अकेलापन बन सकता है मौत की वजह
अगर आप उन लोगों में से हैं जिनके पास ज्यादा दोस्त नहीं हैं या फिर उनमें से जिन्हें दूसरों से मेलजोल बढ़ाने में भी कोई खास रुचि नहीं है, तो आपके लिए बुरी खबर है। अकेलेपन से हार्ट अटैक का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। इसके अलावा समय से पहले मरने के संभावना भी 50 फीसदी तक बढ़ जाती है। जो लोग पहले से दिल के मरीज रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों की मौत अकेलेपन से ही हुई है। जो लोग अकेलेपन के शिकार होते हैं, उन्हें क्रॉनिक डिजीज का खतरा काफी ज्यादा होता है और ऐसे लोगों में डिप्रेशन का खतरा भी ज्यादा हो जाता है।
उन लोगों को मौत का खतरा ज्यादा होता है, जो समाज से कटकर अकेले रहते हैं या फिर कम लोगों से मेलजोल रखने के चलते पहले से ही कॉर्डियोवस्कुलर बीमारी से ग्रस्त होते हैं। दोस्तों और फैमिली के बीच रहकर आप इन बीमारियों से बच सकते हैं।
इसके अलावा भी हैं कई कारण
1.अकेलेपन के कारण डिप्रेशन का रिस्क बढ़ता है। अगर आप अकेलेपन के शिकार हैं और काफी उदास और डाउन महसूस कर रहे हैं तो तुरंत हम से संपर्क करें, ये खतरनाक साबित हो सकता है।
2.आप जब अकेले रहते हैं तो उस समय आने वाले भविष्य और करियर को लेकर काफी स्ट्रेस होता है, जो कि आपकी हेल्थ के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है।
3. अकेलेपन का असर आपकी डायट और फूड हैबिट पर भी पड़ता है, इस समय आप जंक फूड ज्यादा प्रिफर करते हैं और एक्सर्साइज भी नहीं करते। सेहत की दृष्टि से ये बहुत ही खराब है और इसका असर आपकी बॉडी पर दिखता है।
क्या करें?
1.अपने करीबी और खास दोस्तों के संपर्क में जरूर रहें। वैसे अकेलेपन में रिश्ता बनाए रखना भी काफी मुश्किल होता है, लेकिन आखिर में आपको फायदा भी इसी से होता है।
2.जब भी अकेला महसूस करें तो कहीं किसी के पास चले जाएं, इससे आप अकेलेपन से बच सकते हैं।
3.रिश्तों को सुधारने की कोशिश करें, ज्यादा से ज्यादा समय घरवालों और दोस्तों के बीच बिताएं।
एक बात हमेशा ध्यान में रखें कि इंसान शारिरिक और मानसिक रूप से समाज में रहने के लिए ही बना है, अकेले रहना हमारा गुण ही नहीं हैं। अगर आप अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं, इसका मतलब प्रकृति ने हमें जैसा बनाया है आप उसके खिलाफ जा रहे हैं।
लेखक - श्री मदन जी मोदी की वाल से
Monday 17 December 2018
अकेलापन बन सकता है मोत की वजह - श्री मदन जी मोदी
चिकित्सा जगत की सबसे पुरानी औषधि है आयुर्वेद
- स्मैक, चरस, गांजा जैसे नशीली पदार्थो से मुक्ति दिलाता है आयुर्वेद
- आयुर्वेद की औषधियां समय के अनुसार काम करती है
- सर्वप्रथम सर्जरी आयुर्वेद में ही शुरू हुई थी
- आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है आयुर्वेद द्वारा कठिन और पुरानी बिमारियों का इलाज संभव है आयुर्वेद की विशेषता यह है कि इसकी औषधियां दुष्प्रभाव और पश्चात प्रभाव नहीं करती सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी औषधियां रस रसायन जीतनी पुरानी होती है वो उतनी ही पावरफुल होती जाती है। जड़ी बूटियों पर आधारित आयुर्वेद की औषधियां समय के अनुसार काम करती है। बहुत से लोगों को भरम है कि आयुर्वेद मे सर्जरी नहीं होती लेकिन बता दें की सर्वप्रथम सर्जरी आयुर्वेद में ही शुरू हुई थी।प्रसिद्ध चिकित्सक सुशुत सर्जरी के जनक थे उन्होंने सबसे पहले सर्जरी की थी जैसे की लोगों का मानना है कि आयुर्वेद में इमरजेंसी नहीं होती यह भी लोगों का भ्रम है आयुर्वेद में भी इमरजेंसी की मेडिसिन है लेकिन आधुनिकता और भौतिक वादी समाज में लोगों एलोपैथ को अपना रहे है। महंगी दवाओं के साथ अपने शरीर को बर्बाद कर रहे है। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम और सुरक्षित पद्धति है जो सभी विमारियो को दूर भगाता है निदान के क्षेत्र में आयुर्वेद का नाड़ी बिज्ञान, का विश्व में कोई जबाब नहीं है।नाड़ी देख कर डायलिसिस तथा नेत्र वक्र बिकारतः निदान आयुर्बेद की विशेषता है जिस तरह देश से हिंदी, संस्कृत ,योग समाप्त हो गया उसी तरह आयुर्वेद भी समाप्त होता गया। दूसरा कारण सरकार की उपेक्षा का है भारतीय ज्ञान विज्ञान को हुए दृष्टि से देखा जाने लगा। आयुर्वेद का दुष्प्रचार होता गया जहां सरकार ने एलोपैथ पर 100 फीसद खर्च किया। वहीं आयुर्वेद पर 5 फीसद भी खर्च नहीं किया जो काफी सोचनीय विषय है जंगल में जैसे सुगन्धित फूल सबको आकर्षित करता है। उसी तरह आयुर्वेद का सुगंध भी लोगों को आकर्षित करेगा। आयुर्वेद में सभी नशा से मुक्ति के औषधि पायी जाती है। जिससे शराब, स्मैक, चरस, गांजा, भांग जैसे नशीली पदार्थो से मुक्ति दिलाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि नशा करने से सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, पारिवारिक, मन, बुद्धि सहित सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है।
निरोगी रहने के नियम अपनाए स्वस्थ रहे - विनय आयुर्वेदा
निरोगी रहने के नियम
- नित्यप्रति सूर्योदय से पूर्व सोकर उठें । रात्रि में अधिक देर तक जागें नहीं । ऐसा करने से मस्तिष्क अतिरिक्त उर्जा मिलती है और रक्त संचार का संतुलन बना रहता है जिससे ब्लड प्रेशर इत्यादि की बीमारियों को कम करने में सहायता मिलती है और अनिद्रा रोग में भी लाभ मिलता है.
- प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करें । तैरने से अच्छा व्यायाम हो जाता है । सप्ताह में कम से कम एक बार पूरे शरीर की 30 मिनट तक मालिश करें ।
- सुबह शाम टहलना लाभदायक है । नियमित रुप से टहलने से संपूर्ण शरीर में चुस्ती फुर्ती आती है, धमनियों में रक्त के थक्के नहीं बनते है । हृदय रोग , मधुमेह और ब्लड प्रेशर में लाभ पहुंचता है ।
- धूप, ताजी हवा, साफ स्वच्छ पानी और सदा सात्विक भोजन स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है ।
- नित्य योगासन व प्राणायाम करने से रोग नहीं होते और दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।
- स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है, इसलिये शरीर को स्वस्थ रखें । सदाचारी, निरोगी व्यक्ति सदा सुखी रहता है ।
- तेज रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है । यदि धूप इत्यादि में कार्य करना मजबूरी हो तो फोटोक्रोमेटिक चश्मे का प्रयोग करे.
