आपको राहत देती है.

चर्म रोग दूर करें
यदि आपके शरीर पर फोड़ा या फुंसी होने की आम समस्या है तो काली मिर्च को घिसकर फोड़े वाली जगह पर लगा लें. इससे आपको कम समय में आराम मिल जाएगा. इसके अलावा मुंह पर होने वाले मुहांसों से भी काली मिर्च राहत देती है. हालांकि इसे लगाना आपके लिए थोड़ा परेशान कर सकता है लेकिन तेजी से आराम मिलेगा.

टेंशन होती है दूर
काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है. जिस कारण काली मिर्च लोगों की टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती है. पुराने लोग काली मिर्च के सेवन को काफी तरजीह देते थे.

दांतों के लिए फायदेमंद
काली मिर्च का सेवन दांतों से जुड़ी समस्याओं से राहत देता है. काली मिर्च से मसूड़ों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है. यदि आप काली मिर्च, माजूफल और सेंधा नमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर कुछ बूंद सरसों के तेल में मिलाकर दांतों और मसूड़ों में लगाकर आधे घंटे बाद मुंह साफ कर लें. इससे आपके दांत और मसूड़ों में दर्द होने वाली समस्या भी दूर हो जाएगी.

हिचकी दूर करें
हरे पुदीने की 30 पत्ती, 2 चम्मच सौंफ, मिश्री और काली मिर्च को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें. इस मिश्रण को पीने से हिचकी समस्या दूर हो जाती है. 5 काली मिर्च को जलाकर पीसकर बार-बार सूंघने से हिचकी की समस्या दूर हो जाती है.

गैस और एसिडिटी से फायदा
आधुनिक जीवनशैली के बीच गैस और एसिडिटी की समस्या आम है. यदि आपको भी यह परेशानी है तो नींबू के रस में काला नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर चुटकी भर लें. गैस से होने वाले दर्द में आपको तुरंत आराम मिल जाएगा.

पेट के कीड़ों को दूर करें
काली मिर्च के पाउडर को खाने में इस्‍तेमाल करने से पेट में कीडों की समस्या दूर होती है. इसके अलावा काली मिर्च के साथ किशमिश खाने से भी पेट के कीड़ों की समस्‍या से छुटकारा मिलता है.

कैंसर से बचाव
महिलाओं के लिए काली मिर्च खाना बहुत फायदेमंद होता है. कालीमिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, फ्लेवोनॉयड्स, कारोटेन्स और अन्य एंटी -ऑक्सीडेंट होता है, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

काली मिर्च खाने के ये फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काली मिर्च खाने में एक अलग स्वाद ला देती है. इसलिए तो इसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है. काली मिर्च सिर्फ खानों में स्वाद बढ़ाने के काम ही नहीं आती है बल्कि इससे सर्दियों में होने वाली खांसी, जुकाम और इसके साथ ही कई बीमारियां का ईलाज घर बैठे हो जाता है. लेकिन काली मिर्च का ज्यादा सेवन आपकी सेहत को नुकसान दे सकता है. इसलिए हर दिन दो से तीन काली मिर्च आपके शरीर के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित होंगी. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है. आगे पढ़िए काली मिर्च के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में...

सर्दी रहे दूर
काली मिर्च का सेवन करने से सर्दी के मौसम में होने वाली खांसी और जुकाम से आपको राहत मिलती है. साथ ही इसके सेवन से आपका गला भी साफ रहता है. इतना ही नहीं कई लोगों को जुकाम के कारण बाल झड़ने की समस्या हो जाती है, इससे भी आपको आराम मिलता है. काली मिर्च का सेवन कई प्रकार की बीमारियों से आपको राहत देती है.

चर्म रोग दूर करें
यदि आपके शरीर पर फोड़ा या फुंसी होने की आम समस्या है तो काली मिर्च को घिसकर फोड़े वाली जगह पर लगा लें. इससे आपको कम समय में आराम मिल जाएगा. इसके अलावा मुंह पर होने वाले मुहांसों से भी काली मिर्च राहत देती है. हालांकि इसे लगाना आपके लिए थोड़ा परेशान कर सकता है लेकिन तेजी से आराम मिलेगा.

टेंशन होती है दूर
काली मिर्च में पिपराइन मौजूद होती है और उसमें एंटी-डिप्रेसेंट के गुण होते है. जिस कारण काली मिर्च लोगों की टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करती है. पुराने लोग काली मिर्च के सेवन को काफी तरजीह देते थे.

दांतों के लिए फायदेमंद
काली मिर्च का सेवन दांतों से जुड़ी समस्याओं से राहत देता है. काली मिर्च से मसूड़ों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है. यदि आप काली मिर्च, माजूफल और सेंधा नमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर कुछ बूंद सरसों के तेल में मिलाकर दांतों और मसूड़ों में लगाकर आधे घंटे बाद मुंह साफ कर लें. इससे आपके दांत और मसूड़ों में दर्द होने वाली समस्या भी दूर हो जाएगी.

