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Wednesday 24 July 2019

सफेद मिर्च – गठिया मधुमेह से लेकर कैंसर तक दूर करती है

सफेद मिर्च उतनी प्रचलन में नहीं है जितनी कि काली मिर्च, लेकिन सफेद मिर्च के फायदे जाने विनय आयुर्वेदा से  जानकर आप इसका इस्‍तेमाल करना जरूर शुरू कर देंगे ।

खाना बनाने में हम ज्‍यादातर काली मिर्च का ही इस्‍तेमाल करते हैं । ये खाने के स्‍वाद को भी बढ़ाती है और खाने को खास खुशबू भी देती है । लेकिन क्‍या आपने सफेद मिर्च के बारे में सुना है, क्‍या आप जानते हैं ये दिखने में कैसी होती है या फिर स्‍वाद में कैसी होती है । और सबसे जरूरी बात ये कि क्‍या इसके भी फायदे हैं जो सेहत को लाभ पहुंचाते हैं । जी हां , हम बात कर रहे हैं सफेद मिर्च या दखनी मिर्च की, जो काली मिर्च जितनी प्रचलन में नहीं है लेकिन इसके फायदे बेजोड़ हैं । आपने अक्सर खाना बनाने के लिए काली मिर्च का प्रयोग किया होगा। काली मिर्च हमारी स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होती है। पर क्या आपको पता है कि काली मिर्च से भी ज्यादा सफेद मिर्च हमारी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। सफेद मिर्च में भरपूर मात्रा में फ्लेवोनोइड, विटामिन व एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण मौजूद होते हैं। इसके प्रयोग से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।  गर्भवस्था और स्तनपान के समय महिलाओं सफेद मिर्च खाने से बचना चाहिए।. इसके अलावा ज्यादा मात्रा में सफेद मिर्च खाने से बचना चाहिए।

सफेद मिर्च के गुण – सफेद मिर्च या दखनी मिर्च दिखने में ऑफ वाइट कलर की होती है । इसके बीज गोल होते हैं जो बाहर से खुरदुरे होते हैं ।  ये फ्लेवोनोइड, विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है । इस मिर्च का प्रयोग प्राचीन समय से औषधियों के निर्माण में हो रहा है । लेकिन एक बात का ख्‍याल अवश्‍य रखें दखनी मिर्च की तासीर बहुत गर्म होती है, बच्‍चों या बुजुर्गों को देने से पहले इसकी परख जरूर कर लें ।

गठिया को कहें हमेशा के लिए अलविदा- उम्र ढलने के साथ हड्डियों की परेशानी होना आम बात है । लेकिन आजकल बच्‍चों, युवाओं, अधेड़ उम्र के लोगों में भी गठिया, बाय की समस्‍या होने लगी है । जोड़ों में दर्द तो जैसे आम समस्‍या हो गई है । आपकी इस समस्‍या का समाधान है सफेद मिर्च । सफेद मिर्च में मौजूद फ्लेवोनोइड और कैप्सैसिइन मांसपेशियों में सूजन के साथ गठिया ओर जोड़ों में दर्द को भी दूर कर देते हैं । इसका सेवन करना लाभदायक है 

सर्दी-खांसी – सफेद मिर्च का रोजाना सेवन आपको मौसमी बीमारियों से बचाता है । खासकर सर्दियों और बरसात के मोसम में ये आपको वायरस के अटैक से सुरक्षित रखता है । सफेद मिर्च में मौजूद एंटी बायटिक गुण शरीर को गर्म रखते हैं और सर्दी लगने से बचाते हैं । इसका सेवन करना बेहद आसान है । कच्चे शहद के साथ सफेद मिर्च को मिलाएं और हल्‍का गुनगुना कर इसका सेवन करें । ये आपको सर्दी, खांसी, कफ, जुकाम और बुखार से आपको बचाएगी ।

कैंसर से बचाव-  कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भला सफेद मिर्च आपको कैसे बचाएगी, या कोई भी घरेलु नुस्‍खा इसमें कैसे काम आता है । आपके मन में ये सवाल जरूर उठता होगा । दरअसल जो भी फल, सब्‍जी या मसाला कैंसर से बचाव में काम आता है उसमें एंटी कैंसर गुण होते हैं । जिनका सेवन नियमित रूप से करने पर आपकी बॉडी में कैंसर कोशिकाएं उत्‍पन्‍न ही नहीं होने देते । दखनी मिर्च भी कैंसर से आपका बचाव करती है ।