- स्नान करते समय सिर पर जल डालना चाहिए, उसके बाद अंगो पर । जल न तो अति शीतल हो और न बहुत गर्म । स्नान के बाद किसी मोटे तौलिए से अच्छी तरह रगड़ कर पोछना चाहिए ।
- भोजन न करने से तथा अधिक भोजन करने से पाचकाग्नि दीप्त नही होती। भोजन के अयोग, हींन योग , मिथ्यायोग और अतियोग से भी पाचकाग्नि दीप्त नहीं होती है ।
- भोजन के बाद दांतो को अच्छी तरह साफ करें, अन्यथा अन्य कणों के दांतों में लगे रहने से उसमें सड़न पैदा होगी ।
- खूब गरम गरम खाने से दांत तथा पाचन शक्ति दोनों की हानि होती है । जरूरत से अधिक खाने से अजीर्ण होता है और यही अनेक रोगों की जड़ है ।
- भोजन के पश्चात तुरंत न लेटे कुछ देर टहलने के बाद ही विश्राम करे.
- रात में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक पाव ठंडे पानी में भिगो दें, सुबह छानकर उससे आंखें धोयें और बचे हुए जल को पी जाएं ।
- नित्य मुख धोने के समय ठंडे पानी से आंखों में छीटें लगाएं । इससे आंखे स्वस्थ रहती हैं ।
- हफ्ते दस दिन के अंदर पर कानों में तेल की कुछ बूंदें डालनी चाहिए । इससे कानो में मैल जमने नहीं पाता है
- बिस्तर के स्थान को साफ सुथरा रखें । नींद आने पर ही सोना चाहिए । बिस्तर पर पड़े पड़े नींद की राह देखना रोग को आमंत्रित करना है । दिन में सोने की आदत न डालें ।
- मच्छरों को दूर करने का उपाय करें । वे रोगों को फैलाने में सहायक होते हैं ।
- अगरबत्ती, कपूर अथवा चंदन का धुआँ घर में हर रोज कुछ क्षणों के लिए करें । इससे घर का वातावरण पवित्र होता है ।
- श्वांस सदा नाक से और सहज ढंग से ले । मुँह से स्वांस न ले , इस से आयु कम होती है ।
- अच्छा साहित्य पढ़ें । अश्लील एवं उत्तेजक साहित्य पढ़ने से बुद्धि भ्रस्ट होती है । दूसरों के गुणों को अपनाये ।
- सुबह उठते ही आधा लीटर से एक लीटर तक पानी पीना चाहिए । यदि पानी तांबे के बर्तन में रखा हुआ हो तो अधिक लाभप्रद होगा
- कपड़ छान किये नमक में कडुआ तेल मिलाकर दांत और मसूड़ों को रगड़कर साफ करना चाहिए । इससे दांत मजबूत होते हैं और पायरिया से भी मुक्ति मिल सकती है ।
- दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए । इससे शरीर को पोषक तत्व की प्राप्ति होती है ।
- सप्ताह में केवल नींबू पानी पीकर एक दिन का उपवास करें । इससे पाचन शक्ति सशक्त होगी । यदि पूरा उपवास न कर सकें तो फल खाकर या फल का रस पीकर उपवास करें ।
- पचास से अधिक उम्र होने पर दिन में एक ही बार अन्न खाये । बाकी समय दूध और फल पर रहें ।
- भोजन करते समय और सोते समय किसी प्रकार की चिंता, क्रोध शोक न करें ।
- सोने से पहले पैरों को धोकर पोछ लेवें कोई अच्छी स्वास्थ्य संबंधी पुस्तक पढ़ने और अपने इष्टदेव को स्मरण करते हुए सोने से अच्छी नींद आती है ।
- रात्रि का भोजन सोने से तीन घंटे पहले करना चाहिए । भोजन के एक घंटा बाद फल या दूध लें ।
- सोते समय मुंह ढक कर नहीं सोयें । खिड़कियां खोलकर सोयें । सोने का बिस्तर बहुत मुलायम न हो ।
- सुबह-सुबह हरी दूब पर नंगे पाँव टहलना भी काफी लाभप्रद है । पैर पर दूब के दबाव से तथा पृथ्वी के सम्पर्क से कई रोगों की चिकित्सा स्वतः हो जाती है ।
- न तो इतना व्यायाम करना चाहिए और न ही इतनी देर टहलना चाहिए कि काफी थकावट आ जाए । टहलने और व्यायाम के लिए सूर्योदय का समय ही सबसे उत्तम है ।
