आज थायराइड एक गंभीर समस्या बन गई है। थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबॉलिज्म की दर को संतुलित करता है। यह हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होती हैं। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है, जिससे शरीर की एनर्जी का क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाने पर शरीर की समस्त कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। इस रोग में काफी दिक्कत होती है। कभी वजन अचानक से बढ़ जाता है तो कभी अचानक से कम हो जाता है।
आज थायराइड मानव जाति के लिए एक बेहद गंभीर समस्या बन गई है। क्योंकि थायराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, और लक्षण व्यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है। जिसके चलते छोटे रोगों से लेकर बड़े-बड़े रोग उत्पन्न होने लगते है, और लोग इसे कंट्रोल करने के लिए दवा खा-खा कर परेशान हो रहे हैं। एलोपैथी में इसका कोई इलाज भी नहीं हैं, बस जीवन भर दवाई लेते रहो, फिर भी पूरी तरह से कोई आराम नहीं।
अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आज हम आपको एक ऐसे घरेलू उपाय के बारे में बता रहे है जिसे आप बिना किसी संकोच के कर सकते हैं।
थायराइड के लिए 10 जड़ी बूटी----थायराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने से रक्त में थायराक्सिन नामक हार्मोन का स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव को दो श्रेणी हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायाराइडिज्म में रखा जाता है। इस स्थिति में वजन बढ़ने या घटने की समस्या होती है। इस महत्वपूर्ण हार्मोनल ग्रंथि को स्वस्थ व संतुलित बनाये रखने के लिए कुछ जड़ी बूटियां उपयोगी साबित हो सकती है।
आज थायराइड मानव जाति के लिए एक बेहद गंभीर समस्या बन गई है। क्योंकि थायराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, और लक्षण व्यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है। जिसके चलते छोटे रोगों से लेकर बड़े-बड़े रोग उत्पन्न होने लगते है, और लोग इसे कंट्रोल करने के लिए दवा खा-खा कर परेशान हो रहे हैं। एलोपैथी में इसका कोई इलाज भी नहीं हैं, बस जीवन भर दवाई लेते रहो, फिर भी पूरी तरह से कोई आराम नहीं।
थायराइड क्या होता है?
Thyroid गले में स्थित एक ग्रंथि (gland) का नाम है। यह ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में मौजूद होता है और इसका आकार एक तितली के समान होता है। यह बॉडी के कई तरह के metabolic processes*को control करने के काम आता हैथायराइड की समस्याएं क्या होती हैं?
Thyroid Gland से produce होने वाले hormones शरीर में होने वाले सभी मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को affect करते हैं। थायराइड disorders से घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा कैंसर तक हो सकता है। लेकिन जो सबसे common थायराइड प्रॉब्लम होती है वो है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में प्रोडक्शन ना होना। इसमें दो तरह की समस्या आती है-- Hyperthyroidism (हाइपरथायरायडिज्म / अतिगलग्रंथिता ): ज़रुरत से अधिक hormones का पैदा होना
- Hypothyroidism (हाइपोथायरायडिज्म / अवटु-अल्पक्रियता): ज़रूअत से कम हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन होना
अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आज हम आपको एक ऐसे घरेलू उपाय के बारे में बता रहे है जिसे आप बिना किसी संकोच के कर सकते हैं।
थायराइड के लिए 10 जड़ी बूटी----थायराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने से रक्त में थायराक्सिन नामक हार्मोन का स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव को दो श्रेणी हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायाराइडिज्म में रखा जाता है। इस स्थिति में वजन बढ़ने या घटने की समस्या होती है। इस महत्वपूर्ण हार्मोनल ग्रंथि को स्वस्थ व संतुलित बनाये रखने के लिए कुछ जड़ी बूटियां उपयोगी साबित हो सकती है।
मुलेठी--- मुलेठी थायराइड ग्लैंड में संतुलन बना कर रखता है जिससे थायराइड के मरीजों में होने वाली थकान एनर्जी में बदलती है। 2011 में, टेक्सास में बायोसाइंसेज और टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के अनुसार, मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड अत्यधिक आक्रामक होता है जो थायराइड कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
अश्वगंधा- अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हार्मोन की सही मात्रा में उत्पादन कर थायराइड को रोकने का कम काम करता है। हार्मोन संतुलन के साथ, अश्वगंधा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर तनाव से मुक्ति दिलाता है
गेहूं का ज्वारा- गेहूं का ज्वारा प्रकृति की अनमोल देन है। इसमें अनेक औषधीय और रोग निवारक गुण पाए जाते हैं। गेहूं का ज्वारा रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, पाचन संबंधी रोग और थायराइड ग्रंथि के रोग में काम आता है
अलसी- अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एसिड थायरायड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
अदरक- अदरक जिंक, मैग्नीशियम और पौटेशियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थायराइड की कार्यक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अपने आहार में इसको शामिल करना चाहिए। अदरक का उपयोग आहार में भिन्न-भिन्न प्रकार से कर सकते हैं
इचिन्सिया- इचिन्सिया एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है, इसका उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए किया जाता है। इचिन्सिया में मौजूद तत्व हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों के इससे निजात दिलाते हैं।
ब्लैडररैक- यह एक प्रकार का हर्ब है जिसका प्रयोग हाइपोथायराडिज्म समेत कई बीमारियों में होता है। इस समुद्री शैवाल में प्राकृतिक आयोडीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के लिए जाना जाता है।
बाकोपा- अगर आप थायराइड की समस्या से ग्रस्त हैं तो आप बाकोपा नामक जड़ी बूटी की मदद ले सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक बकपा एक शक्तिशाली जड़ी बूटी जो थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के काम करती है।
काले अखरोट- सीफूड के अलावा काले अखरोट को आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। विभिन्न अनुसंधान से पता चलता है कि आयोडीन एक आवश्यक पोषक तत्व है जो थायराइड ग्रंथि के स्वास्थ्य और कामकाज को ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नींबू बाम- मिंट परिवार से संबंधित नींबू बाम एक अद्भुत जड़ी बूटी है। इस जड़ी बूटी को थायरॉयड ग्रंथि के लिए फायदेमंद माना जाता है। रिसर्च बताते है कि यह जड़ी बूटी अति थायरॉयड ग्रंथि की गतिविधियों को सामान्य बनाने में उपयोगी होती है। साथ ही यह थायराइड हार्मोन का उत्पादन भी कम करता है
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