पाचन तंत्र – सफेद मिर्च आपके डायजेस्टिव सिस्‍टम को दुरुस्‍त रखती है, इसका इस्‍तेमाल करने से पाचन संबंधी कई परेशानियां दूर हो जाती हैं । सफेद मिर्च में मौजूद हाइड्रोक्‍लोरिक एसिड आपके पाचन तंत्र में जाकर उसे फिट रखता है और आपको एसिडिटी,अपच, गैस, अल्सर और पेट में इंफेक्शन जैसी समस्‍याएं नहीं होती हैं । सफेद मिर्च का प्रयोग रोजाना करने से आपको उसके लाभ मिलते हैं ।

हार्ट प्रॉब्‍लम्‍सदिल के लिए सफेद मिर्च बहुत सेहतमंद मानी जाती है । सफेद मिर्च को खाने से बॉडी के टॉथ्‍क्‍सक एलीमेंट्स पेशाब द्वारा शरीर से बाहर चले जाते हैं । शरीर एकदम साफ रहता है । जिसका फायदा हमारे दिल को मिलता है । दिल स्‍वस्‍थ रहता है और दिल के रोग होने के चांसेज काफी हद तक कम हो जाते हैं । सफेद मिर्च शरीर के अंदरूनी अंगों को बहुत फायदा पहुंचाती है । ये किडनी के लिए भी फायदेमंद है ।

डायबिटीजसफेद मिर्च का सबसे बेहतरीन फायदा है डायबिटीज को कंट्रोल करना । इसके रोजाना सेवन से आपका मधुमेह नियंत्रण में रहता है । मेथी के बीज, हल्दी और सफेद मिर्च पाउडर को एक साथ मिलाकर दूध के साथ रोजाना पीने से डायबिटीज कंट्रोल में रहती है । ये तो आप अच्‍छे से जानते हैं कि डायबिटीज एक बार हो जाए तो उसका जाना बहुत ही मुश्किल है । ऐसे में सफेद मिर्च उसे हमेशा कंट्रोल में रख सकती है ।

डैंड्रफ –  सर्दियों में रूसी की समस्‍या से सभी परेशान रहते हैं । खासतौर से महिलाएं । सफेद मिर्च आपकी इस प्रॉब्‍लम को जड़ से मिटा सकती है । सफेद मिर्च और दही को मिक्‍स करें अब इस मिश्रण से बालों की जड़ों को अच्‍छे से मसाज करें । खोपड़ी पर इस पेस्‍ट को लगे रहने दें । करीब आधे घंटे बाद इस पेस्‍ट को गुनगुने पानी से धो दें । हफ्ते में दो बार प्रयोग से ही आपको इसके नतीजे मिलने शुरू हो जाएंगे ।

Wednesday 5 June 2019

शरीर में कैसा भी जहर हो, काली जीरी निकाल फेंकेगी बाहर




काली जीरी एक छोटे आकार का, औषधीय गुणों से भरपूर पौधा होता है। काली जीरी स्वाद में तीखी और तेज होती है हमारे मन और मस्तिष्क को ज्यादा उत्तेजित करती है। चरक संहिता में स्पष्ट उल्लेख है कि शरीर में कैसा भी जहर हो काली जीरी उसको नष्ट करने की क्षमता रखती है। हालांकि यह सामान्य जीरे की ही तरह है, लेकिन इसका रंग काला होता है और यह आम जीरे से मोटा होता है।

          