- गरम दूध,चाय या गर्म जल पीकर तुरंत ठंडा पानी पीने से दांत कमजोर हो जाते हैं ।
- शयन करते समय सिर उत्तर या पश्चिम में रखकर नहीं सोना चाहिए ।
- कपड़ा, बिस्तर, कंघी, ब्रश, तौलिया, जूता-चप्पल आते वस्तुएं परिवार के हर व्यक्ति की अलग अलग होनी चाहिए । दूसरे की वस्तु उपयोग में न लायें।
- दिन और रात में कुल मिलाकर कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना चाहिए । इससे अशुद्धि मूत्र के दौरान निकल जाती है । रक्तचाप आदि पर नियंत्रण रहता है ।
- प्रौढावस्था शुरू होते ही चावल, नमक, घी, तेल,आलू और तली-भुनी चीजें खाना कम कर देना चाहिए ।
- केला दूध दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए ।
- कटहल के बाद दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए ।
- शहद के साथ उष्णवीर्य पदार्थों का सेवन ना करें ।
- दूध के साथ इन वस्तुओं का प्रयोग हानिकारक होता है -नमक, खट्टा फल, दही, तेल मूली और तोरई ।
- दही के साथ किसी भी प्रकार का उष्णवीर्य पदार्थ- कटहल, तेल, केला आदि खाने से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । रात को दही खाना निषिध्द है । शरद् और ग्रीष्म ऋतु में दही खाने से पित्त का प्रकोष होता है ।
- दूध और खीर के साथ खिचड़ी नहीं खानी चाहिए
- पढ़ना-लिखना आदि आंखों के द्वारा होने वाला कार्य लगातार काफी देर तक ना करें ।
- गर्मी में धूप में आकर तत्काल स्नान न करें और न तो हाथ पैर या मुँह ही धोयें ।
- देर रात तक जागना या सुबह देर तक सोते रहना आंखों और स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है ।
- अधिक वसायुक्त आहार, धूम्रपान एवं मांसाहारी भोजन हृदय के लिए नुकसानदेह होते हैं । ये रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं ।
- नियमित व्यायाम से शरीर की क्षमता बढ़ती है । शरीर में हानिकारक तत्वों की मात्रा घटती है । नियमित योग एवं व्यायाम, कम वसायुक्त भोजन तथा नियमित दिनचर्या से अनेक रोग स्वतः समाप्त हो जाते हैं ।
- तम्बाकू, शराब, चरस, अफीम, गांजा आदि जहर से भी खतरनाक है । मादक द्रव्यों का सेवन करने न करें ।
- नियमित समय पर प्रातः जागकर शौच जाने वाला, समय पर भोजन करने और सोने वाला व्यक्ति संपन्न और बुद्धिमान होता है ।
- भोजन करने के बाद लघुशंका अवश्य करनी चाहिए । इससे गुर्दे स्वस्थ रहते हैं ।
- सही मुद्रा में चलने-बैठने का अभ्यास करना चाहिए । बैठते समय पीठ सीधी रखकर बैठें ।
- धूप, वर्षा और शीत की अति से शरीर को बचाना चाहिए ।
- अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा सीलनयुक्त स्थान स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता ।
- प्रगाढ़ निद्रा में सोये व्यक्ति को नहीं जगाना चाहिए ।
- सुबह उठते ही यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि आज दिनभर न तो किसी की निंदा करूंगा और न ही क्रोध करके किसी को भला-बुरा कहूंगा ।
- फलों का सेवन भोजन करने से एक घंटा पूर्व करना चाहिए. भोजन करने के पश्चात् फलों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि फल पके होते है और उन्हें पचने में ज्यादा समय नहीं लगता है.
