Friday 17 November 2017
जो खाए अलसी वो गाये जवानी ज़िंदाबाद, और बुढ़ापा बाय बाय
Thursday 16 November 2017
हरसिंगार : हर बीमारी में असरदार
Monday 6 November 2017
मेथीदाना (fenugreek) – बुढ़ापे तक स्वास्थय का खजाना
मेथीदाने के फायदे ..... मैथीदाना, जितने साल जिसकी आयु हो उतने दाने लेकर धीरे-धीरे खूब चबा-चबाकर रोजाना प्रात: खाली पेट, या शाम को पानी की सहायता से सेवन करने चाहिए, अगर चबाने में दिक्कत हो तो पानी की सहायता से निगल सकते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति सदैव निरोग और चुस्त बना रहेगा और मधुमेह, जोड़ों के दर्द, शोथ(सूजन), रक्तचाप, बलगमी बीमारियां, अपचन आदि अनेकानेक रोगों से बचाव होगा। वृध्दावस्था की व्याधियां जैसे सायटिका, घुटने का दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ जाना, मांसपेशियों का खिचाव, भूख न लगना, बार-बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि, उसके पास नही फटकेगी। ओज, कान्ति और स्फूर्ति में वृद्धि होकर व्यक्ति दीर्घायु होगा।
मेथीदाना सेवन के तरीके .... यद्यपि अलग-अलग बिमारियों के इलाज के लिए मैथीदाना का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे मैथीदाना भिगोकर उसका पानी पीना या भिगोये मैथीदाना को घोट छानकर पीना, उसे अंकुरित करके चबाना या रस निकालकर पीना, उसे उबालकर उसका पानी पीना या सब्जी बनाकर खाना, खिचड़ी या कढी पकाते समय उसमे डालकर सेवन करना, सबूत मैथीदाना प्रात: चबाकर खाना और रात्रि में पानी संग निगलना, भूनकर या वैसे ही उसका दलिया या चूर्ण बनाकर ताजा पानी के साथ फक्की लेना, मैथीदाना के लड्डू बनाकर खाना आदि परन्तु मैथी के सेवन का निरापद और सबसे अच्छा तरीका है उसका काढ़ा या चाय बनाकर पीना।
विशेष --गर्मियों में इसकी फक्की लेने की बजाये रात में इसको एक गिलास पानी में भिगो कर रख दे, सुबह मेथीदाना चबा चबा कर खा ले और ऊपर से यही भिगोया हुआ पानी पी ले।
Saturday 28 October 2017
लीवर कैंसर (Liver Cancer)
लीवर कैंसर के लक्षण
- अचानक से वजन में कमी आना।
- असामान्य थकान महसूस होन।
- पीठ के ऊपरी हिस्से में, दायें कंधे के जोड़ (शोल्डर ब्लेड) के आसपास पीड़ा होना।
- पीलिया होना।
- पेट (Abdomen) के ऊपरी दाएँ हिस्से में असहजता का अहसास (Uncomfortable Feeling) होना।
- पेट के दाएँ हिस्से में, पंजर (Rib Cage) के नीचे एक कठोर गांठ का महसूस होना।
- पेट में सूजन होना।
- भूख की कमी और/या मितली आना।
- लीवर कैंसर के कारण (Causes of liver Cancer)
- ज्यादा व लगातार शराब पीना,
- विशेष रूप से हैपेटाइटिस बी और डी के साथ वायरल हैपेटाइटिस,
- परजीवी (Parasite) द्वारा संक्रमण जैसे लीवर फ्लूक,
- चिरकालिक हैपेटाइटिस बी इंफ़ेक्शन,
- चिरकालिक हैपेटाइटिस सी इंफ़ेक्शन,
- हैपेटाइटिस बी और लीवर कैंसर दोनों का पारिवारिक इतिहास होना,
- लीवर का सिरोसिस (Cirrhosis),
- स्थूलता (Obesity),
सामान्य उपचार
कैंसर पाए जाने के बाद लोग अकसर परेशान हो जाते हैं। कैंसर के निदान और उपचार के दौरान एवं उसके बाद व्यावहारिक और भावनात्मक सहायता बहुत महत्वपूर्ण होती है। लीवर कैंसर के घरेलू इलाज---