खून की सफाई में कारगरयह औषधीय पौधा बहुत सी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। यह शुगर (डायबिटीज) पर नियंत्रण में उपयोगी है और आपके बालों की देखभाल और वृद्धि में लाभ पहुंचाता है। साथ ही चर्म रोगों में फायदेमंद है। यह आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह खून की सफाई में कारगर है और पेट के कीड़े नष्ट करता है। कुष्ठ रोगियों को भी इससे लाभ हुआ है। यूरिन संबंधी समस्याओं के निदान के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह गर्भाशय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, मेथी और अजवाइन के साथ लेने पर वजन घटाने में उपयोगी और जहरीले जीवों के काटने या डंक लगने पर इसका उपयोग लाभ देता है। काली जीरी का उपयोग गठिया, हड्डियां, आँखों की समस्याओं के निदान, और बालों के विकास आदि के लिए भी किया जा सकता है।
वजन घटाने के लिए भी है प्रभावीकाली जीरी में आपकी पाचन शक्ति बढ़ाने की क्षमता है। जिन लोगों को कब्ज या पेट वाली बीमारियाँ है वे इसमें दो अन्य औषधियां मिलाकर प्रयोग करें। इस मिश्रण को त्रियोग कहा जाता है। तीनों औषधियों में मैथीदाना, जमाण और काली जीरी का सही अनुपात होता है। यह तीनों चीजें आपको आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। वजन घटाने के लिए भी यह प्रभावी मानी जाती है। इसके लिए आप 20 ग्राम काली जीरी को 100 ग्राम मेथी और 40 ग्राम अजवाइन में मिलाएं, और सभी को हल्के से भून लें। इसके बाद इस मिश्रण को हवाबंद डिब्बे में रखें, ताकि ये हवा के संपर्क में लगातार न रहे। रोज सोने के पूर्व हल्के गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। यह महिलाओं के लिए वजन घटाने का एक विशेष उपाय है, इस पाउडर से पाचन में भी सुधार होता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहतरचरक संहिता में बताया गया है कि स्पष्ट है कि शरीर में कैसा भी जहर हो काली जीरी उसको नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसमें शरीर में मौजूद हर प्रकार के कीड़ों को नष्ट करने की भी मारक क्षमता है। ५ ग्राम काली जीरी लेकर उसको २०० ग्राम पानी में धीमी आंच पर उबालें। जब पानी की मात्रा घटकर १०० ग्राम बच जाए तो उसको थोड़ा ठंडा करके पी जाएँ। लेकिन याद रखें, ये बहुत कड़वा होता है। केवल ५-६ दिन तक पीना पर्याप्त होता है। इसकी तासीर गर्म होती है और सभी के लिए उपयोगी और उपयुक्त हो यह आवश्यक नहीं है। इसलिए इसके प्रयोग से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लेने की सावधानी अवश्य बरतें।