Sunday 16 December 2018
भीगी किशमिस खाये एनीमिया को दूर भगाये ओर इम्युनिटी बढ़ाये - श्री मदन जी मोदी
भीगी किशमिश खाएं, एनीमिया को दूर भगाएं और इम्यूनिटी बढ़ाएं
अगर आप भी रोज नट्स और किशमिश खाते हैं, तो अच्छी बात है। मगर क्या आपको पता है कि अगर आप किशमिश को रात में भिगोकर खाते हैं, तो यह ज्यादा फायदेमंद हो जाता है। अगर आप रोजाना सिर्फ 10 किशमिश के दानों को रात में भिगोकर सुबह खाएं, तो इससे कई तरह के रोगों और बीमारियों से बचाव होगा। साथ ही सेहत भी बेहतर होगी। एक नजर इसके फायदों पर-
रात में भिगोएं 10 किशमिश
किशमिश खाने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह फूल जाने पर खाएं और किशमिश के पानी को भी पी लें। भीगी हुई किशमिश में आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम और फाइबर भरपूर होता है। इसमें मौजूद शुगर प्राकृतिक होती है इसलिए सामान्यतः इसका कोई नुकसान नहीं होता है, मगर डायबीटीज के मरीजों को किशमिश नहीं खानी चाहिए। किशमिश वास्तव में सूखे हुए अंगूर होते हैं। ये कई रंगों में मौजूद होते हैं, मसलन गोल्डन, हरा और काला। इसके अलावा आप कई सब्जियों के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए भी किशमिश का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बढ़ेगी रोगों से लड़ने की क्षमता
रात में भीगी हुई किशमिश खाने और इसका पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स के कारण इम्यूनिटी बेहतर होती है, जिससे बाहरी वायरस और बैक्टीरिया से हमारा शरीर लड़ने में सक्षम होता है और ये बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
बीपी भी रहता सामान्य
रात की भिगाई हुई किशमिश वैसे तो सभी के लिए फायदेमंद है, मगर इसका लाभ उन लोगों को मिल सकता है, जो हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन से परेशान हैं। किशमिश शरीर के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है। इसमें मौजूद पोटैशियम तत्व आपको हाइपरटेंशन से बचाता है।
शरीर में खून बढ़ाए
किशमिश के सेवन से आप एनीमिया से बचे रहते हैं, क्योंकि किशमिश आयरन का बेहतरीन स्रोत होता है। साथ ही इसमें विटामिन बी काम्प्लेक्स भी बहुतायत में पाया जाता है। ये सभी तत्व रक्त फॉर्मेशन में उपयोगी हैं।
किशमिश यानी मुनक्का पाचन तंत्र में बेहद फायदेमंद है। मिनरल्स की मात्रा काफी होती है। यह हड्डियों के लिए काफी अच्छा होता है। दिनभर में 10-12 किशमिश ली जा सकती हैं। एक बात हमेशा ध्यान रखें कि भीगी हुई किशमिश में कैलरी की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि इसे ज्यादा मात्रा में न लें। इसे नियमित अपने आहार में शामिल करने से डाइजेशन में आराम मिलता है। असल में यह फाइबर से भरपूर होता है।
मुलहठी ( यष्टिमधु) के गुण व फायदे
Saturday 15 December 2018
मैं प्यास से मर रहा हूं... पानी हमारे स्वस्थ रहने के लिए कितना जरूरी
जरूरी है शरीर में नमी- इंसानी शरीर के लिए सबसे जरूरी न्यूट्रिएंट्स में से है पानी। आमतौर पर शरीर का 60 से 75 फीसदी हिस्सा पानी होता है। पानी शरीर के तापमान को काबू में रखता है, जरूरी ऑर्गन्स की हिफाजत करता है, पाचन में मदद करता है, ऑक्सिजन और पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाता है। गैरजरूरी और जहरीले तत्वों को शरीर से बाहर निकालता है। पानी की कमी से डीहाइड्रेशन, कब्ज, बेहोशी और तमाम दूसरी समस्याएं हो सकती हैं।
कितना पानी पिएं?
