Thursday 21 September 2017

गठिया रोग ...

संधि शोथ यानि "जोड़ों में दर्द" (: Arthritis / आर्थ्राइटिस) के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया भी कहते हैं।
संधिशोथ सौ से भी अधिक प्रकार के होते हैं। 
अस्थिसंधिशोथ (osteoarthritis) इनमें सबसे व्यापक है। अन्य प्रकार के संधिशोथ हैं - आमवातिक संधिशोथ या 'रुमेटी संधिशोथ' (rheumatoid arthritis), सोरियासिस संधिशोथ (psoriatic arthritis)।
संधिशोथ में रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है। इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता है। यदि सामयिक उपचार न हुआ, तो रोगी खंज-लुंज होकर रह जाता है। संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है।
संधिशोथ के कारणों को दूर करने तथा संधि की स्थानीय अवस्था ठीक करने के लिए चिकित्सा की जाती है। इनके अतिरिक्त रोगी के लिए पूर्ण शारीरिक और मानसिक विश्राम, पौष्टिक आहार का सेवन, धूप सेवन, हलकी मालिश तथा भौतिक चिकित्सा करना अत्यंत आवश्यक है।
  • संधि शोथ (आर्थराइटिस) की बीमारी की विवेकपूर्ण प्रबंधन और प्रभावी उपचार से अच्छी तरह जीवन-यापन किया जा सकता है।
  • संधि शोथ (आर्थराइटिस) बीमारी के विषय में जानकारी रखकर और उसके प्रबंधन से विकृति तथा अन्य जटिलताओं से निपटा जा सकता है।
  • रक्त परीक्षण और एक्स-रे की सहायता से संधि शोथ (आर्थराइटिस) की देखरेख की जा सकती है।
  • डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाइयां नियमित रूप से लें।
  • शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखें।
  • स्वास्थ्यप्रद भोजन करें।
  • डॉक्टर द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार नियमित व्यायाम करें।
  • नियमित व्यायाम करें तथा तनाव मुक्त रहने की तकनीक अपनाएं, समुचित विश्राम करें, अपने कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करके तनाव से मुक्त रहें।
  • औषधियों के प्रयोग में अनुपूरक रूप में योग तथा अन्य वैकल्पिक रोग के उपचारों को वैज्ञानिक तरीके से लिपिबद्ध किया गया है।पैरों की हड्डीओं को सही संरेखण (एलाइनमेंट) में रखने के लिए और उन पर पड़ने वाले वजन को कम करने के लिए मजबूत मांसपेशियों की आवश्य्कता होती है। मजबूत मांसपेशियां व्यायाम के द्वारा बनाई जा सकती है। सप्ताह में कम से कम ३ बार व्यायाम जरूरी है। पैरों की हड्डीओं को सही संरेखण (एलाइनमेंट) में रखने के लिए और उन पर पड़ने वाले वजन को कम करने के लिए मजबूत मांसपेशियों की आवश्य्कता होती है। मजबूत मांसपेशियां व्यायाम के द्वारा बनाई जा सकती है। सप्ताह में कम से कम ३ बार व्यायाम जरूरी है। 
  • अर्थराइटिस ‘गठिया’ क्या है एवं कितने प्रकार की होती है?

    किसी भी जोड में सूजन, दर्द व जकडन को अर्थराइटिस गठिया कहा जाता है। अर्थराइटिस सामान्यतय: दो प्रकार की होती है। प्रथम ओस्टिायोअर्थराइटिस जिसमें बढती उम्र के साथ या किसी चोट के कारण एवं अत्यधिक दुरू पयोग से जोडों में अन्दर की मांसपेशियां का टूटना व मुलायम गद्दी की घिसावट का होनें के कारण जोड़ों में सूजन, दर्द और जकडऩ का होना।
    दूसरा रूहमेटिज्म बाय जिसमें 200 से अधिक विभिन्न प्रकार की गम्भीर ऑटोइम्यून बीमारियां होती है जिनसे जोड़ो में टेडापन होने व आन्तरिक अंगो पर दुष्प्रभाव पडऩें की सम्भवना होती है। विभिन्न महत्वपूर्ण आन्तरिक अंग जिन पे रू हमेटिज्म का दुष्प्रभाव पड़ सकता है वह है: हृदय, फेफडें, आंख, गुर्दा, चर्म आदि। सामान्यत: समाज में गठिया बाय रू हमेटोइड अर्थराइटिस सबसे व्यापक रू हमेटिज्म बीमारी है। 
    रूहमेटिज्म रोग से कौन-कौन प्रभावित हो सकते है? 
