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Monday 2 November 2020

गठिया (Arthritis) क्या है ? उपचार व परहेज

 


गठिया (Arthritis) क्या है?

गठिया एक या कई और संयुक्त जोड़ों की सूजन है। गठिया के विभिन्न प्रकार हैं जो लोगों के बीच पाए जा सकते हैं, गठिया के प्रत्येक प्रकार के कारण अलग तरह का शारीरिक दर्द होता है। सबसे आम गठिया प्रकार पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस हैं। गठिया के कारण जोड़ों में दर्द और अकड़न होती है और उम्र के साथ तेज हो सकता है, हालांकि, कभी-कभी वे अप्रत्याशित रूप से भी प्रकट हो सकते हैं। अधिकांश समय, गठिया 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में और शायद ही कभी बच्चों में विकसित होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को गठिया होने का खतरा अधिक होता है, खासकर रूमेटाइड आर्थराइटिस के मामले में। दूसरी ओर, गाउट, एक अन्य प्रकार का गठिया पुरुषों में अधिक पाया जाता है। मोटापा गठिया का एक प्रमुख कारण अक्सर शरीर के अतिरिक्त वजन वाले लोगों में पाया जाता है।

गठिया के लक्षण क्या हैं

घुटने के गठिया के लक्षण अन्य सभी के बीच सबसे प्रमुख और आम हैं। सभी गठिया प्रकार के सामान्य गठिया लक्षणों में से कुछ इस प्रकार हैं:

  • जोड़ों में अत्यधिक दर्द
  • जोड़ों में अकड़न
  • सूजन
  • लाली
  • जॉइंट्स की गति में कठिनाई

इन लक्षणों में से अधिकांश सुबह के दौरान अनुभव किए जाने की अधिक संभावना है। प्रतिरक्षा प्रणाली की सूजन के कारण रुमेटीइड गठिया भी भूख न लगना या थकान का कारण बनता है। यह आगे एनीमिया में विकसित हो सकता है या मामूली बुखार का अनुभव करा सकता है।

आम गठिया प्रकार

यहाँ गठिया के दो सामान्य प्रकारों पर थोड़ा और विस्तार दिया गया है:

ऑस्टियोआर्थराइटिस

जब प्रत्येक हड्डी / जोड़ की छोर को कवर करने वाला लचीला उपास्थि (कार्टिलेज) नीचे हो जाता है, तो प्रभावित को ओस्टियोआर्थराइटिस का निदान किया जाता है। इस तरह के गठिया से जोड़ों को हिलाने में अत्यधिक दर्द, सूजन और कठिनाई होती है और सबसे अधिक प्रभाव घुटनों, कूल्हों, पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में होती है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस

यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों और उसके आसपास के ऊतकों में सूजन का कारण बनती है। यह शरीर के अन्य अंगों में सूजन का कारण बन सकता है और इस प्रकार इसे व्यवस्थित बीमारी के रूप में भी जाना जाता है।

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस

जेआईए या जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस को किशोर रूमेटाइड आर्थराइटिस के रूप में भी जाना जाता है और दोनों ही शब्दों का परस्पर विनिमय किया जाता है। जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस मूल रूप से एक पुरानी, ​​गैर संक्रामक, सूजन और ऑटोइम्यून संयुक्त बीमारी है। जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है।


गठिया उपचार:

गठिया का उपचार गठिया के प्रकार और इसकी डिग्री पर निर्भर करता है। गठिया के उपचार का मुख्य कार्य जोड़ों में दर्द को कम करना है। एक व्यक्ति के लिए जो उपचार काम कर सकता है, ज़रूरी नहीं के दूसरे के लिए भी काम करे। गठिया के दर्द के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ सामान्य देखभाल तकनीकों में हीटिंग पैड या आइस पैक को जॉइंट्स पर रखना है। गठिया घुटने वाले लोग चलने के दौरान जॉइंट्स पर पड़ते हुए दबाव को कम करने के लिए वॉकर और या केन जैसी गतिशीलता के लिए सहायता उपकरणों का उपयोग करते हैं।

अधिक गंभीर मामलों में, डॉक्टर इस बीमारी के निदान के लिए निम्नलिखित गठिया उपचार का सुझाव दे सकते हैं:

गठिया के लिए दवाएं 

कुछ दवाएं हैं जो गठिया के इलाज के लिए ली जा सकती हैं।

  • दर्दनाशक – दर्द प्रबंधन के लिए मदद करता है
  • गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं – ये दवाएं गठिया के कारण होने वाले दर्द और सूजन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं
  • मेन्थॉल या कैप्साइसिन – ये क्रीम जोड़ों से दूसरे हिस्सों में दर्द के संकेत के प्रसार को रोकते हैं
  • इम्यूनोसप्रेसेन्ट – ये दवाएं जोड़ों पर सूजन को कम करने में मदद करती हैं
  • नोट: गठिया के उपचार के लिए दवाएं केवल डॉक्टर की सिफारिशों के आधार पर ली जाती हैं, जो इसकी गंभीरता पर निर्भर करती है।

आर्थराइटिस के लिए सर्जरी

एक सामान्य तरीका यह होगा कि सर्जरी के जरिए उस विशेष जॉइंट् को आर्टिफिशल से बदल दिया जाए। सबसे आम जोड़ों का रिप्लेसमेंट गठिया घुटने और कूल्हों के लिए हैं।

आपकी उंगली या कलाई में गंभीर गठिया के मामले में, एक जॉइंट्स संलयन जहां आपकी हड्डियों के सिरों को एक साथ रखा जाता है जब तक वे ठीक नहीं होते हैं किया जाते हैं। ये तरीके केवल गठिया के गंभीर मामलों के लिए हैं, जहां गठिया का दर्द चरम पर है और जब गठिया में किसी भी तरह की दवा या फिजियोथेरेपी का असर नहीं होता है।

गठिया के लिए फिजियोथेरेपी

गठिया में प्रभावित जोड़ों को, फिजियोथेरेपी के अनुसार, व्यायाम करना शामिल है जो जॉइंट्स के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। गठिया के लिए फिजियोथेरेपी आपके जोड़ को ठीक करने के लिए प्राकृतिक तरीकों में से एक है और इसे शुरुआती चरणों में ही शुरू करने की सलाह दी जाती है। गठिया के लिए फिजियोथेरेपी सबसे आम घुटने में गठिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जब गठिया से पीठ और गर्दन में दर्द होता है।

गठिया के लिए जोखिम कारक क्या हैं:

  • पारिवारिक इतिहास – पर्यावरणीय कारकों के कारण गठिया जेनेटिक या वंशानुगत भी हो सकता है जो किसी के संपर्क में है।
  • आयु – गठिया दर्द और गठिया लक्षण उम्र के साथ बढ़ते हुए देखे जाते हैं।
  • पहले जोड़ों की चोट – एक जोड़े में चोट के साथ, शायद एक खेल के कारण, उस जोड़े में गठिया विकसित होने की अधिक संभावना है। उदाहरण के लिए: बास्केट बॉल, लंबी कूद, आदि के दौरान जमीन पर खराब लैंडिंग के कारण घुटने में गठिया सबसे आम है।
  • मोटापा – शरीर का अतिरिक्त वजन जोड़ों पर तनाव डालता है जो गठिया के प्रमुख कारणों में से एक है। मोटापे के कारण गठिया घुटने का सबसे आम मामला है।