हिचकी दूर करें
हरे पुदीने की 30 पत्ती, 2 चम्मच सौंफ, मिश्री और काली मिर्च को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें. इस मिश्रण को पीने से हिचकी समस्या दूर हो जाती है. 5 काली मिर्च को जलाकर पीसकर बार-बार सूंघने से हिचकी की समस्या दूर हो जाती है.

गैस और एसिडिटी से फायदा
आधुनिक जीवनशैली के बीच गैस और एसिडिटी की समस्या आम है. यदि आपको भी यह परेशानी है तो नींबू के रस में काला नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर चुटकी भर लें. गैस से होने वाले दर्द में आपको तुरंत आराम मिल जाएगा.

पेट के कीड़ों को दूर करें
काली मिर्च के पाउडर को खाने में इस्‍तेमाल करने से पेट में कीडों की समस्या दूर होती है. इसके अलावा काली मिर्च के साथ किशमिश खाने से भी पेट के कीड़ों की समस्‍या से छुटकारा मिलता है.

कैंसर से बचाव
महिलाओं के लिए काली मिर्च खाना बहुत फायदेमंद होता है. कालीमिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, फ्लेवोनॉयड्स, कारोटेन्स और अन्य एंटी -ऑक्सीडेंट होता है, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.

आयुर्वेद अपनाये रोगो को दूर भगाए :लिवर में सूजन और गर्मी : जानिये इसका इलाज और बचने के उपाय_

आयुर्वेद अपनाये रोगो को दूर भगाए :लिवर में सूजन और गर्मी : जानिये इसका इलाज और बचने के उपाय

 

जिगर क्या है
 
जिगर को अंग्रेजी भाषा में लिवर (Liver) कहते है| लिवर हमारे शरीर का मुख्य और सबसे बड़ा अंग है| लिवर लाल भूरे रंग का होता है और यह पेट में दाएं हिस्से में होता है| लिवर का वजन 2.5 से लेकर 3 पौंड तक होता है| जिगर हमारे शरीर में होने वाली अनेक प्रकार की क्रियाओं को अपने कण्ट्रोल में रखता है| इसी कारण से लिवर के खराब होने पर शरीर की अनेक प्रकार की क्रियाये सही तरीके से काम करना बंद कर देती है| लिवर में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत इलाज करा लेना चाहिए, क्योंकि लिवर में चलने वाली प्रॉब्लम अनेक प्रकार के रोगो को जन्म दे सकती है|

लिवर शरीर का अहम हिस्सा है, इसीलिए लिवर में किसी भी प्रकार का संक्रमण, दर्द, सूजन या कोई अन्य बीमारी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए| लिवर से जुडी किसी भी समस्या को नजरअंदाज करना आपके लिए बहुत खतरनाक हो सकता है| इस पोस्ट में हम आपको लिवर की सूजन, लिवर की खराबी और लिवर की गर्मी दूर करने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय बताएंगे

*लिवर की सूजन क्या है*

लीवर शरीर के मुख्य अंगो में से एक है| कई बार गलत आदतों, गलत दवा या कई प्रकार की दवा के सेवन से लीवर में सूजन आ जाती है| लीवर शरीर के 500 से अधिक काम को करने में काम आता है और यह शरीर की बड़ी ग्रंथि है| लीवर को यकृत और कलेजा आदि नामो से भी जाना जाता है लीवर विषैले पदार्थो को शरीर से बाहर निकालता है, शरीर को ऊर्जा देता है और भोजन पचाने जैसे शरीर के मुख्य काम करता है|

लिवर की सूजन का इलाज करने से पहले यह जान लेना चाहिए, कि लिवर शरीर का मुख्य हिस्सा क्यों है और इस शरीर में किस प्रकार और क्या क्या काम करता है| आइये जाने लिवर की सूजन और लिवर से जुडी अन्य प्रॉब्लम के इलाज के बारे में विस्तार से|

*लिवर के कार्य क्या क्या है*

लिवर शरीर के मुख्य अंगो में से एक है और यह शरीर में अनेक प्रकार के काम भी करता है| लिवर शरीर में पित्त का उत्पादन करने और भोजन को पचाने का काम करता है| पित्त एक प्रकार का तरह पदार्थ होता है और यह पित्ताशय की थैली में विटामिन और प्रोटीन के अवशोषण के लिए बहुत जरुरी होता है यह शरीर में खून को छानने का काम भी करता है|