    बाय या रू हमेटिज्म आमतौर पर मध्यम आयु वर्ग, युवा व बच्चों का प्रभावित करती है। यद्यपि पुरू षों की तुलना में स्त्रियों में तीन गुना ज्यादा होने की सम्भावना होती है। बच्चों के रू हमेटिज्म को जुवेनाइल अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। ओस्टियोअर्थराइटिस से बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित होते है। घुटनें एवं कुल्हे के जोडों पर इसका ज्यादा प्रभाव पडता है। 
    ऑटोइम्यून बीमारी का क्या मतलब है? 
    ऑटोइम्यून बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम प्रतिरोधक क्षमता, शरीर के अंगों के प्रति असंतुलित एवं आक्रामक हो जाता है जिससे शरीर के जोड, मांसपेशियां, हड्डी व महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों को ही नुकसान पहुंचाने लगता है। 
    अर्थराइटिस होने के क्या क्या कारण हो सकते है? 
    घुटनें का दर्द या ओस्टयोअर्थराइटिस होने के सबसे बडें कारण- बढ़ती उम्र, बढता वजन मोटापा व जोड़ों का चोटिल होना। आनुवांशिकता, पर्यावरण प्रदुषण व धुम्रपान रू मेटिज्म बाय बीमारी के होने के सबसे बड़े कारण हो सकते है। 
    प्रमुख रूहमेटिज्म बाय बीमारियों के लक्षण एवं नाम क्या है? 
    रूहमेटॉइड अर्थराइटिस हाथ व पैरों के छोटे जोडों की गठिया, एन्काइलॉजिंग स्पोन्डिलाइटिस कमर की गठिया, एस.एल.ई. लूपस, सोरियेटिक अर्थराइटिस चर्म रोग सोरियसिस के कारण गठिया, गॉउट यूरिक एसिड के कारण गठिया, स्क्लेरोडरमा चमडी का केडापन, ठंड में अगुंलियों का सफेद व नीला होना, वेस्कुलाइटिस धमनियों में खून का रिसाव रू कना व गेंगरीन इत्यादि। 
    रूहमेटोइड अर्थराइटिस गठिया बाय के प्रारम्भिक लक्षण क्या होते है? 
    सुबह 30 मिनट से ज्यादा समय की जोड़ों में जकडऩ, एक से ज्यादा जोड़ों में सूजन रहना, खासतौर पर हाथों के जोड़, जोड़ों को दबाने पर जोड़ों में दर्द महसूस होना आदि रू हमेटोइड अर्थराइटिस गठिया बाय के प्रारम्भिक लक्षण हो सकते है। 
    रूहमेटोलॉजिस्ट गठिया रोग विशेषज्ञ कौन होते है? 
    जिस तरह से कैसर के लिए कैसर रोग विषेषज्ञ होते है, हृदय रोग के लिए हृदय रोग विषेषज्ञ होते है वैसे ही गम्भीर रू हमेटिज्म बीमारियों को प्रारम्भिक स्तर पर ही पहचान कर उपर्युक्त उपचार प्रदान कर बीमारी को जल्द से जल्द नियंत्रण के लिए रू हमेटोलॉजिस्ट गठिया रोग विशेषज्ञ विशे शिक्षित चिकित्सक होते है। समय पर एवं उपर्युक्त इलाज ना होने पर जोड़ों के विकृति होने की सम्भवना बढ़ जाती है। 
    क्या रूहमेटिज्म बाय बीमारियों के उपचार सम्भव है? 
    समाज में यह भ्रम देखा गया है कि गठिया बाय का कोइ उपचार नहीं है, जबकि यह गलत है। इलाज के लिए बीमारी रोकने के ताकत रखने वाली दवाईया उपलब्ध है। जिन्हें डिजिज मोडिफाइंग एन्टिरू हमेटिक डंग्स कहा जाता है। इन बीमारियों अर्थराइटिस ‘गठिया’ क्या है एवं कितने प्रकार की होती है? 
    जोड में सूजन, दर्द व जकडन को अर्थराइटिस गठिया कहा जाता है। अर्थराइटिस सामान्यतय: दो प्रकार की होती है। प्रथम ओस्टिायोअर्थराइटिस जिसमें बढती उम्र के साथ या किसी चोट के कारण एवं अत्यधिक दुरू पयोग से जोडों में अन्दर की मांसपेशियां का टूटना व मुलायम गद्दी की घिसावट का होनें के कारण जोड़ों में सूजन, दर्द और जकडऩ का होना।
    दूसरा रूहमेटिज्म बाय जिसमें 200 से अधिक विभिन्न प्रकार की गम्भीर ऑटोइम्यून बीमारियां होती है जिनसे जोड़ो में टेडापन होने व आन्तरिक अंगो पर दुष्प्रभाव पडऩें की सम्भवना होती है। विभिन्न महत्वपूर्ण आन्तरिक अंग जिन पे रू हमेटिज्म का दुष्प्रभाव पड़ सकता है वह है: हृदय, फेफडें, आंख, गुर्दा, चर्म आदि। सामान्यत: समाज में गठिया बाय रू हमेटोइड अर्थराइटिस सबसे व्यापक रू हमेटिज्म बीमारी है। 
    रूहमेटिज्म रोग से कौन-कौन प्रभावित हो सकते है? 