एक इंसान को रोजाना औसतन 8 से 12 गिलास पानी की जरूरत होती है। अगर आप नियमित रूप से एक्सरर्साइज करते हैं तो आपको शरीर की नमी बनाए रखना मुश्किल होता है इसलिए एक्सर्साइज से पहले, एक्सर्साइज के दौरान और बाद में पानी पिएं।
व्यायाम से 1 घंटा पहले 1 गिलास पानी पिएं। व्यायाम के दौरान हर 15 से 30 मिनट में आधा गिलास और एक्सर्साइज के बाद दो गिलास पानी पिएं।
मिथ्याभ्रम : व्यायाम के दौरान पानी पीने से दर्द या ऐंठन हो सकती है।
सच : यह सच के बिल्कुल उलट है। आपको एक्सर्साइज से पहले, एक्सर्साइज के दौरान और उसके बाद पानी की जरूरत होती है। एक्सर्साइज करने वाले शख्स के लिए पानी सबसे ज्यादा पोषक तत्व है। एक्सर्साइज के दौरान पानी या दूसरी तरल चीजों की कमी खासकर गर्मी के मौसम में, अकड़न, सिरदर्द, नमी की कमी की वजह बन सकती है। साथ ही एक्सर्साइज करने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। एक्सरर्साइज के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीने से व्यायाम के वक्त पसीने के जरिए निकलने वाले जरूरी तत्वों की कमी पूरी हो जाती है।
Friday 14 December 2018
रसायन चिकित्सा - आयुर्वेद के अष्टांगों में से एक महत्त्वपूर्ण चिकित्सा है
रसायन सेवन में वय, प्रकृति, सात्म्य, जठराग्नि तथा धातुओं का विचार आवश्यक है। भिन्न-भिन्न वय तथा प्रकृति के लोगों की आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होने के कारण तदनुसार किये गये प्रयोगों से ही वांछित फल की प्राप्ति होती है।
1 से 10 साल तक के बच्चों को 1 से 2 चुटकी वचाचूर्ण शहद में मिलाकर चटाने से बाल्यावस्था में स्वभावतः बढ़ने वाले कफ का शमन होता है, वाणी स्पष्ट व बुद्धि कुशाग्र होती है।
11 से 20 साल तक के किशोंरों एवं युवाओं को 2-3 ग्राम बलाचूर्ण 1-1 कप पानी व दूध में उबालकर देने से रस, मांस तथा शुक्रधातुएँ पुष्ट होती हैं एवं शारीरिक बल की वृद्धि होती है।
21 से 30 साल तक के लोगों को 1 चावल के दाने के बराबर शतपुटी लौह भस्म गोघृत में मिलाकर देने से रक्तधातु की वृद्धि होती है। इसके साथ सोने से पहले 1 चम्मच आँवला चूर्ण पानी के साथ लेने से नाड़ियों की शुद्धि होकर शरीर में स्फूर्ति व ताजगी का संचार होता है।
31 से 40 साल तक के लोगों को शंखपुष्पी का 10 से 15 मि.ली. रस अथवा उसका 1 चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर देने से तनावजन्य मानसिक विकारों में राहत मिलती है व नींद अच्छी जाती है। उच्च रक्तचाप कम करने एवं हृदय को शक्ति प्रदान करने में भी वह प्रयोग बहुत हितकर है।
41 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों को 1 ग्राम ज्योतिष्मिती चूर्ण 2 चुटकी सोंठ के साथ गरम पानी में मिलाकर देने तथा ज्योतिष्मती के तेल से अभ्यंग करने से इस उम्र में स्वभावतः बढ़ने वाले वातदोष का शमन होता है एवं संधिवात, पक्षाघात (लकवा) आदि वातजन्य विकारों से रक्षा होती है।
51 से 60 वर्ष की आयु में दृष्टिशक्ति स्वभावतः घटने लगती है जो 1 ग्राम त्रिफला चूर्ण तथा आधा ग्राम सप्तामृत लौह गौघृत के साथ दिन में 2 बार लेने से बढ़ती है। सोने से पूर्व 2-3 ग्राम त्रिफला चूर्ण गरम पानी के साथ लेना भी हितकर है। गिलोय, गोक्षुर एवं आँवले से बना रसायन चूर्ण 3 से 10 ग्राम तक सेवन करना अति उत्तम है।