Wednesday 18 April 2018

डायबिटिज (मधुमेह Diabetes) - इससे आप परेशान न हो बस इन बातों का ध्यान रखे

डायबिटिज मधुमेह Diabetes - देश में जिन बिमारी ने ज्यादा लोगों को घेर रखा है, उसमें से एक मधुमेह है ।रक्त शर्करा (शुगर) का स्तर सामान्य से अधिक वृद्धि करने के कारण होने वाले बीमारी रोग है जिसे डॉक्टरी भाषा में hyperglycemia कहा जाता है। मधुमेह के लक्षण इतने धीरे धीरे प्रकट होते हैं कि साधारणत: रोगी का ध्यान उनकी तरफ नहीं जाता Normal Blood Glucose Level सामान्य रक्त शर्करा स्तर, 3.9 - 5.5 mmol/L(70 से 100 मिलीग्राम / डीएल) होना चाहिए। हालांकि, ब्लड शुगर लेवल दिन भर उतार चढ़ाव होता रहता। डायबिटिज के सबसे आम रूप - टाइप 2 मधुमेह,डायबिटिज है। टाइप 2 मधुमेह है, शरीर ठीक से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता। अदरक एक ऐसा कंद है,जिसमें डायबिटिज को काबू में रखने के अनेक गुण पाये जाते है । डायबिटिज में सबसे बडी परेशानी ये होती है कि कोशिकाएँ खाना पचने के बाद शरीर में बनने वाले शुगर को अवशोषित नहीं कर पाती । इसकी वजह से शरीर में इन्सुलिन की कमी हो जाती है । अदरक शरीर की कोशिकाओं को शुगर अवशोषित करने में मदद करता है । डायबिटीज के रोगियों को बडा खतरा आखों की रोशनी खोने का होता है । अदरक का अर्क न केवल मोतियाबिन्द रोकता है बल्कि इससे पीड़ित रोगी में ये रोग बढ़ने की गति को भी कम कर देता है । अदरक सेवन से आँखों की रोशनी भी बढ़ती है ।साथ मे विनय त्रिफला रस एलोवेरा युक्त सेवन करने मधुमेह मे फायदा के साथ आंखो की रोशनी भी तेज होती है ! मधुमेह के लिए विनय डाइबो रस का सेवन मधुमेह को नियंत्रित करता है ! 
मधुमेह रोगियो के मधुमेह आहार योजना---- 
मधुमेह को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कदम उठाते हुए अभाव का कष्‍ट सहने की जरूरत नहीं है। न ही आपको मिठाई को पूरी तरह छोड़ने की जरूरत है। बल्कि जीवन भर हेल्‍दी डाइट लेना महत्‍वपूर्ण है। फाइबर से उच्‍च और शुगर और फैट में कम और दिल के लिए स्‍वस्थ आहार मधुमेह प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण होता है। मधुमेह से पी‍ड़‍ित लोग स्‍वस्‍थ खान-पान और दैनिक आहार योजना बनाकर ब्‍लड शुगर के स्‍तर को नियंत्रित कर सकते हैं।
मधुमेह को नियंत्रण करने के लिए आपको कुछ उपायों पर अमल करना होगा। इसके लिए आपको अपने आहार को छोटे भागों में विभाजित करना होगा। नियमित रूप से अपने सभी आहार को लेने कोशिश करें। इसके अलावा अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट, मिनरल और फाइबर से परिपूर्ण खाने की कई आइटम को जोड़ने का प्रयास करें।
सुबह जल्दी : 6-7 बादाम / 1-2 अखरोट।
नाश्ते में आइटम : 1 कटोरी ओट्स/ दूध/ /मल्‍टीग्रेन ब्रेड/सब्जियां/दही/टोस्ट।
सुबह का नाश्ता : आप पपीता, नारियल और छाछ आदि सहित मौसमी फल जोड़ सकते हैं।
दोपहर के भोजन के मेनू: सलाद, सब्जियां, दाल, चपाती, दही, चावल, पनीर  आदि।
शाम का नाश्ता : फल और स्‍नैक्‍स जैसे ढोकला, इडली, भुना हुआ नमकीन और मुरमुरा आदि।
रात के खाने से पहले : मिक्स्ट सब्जियों का सूप।
रात का भोजन: चपाती, सब्जी, दाल, हरा सलाद।
मधुमेह होने पर चीनी को बिल्‍कुल नहीं लेना यह हम सभी के दिमाग में बैठा हुआ है। लेकिन अच्‍छी खबर यह है कि स्‍वस्‍थ आहार योजना को ठीक से लागू करने पर आप अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों का आनंद ले सकते हैं। मिठाई को सीमा से दूर रखने की जरूरत नहीं है जब तक यह एक स्वस्थ भोजन योजना का हिस्सा है या व्‍यायाम के साथ जुड़ा हुआ है। बहुत ज्यादा प्रोटीन, विशेष रूप से पशु प्रोटीन, खाना इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है। जो वास्‍तव में मधुमेह का एक महत्वपूर्ण कारक है। संतुलित आहार एक कुंजी है। एक स्‍वस्‍थ आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा शामिल होता है। हमारे शरीर को ठीक ढ़ंग से काम करने के लिए तीनों की जरूरत होती है। संतुलित आहार खाना सेहत की कुंजी होती है। सर्विंग का साइज और कार्बोहाइड्रेट का प्रकार विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता हैं। इसलिए होलग्रेन कार्बोहाइड्रेट पर ध्‍यान दें क्‍योंकि यह फाइबर का अच्छा स्रोत होता हैं। आसानी से पच जाता है और रक्त में शुगर के स्तर को सही रखता है। दूध कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का सही संयोजन होता है और यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।  दैनिक आहार में दूध के दो गिलास पीना एक अच्‍छा विकल्‍प है !अपने आहार में उच्‍च फाइबर सब्जियां जैसे मटर, सेम, ब्रोकोली, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा दालें भी एक स्वस्थ विकल्प हैं और इसे आपके आहार का हिस्सा होना चाहिए।फाइबर से भरपूर फल जैसे पपीता, सेब, संतरा, नाशपाती और अमरूद का सेवन भी करना चाहिए। आम, केले और अंगूर में शुगर की उच्‍च मात्रा होने के कारण इन फलों को सेवन कम करना चाहिए।कृत्रिम स्‍वीटनर मूल रूप से शुगर से मिलने वाली कैलोरी को कम करता है। इन गोलियों का सेवन एक दिन में 6 गोलियों से कम होना चाहिए क्‍योंकि ज्‍यादा लेने से इसके साइड इफेक्‍ट होने लगते है। हालांकि, संयम एक बेहतर तरीका से जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण होता है। मधुमेह नियंत्रित किया जा सकता है अगर डॉक्टर और रोगी संयोजन के साथ काम करें।यदि आप मोटे हैं, तो मधुमेह की रोकथाम वजन घटाने पर निर्भर हो सकती है। वजन का हर एक किलो कम करना आपके स्वास्थ्य में सुधार कर सकता हैं और आपके लिए आश्चर्यजनक हो सकता है। कम कार्बोहाइड्रेंट आहार और आहार योजना आपको वजन कम करने में मदद कर सकती हैं।हम में से ज्‍यादातर लोग विटामिन डी को महत्‍वपूर्ण नहीं समझते हैं। लेकिन यह मधुमेह से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसलिए विटामिन डी के स्तर की जांच की जानी चाहिए। कम विटामिन डी मधुमेह का कारण भी हो सकता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत धूप पड़ना है।मधुमेह रोगियों के लिए बिना तेल के खाना बनाना सीखना होगा। परिष्कृत उत्पाद ( चीनी, सफेद आटा, सफेद चावल, फलों का रस आदि) खाना बंद करना होगा। साथ ही प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने बंद करने होगें। इसके अलावा डेयरी उत्पाद खाने और पीने बंद करने होगें।
नोट - मधुमेह रोगी विनय त्रिफला रस व  विनय डाइबो रस  का सेवन कर 2 माह मे बेहतरीन रिजल्ट प्राप्त कर सकते है  !
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Wednesday 13 September 2017

