Friday 18 May 2018

राजवैध रसायन वटी पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

https://vinayayurveda.com/product/rajvaidya-rasayan-vati-200-pills/
राजवैध रसायन वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह पुरुषों की शक्ति को बढ़ाती है और शरीर की कोशिकायों को मजबूत बनाती है।इसके सेवन से से थकावट,चिड़चिडापन,काम में मन लगना ,शररिक कमजोरी,शरीर में दर्द,जोड़ो में दर्द,सास फलने जैसे बीमारियो दूर होती है। यह रक्त और वीर्य वर्धक है।  यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन, नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि के इलाज के लिए लाभकारी है। इसमें प्रमुख द्रव्य शुद्ध शिलाजीत है जो एक रसायन है और बल्य औषधि का कार्य करता है। इस योग में त्रिफला और भूमि आमला है जो शुक्रशोधक है। ये पुरुषो के लिए बहुत ही उतम टॉनिक है। इसमें मौजूद भूमि आमला और त्रिफला शरीर को शुद्ध करने के लिए भी एक अद्भुत प्राकृतिक औषधि हैं। इसमें मौजूद अश्वगंधा शुक्रजनन का कार्य करता है। राजवैध रसायन वटी में अश्वगंधा मौजूद है जो पुरुषों के प्रजनन अंगो पर प्रभाव डालती हैं और वीर्य की गुणवत्ता और मात्रा को भी बढ़ाने में सहायक है। इस का दूसरा घटक भूमि आमला शरीर की कमजोरी को कम करता है और इम्युनिटी को भी बढ़ाता है और त्रिफला तीन जड़ी-बूटियों (आमला, हरड़ और बहेड़ा) का मिश्रण हैं जो शरीर की गन्दगी को बाहर निकालने में सहायता करता हैं और पाचन क्रिया भी ठीक रखता हैं।

घटक द्रव्य---- 

  • लोह भस्म (५० मिलीग्राम ) आइरन का ऑक्साइड हाओ और आयुर्वेद में इसका उपयोग अधिक मात्र में किया जाता है क्यूंकी ये क्रोनिक बीमारियो के इलाज और फंडू रोग या अनेयमिया को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
  • वंग भस्म (१० मिलीग्राम )इसे हल्का,दस्तावर,रूखा,गरम,पितकरक,मान गया है। इसे प्रमुख रूप से कफ,कृमि,पांडु और श्रवास रोगो में प्रयोग किया जाता है।
  • असगंद( ५० मिलीग्राम )अश्वगंधा को असगंद नाम से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखकर पाउडर बनाकर वाट कफ,बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है।
  • गोखरू( २५ मिलीग्राम )ये आयुर्वेद सबसे प्रमुख ओषधि है क्यूकी ये पेशाब के रोगो एवं पुरुषो के योन कमजोरी के लिए प्रयोग में लिया जाता है।
  • कौच बीज (९० मिलीग्राम)इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन ,लुटिनीसिंग आदि में प्रयोग में लिया जाता है। मनशिक तनाव,नसो की कमजोरी,की एक अछि ओषधि है।
  • सौठ,मिर्च ,पिपली (१० मिलीग्राम )ये आम दोष जैसे विषाक्त और अपशिस्त को दूर करता है। ये बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उटेजित करता है।
  • मूसली(२५ मिलीग्राम)ये पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मूसली की जड़ो में पुरुषो की योन की कमजोरी के लिए एक पोशाक या टॉनिक के रूप में कार्य करती है।
  • शुद्ध शिलाजीत (५० मिलीग्राम) शुद्ध शिलाजीत पुरुषों में शुक्राणुओ की संख्या बढ़ाता है। ये पुरुषो के प्रमेह की अत्यंत आतम दवा है।जो योन विकारो के उपचार के लिए इसतमाल किया जाता है।
  • अभ्रक भस्म १० मिलीग्राम
  • स्वर्ण मक्षिक भस्म १० मिलीग्राम
  • यशद भस्म ४० मिलीग्राम
  • मुक्ता पिसती १० मिलीग्राम
  • जायफल २० मिलीग्राम
  • दालचीनी २० मिलीग्राम
  • जावित्री १० मिलीग्राम
  • केसर २० मिलीग्राम
  • मंजीत १० मिलीग्राम
  • अनंत मूल १० मिलीग्राम
  • ब्रहमी १० मिलीग्राम
  • स्वर्ण भस्म १० मिलीग्राम
  • त्रिफला चूर्ण ६० मिलीग्राम
  • भूमि आमला १० मिलीग्राम
  • राजवैध रसायन वटी में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
    १) रसायन द्रव्य जो शरीर क बीमारियो में रक्षा करे साथ ही वृद्धवस्था को दूर रखने में सहायक हो ।
    २) शोथहर द्रव्य जो शोथ या शरीर में सूजन को दूर कर।
    ३) वृष्य वा वाजीकरणद्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करता है।जो बलकरक बाजीकरक और व्रीयवर्धक हो।
    ४) शुक्रजनन,शुक्रस्तम्भन, शुक्रशोधन द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
    ५) रक्त प्रसाधन द्रव्य जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर हो ।

No comments:

Post a Comment