हम जब कुछ ऐसा आहार लेते है, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है, तो लिवर उस आहार को निष्क्रिय कर देता है| इसके बाद यह प्रोटीन का निर्माण करता है, जो शरीर को संक्रमण से बचाता है| लिवर के मुख्य कार्य निम्न लिखित है|

रक्त डिटॉक्सिफिकैशन
रक्त का शुद्धिकरण
भोजन का पाचन
मलत्याग
एन्जाइम सक्रियण
पित्त उत्पादन

जिगर के रोग (Liver Disease)

*लीवर सिरोसिस* – यह लीवर में होने वाला एक विशेष प्रकार का रोग है और इस रोग का विकास लीवर में धीमी गति से होता है| लीवर सिरोसिस की प्रॉब्लम में लिवर धीरे धीरे सिकुड़ने लगता है और कठोर हो जाता है|

*स्वप्रतिरक्षित रोग* स्वप्रतिरक्षित रोग से शरीर के उत्तको, कोशिकाओं और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचता है| इन सभी बीमारियों का सीधा असर हमारे लीवर पर पड़ता है और हमारे लिवर की कार्य करने की शक्ति धीरे धीरे कम होती जाती है|

*फैटी लीवर* – जब लिवर में संक्रमण पैदा करने वाली वसा या फैट अधिक जमा हो जाता है, तब इसे फैटी लीवर कहते है|

*लीवर एबसेस*– लीवर एबसेस जिगर में फोड़ा होने की समस्या को कहते है|

*लीवर कैंसर* – लीवर की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने के कारण लीवर में कैंसर हो जाता है|

*लीवर फेल्योर* – लीवर में किसी भी बीमारी के लम्बे समय तक चलने और दवा के माध्यम से भी ये बीमारी ठीक ना होने के कारण लीवर काम करना बंद कर देता है| लीवर के काम करना बंद करने की स्थति को लीवर फेल्योर कहते है|

*विषाणुज हेपेटाइटिस* विषाणुज हेपेटाइटिस में संक्रमण के कारण लिवर में सूजन आ जाती है| विषाणुज हेपेटाइटिस हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है|

*जिगर की कमजोरी की कारण* 

अधिक तैलीय और मशालेदार भोजन का सेवन
खराब और अधिक दवा का सेवन
लम्बे समय तक कब्ज की समस्या
फ़ास्ट फ़ूड और बाहर के भोजन का अधिक सेवन
अधिक मात्रा में शराब और धूम्रपान करना

*लिवर खराब होने के लक्षण* 
शरीर का रंग पीला पड़ना
पाचन तंत्र डैमेज होना
मतली की समस्या होना
पेट में सूजन आना
पेशाब के रंग में परिवर्तन
शारीरिक कमजोरी
आँखों के निचे काले घेरे
नींद में कमी
मुँह से बदबू आना
मानसिक प्रॉब्लम
स्थति खराब होने पर मरीज कोमा में जा सकता है|

*लिवर की सूजन कैसे कम करे*
1. लिवर में सूजन आने पर करेला, गाजर, टमाटर और पालक जैसी गुणकारी सब्जियों का सेवन अधिक करना चाहिए|

2. लिवर की सूजन में लीची, सेब, जामुन और पपीते का सेवन करे|

3. लिवर में सूजन और गर्मी की समस्या होने पर घी और तैलीय चीजों का सेवन ना करे|

4. लिवर की गर्मी दूर करने के लिए पानी अधिक मात्रा में पियें|

5. लिवर की गर्मी और सूजन को दूर करने के लिए लस्सी का सेवन करे|

6. लिवर से जुडी बीमारियों से बचने और लिवर की सूजन को दूर रखने के लिए कम मिर्च मशालेदार चीजों का सेवन करे|

7. लिवर में सूजन, गर्मी और कमजोरी आने पर मीठी चीजों का सेवन ना करे|

8. लिवर सूजन और गर्मी की समस्या होने पर भोजन के स्थान पर ताजे फलो और हरी सब्जियों का सेवन करे|

*लिवर की सूजन और गर्मी का इलाज*

1. लिवर की सभी प्रकार की सूजन और सभी प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए रोजाना खाली पेट 300 ग्राम जामुन खाये| इसके बाद सूरज ढलने से पहले 200 ग्राम जामुन खाये| ध्यान रहे जामुन अच्छी क्वालिटी की होनी चाहिए| नियमित रूप से कुछ दिनों तक ऐसा करने से लिवर की सूजन और अन्य जुडी बीमारियां दूर हो जायेगी|

2. पीले रंग की बड़ी हरड़ को पीसकर बारीक़ चूर्ण बना ले| अब पुराने गुड में इस चूर्ण को मिलाकर छोटी छोटी गोलियां बना ले| अब सुबह शाम रोजन ताजे पानी से एक एक गोली ले| एक से डेढ़ महिले तक रोजाना ऐसा करने से लिवर की सूजन और अन्य बीमारियां दूर हो जायेगी|