- भारत में जिन बीमारियों से सर्वाधिक मौतें हो रही हैं उसमें लीवर कैंसर का पांचवा स्थान है। आंकड़े बताते हैं कि दस में से दो लोग लीवर की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। लीवर कैंसर को हेपाटोसेलुलर कारसिनोमा (hepatocellular carcinoma) कहा जाता है।चालीस के बाद अगर जीवन शैली में सेहत की चिंता करते हुए बदलाव नहीं किया जाता है तो लीवर की बीमारी 60 के बाद गंभीर हो जाती है। क्रॉनिक हेपाटाइटिस सी और जॉंडिस में लीवर कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। प्रारंभिक अवस्था में ऐसे कोई खास लक्षण नहीं हैं जिससे लीवर कैंसर की पहचान की जा सके।हालांकि, पेट की उपरी और बांए भाग में अगर दर्द हो, पेट असमान्य ढंग से फूला हो, लीवर बड़ा हो गया हो, भूख नहीं लग रही हो, वजन कम हो रहा हो, उल्टी आ रही हो, आंख और त्वचा का रंग काफी पीला हो गया हो तो ये लीवर कैंसर के संकेत हो सकते हैं।लीवर कैंसर जांच में पता चल जाने के बाद अगर वो प्रारंभिक अवस्था में हैं तो घरेलू उपचार से उसे नियंत्रित किया जा सकता है, मगर अगर मर्ज पुरानी है तो घरेलू उपचार से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। परहेज और पथ्य से ही लीवर को सेहतमंद बनाया जाता है। डाइट या खान-पान ही इसके घरेलू उपचार हैं। आइए जानते हैं लीवर को सेहतमंद बनाने के घरेलू उपचार।लीवर कैंसर के घरेलू उपचार (Home Remedies for Liver Cancer)डाइट या खान-पान की आदत (Diet and Food Habbit)लीवर को स्वच्छ और शुद्ध पानी की जरुरत होती है। पानी लीवर को साफ और सेहतमंद रखता है। पानी खूब पीएं। रेड मीट और अल्कोहल लीवर का दुश्मन है इससे तौबा करें। ज्यादा कैलोरी वाले भोजन करें , क्योंकि लीवर कैंसर में भूख कम लगती है, इसलिए जब खाने का मन करे तो जिस भोजन में कैलोरी की मात्रा ज्यादा हो वही खाएं। लीवर कैंसर के मरीजों की डाइट में फल, सब्जी के साथ लहसुन, मौसमी, ग्रीन टी, एवाकाडो, हल्दी, अखरोट, पपीता समेत ऐसे सभी फल और सब्जी शामिल हो जो लीवर को सेहतमंद बनाती है।लहसुन (Garlic)लहसुन में काफी मात्रा में सल्फर कंपाउड पाया जाता है जो लीवर एंजाइम को सक्रिय करता है और शरीर से विषैले रस और पदार्थ को निकालने का काम करता है। यह लीवर को बचाने का काम करता है। रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ अगर लहसुन खाया जाए तो यह लीवर के लिए काफी सेहतमंद होता है।मौसमी (Grapefruit)मौसमी में काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। यह लीवर को साफ करता है। इसमें लीवर को साफ करने वाले एंजाइम होते हैं जो लीवर को विषैले पदार्थ से सुरक्षा करते हैं। इसमें एक खास केमिसल कंपाउड Flavonoid पाया जाता है जो लीवर में फैट जमा नहीं होने देता है और इसे जलाता रहता है।ग्रीन टी (Green Tea)ग्रीन टी में एक खास एंटी ऑक्सीडेंट Catechins पाया जाता है जो लीवर में फैट जमा नहीं होने देता है और इससे लीवर सही ढंग से काम करता रहता है।एवाकाडो (Avocado)एवाकाडो में केमिकल कंपाउंड Glutathione काफी मात्रा में पाया जाता है जो लीवर को सेहतमंद बनाती है और विषाक्त चीजों से सुरक्षा करती है। एक मेडिकल रिसर्च में बताया गया है कि लगातार 30 दिनों तक एक एवाकाडो खाने से फैटी और बीमार लीवर ठीक हो जाती है।हल्दी (Tumeric)लीवर के सेहत के लिए हल्दी का सेवन बहुत जरुरी है। यह न सिर्फ लीवर की विषाक्त चीजों से सुरक्षा करती है बल्कि लीवर की नष्ट हुई कोशिकाओं का निर्माण भी करती है।काली तुलसी (Black Tulsi)काली तुलसी के सेवन से लीवर कैंसर के वृद्धि रुक जाती है। आयुर्वेद में लीवर कैंसर की चिकित्सा में काली तुलसी की विशेष चर्चा की गई है। काली तुलसी के 30 पत्तों को दही में मथकर बनाए गए मठ्ठे के साथ पी जाएं। सुबह-शाम इसे आजमाने से बेहतर परिणाम आते हैं।और भी हैं उपाय (Some more remedies)
- दो संतरे का रस खाली पेट लेने से लीवर सुरक्षित रहता है। एक बैंगन कच्चा खाने से लीवर की बीमारियां ठीक होती है।
- डाभ (नारियल) का पानी पीएं।
- जौ का पानी पीएं।
- छाछ का नियमित सेवन करें।
- अंकुरित चना सुबह को नाश्ते में खाएं
