Tuesday 11 December 2018

Sciatica in Hindi आज आप जानेंगे साइटिका क्या है?, इसकी पहचान, साइटिका के लक्षण, साइटिका होने के कारण और साइटिका का इलाज क्या है Sciatica ke karan, lakshan, ilaj in hindi के बारें में। साइटिका साइटिक तंत्रिका (sciatic nerve) में एक प्रकार का दर्द है जो पीठ से होते हुए कूल्हों, नितंबों और पैर के निचले हिस्से को प्रभावित करती है। आमतौर पर साइटिका शरीर के सिर्फ एक तरफ के भाग को ज्यादा प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी (spine) जब संकरी हो जाती है तो तंत्रिकाओं में अधिक दबाव पड़ने लगता है जिसके कारण इसमें सूजन और दर्द होता है एवं पैरों में सुन्नता महसूस होने लगती है।

साइटिका का दर्द बहुत गंभीर भी हो सकता है और कुछ मामलों में तो जल्दी इलाज कराने की भी आवश्यकता पड़ती है। जिन व्यक्तियों में साइटिका के कारण पैर कमजोर हो गए हों या आंत और ब्लैडर में परिवर्तन महसूस हो उन्हें सर्जरी कराने की जरूरत पड़ती है।
साइटिका के मुख्य लक्षण निम्न हैं
  • कमर में दर्द
  • पैर के पिछले हिस्से में दर्द होना और बैठने के बाद दर्द गंभीर हो जाना
  • कूल्हों में दर्द
  • पैरों में जलन या झुनझुनी का अनुभव
  • पैर को हिलाने-डुलाने में परेशानी, कमजोरी और सुन्नता का अनुभव
  • पैर के पिछले भाग में सिर्फ एक तरफ दर्द होना
  • तीव्र पीड़ा होना और उठने में परेशानी होना
साइटिका आमतौर पर शरीर के निचले भाग के सिर्फ एक हिस्से को प्रभावित करता है। साइटिका का दर्द कमर से पैर के जांघों और पैर के निचले हिस्सों में पहुंचता है। 

साइटिका होने के अन्य कारण इस प्रकार हैं – 

  • लंबर स्पाइनल स्टेनोसिस – पीठ के निचले हिस्से (lower back) की रीढ़ की हड्डी संकरी हो जाती है। इस कारण साइटिका की समस्या पैदा हो जाती है।
  • स्पॉनडिलोलिस्थेसिस (spondylolisthesis) – एक ऐसी समस्या जिसमें डिस्क स्लिप नीचे से कशेरूकाओं के आगे निकल जाती हैं।
  • रीढ़ के भीतर ट्यूमर होना – यह तंत्रिका में साइटिका का कारण होता है।
  • संक्रमण (infection) – यह आमतौर पर रीढ़ को प्रभावित करता है।
  • कौडा एक्विना सिंड्रोम (Cauda equina syndrome) – साइटिका की यह सबसे गंभीर स्थिति है, हालांकि अमूमन यह जल्दी होता नहीं है लेकिन यह रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इसके लिए तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
  • इसके अलावा रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण भी यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
सी भी प्रकार के खिंचाव वातवृद्धी या डेमेज के कारन पूरी नस मे दर्द होतां है जिसे हम आैर आप साइटीका (ग्रधसी) रोग से भी जानते है | यह रोग के बारे मे अगर देखा जाये तो यह रोग ज्यादातर महिलामे देखा जातां है तरहा तरहां के इलाज वं ऐलोपैथी आधुनिक दवाइयां सालो खाने के बावजूद भी यह रोग ठिक नही हो पातां है | जबकी आयुर्वेद थेरापी वं नेचरोपैथी मे इसका सटिक इलाज बतायां गयां है |*आयुर्वेदानुसार साइटिका रोग वातव्याधि है जो वात दूषित होने के कारन होने वाला रोग है आैर रोग की शरुआत यहां से होती है जबकी हमारे शरीरका अग्नी मंद हो मतलब की मंदाग्नी के कारन हमारा पाचन बिगड जातां है जिसके कारन हमे भयंकर कब्ज रहती है आैर आंतो मे पुरानां मल सडतां है आैर इससे वात उतपन्न होतां है | यह वात दूषित होकर साइटिक नामक नाडी मे प्रवेश करतां है आैर असह्य दर्द देतां है | जबकीकमर से शुरु होकर पिछे की तरफ से पुरे पैर मे लंभी नस होती है जिसको साइटिक वेइन कहते है | जो की बेक साइड मे होती है उसमे की आयुर्वेदिक शास्ञ वं ग्रंथो मे कुछ ही महिनो मे इस रोग से जड़ से निजात पा सकते है | आइये जानते है साइटिका को जड़ से समापेत करने वाली आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे |*
संजीवनी साइटिका स्पेशियल आैषधिय योग*
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*सिंहनाद गुगुल        40 ग्राम*
*ञिफला गुगुल        40 ग्राम*
*पुनर्नवां मंडुर.         20 ग्राम*
*महायोगराज गुगुल  20 ग्राम*
*निर्गुडी                   50 ग्राम*
*सौंठ.                      20 ग्राम*
*शुद्ध भल्लांतक      05 ग्राम*
*सहिंजन के पत्ते      30 ग्राम*
*सूतशेखर रस.       40 ग्राम*
*गोखरु कांटा         30 ग्राम*
कमर से शुरु होकर पिछे की तरफ से पुरे पैर मे लंभी नस होती है जिसको साइटिक वेइन कहते है | जो की बेक साइड मे होती है उसमे कीसी भी प्रकार के खिंचाव वातवृद्धी या डेमेज के कारन पूरी नस मे दर्द होतां है जिसे हम आैर आप साइटीका (ग्रधसी) रोग से भी जानते है | यह रोग के बारे मे अगर देखा जाये तो यह रोग ज्यादातर महिलामे देखा जातां है तरहा तरहां के इलाज वं ऐलोपैथी आधुनिक दवाइयां सालो खाने के बावजूद भी यह रोग ठिक नही हो पातां है | जबकी आयुर्वेद थेरापी वं नेचरोपैथी मे इसका सटिक इलाज बतायां गयां है |*
*आयुर्वेदानुसार साइटिका रोग वातव्याधि है जो वात दूषित होने के कारन होने वाला रोग है आैर रोग की शरुआत यहां से होती है जबकी हमारे शरीरका अग्नी मंद हो मतलब की मंदाग्नी के कारन हमारा पाचन बिगड जातां है जिसके कारन हमे भयंकर कब्ज रहती है आैर आंतो मे पुरानां मल सडतां है आैर इससे वात उतपन्न होतां है | यह वात दूषित होकर साइटिक नामक नाडी मे प्रवेश करतां है आैर असह्य दर्द देतां है | जबकी आयुर्वेदिक शास्ञ वं ग्रंथो मे कुछ ही महिनो मे इस रोग से जड़ से निजात पा सकते है | आइये जानते है साइटिका को जड़ से समापेत करने वाली आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे |*

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