फंगल इन्फेक्शन (संक्रमण ) -------बचाव ------------डॉक्टर अरविन्द जैन भोपाल
वायरस, बैक्टीरिया, फंगल, और परजीवी सभी त्वचा संक्रमण का कारण बन सकता है। फंगल संक्रमण आमतौर पर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। हालांकि घरेलू नुस्खे के जरिए फंगल इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह, खराब स्वच्छता, गर्म वातावरण में रहने, खराब ब्लड सर्कुलेशन और त्वचा की चोट आदि फंगल इन्फेक्शन के कारण है।
सोडियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, और मैग्नीशियम से भरपूर सेब का सिरका या एप्पल साइडर सिरका किसी भी प्रकार के फंगल इंफेक्शकन के लिए बहुत आम इलाज है। एंटीमाइक्रोबील गुणों की उपस्थिति के कारण सेब साइडर सिरका, संक्रमण पैदा करने वाले कवक को मारने में मदद करता है।
यदि आपके पैर की अंगुली में फंगस है, तो आप पानी में एक सेब का सिरका डालिए और उसमें पैर को डुबो दीजिए। आप चाहे तो सीधे भी लगा सकते हैं। इसकी हल्की एसिडिक प्रकृति संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करता है और स्वास्थ्य लाभ को बढ़ावा देता है।
ट्री टी ऑयल के तेल में प्राकृतिक एंटीफंगल कंपाउंड होते हैं जो फुंगी या बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं जो फंगल संक्रमण का कारण बनता है। इसके अलावा, इसके एंटीसेप्टिक गुण शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण के फैलाव को रोकते हैं।
इसके लिए आप ट्री टी ऑयल और जैतून का तेल या बादाम के तेल को बराबर मात्रा में मिलाएं तथा इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। आपको जरूर फायदा मिलेगा।
प्रोबायोटिक्स जीवित सूक्ष्मजीव हैं जो कुछ बीमारियों को रोकने और इलाज में मदद कर सकते हैं। फंगल इंफेक्शरन के घरेलू नुस्खे में दही का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सादा दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स् लैक्टिक एसिड का निर्माण कर कवक के विकास को जांच में रखता है। इसके लिए आप कॉटन बॉल पर दही को संक्रमित हिस्से पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें, फिर गुनगुने पानी से धो लें।
लहसुन खनिजों का एक अच्छा स्रोत है, जिसमें फॉस्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन और तांबा शामिल है। फंगल संक्रमण के इलाज के लिए लहसुन का उपयोग एक लोकप्रिय उपाय है। एंटीफंगल गुणों के कारण लहसुन किसी भी प्रकार के संक्रमण का बहुत ही प्रभावी उपाय है।
इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीमरियल और एंटीबायोटिक गुण भी मौजूद होते हैं जो रिकवरी की प्रक्रिया के लिए महत्वूपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके लिए आप दो लहसुन की कली को लीजिए और उसे कुचल लीजिए। उसमें जैतून के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर बारीक पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्टक को संक्रमित हिस्से पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर गुनगुने पानी से त्वचा के उस हिस्से को धो लें।
मिडयम चेन फैटी एसिड की उपस्थिति के कारण नारियल का तेल किसी भी प्रकार के फंगल संक्रमण के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में काम करता है।
संक्रमण के लिए जिम्मेदार फंगल को मारने के लिए ये फैटी एसिड प्राकृतिक फंगीसाइड के रूप में काम करते हैं। इसके लिए आप धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्र पर नारियल के तेल को रगड़ें और इसे अपने आप सूखने दें। जब तक संक्रमण साफ नहीं हो जाता तब तक आप इसे दो या तीन बार दोहराइए।
इसके अलावा हल्दी का उपयोग भी लाभकारी होता हैं .हल्दी के पाउडर को बेसन के साथ मिलकर कुछ बुँदे कोई भी तेल जैसे सरसों ,नारियल ,तिली का तेल डालकर उबटन जैसा बनाकर लेप लगाए और सूखने पर उसको आराम से रगड़ कर मैल निकल ले .
फंगस संक्रमण बरसात के दिनों में अधिक होता हैं .हम अधिकतर नमी या गीले वाले अंडरवियर .बनियान आदि पहनते हैं जिससे बहुत शीघ्रता से यह संक्रमण फैलता हैं .बहुत दिनों तक रखे हुए कपडे जैसे पल्ली ,गद्दे ,कम्बल आदि में भी वहुत अधिक संक्रमण होते हैं .