3. पपीते के बीजो को सुखाये और इसका बारीक़ चूर्ण बना ले| अब एक बड़े चम्मच पपीते के बीज के चूर्ण में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर रोजाना दिन में दो बार कुछ दिनों तक नियमित रूप से ले| इस घरेलू नुस्खे के सेवन से लिवर की सूजन जल्दी ही दूर हो जायेगी|

4. एक गिलास पानी में 25 ग्राम आंवले का रस मिलाकर रोजाना दिन में चार बार सेवन करने से लिवर की सूजन दूर हो जाती है और इससे लिवर को मजबूती भी मिलती है|

5. लिवर से जुडी सभी बीमारियों को दूर करने के लिए और लिवर की कमजोरी दूर करने के लिए रोजाना दिन में तीन बार नियमित रूप से गेहूँ के ज्वारे (Wheatgrass) का सेवन करे| इसमें शरीर के लिए जरुरी सभी प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते है|

6. लिवर की सूजन, गर्मी और अनेक सम्बंधित बीमारियों को दूर करने के लिए रोजाना दिन में दो बार गाजर के जूस में पालक का जूस मिलाकर पियें|

7. एक गिलास ताजे पानी में स्वादनुसार शहद और एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर रोजाना दिन में दो बार पियें| इससे शरीर में मौजूद सभी विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते है| जिससे लिवर की कमजोरी दूर होती और लिवर सभी प्रकार के संक्रमण से बच जाता है|

8. लिवर की सूजन और कमजोरी को दूर करने के लिए रोजाना रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पियें| हल्दी वाला दूध सूजन कम करने का सबसे अच्छा और सस्ता उपाय है|

9. लिवर अच्छी तरह काम करे, इसके लिए लिवर को विटामिन डी उपयुक्त मात्रा में मिलना जरुरी होता है| आंवले में अधिक मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है| लिवर अच्छी तरह काम करे और लिवर से जुडी सभी प्रकार की बीमारियां दूर हो जाये, इसके लिए रोजाना तीन बार आंवले के जूस या आंवले के मुरब्बे का सेवन करे|

10. लिवर की गर्मी दूर करने के लिए एक गिलास ताजी लस्सी में पीसी काली मिर्च, पीसा जीरा और पीसी हींग मिलाकर भोजन करने के बाद रोजाना एक गिलास पियें| इस घरेलू नुस्खे के रोजाना सेवन से कुछ ही दिनों में लिवर की गर्मी दूर हो जायेगी|

11. लिवर की कमजोरी और गर्मी को दूर करने के लिए रोजाना सुबह शाम एक गिलास ताजे पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर पियें|

12. अगर आपको लीवर सिरोसिस की समस्या है अर्थात अगर आपका लिवर सिकुड़ने लगा है, तो रोजना दिन में दो बार 100 ग्राम कच्ची प्याज खाये| कुछ दिनों तक नियमित ऐसा करने से लीवर से जुडी सभी बीमारियां दूर हो जायेगी|

13. पानी को उबालने के लिए रखे और इस पानी में मुलेठी की जड़ का पाउडर डाले और कुछ देर बाद छलनी से छानकर इसे ठंडा करके पियें| नियमित रूप से कुछ दिनों तक इस घरेलू नुस्खे के सेवन से लिवर की गर्मी दूर हो जायेगी|

*लिवर स्वास्थ्य के टिप्स* 

1. रोजाना योग और व्यायाम करे

2. एंटीबायोटिक दवा का अधिक जरूरत पड़ने पर ही करे|

3. अधिक तैलीय और मशालेदार भोजन ना करे|

4. दवा का अधिक सेवन करने से बचे|

5. दवा हमेशा अच्छी कंपनी की खाये|

6. शराब और धूम्रपान से हमेशा दूर रहे|

7. बाहर का खाना और जंक फ़ूड ना खाये|

इस पोस्ट में हमने आपको लिवर की सूजन, लिवर की गर्मी और लिवर की कमजोरी दूर करने के घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों के बारे में बताया| ये नुस्खे लिवर से जुडी सभी बीमारियों के इलाज में कारगर है, और इनका शरीर पर किसी प्रकार का कोई गलत असर नही पड़ता है फिर भी किसी अच्छे आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेकर उपयोग करे

Saturday 5 December 2020

कुछ दिन पी लीजिए इस तरह दूध को 80 साल तक कैल्शियम की कमी नहीं हो सकती


 

कुछ दिन पी लीजिए इस तरह दूध को 80 साल तक कैल्शियम की कमी नहीं हो सकती | यानी कि पूरी उम्र कैल्शियम की कमी कभी नहीं होगी | ताकत का खजाना है यह दूध | सही डाइट नहीं लेने के कारण लोग शारीरिक तौर पर कमजोर होने लगते हैं और शारीरिक कमजोरी होने के वजह से शरीर में धीरे-धीरे बहुत सारी बीमारियां होने लगती है |