गठिया की जटिलताएँ :

जोड़ों में गठिया के गंभीर मामले जैसे कलाई, उंगलियां, आदि गठिया के दर्द के कारण दैनिक कार्यों को करने में परेशानी का कारण हो सकते हैं। इसी तरह, घुटनों या कूल्हों, टखनों आदि में गठिया होने से आराम से चलने या बैठने में असुविधा हो सकती है। इस प्रकार, गठिया के लक्षण का पता चलते ही समस्या पर ध्यान देना बेहद जरूरी है और गठिया के लिए गठिया पुनर्वास या फिजियोथेरेपी शुरू करनी चाहिए ।

गठिया के साथ मदद करने के लिए जीवन शैली परिवर्तन

गठिया घुटने का दर्द सबसे आम है और एक स्वस्थ वजन बनाए रखने से गठिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है, अगर एक जॉइंट पहले से ही प्रभावित हो गया हो। एक स्वस्थ आहार भी गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में योगदान देता है, चाहे वह गठिया पीठ दर्द, गठिया गर्दन का दर्द या जोड़ों की सूजन हो। गठिया के लिए फिजियोथेरेपी जोड़ों के उपचार का सबसे अच्छा तरीका है। गठिया के लिए भौतिक चिकित्सा केवल फिजियोथेरेपी तक सीमित नहीं है, बल्कि तैराकी जैसे अन्य व्यायामों तक भी फैली हुई है जो जोड़ों पर दबाव डाले बिना व्यायाम का एक शानदार रूप है।

बैठने और काम करते समय शरीर के स्थिर या खराब मुद्रा में होने के कारण भी गठिया हो सकता है। घर या कार्यालय में सरल व्यायाम गठिया को रोकने में मदद कर सकते हैं। कुछ सरल व्यायामों में शामिल हैं:

  • गर्दन की राहत के लिए – सिर झुका हुआ, गर्दन घुमाना।
  • डेस्क जॉब वाले लोगों के लिए – उन जोड़ों में तनाव को कम करने के लिए उंगली और अंगूठे का मोड़ और कलाई का घूमना
  • लेग रिलीफ के लिए- हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच, लेग रेज और अन्य लेग स्ट्रेच। घुटने के गठिया के लक्षणों को विकसित होने वालों के लिए ये महत्वपूर्ण स्ट्रेच हैं।
  • उपचार --- विरेचन करें, एरंड तेल गुनगुने पानी से लें, अभ्यंगम करें, निर्गुन्डी तेल, पिंड तेल, सुकुमार तेल, गुडुची तेल, अदरक का पेस्ट लगाएं, शुंठी का पानी पिएं, लहसुन शहद के साथ लें, लहसुन का पेस्ट लगाएं, गुडुची चूर्ण खाएं, गुडुची काढ़ा पिएं। 
  • चूर्ण- नवकार्षिक चूर्ण, निम्बादि चूर्ण, चोबचीनी चूर्ण, गेहूं का चूर्ण, बकरी के दूध में मिलाकर लगाएं, दशमूल साधित छीर खाली पेट लें, हरीतिकी गुड़ के साथ लें, अपामार्ग का पौधा, गौ मूत्र में मिला लेप बना कर लगाएं, वरुण और शिग्रु के पेस्ट का लेप लगाएं, गुडुची, वासा, एरंड तेल का काढ़ा पिएं, लहसुन, लौंग,सौंफ, शुंठी का काढ़ा पिएं।पंचकर्मा

    वस्ति, विरेचन, अभ्यंगम, स्वेदन, लेप


Monday 25 November 2019

मूली - पेट के लिए किसी अमृत से कम नहीं है

अगर आप मूली को अपनी डाइट में शामिल करेंगे  तो आप डायबिटीज, पेट की प्रॉब्‍लम्‍स, ब्‍लड प्रेशर, कैंसर आदि कई बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे

सर्दियों में सलाद, पराठे और सब्‍जी के रूप में लगभग हर घर में मूली खाई जाती है। क्‍या आप जानते हैं कि मूली सिर्फ खाने में ही स्‍वादिष्‍ट नहीं होती बल्कि आपकी हेल्‍थ के लिए भी बहुत फायदेमंद है। मूली में क्लोरीन, फास्फोरस, सोडियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन ए, बी और सी भी होता है।  दिखने में मामूली लगने वाली मूली औषधीय गुणों से भरपूर होती है। अगर आप रोजाना इसे अपनी डाइट में शामिल करेंगे तो आप डायबिटीज, पेट की प्रॉब्‍लम्‍स, ब्‍लड प्रेशर, कैंसर आदि कई बीमारियों से कोसों दूर रहेंगी। आइए जानें मूली हमारी हेल्‍थ के लिए कितनी फायदेमंद होती है।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर- 10 ग्राम मूली में 0.1 ग्राम फैट, 4.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.6 ग्राम डाइट्री फाइबर, 2.5 ग्राम शुगर, 0.6 ग्राम प्रोटीन, 36 प्रतिशत विटमिन सी, 2 प्रतिशत कैल्शियम, 2 प्रतिशत आयरन, 4 प्रतिशत मैग्नीशियम होता है। जी हां मूली में बहुत सारे पौष्टिक तत्‍व होते हैं जो आपकी पूरी बॉडी के लिए बेहद ही फायदेमंद होते है।

पाचक का काम करती है मूली - पेट के लिए मूली बहुत फायदेमंद होती है। मूली एक पाचक की तरह काम करती है। पेट की कई बीमारियों में मूली का रस बहुत फायदेमंद होता है। अगर पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो मूली के रस को नमक में मिलाकर पीने से आराम मिलता है। ताजी मूली खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा, मूली पित्त उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। पित्त पाचन के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है। इससे आपकी पाचन क्रिया सही रहती है। पेट संबंधी रोगों में अगर मूली के रस में अदरक का रस और नींबू मिलाकर पिएं तो भूख बढ़ती है।

बॉडी डिटॉक्‍स करें- मूली किडनी हेल्‍थ के लिए बहुत अच्छी होती है क्‍योंकि इसे खाने से बॉडी आसानी से डिटॉक्‍स हो जाती है। इसमें डाइयूरेटिक गुण होने के कारण इसे नेचुरल क्लिंजर कहा जाता है। इसके अलावा मूली में फाइबर ज्यादा होता है, जो कब्ज के लिए रामबाण है। यह आंतों को हेल्‍दी रखता है।

बीपी में फायदेमंद है
मूली- मूली में एंटी हाइपरटेंसिव गुण पाया जाता है, जो ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करने में हेल्‍प करती है। इसके अलावा मूली में पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम भी होता है, जो बॉडी में सोडियम और पोटैशियम के अनुपात को बैलेंस करते हुए ब्लड प्रेशर बिगड़ने नहीं देता। अगर आप भी बीपी से परेशान हैं तो अपनी डाइट में मूली को शामिल करें।