मधुमेह के मरीज घास पर नंगे पांव चलें, स्वस्थ रहें

 मधुमेह के मरीज अगर अपनी जीवनशैली को संतुलित नहीं बनाए रखते हैं ! यह कहने की जरूरत नहीं है कि तो इससे उन्हें कई किस्म की समस्या हो सकती है। खुद को स्वस्थ बनाए रखने के लिए न सिर्फ उन्हें डाक्टरों के निर्देशानुसार नियमित दवा खानी होती है बल्कि रेगुलर वाक भी करना होता है। जी, हां! वाकिंग यानी चहलकदमी मधुमेह के मरीजों के लिए एक लाभकारी उपचार है। इसके अलावा विशेषज्ञों का दावा है कि यदि मधुमेह के मरीज नंगे पांव घास पर चलते हैं, तो इसके उन्हें असरकारक फायदे देखने को मिलते हैं। सही मायनों में घास में नंगे पांव चलना सामान्य और स्वस्थ लोगों के लिए चलना भी लाभकारी है।

 नंगे पांव घास पर चलने के फायदे

बैलेंस इंप्रूव होता है---सामान्यतः हम अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि बमुश्किल ही नंगे पांव चलते हैं। लेकिन शायद आप यह नहीं जानते हैं कि नंगे पांव चलने से हमारा बैलेंस बेहतर होता है। दरअसल घास पर नंगे पांव चलने से हमारा वस्टीबूलर सिस्टम बेहतर होता है, जिससे हमारा न्यूरल सर्किट्स रिमैप होता है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोग बैलेंस बना पाने में असमर्थ हो जाते हैं, ऐसे में अगर हम नंगे पांव चलें तो हमारा बैलेंस बेहतर होगा और उम्र का परछावा उसमें देखने को नहीं मिलता।

रक्त प्रवाह बेहतर होता है---डायबिटीज के मरीजों में अकसर पांव से जुड़ी समस्या देखने को मिलती है। लेकिन अगर वे नियमित घास पर नंगे पांव चलें तो इससे उनके पांव के तलवे का रक्त संचार बेहतर होगा। इससे चहलकदमी करने में सहजता भी महसूस होगी। असल में जैसा कि हम जानते हैं कि धरती में गुरुत्वाकर्षण क्षमता होती है जो कि हर चीज को अपनी ओर खींचती है। इसी सिद्धांत के तहत हमारा रक्त प्रवाह नीचे की ओर होता है, लेकिन चूंकि रक्त प्रवाह इस गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के उलट काम करने की कोशिश करता है, इससे हमारे सोल में रक्त प्रवाह बेहतर होने लगता है। यह स्थिति सामान्य लोगों और डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभकारी है।