वर्तमान में पैक्ड फूड्स जैसे बिस्किट्स ,टोस्ट ,ब्रेड ,मैदा ,सूजी ,बाजार का आटा बेसन ,पिज़्ज़ा बर्गर आदि में अधिक खतरा होता हैं .क्योकि इन वस्तुओं के निर्माण करते समय स्वछता का ध्यान नहीं रखा जाता हैं जितना आवश्यक होता हैं .
डॉक्टर अरविन्द जैन ,संस्थापक शाकाहार परिषद्, A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट ,होशंगाबाद रोड भोपाल
Friday 24 August 2018
फंगल इन्फेक्शन (संक्रमण ) -------बचाव
Thursday 2 August 2018
उबलतें दूध में जब डाली जाती हैं तुलसी की पतियाँ तो होता है चमत्कार -
🌿 Tulsi With Milk 👍
घरेलू नुस्खे बिना किसी साइड इफेक्ट के कई बीमारियों को दूर करते हैं। पीढि़यों से चले आ रहे ये नुस्खे हमेशा से फायदेमंद साबित हुए है और शायद आगे भी होते रहेंगे। ऐसे ही कुछ टिप्स तुलसी को लेकर भी है। तुलसी एक ऐसा हर्ब है जो कई समस्याओं को आसानी से दूर कर सकती है।
सर्दी जुकाम हो या सिरदर्द तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी को अगर दूध के साथ मिला लिया जाये तो ये कई बीमारियों के लिए रामबाण साबित होती है।
आज हम आपको बता रहे हैं कैसे तुलसी की तीन से चार पत्तियां उबलते हुए दूध में डालकर खाली पेट पीने से आप सेहतमंद रह सकते हैं।
किडनी की पथरी में
यदि किडनी में पथरी की समस्या हो गई हो और पहले दौर में आपको इसका पता चलता है तो तुलसी वाला दूध का सेवन सुबह खाली पेट करना शुरू कर दें। इस उपाय से कुछ ही दिनों में किडनी की पथरी गलकर निकल जाएगी। आपको इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
दिल की बीमारी में
यदि घर में किसी को दिल से सबंधित कोई बीमारी है या हार्ट अटैक पड़ा हो तो आप तुलसी वाला दूध रोगी को सुबह के समय खाली पेट पिलाएं। इससे दिल से संबंधित कई रोग ठीक होते हैं।
सांस की तकलीफ में
सांस की सबसे खतरनाक समस्या है दमा। इस रोग में इंसान को सांस लेने में बड़ी परेशानी आती है। खासतौर पर तब जब मौसम में बदलाव आता है। इस
समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप दूध और तुलसी का सेवन करें। नियमित इस उपाय को करने से सांस से संबंधित अन्य रोग भी ठीक हो जाएगें।
कैंसर की समस्या
एंटीबायोटिक गुणों की वजह से तुलसी कैंसर से लड़ने में सक्षम होती है। दूध में भी कई तरह के गुण होते हैं जब दोनों आपस में मिलते हैं तो इसका प्रभाव बेहद प्रभावशाली और रोग नाशक हो जाता है। यदि आप नियमित तुलसी वाला दूध पीते हैं तो कैंसर जैसी बीमारी शरीर को छू भी नहीं सकती है।
फ्लू
वायरल फ्लू होने से शरीर कमजोर हो जाता है। यदि आप दूध में तुलसी मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करते हो ता आपको फ्लू से जल्दी से आराम मिल जाएगा।
टेंशन में
अधिक काम करने से या ज्यादा जिम्मेदारियों से अक्सर हम लोग टेंशन में आ जाते हैं एैसे में हमारा नर्वस सिस्टम काम नहीं कर पाता है और हम सही गलत का नहीं सोचते हैं। यदि इस तरह की समस्या से आप परेशान हैं तो दूध व तुलसी वाला नुस्खा जरूर अपनाएं। आपको फर्क दिखने लगेगा।
सिर का दर्द और माइग्रेन में-