लिवर के लिए फायदेमंद- मूली खाने से लिवर की क्रिया बेहतर होती है। लिवर की परेशानी होने पर रेगुलर अपने भोजन में मूली का सेवन करना चाहिए। साथ ही पीलिया रोग में भी ताजी मूली का प्रयोग बहुत ही उपयोगी होता है। रेगुलर रूप से 1 कच्ची मूली सुबह खाने से कुछ ही दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है

पाइल्स में फायदेमंद- पाइल्स के मरीजों को कच्ची मूली का ही सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो इसे घिसकर खा सकते हैं। या फिर इसका रस निकालकर भी पी सकती हैं। लेकिन मूली के रस का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। पाइल्‍स के रोगियों को अक्‍सर मूली खाने की सलाह दी जाती है क्‍योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो मल को मुलायम करने और डाइजेशन को सही रखने में हेल्‍प करती है। यह पाइल्‍स के दौरान पैदा होने वाले दर्द और सूजन को कम करती है। इसके अलावा मूली ठंडक देने का काम करती है, जिससे जलन में भी राहत मिलती है। पाइल्स के मरीजों को कच्ची मूली का सेवन ही करना चाहिए। तो देर किस बात की इन सर्दियों आप भी अपनी डाइट में इसे शामिल करें और हेल्‍दी रहें।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर - 10 ग्राम मूली में 0.1 ग्राम फैट, 4.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.6 ग्राम डाइट्री फाइबर, 2.5 ग्राम शुगर, 0.6 ग्राम प्रोटीन, 36 प्रतिशत विटमिन सी, 2 प्रतिशत कैल्शियम, 2 प्रतिशत आयरन, 4 प्रतिशत मैग्नीशियम होता है। जी हां मूली में बहुत सारे पौष्टिक तत्‍व होते हैं जो आपकी पूरी बॉडी के लिए बेहद ही फायदेमंद होते है।

मूली के पत्तों का रस 3 दिन में दूर करता है पीलिया रोग - पीलिया होने पर भूख लगना बंद हो जाती है। गर्मी तथा बरसात के दिनो में जो रोग सबसे अधिक होते है। उनमें से एक है पीलिया। पीलिया होने पर भूख लगना बंद हो जाती है। इसमें आंख नाखून और शरीर पीला नजर आने लगता है। इस रोग को घरेलू उपचार से ठीक किया जा सकता है। पीलिया में फिटकरी और मूली के पत्तों का बहुत उपयोगी है। पीलिया में रोगी को निम्न चीजों का सेवन करना चाहिए.. दही में फिटकरी को पीसकर दही में मिलाकर खाने से पीलिया 3 से 8 दिन में ठीक हो जाता है।  मूली के पत्तों का रस निकालकर उसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं। एक हफ्ते में पीलिया ठीक हो जाता है।

  • गुर्दे संबंधी परेशानियों के लिए मूली का रस और मूली दोनों ही रामबाण उपाय है। इसके रस में सेंधा नमक मिलाकर नियमित रूप से पीने पर गुर्दे साफ होते हैं और गुर्दे की पथरी भी समाप्त हो जाती है।

    • मूली के पत्ते- लगातार हिचकी आने से परेशान हैं तो मूली के पत्ते आपकी मदद कर सकते हैं। मूली के मुलायम पत्तों का चबाकर चूसने से हिचकी आना तुरंत बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं मुं‍ह की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा।
    • दातों की समस्या या पीलापन खत्म करना हो तो इसके छोटे-छोटे टुकड़ों में नींबू का रस डालकर दांतों पर रगड़ें या कुछ देर तक चबाते रहें और थूक दें। इस तरह से दांतों का पीलापन कम होगा। मूली के रस का कुल्ला करने पर भी दांत मजबूत होंगे।
    • नींद न आने की समस्या – अगर आपको नींद नहीं आती, तो मूली खाना आपके लिए बेहद जरूरी है। यह न केवल नींद न आने की समस्या से छुटकारा दिलाएगी बल्कि नींद लेने के लिए प्रेरित करेगी।

  • मोटापा – मूली मोटापा घटाने में सहायक होता है। जो लोग मोटापे से परेशान है और मोटापा कम करना चाहते है। वो इसके रस में निम्बू और सेंधा नमक मिलाकर दिन में सेवन करे। इस घरेलु नुस्खे से मोटापा धीरे धीरे घटने लगता है।
    दमा – जिन्हे साँस यानी दमा की बीमारी है वो मूली के जूस का काढ़ा पिए यह दमे के लिए बेहतरीन दवा है।
    पेट में गैस – इसे खाने से पाचन क्रिया में सुधर होता है। भोजन जल्दी और आसानी से पांच जाता है। जिनके पेट में गैस बनती है। उन्हें जरूर इसको अपने भोजन में शामिल करना चाइये। मूली गैस के लिए रामबाण दवा का काम करती है। पेट में गैस होने पर खाली पेट इसके दुकड़ो को नमक के साथ खाये

Sunday 24 November 2019

आंवला के फायदे, उपयोग और नुकसान

                              आमला के फायदे - लेखक - उत्तम जैन 

आंवला  छोटा-सा फल है, लेकिन गुणों के मामले में इसकी कोई तुलना नहीं है। लगभग हर घर में प्रयोग होने वाला यह फल कई मामलों में गुणकारी है। फिर चाहे आप इसे अचार के तौर पर खाएं या इसका जूस पिएं या फिर औषधी के तौर पर प्रयोग करें, हर लिहाज से यह फायदेमंद है। हालांकि कुछ लोग आंवला खाने के फायदे नहीं जानते जो अमृततुल्य है  आज इस लेख में हम आंवला के फायदे तो आपको बता ही रहे हैं, साथ ही आंवला के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।आंवले के कई अन्य नाम भी है, अंग्रेजी में आंवला को एम्ब्लिका मायरोबेलन या इंडियन गूजबेरी (Indian gooseberry) कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी व पंचरसा कहते हैं। इस छोटे से फल के जितने नाम है, उतने ही इसके फायदे भी हैं   

                        
  1. वज़न घटाने में सहायक

  2. हड्डियों के लिए फायदेमंद

  3. दिल के लिए सुरक्षित

  4. पाचन शक्ति को बढ़ाता है

  5. लिवर के लिए फायदेमंद

  6. डायबिटीज में लाभकारी

  7. बालों के लिए फायदेमंद

  8. त्वचा के लिए लाभदायक

यहां हम आंवला के फायदों को विस्तार से वर्णित कर रहे हैं।

1. गले में खराश के लिए आंवला - बदलते मौसम के साथ बीमारियां लगी रहती है, कभी बुखार तो कभी सर्दी-खांसी और गले में खराश। अगर आप भी गले में खराश से परेशान हैं, तो आंवला एक कारगर घरेलू उपाय साबित हो सकता है। आप आंवले के रस का काढ़ा बनाकर उसका सेवन कर सकते हैं। आंवले की तरह ही आंवला रस के फायदे भी होते हैं। आंवला में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं , जो बुखार या गले की खराश में मददगार साबित हो सकते हैं। बेशक, अभी तक इसका कोई खास प्रमाण सामने नहीं आया है, लेकिन कई लोग आंवले को गले में खराश के वक़्त उपयोग करते हैं।आंवले के जूस में बारीक़ कटा हुआ अदरक और एक चम्मच शहद मिला लें।फिर इसे सिरप की तरह पिएं।