हृदय संबंधी बीमारी में कमी---मधुमेह के मरीज किस कदर हृदय संबंधी बीमारी की चपेट में आने के खतरों से घिरे रहते हैं, यह बात जगजाहिर है। ऐसे में मधुमेह के मरीजों के चहलकदमी जीवनदायिनी की तरह होती है। चहलकदमी करने से हमारे पूरे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे शरीर में रक्त के थक्के जमने की आशंका में कमी आती है। इसी का नतीजा है कि हृदय संबंधी बीमारियों में भी कमतरी होती है।

हड्डियां और मसल्स मजबूत होते हैं---नंगे पांव घास पर चलने से विनस रिटर्न में वृद्धि होती है, जिससे हमारी हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं। इसके अलावा नियमित चहलकदमी करने से मसल्स फ्लेक्सिबल होती है। वाकिंग का असर सिर्फ पांव के मसल्स पर ही देखने को नहीं मिलता बल्कि पीठ और शरीर के पिछली हिस्से की हड्डियों में भी इसका असर साफ दिखता है। इससे हड्डियों में कैल्शियम में इजाफा होता है और सूरज की किरणों से हमें प्रत्यक्ष रूप में विटामिन डी भी मिलता है।

पांव से जुड़ी समस्या कम होती है-- हम ज्यादातर समय पांव में जूते ही पहने होते हैं, नतीजतन पंाव में कई किस्म की समस्या होने लगती है। कुछ लोगों में पांव सूजन, जलन, छिलना जैसी कई बीमारी हो जाती है। ऐसे में जब हम बिना जूतों के घास पर नंगे पांव चलते हैं तो इससे हमारे पांव को काफी आराम मिलता है। ठीक इसी तरह डायबिटीज मरीजों को भी अगर हल्की फुल्की पांव से जुड़ी कोई समस्या है तो उसका समाधान हो सकता है। हालंाकि डायबिटीज के मरीजों को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर उन्हें पांव से जुड़ी कोई परेशानी है तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।

रक्त चाप संतुलित करता है-- मौजूदा समय में हमारी ऐसी लाइफस्टाइल हो चुकी है कि ज्यादातर लोग रक्तचाप से पीड़ित हैं। लेकिन अगर आप नियमित घास पर नंगे पांव चहलकदमी करते हैं तो इससे आपको रक्तचाव संतुलित होता है। नतीजतन आप स्ट्रोक, किडनी फेलियर जैसी बीमारी के खतरों से भी बाहर हो जाते हैं। डायबिटीज के मरीजों को भी यह लाभ पहुंचाता है क्योंकि इससे उनकी जीवनशैली काफी हद तक संतुलित हो जाती है !