सिर में दर्द होना आम बात है। लेकिन जब यह माइग्रेन का रूप ले लेती है तब सिर का दर्द भयंकर हो जाता है। ऐसे में सुबह के समय तुलसी के पत्तों को दूध में डालकर पीना चाहिए। यह माइग्रेन और सिर के सामान्य दर्द को भी ठीक कर देती है। अक्सर हमारे घर में बहुत सी प्राकृतिक औषधियां होती है जिनके बारे में पता रहने से हम मंहगी दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट से बच सकते हैं।
www.vinayayurveda.com
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Friday 18 May 2018
राजवैध रसायन वटी पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
घटक द्रव्य----
- लोह भस्म (५० मिलीग्राम ) आइरन का ऑक्साइड हाओ और आयुर्वेद में इसका उपयोग अधिक मात्र में किया जाता है क्यूंकी ये क्रोनिक बीमारियो के इलाज और फंडू रोग या अनेयमिया को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
- वंग भस्म (१० मिलीग्राम )इसे हल्का,दस्तावर,रूखा,गरम,पितकरक,मान गया है। इसे प्रमुख रूप से कफ,कृमि,पांडु और श्रवास रोगो में प्रयोग किया जाता है।
- असगंद( ५० मिलीग्राम )अश्वगंधा को असगंद नाम से जाना जाता है। इसकी जड़ को सुखकर पाउडर बनाकर वाट कफ,बलवर्धक रसायन की तरह प्रयोग किया जाता है।
- गोखरू( २५ मिलीग्राम )ये आयुर्वेद सबसे प्रमुख ओषधि है क्यूकी ये पेशाब के रोगो एवं पुरुषो के योन कमजोरी के लिए प्रयोग में लिया जाता है।
- कौच बीज (९० मिलीग्राम)इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन ,लुटिनीसिंग आदि में प्रयोग में लिया जाता है। मनशिक तनाव,नसो की कमजोरी,की एक अछि ओषधि है।
- सौठ,मिर्च ,पिपली (१० मिलीग्राम )ये आम दोष जैसे विषाक्त और अपशिस्त को दूर करता है। ये बेहतर पाचन में सहायता करता है और यकृत को उटेजित करता है।
- मूसली(२५ मिलीग्राम)ये पुरुष प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त करती है। मूसली की जड़ो में पुरुषो की योन की कमजोरी के लिए एक पोशाक या टॉनिक के रूप में कार्य करती है।
- शुद्ध शिलाजीत (५० मिलीग्राम) शुद्ध शिलाजीत पुरुषों में शुक्राणुओ की संख्या बढ़ाता है। ये पुरुषो के प्रमेह की अत्यंत आतम दवा है।जो योन विकारो के उपचार के लिए इसतमाल किया जाता है।
- अभ्रक भस्म १० मिलीग्राम
- स्वर्ण मक्षिक भस्म १० मिलीग्राम
- यशद भस्म ४० मिलीग्राम
- मुक्ता पिसती १० मिलीग्राम
- जायफल २० मिलीग्राम
- दालचीनी २० मिलीग्राम
- जावित्री १० मिलीग्राम
- केसर २० मिलीग्राम
- मंजीत १० मिलीग्राम
- अनंत मूल १० मिलीग्राम
- ब्रहमी १० मिलीग्राम
- स्वर्ण भस्म १० मिलीग्राम
- त्रिफला चूर्ण ६० मिलीग्राम
- भूमि आमला १० मिलीग्राम
- राजवैध रसायन वटी में निम्नलिखित औषधीय गुण है:१) रसायन द्रव्य जो शरीर क बीमारियो में रक्षा करे साथ ही वृद्धवस्था को दूर रखने में सहायक हो ।
२) शोथहर द्रव्य जो शोथ या शरीर में सूजन को दूर कर।
३) वृष्य वा वाजीकरणद्रव्य जो रति शक्ति में वृद्धि करता है।जो बलकरक बाजीकरक और व्रीयवर्धक हो।
४) शुक्रजनन,शुक्रस्तम्भन, शुक्रशोधन द्रव्य जो शुक्र का पोषण करे।
५) रक्त प्रसाधन द्रव्य जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर हो ।
गंभीर से गंभीर रोग में शीघ्र स्वस्थ होने की विधि
साथ ही साथ। “””स्वस्थ हूँ””” के भाव को हर स्वास के साथ करे।
मूल बात ये है कि हमे मन से ये बार बार दोहराना है कि “””स्वस्थ हूँ””” साथ में गहरी लंबी धीमी नाभि तक स्वास का अभ्यास करना है दोनों को जोड़ देना है।