    बाय या रूहमेटिज्म आमतौर पर मध्यम आयु वर्ग, युवा व बच्चों का प्रभावित करती है। यद्यपि पुरू षों की तुलना में स्त्रियों में तीन गुना ज्यादा होने की सम्भावना होती है। बच्चों के रू हमेटिज्म को जुवेनाइल अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। ओस्टियोअर्थराइटिस से बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित होते है। घुटनें एवं कुल्हे के जोडों पर इसका ज्यादा प्रभाव पडता है। 
    ऑटोइम्यून बीमारी का क्या मतलब है? 
    ऑटोइम्यून बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम प्रतिरोधक क्षमता, शरीर के अंगों के प्रति असंतुलित एवं आक्रामक हो जाता है जिससे शरीर के जोड, मांसपेशियां, हड्डी व महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों को ही नुकसान पहुंचाने लगता है। 
    अर्थराइटिस होने के क्या क्या कारण हो सकते है? 
    घुटनें का दर्द या ओस्टयोअर्थराइटिस होने के सबसे बडें कारण- बढ़ती उम्र, बढता वजन मोटापा व जोड़ों का चोटिल होना। आनुवांशिकता, पर्यावरण प्रदुषण व धुम्रपान रू मेटिज्म बाय बीमारी के होने के सबसे बड़े कारण हो सकते है। 
    प्रमुख रूहमेटिज्म बाय बीमारियों के लक्षण एवं नाम क्या है? 
    रू हमेटॉइड अर्थराइटिस हाथ व पैरों के छोटे जोडों की गठिया, एन्काइलॉजिंग स्पोन्डिलाइटिस कमर की गठिया, एस.एल.ई. लूपस, सोरियेटिक अर्थराइटिस चर्म रोग सोरियसिस के कारण गठिया, गॉउट यूरिक एसिड के कारण गठिया, स्क्लेरोडरमा चमडी का केडापन, ठंड में अगुंलियों का सफेद व नीला होना, वेस्कुलाइटिस धमनियों में खून का रिसाव रू कना व गेंगरीन इत्यादि। 
    रूहमेटोइड अर्थराइटिस गठिया बाय के प्रारम्भिक लक्षण क्या होते है? 
    सुबह 30 मिनट से ज्यादा समय की जोड़ों में जकडऩ, एक से ज्यादा जोड़ों में सूजन रहना, खासतौर पर हाथों के जोड़, जोड़ों को दबाने पर जोड़ों में दर्द महसूस होना आदि रू हमेटोइड अर्थराइटिस गठिया बाय के प्रारम्भिक लक्षण हो सकते है। 
    रूहमेटोलॉजिस्ट गठिया रोग विशेषज्ञ कौन होते है? 
    जिस तरह से कैसर के लिए कैसर रोग विषेषज्ञ होते है, हृदय रोग के लिए हृदय रोग विषेषज्ञ होते है वैसे ही गम्भीर रू हमेटिज्म बीमारियों को प्रारम्भिक स्तर पर ही पहचान कर उपर्युक्त उपचार प्रदान कर बीमारी को जल्द से जल्द नियंत्रण के लिए रू हमेटोलॉजिस्ट गठिया रोग विशेषज्ञ विशे शिक्षित चिकित्सक होते है। समय पर एवं उपर्युक्त इलाज ना होने पर जोड़ों के विकृति होने की सम्भवना बढ़ जाती है। 
    क्या रूहमेटिज्म बाय बीमारियों के उपचार सम्भव है? 
    समाज में यह भ्रम देखा गया है कि गठिया बाय का कोइ उपचार नहीं है, जबकि यह गलत है। इलाज के लिए बीमारी रोकने के ताकत रखने वाली दवाईया उपलब्ध है। जिन्हें डिजिज मोडिफाइंग एन्टिरू हमेटिक ड्रग्स कहा जाता है। इन बीमारियों को दवाईयों के माध्यम से ही प्रारम्भिक स्तर पर ही नियंत्रण किया जा सकता है।
     

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