आज हम बात करते हैं ऐसी चीज के बारे में जिसका इस्तेमाल करने से शरीर फौलादी और आकर्षित बन जाएगा | चेहरे पर हमेशा गलो रहेगा |अगर आप इसे रोजाना खाएंगे तो शरीर की अंदरूनी कमजोरी समय से पहले चेहरे पर रिंकल्स, बुढ़ापे का असर, हड्डियों का कमजोर होना | शरीर में कैल्शियम की कमी होना कमर में दर्द होना, जोड़ों में दर्द होना, बालों का सफेद होना या फिर झड़ना, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर |

इन सभी समस्याओं का हल करने के अलावा हमारे शरीर की और बहुत सारी तकलीफों को दूर करने में मदद करेगा | हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करेगा | दूध हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है यह तो हम सब जानते ही हैं | दूध में इतने पोषक तत्व होते हैं अगर इसे संपूर्ण आहार कहा जाए तो गलत नहीं है | फिर भी बहुत सारे लोग दूध नहीं पीते | बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक यानी कि हर एक उम्र के इंसान को दूध जरूर पीना चाहिए | दूध में अच्छी मात्रा में विटामिन A, विटामिन B12 पाया जाता है | आपको पता ही होगा कि विटामिन B12 हमारे नर्वस सिस्टम यानी की नसों के लिए काफी फायदेमंद है | नसों को ताकत देने के लिए दूध बहुत जरूरी है | विटामिन B12 सिर्फ डायरी प्रोडक्ट यानी दूध व दूध से बनी चीजें इसके अलावा नॉनवेज भी मिलता है | इसकी कमी से शरीर में भयंकर बीमारियां हो जाती है |

इसके अलावा दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी होता है | दूध से शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होती है | जो कैंसर हड्डियों की कमजोरी गठिया माइग्रेन सिर दर्द जैसी बीमारियों को रोकता है | लेकिन अगर आप दूध में दो चीजें और मिक्स कर देंगे तो इसके फायदे भी दोगुने हो जाएंगे | तो वह दोनों चीजें कौन सी है मखाना, खसखस | इनकी खास बात यह है इनकी तासीर ठंडी होती है यानी कि गर्मियों के दिनों में आप इनका सेवन बड़ी आसानी से कर सकते हैं | तो चलिए जानते हैं आपने खसखस और मखाने का सेवन किस तरह करना है | कैसे पीना है | इसके क्या फायदे हैं |

खसखस, मखाने का दूध कैसे करें तैयार :-

  • आपने एक चम्मच खसखस लेनी है |
  • उसे 3 घंटों के लिए पानी में भिगो कर रख दीजिए |
  • 3 घंटों के बाद आप खसखस का एक पेस्ट तैयार कर लीजिए और एक गिलास दूध ले लीजिए |
  • उसके अंदर 8 से 10 मखानों को उबाल लीजिए |
  • बॉयल हुए मखानों वाला दूध आप इसे हल्का सा ठंडा यानी गुनगुना करके इसके अंदर खसखस वाला पेस्ट मिक्स कर दीजिए |
  • उसके बाद आप इसे रात के समय सोते समय इसका सेवन करना है |

खसखस, मखाने वाले दूध से शरीर स्वस्थ –

  • इस दूध में बहुत सारा ओमेगा-3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है |
  • प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, होता है |
  • वही मखाने के अंदर प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम होता है |
  • एक खास बात और है कि इसके अंदर कोलेस्ट्रोल सोडियम कम होती है जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी मदद करती है |

खसखस, मखाने वाले दूध से मोटापा कम –

  • जो लोग बहुत मोटे हैं उनको इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |
  • क्योंकि यह हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर हमारे रेट को कम करता है |
  • लेकिन कुछ लोग यह सोचेंगे कि हम तो बहुत पतले हैं या फिर अंडरवेट हैं तो क्या हम इसका सेवन नहीं कर सकते |
  • नहीं आप इसका सेवन भी कर सकते हैं |
  • क्योंकि मखाने और खसखस वाला दूध पीने से हमारा मेटाबॉलिज्म तेज होता है |
  • यह हमारे शरीर के वजन को बैलेंस करता है |
  • जो भी लोग पतले हैं वह भी बड़े आराम से इसका सेवन कर सकते हैं |