मेध्य रसायनः शंखपुष्पी, जटामासी और ब्राह्मीचूर्ण समभाग मिलाकर 1 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लेने से ग्रहणशक्ति व स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है। इससे मस्तिष्क को बल मिलता है, नींद अच्छी आती है एवं मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
आचार रसायनः केवल सदाचार के पालन से भी शरीर व मन पर रसायनवत् प्रभाव पड़ता है और रसायन के सभी फल प्राप्त होते हैं।
Tuesday 11 December 2018
- कमर में दर्द
- पैर के पिछले हिस्से में दर्द होना और बैठने के बाद दर्द गंभीर हो जाना
- कूल्हों में दर्द
- पैरों में जलन या झुनझुनी का अनुभव
- पैर को हिलाने-डुलाने में परेशानी, कमजोरी और सुन्नता का अनुभव
- पैर के पिछले भाग में सिर्फ एक तरफ दर्द होना
- तीव्र पीड़ा होना और उठने में परेशानी होना
साइटिका होने के अन्य कारण इस प्रकार हैं –
- लंबर स्पाइनल स्टेनोसिस – पीठ के निचले हिस्से (lower back) की रीढ़ की हड्डी संकरी हो जाती है। इस कारण साइटिका की समस्या पैदा हो जाती है।
- स्पॉनडिलोलिस्थेसिस (spondylolisthesis) – एक ऐसी समस्या जिसमें डिस्क स्लिप नीचे से कशेरूकाओं के आगे निकल जाती हैं।
- रीढ़ के भीतर ट्यूमर होना – यह तंत्रिका में साइटिका का कारण होता है।
- संक्रमण (infection) – यह आमतौर पर रीढ़ को प्रभावित करता है।
- कौडा एक्विना सिंड्रोम (Cauda equina syndrome) – साइटिका की यह सबसे गंभीर स्थिति है, हालांकि अमूमन यह जल्दी होता नहीं है लेकिन यह रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इसके लिए तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
- इसके अलावा रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण भी यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
संजीवनी साइटिका स्पेशियल आैषधिय योग*
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*सिंहनाद गुगुल 40 ग्राम*
*ञिफला गुगुल 40 ग्राम*
*पुनर्नवां मंडुर. 20 ग्राम*
*महायोगराज गुगुल 20 ग्राम*
*निर्गुडी 50 ग्राम*
*सौंठ. 20 ग्राम*
*शुद्ध भल्लांतक 05 ग्राम*
*सहिंजन के पत्ते 30 ग्राम*
*सूतशेखर रस. 40 ग्राम*
*गोखरु कांटा 30 ग्राम*
Monday 10 December 2018
कड़वा चिरायता – गुणो से भरपूर
वजन कम करना आज एक प्रमुख समस्या बन गया है. कई तरह की दवाएं आज बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन यदि अप चाहें तो चिरायता के प्रयोग से अपना वजन आसानी से कम कर सकते हैं. चिरायता में मौजूद मेथेनॉल आपका उपापचय बढ़ाकर आपका वजन कम करता है.
2. प्रतिरक्षा तंत्र की मजबूती में
जाहिर है किसी भी रोग को ठीक करने या उसे न होने के लिए हमारे प्रतिरक्षा तंत्र का भलीभांति काम करना जरुरी है. चिरायता आपके शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देने का काम करता है. इसके अलावा ये हमारे शरीर से तमाम विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम भी करता है.
3. रक्तशोधक के रूप में
चिरायता स्वाद में कड़वा होता है. इसलिए ये भी करेला या नीम जो कि स्वाद में कड़वा होता है, की तरह ही एक रक्त शोधक के रूप में काम करता है. इसके साथ ही ये एनीमिया से भी आपको बचाता है.