2. दिल के लिए आंवला - आजकल की असंंतुलित जीवनशैली के कारण लोगोंं का वज़न बढ़ने लगा है, जिससे हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियां हो रही हैं। ऐसे में अगर आंवला का सेवन करने से शरीर में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियां होने का खतरा कम होता है। वहीं, यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसके सेवन से एथेरोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी आर्टरी बीमारी (atherosclerosis and coronary artery disease) जैसी दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है 

आयुर्वेद सुझाव के लिए संपर्क करे - 8460783401 

3. डायबिटीज में आंवले का सेवन- एक वक़्त था जब डायबिटीज एक उम्र के बाद होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आजकल के असंतुलित जीवनशैली के कारण डायबिटीज किसी को भी हो सकती है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप वक़्त रहते इस पर ध्यान दें। अगर किसी को डायबिटीज है, तो वो आंवला का सेवन कर सकते हैं। आंवले में एंटी-डायबिटिक गुण हैं , जो डायबिटीज के खतरे को कम करते हैं। इसके अलावा, डायबिटीज के मरीज़ आंवले का सेवन करते हैं, तो उनका ब्लड ग्लूकोज़ लेवल कम हो सकता है । यह डायबिटीज के मरीज़ों में कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम कर सकता है  हालांकि, अभी तक इसका कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है, लेकिन इस विषय पर वैज्ञानिक शोध जारी है।आंवला और हल्दी को मिलाकर मिश्रण बना लेंफिर सुबह-सुबह इस मिश्रण का सेवन करें इससे आपका ब्लड शुगर लेवल संतुलित हो सकता है।

4. बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकता है- आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं] जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से कुछ हद तक रोक सकते हैं। यह मुक्त मूलकों के प्रभाव को नियंत्रित कर, बढ़ते उम्र के प्रभाव को कम कर सकता है। अगर आंवला और हल्दी का सेवन एकसाथ किया जाए, तो बढ़ती उम्र का प्रभाव कम होता है, क्योंकि इन दोनों में ही कई औषधीय गुण होते हैं ।

5. बार-बार पेशाब लगने की गतिविधि बढ़ जाती है- सही आहार न लेने से या सही जीवनशैली न होने के कारण शरीर में विषैले पदार्थ जमने लगते हैं, जिनका बाहर निकलना ज़रूरी होता है। इसके लिए आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करने की ज़रूरत होती है। आंवले में डायूरेटिक (diuretic) गुण होते हैं , इसलिए इसका सेवन करने से आपको बार-बार पेशाब जाने की ज़रूरत महसूस हो सकती है। इसके सेवन से आपका शरीर डिटॉक्सीफाई होता है और आपके शरीर के विषैले पदार्थ मूत्र के ज़रिए बाहर निकल जाते हैं। 

6 पाचन शक्ति के लिए आंवला-व्यस्तता भरी ज़िंदगी के कारण लोग अपने खाने-पीने पर ध्यान नहीं देते, जिस कारण पाचन तंंत्र खराब हो जाता है। कभी-कभी तो पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां भी होने लगती है। ऐसे में कुछ लोग दवाइयों के आदि हो जाते हैं, जिसके साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इन सब समस्याओं का आंवला ही एकमात्र उपचार है। आंवले में फाइबर होता है  और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन क्रिया के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। आंवले से अल्सर, गैस्ट्रिक और पाचन क्रिया से संबंधित समस्याएं काफ़ी हद तक कम हो सकती हैं ।

7. आंवला रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है- कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमज़ोर होती है, इसलिए बदलते मौसम के साथ ही उन्हें सर्दी-खांसी व बुखार हो जाता है। ऐसे में अगर आंवला का सेवन किया जाए, तो रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफ़ी हद तक सुधार होता है । आंवला में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और कई अन्य गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन-सी शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है।

8. हड्डियों को मज़बूत बनाता है आंवला- बढ़ती उम्र के साथ-साथ हमारी हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि वक़्त रहते इस पर ध्यान दिया जाए, नहीं तो आगे चलकर आर्थराइटिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। कई बार ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी से हड्डियों से जुड़ी परेशानियां होने लगती है। ऐसे में दवाइयों के आदि बनने से पहले घरेलू उपायों को आजमाया जाए और सबसे आसान घरेलू उपाय है आंवला। आंवले में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं। इसके अलावा, इसमें विटामिन-सी भी होता है  जो आपकी हड्डियों की परेशानी को दूर कर सकता है। कोशिश करें कि हर रोज़ आंवले का रस या थोड़ा आंवला अपने आहार में शामिल करें। इससे हड्डियां मज़बूत होगी और हड्डियों की बीमारी का ख़तरा कम हो सकता है।

9. आंवले से बढ़ती है आंखों की रोशनी - हम ज्यादा वक्त कंप्यूटर, टीवी व मोबाइल के आगे बिताते हैं, नतीजन हमारी नजर कमजोर होने लगती है। इसके अलावा, कई बार धूल-मिट्टी और प्रदूषण के कारण आंखों में संक्रमण, पानी आने, जलन की समस्या और अन्य कई परेशानी होने लगती है, जिसका वक़्त रहते इलाज ज़रूरी होता है। ऐसे में अगर आंवले को हर रोज़ अपने आहार में शामिल किया जाए, तो न सिर्फ आंखों की रोशनी तेज़ होगी, बल्कि आंखों में संक्रमण होने का खतरा भी कम होगा। आप आंवले के रस को शहद के साथ पी सकते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व आपकी आंखों की रोशनी में सुधार कर सकते हैं ।

10. आंवले से पथरी की समस्या दूर होती है- गुर्दे में पथरी की परेशानी बहुत ही पीड़ादायक होती है और अगर वक़्त रहते इसका इलाज न किया जाए, तो इससे मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है। पथरी की परेशानी के लिए दवाइयां तो ज़रूरी होती ही हैं, लेकिन इसी के साथ आंवले के रस का सेवन करने से भी आराम मिल सकताा है । कई बार डॉक्टर भी आंवले का जूस पीने की सलाह देते हैं।

11 आंवला मोटापे को कम करता है- जब मोटापा बढ़ता है, तो शरीर में बीमारियां भी बढ़ती है। ऐसे में ज़रूरी है कि वज़न संतुलित रहे। इसके लिए व्यायाम तो ज़रूरी है ही साथ ही सही खान-पान भी आवश्यक है। अगर आप हर रोज़ आंवला या आंवले के जूस का सेवन करेंगे, तो मोटापे की समस्या से काफ़ी हद तक छुटकारा मिल सकता है। आंवला पोषक तत्वों का भण्डार है और यह एंटी-ओबेसिटी भी है । इसके अलावा, यह मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है, जो वज़न कम करने में मददगार साबित हो सकता है। इसका सेवन करने से पेट काफ़ी देर तक भरा-भरा लगता है, जिस कारण ज़्यादा कुछ खाने की इच्छा नहीं होती और वज़न बढ़ने का खतरा भी कम रहता है।

12. आंवला एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है- आंवले में कई पोषक तत्व और गुण होते हैं और उन्हीं गुणों में से एक है एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण । इसके कारण पेट में किसी भी प्रकार की समस्या, सूजन या अन्य तकलीफ से काफ़ी हद तक राहत मिल सकती है।

13. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है - आंवले में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है, जो मेटाबॉलिज्म की गतिविधि को बढ़ाता है। यह मेटाबॉलिज्म ही होता है, जिसके धीमे पड़ जाने से वज़न बढ़ने लगता है। वहीं, आंवले के सेवन से मेटाबॉलिज्म की गतिविधि में बढ़ोतरी होती है और यह आपके वज़न को संतुलित रख सकता है । खासकर डायबिटीज में यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है और मेटाबॉलिज्म में सुधार लाता है ।

14. खून को साफ़ करता है आंवला - खून में अशुद्धियां होने के कारण कई बार इसका असर आपके शरीर और त्वचा पर दिखने लगता है जैसे – पिंपल निकलना, चेहरे पर दाग-धब्बे होना, थकान होना, कमज़ोरी होना व पेट की समस्या होना। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सही खान-पान अपनाएं। आप खून की अशुद्धियां साफ करने के लिए रोज अपने आहार में आंवला या आंवले का रस शामिल कर सकते हैं। आंवले में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एन्टीइंफ्लेमेटरी गुणों के अलावा और कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं , जो आपके खून की अशुद्धियों को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं

 15 लिवर के लिए आंवले का सेवन - गलत खान-पान के कारण लिवर से जुड़ी कई बीमारियां हो जाती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आप हर रोज़ कुछ स्वस्थ चीज़ अपने आहार में शामिल करें और इन स्वस्थ चीज़ों में से एक है आंवला। अगर आप आंवला या आंवले के जूस का सेवन करते हैं, तो आपकी पेट, पाचन शक्ति और लिवर संबंधी समस्याएं बहुत हद तक कम हो सकती है। आंवले के सेवन से गैस, पीलिया या दस्त जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है ।

16. कैंसर से बचाव करता है आंवला- कैंसर भी आजकल सामान्य बीमारी बनती जा रही है। किसे, कब कैंसर हो जाए, कह नहीं सकते। ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने खान-पान का खास ध्यान रखें। आप आंवले को अपने आहार में शामिल करें, इससे कैंसर का खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण मौजूद होते हैं। आप रोज़ आंवले का अंचार या ऐसे ही आंवले का सेवन कर सकते हैं । आंवला जूस के फायदे भी हैं, इसलिए आप इसका सेवन भी एक सीमित मात्रा में कर सकते हैं।

17 त्वचा के लिए आंवले के फायदे –  ये तो थे आंवला के स्वास्थ्य संबंधी फायदे, लेकिन क्या आपको पता है कि आंवला आपकी त्वचा पर भी निखार ला सकता है। नीचे हम त्वचा के लिए आंवला के कुछ फायदे बता ही रहे हैं और साथ ही आंवले के कुछ फेस पैक बनाने की विधि भी बता रहे हैं। इन फेस पैक को आप आसानी से घर में ही बना सकते हैं।

चमकती त्वचा के लिए आंवला - चेहरे की चमक बरकरार रखने के लिए ज़रूरी नहीं कि हर बार आप क्रीम का इस्तेमाल करें, आप घरेलू उपाय भी आज़मा सकते हैं। आंवला उन्हीं घरेलू उपायों में से एक है। आप त्वचा में चमक लाने के लिए हर रोज़ आंवले के जूस का सेवन कर सकते हैं। अगर आंवले या आंवले के जूस का सेवन नहीं करना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए हुए फेसपैक भी लगा सकते हैं।

चमकती त्वचा के लिए आंवले का फेसपैक -आंवला पाउडर और पपीते के कुछ डुकड़ों को मिलाकर एक फेसपैक तैयार कर लें।इस फेसपैक को लगाने से पहले अपने चेहरे को अच्छे से धो लें।फिर फेसपैक लगाकर सूखने दें।जब फेसपैक सूख जाए, तो चेहरे को अच्छे से धो लें।इस फेसपैक को आप हफ्ते में एक या दो बार लगा सकते हैं।

आंवले में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन पोषक तत्वों से आपकी त्वचा में चमक आ जाती है और चेहरा खिलखिलाने लगता है। इस फेसपैक के अलावा आप आंवला जूस का भी फेस पैक बना सकते थे। आपको बस आंवले के रस को थोड़ी देर लगाकर रखना है और फिर उसे पानी से धो लें। इससे आपके चेहरे पर धीरे-धीरे प्रकृतिक चमक आने लगेगी।

त्वचा की रंगत सुधारता है आंवला - गोरा रंग पाने की चाहत लगभग हर किसी को होती है। इसके लिए लोग तरह-तरह की क्रीम और ट्रीटमेंट करवाते हैं, जिसका कभी-कभी त्वचा पर बुरा असर भी पड़ता है। ऐसे में आंवले के इस्तेमाल से प्राकृतिक तौर पर आपकी त्वचा के रंग में परिवर्तन तो आएगा ही साथ ही साथ त्वचा में चमक आ जाएगी।पपीते के कुछ टुकड़ों को अच्छे से मसल लें। अब इसमें आधा या एक चम्मच आंवले का पेस्ट और आधा चम्मच शहद मिला लें।
 इसे अच्छे से मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इस फेस मास्क को अच्छे से अपने चेहरे पर लगा लें और थोड़ी देर सूखने दें। सूखने के बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें। आंवले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-सी त्वचा की रंगत को सुधारने में मदद कर सकता है । वहीं पपीता और शहद त्वचा को हाइड्रेट करते हैं व नमी बरक़रार रखते हैं। शहद आपकी त्वचा के लिए काफ़ी फायदेमंद होता है। इस फेस पैक से आपकी त्वचा की रंगत में काफी निखार आएगा । अगर आपको फेस पैक लगाना पसंद नहीं है या आपको फेस पैक लगाने का वक़्त नहीं मिल रहा है तो आप आंवला और शहद का जूस भी पी सकते हैं। 

Saturday 23 November 2019

मेथी के फायदे, उपयोग और नुकसान

लेखक - उत्तम जैन ( प्राकृतिक चिकित्सक )
 सर्दियां आते ही बाजार में मेथी बहुतायत नजर आने लगती है। सब्जी से लेकर पराठे तक में इसका प्रयोग किया जाता है। जहां यह खाने में स्वादिष्ट है, वहीं आयुर्वेद के नजरिए से भी इसके कई फायदे हैं। भारत में सदियों से इसके पत्ते और दानों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसका पौधा दो-तीन फुट लंबा होता है और इसकी फली में छोटे-छोटे पीले-भूरे रंग के सुगंधित दाने होते हैं। भूमध्य क्षेत्र, दक्षिण यूरोप और पश्चिम एशिया में इसकी खेती बहुतायत में होती है। विनय आयुर्वेदा के इस लेख में हम मेथी के फायदों  के बारे में ही बताएंगे। साथ ही मेथी से नुकसान के बारे में भी जानकारी देंगे भारत में क्षेत्रवार के अनुसार मेथी को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। जहां हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली और पंजाबी में इसे मेथी कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसका नाम मेथिका है। कन्नड़ में इसे मेन्तिया, तेलुगु में मेंतुलु, तमिल में वेंडयम, मलयालम में वेन्तियम, अंग्रेजी में फेनुग्रीक और लेटिन में त्रायिगोनेल्ला फोएनम ग्रीकम के नाम से जाना जाता है।
 सेहत, त्वचा और बालों के लिए मेथी के फायदे