जब तक आप पूर्ण स्वस्थ न हो जाये सतत इस प्रक्रिया में लगे रहना है।परमात्मा के प्रति एक अनुग्रह ,धन्यवाद के भाव से भरे आगे बढ़ना होता रहे तो बड़ा सहयोगी होगा।पूरा अस्तित्व आपको स्वस्थ किये जाने के प्रवाह से भर उठेगा।
विनय प्राकृतिक व आयुर्वेदिक उपचार केंद्र
उधना – सूरत
संपर्क – 8460783401
Wednesday 18 April 2018
डायबिटिज (मधुमेह Diabetes) - इससे आप परेशान न हो बस इन बातों का ध्यान रखे
मधुमेह रोगियो के मधुमेह आहार योजना----
नाश्ते में आइटम : 1 कटोरी ओट्स/ दूध/ /मल्टीग्रेन ब्रेड/सब्जियां/दही/टोस्ट।
सुबह का नाश्ता : आप पपीता, नारियल और छाछ आदि सहित मौसमी फल जोड़ सकते हैं।
दोपहर के भोजन के मेनू: सलाद, सब्जियां, दाल, चपाती, दही, चावल, पनीर आदि।
शाम का नाश्ता : फल और स्नैक्स जैसे ढोकला, इडली, भुना हुआ नमकीन और मुरमुरा आदि।
रात के खाने से पहले : मिक्स्ट सब्जियों का सूप।
रात का भोजन: चपाती, सब्जी, दाल, हरा सलाद।
Monday 12 March 2018
स्नायु संस्थान (मस्तिष्क) की कमज़ोरी में अमृत है -आंवला
आंवले के फायदे---- ख़राब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करना : अगर आप हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं तो सिर्फ एक ग्लास आंवले का जूस आपके लिये बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। जर्नल मेनोपॉज में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, आंवले के नियमित सेवन से ख़राब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा ये ट्राईग्लीसेराइड लेवल को कम करके इंसुलिन रेजिस्टेंस को भी बढ़ा देते हैं।
बालों के लिये फायदेमंद : विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण आंवले के जूस का नियमित सेवन आपके बालों के लिये वरदान है। ये बालों को तेजी से बढ़ाने के अलावा उन्हें मजबूत और काला बनाये रखते हैं।
त्वचा के लिये फायदेमंद : आंवले में एंटी-आक्सीडेटिव क्षमताएं होने के कारण यह आपकी त्वचा को हमेशा यंग बनाये रखते हैं और बढती उम्र के प्रभावों को आपसे दूर रखते हैं।
सर्दी-जुकाम से राहत : आंवले में ऐसे कई औषधीय गुण होते हैं जिनसे यह आपको सर्दी जुकाम जैसी आम बीमारियों से लम्बे समय तक बचाये रखते हैं।
(आमला जूस के जगह विनय त्रिफला रस भी ले सकते है ऊपर के लिंक पर क्लिक करे )
डायबिटीज को कंट्रोल करना : जर्नल फ़ूड एंड फंक्शन में 2004 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार आंवले में गैलिक एसिड, गैलोटेनिन, एलैजिक एसिड और कोरिलैगिन पाये जाने और उनके एंटी-डायबिटिक क्षमताओं के कारण यह आपके ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम करते हैं और आपके डायबिटीज को नियंत्रण में रखते हैं। इसलिए रोजाना जूस पीना न भूलें।
कैंसर से बचाव : आंवले में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी क्षमताएं होने के कारण इसके जूस का नियमित सेवन हमारे शरीर को कैंसर से बचाने में मदद करता है।
पौरुष लाइफ बेहतर बनाने में मददगार : आंवले में शक्तिवर्धक गुण पाये जाते हैं, साथ ही ये विटामिन सी के भी मुख्य स्रोत होते हैं जिस कारण ये पौरुष को बढ़ाने में मदद करता है। अंतरंग के दौरान आपकी क्षमता को भी बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे आपकी लाइफ़ और बेहतर हो जाती है।