4. लीवर की समस्याओं में
चिरायता हमें लीवर की विभिन्न समस्याओं से लड़ने में भी मदद करती है. फैटी लीवर, सिरोसिस और कई अन्य लीवर से संबंधित बीमारियों को चिरायता लीवर की कोशिकाओं को रिचार्ज करके दूर करता है. चिरायता को एक अच्छा लीवर डिटॉक्सीफायर माना जाता है और ये लीवर की कोशिकाओं के काम-काज को उत्तेजित करती है.
5. कब्ज में
कब्ज पेट से जुड़ी हुई बीमारी है. चिरायता इसके इलाज के लिए एक बहुत अच्छा विकल्प है. इसके लिए चिरायता के पौधे से बना काढ़ा तब तक पीना चाहिए जब तक की कब्ज ठीक न हो जाए.
6. त्वचा रोगों में
चिरायता का अर्क त्वचा से संबंधित कई रोगों से आपकी रक्षा करता है. त्वचा पर चकते निकलना या सूजन में भी चिरायता का पेस्ट बनाकर लेप लगाने से ये आराम पहुंचाता है. इसके अलावा ये घावों और पिम्पल्स को भी ठीक करता है.
7. सोरायसीस में
सोरायसिस के उपचार में भी चिरायता की सक्रीय भूमिका होती है. इसके लिए 4-4 ग्राम कुटकी और चिरायता एक कांच के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रख दें फिर अगली सुबह उस पानी को निथार कर पिएं और 3-4 घंटे तक कुछ न खाएं. लगातार दो सप्ताह ऐसा करने से आपको सोरायसिस में राहत मिलती है.
8. शुगर को नियंत्रित करने में
रक्त शर्करा को नियंत्रित करने की चिरायता के क्षमता का उपयोग हम शुगर के उपचार में कर सकते हैं. इसका कड़वा स्वाद रक्त शर्करा के कई दोषों को दूर करने में हमारी मदद करता है. चिरायता अग्नाशयी कोशिकाओं में इन्सुलिन के उत्पादन को प्रोत्साहित करके रक्त शर्करा को कम करता है.
9. गठिया में
गठिया एक ऐसी बिमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द और कभी-कभी सूजन भी हो जाती है. चिरायता में सूजन को कम करने की क्षमता होती है जिसके कारण ये गठिया से भी हमें बचाता है. इसके अलावा इसमें दर्द, सूजन और लालिमा के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.
10. आंत के लिए
जाहिर है आंत हमारे शरीर के प्रमुख अंगों में से है. इसमें आई खारबी के कारण कई तरह के विकार हो सकते हैं. आंत की कई बीमारियाँ तो इसमें होने वाले कीड़ों से भी होती है. चिरायता में पाया जाने वाला एंथेल्मिनेटिक गुण हमारे आंत में मौजूद कीड़ों को ख़त्म करता है.
11. बुखार में
चिरायता का लाभ हमें बुखार जैसी कॉमन बीमारियों में भी नजर आता है. खासकरके मलेरिया बुहार में इसका बहुत लाभ मिलता है. बुजुर्गों के लिए तो चिरायता एक वरदान जैसा है क्योंकि इससे आप बहुत प्रभावशाली लेकिन कड़वी टॉनिक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.
12. ब्लोटिंग में
चिरायता के कई उपयोगी गुणों में से एक ये भी है कि ये हमारे पेट में अम्ल उत्पादन को रोकती है. इसके अलावा ये आँतों की सुजन ठीक करके पेट को मजबूती भी देती है. इसकी सहायता से आप दस्त, गैस, ब्लोटिंग आदि समस्याओं से निपट सकते हैं.
13. कैंसर में
कैंसर जैसी बेहद गंभीर बीमारियों से भी चिरायता हमें लड़ने में मदद करता है. जाहिर है कैंसर एक लगभग लाइलाज बिमारी के रूप में आज हमारे बीच मौजूद है. चिरायता का लाभ हमें लीवर कैंसर में मिल सकता है.
घर में चिरायता बनाने की विधि