1. डायबिटीज :

शुगर के मरीजों को अक्सर अपनी डाइट में मेथी के दाने शामिल करने के लिए कहा जाता है। इसके सेवन से शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। टाइप-2 डायबिटीज के लिए मेथी के दाने किस तरह से फायदेमंद है, इस पर वैज्ञानिकों ने कई शोध किए, जिसके सकारात्मक प्रभाव नजर आए । शोध में पाया गया कि मेथी के दाने में घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन की क्रिया को धीरे कर देता है। यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन और अवशोषण की दर को कम कर देता है। मेथी के दाने रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करते हैं।

2. कोलेस्ट्रॉल : शोध के अनुसार मेथी के दानों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता है। खासकर, यह एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को शरीर से खत्म करने में कारगर है। मेथी के दानों में नारिंगेनिन नामक फ्लेवोनोइड होता है। यह रक्त में लिपिड के स्तर को कम कर सकने में सक्षम होता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिस कारण मरीज का उच्च कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है 

3. आर्थराइटिस का दर्द :उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों में सूजन आने लगती है, जिस कारण असहनीय दर्द होता है। इसे जोड़ों का दर्द या फिर आर्थराइटिस कहा जाता है। इससे निपटने के लिए मेथी रामबाण नुस्खा है, जिसे सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है।मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुणकारी तत्व जोड़ों की सूजन को कम करके आर्थराइटिस के दर्द से राहत दिलाते हैं। मेथी में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए, मेथी के सेवन से हड्डियों व जोड़ों को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और स्वस्थ व मजबूत रहते हैं  मेथी के दानों में पेट्रोलियम ईथर एक्सट्रैक्ट नामक यौगिक भी पाया जाता है। साथ ही लिनोलिक व लिनोलेनिक एसिड भी होता है। इसलिए, मेथी दाने के फायदे (methi dana ke fayde) जोड़ों व हड्डियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिला सकते हैं।

4. ह्रदय के लिए :

ह्रदय बेहतर तरीके से काम कर सके, उसके लिए मेथी के सेवन की सलाह दी जाती है। जो लोग नियमित रूप से मेथी का सेवन करते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम होती है और अगर दौरा पड़ भी जाए, तो जानलेवा स्थिति से बचा जा सकता है। विभिन्न शोधों में पाया गया है मृत्यु दर के पीछे दिल का दौरा एक प्रमुख कारण होता है। यह तब होता है, जब ह्रदय की धमनियों में रुकावट आ जाती है। वहीं, मेथी के दाने इस स्थिति से बचाने में सक्षम होते हैं। अगर दिल का दौरा पड़ भी जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव को पैदा होने से रोकते हैं। ह्रदयाघात के दौरान ऑक्सीडेटिव तनाव की स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। साथ ही मेथी के बीच शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित रखते हैं, जिस कारण धमनियों में किसी भी प्रकार की रुकावट पैदा नहीं होती ।

5. मासिक धर्म में फायदेमंद :हर महिला को मासिक धर्म के दौरान असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। मेथी के दाने इससे राहत दिलाने में कारगर काम करते हैं। साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी राहत दिलाते हैं।मेथी के दानों में एंटीइंफ्लेमेटरी व एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि मेथी के ये गुणकारी तत्व मासिक धर्म में होने वाली हर तरह की पीड़ा से राहत दिला सकते हैं । इतना ही नहीं, मेथी के दानों से बना पाउडर भी दर्द को कम कर सकता है और थकावट, सिरदर्द व जी-मिचलाना जैसी समस्याओं को कम करता है। मेथी में सेपोनिन्स व डायोसजेनिन तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। ये मासिक धर्म के समय महिलाओं को होने वाले पेट दर्द से राहत दिलाते हैं।

6. पाचन तंत्र :आजकल हमारा खान-पान जिस तरह को हो गया है, उसके चलते हमारा पाचन तंत्र लगातार खराब हो रहा है। साथ ही पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो जाती हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन करना बेहतर उपाय है।बदहजमी, कब्ज, एसिडिटी और गैस जैसी समस्याओं को मेथी के सेवन से दूर किया जा सकता है। कब्ज और अल्सर के कारण खराब हुए पाचन तंत्र को ठीक करने में मेथी कारगर घरेलू नुस्खा है। मेथी के दानों में अत्यधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिस कारण यह भोजन को पचाकर पाचन तंत्र को बेहतर करता है। साथ ही यह प्राकृतिक ल्यूब्रिकेंट है, जो पेट व आंतों को चिकना व आरामदायक बना कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करता है । इसके सेवन से मल सामान्य होकर आसानी से शरीर से बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दाने एपेंडिक्स के दौरान पेट में जमा हुई गंदगी को भी साफ करने का काम करते हैं। इस प्रकार मेथी दाने के फायदे  पेट की बीमारियों से राहत दिलाते हैं।

7. कैंसरकई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दानों से निकला तेल कैंसर से लड़ने में सहायक होता है।

कैंसर पर किए गए कई अध्ययनों से खुलासा हुआ है कि मेथी में कैंसर से निपटने की क्षमता होती है। मेथी के दाने से निकले तेल में एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल के प्रभाव को कम कर सकते हैं। मेथी के अर्क का सेवन करने से प्रतिरक्षा तंत्र पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है ।

8. बढ़ता है स्तन-दूधस्तनपान करा रहीं महिलाओं को मेथी का सेवन जरूर करना चाहिए, इससे स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ती है। एशिया में शिशुओं को स्तनपान कराने वाली कई माताएं इसका प्रयोग करती हैं। मेथी प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती है। इसे फाइटोएस्ट्रोजन का प्रमुख स्रोत माना गया है। यह स्तपान कराने वाली माताओं में दूध के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है । मेथी के दाने की चाय पीने से भी स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ सकती है। माना जाता है कि मेथी में मैग्नीशियम और जरूरी विटामिन्स होते हैं, जो माताओं में दूध की गुणवत्ता को बढ़ा देते हैं। इसलिए, यह दूध पीने से नन्हे शिशु को भी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और उसका वजन अच्छा होता है

9. वजन नियंत्रणअगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो मेथी आपकी मदद कर सकती है। इसे आप अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।मेथी के दाने शरीर में फैट को जमा नहीं होने देते। साथ ही ये लिपिड और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के स्तर में सुधार लाते हैं, जिससे वजन कम होने लगता है

10. रक्तचाप में सुधार :उच्च रक्तचाप कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। रक्तचाप अधिक होने पर ह्रदय रोग हो सकते हैं। इससे निपटने के लिए मेथी का सेवन किया जा सकता है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11.  किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।  मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं । अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