आप चाहे तो आवले का मुरब्बा भी ले सकते है आंवले का मुरब्बा शीतल और तर होता हैं, आंवला नेत्रों के लिए हितकारी, रक शोधक, दाहशामक तथा हृदय, मस्तिष्क, यकृत, आंते, आमाशय को शक्ति प्रदान करने वाला होता हैं। इसके सेवन से स्मरण शक्ति तेज़ होती हैं। मानसिक एकाग्रता बढ़ती हैं। मानसिक दुर्लब्ता के कारण चक्कर आने की शिकायत दूर हो जाती हैं। सवेरे उठते ही सर दर्द और चक्कर आते हो तो इस से लाभ मिलता हैं।
सेवन विधि – प्रतिदिन प्रात: खाली पेट ९० ग्राम ( दो चम्मच भर ) मुरब्बा लगातार तीन-चार सपताह तक नाश्ते के रूप में ले, विशेषकर गर्मियों में। चाहे तो इसके लेने के पंद्रह मिनट बाद गुनगुना दूध भी पिया जा सकता है। चेत्र या क्वार मांस में इसका सेवन करना विशेष लाभप्रद है। ऐसा मुरब्बा विधार्थियो और दिमागी काम करने वालो की मस्तिष्क की शक्ति और कार्यक्षमता बढ़ाने और चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए अमृत है। इससे विटामिन सी, ए, कैलशियम, लोहा का अनूठा संगम है। 100 ग्राम आंवले के गूदे में 720 मिलीग्राम विटामिन सी, 15 आइ. यू. विटामिन ए, 50 ग्राम कैल्शियम, 1.2 ग्राम लोहा पाया जाता है। आंवला ही एक ऐसा फल है जिसे पकाने या सुखाने पर भी इसके विटामिन नष्ट नही होते।
Friday 9 March 2018
विनय त्रिफला रस (एलोवेरा युक्त ) आयुर्वेद का वरदान
• त्रिफला रस के सेवन से गैस,कब्ज ,एसिडिटी आदि की समस्या दूर होती है तथा पाचन तंत्र मजबूत होता है
• यह लीवर की सभी समस्याओ को दूर कर लीवर को शक्ति प्रदान करता है
• यह ब्लड प्रेसर को नियंत्रित करता है
• यह केलोस्ट्रोल को संतुलित करता है
• यह ह्रदय को शक्ति प्रदान कर ह्रदय गति को सामान्य करता है
• त्रिफला रस का सेवन लाल रुधिर कणीकाओ के निर्माण को बढाता है
• त्रिफला रस हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है
• यह शरीर में इन्फेक्शन को रोकता है तथा सर्दी ,खासी ,कफ तथा एलर्जी में अत्यंत लाभ करी है
• यह सीने एवं फेफड़ो में जमे हुए कफ को पिघलाकर बाहर निकालने में सहायक है
• यह मस्तिष्क को शक्ति प्रदान कर एकाग्रता को बढाता है तथा डिप्रेशन से बचाता है
• यह नर्वर्स सिस्टम को शक्ति प्रदान कर उससे सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है
• त्रिफला रस आँखों के लिए टॉनिक का कार्य करता है यह आँखों की रोशनी को बढाता है तथा आँखों पर पड़ने वाले मधुमेह के प्रभाव को भी दूर करता है
• यह मानसिक तनाव व मानसिक थकान को भी कम करता है
• त्रिफला रस गुर्दों को संक्रमण से बचाता है तथा पथरी बनने से रोकता है
• यह पौरुष शक्ति को बढाता है
• यह शुक्राणु की संख्या बढाता है तथा स्वाथ्य शुक्राणु के निर्माण में सहायक है
• महिलाओ में अनियमित महावारी अति रक्त स्त्राव एवं ल्यूकोरिया आदि की समस्या में अत्यंत लाभकारी है
• यह अग्नाशय की बीटा सेल्स को इन्सुलिन के निर्माण के लिए उत्तेजित करता है अत: मधुमेह में अत्यंत लाभकारी है
• यह त्वचा के लिए भी एक टॉनिक का कार्य करता है यह त्वचा को कील ,मुहासे व झाइयो से बचाता है
• यह शरीर में कोशिकाओं के अनियमित विभाजन को रोकता है अथार्त शरीर में कैंसर की सम्भावना को कम करता है
• यह शरीर का डीटाकशिफ़िक्तिओन करता है
नोट :- गर्भवती महिलाये त्रिफला रस का सेवन न करे
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