खसखस, मखाने वाले दूध से शरीर का दर्द दूर –

  • मखाने और खसखस वाला दूध पीने का एक और बड़ा फायदा है |
  • जिनके भी मांसपेशियों में लगातार दर्द रहता है |
  • शरीर में लगातार दर्द रहता है |
  • जोड़ों में दर्द रहता है |
  • कमर दर्द रहता है |
  • घुटनों में बहुत दर्द रहता है |
  • तो आपको रोजाना 30 दिन यानी कि 1 महीना इसके दूध का सेवन करना है बिना छोड़े |

खसखस, मखाने वाले दूध से नसें मजबूत –

  • अगर आपकी नसे भी बहुत कमजोर हैं |
  • रात को सोते समय आपकी टांगों में दर्द होता है |
  • पैरों में दर्द होता है, टांगो की पिंडलियों में बहुत दर्द होता है |
  • तो एक महीना रेगुलर इसका सेवन करने से आपको बहुत फायदा होगा |
  • इसका असर आपको 5 से 7 दिनों में मिल जाएगा |

खसखस, मखाने वाले दूध से हड्डिया व् दाँत मजबूत –

  • खसखस दूध मखाना तीनों ही कैल्शियम और फास्फोरस का खजाना है |
  • तो हड्डियों और दांतो को मजबूत करने के लिए यह बहुत फायदेमंद है |
  • इसके अलावा जिन को सांस लेने में समस्या आती है |
  • सांस से संबंधित समस्या है जुखाम बहुत जल्दी हो जाता है या फिर साइनस की समस्या है तो आपको इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से नींद ना आने की समस्या दूर –

  • आजकल की लाइफ स्टाइल के कारण लोगों को नींद बहुत कम आती है |
  • दिमाग पर टेंशन बनी रहती है तो इस दूध के अंदर एलके नाइन होता है जो कि अच्छी नींद लाने में सहायक है |
  • नींद को बढ़ावा देने के लिए नारकोटिक पाया जाता है |
  • इसलिए इसे पीने से अच्छी नींद आती है |
  • अगर आप रात के समय इस दूध को पी कर सोते हैं तो सुबह अपने आप को आप बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे |
  • अगर आप रात को नींद की गोली लेकर सोते हैं तो अगर आप इस दूध का सेवन करते हैं तब आपको गोली यानी दवाई लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी |

खसखस, मखाने वाले दूध से कब्ज की समस्या दूर –

  • इसमें बहुत अच्छी मात्रा में फाइबर होता है जिनको भी कब्ज की समस्या है उन्हें खसखस मखाने वाला दूध रोजाना रात को पीकर सोना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से ब्लड प्रेशर की समस्या दूर –

  • अगर किसी को ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उनके लिए भी यह दूध का सेवन करना बहुत फायदेमंद है |
  • चाहे ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर हो या फिर हाई ब्लड प्रेशर हो दोनों ही ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है |

खसखस, मखाने वाले दूध से खून की कमी पूरी –

  • खसखस और मखाने वाला दूध पीने से हमारे शरीर में खून की कमी पूरी होती है |

खसखस, मखाने वाले दूध से दिमाग की समस्या दूर –

  • अगर आप मेमोरी कमजोर वाली समस्या का सामना कर रहे हैं तो खसखस और मखाने वाला दूध पीना बहुत फायदेमंद है |
  • क्योंकि इस दूध के अंदर विटामिन B12 और कॉपर होता है जो हमारे दिमाग को एक्टिव करता है |दिमाग को तेज करता है |

खसखस, मखाने वाले दूध से किडनी में स्टोन की समस्या दूर –

  • जिनकी किडनी में स्टोन भी बार-बार बनता है यानी पथरी की समस्या है तो उनको भी इस दूध का सेवन रोजाना करना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से डायबिटीज की समस्या दूर –

  • इसके अलावा जो भी डायबिटीज मरीज हैं उनके लिए यह दूध का सेवन करना बहुत फायदेमंद है |

खसखस, मखाने वाले दूध से थायराइड की समस्या दूर –

  • अगर आप थायराइड की बीमारी को फेस कर रहे हैं |
  • यानी कि थायरोक्सिन हार्मोन ज्यादा कम प्रोड्यूज होता है तो भी मखाने और खसखस वाला दूध रोजाना पीना चाहिए |

खसखस, मखाने वाले दूध से चेहरे की समस्या दूर –

  • खसखस और खाने वाले दूध में एंटी एजिंग भरपूर होते हैं |
  • जिनके फेस पर बहुत ज्यादा रिंकल्स आते हैं आप अपनी उम्र से बड़े दिखते हैं तो उनको भी इसका सेवन रोजाना करना चाहिए |
  • हमारी हमारी स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाता है यह दूध मखाने में दूरियां और एजिंग के अन्य लक्षणों को खत्म करने में काफी मदद करता है |
  • अगर आप हमेशा ही यंग देखना चाहते हैं तो इस दूध को आप रोजाना पीजिये |
  • अगर आप रोजाना नहीं पी सकते तो आप एक दिन छोड़कर 1 दिन इसका सेवन कीजिए |
  • यह दूध आपको अंदर से स्ट्रांग बाहर से खूबसूरत बनाएगा |

