Ischemic Stroke – अरक्तता मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke )
Hemorrhagic Stroke – रक्तस्त्राव मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke )
एक तीसरे प्रकार का भी मस्तिष्क का अस्थाई दौरा होता है जिसमे Stroke के लक्षण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटो तक ही रहते है और बाद में ठीक हो जाते है। इसे Transient Ischemic Attack या TIA कहा जाता है। यह इस बात की चेतावनी देता है की आपको कोई समस्या है और इसका इलाज न कराने पर निकट भविष्य में आपको Stroke पड़ सकता है।
1) अरक्तता मस्तिष्क का दौरा ( Ischemic Stroke)
Thrombotic Stroke – इस प्रकार के मस्तिष्क के दौर में मस्तिष्क के रक्त वाहिनी में खून के जम जाने के कारण या थक्के ( clot ) के कारण अवरोध निर्माण हो जाता है। जिन रोगियों में खून के अंदर Cholesterol का प्रमाण ज्यादा होता है, ऐसे रोगियो के रक्तवाहिनी में भीतरी स्तर पर Fats जमा हो जाता ही जिसे plaque कहते है। इस जमा हुए plaque पर खून का थक्का जमा हो जाने पर धीरे-धीरे पूरी रक्तवाहिनी में अवरोध निर्माण हो जाता है और मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त न मिलने पर Thrombotic stroke पड़ जाता है।
Embolic Stroke – इस प्रकार के मस्तिष्क के दौर में रक्त का थक्का या इंजेक्शन या सलाइन द्वारा गलती से रक्त वाहिनी में प्रवेश किया हुआ हवा का छोटा बुलबुला मस्तिष्क के किसी छोटी रक्तवाहिनी में फसने के कारण रक्तवाहिनी में अवरोध निर्माण हो जाता है और मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त न मिलने पर Embolic stroke पड़ जाता है।
2) रक्तस्त्राव मस्तिष्क का दौरा (Hemorrhagic Stroke)
Intra-cranial Hemorrhage – इस प्रकार में मस्तिष्क के किसी रक्तवाहिनी में रक्तस्त्राव होने के कारण मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त की आपूर्ति में कमी आने के कारन Brain cells को क्षति पहुचती है। इस प्रकार के मस्तिष्क के दौरे का प्रमुख कारण उच्च रक्तदाब (Hypertension) है। लगातार कई समय तक उच्च रक्तचाप के कारन रक्तवाहिनी कमजोर और कड़ी हो जाती है और परिणामतः फट जाती है।
Sub-Archnoid Hemorrhage – इस प्रकार में मस्तिष्क और कपाल के बीच के स्तर में किसी रक्तवाहिनी में रक्तस्त्राव होने के कारण Sub-Archnoid space में रक्त एकत्रित हो जाता है। इसका प्रमुख कारण रक्त वाहिनी की जन्मजात विकृति या रक्त वाहिनी में फुलाव ( Aneursyms ) होता है। इस प्रकार में रोगी को तेज सरदर्द का अनुभव होता है।
मस्तिष्क का दौरा ( Brain stroke ) के क्या लक्षण है ?
शरीर के एक ही तरफ के चेहरे, हाथ या टांग में सुन्नपन, चीटिया दौड़ना या कमजोरी सा महसूस होना।
अचानक लड़खड़ाना, चक्कर आना, शरीर का संतुलन बिगड़ना। भ्रम की स्तिथि, बोलने या समझने में मुश्किल, धीरे या अस्पष्ट बोलना।
एक या दोनों आँखों से देखने में कठिनाई, तेज सिरदर्द होना, जी मचलना और उलटी होना।
लक्षणों को तुरंत पहचानने के लिए और मस्तिष्क के दौरे के रोगियों की
तुरंत पहचान और उन्हें अस्पताल ले जाकर उपचार कराने के लिए
आप FAST की मदद ले सकते है। FAST का मतलब है –
A – Arms ( Arm Weakness ) : रोगी को हाथ उठाने और सामने फ़ैलाने के लिए कहे। अगर रोगी का एक हाथ उठ न पाए और उठ पाने पर जल्द निचे झुक जाए तो यह मस्तिष्क के दौरे का लक्षण है।
S – Speech ( Speech Difficulty ) : रोगी से कुछ सवाल पूछे। अगर वो ठीक से बोल न पाए और उसकी आवाज लड़खड़ाए, छोटे वाक्य भी मुश्किल से बोले तो यह मस्तिष्क के दौरे का लक्षण है।
T – Time ( Time to Act ) : ऐसी स्तिथि में रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास अस्पताल में पहुचाना चाहिए। पहले 3 घंटे के golden period में रोगी को उपचार प्राप्त होने पर मस्तिष्क के दौरे से होने वाले क्षति से बचाया जा सकता है।
Stroke होने का खतरा निम्नलिखित व्यक्तियों को अधिक होता है :
मधुमेह के रोगियों में Stroke की जोखिम 2 से 3 गुना ज्यादा होती है। जिनके परिवार में किसी को मस्तिष्क का दौरा / Stroke का इतिहास है। उच्च रक्तचाप के 40 से 50 % रोगियों में मस्तिष्क का दौरा ( Stroke ) होने की आशंका होती है।55 साल से ज्यादा के व्यक्ति।
Sickle Cell Anemia या Migraine के रोगी। तनावग्रस्त व्यक्ति। नियमित शराब और तंबाखू का सेवन करने वाले या धूम्रपान करने वाले व्यक्ति। जन्मजात रक्तवाहिनी के रोगी। जिनका वजन ज्यादा है। जो सुस्त रहते है और किसी प्रकार का कोई व्यायाम नहीं करते है।
जो गर्भनिरोधक गोलिया, Hormones की गोली ले रहे है।
मस्तिष्क का दौरा / Stroke से बचने के लिए क्या करना चाहिए ?
अगर आप मोटापे के शिकार है तो अपना वजन नियंत्रित रखे। अगर आपको बार-बार सरदर्द की परेशानी होती है तो चिकित्सक से इसकी जाँच कराना चाहिए। चिकित्सक के सलाह अनुसार CT Scan या MRI द्वारा जाँच हो सकती है।