Tuesday 3 October 2017

किडनी स्टोन में रामबाण है कुलथी की दाल और बकरी का दूध

आयुर्वेद के अनुसार दोषों का प्रकोप होने से पथरी होती है। यह सफेद रंग की, स्पर्श में चिकनी, आकार में बड़ी व महुए के फूल जैसी होती है। लाल, पीली, काली या भिलावे की गुठली के समान पथरी पित्तज पथरी कहलाती है। जबकि सांवली, कठोर स्पर्श वाली, टेढ़ी-मेढ़ी व खुरदरी कदंब के फूल जैसी पथरी वात दोष के कारण होती है।

संकेत एवं लक्षण-भूख कम लगना, यूरिन में दिक्कत, हल्का बुखार व कमजोरी जैसे लक्षण पथरी के संकेत हैं। वैसे पथरी छोटी हो तो उसका कोई लक्षण या दर्द नहीं होता। पथरी जिस स्थान पर होती है उसी जगह पर दर्द होता है। जब पथरी किसी वजह से हिलती है तो काफी दर्द व उल्टी भी आ सकती है। कई बार यूरिन के साथ ब्लड आने लगता है।मुख्य वजह व रोग का पुराना होना-सुश्रुत संहिता के अनुसार शरीर में दोष बढऩा, दिन में सोना, जंकफूड व अधिक भोजन करना, ज्यादा ठंडा या मीठा खाने से पथरी होती है। कमजोरी, थकावट, वजन घटना, भूख न लगना, खून की कमी, प्यास अधिक लगना, दिल में दर्द होना और उल्टी आना ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो पथरी के पुराने होने का संकेत हो सकते हैं।

ये हैं उपाय-

* कुलथी की दाल में पथरी को तोडऩे की क्षमता होती है जिससे पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।
* सुश्रुत संहिता में पथरी होने पर देसी घी से उपचार बताया गया है। देसी घी का अधिक सेवन करने से पथरी आसानी से बाहर निकल जाती है।
* दर्द होने पर उस स्थान पर सेक से लाभ होता है। वैसे पथरी को शुरुआती अवस्था में ही बढऩे से रोकना चाहिए।
* गोखरू के बीज का चूर्ण शहद व बकरी के दूध के साथ एक सप्ताह पीने से पथरी में आराम मिलता है।
* पथरी के रोगी टमाटर, चावल व पालक नहीं खाएं।

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