खसखस, मखाने वाले दूध से पुरुषो की अंदुरुनी कमजोरी दूर –

  • इसके अलावा यह दूध पुरुषों के लिए काफी फायदेमंद है जो पुरुषों की अंदरूनी कमजोरी को दूर करता है और उनको ताकत देता है |

खसखस, मखाने वाले दूध से साँस फूलने की समस्या दूर –

  • जो लोग अंदर से कमजोरी महसूस करते हैं, थोड़ा सा काम करने पर काफी थक जाते हैं, दौड़ने पर हाफने लगते हैं, सांस फूलने लगती है |
  • उनके लिए भी दूध का सेवन करना काफी फायदेमंद है |
  • एक महीना रोजाना इसका सेवन जरूर करें बस एक चीज का ध्यान जरूर करें |
  • आपको इसका सेवन रात के समय करना है |

क्या करें क्या ना करें 

  • आपको सेवन करने के बाद कम से कम 15 मिनट सैर जरूर करनी है |
  • ऐसे नहीं करना कि आपने दूध का सेवन किया और तुरंत सो गए |
  • इसके अलावा आप दिन में कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर कीजिए ताकि यह मखाने वाला दूध अच्छे से डाइजेस्ट हो सके |
  • इस पोस्ट में हम आपको कुछ और चीजें हैं जो गर्मियों में ध्यान में रखनी है |
  • आपने फ्रिज वाला पानी नहीं पीना |
  • इसके अलावा अगर आप ठंडा पानी पीना चाहते हैं तो आप मटके वाला पानी पीजिए |
  • अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा शामिल कीजिए |

मखाना के फायदे, उपयोग और नुकसान

 सूखे मेवे में शामिल होने वाले मखाना को भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में इस्तेमाल में किया जाता है। बहुत से लोग इसे भून कर खाना पसंद करते हैं। वहीं, कई लोग इसे फ्राई कर इस्तेमाल में लाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो इसकी खीर बनाकर इसका सेवन करते हैं। इन तीनों ही तरीकों से, इसके भिन्न-भिन्न स्वाद का लुत्फ उठाया जा सकता है। वहीं, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि स्वाद के साथ ही यह सेहत के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको मखाना के फायदे और उपयोग के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इस बात की जानकारी भी विस्तार से देंगे कि मखाना खाने से क्या होता है।

मखाना क्या है?

मखाना, कमल के बीज को कहते हैं। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे फॉक्स नट, फूल-मखाना, लोटस सीड और गोर्गन नट । वहीं, इसके बीजों को भूनने के बाद इसका उपयोग कई प्रकार की खाद्य सामग्री में किया जाता है। इसके अलावा, यह कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। नीचे स्वास्थ्य के लिए मखाना के फायदों को विस्तार से बताया गया।

मखाना में  औषधीय गुण 

मखाना में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मखाने में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी ट्यूमर प्रभाव पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसका सेवन बुखार, पाचन तंत्र सुधारने में और दस्त के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा, यह कई खास एल्कलॉइड से भी समृद्ध होता है। ये सभी गुण और प्रभाव मखाने को स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बनाने का काम करते हैं

मखाने के फायदे – 

नीचे हम शरीर के लिए मखाने के फायदे बता रहे हैं। जानिए मखाने का सेवन किस प्रकार स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि मखाना लेख में शामिल किसी भी बीमारी का डॉक्टरी इलाज नहीं है। इसका सेवन केवल शारीरिक समस्या से बचाव और शरीर को स्वस्थ रखने का एक तरीका हो सकता है।

1. वजन कम करने के लिए मखाने के लाभ

वजन घटाने में मखाने के फायदे की बात करें, तो इसका उपयोग मोटापे की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, कमल के बीज (मखाना) का एथेनॉल अर्क शरीर में फैट सेल्स को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही यह फैट सेल्स के वजन को भी कम कर सकता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि इसका उपयोग वजन को कम करने में सहायक साबित हो सकता है

2. ब्लड प्रेशर में लाभदायक मखाना के गुण

बात करें, ब्लड प्रेशर में मखाने के फायदे की, तो माना जाता है कि मखाने के नियमित इस्तेमाल से इस गंभीर समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। कारण यह है कि इसमें पाया जाने वाला एल्कलॉइड हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। इसलिए, बीपी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए मखाने का सेवन किया जा सकता है ।