12. लिवर : शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से काम करते रहें, उसके लिए जरूरी है कि लिवर स्वस्थ रहे। लिवर शरीर से सभी विषैले जीवाणुओं को बाहर निकालने का काम करता है। अगर लिवर खराब हो जाए, तो सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लिवर पर सबसे बुरा असर शराब पीने से होता है। शराब पीने से लिवर की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि मेथी के दाने लिवर को शराब के बुरे प्रभाव से बचाते हैं।शराब हर लिहाज से सेहत के लिए खराब है। अगर आप चाहते हैं कि लिवर अच्छी तरह काम करे, तो शराब से तौबा करना ही बेहतर है। वहीं, जिनका लिवर शराब पीने से प्रभावित हुआ है, उनके लिए मेथी के दाने कारगर साबित हो सकते हैं । मेथी के दाने में पॉलीफेनोलिक तत्व होता है, जो लिवर को नष्ट होने से बचाता है। लिवर के लिए मेथी दाने के फायदे  कारगर इलाज हैं।अब जान लेते हैं कि त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।उच्च रक्तचाप का एक मुख्य कारण सोडियम है। जब डाइट में इसकी मात्रा बढ़ती है, तो रक्तचाप अधिक हो जाता है। इसलिए, मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक चम्मच मेथी के दाने में सिर्फ सात मिलीग्राम सोडियम होता है। वहीं, इसके मुकाबले ¼ चम्मच नमक में 581 मिलीग्राम सोडियम होता है। साथ ही मेथी के दानों में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं 

11. बेहतर किडनी :कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात का दवा किया गया है कि किडनी के लिए मेथी फायदेमंद है। मेथी को अपने भोजन में शामिल करने से किडनियां अच्छी तरह काम कर पाती हैं।

मेथी के दानों में पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड पाया जाता है, जो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। साथ ही यह किडनी के आसपास एक रक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे इसके सेल नष्ट होने से बच जाते हैं (13)। अगर शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर कम हो जाए, तो ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव बढ़ जाता है, जो किडनी पर असर डालता है। इस कारण से भी मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मेथी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है।

 त्वचा के लिए मेथी किस प्रकार से फायदेमंद है।

12. कील-मुंहासे :जिन्हें अक्सर कील-मुंहासों की शिकायत रहती है, उन्हें मेथी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। मुंहासों को खत्म करने में मेथी मददगार साबित हो सकती है।

प्रयोग की विधि - मेथी के दाने रातभर के लिए पानी में भिगाकर रखें।अगले दिन इन्हें पानी में डाल दें और धीमी आंच पर 15 मिनट उबलने दें।इसके बाद पानी को छान लें और सामान्य होने दें।अब सूती कपड़े को इस पानी में भिगोकर दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं। अगर पानी बच जाए, तो उसे फ्रिज में रख सकते हैं।मेथी के दानों में डायोसजेनिन जैसे जरूरी तत्व होते हैं, जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इस कारण से मेथी मुंहासों को जड़ से खत्म कर सकती है ।

13. एंटी एजिंग :समय के साथ-साथ चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर साफ नजर आने लगता है। ऐसे में मेथी का प्रयोग फायेदमंद हो सकता है। यह त्वचा के लिए गुणकारी औषधि है।

शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव के कारण ही चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर नजर आता है। मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो इन फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर देते हैं । वहीं, योगर्ट में लैक्टिक एसिड होता है, जो मृत त्वचा को हटाने का काम करता है। साथ ही त्वचा को मखमली व मुलायम बनाता है ।

14. स्किन मॉइस्चराइजर :अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा पर मॉइस्चराइजर कायम रहे, तो मेथी के दाने अच्छा विकल्प हो सकते हैं। मेथी के दाने स्किन को मॉइस्चराइज करने के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्व भी देते हैं।

प्रयोग की विधि -पाउडर को पानी में मिक्स कर लें, ताकि पेस्ट बन जाए।अब रूई की मदद से इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं।करीब आधे घंटे बाद पानी से चेहरा धो लें।मेथी के दाने चेहरे को धब्बेदार व रूखा होने से बचाते हैं। अगर आप इस विधि से मेथी पाउडर का प्रयोग करते हैं, तो चेहरे का मॉइस्चराइज कहीं नहीं जाएगा

बालों के लिए मेथी के फायदे – 

15. झड़ते बाल :

बालों को जड़ों से मजबूत बनाने के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही यह बालों के रोम छिद्रों से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करती है
प्रयोग की विधि- मेथी के दानों और नारियल तेल को एक जार में डाल दें। अब इस जार को बंद करके किसी ठंडी जगह पर तीन हफ्ते के लिए रख दें। ध्यान रहे कि जार पर सूरज की रोशनी न पड़े।तीन हफ्ते बाद तेल को छान लें और इससे सिर की मालिश करें।
मेथी के दानों में ऐसे हार्मोंस होते हैं, जो बालों को बढ़ने में मदद करते हैं । मेथी के दाने प्रोटीन और निकोटीन एसिड के प्रमुख स्रोत हैं, जो बालों को जड़ों से मजबूत कर उन्हें झड़ने से रोकते हैं।

16. डैंड्रफ :डैंड्रफ होना एक आम समस्या और यह किसी को भी हो सकता है। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में होती है। इस समस्या के लिए मेथी का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।अगली सुबह मेथी के दानों को पीसकर पेस्ट बना लें।इस पेस्ट में नींबू और नारियल का दूध मिला दें।फिर इस पेस्ट को बालों की जड़ों पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें।इसके बाद बालों की अच्छी तरह मालिश करें और फिर बालों को शैंपू से धो दें।डैंड्रफ मुख्य रूप से सूखे व संक्रमण युक्त स्कैल्प पर होता है। ऐसे में मेथी के दाने इसे ठीक करने में मदद करते हैं 

17. चमकदार बाल :

बालों में चमक बरकरार रखने के लिए मेथी से बने हेयर मास्क का प्रयोग करना चाहिए।मेथी के दानों को गर्म पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें।अगली सुबह इन्हें ग्राइंड करके पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को स्कैल्प व बालों की जड़ों पर लगाएं और फिर पूरे बालों पर लगाएं।इसके करीब 30 मिनट बाद बालों को शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में लेसिथिन और इम्पलस्फाई पदार्थ होते हैं, जो बालों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं । जब इन दानों को पानी में भिगोया जाता है, तो इसमें चिकनापन आ जाता है, जो बालों में चमक लाने का कारण बनता है।

18. समय पूर्व सफेद बालों से बचाव :कई लोगों के बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं। उन्हें इससे राहत पाने के लिए मेथी का प्रयोग करना चाहिए।

प्रयोग की विधि- मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह इसे करी पत्ता के साथ ग्राइंड कर लें। अगर पानी की जरूर पड़े, तो उसे डालकर पेस्ट बना लें।करीब आधे घंटे बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें।मेथी के दानों में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जिस कारण यह बालों को असमय सफेद होने से बचाता है। साथ ही मेथी के दाने बालों में पिगमेंट के स्तर को कायम रखते हैं ।अब हम जानेंगे कि मेथी में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं और उनकी मात्रा कितनी होती है।