- अंकुरित दाना मेथी का रस पीएं
- गाजर-टमाटर का सेवन नियमित करें।
Friday 27 October 2017
प्लेटलेट्स से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
प्लेटलेट्स की कमी होने का नुकसान शरीर एवं स्वास्थ्य को भुगतना पड़ता है, जानिये इनको कैसे पूरा करेँ
एक स्वस्थ शरीर की निशानी है शरीर में प्लेटलेट्स की सही मात्रा होना एवं उनका सही तरीके से काम करना लेकिन प्लेटलेट्स की कमी होने का नुकसान शरीर एवं स्वास्थ्य को भुगतना पड़ता है, शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने की स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के नाम से जाना जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट ब्लड में 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोली टर होते है लेकिन जब यह काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाये तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है। कुछ खास तरह की दवाओं, आनुवंशिक रोगों, कुछ खास तरह के कैंसर, कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट, अधिक एल्कोहल के सेवन व कुछ खास तरह के बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के होने पर भी ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती हैँ लेकिन घबराएं बिल्कुल नहीं क्योंकि कुछ आहारों की मदद से ब्लड प्लेटलेट्स को प्राकृतिक रूप से बढ़ाया जा सकता है :-
चुकंदर :चुकंदर का सेवन प्लेटलेट को बढ़ाने वाला एक लोकप्रिय आहार है. प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टैटिक गुणों से भरपूर होने के कारण, चुकंदर प्लेटलेट काउंट को कुछ ही दिनों बढ़ा देता है. अगर दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिलाकर पिया जाये तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ती हैं. और इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण यह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाते हैं।
पपीता :पपीता के फल और पत्तियां दोनों का ही इस्तेमाल कुछ ही दिनों के भीतर कम प्लेटलेट को बढ़ाने में मदद करते हैं. 2009 में, मलेशिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एशियाई संस्थान में शोधकर्ताओं ने पाया कि डेगू बुखार में गिरने वाले प्लेटलेट को पपीता के पत्ते के रस के सेवन से बढ़ाया जा सकता है, आप चाहें तो पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं, इसका स्वाद ग्रीन टी की तरह लगेगा।
नारियल पानी :शरीर में ब्लड प्लेटलेट को बढ़ाने में नारियल का पानी भी बहुत मददगार होता है, नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी मात्रा में होते हैं, इसके अलावा यह मिनरल का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं ।
आंवला : प्लेटलेट को बढ़ाने के लिए आंवला लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार है. आंवला में मौजूद भरपूर मात्रा में विटामिन सी प्लेटलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है. नियमित रूप से सुबह के समय खाली पेट 3-4 आंवला खाये. यह आप दो चम्मच आंवले के जूस में शहद मिलाकर भी ले सकते हैं।
कद्दू : कद्दू कम प्लेटलेट कांउट में सुधार करने वाला एक और उपयोगी आहार है. यह विटामिन ए से समृद्ध होने के कारण प्लेटलेट के उचित विकास का समर्थन करने में मदद करता है. यह कोशिकाओं में उत्पादित प्रोटीन को नियंत्रित करता है, जो प्लेटलेट के स्तर को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होता है. कद्दू के आधे गिलास जूस में एक से दो चम्मच शहद डालकर दिन में दो बार लेने से भी ब्लड में प्लेटलेस्ट की संख्या बढ़ती है।