Thursday 31 August 2017

मधुमेह (डायबिटीज़) ओर कारण ओर घरेलू उपचार

खून में चीनी (बल्ड शुगर) को नियंत्रण न कर पाने के बीमारी को “डायबिटीज़” कहते हैं। डायबिटीज़ की बीमारी एक खतरनाक रोग है। यह बीमारी में हमारे शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण होती है।रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं। धमनियों में बदलाव होते हैं। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज़ होने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। पेट फिर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रहता है। ग्लूकोज रक्त धारा में जाता है। किन्तु अधिकांश ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा पाते जिसके कारण इस प्रकार हैं
:
  • इंसुलिन की मात्रा कम हो सकती है।
  • इंसुलिन की मात्रा अपर्याप्त हो सकती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है।
  • पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है।
  • यह रोग, खून के जांच से पता चलता है।
डायबिटीज़ के कारण
  • खून में चीनी (बल्ड शुगर) को सामान्य स्तर में नियंत्रित होना आवश्यक है। इसके लिये शरीर में अनेक अंग और होरमोंस मिलकर काम करते हैं। अगर आपका शरीर यह नियंत्रण के शक्ति खो देता है, तो आपको “डायबिटीज़” हो जाता है।
  • आधिकांश समय (90%) यह गर्भ के शुरुआत में हो सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपको गर्भ के अंत में “डायबिटीज़” नहीं हो सकता है।
  • कुछ लोग को पहले से “डायबिटीज़” होता है, जिसके बारे में वो अवगत नहीं होते हैं। यह जब गर्भ के दौरान बढ़ जाता है, तो जांच के बाद पहचाना जाता है।
  • गर्भ के होरमोंस जैसे कि “प्रोजेस्टेरोन” और “प्लासेंटल लेक्टोजन”, शरीर में उत्तपन “इंसुलिन” के विपरीत काम करते हैं। यह आपको “डायबिटीज़” का अवस्था दे सकता है।
डायबिटीज़ की संभावना
  • गर्भ के अनेक समस्याओं में से “जेस्टेशनल डायबिटीज़” सबसे ज्यादा लोगों में होता है।
  • “जेस्टेशनल डायबिटीज़” करीब 20 में से 1 मां को हो सकता है।
  • भारतीय लोगों में “जेस्टेशनल डायबिटीज़” अधिक होता है।
  • अगर मां को उपर लिखे हुय कोई भी स्थिती है, तो उसका “जेस्टेशनल डायबिटीज़” होने का रिस्क और बढ़ जाता है।
  • गर्भ के दौरान अगर आपको “डायबिटीज़” हो जाता है, तब उसे “गर्भ में डायबिटीज़” या “जेस्टेशनल डायबिटीज़” कहते हैं। इसके लिये यह जरूरी नहीं है कि आपको उसके लिये इंसुलिन का दवा लेना पड़े या नहीं, या यह रोग गर्भ के बाद रहता है या नहीं।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए समस्या
    • प्रसव के दौरान, बड़ा बच्चा होने के कारण, आपरेशन (cesarean section) हो सकता है।
    • प्रसव के दौरान, बड़ा बच्चा होने के कारण, प्रसव पीड़ा हो सकता है
    • आगे जिंदगी में, “डायबिटीज़”, होने का संभावना बहुत अधिक होता है। करीब 2 में से 1 महिला को, जिसे “जेस्टेशनल डायबिटीज़” होता है, आगे जाकर “डायबिटीज़” हो सकता है।
    बच्चे को खतरा
    • सामन्य से अधिक, बड़ा बच्चा हो सकता है। इसे मेक्रोसोमिया (Macrosomia) कहते हैं।
    • अन्य लोगों के अनुपात में, जिन मां को “जेस्टेशनल डायबिटीज़” होता है, उनके बच्चे को मेक्रोसोमिया होने का 2 से 3 गुना अधिक संभावना होता है।
    • बड़ा बच्चा से प्रवस के कारण बच्चे के हाथ के नस को चोट (nerve damage) पहुंच सकता है, जो हाथ पर असर कर सकता है। यह ठीक होने में एक साल लग सकता है।
    • बड़ा बच्चा से प्रवस के कारण बच्चे के गर्दन का हड्डी टूट सकता है (clavicular fracture), जो हाथ पर असर कर सकता है। यह ठीक होने में दो महीना लग सकता है।
    • रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य से अधिक होने की स्थिति को मधुमेह का कारण बनती है। इस बीमारी का अभी तक कोई स्थाई इलाज सामने निकल कर नहीं आया है। इसलिए अगर आपको डायबीटीज को कंट्रोल करना है तो अच्छा पौष्टिक आहार के साथ-साथ आपको अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाना होगा। इस बीमारी को घरेलू इलाज से काफी हद तक कम किया जा सकता है। आइए जानते है मधुमेह को घरेलू इलाज से कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।


  • मधूमेह को ठीक करने के लिए घरेलू इलाज

    1.    करेला- डायबिटीज में करेला काफी फायदेमंद होता है, करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।

    2.    मेथी- मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्चित ही आपका ग्लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा, और आपको मधुमेह से राहत मिलेगी।

    3.    जामुन- जामुन का रस, पत्ती़ और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकता हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है।

    4.    आमला- एक चम्मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पीएं , यह मधुमेह की सबसे अच्छी दवा है।

    5.    आम की पत्ती - 15 ग्राम ताजे आम के पत्तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है।