3. डायबिटीज में मखाने के फायदे

डायबिटीज की समस्या से राहत पाने के लिए भी मखाने का उपयोग किया जा सकता है। एक शोध के आधार पर इस बात की पुष्टि की गई है कि मखाने में पाए जाने वाले रेसिस्टेंट स्टार्च में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। यह प्रभाव मधुमेह की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकता है। इसके अलावा, यह इंसुलिन को भी नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है 

4. हृदय के लिए मखाना का गुण

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि मखाने का सेवन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम कर सकता है । इसके अलावा, यह मधुमेह और बढ़ते वजन को भी नियंत्रित कर सकता है । वहीं, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे को हृदय रोग का जोखिम कारक माना जाता है । इस आधार पर कहा जा सकता है कि मखाने का सेवन इन समस्याओं से बचाव कर इनसे होने वाले हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। वहीं, एक अन्य शोध में जिक्र मिलता है कि कमल का बीज यानी मखाना कार्डियोवस्कुलर रोग (हृदय संबंधी) से बचाव का काम कर सकता है ।

5. प्रोटीन का अच्छा स्रोत

मखाने में प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। 100 ग्राम मखाने में लगभग 10.71 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है । इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि मखाना खाने के फायदों में प्रोटीन की कमी को पूरा करना भी शामिल है। इसके नियमित उपयोग से शरीर में प्रोटीन की आवश्यक मात्रा की पूर्ति के साथ, उसकी कमी से होने वाली कई समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।

6. गर्भावस्था में मखाना खाने के फायदे

गर्भावस्था में मखाना का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। गर्भावस्था में महिलाओं के लिए मखाने का उपयोग कई प्रकार के पकवानों में मिलाकर किया जाता है। एक शोध के अनुसार, मखाने का उपयोग गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद की होने वाली कमजोरियों को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व जैसे की आयरन, प्रोटीन, मैग्नीशियम और पाेटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं ।

7. अनिद्रा में मखाने के लाभ

अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या में मखाना के लाभ देखे जा सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि अनिद्रा की समस्या के लिए मखाने का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से किया जाता है । हालांकि, इस लाभ के पीछे मखाने का कौन-सा गुण जिम्मेदार होता है, फिलहाल इससे जुड़ा सटीक वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।  

8. मसूड़ों के लिए मखाना खाने के फायदे

शोध में पाया गया है कि मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं । मखाने में पाए जाने वाले ये दोनों गुण मसूड़े संबंधित सूजन और बैक्टीरियल प्रभाव के कारण होने वाली दांतों की सड़न को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। इस कारण माना जा सकता है कि मखाने में पाए जाने वाले ये गुण मसूड़ों की सूजन के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। हालांकि, इस विषय पर सीधे तौर पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है।

9. किडनी के लिए बेनिफिट्स ऑफ मखाना

मखाने का उपयोग किडनी के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। एनसीबीआई के एक शोध में जिक्र मिलता है कि मखाने का सेवन अन्य समस्याओं जैसे दस्त के साथ किडनी से जुड़ी परेशानियों से बचाव का काम कर सकता है । फिलहाल, यहां यह स्पष्ट नहीं है कि इसका कौन-सा गुण किडनी की समस्या को ठीक करने में लाभदायक हो सकता है।

10. एंटी-एजिंग बेनिफिट्स ऑफ मखाना

त्वचा से संबंधित समस्याओं में मखाने के उपयोग पर किए गए एक शोध में पता चला है कि मखाना एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। यह गुण त्वचा पर आने वाले एजिंग के प्रभाव जैसे झुर्रियों को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है

मखाने के पौष्टिक तत्व –  

मखाना खाने के फायदे उसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों के कारण ही देखते को मिलते हैं। जानते हैं कि मखाने में कौन-कौन से पोष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
कैलोरी393 kcal
प्रोटीन10.71 ग्राम
फैट10.71 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट71.43 ग्राम
फाइबर3.6 ग्राम
शुगर3.57 ग्राम
कैल्शियम18 मिलीग्राम
पोटेशियम57 मिलीग्राम
सोडियम750 मिलीग्राम
फैटी एसिड टोटल सैचुरेटेड1.79 ग्राम

मखाना का उपयोग 

मखाने खाने के लाभ के बाद इसके उपयोग की बात की जाए, तो इसे कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें हम कुछ बिंदुओं की सहायता से जानेंगे।

  • मखाने को फ्राई कर स्नैक्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कई लोग मखाने की खीर बनाकर इसे खाने में इस्तेमाल करते हैं।
  • कुछ लोग ऐसे भी है, जो सब्जी बनाते वक्त इसे मटर और पनीर के साथ शामिल करते हैं।

समय  इसे नाश्ते के रूप में सुबह या शाम को खाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

मात्रा– मात्रा की बात की जाए, तो सामान्य तौर पर एक बार में 20 से 30 ग्राम मखाने का उपयोग किसी भी रूप में किया जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।