गिलोय :गिलोय का जूस ब्लड में प्लेटलेट को बढ़ाने में काफी मददगार होता है. डेंगू के दौरान नियमित रूप से इसके सेवन से ब्लड प्लेट्स बढ़ने लगती हैं और आपकी प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है. दो चुटकी गिलोय के सत्व को एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार लें या फिर गिलोय की डंडी को रात भर पानी में भिगो कर सुबह उसका छना हुआ पानी पी लें. इससे ब्लड में प्लेटलेट बढ़ने लगते हैं।
पालक : पालक विटामिन ‘के’ का एक अच्छा स्रोत है और अक्सर कम प्लेटलेट विकार के इलाज में मदद करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. विटामिन ‘के’ सही तरीके से होनी वाली ब्लड क्लॉटिंग के लिए आवश्यक है. इस तरह से यह बहुत अधिक ब्लीडिंग के खतरे को कम करता है. दो कप पानी में 4 से 5 ताजा पालक के पत्तों को डालकर कुछ मिनट के लिए उबाल लें. इसे ठंडा होने के लिए रख दें. फिर इसमें आधा गिलास टमाटर मिला दें. इसे मिश्रण को दिन में तीन बार पीयें. इसके अलावा आप पालक का सेवन सूप, सलाद, स्मूदी या सब्जी के रूप में भी कर सकते हैं।
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Wednesday 25 October 2017
अश्वगंधा से किडनी Failure और Dialysis से किसी को भी बचा सकता है
Wednesday 4 October 2017
आपके पेट में भोजन पच रहा है, या सड़ रहा है
फर्मेंटेशन का मतलब है सडन और डायजेशन का मतलब हे पचना
Tuesday 3 October 2017
किडनी स्टोन में रामबाण है कुलथी की दाल और बकरी का दूध
संकेत एवं लक्षण-भूख कम लगना, यूरिन में दिक्कत, हल्का बुखार व कमजोरी जैसे लक्षण पथरी के संकेत हैं। वैसे पथरी छोटी हो तो उसका कोई लक्षण या दर्द नहीं होता। पथरी जिस स्थान पर होती है उसी जगह पर दर्द होता है। जब पथरी किसी वजह से हिलती है तो काफी दर्द व उल्टी भी आ सकती है। कई बार यूरिन के साथ ब्लड आने लगता है।मुख्य वजह व रोग का पुराना होना-सुश्रुत संहिता के अनुसार शरीर में दोष बढऩा, दिन में सोना, जंकफूड व अधिक भोजन करना, ज्यादा ठंडा या मीठा खाने से पथरी होती है। कमजोरी, थकावट, वजन घटना, भूख न लगना, खून की कमी, प्यास अधिक लगना, दिल में दर्द होना और उल्टी आना ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो पथरी के पुराने होने का संकेत हो सकते हैं।
ये हैं उपाय-
* सुश्रुत संहिता में पथरी होने पर देसी घी से उपचार बताया गया है। देसी घी का अधिक सेवन करने से पथरी आसानी से बाहर निकल जाती है।
* दर्द होने पर उस स्थान पर सेक से लाभ होता है। वैसे पथरी को शुरुआती अवस्था में ही बढऩे से रोकना चाहिए।
* गोखरू के बीज का चूर्ण शहद व बकरी के दूध के साथ एक सप्ताह पीने से पथरी में आराम मिलता है।
* पथरी के रोगी टमाटर, चावल व पालक नहीं खाएं।
Monday 2 October 2017
पुनर्नवा किडनी को पुनर्जीवन देने के लिए अकेला ही काफी
पुनर्नवा का बोटैनिकल नाम BOERHAHAVIA DIFFUSSA है . अंग्रेज़ी में इसे HOG WEED भी कहते है यह NYCTAGINACEAE FAMILY से आता है .पुनर्नवा के पुरे पोधे में ही औषधीय गुण होते है . विशेषकर इसके जड़ो ओर पतियों मेंऔषधीय गुण काफी मात्र में गुण पाए जाते है. खेतों में पैदा होने वाले या अक्सर ही किसी भूमि पर अपने आप उग जाने वाले इस खरपतवार के गुण देख कर आप वाकई हैरान हो जायेंगे. हम आज आपको एक ऐसा ही इसका प्रयोग बताने जा रहें हैं जिसको करने से किडनी के समस्त रोग सही हो सकता है, यहाँ तक के जिन रोगियों का डायलिसिस चल रहा है, वो भी अपने रोग से मुक्ति पा सकते हैं. अगर यूँ कहें के ये किडनी के समस्त रोगों के लिए रामबाण हैं तो ये गलत नहीं होगा.