    6.    शहद- कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्यू ट्रिएंट से भरपूर शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। शहद मधुमेह को कम करने में सहायता करता है।

    इसके सेवन से भी मिलता है आराम

    1.    एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर, तीनो का जूस निकालकर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह नियंत्रित होता है।

    2.    नीम के सात पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर या पीसकर पानी के साथ लेने से मधुमेह में आराम मिलता है।

    3.    सदाबहार के सात फूल खाली पेट पानी के साथ चबाकर पीने से मधुमेह में आराम मिलता है।

    4.    जामुन, गिलोय, कुटकी, नीम के पत्ते, चिरायता, कालमेघ, सूखा करेला, काली जीरी, मेथी इन सब को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लें, इससे मधुमेह में आराम मिलता है।

Wednesday 16 August 2017

used in diabetes and diseases related to urinary tract. Vasant Kusumakar Ras – Benefits, Dosage, Ingredients, Side Effects

Vasant Kusumakar Ras is an Ayurvedic medicine in tablet or powder form, used in treatment of diabetes, diseases related to urinary tract, memory loss etc. This medicine contains heavy metal ingredients, hence should only be taken under strict medical supervision.
Vasant Kusumakar Ras Uses:
  • It is an excellent rejuvenative and anti aging medicine.
  • It is used in the treatment of memory loss, diabetes and diseases related to urinary tract.
  • It improves memory, concentration, skin complexion, strength and immunity.
  • It is also widely used to treat polyurea (frequent urination problem).
  • It is indicated in cough, cardiac disorders, liver and kidney disorders.
Effect on Tridosha – Balances Vata, Pitta.
Vasant Kusumakar Rasa dosage:
125 – 25o mg once in the morning, before or after food or as directed by Ayurvedic doctor. It is traditionally administered along with honey, sugar or ghee.
Other Anupana – co-drinks:A cup of milk mixed with a teaspoon of unrefined sugar
Milk cream
Butter with unrefined sugar
How long to use: It can be used upto 1 – 2 months based on doctor’s prescription.
Vasant Kusumakar Ras side effects:
Self medication with this medicine may prove to be dangerous, since it contains heavy metal ingredient.
Take this medicine in precise dose and for limited period of time, as advised by doctor.
Over-dosage may cause sever poisonous effect.
It is best avoided in pregnancy, lactation and in children.
Keep out of reach and sight of children. Store in a dry cool place.
Vasant Kusumakar Rasa ingredients, how to make:
Hataka – Swarna Bhasma – Bhasma of Gold – 20 g
Chandra – Rajata Bhasma – Bhasma of Silver – 20 g
Vanga Bhasma – Tin Calx – 30 g
Ahi – Naga Bhasma – Lead Calx – 30 g
Loha Bhasma – Bhasma prepared from Iron – 30 g
Abhraka Bhasma – Purified and processed Mica – 40 g
Pravala Bhasma – Bhasma (Calx) of Coral – 40 g
Mukta Bhasma – Bhasma (Calx) of Pearl – 40 g
Quantity sufficient of following liquids for grinding
Godugdha – Cow milk
Juice extract or water decoction of
Ikshu – Sugarcanne – Saccharum officinarum
Vasa – Malabar nut tree (root / whole plant) – Adhatoda vasica
Laksha – Laccifer lacca
Udeechya – Andropogan vetiveria
Kadali – Banana tree – Musa paradisiaca
Shatapatra – Lotus – Nelumbium speciosum
Malati – Jasminum grandiflorum
Mrigamada – Musk
Fine powder ingredients are triturated with each liquid separately and dried.
Reference: Rasendra Sara Sangraha Rsayana Vajikaran Adhikara  80 – 85
Manufacturers: Dabur, Baidyanath, Shree Dhootapapeshwar Ltd.
General combinations of Basant Kusumakar ras:Do not use below information for self medication.
In case of Kshaya –
 depleted body tissues, it is admninstered along with black pepper and honey
Or, it is administered with ChaturjataAgaru and sandalwood powder.
In diabetes, it is administered along with turmeric or other anti-diabetic medicines such as Nishamalaki choornam
In Amlapitta – gastritis, hyper-acidity, it is administered along with medicines like Kamdugha ras, cow milk, shatavari choorna, sugar with honey.
call - 8460783401