मेथी के पौष्टिक तत्व –

प्रति 100 ग्राम मेथी के दानों में पोषक तत्व
पोषक तत्वमात्राप्रतिशत (%)
ऊर्जा323 कैलोरी16
कार्बोहाइड्रेट58.35g45
प्रोटीन23g41
फैट6.41g21
कोलेस्ट्रॉल0mg0
डाइटरी फाइबर24.6g65
विटामिन्स
फोलेट57mcg14
नियासिन1.640mg7
पायरीडॉक्सीन0.600mg46
रिबोफ्लेविन0.366mg28
थायमिन0.322mg27
विटामिन-ए60iu2
विटामिन-सी3mg5
इलेक्ट्रोलाइट्स
सोडियम67mg4.5
पोटैशियम770mg16
मिनरल्स
कैल्शियम176mg18
कॉपर1.110mg123
आयरन33.53mg419
मैग्नीशियम191mg48
मैंगनीज1.228mg53
फास्फोरस296mg42
सेलेनियम6.3mcg11
जिंक2.50mg23
मेथी का उपयोग – 
Pinit
आयुर्वेद में कहा गया है कि मेथी के दानों की तासीर गर्म होती है। इसका सीधे सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। इसलिए, मेथी के दानों को कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखना चाहिए, ताकि उसकी गर्माहट कम हो जाए। इसके बाद मेथी के दानों को प्रयोग में लाना चाहिए।
  • मेथी के दानों को एक-दो मिनट के लिए मध्यम आंच पर भून लें और फिर इसे सब्जी या फिर सलाद के ऊपर डाल दें। इससे न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे।
  • एक चम्मच मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह एक गिलास पानी के साथ इनका सेवन करें। जिस पानी में मेथी के दानों को भिगोया था, आप सुबह खाली पेट उसका भी सेवन कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • मेथी के दानों को रातभर पानी में भिगोकर रखने के बाद एक कपड़े में बांधकर रख दें। कुछ दिन ऐसे ही रखने के बाद मेथी के दाने अंकुरित हो जाएंगे। अब आप इसे सलाद में मिलाकर सेवन कर सकते हैं। मेथी का इस तरह से सेवन करना सेहत के फायदेमंद है।
  • सर्दियों में लगभग हर घर में मेथी के पराठे और रोटियां बनाई जाती हैं। मेथी का इस प्रकार से सेवन करने से भी शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
  • बुखार होने पर मेथी दाने की हर्बल चाय पीने से फायदा होता है। पानी में मेथी के दाने डालकर उसे उबालें। स्वाद के लिए इसमें नींबू और शहद मिला सकते हैं।
  • मेथी दाने से बना तेल भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इससे कई प्रकार की औषधियों का निर्माण होता है।
  • मेथी के दाने कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। कब्ज के रोगी को रोज सुबह-शाम एक चम्मच मेथी दाने का सेवन करना चाहिए।
अब लेख के अंतिम भाग हम जानेंगे कि मेथी खाना किस प्रकार नुकसान हो सकता है।

मेथी के नुकसान – 

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इसमें कोई दो राय नहीं कि मेथी के दाने सेहत के लिए लाजवाब हैं। इसे अपने भोजन में शामिल करने से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन इतने फायदों के साथ-साथ इसके नुकसान भी हैं। कुछ मामलों में इसके सेवन से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मेथी से नुकसान के बारे में यहां हम विस्तार से बता रहे हैं।
  1. डायबिटीज : बेशक डायबिटीज के मरीजाें को मेथी का सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से परेशानी भी हो सकती है। मेथी को जरूर से ज्यादा लेने पर रक्त में शुगर का स्तर प्रभावित हो सकता है।
  2. शरीर व मूत्र से दुर्गंध : अमूमन बैक्टीरिया या फिर किसी संक्रमण के कारण शरीर से बदबू आने लगती है, लेकिन कुछ मामलों में मेथी भी इसका कारण बन सकती है। अधिक मात्रा में मेथी का सेवन करने से शरीर व मूत्र से दुर्गंध आने लगती है।
  3. दस्त : हालांकि, पाचन तंत्र के लिए मेथी के दाने अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार यह दस्त का कारण भी बन जाते हैं। जरूर से ज्यादा मेथी खाने से पेट खराब हो सकता है और दस्त लग जाते हैं। अगर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसे खाने से पेट खराब होता है, तो उससे शिशु को भी दस्त लग सकते हैं। इसलिए, ऐसे कोई लक्षण नजर आते ही इसका सेवन बंद कर दें।
  4. हाइपोग्लाइसीमिया : मेथी के दानों के सेवन से कुछ माताओं को हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसमें रक्तचाप बेहद कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क तक ग्लूकोज की पर्याप्त रूप से आपूर्ति नहीं हो पाती है। इस स्थिति में मस्तिष्क को क्षति हो सकती है या फिर मृत्यु भी हो सकती है।
  5. गर्भाशय संकुचन : जैसा कि इस लेख में पहले बताया गया है कि मेथी दाने की तासीर गर्म होती है। अगर गर्भवती महिला इसका अधिक सेवन करती है, तो समय से पहले गर्भाशय संकुचन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मेथी के दानों में ऑक्सीटोसिन होता है, जो गर्भाशय संकुचन का कारण बनता है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं मेथी दाने का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
  6. एलर्जी : कुछ लोगों को मेथी दाने के सेवन से एलर्जी हो सकती है। यह एलर्जी चेहरे पर सूजन के तौर पर नजर आ सकती है। वहीं, कुछ को शरीर पर रैशेज हो सकते हैं, सांस फूलने जैसी समस्या हो सकती है और कुछ बेहोश तक हो जाते हैं। इसके अलावा, कई लोगों को मेथी के सेवन से छाती में दर्द जैसी शिकायत होने लगती है। यह तासीर में गर्म होती है, इसलिए कुछ लोगों को बवासीर, गैस व एसिडिटी तक की शिकायत हो जाती है। साथ ही अगर कोई किसी बीमारी के लिए दवा खा रहा है, तो वो मेथी के दानों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।
  7. बच्चों के लिए हानिकारक : बच्चों के लिए मेथी दाने को सुरक्षित नहीं माना गया है। यह तो हम पहले ही बता चुके हैं कि इसे खाने से दस्त लग सकते हैं। वहीं, इसकी हर्बल चाय पीना भी बच्चों के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि इससे उनकी मस्तिष्क की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसलिए, बेहतर यही है कि मेथी के सप्लीमेंट्स बच्चों को न दें। अगर देना ही चाहते हैं, तो सब्जियों में डालकर दे सकते हैं।
  8. पुरुषों के लिए : जो पुरुष अस्था से पीड़ित हैं, उन्हें मेथी का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस अवस्था में मेथी खाने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वहीं, जिन्हें थायराइड है, उन्हें भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए। थायराइड से ग्रस्त ऐसे कई पुरुषों के केस सामने आए हैं, जिन्होंने मेथी का सेवन किया था और उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
बेशक मेथी के दाने दिखने में छोटे-से होते हैं, लेकिन इसके फायदे अनेक हैं, जिनके बारे में आप इस लेख के जरिए जान ही चुके हैं। साथ ही मेथी से नुकसान भी हो सकता है, उसकी जानकारी भी आपको यहां मिल चुकी हैं। इसलिए, अब देरी किए बिना मेथी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ध्यान रहे कि इन्हें सीमित और नियमित रूप से खाएं और अच्छी सेहत को प्राप्त करें। इस पोस्ट को शेयर करे आप भी स्वस्थ रहे मित्रो को भी स्वस्थ बनाए